रेशम उद्योग कृषि आधारित कुटीर उद्योग है। कृषक अपने कृषि कार्यों के साथ-साथ इस उद्योग को अपनाते हुये अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की नीतियों/भावनाओं को साकार रूप देने को दृष्टिगत रखते हुये प्रदेश सरकार रेशम उद्योग के माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के साधन सुलभ कराने एवं रेशम उद्योग का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने हेतु कृत संकल्प है। रेशमी वस्त्रों की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में स्पर्धा के दृष्टिकोण से कम्प्यूटर डिजाइनिंग को निजी क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है, जिससे उत्पादों की अधिकाधिक खपत हो सके एवं उद्यमियों को आकर्षक मूल्य प्राप्त हो सके।
यह उद्गार आज यहॉ चौधरी चरण सिंह सहकारिता भवन के सभागार में रेशम कोया उत्पादित करने वाले कीटपालकों को रेशम उद्योग के प्रति आकषिZक करते हुये उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत करने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय रेशम विकास गोष्ठी व ´´मान्यवर कांशीराम जी रेशम उत्पादकता पुरस्कार´´ समारोह में रेशम विकास एवं वस्त्रोद्योग मन्त्री श्री जगदीश नारायण राय ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बुनकरों द्वारा अधिकांशत: रेशमी वस्त्र बुनाई के लिये परम्परागत करघा प्रयोग किया जा रहा है, जिससे वह बहुत कम उत्पादन कर पाते हैं और उन्हें परिश्रम अधिक करना पड़ता है। अत: उनके करघों को तकनीकी रूप से उच्चीकृत करने की इस योजना में व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि रेशम उद्योग में कम लागत में शीघ्र उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकता है, विशेषकर महिलाओं के श्रम एवं समय के सदुपयोग के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने में सहायक हैं।
इस अवसर पर मान्यवर कांशीराम जी रेशम उत्पादकता पुरस्कार हेतु प्रदेश के चयनित 21 सर्वोत्कृष्ट रेशम कोया उत्पादकों/धागाकारकों/बुनकरों को प्रति पुरस्कार 11,000 रूपये की धनराशि, मोमेन्टो एवं प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। वितरित पुरस्कारों में शहतूती रेशम क्षेत्र में 12, टसर रेशम के क्षेत्र में 02, अरण्डी रेशम के क्षेत्र में 02, कीटपालकों तथा शहतूती/अरण्डी रेशम धागाकरण क्षेत्र में 02 उद्यमी, टसर रेशम धागाकरण क्षेत्र में 01 उद्यमी एवं रेशम वस्त्र बुनाई क्षेत्र में 02 उद्यमियों को पुरस्कृत किया गया।
गोष्ठी में केन्द्रीय रेशम बोर्ड, के वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा प्रदेश के कीटपालकों को प्री-ककून सेक्टर यथा शहतूत वृक्षारोपण, रेशम कीटपालन एवं बीजू कोया उत्पादन तथा पोस्ट-ककून सेक्टर से सम्बन्धित विषयों पर नव विकसित तकनीकियों एवं उनके क्रियान्वयन पर रेशम उद्योग से जुड़े लोगों को अति महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारी दी गई। विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में रेशम वस्त्रों के उत्पादन में गुणवत्ता लाने हेतु 400 लूम अपग्रेडेशन, 330 लूम अपग्रेडेशन (थ्रो जेकार्ड), 07 कम्प्यूटर एडेड टेक्सटाइल डिजाइनिंग, 04 शटललेस लूम, 15 ट्विस्टिंग इकाई, 02 कामन फैसिलिटी सेण्टर (फैब्रिक प्रोसेसिंग), 47 हॉट एयर ड्रायर, 13 यार्न डाईंग एवं 06 आर्म डाईग की स्थापना/सुविधा जनपद वाराणसी में उपलब्ध करायी गई। 2820 कीटपालकों को कीटपालन गृह, 1682 कीटपालकों को कीटपालन उपकरण एवं 1000 कीटपालकों को सिंचाई सुविधा हेतु अनुदान उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही साथ प्रदेश में कच्चे रेशम के उत्पादन हेतु 78 मी0टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो विगत वर्ष की तुलना में 20 मी0टन अधिक है। जनपद वाराणसी में सिल्क एक्सचेञ्ज प्रारम्भ कर दिया गया है एवं 02 सिल्क वितरण डिपो खोले गये हैं।
इस अवसर पर राज्यमन्त्री रेशम वस्त्रोद्योग श्री संग्राम सिंह, प्रमुख सचिव श्री सुशील कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये। बैठक में विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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