Archive | March, 2011

होली

Posted on 19 March 2011 by admin

मौसम मस्त हुआ,
सभी हुए खुशहाल।
होली के हुड़दंग में,
उड़ी खूब गुलाल।
टेसू से रंग बना,
पीला और लाल।
होली रंग से खेल लो,
रहे न कोई मलाल।
हया शर्म को छोड़कर
अधर करो तुम लाल
रंगों के रस रंग में
रखना यही ख्याल
कर लो दिल की बात
चलो न कोई चाल
होली फिर आयेगी
अब तो अगली साल।

surender-agnihotri-21
-सुरेन्द्र अग्निहोत्री
राजसदन-120/132
बेलदारी लेन, लालबाग,
लखनऊ
मो0: 9415578695

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आपसी भाई-चारे, प्रेम एवं सौहार्द का पर्व है होली,नफरतों के जल जाएं सब अम्बार होली में!

Posted on 19 March 2011 by admin

gandhi-ji-with-globe-for-email(1) `होलिका´ का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अन्त का प्रतीक है :-
होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से है। यह कितना पुराना है इसके विषय में ठीक जानकारी नहीं हैं लेकिन इसके विषय में इतिहास पुराण व साहित्य में अनेक कथाएं मिलती हैं। लेकिन इसके हर कथा में एक समानता है कि उसमें `असत्य पर सत्य की विजय´ और `दुराचार पर सदाचार की विजय´ का उत्सव मनाने की बात कही गई है। इस प्रकार होली मुख्यत: आनन्दोल्लास तथा भाई-चारे का त्योहार है। यह लोक पर्व होने के साथ ही अच्छाई की बुराई पर जीत, सदाचार की दुराचार पर जीत व समाज में व्याप्त समस्त बुराइयों के अन्त का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता व दुश्मनी को भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं और फिर ये दोस्त बन जाते हैं। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व बसन्त का सन्देशवाहक भी है। किसी कवि ने होली के सम्बन्ध में कहा है कि :-
नफरतों के जल जाएं सब अम्बार होली में।
गिर जाये मतभेद की हर दीवार होली में।।
बिछुड़ गये जो बरसों से प्राण से अधिक प्यारे,
गले मिलने आ जाऐं वे इस बार होली मेें।।

(2) `भक्त प्रह्लाद की प्रभु के प्रति अटूट भक्ति एवं निष्ठा´ के प्रसंग की याद दिलाता है यह महान पर्व :-
होली पर्व को मनाये जाने के कारण के रूप में मान्यता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यपु नाम का एक अत्यन्त बलशाली एवं घमण्डी राक्षस अपने को ही ईश्वर मानने लगा था। हिरण्यकश्यपु ने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबन्दी लगा दी थी। हिरण्यकश्यपुु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था। प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से कुद्ध होकर हिरण्यकश्यपुु ने उसे अनेक कठोर दण्ड दिए, परन्तु भक्त प्रह्लाद ने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा। हिरण्यकश्यपुु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकश्यपुु के आदेश पर होलिका प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। किन्तु आग में बैठने पर होलिका तो जल गई परन्तु ईश्वर भक्त प्रह्लाद बच गये। इस प्रकार होलिका के विनाश तथा भक्त प्रह्लाद की प्रभु के प्रति अटूट भक्ति एवं निष्ठा के प्रसंग की याद दिलाता है यह महान पर्व। होली का पर्व हमारे अन्त:करण में प्रभु प्रेम तथा प्रभु भक्ति के अटूट विश्वास को निरन्तर बढ़ाने का त्योहार है।

(3) शाहजहां के जमाने में होली को `ईद-ए-गुलाबी` या `आब-ए-पाशी´ (रंगों की बौछार) कहा जाता था :-
होली जैसे पवित्र त्योहार के सम्बन्ध में सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव केवल हिन्दू ही नहीं अपितु मुसलमान लोग भी मनाते हैं। इसका सबसे प्रामाणिक इतिहास की तस्वीरे मुगलकाल की हैं और इस काल में होली के किस्से उत्सुकता जगाने वाले हैं। इन तस्वीरों में अकबर को जोधाबाई के साथ तथा जहांगीर को नूरजहां के साथ होली खेलते हुए दिखाया गया है। शाहजहां के समय तक होली खेलने का मुगलिया अन्दाज ही बदल गया था। इतिहास में वर्णन है कि शाहजहां के जमाने में होली को `ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी´ (रंगों की बौछार) कहा जाता था। अन्तिम मुगल बादशाह शाह जफर के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मन्त्री उन्हें रंंग लगाते थे।

(4) होली का आधुनिक रूप :-
होली रंगों का त्योहार है, हंसी-खुशी का त्योहार है। लेकिन होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, भंाग-ठण्डाई की जगह नशेबाजी और लोक-संगीत की जगह फिल्मी गानों का प्रचलन इसके कुछ आधुनिक रूप है। अनेक ऐसे लोग हैं जो पारम्परिक संगीत की समझ रखते हैं और पर्यावरण के प्रति सचेत हैं। इस प्रकार के लोग और संस्थाएं चन्दन, गुलाबजल, टेसू के फूलों से बना हुआ रंग तथा प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की परम्परा को बनाये हुए हैं। साथ ही रासायनिक रंगों के कुप्रभावों की जानकारी होने के बाद बहुत से लोग स्वयं ही प्राकृतिक रंगों की ओर लौट रहे हैं।

(5) अत: होली के इस महान पर्व को आपसी प्रेम, भाई-चारे व सौहार्द के साथ मनाते हुए :-
1.    कठिन से कठिन परिस्थतियों में प्रभु की राह से विचलित न होने की प्रेरणा देने वाले होली के महान पर्व के अवसर पर बच्चों को भक्त प्रह्लाद की तरह ही सदैव प्रभु द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
2.    रंगों के इस पर्व में बच्चों को कालिख, पेण्ट, रासायनिक रंगों आदि से होली नहीं खेलना चाहिए क्योंकि इनसे हमारी त्वचा व आंखों को काफी नुकसान पहुंच सकता है।
3.    होली के पावन पर्व पर बच्चों को चाहिए कि वे बाजार से अबीर व रासायनिक रंगों को न खरीदें और साथ ही अपने माता-पिता से भी इन रासायनिक रंगों को न खरीदने का अनुरोध करें। अबीर में अभ्रक का प्रयोग होता है, जो हमारे लिए खतरनाक है।
4.    इस महान पर्व पर न तो वे खुद ही किसी प्रकार के नशे का सेवन करें और न ही अपने माता-पिता को ऐसा करने दें।
5.    इस अवसर पर तेज आवाज में संगीत न बजायें। इससे बुजुर्ग व बीमार लोगों को परेशानी होती है।
6.    किसी के साथ जोर-जबरदस्ती के साथ होली नहीं खेलनी चाहिए।
7.    `जल ही जीवन है´ की कहावत को चरितार्थ करते हुए पानी का यथासम्भव कम से कम उपयोग करें।
8.    बच्चों को हल्दी, चुकन्दर, टेसू के फूल व इसी प्रकार के अन्य घरेलू सामानों से तैयार प्राकृतिक रंगों के साथ ही होली खेलनी चाहिए। इसके साथ ही वे घरेलू सामान से ही बने गुलाल से भी अपने मित्रों के साथ होली खेल सकते हैं।
9.    होली के इस महान पर्व पर वे पूरी शिष्टता के साथ ही एक-दूसरे को रंग व गुलाल आदि लगायें। साथ ही अपने से बड़ों को रंग लगाने के साथ ही उनके चरण छूकर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त करें।

(6) होली खेलने से पहले बरतें सावधानियां :-
पहले जमाने में लोग टेसू और प्राकृतिक रंगों से होली खेलते थे। वर्तमान में अधिक से अधिक पैसा कमाने की होड़ में लोगों ने बाजार को रासायनिक रंगों से भर दिया है। वास्तव मेंं रासायनिक रंग हमारी त्वचा के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं। इन रासायनिक रंगों में मिले हुए सफेदा, वानिZश, पेण्ट, ग्रीस, तारकोल आदि की वजह से हमको खुजली और एलर्जी होने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए होली खेलने से पूर्व हमें निम्न सावधानियों को अवश्य बरतना चाहिए :-
1.    होली खेलने से पहले शरीर के खुले हिस्सों पर वैसलीन, तेल या कोल्ड क्रीम लगाएं। सरसों का तेल, ऑलिव ऑयल या नारियल का तेल लगाने से हमारी त्वचा पर रंगों की पकड़ हल्की रहती है।
2.    नाखूनों को होली के रंगों से बचाने के लिए महिलायें उन पर नेल पॉलिश लगा लें। साथ ही रंग खेलने से पहले बढ़े हुए नाखूनों को भी काट लेना चाहिए।
3.    बहुधा होली के दिन लोग पुराने कपड़े पहनते हैं, पर कपड़े इतने पुराने भी नहीं होने चाहिए कि होली खेलते समय उनकी सिलाई खुल जाये या कपड़े फट जायें।
4.    कपड़े ऐसे पहनने चाहिए जिससे आपका पूरा शरीर ढका रहें। इससे काफी हद तक शरीर का रंगों से बचाव हो जाता है।
5.    होली खेलने से पहले अंगूठी, घड़ी व सभी प्रकार के आभूषणों को अवश्य उतार कर रख देें।
6.    बालों पर तेल लगा लें। साथ ही सूखे रंगों के कुप्रभाव से अपने बालों को बचाने के लिए टोपी का प्रयोग अवश्य करें।

(7) ऐसे छुड़ाएं होली के रंग :-
1.     होली खेलने के बाद जितनी जल्दी हो सके, रंगों को छुड़ा दें। इन्हें ज्यादा देर तक त्वचा पर न लगा रहने दें।
2.     तेज रगड़ने से त्वचा में जलन होती है और अधिक रगड़ से त्वचा के छिलने का भी डर रहता है। अत: रंगों को धीरे-धीरे छुड़ाएं।
3.     बेसन या आटे में नीबू का रस डालकर उससे रंगों को छुड़ाएं। इसके साथ ही नारियल के तेल या दही से भी त्वचा को धीरे-धीरे साफ कर सकते हैं।
4.     रंग छुड़ाने के लिए मिट्टी का तेल, डिटर्जेण्ट या कपड़े धोने का साबुन इस्तेमाल में न लाएं।
5.      बालों में से रंग निकालने के लिए पहले उन्हें अच्छे से झाड़ लें ताकि उनमें से सूखा रंग निकल जाए। बालों से सूखा रंग निकलने के बाद ही उन्हें अच्छे से धोयें।
-जय जगत-

- डा. जगदीश गान्धी, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं
संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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जश्न मनाने के इस होली के साथ सहारा वन!

Posted on 18 March 2011 by admin

3 इस होली, सहारा वन अपने दर्शकों के लिए लाता है, दो विशेष रूप से अपने रहने वाले कमरे में रंगीन उत्सव और होली के उत्सव लाने बनाया दिखाता है!

एक घण्टा होली पर विशेष महा प्रकरण राम ठीन्तवेम हाउसिंग सोसायटी के सभी निवासियों के साथ आने के लिए एक चीर आनन्द मचानेवाला रंगीन होली मनाना होगा! ज्ञंकमत खान ने इस अवसर के लिए अद्वितीय स्वाद कहते हैं. ष्त्पेीजवद के भंवर में न्सरीप … छपलञ्जपष् जैसे सहारा वन के दूसरे शो के नेतृत्व डाली, ष्ज्ञमेन्तपलं बालम ।ंअव भ्ंउन्तम देसष्, ष्माता की चौकीष्, ष्ैीवतत … अब ज्ञन्दावव की कहानी, ज्ञन्दावव के श्रनइन्दपष्और ष्भ्ंउन्तप बेटी राज ज्ञन्तमहप ष्भी समारोह में शामिल हो जाएगा.

2 रविवार को यह महाराष्ट्र प्रकरण होली विशेष सहारा वन पर प्रसारित होगा, 9.30 पर 2011 मार्च 20 हूं और 7रू00.

1प्रसिद्ध कवि डा. अशोक चक्रधर के साथ एक विशेष शो श्चक्रधर की ब्ींां चक होली ष्सुविधाओं, उसका सबसे अच्छा अपनी अनोखी शैली में व्यंग्य और हास्य कविता पेश. डा. चक्रधर भी आय के साथ हाल के घोटालों पर ष्राग स्विस कल्याणीष्, एक व्यंग्य विशेष रूप से इस होली के लिए बना कविता, पेश करेंगे विदेश में ेजेंीमक! उन्होंने यह भी पारम्परिक ब्रज भास में एक होली पर अनूठा वर्णन प्रस्तुत करता है. भ्रष्टाचार से छू के विभिन्न प्रकार पर उनका –ष्टिकोण एक ही राग जबकि हंसी मसपबपजपदह. इसके बाद डा. चक्रधर समकालीन क्रिकेट से कैटरीना और मिल्लका च्ंन्दप को दूर एक शरारती, विनोदी, रिब-गुदगुदी का अनुभव दौर को लेकर मुद्दों पर कविताओं की एक श्रृंखला पेश करेंगे.

सहारा वन पर रविवार को प्रसारित किया जाएगा, 20 मार्च 10.30 पर हूं और 8रू00 ष्चक्रधर की ब्ींां चक होलीष्.

तो आओ, सहारा वन के साथ इस होली का जश्न मनाने!

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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मान्यवर काशीराम जी के 77 वें जन्मदिवस के अवसर पर ट्रैक्टर प्रदान

Posted on 18 March 2011 by admin

100_2631प्रदेश के कृशि एवं लोकनिर्माण मन्त्री नसीमउद्दीन सिद्दीकी ने आज अपने आवास पर  मान्यवर काशीराम जी के 77 वें जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में लखनऊ मण्डल मे 77 कृशकों की समितियों को 77 ट्रैक्टर प्रदान के साथ-साथ हरा फ्लैग दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर कृशि मन्त्री द्वारा स्वयं ट्रैक्टर पर बैठकर कुछ दूरी को तय किया और किसानों को ट्रैक्टर संचालन की तकनीकी जानकारियों से भी अवगत कराया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में विचार व्यक्त करते हुये कृशि मन्त्री ने प्रदेश में दलहन उत्पादन के क्षेत्र में रिकार्ड वृद्धि हेतु कार्य करने का आवाहन किया। गौरतलब है कि प्रदेश में वशाZ आधारित दलहन एवं तिलहन ग्राम योजना के अन्तर्गत प्रदेश के गरीब किसानों, जिनके पास खेतों की जुताई एवं बोवाई के अपने साधन उपलब्ध नहीं है तथा वह कृशक वशाZ आधारित दलहन एवं तिलहन की फसलों का उत्पादन करते है। ऐसे दस-दस ग्रामों के क्लस्टर का चयन करते हुए प्रत्येक क्लस्टर में एक-एक समिति का गठन किया गया है। प्रत्येक समिति को सरकार द्वारा एक ट्रैक्टर, एक रोटावेटर व एक रिज फरोZ प्लाण्टर प्रदान किया जा रहा है। इस योजना में 5400 ग्रामों को सम्मिलित करते हुये कुल 540 ट्रैक्टर 540 रोटावेटर तथा 540 रिज फरोZ प्लाण्टर का वितरण समितियों किया जाना है।

श्री कांशीराम जी कें 77 वें जन्मदिन के अवसर पर आज कृशि मन्त्री उत्तर प्रदेश नसीमुद्दीन सिदि्दीकी द्वारा लखनऊ मण्डल के समस्त जनपदों तथा फैजाबाद मण्डल के जनपद बाराबंकी, सुल्तानपुर तथा फैजाबाद के 77 समितियों के अध्यक्षी को 77 टैªक्टर, 77 रोटावेटर तथा 77 रिज फरोZ प्लाण्टर का वितरण समय 12.00 बजे किया गया। शेश 463 ट्रैक्टर, 463 रोटावेटर तथा 463 रिज फरोZ प्लाण्टर का वितरण प्रदेश के अन्य जनपदों में जिलाधिकारी, जनप्रतिनिधियों के द्वारा समितियों को 25 मार्च 2011 तक पूर्ण कराया जायेगा। इस अवसर पर प्रमुख सचिव कृशि सञ्जय अग्रवाल, कृशि निदेशक डा0 मुकेश गौतम, प्रबन्ध निदेशक यू0पी0स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रियल कारपोरेशन लि0 एन0 एल0 गंगवार, संयुक्त कृशि निदेशक (दलहन) एल.एस. कटियार तथा मण्डलीय अभियन्ता एम0ए0 जहूर उपस्थित रहे। कृशि मन्त्री ने कृशकों को सम्बोधित करके हुए आवाहन किया कि कृशि यन्त्रों का प्रयोग करते हुये खेत की अच्छी तैयारी कर कृशक भाई दलहन और तिलहन फसलों की उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करें जिससे हमारा देश दलहन और तिलहन में आत्म निर्भर हो सके। तथा हमें बाहर से दाल एवं खाद्यय तेल मंगाने की आवश्यकता न पड़े।

योजनान्तर्गत 540 ट्रैक्टर 540 रोटावेटर तथा 540 रिज फरोZ प्लाण्टर का प्रयोग कर वशZ में लगभग 3,88,800 है0 क्षेत्र में दलहनी एव तिलहनी फसलों की खेती करने हेतु समय से भूमि की तैयारी एवं बोवाई में सहायक सिद्ध होगा। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किसानों हेतु ट्रैक्टर उपकरण आदि वितरण 23 मार्च 2011 को बान्दा में कराने का निर्णय की जानकारी कृशि मन्त्री द्वारा पत्रकारों को दी गई।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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उ0प्र0 मुख्यमन्त्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना

Posted on 17 March 2011 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्देश दिये हैं कि `उ0प्र0 मुख्यमन्त्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना´ का क्रियान्वयन पांच सदस्यों के परिवार को आधार मानते हुए किया जाये। इस योजना के लिए प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति परिवार प्रति वर्ष 19,884 रूपये तथा शहरी क्षेत्रों में 25,446 रूपये प्रति परिवार प्रति वर्ष की अधिकतम आय सीमा के अनुसार निर्धारित गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों का चिन्हांकन करने के निर्देश दिये गये हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव समाज कल्याण श्री बलविन्दर कुमार द्वारा प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को जारी परिपत्र में यह जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा है कि शासन के सञ्ज्ञान में आया है कि योजना में सर्वे के उपरान्त बी0पी0एल0 मानकों के अनुसार गांव सभा/वार्ड की खुली बैठक में पात्र परिवारों का चयन होने के बाद भी उनके आवेदन पत्र भरवाते समय या बैंक एकाउण्ट खोलते समय उप जिलाधिकारीगण द्वारा पुन: आय प्रमाण-पत्र प्राप्त किये जाने पर जोर दिया जाता है, जिससे लाभार्थियों को अनावश्यक रूप से परेशानी हो रही है तथा कई मामलों में प्रमाण-पत्र न बनने के कारण उन्हें इस योजना के अन्तर्गत लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

प्रमुख सचिव ने कहा है कि वर्ष 2002 में निर्धारित गरीबी रेखा की आय सीमा में देश एवं प्रदेश के सर्वागींण विकास के कारण काफी परिवर्तन हो चुका है। चूंंकि इस सीमा को निर्धारित करने का अधिकार भारत सरकार को है इसी कारण इस योजना में सभी परिवारों का सर्वेक्षण करने के उपरान्त सबसे गरीब परिवारों को 16 अंक कट-ऑफ-प्वाइण्ट निर्धारित करने के उपरान्त ही उनका चयन किया गया है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि लाभार्थियों के अन्तिम चयन के उपरान्त आय-प्रमाण-पत्र लेने के लिए कोई दिशा-निर्देश भी इस विभाग द्वारा जारी नहीं किये गये हैं। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि लाभार्थियों के बैंक एकाउण्ट खोलते समय सम्बन्धित अधिकारी द्वारा उन महत्वपूर्ण सूचनाओं का जो सर्वे के समय फार्म में भरी गई थीं, आवश्यकतानुसार सत्यापन कराया जाय।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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उत्तर प्रदेश विनियोग विधेयक 2011, राज्य का अधिनियम बना

Posted on 17 March 2011 by admin

उत्तर प्रदेश राज्यपाल द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद-200 में प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए “उत्तर प्रदेश विनियोग विधेयक 2011´´ पर अनुमति प्रदान कर दी गई है। यह राज्य का अधिनियम बन गया है। इस अधिनियम से राज्य सरकार के 95 विभागों को 1 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2012 तक राज्य के समेकित निधि से आवण्टित धनराशियों को भुगतान एवं व्यय करने की अनुमति प्रदान की गई है। यह धनराशि कुल-180045,48,83,000 रूपये (एक लाख अस्सी हजार, पैतालीस करोड़ अड़तालीस लाख तिरासी हजार रूपये मात्र) की है।

यह जानकारी विशेष सचिव विधायी उत्तर प्रदेश ने दी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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आम जनता के हित में प्रदेश अमन-चैन का माहौल बनाये रखने के लिए धरना-प्रदर्शन आयोजित करने तथा जुलूस आदि न निकालने की अपील की है

Posted on 17 March 2011 by admin

राज्य सरकार ने प्रदेश में हाई स्कूल, इण्टर की वाषिZक परीक्षाओं तथा होली के महत्वपूर्ण त्यौहार को देखते हुए समस्त राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं से आम जनता के हित में प्रदेश अमन-चैन का माहौल बनाये रखने के लिए धरना-प्रदर्शन आयोजित करने तथा जुलूस आदि न निकालने की अपील की है।
प्रदेश के कैबिनेट सचिव श्री शशांक शेखर सिंह आज लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित मीडिया सेन्टर में पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार सभी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं का आदर करती है और उनसे अनुरोध करती है कि वे अनुशासित रहें और अपनी गरिमा के अनुरूप आचरण करें, जिससे प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब न हो और आम जनता को कोई दिक्कत न आये।

मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि प्रदेश में हाई स्कूल व इण्टर की परीक्षायें शुरू हो रही हैं। धरना-प्रदर्शन तथा आन्दोलन से छात्र-छात्राओं को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है तथा छात्रों की परीक्षायें छूट सकती हैं और उनकी साल भर की तैयारी पर पानी फिर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 19 व 20 मार्च को होली का महत्वपूर्ण त्यौहार भी पड़ रहा है। इस त्यौहार के मौके पर राज्य सरकार शान्ति व्यवस्था एवं साम्प्रदायिक सदभाव बनाये रखने के लिए पूरी तैयारी करनी होती है। जिससे प्रदेश में अमन-चैन का माहौल बना रहे। ऐसी स्थिति में किसी तरह का धरना-प्रदर्शन का आयोजन करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है, क्योंकि साम्प्रदायिक तत्व इसकी आड़ में प्रदेश का सामाजिक सदभाव बिगाड़ने का प्रयास कर सकते हैं।

श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार को मीडिया के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि समाजवादी पार्टी द्वारा कल 17 मार्च 2011 को पूरे प्रदेश में गांव-गांव स्तर पर विरोध दिवस का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अभी तक लखनऊ अथवा प्रदेश के किसी अन्य जिला प्रशासन से सार्वजनिक मीटिंग अथवा जुलूस निकालने की अनुमति नहीं मांगी है। उन्होंने कहा कि प्रजातन्त्र में धरना प्रदर्शन मुद्दों पर अथवा जनहित के विषयों पर आधारित होना चाहिए।

कैबिनेट सचिव ने कहा कि राज्य सरकार का स्पष्ट मत है कि लोकतन्त्र में किसी भी राजनीतिक दल को अनुशासित ढंग से अपनी बात रखनी चाहिए और कानून-व्यवस्था को भंग करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही किसी भी हालत में निजी अथवा सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसक आन्दोलन का सबसे ज्यादा प्रभाव आम जनता पर ही पड़ता है।

श्री सिंह ने समाजवादी पार्टी द्वारा गत 7 से 9 मार्च तक प्रदेश में किये गये तीन दिवसीय धरना/प्रदर्शन की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि इस आन्दोलन के बारे में उन्हें विस्तार से जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली थी, जिसमें सपा मुखिया ने अपने कार्यकर्ताओं का आवाहन किया था, कि जिस प्रकार मिस्र (म्हलचज) की जनता ने मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, उसी तरह प्रदेश सरकार का सभी सरकारी कार्य को ठप कर दें ताकि सरकार पंगु हो जाये।

श्री सिंह ने कहा कि मीडिया के माध्यम से यह भी जानकारी मिली कि सपा प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को `न मानेंगे न मारेंगे´ के साथ “जो अपना खून बहायेगा वही टिकट पायेगा´´ का नारा देकर कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसाया था। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय आन्दोलन के सम्पूर्ण घटनाक्रम से सभी लोग भली-भान्ति परिचित हैं। उन्होंने कहा कि इस आन्दोलन के दौरान आम जनता को विभिन्न कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। बच्चों के स्कूल छूट गये तथा गम्भीर मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाये। इसके अलावा कितने लोगों की बस, ट्रेन छूट गई। उन्होंने कहा कि आन्दोलनकारियों द्वारा लाख उकसाने के बाद भी राज्य सरकार ने पूरा-पूरा संयम बरता और कोई उत्तेजनात्मक कार्यवाही नहीं की।

कैबिनेट सचिव ने कहा कि सम्भवत: राजनीतिक दलों द्वारा आये दिन धरना-प्रदर्शन तथा रैली, जुलूस व आन्दोलन के नाम पर प्रदेश की कानून-व्यवस्था खराब करने तथा निजी व सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने सम्बन्धी घटनाओं को सञ्ज्ञान में लेकर ही मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं।

मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा रिट याचिका संख्या-40831/09 मो0 सुजाउद्दीन बनाम उ0प्र0 सरकार व अन्य में आदेश दिनांक 02-12-2010 को दिये गये निर्देशों को मीडिया के समक्ष से प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया है कि  ”As and when any incident of damage to public property takes place, if such agitation/ procession etc. has been called at the invitation or instance of a political party or a sitting or former people’s representative, report shall be registered by concerned police station against such political party/person by name.”

श्री सिंह ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति की क्षति को लेकर व्यापक दिशा निर्देश दिये गये है और मा0 सर्वोच्च न्यायालय का मत है कि ऐसे प्रकरणों में अधिकतम दण्ड दिया जाय- “…………maximum punishment shall be imposed. For a lenient view, reasons shall be assigned.” इसके साथ ही मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी निर्देश दिये गये हैं कि राजनीतिक दलों द्वारा धरना-प्रदर्शन, रैली अथवा आन्दोलन की जानकारी प्राप्त होने के बाद सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी इसे पूरी गम्भीरता से लें और किसी तरह की हानि न होने दें, और ठोस कदम उठाये।

कैबिनेट सचिव ने राज्य सरकार की मंशा को पुन: दोहराते हुए समस्त राजनीतिक दलों से अनुरोध किया कि वे प्रदेश में अमन-चैन का वातावरण बनाये रखें और इस तरह का कोई भी कदम न उठायें, जिससे आम जनता को किसी तरह की परेशानी उठानी पडे़।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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पुरुषार्थ,प्रार्थना तथा प्रतीक्षा पूर्ण जीवन के सूत्र - नरेन्द्र सिंह राणा

Posted on 17 March 2011 by admin

जीवन अमृत है बस जीना आना चाहिए। जहर भी अमृत है भगवान शंकर व परम् भक्त मीरा की तरह पीना आना चाहिए। आदिकाल से लेकर आज तक जितने भी महापुरूष हुए सब के जीवन में पुरूषार्थ, प्रार्थना तथा प्रतीक्षा का महामन्त्र मूल आधार है। जिसप्रकार सुबह, दोपहर, शाम को मिलाकर पूरा दिन बनता है उसी प्रकार उपरोक्त तीनों गुणों को मिलाकर मानव का पूर्ण जीवन खिलता है। यहां पुरूषार्थ बीज है उसको बोने के लिए भूमि को जोतना पड़ता है, सींचना पड़ता है, पथरीली, कंकरीली जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए कठोर परिश्रम करना होता है। प्रार्थना वृक्ष रूप है, बीज जमीन के अन्दर बो दिया जाता है, उसके पौधे के रूप में बाहर आने और विशाल वृक्ष बनने तक अपना काम करती है। प्रतीक्षा वृक्ष पर फल आना व उसका पकना है। सतयुग, त्रैता, द्वापर और कलिकाल में तीनों महान् गुणों से युक्त जीवन जीने वाले महापुरूषों के अनेक उदाहरण हैं। ऋषि मतंग ने मॉं शबरी, ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र ने अहिल्या और श्री हनुमान जी महाराज ने बानर राज सुग्रीव को प्रतीक्षा, धैर्य कर भरोसा रखना बताया जिसके परिणामस्वरूप ही स्वयं प्रभु श्री राम प्रतीक्षार्थीयों के पास गये और उनका उद्धार किया। दानव और देवता दोनों परम पुरूषार्थी और प्रार्थना करने वाले माने गए हैं। अनेकों बार देवाअसुर संग्राम हुए दैत्यों ने देवताओं को हराया भी परन्तु उनका राज कभी यशस्वी नहीं रहा वहीं देवताओं ने भगवत कृपा पाई और अखण्ड राज किया। दोनों में तुलना करने पर यह सहज समझ में आता है कि देवता प्रतीक्षा रूपी गुण के माहिर थे और दैत्य इस गुण से सदा विहीन थे। पुरूषार्थी व्यक्ति अधीर होता है। पुरूषार्थी यह सोचते है कि सफलता तो मेरे पुरूषार्थ पर निर्भर हैं, जितना जल्दी करूंगा उतनी जल्दी सफलता मिलेगी। जो प्रतिक्षा करता है वह धीर होता है। जो कृपा चाहेगा उसे धैर्य पूर्वक प्रतीक्षा करनी होगी। सूत्र यही है कि पुरूषार्थ में सक्रियता है और कृपा में प्रतिक्षा है। प्रार्थना की शक्ति अपरम्पार होती है। श्री हनुमान जी महाराज के चरित्र में हम पुरूषार्थ, प्रार्थना और प्रतिक्षा का समग्र रूप एक साथ देखना चाहे तो सहज ही देख सकते हैें।  हम देखते हैं कि सचमुच श्री हनुमान जी का प्रभु से मिलन होता है। हनुमान जी ने जब प्रभु श्रीराम से सुग्रीव को मिलाया तो प्रतिक्षा के मार्ग से मिलवाया। श्री राम ने हनुमान को हृदय से लगा लिया। श्री हनुमान जी ने प्रतिक्षारत सुग्रीव के बारे में प्रभु से यही कहा ´´ नाथ सैल पर कपिपति रहई-सो सुग्रीव दास तव अहई´ तेहि सन नाथ मेैत्री कीजे- दीन जानि तेहि अभय करीजे´´ यानि वानरराज सुग्रीव यहां पर्वत पर रहते हैं आप चलकर उनसे मित्रता कीजिए। कितनी मीठी बात है। साधन का स्वयं चलकर आना अति शुभ होता है। हनुमान जी सुग्रीव को भी आने के लिए कह सकते थे पर धन्य हैं, पुरूषार्थ के पुञ्ज हैं, प्रभु के पास भी है, उन्हें प्रतिक्षा (कृपा) की प्रतीति पर इतनी आस्था है कि उन्होंने प्रभु से प्रार्थना करते हुए यही संकेत किया कि प्रभु जब आप जीव पर कृपा करने के लिए श्री अयोध्यावासी से यहां तक आ गए तो अब इतनी दूर भी जीव को क्यों चलाते हैं। यह जीव तो भागते-2 थक गया है, यहां तक आने में समर्थ नहीं है। प्रार्थना के बल (समर्पण) से श्री हनुमान ने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी को अपने कधों पर बैठा लिया और सुग्रीव से मिला दिया। प्रतीक्षा (कृपा) के मार्ग से श्री हनुमान जी ने परम  पुरूषार्थ होते हुए भी प्रभु का दर्शन कराया तथा मित्रता करा दी। श्री हनुमान जी के बल के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। परमपूज्य महान् सन्त रामचरितमानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास जी ने उनके बारे में लिखा ´´अतुलितबलधामम्´´ उनके समग्र बल को तोलना असम्भव है फिर भी कहा गया है कि दस हजार हाथियों का बल स्वर्ग के राज इन्द्र के ऐरावत हाथी में है और यदि दस हजार एरावत हाथियों के बल को एकत्र कर दिया जाए तो उतना बल श्री हनुमान जी को कनिष्का उंगली में है। हनुमान जी विलक्षण पुरूषार्थी, प्रार्थनार्थी और प्रतिक्षार्थी है। चाहते तो बाली और रावण को स्वयं हरा सकते थे और मार भी सकते थे। इतने बड़े पराक्रमी होते हुए भी उन्होंने न हराया न मारा। प्रभु के राज्याभिषेक के समय महषिZ अगस्त दर्शन के लिए पधारे प्रभु ने ऋषिवर का पूजन किया । महषिZ अगस्त ने प्रभु से कहा कि इतिहास में हनुमान के समान बलवान न हुआ है न हो सकता है। प्राणी मात्र हनुमान जी के जीवन चरित्र से कुछ सिखें कि हमें अपने गुणों को छिपाना चाहिए।  हम अभिमान में न रहे तो हमारा जीवन धन्य हो सकता है। हम सबके जीवनमें दो वस्तुएं है स्मृति और विस्मृति। हमारा दुर्भाग्य यह है कि जिसकी हमें विस्मृति होनी चाहिए उसका हम स्मृर्ति कर रहे हैं और जिसकी स्मृति होनी चाहिए उसको विस्मृत कर बैठे हैं। रामायण की अनोखी भाषा में भगवान ने हमें यह जो विस्मरण दिया है सदा चिन्तन करने योग्य है। रावण, कुम्भकरण, मेघनाथ ने वरदान पाया भगवान विष्णु, हनुमान जी, नल व नील को श्राप मिला। हमारे आदर्श वरदानी नहीं श्रापित हैं। राक्षसी वृति तो मिले वरदान को श्राप बना देती है वही वरदान की वृति हो तो हम श्राप को भी वरदान बना सकते है। घनीभूत विश्वास प्रतिक्षा की खान श्री हनुमान जी ने अपने चरित्र के द्वारा दिखा दी। मारना और बचाना दोनों प्रभु जी का काम है। मोह मारेगा तो हरि इच्छा से और जीव की रक्षा होगी तो प्रभु आश्रय से। गोस्वामी जी ने विनय पत्रिकाओं में कहा कि हम धन को भी उतना नहीं छिपाते है, जितना किए गए पापों को गहराई से छिपाते हैं। दूसरे की संगति से ´´ संग बस किये सुभ सुना ये सकल लोकनिहारी´´ जो कुछ अच्छा कार्य हो गया सबको दिखलाते फिरते है। यह बाली और रावण की वृत्ति है। दोनों  म्प्रभु के बाण से मारे गए।

´´महषिZ विश्वामित्र जी ने प्रतिक्षा (धीर) का बहुत सुन्दर अर्थ किया है। ´´गौतम नारी श्राप बस उपल देह धरि धीर´´  पुरूषार्थी व्यक्ति अधीर होता है पर जो कृपा चाहता है  उसे धीर (प्रतीक्षारत) होना पड़ेगा। अहिल्या को परम धेैर्यशालिनी (प्रतीक्षारत) बताते हुए श्रीराम से कहा कि यह कब से आपके आने का मार्ग देख रही है। सन्त की यही विशेषता है कि वे विशेषता निकाल लेते हैं। वेद व्यास जी कहते है ´´भुज्जानएवात्मकृतं विपाकम´´  जीवन की प्रतिकुलता, कष्ठ, रोग, संकट तथा विपति मेरे किसी पाप का व प्रारब्ध का परिणाम है, अत: इसे भोग लेना ही अच्छा है। ´´पुरूषार्थ बीज है उसे बोने के लिए भूमि को जोतना पड़ता है, सींचना पड़ता है, पथरीली, कंकरीली जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है बीज जमीन के अन्दर बोया जाता है। प्रार्थना है उसका पौधे के रूप में बाहर आना तथा वृक्ष बनना।  प्रतिक्षा है वृक्ष पर फल आना उनका पकना। तीनों में सामञ्जस्य होना मानव का सम्पूर्ण जीवन कहलाता है। यह सब गुरू महाराज का प्रसाद है।

लेखक- पावरलििफ्टंग के अन्तर्राष्ट्रीय कोच रहे हैं
वर्तमान मेंउ0प्र0 भाजपा के मीडिया प्रभारी हैं।
लखनऊ, मो0 9415013300

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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CELEBRATE THIS HOLI WITH SAHARA ONE!

Posted on 17 March 2011 by admin

Jazbaat Ke Har Rang aur Har Rang Ke Jazbaat!

untitled-23This Holi, Sahara One brings to its viewers, two shows specially created to bring the colourful festivities and celebration of Holi into your living room!

“Hi! Padosi… Kaun Hai Doshi?” one hour special maha-episode on Holi will have all the residents of Ram Bharose Housing Society coming together to celebrate a rip-rollicking colourful Holi! Kader Khan adds his unique flavour to the occasion. The lead cast of Sahara One’s other shows like “Rishton Ke Bhanwar Mein Uljhi… Niyati”, “Kesariya Balam Aavo Hamare Des”, “Mata Ki Chowki”, “Shorr…Ab Kankoo Ki Kahani, Kankoo Ke Jubani” and “Hamari Beti Raaj Karegi” will also join in the celebrations.

This Maha-episode Holi special will telecast on Sahara One on Sunday, 20th March 2011 at 9.30 am and 7.00 pm.

“Chakradhar Ki Chaka Chak Holi” features a special show with the famed poet, Dr. Ashok Chakradhar, presenting his best satirical and comic poetry in his inimitable style. Dr. Chakradhar will also present “Raag Swiss Kalyani”, a satirical poem specially composed for this Holi, on the recent scams with the proceeds stashed abroad! He will also presents a unique narration on Holi in traditional Braj bhasa. His view on various kinds of corruption touches a chord while eliciting laughter. Thereafter Dr. Chakradhar will present a series of poems on contemporary issues ranging from Cricket to Katrina and Paani to Mallika round off a naughty, humorous, rib-tickling experience.

“Chakradhar Ki Chaka Chak Holi” will telecast on Sahara One on Sunday, 20th March at 10.30 am and 8.00 pm.

So come, celebrate this Holi with Sahara One!!!

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति बैठक

Posted on 17 March 2011 by admin

आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति उ0प्र0 की आज आवश्यक बैठक फील्ड हास्टल में सम्पन्न हुई जिसमें बड़े पैमाने पर पिछडे़ वर्ग के अधिकारियों/कार्मिको ने भाग लिया और सभी ने संघर्ष समिति में अपनी पूरी आस्था जताई।

बैठक के उपरान्त आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजको इं0 के0बी0राम,श्री अवधेश कुमार वर्मा, इं0 उमाशंकर, डा0 राम शब्द जैसवारा, इं0 एस0के0अम्बेडकर, इं0 आर0पी0जाटव, श्री पी0सी0 कुरील व हरपाल सिंह बौद्ध ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि आज पिछडे़ वर्ग के अधिकारियों/कार्मिको ने जिस तरह अपनी भागी दारी संघर्ष समिति के साथ दिखाई है उससे यह तय हो गया है कि आरक्षण समर्थक लगातार संगठित हो रहे है।  आज की बैठक में पिछडे़ वर्ग के प्रतिनिधि इं0 सलिल यादव व इं0 सन्दीप सिंह को संयोजक मण्डल में भी शामिल किया गया।  संघर्ष समिति पुन: आरक्षण को नवी सूची में डालने एवं पिछडे़ वर्गो के कामिको को भी पदोन्नतियों में आरक्षण की सुविधा पूर्व की भान्ति बहाल करने की मांग करता है।  पिछडे़ वर्गो के कार्मिको कीे पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था को 30 सितम्बर 1981 को समाप्त कर दिया गया था जोे पिछडे वर्गो के लिए काला अध्याय था।  आज लगभग सभी विभागों में पिछडे़ वर्गो का प्रतिनिधित्व शीर्ष स्तरो पर नगण्य है।  संघर्ष समिति अब पिछडे़ वर्गो के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की मांग जोर-शोर उठायेगा और जल्द ही एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार व राज्य सरकार को सौपा जायेगा जिसमें पिछडे़ वर्गो के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की मांग की जायेगी।

बैठक में प्रमुख रूप में इं0 महेन्द्र सिंह, इं0 अनिल कुमार, इं0 एस0पी0सिंह, इं0 सलिल यादव, इं0 राधेश्याम यादव, इं0 जे0पी0एस0 गंगवार, इं0 राकेश सिंह, इं0 ए0के0वर्मा, इं0 के0के0यादव, इं0 राजाबाबू कटियार, इं0 राजेन्द्र बहादुर यादव, इं0 राम नरेश सरोज, इं0 राम बरन, इं0 राव साहब गौतम, इं0 रामचन्द्र, इं0 सञ्जय कुमार सिंह, इं0राधेश्याम, इं0 कल्लन प्रसाद, इं0 आर0पी0 केन, इं0 एन0के0प्रसाद, इं0 एस0एस0आर्या, इं0 मुकेश बाबू, इं0 अरविन्द सिंह, इं0 अनिल कुमार, इं0 डी0के0सोनकर, इं0 आदर्श कौशल, इं0 सोपाली सिंह,  इं0 अजय कुमार, इं0 राम औतार, इं0 महेश कुमार अहिरवार, एवं इं0 एस0के0भाष्कर सहित अनेक कार्मिको ने भाग लिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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