समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के राज्य सम्मेलन में लिये गये निर्णय के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी अत्याचारी, तानाशाही भ्रश्टाचारी तथा जन विरोधी आचरण को लेकर 7, 8 व 9 मार्च,2011 को जन आन्दोलन किये जाने का निर्णय किया गया था। समाजवादी पार्टी के राश्ट्रीय अध्यक्ष मा0 श्री मुलायम सिंह यादव ने आन्दोलन की घोशणा के साथ स्पश्ट रूप से निर्देश दिये थे कि पार्टी का यह पूर्णतय: अहिंसात्मक जनान्दोलन होगा। समाजवादी पार्टी को जन आन्दोलन करने का निर्णय इसलिए लेना पड़ा क्योंकि कि प्रदेश का हर वर्ग उत्तर प्रदेश सरकार की गलत नीतियों अत्याचार से पीड़ित है। किसााने को खाद, बीज, पानी तथा बिजली नहीं मिली। उनके धान और गेहूं की खरीद नहीं की गई जिससे उनको औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर होना पड़ा। मंहगाई चरम सीमा पर है। सरकार मंहगाई रोकने में असफल है महिलाएं सुरक्षित नहीं है प्रतिदिन बलात्कार की घटनाएं हो रही है। कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। थानो में केवल वही रिपोर्ट दर्ज की जाती है जिनको बसपा के कार्यकर्ता और नेता चाहते है। राजकीय कोश का दुरूपयोग इस हद तक किया गया है कि लखनऊ राजधानी में ही लगभग 40 हजार करोड़ रूपए केवल पत्थरो, मूर्तियों और पाकोZ के निर्माण पर व्यय किया गया है। जनता अपना दु:खदर्द मुख्यमन्त्री तक पहुंचा नहीं सकती है। इसलिये जनता की समस्याओं को लेकर सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा।
समाजवादी पार्टी के इस शान्तिपूर्ण आन्दोलन को कुचलने के लिये प्रदेश सरकार की पूरी मशीनरी 5 मार्च,2011 से ही जुट गये थी । सारे सरकारी कामकाज को ठप्प करते हुये अधिकारी और कर्मचारी कार्यालयो की बेैरीकेटिंग में जुटे गये। लखनऊ में तो पूरा विक्रमादित्य मार्ग तथा पार्टी का प्रदेश कार्यालय चारो तरफ से लोहे व लकड़ियों की बलियों से घेर लिया गया था जिसके कारण स्कूल की तरफ जाने वाले बच्चे भी नहीं जा सके। 5 मार्च से ही प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को घरो पर दबिश देकर पकड़ने का कार्य चालू कर दिया था और 7 मार्च,2011 के पहले ही लगभग 30 हजार कार्यकर्ताओं को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर जेल में डाल दिया था।
समाजवादी पार्टी के राश्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव, जो दोनों ही लोकसभा के सम्मानित, निर्वाचित सदस्य हैं, उन्हें संसद में 7 मार्च,2011 को जाने से रोकने की साजिश में उनके घर के सामने पुलिस छावनी बना दी गई और उन्हें घर में नज़रबन्द कर दिया गया। जब लोकसभाध्यक्ष को विशेशाधिकार हनन की नोटिस भेजी गई तब जाकर उनको दिल्ली जाने दिया गया। समाजवादी पार्टी कार्यालय यको 6 मार्च,2011 की शाम से ही घेरेबन्दी कर दी गई।
7 मार्च,2011 को लखनऊ में नेता प्रतिपक्ष विधान सभा िशवपाल सिंह यादव, सॉसद श्रीमती सुशील सरोज पूर्व सॉसद श्री भगवती सिंह आदि सैकड़ों कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा कलेक्ट्रेट जाते हुये रोका गया। श्रीमती सुशीला सरोज सॉसद को भी पीटा उनकी सोने की चेन भी छीन ली गई। परिवर्तन चौके पास पुलिस ने रोकरकर लाठी चलाई गई। पुलिस के गुण्डे सिपाहियों द्वारा निहत्थे लोगों पर पूरे बल के साथ लाठियोंं से पीट-पीट कर उन्हें घायल कर दिया और वही से गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया। विधान परिशद में नेता प्रतिपक्ष श्री अहमद हसन आन्दोलन के समय इलाहाबाद गये थे जिनको सिर्कट हाउस में ही तीन दिन तक नज़रबन्द रखा गया और उन्हें सिर्कट हाउस से निकलने नहीं दिया गया।
9 मार्च,2011 को लखनऊ के एयरपोर्ट पर प्रदेश अध्यक्ष एवं सॉसद श्री अखिलेश यादव प्रात:काल पहुंचे थे जिनको वहां से अपने संसदीय क्षेत्र कन्नौज जाना था पर लखनऊ के अपर पुलिस अधीक्षक वी0पी0 अशोक एक अपर जिलाधिकारी तथा थानाध्यक्ष सरोजनीनगर के साथ एयरपोर्ट पर पहुंचे कर उन्हें जबरिया लखनऊ जेल जाने के मजबूर किया गया। उनके साथ एयरपोर्ट पर दुव्र्यवहार किया गया। 9 मार्च,2011 को लखनऊ में प्रदेश अध्यक्ष को बलपूर्वक जेल जाने से आक्रोिशत समाजवादी पार्टी के कुछ युवा नेता हजरतगञ्ज में एकत्र होकर प्रदशZन कर विरोध प्रकट कर रहे थे कि लखनऊ की पुलिस द्वारा उन सबको लाठियों से पीट-पीटकर गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिस लाइन जाते समय हनुमान सेतु के पास श्री सुनील यादव प्रदेश अध्यक्ष छात्रसभा, श्री आनन्द भदौरिया प्रदेश अध्यक्ष लोहिया वाहिनी श्री राजेश यादव, पंकज तथा श्री अनिल यादव को गाड़ी से उतारकर सड़क पर पुलिस उपमहानिरीक्षक डी0के0 ठाकुर द्वारा बुरी तरह से पिटाई की गई। बाल पकड़कर नोचते हुये अपने जूतो के नीचे दबाकर उनकी पिटाई की गई। जागरण में प्रकािशत संलग्न फोटो से स्वयं देख सकते है। प्रजातन्त्र में इससे अधिक शर्मनाक कोई अन्य उदाहरण हो नहीं सकता।
हम आपके सञ्ज्ञान में लाना चाहते है कि 7,8 व 9 मार्च,2011 को प्रदेश के इस जनान्दोलन को कुचलने और निहत्थे अहिंसक प्रदशZनकारियों पर बर्बरतापूर्ण ढंग से लाठी चलवाने में उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार की मुख्यमन्त्री ने ब्रिटिश राज के अंग्रेजो के क्रूरता को भी मात दे दिया।
महामहिम जी समाजवादी पार्टी का यह आन्दोलन पूर्णरूप से अहिसंात्मक रहा। सम्पूर्ण प्रदेश में एक भी घटना सरकारी सम्पत्ति को छति पहुंचाने की नहीं हुई। कहीं तोड़फोड नहीं हुई। आन्दोलन में शामिल लोग केवल जन समस्याओं को ही उजागर कर न्याय पाने की मॉग करना चाहते थे। फिर भी पुलिस प्रशासन द्वारा सभी जिलों में आन्दोलन में सम्मिलित लोगों के साथ दुव्र्यवहार किया गया। कई जिलों में बर्वरतापूर्ण लाठी चार्ज किया गया। कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अम्बेडकरनगर के श्री ब्रह्मदेव यादव को ट्रामा सेण्टर में भर्ती कराया गया है। एक लाख से अधिक लोगों को जेल में बन्द किया गया। कुछ पर संगीन धाराएं भी लगा दी गई हैं।
10 मार्च, 2011 को लखनऊ जनपद की गोसाईगञ्ज जेल में बन्द कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया जिनमें श्री िशवपाल सिंह यादव नेता प्रतिपक्ष विधानसभा, श्री अखिलेश यादव प्रदेश अध्यक्ष भी थे। जेल के पास कुछ कागज के टुकड़ों के जलने से उठ रहे धुऑ को देखकर वहॉ पर तैनात पुलिस द्वारा पुतला फूंकने का कारण मानकर कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज किया। नेता प्रतिपक्ष विधानसभा को चोट भी लगी और उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मचारी का सिर फूट गया।
महामहिम जी प्रदेश की पुलिस हैवानियत पर उतरी हुई है। प्रदेश की जनता पुलिस के आचरण से भयभीत है। कोई अपने को सुरक्षित नहीं पा रहा है।
प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में सरकार की गलत नीतियों, जनविरोधी कार्यो का विरोध करने का उत्तरदायित्व विरोध पक्ष के राजनैतिक दलों को होता है। प्रदेश की जनता प्रदेश की सरकार से न्याय पाने की आशा करती है। उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मयावती ने 10 मार्च, 2011 को पत्रकार वार्ता में समाजवादी पार्टीे के राश्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव को चेतावनी दी है कि यदि पार्टी भविश्य में इस प्रकार के कोई आन्दोलन करेगी तो पुलिस प्रशासन और सख्ती से पेश आयेगा।
10 मार्च, 2011 को प्रेस के माध्यम से प्रदेश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी के राश्ट्रीय अध्यक्ष को चेतावनी देकर यह प्रमाणित कर दिया है कि वह और उसकी सरकार तानाशाह है और दिखाना चाहती हैं कि प्रदेश की जनता जुल्म और अत्याचार सहती रहे, उसे विरोध करने का अधिकार नहीं है।
महामहिम जी विधानसभा मेे उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम बिना चर्चा के संख्या बल पर पारित करा लिया गया, जिसमें नगर निगम तथा नगर पालिका परिशद के अध्यक्ष का चुनाव जनता के बजाय केवल पाशZदों के माध्यम से कराने का प्राविधान किया है। इस संशोधन से जनता के अधिकारों का हनन हो रहा है। इसलिए हमारी मॉग है कि सरकार द्वारा नगर पालिका परिशद अधिनियम में कराये गये संशोधन को कृपापूर्वक स्वीकार न किया जाय।
हम आपके सञ्ज्ञान में उपरोक्त दृश्टान्त लाते हुए आग्रह करते हैं, कि उत्तर प्रदेश की इस किसान विरोधी, जनविरोधी, भ्रश्टाचारी, अत्याचारी और तानाशाही बसपा सरकार केा बखाZस्त करने की कृपा करें ताकि प्रदेश की जनता सुख से सांस ले सके।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा आज महामहिम राज्यपाल महोदय से प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि मण्डल ने मिलकर उन्हें 7, 8 व 9 मार्च,2011 को हुए जनान्दोलन के दौरान पुलिस प्रशासन की बर्बरता एवं असंवेदनशीलता की जानकारी दी तथा वर्तमान भ्रश्टाचारी, अत्याचारी एवं किसान विरोधी सरकार को बखाZस्त किए जाने की मांग की। प्रतिनिधि मण्डल में पूर्वमन्त्री श्री भगवती सिंह, नेता प्रतिपक्ष विधान परिशद श्री अहमद हसन,सॉसद श्रीमती सुशीला सरोज, प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी एवं लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष श्री आनन्द भदौरिया तथा छात्रसभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुनील यादव भी शामिल थे।
डीआईजी, लखनऊ को भेजे गए पत्र (संलग्नक) में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने 7 और 9 मार्च,2011 को अपने साथ हुए पुलिस दुव्र्यवहार के ब्यौरे के साथ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दोशी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।
इस सम्बन्ध में श्री यादव के सुरक्षा कर्मियों का आईजी के नाम पत्र भी संलग्न है कि किस तरह उन्हें कर्तव्यपालन से रोका गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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