सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा `विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´ आगामी 10 से 14 दिसम्बर 2010 तक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम, लखनऊ में आयोजित किया जा रहा है। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन विश्वप्रसिद्ध धार्मिक गुरु दलाई लामा करेंगे तथापि 70 देशों के 200 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, कानूनविद् तथा ख्याति प्राप्त शान्ति संगठनों के प्रतिनिधि लखनऊ पधार रहे हैं। यह जानकारी आज यहां आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गांधी ने पत्रकारों को दी। पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए डा. गांधी ने कहा कि विश्व एकता, विश्व शान्ति व विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य को समर्पित यह ऐतिहासिक सम्मेलन लखनऊ की सरजमीं पर लगातार ग्यारहवीं बार आयोजित किया जा रहा है। डा. गांधी ने कहा कि विगत दस वषोZं में इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने विश्व के न्यायविदों व कानूनविदों को बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु एक मंच पर एकत्रित किया ही है साथ ही साथ जीवन मूल्यों, एकता, शान्ति, न्याय, ज्ञान व मानव अधिकारों की रक्षा पर आधारित एक नई विश्व व्यवस्था का चिन्तन दिया है। डा. गांधी ने कहा कि यूनेस्को शान्ति शिक्षा पुरस्कार से सम्मानित एवं गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड से नामित 39,000 छात्रों वाला सिटी मोन्टेसरी स्कूल विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु पिछले 10 वषोZ से लगातार इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन को आयोजित कर रहा है एवं विश्व एकता के इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए “विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का ग्यारहवां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´´ आयोजित किया जा रहा है।
डा. गांधी ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु 70 देशों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् एक नई विश्व व्यवस्था की नींव रखने लखनऊ पधार रहे हैं जिनमें अफगानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अर्जेन्टीना, आर्मीनिया, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, भूटान, बेनिन, ब्राजील, बुरकिना फांसो, कनाडा, कोस्टारिका, कोलिम्बया, कोमोरोस, कांगो, इक्वाडोर, इजिप्ट, इथियोपिया, फिजी आईसलैण्ड, फिनलैण्ड, फ्रांस, गािम्बया, जार्जिया, घाना, ग्रेनेडा, गुयाना, हैती, हंगरी, इण्डोनेशिया, इजराइल, जमैका, किगिZस्तान, लाटविया, मेडागास्कर, मलावी, माल्टा, मॉरीशस, मंगोलिया, मॉन्टनीग्रो, नामीबिया, नेपाल, निकारागुआ, नाइजीरिया, पपुआ न्यू गिनिया, पराग्वे, पेरू, कजाकिस्तान, मैसीडोनिया, फिलीपीन्स, रवाण्डा, रोमानिया, रूस, सबिZया, सेशल्स, सियरा-लियोन, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, स्वीडन, तजाकिस्तान, तंजानिया, छाड़, टोगो, टकीZ, युगाण्डा, यूक्रेन, इंग्लैण्ड, अमेरिका, जिम्बाब्वे एवं प्रमुख हैं।
पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए डा. जगदीश गांधी ने कहा कि विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन कई मायनों में विश्व को एक नई दिशा देने वाला साबित होगा, जहां पूरे विश्व को अराजकता, भुखमरी, गरीबी व अशिक्षा जैसी महामारियों से मुक्त कराने एवं प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था लागू करने का संकल्प लिया जायेगा। डा. गांधी ने कहा कि आज विश्व के बच्चों की निगाहें ज्यूडियशियरी पर ही टिकी हैं क्योंकि `वल्र्ड ज्यूडि्यशरी´ की संकल्प शक्ति ही विश्व को अराजकता की स्थिति से उबार सकती है। `वल्र्ड ज्यूडिशियरी´ एकताबद्ध होकर राष्ट्र प्रमुखों को बाध्य कर सकती है कि वह विश्व के बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए साथ मिलकर `वल्र्ड पार्लियामेन्ट´ का गठन करें जो कि `प्रभावशाली´ अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था बना सके।
सम्मेलन की रूपरेखा बताते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. गांधी ने कहा कि यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन `भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51´ पर आधारित है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 51 `वसुधैव कुटुम्बकम´ की भावना का साकार रूप है एवं इसी के आधार पर `विश्व संसद´, `विश्व सरकार´ एवं `प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था´ की स्थापना सम्भव है। डा. गांधी ने कहा कि हमारा विश्व समाज आज ऐसी अनगिनत वैश्विक समस्याओं से जूझ रहा है जिसका समाधान किसी एक देश के वश की बात नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में `विश्व संसद´, `विश्व सरकार´ एवं `प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था´ की स्थापना अब अपरिहार्य हो गई है तभी विश्व की 2 अरब भावी पीढ़ी को सुख, शान्ति, एकता व सहयोग भरा-पूरा भविष्य प्रदान किया जा सकेगा।
`अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन´ के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए डा. गांधी ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन को प्रतिवर्ष आयोजित करने के पीछे सी.एम.एस. का लक्ष्य है कि विश्व के सार्वजनिक मत को संयुक्त राष्ट्र संघ को मजबूत करने व अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को शक्तिशाली बनाने के पक्ष में तैयार किया जा सके, जिससे युद्धों पर रोक लगायी जा सके, अन्तर्राष्ट्रीय मतभेदों को सुलझाया जा सके, आतंकवाद पर विजय प्राप्त की जा सके, परमाणु निरस्त्रीकरण करवाया जा सके, पर्यावरण के संरक्षण ओर बचाव व शान्ति और सद्भावना स्थापित की जा सके, विश्व कानून व्यवस्था लागू की जा सके और विश्व न्याय का कार्य क्षेत्र सभी देशों तक विस्तृत किया जा सके। इस तरह सभी अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को विश्व कानून व्यवस्था के अन्तर्गत लाया जा सकेगा और आगे आने वाली पीढ़ियां एक सुरक्षित और शान्तिपूर्ण भविष्य विरासत में पायेंगी। इस तरह जो संसाधन युद्ध में बबाZद होते हैं और देश की रक्षा में खर्च किए जाते हैं, वे बच जायेंगे, गरीबी दूर होगी, पर्यावरण का बचाव होगा और मानव का कल्याण होगा।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य संरक्षक पद्मविभूषण एवं विश्व को पी.आई.एल. की अवधारणा देने वाले भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति पी0एन0 भगवती हैं जबकि संरक्षक एवं सलाहकार मण्डल में माननीय न्यायमूति श्री सी.जी. वीरामन्त्री, पूर्व उपाध्यक्ष, इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, द हेग, नीदरलैण्ड एवं महामहिम सर जेम्स आर मंचम, फाउडिंग प्रेसीडेन्ट एवं पूर्व प्रधानमन्त्री, सेशल्स शामिल हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया के पूर्व न्यायाधीश एवं उ0प्र0 ह्यूमन राइट्स कमीशन के पूर्व अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति श्री ए0पी0 मिश्रा इस सम्मेलन की प्रिपरेटरी कमेटी के चेयरमैन हैं एवं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश माननीय न्यायूर्ति सैयद सगीर अहमद रिसेप्शन कमेटी के चेयरमैन हैं।
श्री शर्मा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि विश्व एकता के प्रबल समर्थक डा. जगदीश गांधी के संयोजकत्व में सिटी मोन्टेसरी स्कूल लगातार ग्यारहवीं बार `भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51´ पर `विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´ में कई देशों के न्यायविदों व कानूनविदों के हादिZक स्वागत की ऐतिहासिक तैयारी कर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्व के दो अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु सी.एम.एस. के 39,000 छात्रों की अपील का असर विश्व में दिखाई देने लगा है और इसी कड़ी में यह सम्मेलन एक और मील का पत्थर साबित होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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