राज्य सरकार ने प्रदेश में हाई स्कूल, इण्टर की वाषिZक परीक्षाओं तथा होली के महत्वपूर्ण त्यौहार को देखते हुए समस्त राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं से आम जनता के हित में प्रदेश अमन-चैन का माहौल बनाये रखने के लिए धरना-प्रदर्शन आयोजित करने तथा जुलूस आदि न निकालने की अपील की है।
प्रदेश के कैबिनेट सचिव श्री शशांक शेखर सिंह आज लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित मीडिया सेन्टर में पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार सभी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं का आदर करती है और उनसे अनुरोध करती है कि वे अनुशासित रहें और अपनी गरिमा के अनुरूप आचरण करें, जिससे प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब न हो और आम जनता को कोई दिक्कत न आये।
मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि प्रदेश में हाई स्कूल व इण्टर की परीक्षायें शुरू हो रही हैं। धरना-प्रदर्शन तथा आन्दोलन से छात्र-छात्राओं को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है तथा छात्रों की परीक्षायें छूट सकती हैं और उनकी साल भर की तैयारी पर पानी फिर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 19 व 20 मार्च को होली का महत्वपूर्ण त्यौहार भी पड़ रहा है। इस त्यौहार के मौके पर राज्य सरकार शान्ति व्यवस्था एवं साम्प्रदायिक सदभाव बनाये रखने के लिए पूरी तैयारी करनी होती है। जिससे प्रदेश में अमन-चैन का माहौल बना रहे। ऐसी स्थिति में किसी तरह का धरना-प्रदर्शन का आयोजन करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है, क्योंकि साम्प्रदायिक तत्व इसकी आड़ में प्रदेश का सामाजिक सदभाव बिगाड़ने का प्रयास कर सकते हैं।
श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार को मीडिया के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि समाजवादी पार्टी द्वारा कल 17 मार्च 2011 को पूरे प्रदेश में गांव-गांव स्तर पर विरोध दिवस का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अभी तक लखनऊ अथवा प्रदेश के किसी अन्य जिला प्रशासन से सार्वजनिक मीटिंग अथवा जुलूस निकालने की अनुमति नहीं मांगी है। उन्होंने कहा कि प्रजातन्त्र में धरना प्रदर्शन मुद्दों पर अथवा जनहित के विषयों पर आधारित होना चाहिए।
कैबिनेट सचिव ने कहा कि राज्य सरकार का स्पष्ट मत है कि लोकतन्त्र में किसी भी राजनीतिक दल को अनुशासित ढंग से अपनी बात रखनी चाहिए और कानून-व्यवस्था को भंग करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही किसी भी हालत में निजी अथवा सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसक आन्दोलन का सबसे ज्यादा प्रभाव आम जनता पर ही पड़ता है।
श्री सिंह ने समाजवादी पार्टी द्वारा गत 7 से 9 मार्च तक प्रदेश में किये गये तीन दिवसीय धरना/प्रदर्शन की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि इस आन्दोलन के बारे में उन्हें विस्तार से जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली थी, जिसमें सपा मुखिया ने अपने कार्यकर्ताओं का आवाहन किया था, कि जिस प्रकार मिस्र (म्हलचज) की जनता ने मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, उसी तरह प्रदेश सरकार का सभी सरकारी कार्य को ठप कर दें ताकि सरकार पंगु हो जाये।
श्री सिंह ने कहा कि मीडिया के माध्यम से यह भी जानकारी मिली कि सपा प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को `न मानेंगे न मारेंगे´ के साथ “जो अपना खून बहायेगा वही टिकट पायेगा´´ का नारा देकर कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसाया था। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय आन्दोलन के सम्पूर्ण घटनाक्रम से सभी लोग भली-भान्ति परिचित हैं। उन्होंने कहा कि इस आन्दोलन के दौरान आम जनता को विभिन्न कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। बच्चों के स्कूल छूट गये तथा गम्भीर मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाये। इसके अलावा कितने लोगों की बस, ट्रेन छूट गई। उन्होंने कहा कि आन्दोलनकारियों द्वारा लाख उकसाने के बाद भी राज्य सरकार ने पूरा-पूरा संयम बरता और कोई उत्तेजनात्मक कार्यवाही नहीं की।
कैबिनेट सचिव ने कहा कि सम्भवत: राजनीतिक दलों द्वारा आये दिन धरना-प्रदर्शन तथा रैली, जुलूस व आन्दोलन के नाम पर प्रदेश की कानून-व्यवस्था खराब करने तथा निजी व सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने सम्बन्धी घटनाओं को सञ्ज्ञान में लेकर ही मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं।
मन्त्रिमण्डलीय सचिव ने मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा रिट याचिका संख्या-40831/09 मो0 सुजाउद्दीन बनाम उ0प्र0 सरकार व अन्य में आदेश दिनांक 02-12-2010 को दिये गये निर्देशों को मीडिया के समक्ष से प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया है कि ”As and when any incident of damage to public property takes place, if such agitation/ procession etc. has been called at the invitation or instance of a political party or a sitting or former people’s representative, report shall be registered by concerned police station against such political party/person by name.”
श्री सिंह ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति की क्षति को लेकर व्यापक दिशा निर्देश दिये गये है और मा0 सर्वोच्च न्यायालय का मत है कि ऐसे प्रकरणों में अधिकतम दण्ड दिया जाय- “…………maximum punishment shall be imposed. For a lenient view, reasons shall be assigned.” इसके साथ ही मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी निर्देश दिये गये हैं कि राजनीतिक दलों द्वारा धरना-प्रदर्शन, रैली अथवा आन्दोलन की जानकारी प्राप्त होने के बाद सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी इसे पूरी गम्भीरता से लें और किसी तरह की हानि न होने दें, और ठोस कदम उठाये।
कैबिनेट सचिव ने राज्य सरकार की मंशा को पुन: दोहराते हुए समस्त राजनीतिक दलों से अनुरोध किया कि वे प्रदेश में अमन-चैन का वातावरण बनाये रखें और इस तरह का कोई भी कदम न उठायें, जिससे आम जनता को किसी तरह की परेशानी उठानी पडे़।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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