बी0एस0पी0 सांसदों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार द्वारा संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक पेश न करने पर लोकसभा में जोरदार हंगामा मचाया, लोकसभा दिन भर के लिये स्थगित करनी पड़ी

Posted on 03 August 2011 by admin

कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर किसानों और  खेतिहर मजदूरों के साथ वादा खिलाफी कर रहे हैं
यू0पी0ए0 सरकार अपने प्रस्तावित बिल में यदि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा  लागू नई भूमि अधिग्रहण नीति का समावेश करती तो किसानों और  खेतिहर मजदूरों को ज्यादा लाभ होगा

बी0एस0पी0 सांसदों ने आज लोकसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक संसद में न पेश किये जाने पर जोरदार हंगामा करते हुए संसद की कार्यवाही नही चलने दी। जिसके वजह से लोकसभा की कार्यवाही एक बार पूर्वान्ह  11.00 तथा दोपहर 12.00 बजे दो बार बाधित हुई और फिर दिनभर के लिये लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। बी0एस0पी0 सांसदों का कहना था कि यू0पी0ए0 सरकार ने मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण बिल पेश करने का वादा किया था, लेकिन अब वह बिल लाने से कतरा रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने चालू सत्र में बिल न लाकर देश के करोड़ों किसानों व खेतिहर मजदूरों को निराश किया है।
बी0एस0पी0 सांसदों ने कहा कि उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने किसानों की भूमि अधिग्रहण से जुड़े विभिन्न विवादों का स्थायी समाधान के लिये प्रदेशभर के किसानों को 02 जून, 2011 को लखनऊ में आमंत्रित कर किसान पंचायत किया और उनसे सीधे बातचीत करके उनके सुझावों के अनुरूप एक व्यापक, उदार तथा  किसान हितैषी भू-अधिग्रहण नीति की घोषणा करके उसे तुरन्त लागू किया। उत्तर प्रदेश की नई भूमि अधिग्रहण नीति पूरे देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर है, जिसकी प्रदेश के किसानों ने खुले मन से सराहना की है। सांसदों का यह भी कहना था कि यदि यू0पी0ए0 सरकार को सर्वमान्य नीति बनाने में कोई परेशानी हो रही हो तो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गयी नीति को अपनी नयी नीति में समावेश करते हुए नये बिल का मसौदा तैयार करके कानून का रूप देना चाहिए।
मानसून सत्र के दूसरे दिन संसद की कार्यवाही शुरू होते ही बी0एस0पी0 सांसदों ने भूमि अधिग्रहण बिल पेश करने की मांग की। सांसदों ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे पर आम लोगों की राय जानने के लिये 31 अगस्त, 2011 तक का समय निर्धारित है। इसका सीधा अर्थ है कि यह विधेयक इस माह के अंत तक जब संसद का सत्र समाप्त होने लगेगा, तब सदन में पेश किया जायेगा। सांसदों ने कहा इससे साफ जाहिर है कि यह विधेयक मानसून सत्र में कानून का रूप नहीं ले सकेगा और भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन के लिये किसानों और खेतिहर मजदूरों को अगले सत्र की प्रतीक्षा करनी होगी। कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर किसानों और खेतिहर मजदूरों के साथ वादा खिलाफी कर रहे हैं।
बी0एस0पी0 सांसदों ने हंगामें के बीच अपनी बात रखते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार बिल नहीं लाना चाहती और सिर्फ इस मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहती है। सांसदों ने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार का शुरू से रवैया किसान विरोधी रहा है, जिसके कारण आजादी के 63 वर्ष बाद भी पूरे देश के किसानों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। सांसदों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मसले पर किसानों के साथ वादा खिलाफी की है। कांग्रेस के नेता उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर किसानों को झूठा आश्वासन देकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहे और अब संसद में बिल पेश करने का समय आया है तो हीलाहवाली कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन लाने के बजाय राजनीति कर रही है।
सांसदों का यह भी कहना था कि भूमि अधिग्रहण के लिये यू0पी0ए0 सरकार द्वारा नया कानून न बनाने से देश के विभिन्न हिस्सों में विवाद उत्पन्न हो रहे हैं, और  राज्य सरकारों के समक्ष आये दिन कानून-व्यवस्था सम्बन्धी समस्यायें उत्पन्न हो रही है। इसके लिये कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। सांसदों ने यह भी कहा कि भूमि सम्बन्धी विवादों के चलते औद्योगिकरण के साथ-साथ विकास सम्बन्धी विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित कराने में बाधा उत्पन्न हो रही है। एक ओर तो कांग्रेस के नेता भूमि अधिग्रहण अधिनियम में बदलाव लाने के लिये गम्भीर नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर राज्यों में किसानों को भड़काने का भी काम कर रहे हैं।
सांसदों का यह भी कहना था कि बी0एस0पी0 की माननीया राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी ने यू0पी0ए0 सरकार को पहले ही सजग कर दिया था कि यदि केन्द्र सरकार भूमि अधिग्रहण पर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए वर्तमान सत्र में विधेयक पेश नहीं करती है तो बी0एस0पी0 संसद नहीं चलने देगी और यदि यू0पी0ए0 सरकार मानसून सत्र में नया विधेयक लाने की पहल करती है तो बी0एस0पी0 उसको पूरा सहयोग प्रदान करेगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा था कि यदि केन्द्र सरकार को नई राष्ट्रीय नीति बनाने में कोई कठिनाई आ रही है तो उसे उत्तर प्रदेश की बी0एस0पी0 सरकार द्वारा लागू की गई नई भूमि अधिग्रहण नीति को समावेश करते हुए इसकी तर्ज पर अपनी नया बिल लाना चाहिए। प्रस्तावित नये बिल में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई भूमि अधिग्रहण नीति के प्राविधानों को पूरी तरह समावेश नहीं किया गया है, जिससे उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी निराशा हुई है। इस प्रकार यू0पी0ए0 सरकार के प्रस्तावित विधेयक के प्राविधानों से स्पष्ट है कि इस अधिनियम से किसानों का भला होने वाला नहीं है।
सांसदों ने लोकसभा में यह भी मुद्दा उठाया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई नीति में भू-स्वामियों एवं अर्जन निकायों के मध्य आपसी समझौते के आधार पर सीधे भूमि क्रय करने की व्यवस्था की गई है। जबकि यू0पी0ए0 सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल में इस तरह की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं की गई है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश द्वारा जारी नीति में अधिग्रहीत भूमि के प्रतिकर का निर्धारण आपसी सहमति से किये जाने का प्राविधान किया गया है, जबकि केन्द्र द्वारा तैयार किये गये बिल के मसौदे में शहरी क्षेत्र में बाजार मूल्य के दोगुना तथा ग्रामीण क्षेत्र में बाजार मूल्य का छः गुना दिये जाने की व्यवस्था प्रस्तावित है।
सांसदों ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा केन्द्र सरकार की भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी नीतियों की तुलना करते हुए आगे कहा कि उत्तर प्रदेश की नीति में यदि कोई भू-स्वामी वार्षिकी नहीं लेना चाहता है तो उसे 2.76 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा, जबकि केन्द्र की प्रस्तावित बिल में इस प्रकार का कोई प्राविधान नहीं है। इसी प्रकार प्रत्येक परियोजना प्रभावित परिवार जिसकी प्रभावित क्षेत्र में कृषि भूमि हो, और ऐसे परिवार की यदि पूरी भूमि अर्जित की गई हो तो उसको आजीविका की क्षतिपूर्ति के लिए 05 वर्षों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त धनराधि वित्तीय सहायता के रूप में देने की व्यवस्था की गई है। इस तरह केन्द्र सरकार की नई भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित बिल किसान हितैषी नहीं है और किसानों के साथ छल करने का पूरा प्रयास किया गया है।
सांसदों ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को उनकी अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा केन्द्र सरकार की योजनाओं से ज्यादा दिया जा रहा है। इसके अलावा बी0एस0पी0 सरकार की पुनर्वास व पुनसर््थापन नीति कांग्रेस शासित हरियाणा व अन्य प्रदेशों से कहीं बेहतर है। इस तरह बी0एस0पी0 सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर बनायी गई नीति देश की सबसे प्रगतिशील व किसान हितैषी नीति है।
इसके अलावा सांसदों ने यह भी मुद्दा उठाया कि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा जारी नीति में अंतरित की गयी भूमि के कुल क्षेत्रफल का 16 प्रतिशत विकसित करके दी जाने वाली भूमि में से प्रभावित भूस्वामी अपनी स्वेच्छानुसार पारस्परिक समझौते के अनुसार कुछ प्रतिशत विकसित भूमि प्राप्त कर सकेगा। इस प्रकर राज्य सरकार ने विकास में किसानों की पूरी भागीदारी सुनिश्चित की है, जबकि केन्द्र सरकार प्रस्तावित विधेयक में कोई स्पष्ट प्राविधान नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त मुआवजे के रूप में भू-स्वामियों को दी जाने वाली विकसित भूमि के रजिस्ट्रेशन पर देय स्टैम्प ड्यूटी तथा रजिस्ट्रेशन शुल्क से उन्हें छूट प्रदान करने की भी व्यवस्था की गयी है, जबकि यू0पी0ए0 के प्रस्तावित मसौदे में कोई स्पष्ट प्राविधान नहीं है।

बी0एस0पी0 के राज्य सभा सांसदों ने सदन में यह भी आवाज उठायी कि केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश में गरीबी, बेरोजगारी एवं महंगाई लगातार बढ़ रही है। लम्बे समय तक केन्द एवं राज्यों की सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी ने हमेशा धन्नासेठों तथा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के हिसाब से अपनी आर्थिक नीतियां तैयार की। कांग्रेस पार्टी आज भी इसी रास्ते पर चल रही है जिससे आम आदमी का जीवन दूभर हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही कांग्रेस शासित राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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