मौसम मस्त हुआ,
सभी हुए खुशहाल।
होली के हुड़दंग में,
उड़ी खूब गुलाल।
टेसू से रंग बना,
पीला और लाल।
होली रंग से खेल लो,
रहे न कोई मलाल।
हया शर्म को छोड़कर
अधर करो तुम लाल
रंगों के रस रंग में
रखना यही ख्याल
कर लो दिल की बात
चलो न कोई चाल
होली फिर आयेगी
अब तो अगली साल।
-सुरेन्द्र अग्निहोत्री
राजसदन-120/132
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लखनऊ
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