उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्देश दिये हैं कि `उ0प्र0 मुख्यमन्त्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना´ का क्रियान्वयन पांच सदस्यों के परिवार को आधार मानते हुए किया जाये। इस योजना के लिए प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति परिवार प्रति वर्ष 19,884 रूपये तथा शहरी क्षेत्रों में 25,446 रूपये प्रति परिवार प्रति वर्ष की अधिकतम आय सीमा के अनुसार निर्धारित गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों का चिन्हांकन करने के निर्देश दिये गये हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव समाज कल्याण श्री बलविन्दर कुमार द्वारा प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को जारी परिपत्र में यह जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा है कि शासन के सञ्ज्ञान में आया है कि योजना में सर्वे के उपरान्त बी0पी0एल0 मानकों के अनुसार गांव सभा/वार्ड की खुली बैठक में पात्र परिवारों का चयन होने के बाद भी उनके आवेदन पत्र भरवाते समय या बैंक एकाउण्ट खोलते समय उप जिलाधिकारीगण द्वारा पुन: आय प्रमाण-पत्र प्राप्त किये जाने पर जोर दिया जाता है, जिससे लाभार्थियों को अनावश्यक रूप से परेशानी हो रही है तथा कई मामलों में प्रमाण-पत्र न बनने के कारण उन्हें इस योजना के अन्तर्गत लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
प्रमुख सचिव ने कहा है कि वर्ष 2002 में निर्धारित गरीबी रेखा की आय सीमा में देश एवं प्रदेश के सर्वागींण विकास के कारण काफी परिवर्तन हो चुका है। चूंंकि इस सीमा को निर्धारित करने का अधिकार भारत सरकार को है इसी कारण इस योजना में सभी परिवारों का सर्वेक्षण करने के उपरान्त सबसे गरीब परिवारों को 16 अंक कट-ऑफ-प्वाइण्ट निर्धारित करने के उपरान्त ही उनका चयन किया गया है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि लाभार्थियों के अन्तिम चयन के उपरान्त आय-प्रमाण-पत्र लेने के लिए कोई दिशा-निर्देश भी इस विभाग द्वारा जारी नहीं किये गये हैं। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि लाभार्थियों के बैंक एकाउण्ट खोलते समय सम्बन्धित अधिकारी द्वारा उन महत्वपूर्ण सूचनाओं का जो सर्वे के समय फार्म में भरी गई थीं, आवश्यकतानुसार सत्यापन कराया जाय।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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