उत्तर प्रदेश सरकार ने विगत दिनों सुल्तानपुर में पुलिस द्वारा महिला की पिटाई, इलाहाबाद में पुलिस अभिरक्षा में अभियुक्त की मृत्यु, वाराणसी की जहरीली शराब घटना और कानपुर के नीलम शुक्ला प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए तथा कड़े कदम उठाते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की है। उग्र प्रदर्शन करने, तोड़-फोड़, मार-पीट एवं अन्य अवैधानिक गतिविधियों में लिप्त पाये जाने पर सम्बंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
दिल्ली की मुख्यमन्त्री श्रीमती शीला दीक्षित व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री श्री दिग्विजय सिंह के बरेली भ्रमण के दौरान जिला प्रशासन द्वारा दरगाह मैनेजमेंट कमेटी से समन्वय कर भीड़ को सूझबूझ के साथ नियन्त्रित करते हुए समस्त कार्यक्रम शान्तिपूर्वक सम्पन्न कराये गये, जिसके फलस्वरुप इन महानुभावों के कार्यक्रम में किसी भी प्रकार की शान्ति व्यवस्था की कोई समस्या नहीं आयी। सभी कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद दिल्ली की मुख्यमन्त्री श्रीमती शीला दीक्षित व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री श्री दिग्विजय सिंह ने बरेली में प्रेस कांफ्रेस में स्थानीय पुलिस/प्रशासन द्वारा की गई सुरक्षा व्यवस्था के बारे में कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की और न ही किसी भी प्रकार की प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था की किसी कमी के बारे में उनके द्वारा स्थानीय अधिकारियों का ध्यान आकषिZत किया गया।
यह जानकारी एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहॉ दी। उन्होने कहा कि मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने कानून द्वारा कानून का राज स्थापित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मुख्यमन्त्री इस सम्बंध में हमेशा से सख्त रहीं है। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और न ही किसी को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार है। जो भी व्यक्ति कानून तोड़ेगा या कानून अपने हाथ में लेगा, उसके साथ सख्त से सख्त कार्यवाही करने के निर्देश मुख्यमन्त्री ने दिये हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी घटना के घटित होने पर उसका तुरन्त संज्ञान लेकर प्रभावी कार्यवाही करने के भी मुख्यमन्त्री ने कड़े निर्देश दिये हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमन्त्री जी के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी द्वारा की गई गलत कार्यवाही को कभी भी उचित ठहरानें का कोई प्रयास न किया जाय तथा गलत कार्यवाही करनेे के दोषी अधिकारियों/कर्मियों के विरुद्ध तुरन्त प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री द्वारा पुलिस अधिकारियों/कर्मियों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे कानून के दायरे में रहकर अपने दायित्वों का निर्वहन करे। उन्होंने कहा कि जैसी वर्तमान सरकार द्वारा फौरी तौर पर कार्यवाही करने की व्यवस्था की गई है, वैसी त्वरित कार्यवाही पहले कभी नहीं हुई है।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने जनपद सुल्तानपुर के थाना मुसाफिरखाना में तैनात प्रभारी निरीक्षक कैलाश नाथ द्विवेदी द्वारा एक हत्या काण्ड में लिप्त आरोपी महिला श्रीमती संगीता को मारनें, पीटने की घटना को गम्भीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से थाना प्रभारी को सेवा से बखाZस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि कल 17 फरवरी को थाना मुसाफिरखाना में श्री दीपक कुमार उर्फ दीपू पुत्र श्री गिरधारी की हत्या के सम्बन्ध में एक मुकदमा अपराध संख्या 201/2010 अन्तर्गत धारा 302 आई0पी0सी0 बनाम मृतक की पत्नी श्रीमती संगीता पुत्री जोखू निवासी-बिकना थाना धम्मौर जनपद सुल्तानपुर के विरुद्ध पंजीकृत किया गया था। इसके अन्तर्गत थाना प्रभारी निरीक्षक कैलाश नाथ द्विवेदी द्वारा नामजद अभियुक्ता श्रीमती संगीता को गिरतार कर थाने पर लाया गया, जिसने पूछताछ के दौरान अपने पति की साड़ी से गला दबाकर हत्या करना स्वीकार किया।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि घूरपुर इलाहाबाद में पुलिस अभिरक्षा में आरोपी की मृत्यु होने पर घटना के लिए जिम्मेदार थानाध्यक्ष घूरपुर श्री विनोद कुमार दुबे तथा आरक्षी हरिप्रकाश राय तथा अनिल कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से सेवा से बखाZस्त कर दिया गया है। उन्होने कहा कि इस घटना में उदासीनता बरतनें के कारण गत 15 फरवरी को थानाध्यक्ष घूरपुर विनोद कुमार दुबे तथा आठ अन्य पुलिसकर्मी क्रमश: उपनिरीक्षक विवेकानन्द तिवारी, आरक्षीगण अनिल सिंह, सुरेन्द्र दुबे, हरि प्रकाश राय, देवेन्द्र सिंह, हरेन्द्र नाथ सिंह, शैलेन्द्र बहादुर सिंह तथा अशोक कुमार यादव को निलिम्बत कर दिया गया था। अब विनोद कुमार दुबे प्रभारी निरीक्षक, आरक्षीगण हरि प्रकाश राय तथा अनिल कुमार सिंह को बखाZस्त कर दिया गया है। इस घटना की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई है।
सरकारी प्रवक्ता ने यह भी बताया कि गत 14 फरवरी 2010 को जनपद इलाहाबाद के थाना घूरपुर क्षेत्र में गोहनिया स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान पर कुछ युवकों ने पुलिस पार्टी पर फायर करते हुए भागने का प्रयास किया। इस दौरान आरक्षी कमलेश पाण्डे को गोली लग गई थी। मौके पर पुलिस द्वारा घेराबन्दी करके 4 अभियुक्ता- संजय निषाद पुत्र राम अभिलाष, मुकेश निषाद पुत्र दुखी लाल, देवानन्द गोस्वामी पुत्र लल्लू तथा अशोक कुमार निषाद पुत्र किशोरी लाल को 4 तमंचा तथा भारी मात्रा में कारतूस के साथ गिरतार किया गया था एक बदमाश महेश निषाद भागने में सफल रहा।
इस घटना के बारे में थाना घूरपुर पर मुकदमा अपराध संख्या 26/10, धारा-307 आई0पी0सी0 तथा मुकदमा अपराध संख्या 27,28,29 एवं 30/2010 के अन्तर्गत धारा 25 आम्र्स एक्ट पंजीकृत किया गया। पकड़े गये चारों अभियुक्तों में से 15 फरवरी 2010 को 2 अभियुक्त अशोक कुमार निषाद पुत्र किशोरी लाल तथा संजय निषाद पुत्र राम अभिलाष की पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु हो गई थी। वादी जितेन्द्र कुमार निषाद पुत्र घुस्सू लाल निषाद द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर थाना कोतवाली इलाहाबाद में मुकदमा अपराध संख्या- निल/2010 धारा 302,323, 506 आई0पी0सी0 थानाध्यक्ष घूरपुर विनोद कुमार दुबे एवं ड्यूटी पर मौजूद सभी उपनिरीक्षक एवं पुलिसकर्मी के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया गया।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 17 फरवरी को वाराणसी में जहरीली शराब पीने से कुछ लोगों की मृत्यु की घटना को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने घटना की मजिस्टीरियल जांच के आदेश दिये है। यह जांच एडीएम सदर वाराणसी द्वारा की जायेगी। इसके साथ ही जहरीली शराब के कारोबार के सम्बंध में लापरवाही और उदासीनता बरतनें तथा प्रभावी कार्यवाही न करने के आरोप में प्रभारी चौकी लालपुर थाना कैण्ट उपनिरीक्षक राम नारायण एवं आरक्षी अनिल कुमार पाण्डे व कृपाशंकर राय को तत्काल प्रभाव से निलिम्बत कर दिया है। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों के अलावा आबकारी विभाग के निरीक्षक राजेश सिंह, प्रधान आबकारी सिपाही देव प्रकाश सिंह तथा 2 आबकारी सिपाही शिवप्रकाश राणा और शशिकान्त सिंह को भी निलिम्बत कर दिया गया है। इसके अलावा जिला आबकारी अधिकारी वाराणसी सुनील कुमार मिश्रा के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरु कर दी गई है।
ज्ञातव्य है कि गत 17 फरवरी 2010 को थाना कैण्ट क्षेत्र में 80 वषीZय कमला देवी की बीमारी से मृत्यु हो गई थी। इनके दाह संस्कार करने के उपरान्त लोगों ने भोजन किया तथा शराब पी, जिसके बाद से कुछ लोगों की हालत बिगडने लगी। इनमे से 3 लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई तथा 15 लोग बीमार हो गये। इन बीमार लोगों को अस्पताल ले जाया गया, इनमें से इलाज के दौरान 3 लोगों की अस्पताल में मृत्यु हो गई। इस घटना के सम्बन्ध में थाना कैंट जनपद वाराणसी पर मुकदमा संख्या- 83/2010 धारा 328/272/304/120बी आई0पी0सी0 बनाम 6 अभियुक्तों के विरुद्ध पंजीकृत किया गया था। इनमें से दो अभियुक्त राजकुमार तथा अम्बो देवी को गिरतार कर लिया गया था।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने कानपुर नगर के थाना कल्याणपुर में नीलम शुक्ला द्वारा की गई आत्महत्या को गम्भीरता से लेते हुए इसकी जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी है।
उल्लेखनीय है कि 19 दिसम्बर, 2009 को वादी श्री नन्द किशोर शुक्ला द्वारा थाना कल्याणपुर पर सूचना दी गई कि उनकी पुत्री कु0 नीलम, उम्र लगभग 17 वर्ष को रामू कठेरिया, इरशाद तथा सचिन गुप्ता मारुति वैन से आकर बहला-फुसलाकर दिनांक 18 दिसम्बर, 2009 को सायंकाल 20.00 बजे मारुति वैन में बैठाकर ले गये हैं। इस सम्बन्ध में थाना कल्याणपुर, जनपद कानपुर में मुकदमा अपराध संख्या-1680/09 धारा 363/366 आई0पी0सी0 बनाम उपरोक्त तीन अभियुक्त पंजीकृत किया गया। अभियोग पंजीकृत होने के उपरान्त कु0 नीलम के परिजनों द्वारा थाने को सूचित किया गया कि इसी दिन सायं उनकी पुत्री कु0 नीलम वापस आ गई है और बेहोशी की हालत में है, जिसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, कल्याणपुर और बाद में उर्सला अस्पताल, कानपुर में चिकित्सकीय परीक्षण हेतु ले जाया गया। चिकित्सकीय परीक्षण में कु0नीलम के शरीर एवं गुप्तांग पर कोई चोट नहीं पाई गई तथा बलात्कार की भी पुष्टि नहीं हुई।
अपर नगर मजिस्ट्रेट, कानपुर नगर श्री सुरेन्द्र कुमार शर्मा तथा क्षेत्राधिकारी नजीराबाद श्रीमती निहारिका शर्मा द्वारा कु0 नीलम से विस्तृत रूप से अकेले में पूछताछ की गई जिसमें कु0 नीलम द्वारा अपने साथ ज़ोर-जबरदस्ती से इनकार किया गया। 23 दिसम्बर, 2009 को नीलम का न्यायालय में धारा-164 सी0आर0पी0सी0 का बयान दर्ज किया गया, जिसमें नीलम द्वारा उसके साथ दवा पिलाना तथा बेहोशी की हालत में गलत काम करना बताया गया। धारा-164 के बयान के आधार पर अभियोग में धारा-376 एवं 328 आई0पी0सी0 की बढ़ोत्तरी की गई और दिनांक 24 दिसम्बर, 2009 को नामजद अभियुक्तों में से रामू कठेरिया तथा इरशाद को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेजा गया। परिजनों के अनुरोध पर नीलम के चिकित्सकीय परीक्षण हेतु मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। 7 जनवरी, 2010 को मेडिकल बोर्ड ने परीक्षण कर पूर्व मेडिकल रिपोर्ट का समर्थन किया।
कु0 नीलम के पिता श्री नन्द किशोर शुक्ला द्वारा 30 जनवरी, 2010 को नीलम द्वारा मिट्टी का तेल डालकर आत्महत्या किये जाने की सूचना चौकी रावतपुर को दी गई। पुलिस के मौके पर पहुंचने तक कु0 नीलम की मृत्यु हो गई। उसके पिता ने आत्महत्या का कोई तात्कालिक कारण होना नहीं बताया। केवल यह बताया कि कु0 नीलम अपने पिता से घर छोड़कर अन्यत्र रहने के लिए कहती थी तथा यह भी कहती थी कि अभियुक्तगण दबंग हैं, जेल से छूटने के बाद उसके पिता को तथा उसके भाई को मार सकते हैं। लेकिन इस बारे में कु0 नीलम के पिता ने कु0 नीलम की आत्महत्या से पहले स्थानीय पुलिस को या पुलिस के अधिकारियों को कभी कुछ नहीं बताया। कु0 नीलम द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद अभियोग में धारा-306 आई0पी0सी0 की बढ़ोत्तरी की गई।
अभियुक्तगण रामू कठेरिया तथा इरशाद गिरफ्तारी के बाद से लगातार जेल में हैं। अभियुक्त सचिन गुप्ता की गिरफ्तारी काफी प्रयास के बाद भी अभी तक नहीं हो सकी है। इसके विरुद्ध न्यायालय से धारा-82/83 सी0आर0पी0सी0 का आदेश न्यायालय से प्राप्त कर विधिवत् कुकीZ की कार्यवाही की जा चुकी है। सचिन गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए 09 फरवरी, 2010 को पॉच हजार रुपये का नगद पुरस्कार भी घोषित किया गया है। अभियोग की विवेचना 12 फरवरी, 2010 को सी0बी0 सी0आई0डी0 को सौंपी जा चुकी है। इस मामले में पुलिस द्वारा तत्परता से पूरी कार्यवाही की गई है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली की मुख्यमन्त्री श्रीमती शीला दीक्षित, तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मन्त्री श्री दिग्विजय सिंह के बरेली भ्रमण के दौरान इन्हें राज्य सरकार द्वारा राज्य अतिथि भी घोषित किया गया था। इसके साथ ही दिल्ली की मुख्य मन्त्री को अनुमन्य ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मन्त्री, को अनुमन्य जे़ड स्पेशल श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराने के भी निर्देश निर्गत किये गये थे।
प्रवक्ता ने बताया कि जिला प्रशासन बरेली द्वारा राज्य सरकार द्वारा निर्गत निर्देशों के क्रम में दोनों ही महानुभावों को निर्धारित मानक के अनुरूप पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करायी गई थी। उनके निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप रूट ड्यूटी तथा गन्तव्य स्थल आला हजरत दरगाह पर भी आवश्यक सुरक्षा प्रबन्ध किये गये थे। इन दोनों महानुभावों का आला हजरत दरगाह में चादर चढ़ाने का कार्यक्रम था। उन दिनों दरगाह में तीन दिवस का उर्स का कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें लाखों की भीड़ होती है। जिस दिन इन दोनों महानुभावों का दरगाह पर भ्रमण कार्यक्रम था, वह उर्स का आखिरी दिन था और उस दिन दरगाह पर सर्वाधिक भीड़ थी। दरगाह तक आने-जाने का एक ही पैदल संकरा मार्ग है और उसका नियन्त्रण दरगाह कमेटी द्वारा किया जाता है। दोनों ही महानुभावों को लगभग 50-60 मीटर पैदल चलना पड़ा। जिला प्रशासन द्वारा सूझबूझ के साथ भीड़ को नियन्त्रित करते हुए समुचित व्यवस्था करके दोनों ही महानुभावगण को उनके समस्त सहयोगियों के साथ दरगाह पर चादर चढ़ाने की व्यवस्था सुनिश्चित करायी गई।
मुख्यमन्त्री श्रीमती शीला दीक्षित द्वारा इच्छा व्यक्त करने पर दरगाह के सज्जादा नशीन श्री सुब्हान रजा खॉ उर्फ सुभानी मियॉ से उनके आवास पर श्रीमती दीक्षित की भेंट भी करायी गई, जहॉ पर वह करीब 15-20 मिनट तक रहीं। श्रीमती दीक्षित सज्जादा नशीन श्री सुब्हान रजा खॉ उर्फ सुभानी मियॉ से उनके आवास पर मिलने स्वयं अपनी इच्छा से गईं थीं। दरगाह के प्रति श्रद्धा व सम्मान के कारण श्री दिग्विजय सिंह चादर लेकर दरगाह के रास्ते नंगे पैर पैदल चल रहे थे, जिससे उनके पैर की एड़ी थोड़ी छिल गई थी। चादरपोशी के उपरान्त लीट के पास पहुंचकर जब इस बारे में उनके द्वारा बताया गया तो लीट में चल रही एम्बुलेंस के चिकित्सक द्वारा उनका उपचार किया गया।
सभी कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद दोनों ही महानुभावों द्वारा पे्रस कान्फे्रंस भी की गई। पे्रस कान्फे्रंस में स्थानीय पुलिस/प्रशासन द्वारा की गई सुरक्षा व्यवस्था के सम्बंध में कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गई और न ही किसी प्रकार की प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था की किसी कमी के बारे में उनके द्वारा स्थानीय अधिकारियों का ध्यान आकषिZत किया गया। जिला प्रशासन द्वारा दरगाह मैनेजमेन्ट कमेटी से समन्वय करके तथा भीड़ को सूझबूझ के साथ नियन्त्रित करते हुए इन महानुभावों के समस्त कार्यक्रम शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराये गय तथा कार्यक्रम में किसी प्रकार की शान्ति-व्यवस्था की समस्या नहीं हुई।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर लखनऊ में निर्धारित धरना स्थल पर दिनांक 16 फरवरी 2010 धरना प्रदर्शन कार्यक्रम की सूचना लखनऊ जिला प्रशासन को दी गई थी। कार्यक्रम के दौरान श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी द्वारा अपने उद्बोधन में दोपहर करीब 02.00 बजे यह कहा गया कि मुख्य मन्त्री जी से 11 व्यक्तियों के प्रतिनिधि मण्डल के साथ मिलने का समय मांगा गया था, किन्तु उनके (मुख्यमन्त्री) द्वारा समय नहीं दिया गया, इसलिए वह स्वयं उनसे मिलने उनके आवास पर जा रही हैं।
श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी द्वारा धरना स्थल पर उपस्थित लोगों का भी आह्वान किया गया कि वे लोग उनके पीछे-पीछे आ जायें। उनके इस आह्वान पर धरना स्थल की भीड़ श्रीमती जोशी के नेतृत्व में मुख्य मन्त्री आवास के लिए चल पड़ी, जिसे मौके पर उपस्थित पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बैरियर लगाकर रोका गया एवं उनसे वहीं पर ज्ञापन देने का अनुरोध किया गया। किन्तु इसकी अनसुनी कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा बैरियर गिरा दिया गया और पुलिस से धक्का-मुक्की व पथराव करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ता आगे बढ़ गये, इन्हें रोकने का हर सम्भव प्रयास किया गया। फायर बिग्रेड की गाड़ी से पानी की बौछार भी की गई किन्तु कांग्रेस कार्यकर्ता नहीं रुके। इसके विपरीत प्रदर्शनकारी पुलिस को धक्का देते हुए और पुलिस वदीZ के स्टार व बिल्ले नोंचते हुए आगे बढ़ने लगे जिसे हल्का बल प्रयोग कर रोका गया।
परिवहन मुख्यालय के पास दोपहर 02.20 बजे डा0 रीता बहुगुणा जोशी सहित 132 कार्यकर्ताओं को धारा-151 सी0आर0पी0सी0 में गिरफ्तार कर पुलिस लाइन्स, लखनऊ भेजा गया। जहां से नगर मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। इन गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में सुश्री प्रभा ठाकुर, सांसद राज्यसभा भी सम्मिलित थीं। इस घटनाक्रम के उपरान्त श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी अन्य कार्यकर्ताओं के साथ अपने वाहनों से विधान भवन के सामने पहुंच कर सड़क पर धरने पर बैठ गईं। वहां उपस्थित पुलिस अधिकारियों व मजिस्ट्रेट द्वारा यह अवगत कराया गया कि विधान भवन परिसर व आसपास के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की आन्दोलनात्मक गतिविधियां प्रतिबन्धित हैं। इस कार्यक्रम हेतु उन्होंने कोई अनुमति भी नहीं प्राप्त की है, अत: वह अपना धरना समाप्त कर दें। बार-बार समझाने व अनुरोध करने पर भी प्रदर्शनकारी नहीं माने और पुलिस बल के साथ अभद्र एवं आक्रामक व्यवहार करते हुए धक्का-मुक्की करने लगे। काफी समझाने-बुझाने के बाद भी जब इन लोगों ने कार्यक्रम समाप्त नहीं किया तो आवश्यक बल प्रयोग कर विधान भवन के सामने से इन्हें हटाया गया और इनकी गिरफ्तारी के भी प्रयास किये गये। पुन: यह लोग वापस आकर सड़क पर बैठ गये।
डा0 रीता बहुगुणा जोशी सहित 86 कार्यकर्ताओं को विधान भवन के सामने से गिरतार कर पुलिस लाइन्स, लखनऊ ले जाया गया और बाद में सभी को मजिस्ट्रेट द्वारा रिहा कर दिया गया। गिरतार व्यक्तियों में दो सांसद तथा नौ विधायक भी थे। इसके अतिरिक्त माल एवेन्यू स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से निकल कर कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता लोकायुक्त कार्यालय के निकट श्री जे0डी0 सीलम, सांसद राज्यसभा के नेतृत्व में पहुंचकर सड़क पर एकत्र होकर नारे लगाने लगे। इस स्थल पर भी सांसद सहित 24 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन्स लखनऊ ले जाया गया और बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।
प्रदर्शनकारियों द्वारा शहीद स्मारक पर की गई तोड़-फोड़, सड़क अवरुद्ध करने, पुलिसकर्मियों के की वदीZ नोंचने व पत्थर फेंकने आदि की घटना के सम्बन्ध में थाना वजीरगंज में मुकदमा अपराध संख्या-85/10 अन्तर्गत धारा-147/332/353/ 341/ 188/336 आईपीसी का अभियोग श्रीमती मीरा सिंह, प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ, श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, श्री राज बहादुर सिंह तथा लगभग 500 अन्य कार्यकर्ता, नाम पता अज्ञात पंजीकृत किया गया है, जिसकी विवेचना प्रचलित है। इन घटनाक्रम के तथ्यों से यह स्पष्ट है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में जब धरना प्रदर्शन उग्र हो गया और इनके द्वारा कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश की गई तो ऐसी दशा में स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा अपरिहार्य परिस्थितियों में अत्यधिक संयम एवं धैर्य से कार्यवाही करते हुए शान्ति व्यवस्था बनाये रखने हेतु न्यूनतम एवं आवश्यक बल प्रयोग किया गया है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने शादी-ब्याह में फायरिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े निर्देश दियें है। इन निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए अधिकारियों से कहा गया हैं। उन्होने बताया कि जो लोग शादी-ब्याह में फायरिंग करते पाये जायेंगे। उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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