Archive | February 24th, 2010

पुलिस भर्ती में जबरदस्त अनियमितताएं

Posted on 24 February 2010 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्रचौधरी ने विज्ञप्ति के माध्यम से कहा उत्तर प्रदेश में इन दिनों हो रही पुलिस भर्ती में जबरदस्त अनियमितताएं हो रही हैं। चयन में कुछ जातियों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। प्रदेश की बसपा सरकार के इशारे पर नौजवानों की भर्ती के दौरान शरीर मापन में मनमानी बरती जा रही है। इसका उद्देश्य भर्ती की जॉच प्रक्रिया में अपूर्णता के बहाने नौजवानों को पहले ही चयन से बाहर कर देने का है। नौजवानों में इससे क्षोभ है। उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।

बसपा सरकार की नई भर्ती का हाल यह है कि जॉच के लिए नौजवानोें को सुबह से रात तक बिठाया जाता है और आधीरात के बाद तक नाप जोख की जाती है। मापन मनमाने तरीके से होतो है।

सरकारी कामकाज में बसपा सरकार का शुरू से ही पक्षपातपूर्ण व्यवहार दिखाई देता रहा है। श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमन्त्रित्वकाल में 20 हजार नौजवानों की पुलिस पीएसी में भर्ती की गई थी। इनमें पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के नौजवानों की समुचित तादात थी। मुख्यमन्त्री मायावती ने सत्ता में आते ही 18 हजार नौजवानों को बखाZस्तकर दिया। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद उन्हेें राहत मिली यद्यपि इस सरकार ने उसमें भी काफी हीलाहवाली और देरी की। समाजवादी पार्टी का मानना है कि नौजवानों के साथ शासन-प्रशासन का रवैया निहायत अमानवीय ओर निन्दनीय है। नौजवानों को रोजगार से वंचित करना और उनके साथ पक्षपात का व्यवहार करना लोकतन्त्र की भावना की अवमानना है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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मनोरंजन विभाग मे विभिन्न अनियमितताओं

Posted on 24 February 2010 by admin

मनोरंजन कर विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम 10 महीनों में करापवंचन पर अंकुश लगाने हेतु चलाये गये विशेष अभियान के अन्तर्गत 292 आकिस्मक निरीक्षण किये गये। निरीक्षण के दौरान पायी गई विभिन्न अनियमितताओं में 05 मनोरंजन कर निरीक्षक निलिम्बत किये गये। इसके अतिरिक्त 19 सिनेमाघरों के लाइसेन्स भी निलिम्बत किये गये।

मनोरंजन कर विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार विभाग के 20 अधिकारियों/मनोरंजन कर निरीक्षकों के विरूद्ध विभिन्न अनियमितताये प्रकाश में आने के फलस्वरूप विभागीय कार्रवाई शुरू की गई। निरीक्षण के दौरान प्रकाश में आयी विभिन्न अनियमितताओं में आमोद के स्वामियों के विरूद्ध 11.63 लाख की शास्ति अधिरोपित की गई है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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रेल बजट में उत्तर प्रदेश की पूरी तरह से उपेक्षा

Posted on 24 February 2010 by admin

उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने आज संसद में पेश किये गये रेल बजट में उत्तर प्रदेश की पूरी तरह से उपेक्षा किये जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रदेश के लिए कोई नई रेलगाड़ी अथवा परियोजना न दिये जाने से प्रदेश की जनता को घोर निराशा हुई है। इस तरह `आम आदमी´ और `समावेशी´ विकास का दावा करने वाली यू0पी0ए0 सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि रेल बजट में कुछ राज्यों को विशेष प्रोत्साहन दिया गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की अनदेखी की गई है।

मुख्यमन्त्री ने रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विकास के मामले में राजनीति नहीं की जानी चाहिए, लेकिन यू0पी0ए0 सरकार ने रेल बजट में भी उत्तर प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार अपनाया है। उन्होंने कहा कि रेल बजट में प0 बंगाल और मुम्बई का विशेष ध्यान रखा गया है। इस तरह की सोच ने यू0पी0ए0 सरकार के समावेशी (इन्क्लूसिव) विकास के खोखले नारे की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा कि रेल बजट में उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों की उपेक्षा की गई है। उन्होंने कहा कि इस बार भी बजट में दूर-दराज के इलाकों में गरीबी और पिछड़ेपन की मार झेल रहे क्षेत्रों के विकास के लिए कोई विशेष परियोजना प्रस्तावित नहीं की गई है।

सुश्री मायावती ने कहा कि बजट में `समर्पित यात्री कोरिडोर´, हाईस्पीड रेल ऑथारिटी, रेलवे स्टेशनों का उच्चीकरण, कुछ रेलवे स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने, नई रेलवे लाईन बिछाने, पुरानी लाईनों का दोहरीकरण, स्कूल, अस्पताल, नवोदय विद्यालय, डायग्नोस्टिक सेन्टर, हब तथा टुरिस्ट व नई गाड़ियों का संचालन, नई दुरन्तों गाड़ियां चलाने व मानव रहित रेलवे क्रांसिग को समाप्त करने आदि अनेक घोषणाएं की गई हैं। लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश के हिस्से में कुछ नाम मात्र की परियोजनाएं ही आयी हैं। इस तरह आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य के हितों की पूरी तरह अनदेखी की गई है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार ने दूसरी बार सत्ता में आते ही पिछले साल 03 जुलाई, 2009 को रेल बजट पेश करते हुए तमाम परियोजनाओं एवं सुविधाओं की घोषणा की थी। लेकिन इनकी सारी घोषणाएं हवा हवाई साबित हुईं। अब भी रेलवे स्टेशनों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। अधूरी परियोजनाएं पूरी नहीं की गईं हैं। उन्होंने कहा कि रेल यात्रा को सुरक्षित भरोसेमन्द और दुघZटना रहित बनाने के लिए किसी तरह के उपायों की जानकारी नहीं दी गई है। इसके साथ ही रेलों के विस्तार के साथ ही आम आदमी की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की कोई पहल नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि रेल मन्त्री बजट में रेलों के माध्यम से सामाजिक उत्तदायित्व निर्वहन करने तथा आम आदमी की बात कर रहीं हैं, जबकि सच्चाई यह है कि रेलवे के एजेण्डे में आम आदमी के लिए कोई जगह नहीं दिखायी नहीं दे रही है।

सुश्री मायावती ने कहा कि रेल बजट में नई रेलवे लाईने बिछाने की जोर-शोर से घोषणा की गई है और प्रतिवर्ष 1000 किलोमीटर नई रेलवे लाईन का लक्ष्य रखा गया है। जबकि रेलवे के आंकड़े कुछ और कहते हैं। वर्ष 1947 से अब तक सिर्फ 10 हजार किलोमीटर ही नई रेलवे लाईन बिछायी गई है, जबकि आजादी के बाद से लगभग 50 वर्ष तक कांग्रेस का ही राज रहा है। उन्होंने कहा कि बजट में इटावा-मैनपुरी, अमेठी-शांहगंज,  अमेठी-सुल्तानपुर तथा सम्भल-गजरौला के लिए ही नई रेलवे लाईन की घोषणा की गई है, इस तरह प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की पूरी तरह उपेक्षा की गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009-10 के रेल बजट में की गई अधिकांश घोषणाओं को जमीन पर अब तक उतारा नहीं जा सका है। उन्होंने कहा कि रेलवे बजट 2010-11 का भी यही हश्र होने वाला है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि रेल बजट में प्रदेश को देश के अधिकांश भागों से सम्पर्क मुहैया कराने तथा सामाजिक उत्तरदायित्व को एक महत्वपूर्ण पहलू बताया गया है और यह भी कहा गया है कि यदि विकास की प्रक्रिया में सभी को शामिल नहीं किया गया तो पूरी कवायत मात्र आंकड़ों पर टिक कर रह जाएगा। लेकिन रेलबजट में ठीक इसके विपरीत व्यवस्था करके दोहरी नीति अपनायी गई है। रेलवे में लम्बे समय से रिक्त अनुसूचित जाति/जनजाति के बैकलॉग कोटा भरने के लिए कोई बात नहीं कही गई है। उन्होंने इस रेल बजट को एक आंकड़ों का पुलिन्दा बताते हुए कहा है कि यू0पी0ए0 सरकार ने तमाम नई परियोजनाओं की बात कही है, लेकिन इसके लिए संसाधनों का खुलासा नहीं किया गया है, जिससे पूरी आशंका है कि यह सब कागज के बाहर नहीं आ सकेंगी।

सुश्री मायावती ने कहा कि ऐसा लगता है प0 बंगाल के आसन्न चुनाव को देखते हुए रेल बजट सिर्फ प0 बंगाल के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि सस्ती रेल एवं सुखद यात्रा का नारा यू0पी0ए0 सरकार का छलावा मात्र है, क्योंकि गाड़ियों में बढ़ती भीड़ तथा यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोई कारगार रणनीति की बात बजट में नहीं कही गई है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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रेल बजट पर प्रतिक्रिया

Posted on 24 February 2010 by admin

संसद में आज प्रस्तुत रेलवे बजट 2010-11 निराशाजनक है। आम आदमी की उम्मीदों पर वह खरा नहीं उतरने वाला है। यह बजट सम्पूर्ण भारत नहीं, पश्चिम बंगाल के मतदाताओं को दृष्टि में रखकर बनाया गया है। रेलमन्त्री ने देश के सबसे बड़े प्रदेश के साथ नाइंसाफी की है। यू0पी0 के मायने सुश्री ममता बैनर्जी ने सिर्फ अमेठी-रायबरेली को मान लिया है। वह सोनिया-राहुल के प्रति उनका कृतज्ञता ज्ञापन है, जो खासकर पं0 बंगाल में उन्हें पूरी मनमानी की छूट दिए हुये है और केन्द्र सरकार में उनकी घोैसपट्टी की अनदेखी करती रहती है।

रेल बजट में ज्यादातर पुरानी घोषणाएं ही दुहराई गई हैं। इटावा-मैनपुरी रेल लाइन की बात बेमानी है जो श्री मुलायम िंसंह यादव के जोर देने पर शुरू हुई थी पर उस पर काम बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। रेलमन्त्री ने घोषणाएं तो बहुत की हैं किन्तु ऐसा लगता नहीं कि उनके रेलमन्त्री रहते वे पूरी भी हो पाएंगीं।  वह इच्छाशक्ति केन्द्र सरकार और रेल मन्त्रालय में दिखाई ही नहीं देती जो समग्र विकास की गारंटी देती है। नया रेलमन्त्री पुराने रेलमन्त्री के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय बनने की चाहत में ऐसी ही घोषणाएं करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। सुश्री ममता बैनर्जी ने भी उसी परम्परा का पालन किया है। मन्दी -महंगाई की मार से पीड़ित अर्थ व्यवस्था में उनकी घोषणाओं का हश्र क्या होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
रेल मन्त्री ने एक घंटे 50 मिनट के लम्बे भाषण में न तो यह भरोसा दिलाया कि वे ट्रेनों की लेट लतीफी पर रोक लगाएगी और न हीं यात्री सुरक्षा और सुविधाओं की खस्ता हालत में सुधार की कोई बात की। रेलवे के हादसों से उन्होंने कोई सबक लिया ऐसा दिखता नही । रेलवे में सफाई, प्लेटफार्मों पर अव्यवस्था तथा प्रतीक्षालयों की दिक्कतों पर वे मौन रह गई हैं। स्वतन्त्रता सेनानियों  को कोई राहत देने के बजाए उन्होंने स्टेशनों के नाम शहीदों के नाम पर रखने की बात करके उनसे मजाक किया हेै। उनकी महिला वाहिनी कब बनेगी और कब सुरक्षा देगी, यह भी साफ नहीं है। वे वायदे तो पहले भी कर चुकी हैं जो आज भी पूरे नहीं हुए हैं।

ऐसा प्रतीत होता है कि रेलमन्त्री ने वास्तविकता की पड़ताल किए बिना ऐटलस सामने रखकर योजनाएं घोषित कर दी है। तमाम योजनाओं के लिए पैसा कहॉ से आएगा, इनका कोई उल्लेख रेल बजट में नहीं है। संसाधनों के बढ़ाने पर बजट में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे में यही आशंका होती है कि जैसी कि अब नई परम्परा चल पड़ी है, बजट के बाद कर लगाए जाएंगे और जनता की जेब पर अप्रत्यक्ष रूप से डाका डाला जाएगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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महिला समाख्या अधिकारी के साथ हुये दुव्र्यवहार का तीव्र विरोध व निन्दा

Posted on 24 February 2010 by admin

इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एण्ड डाक्यूमेंटेशन इन सोशल साइन्सेंस आई0आर0डी0एस0, लखनऊ के लोग महिला समाख्या की महिला अधिकारी के साथ गोमतीनगर स्थित कार्यालय में हुये दुव्र्यवहार तथा छेड़खानी जैसी घटिया हरकत का तीव्र विरोध तथा निन्दा करते हैं। साथ ही हम यह मांग भी करते हैं कि उक्त आरोपों के अभियुक्त मृदुल तिवारी के विरूद्ध विधि के अनुसार कठोरतम कार्यवाही की जाये। हम यह समझ पाने में असमर्थ हैं कि जब एक सम्मानित महिला अपनी सामाजिक प्रतिश्ठा के क्षरण होने के भय के बावजूद आगे बढ़ कर किसी सहकर्मी के खिलाफ आरोप लगा सकने की हिम्मत कर रही हैं तो फिर ऐसे मामले में भी कार्यवाही किये जाने में विलंब क्यों हो रहा है। साथ ही यह बात भी हमें दुखद लग रही है कि इन अभियुक्त को बचाने के प्रयास भी शुरू हो गये दिखाई देते हैं।

अत: हम आई0आर0डी0एस0 के कार्यकर्ता इस मामले में तत्काल न्याय करने तथा अभियुक्त के खिलाफ नियमानुसार कठोरतम कार्यवाही करने हेतु पुलिस से मांग करती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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छात्रों के साथ अभिभावकों की भी काऊिन्सलिंग का होना जरूरी

Posted on 24 February 2010 by admin

जरूरत से ज्यादा अपेक्षाओं और पढ़ायी के बोझ तले छात्रों में बढ़ रहे तनाव और आत्महत्याओं की घटनाओं में कमी लाने के लिये छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों की भी काऊिन्सलिंग का होना जरूरी है, ताकि बेहतर षिक्षा और भविश्य के लिये छात्रों एवं उनके अभिभावकों के बीच तारतम्य स्थापित हो सके और एक-दूसरे की मनोस्थिति को समझ कर अपने बच्चों के बेहतर भविश्य के रास्ते का निर्माण कर सकें। यहां जानकीपुरम विस्तार योजना में सोसायटी ऑफ कैरियर टेक्नोलॉजी (सोक्ट) के सेन्टर में `अभिभावकों की अपेक्षायें और छात्र´ विशय को लेकर हुयी संगोश्ठी में यह बातें संस्था के चेयरमैन व काऊन्सलर डा0 अगम दयाल ने व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की अपेक्षाओं और दबाव के आगे छात्र अपनी इच्छाओं को दबाकर अरूचि विशयों में पढ़ायी करते है और जब आषानुरूप परिणाम सामने न आते देख छात्र या तो तनावग्रस्त हो जाते है और कुछ इस कदर अवसाद में पहंुच जाते है कि वह अपनी जीवन लीला तक समाप्त कर लेते है, तब अभिभावकों के लिये बहुत देर हो चुकी होती है। श्री दयाल ने संगोश्ठी को सम्बोधित करते हुये कहा कि छात्रों के तनावग्रस्त होने या आत्महत्या जैसी घटनाओं को अंजाम देने की स्थितियां उत्पन्न हो इससे पहले अभिभावकों को चाहिए कि अपने छात्र बच्चों की मनोस्थिति को समझ कर उसके भविश्य के लिये कोई कदम उठाये न कि जबरन अपनी इच्छाओं को थोपना चाहिए। तनाव प्रबन्धन पर पुस्तकें लिख चुके संस्था के संस्थापन चेयरमैन श्री दयाल ने माना कि अधिकतर मामलों में अभिभावक और छात्र एक-दूसरे की मनोस्थिति को समझ नहीं पा रहे है, नतीजा षिक्षा में विफलता मिलने पर छात्रों में आत्महत्याओं की घटनायें निरन्तर बढ़ रही है, ऐसी स्थिति में जरूरी हो गया है कि बढ़ते तनाव और अवसादों में कमी लाने के लिये छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों की एक साथ काऊिन्सलिंग की आवष्यकता है। संगोश्ठी में सोक्ट के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के अलावा अन्य कई लोग भी मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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एक शाम मजरूह सुलतानपुरी के नाम

Posted on 24 February 2010 by admin

आन फिल्म्स प्रोडक्शन के प्रोडयूसर नज़रूल इस्लाम व डांस डायरेक्टर एम0 डी0 कलीम तथा को-प्रोडयूसर सुनील गुप्ता की देखरेख में कार्यक्रम के अन्तर्गत मरहूम मजरूह सुलतानपुरी के चचेरे भाई असगर हमीद को 26 फरवरी को पं0 राम नरेश त्रिपाठी सभागार में एक भव्य समारोह में सम्मानित करेंगें। एक मुलाकात के दौरान प्रोडयूसर नज़रूल इस्लाम ने बताया कि आज के बच्चों पर वेस्टर्न के गानों का असर ज्यादा होता जा रहा है जिसके कारण कलास्किल व पुराने गीत भूलते जा रहे ह।इस कार्यक्रम के द्वारा हम उन्हीं पुराने गीतों को फिर से उन बच्चों के दिलों में जगाने की कोिशश कर रहे हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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पत्रकारों ने किया अपने अधिकारों एवं मान सम्मान के लिए बैठक

Posted on 24 February 2010 by admin

110सुलतानपुर जर्नलिस्ट एशोसिएशन के तत्वाधान में एक आवश्यक बैठक प्रेस क्लब में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता वरिश्ठ पत्रकार अफजाल अन्सारी एवं डा0 अवधेश शुक्ला ने की।

बैठक में सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया कि पत्रकारों के मान सम्मान के लिए बहुत आवश्यक है कि हम एक हों और एक दूसरे के सुख- दुख में काम आवें । सरकारी विभागों द्वारा की जा रही उपेक्षा को हम सभी एक साथ मिल कर उनको मुंह-तोड़ जवाब दे सकते हैं। समाचार में किसी भी प्रकार की सच्चाई को न छिपायें तभी हमारा मान और सम्मान बचा रहेगा।  पत्रकार एशोसिएसन  ने सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया कि प्रत्येक माह के अन्तिम दिवस में अपराहन दो बजे बेठक हुआ करेगी। 5 फरवरी को इसी समय होली मिलन समारोह होगा।बैठक में अफजाल अन्सारी, डा0 अवधेश शुक्ला, अमरीश मिश्र, राकेश शर्मा, दीपक श्रीवास्तव, राजीव श्रीवास्तव, सन्तोश श्रीवास्तव, कृश्ण चन्द्र पाठक, ए0 के0 अकमल, दिनेश श्रीवास्तव सहित दर्जनों पत्रकार उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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गरीब तबके के मुसलमानों को लामबन्द करने की नई कोशिश्

Posted on 24 February 2010 by admin

momin-conference-president-hajji-md-rais-ansari_0001प्रदेश की राजनीति में सपा और बसपा से नाराज गरीब तबके के मुसलमानों को लामबन्द करने की नई कोिशश मोमिन कान्फ्रेंस ने उत्तर प्रदेश की सरजमी पर कर दी है। जिसके कारण बुनकर बाहुल्य क्षेत्रों में राजनैतिक ऊंट नई करवट बैठ सकता है। यह बात मोमिन कान्फ्रेन्स के प्रदेश अध्यक्ष हाजी मोहम्मद रईस अन्सारी ने कहते हुये कहा कि अब हिन्दुस्तानी जनता नीन्द से जाग उठी है, समाज की कमज़ोर जातियां आज राजनैतिक तौर पर संगठित होकर अपना हक ले रही हैं, मोमिन कान्फ्रेन्स की रहनुमाई करने वाले लीडरान मुसलमानों और दीगर मेहनतकश पिछड़ी जातियों की इस राजनैतिक कमज़ोरी को समझ कर बीते दिनों की गलतियों से सबक़ लेकर सन् 2000 में मोमिन कान्फ्रेन्स को एक राजनैतिक पार्टी बनाकर चुनाव आयोग कार्यालय में पंजीकृत करवाया। उत्तर प्रदेश में 159 विधान सभा सीटों का फैसला केवल मोमिन मतदाता करते हैं, इस के साथ हिन्दू बुनकर यानी कोरी समाज और पिछड़ी जातियों के साथ हम गठजोड़ कर लेते हैं तो उत्तर प्रदेश में 250 विधान सभा सीटों पर कब्ज़ा कर सकते हैं।

हाजी मोहम्मद रईस अन्सारी ने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश के भदोही शहर के क़ालीन बुनकरों के द्वारा हर साल लगभग 3200 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा हिन्दुस्तान में आती है। क्या इस खुद्दार क़ौम के करोड़ों लोगों के द्वारा कमायी जाने वाली खरबों रूपए की विदेशी मुद्रा का बदला केवल ऋण पर दिए जाने वाले कुछ हैण्डलूम और पावरलूम हैंर्षोर्षो अगर ऐसा नहीं और यक़ीनी तौर पर नहीं तो आज से हम और हमारे प्रदेश के करोड़ों मेहनतकश लोग एक होकर संगठित आन्दोलन करेंगे और आज से मोमिन कान्फ्रेन्स मुस्लिम समाज और समाज के अति पिछड़े वर्ग के लोगों को उनकी आबादी के अनुसार ईमानदारी से सरकार में भागीदार बनाने का काम करेगी। भविष्य में एक महत्वपूर्ण मीटिंग होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। वार्ता के दौरान मोमिन कान्फ्रेन्स उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता श्री उत्तम षर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बसने वाले मेहनतकश मज़दूरों व बुनकरों का शोषण क्या इसी प्रकार किया जाता रहेगार्षोर्षो क्या यह समाज केवल चुनाव के अवसर पर सिरों की गिनती गिनाने के समय आगे लाया जाता रहेगार्षोर्षो क्या अंग्रेज़ शमषान घाट पर देश की आज़ादी के लिए दी जाने वाली शेख भिखारी की पहली शहादत, क्या मौलाना आसिम बिहारी का बस्ती-बस्ती दिया जाने वाला पैगाम-ए-इिन्कलाब एवं खुद्दारी का सबक, क्या अब्दुल कैय्यूम अन्सारी की अगुवाई में देश को विभाजित करने वाली शक्तियों के विरूद्ध एक अखण्ड भारत का नारा बुलन्द करने वाले करोड़ों मुसलमानों की कांग्रेस को दी जाने वाली भरपूर हिमायत का सौदा केवल दस बीस टिकटों से किया जा सकता हैर्षोर्षो आज बड़े हर्ष का दिन है कि आप महानुभावों के बीच कुछ क्षण बात करने का अवसर मिला। इस देश में रहने वाले तमाम व्यक्ति यह जानते हैं कि आज़ाद हिन्दुस्तान से पहले और आज़ाद हिन्दुस्तान के बाद मेहनतकश मज़दूर व बुनकरों को अपने अधिकार दिलाने के लिए  मोमिन कान्फ्रेन्स हिन्दुस्तान की मुस्लिम समाज का सब से बड़ा संगठन रहा है। जिस की दस्तकारी और कपड़े के उद्योग ने पूरे विश्व के बाज़ारों पर अपना क़ब्ज़ा शतािब्दयों तक क़ायम रखा। मुख्य रूप से यूरोप के बाज़ार हमारे देश की बनी हुई वस्तुओं से हमेशा भरे रहते थे। अंग्रेज़ी साम्राजियत हिन्दुस्तान को अपने देश की बनी हुई वस्तुओं का बाज़ार बनाने के लिए बेचैन थी और यह उस समय तक सम्भव न था जब तक हिन्दुस्तान की कपड़ा बुनाई के उद्योग को बबाZद करके समाप्त न कर दिया जाए। इस लिए अंग्रेज़ों ने अपनी इस गन्दी पॉलिसी के चलते हर वह साज़िश रची जो इस उद्योग को तबाह करने वाला हो और बुनकरों की बबाZदी का कारण हो। हिन्दुस्तान का इतिहास इस बात का साक्षी है कि अंग्रेज़ों की इस गन्दी पॉलिसी के चलते तमाम मेहनतकश बुनकरों को या तो क़त्ल किया गया या जेलख़ानों में डाला गया, तमाम बुनकरों के अंगूठे काट लिए गए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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