Posted on 19 July 2017 by admin
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श्री किशोर उपाध्याय जी ने कहा कि उन्हें उ0प्र0 और उत्तराखण्ड प्रदेश में काम करने का सौभाग्य मिला है। उ0प्र0 में संगठनात्मक चुनाव के सिलसिले में आने पर मैं गोरखपुर, वाराणसी, अयोध्या आदि स्थानों पर गया। अयोध्या देश की राजनीति का टर्निंग प्वाइन्ट है ऐसा मेरा अनुभव रहा है। उन्होने कहा कि मैंने पहले अविभाजित उ0प्र0 और आज उत्तराखण्ड में विभाजित होने पर उ0प्र0 देख रहा हूं और मेरा जो अनुभव रहा है उसको साझा करना चाहता हूं। उन्होने कहा कि गोरखपुर में गोरखनाथ पीठ में मेरी भी आस्था है। उत्तराखण्ड में गोरखनाथ पीठ का बहुत सम्मान है और सदैव पूजा होती है। मैं जब गोरक्षपीठ पर गया तो वहां जो देखा उससे आश्चर्यचकित हुआ। मैंने वहां कहा कि इस पीठ पर योगी नहीं जोगी हुआ करते हैं किन्तु उस पीठ पर जो बैठे हैं उन्होने कुछ योग करके खुद को योगी बना लिया होगा। किसी भी राजनैतिक विचारधारा को मानने वाले लोगों का पीठ पर आस्था रहता है। ऐसे में योगी जी को दो में से एक स्थान पर रहना चाहिए या तो महन्थ रहें अथवा मुख्यमंत्री, जब तक मुख्यमंत्री हैं। क्योंकि सन्त परम्परा में जो कर्मकाण्ड, संस्कार करता है दीक्षा देता है। उन्होने कहाकि उनका मानना है कि हर जो लोग उसमें आस्था रखते हैं वहां हर व्यक्ति जा सके। किन्तु मुख्यमंत्री के रूप में गोरक्ष पीठ का राजनैतिक दुरूपयोग किया जा रहा है। किसी भी पीठ को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। इससे लाखों लोगों की आस्था को अघात पहुंच रहा है।
श्री उपाध्याय ने कहा कि उन्होने अयोध्या में देखा कि सड़कों और गलियों में गंदगी व्याप्त है। ऐसे में भाजपा सबसे पहले स्वच्छ भारत की शुरूआत अयोध्या, गोरखपुर और काशी से करे। आज के समय में इन तीनों स्थानों पर गंदगी की जो स्थिति है उसे बयां नहीं किया जा सकता। जिस तरह भाजपा ने भगवान राम को धोखा दिया अब वह उत्तराखण्ड की बेटी मां गंगा को धोखा देने का काम कर रहे हैं।
Posted on 19 July 2017 by admin
राहगीरों को परेशानी नहीं होनी चाहिये - श्री नाईक
आज दोपहर में अचानक तेज हवा और बारिश से राजभवन के गेट नं0 2 के पास महात्मा गांधी मार्ग पर लगा पुराना सेमल का पेड़ गिर गया। पेड़ के गिरने से राजभवन की चाहरदीवारी भी क्षतिग्रस्त हुई और बाहर महात्मा गांधी मार्ग पर यातायात बाधित हो गया। राज्यपाल श्री राम नाईक को जैसे ही यह ज्ञात हुआ तब संवेदनशीलता का परिचय देते हुये वे स्वयं राजभवन से बाहर निकलकर आये और समस्या का जायजा लिया। श्री नाईक ने सड़क पर गिरे पेड़ को तुरंत हटाने के लिये वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये तथा साथ ही साथ यातायात को सुचारू करने हेतु यातायात पुलिस को भी निर्देश दिये।
राज्यपाल के निर्देश पर वन विभाग द्वारा गिरे पेड़ को तत्काल काटकर मार्ग से हटाया गया जिसके पश्चात् महात्मा गांधी मार्ग पर यातायात का आवागमन सुचारू हो सका।
Posted on 19 July 2017 by admin
माननीय अध्यक्ष जी मैं आपका आभारी हूॅं कि आपने मुझे बजट की चर्चा में बोलने का समय दिया। नेता विपक्ष ने बजट पर चर्चा के दौरान कहा था कि यह बजट दिशाहीन है, किसान विरोधी है, छात्र विरोधी ह,ै महिला और मजदूर विरोधी है।
अध्यक्ष जी, समस्या यह है कि माननीय नेता विपक्ष टी-20 का मैच खेलना चाहते हैं लेकिन यह पाॅंच दिवसीय मैच है जो हर एक साल के समान होता है पाॅंचवा साल निर्णायक होता है और ठोस होता है। ‘‘इसलिए जनता के लिए जिसके मन में प्यार नहीं होता, जनतन्त्र में वह कुर्सी का हकदार नहीं होता है‘‘। यह शब्द मेरे नहीं हैं। यह शब्द श्री अखिलेश यादव जी के हैं। जब उन्होंने 2016-17 का बजट पेश किया था। शायद उन्हें अपनी कथनी और करनी में अन्तर दिख गया था जिसके कारण उन्होंने इन शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन मेरा आग्रह है कि बजट का विश्लेषण टी-20 की तरह नहीं पाॅंच दिवसीय क्रिकेट मैच की तरह करना चाहिए।
मा0 अध्यक्ष जी, बजट कोई सत्ता पक्ष या विपक्ष का नहीं होता यह 22 करोड़ उत्तर प्रदेश की जनता की मेहनत की कमाई पर जो टैक्स लगता है उससे बजट की धनराशि बनती है। जनता हम सब को चुन कर भेजती है इस पवित्र मंदिर में क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि हम उनके हित में सही निर्णय करेंगे और उनके पैसों को सही योजनाओं पर खर्च करेंगें।
मा0 अध्यक्ष जी, कहते हैं थ्पहनतमे क्वदश्ज स्पम (आंकड़े गलत नहीं बोलते)
शिक्षा-
ये आंकड़े मेरे नहीं नीति आयोग के हैं।
कक्षा-5 के बच्चे कितने प्रतिशत गुणा-भाग कर सकते हैं।
नागालैण्ड-80.4ः
मिजोरम-87.4ः
हरियाणा-74.8ः
उत्तर प्रदेश-46.7ः
- प्राथमिक स्तर पर ड्राप आॅउट रेट-भारत के नीचे के 100 जिलों में से उत्तर प्रदेश के 21 जिले हैं।
- अध्यापक/छात्र अनुपात-(प्रतिकूल) भारत के नीचे के 100 जिलों में से उत्तर प्रदेश के 32 जिले हैं।
शिशु मातृ-दर/1000 बच्चे- भारत-50, उत्तर प्रदेश-78,
मातृ मृत्यु दर/100,000- भारत -178, उत्तर प्रदेश-285,
पाॅंच वर्ष से नीचे शिशु जो बौने होते हैं- भारत-38.4ः, उत्तर प्रदेश-46.3ः, भारत के नीचे के 100 जिलों में से उत्तर प्रदेश के 29 जिले हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (ॅण्भ्ण्व्) कहता है कि 1000 की जनसंख्या पर एक डाॅक्टर होना चाहिए जबकि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 1000 की जनसंख्या पर सरकारी और प्राइवेट डाॅक्टर मिलाकर 0.63 ही हैं।
-हाॅस्पिटल बेड/1000 जनसंख्या-उत्तर प्रदेश में 1.5 से कम है।
-गरीबी अनुपात-कुल जनसंख्या के आधार पर ठच्स् परिवार-
नीचे से भारत के 100 जिलों में से 22 उत्तर प्रदेश के हैं। (छैैव्-2011)
लघु सिंचाई-16 राज्यों में से उत्तर प्रदेश का स्थान 13वां है। उत्तर प्रदेश के 0.38 हेक्टेयर ही क्षेत्रफल लघु ंिसंचित हैं, जबकि क्षमता 107.89 लाख हेक्टेयर है।
यह उत्तर प्रदेश का आइना है और इस पर हम सभी को चिन्तित होना चाहिए।
‘‘कहो तो चल दें तुम्हारी ही राह पर, लेकिन गरीबी न होगी ऐसे कम,
उसे मिटाने के लिए चलाना ही होगा-योगी मंत्र ‘‘
मा0 अध्यक्ष जी, सम्मानित नेता विपक्ष में इस बजट को छोटा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अर्थशास्त्री बनकर ऐसे-ऐसे तर्क दिये कि बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी चकित रह गये होंगे। पहले तो उन्होंने कर्जमाफी के रू0 36000 करोड़ और सातवें वेतन के रू0 35000 करोड़ घटा दिये। बजट के अन्दर जब ये व्यवस्था की गयी है तो वह व्यय का भाग बनता है जिसे हम साधारण अंग्रेजी में म्गचमदकपजनतम बोलते हैं। दूसरा उन्होंने मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए उसकी गणना की और पिछले बजट से उसकी तुलना भी कर दी। कहीं हम हर बजट को इसी तरह करें तो 2016-17 का रू0 3,40,255 करोड़ मुद्रास्फीति ( ॅच्प् इन्फ्लेशन-1.7ः) के आधार पर रू0 305,475 करोड़ बन जाता है जोकि 2015-16 का बजट रू0 3,03,049 लाख करोड़ से कुछ ही अधिक है। बजट का यह नया विश्लेषण सीखा है मा0 नेता विपक्ष से । व्यय आज के प्दसिंजपवद (इन्फ्लेशन) पर और ठनकहमज डपदने पदसिंजपवद तंजमण्
मा0 अध्यक्ष जी, किसानों की सबको चिन्ता होती है और होनी भी चाहिए। क्योंकि जब 70 प्रतिशत उत्तर प्रदेश की जनता कृषि पर आधारित है, तो चिन्ता स्वाभाविक है। लेकिन राज्य की ळक्च् में कृषि का 23ः ही योगदान है। जहां 70 प्रतिशत लोग कृषि पर आधारित हों वहाॅं पर योगदान क्या 23ः ही होना चाहिए? 2017-18 का बजट विशेष रूप से चिन्ता करता है कि कृषि उत्पादन कैसे बढ़े, किस प्रकार से किसानों के लिए ‘स्वाएल हेल्थ कार्ड‘ की व्यवस्था हो, 20 जनपदों में कृषि विज्ञान केन्द्र और खोले जाएं, किसानों को सिंचाई की सुविधा अच्छी मिले और बिजली की निरन्तर उपलब्धता सुनिश्चित हो।
मा0 अध्यक्ष जी, जो लोग रू0 36000 करोड़ ऋण माफी को पचा नहीं पा रहे हैं और अनेक तर्क, संकल्प पत्र के माध्यम से दे रहे हैं, क्या उन्हें आत्मचिन्तन नहीं करना चाहिए कि इतना बड़ा ऋण किसानों के ऊपर कैसे हुआ?, कारण ढूंढ रहे हैं हम पर उंगली उठाने का लेकिन भूूल जाते हैं कि जब एक उंगली उठाओगे तो दोे उंगली अपनी ही ओर इंगित करेगी।
कानून व्यवस्था-मा0 नेता विपक्ष ने सही कहा ‘‘कि कानून व्यवस्था कोई पुड़िया नहीं है कि कोई उसे बाजार से खरीद लाए और उसे ठीक कर दे।‘‘ साथ ही साथ उन्होंने कहा कि ‘‘हमारी मंशा क्या है, कानून व्यवस्था को ठीक करने की। मा0 अखिलेश यादव की सरकार ने यह काम किया था’’।
विषय आंकड़े देने का नहीं है या जवाहर बाग की बात करने का या सीतापुर में 2016 में धनतेरस के दिन जिलाधिकारी के घर के सामने व्यापारी की हत्या जिसका आरोपी हमारी सरकार के दौरान पकड़ा गया। मैं इन चीजों पर सदन का समय बर्बाद नहीं करूंगा। कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए यह आवश्यक है कि उसके इन्फ्रास्ट्रक्चर को हम मजबूत करें। थानों के अन्दर चेन प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं गुणवत्ता का ध्यान रखें। जब ढांचा ठीक होता है तो कानून-व्यवस्था पर नियंत्रण भी होता है। दुर्भाग्य है कि सपा सरकार के समय 1526 थानों पर 50 प्रतिशत से ज्यादा जो नियुक्तियाॅं हुई थी वह जाति के आधार पर हुई थी। उदाहरण के रूप में बंदायूॅं में 22 पुलिस थानों में 16 एक ही जाति के ैण्व्ण् की नियुक्तियां, कानपुर में 36 में से 25 थानों पर वही विशेष जाति, फर्रूखाबाद में 14 में से 7 एक ही जाति के और इसी प्रकार से यह लिस्ट बढ़ती गई सपा सरकार में।
बहुजन समाज पार्टी के नेता मा0 लालजी वर्मा जी को याद होगा कि उनकी सरकार 2004 से 2007 में 21,000 कान्स्टेबिल की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट ले गये थे। लेकिन जब 2012 में समाजवादी सरकार आई तो बहुजन समाज पार्टी सरकार की ैस्च् को वापस कर लिया और भ्रष्ट प्रक्रिया को मान्यता दी।
मा0 अध्यक्ष जी, यही नहीं 2013 में 86 ैक्ड मे से 56 ैक्ड की नियुक्तियां भी विशेष जाति के आधार पर हुई है। यहां तक की लोक सेवा आयोग को नहीं छोड़ा। उच्चतर शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, उत्तर प्रदेश को-आॅपरेटिव इन्स्टीट्यूशनल सेवा बोर्ड को भी इसी विशेष जाति में सीमित कर दिया।
मा0 अध्यक्ष जी, जब किसी इन्स्टीट्यूशन को और विशेष रूप से कानून-व्यवस्था की संस्था को जाति के आधार पर ध्वस्त किया जायेगा तो उस व्यवस्था को ठीक करने में समय लगेगा।
स्वास्थ्य-मा0 नेता विपक्ष ने कहा कि ‘‘गांॅव के मरीज क्या करेंगे व्यवस्था तो है। लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को मा0 मंत्री जी दिखवा लीजिए कि कितने डाॅक्टर हैं ?‘‘
मा0 अध्यक्ष जी, मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहता हूॅं, 2011 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, उन्होंने 2091 डाॅक्टरों का लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा था। 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार आयी उसमें से 860 डाॅक्टर नियुक्त हुए। 2014-15 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने 3260 डाॅक्टरों का अधियाचन लोक सेवा आयोग को भेजा। जब मैंने यह जिम्मेदारी सम्भाली तो देखा कि 2014-15 के अधियाचन पर कार्यवाही चल रही है। मेरी तो घण्टी बज गयी कि यह चलेगा नहीं, लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी के मंत्री की घण्टी क्यांे नहीं बजी? इसका जवाब नेता विपक्ष को देना चाहिए? इसलिए मैंने डाॅक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए कुछ कदम उठाए। डाॅक्टरों की रिटायरमेन्ट की आयु 60 वर्ष से 62 वर्ष कर दी। जिससे 500 से 1000 डाॅक्टर मिल जायंेगे। दूसराः- 1000 डाॅक्टरों का वाॅक-इन इण्टरव्यू कैबिनेट से अनुमोदित किया और आने वाले समय में टेलीमेडिसिन लेकर आ रहा हूॅं। मैं इस पर विस्तार से विभागीय बजट पर चर्चा करूंगा।
मा0 अध्यक्ष जी, यहां पर बजट की चर्चा के दौरान शेरो-शायरी अच्छी हुई है तो मेरा भी दिल करता है कि एक शेर अर्ज कर दूॅं, यह शेर विपक्ष की ओर है।
‘‘महसूस यह होता है कि दौरे तबाही है,
पत्थर की अदालत में शीशे की गवाही है,
दुनिया में ऐसी तफ्शीश नहीं मिलती,
कि कातिल ही लुटेरा है और कातिल ही सिपाही है‘‘
बहुत-बहुत धन्यवाद।
Posted on 19 July 2017 by admin
प्रदेश के निजी क्षेत्र के 13 डेंटल कालेजों तथा 23 मेडिकल कालेजों की फीस
प्रथम बार निर्धारित की गई है। जनसामान्य को शिक्षा की सुगमता हेतु
एम.बी.बी.एस. पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए 8.50 से लेकर 11.50 लाख रुपये
निर्धारित की गई है जबकि बी.डी.एस. के लिए 1.37 लाख रुपये से लेकर 3.65 लाख
रुपये निर्धारित की गई है।
यह जानकारी प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्री
आशुतोष टंडन ने आज यहां विधान सभा सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में दी
है। उन्होंने बताया कि यह फीस शैक्षणिक सत्र 2017-18, 2018-19 व 2019-20 के
लिए निर्धारित की गई है। प्राइवेट मेडिकल कालेजों के मनमानी फीस पर अंकुश
लगाने के लिए फीस नियमन समिति भी बनाई गई है।
शैक्षणिक सत्र, 2016-17 हेतु निजी क्षेत्र द्वारा संचालित एम.बी.बी.एस.
पाठ्यक्रमों हेतु 11.30 लाख रुपये एवं बी.डी.एस. पाठ्यक्रम हेतु 3.25 लाख
रुपये अन्तरिम शुल्क समस्त संस्थानों हेतु निर्धारित थी।
Posted on 19 July 2017 by admin
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल
एवं फाज़िल परीक्षा वर्ष 2017 का परिणाम घोषित कर दिया गया है।
यह जानकारी आज यहां मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार श्री राहुल गुप्ता ने दी।
उन्होंने बताया कि परीक्षाफल परिषद की अधिकारिक वेबसाइट ूूूण्नचइउमण्मकनण्पद
पर अपलोड कर दिया गया है। परीक्षार्थी अपना परीक्षाफल इस वेबसाइट पर देख सकते
हैं।
कुल 371054 अभ्यर्थियों में 262076 अभ्यार्थी सफल घोषित किये गये। 70007
अभ्यार्थी अनुपस्थित रहें। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में भाग लेने वाले
कुल परीक्षार्थियों के सापेक्ष 87.5 प्रतिशत अभ्यार्थी सफल घोषित किये हैं।
कुल 38841 अभ्यर्थी असफल घोषित किये गये।
Posted on 19 July 2017 by admin
प्रदेश के सहकारिता मंत्री श्री मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि अच्छे कार्य
करने वालों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए। इससे एक नई परम्परा की शुरूआत होगी।
हर किसी को दण्डित करने के स्थान पर पुरस्कृत करने की सोच विकसित की जाए।
उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग की संस्थाए नये उद्यम स्थापित करने पर भी
कार्य करें। इसके लिए कार्य योजना बनाये।
श्री वर्मा आज यहां सहकारिता भवन के सभागार में मूल्य समर्थन योजना के
अन्तर्गत वर्ष 2017-18 में गेहूं खरीद में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सहकारिता
विभाग के 19 कार्मिकों को पुरस्कृत करने के लिए आयेाजित कार्यक्रम में मुख्य
अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने मृदा परीक्षण कराने पर बल
दिया। इसमंे साधन सहकारी समितियां अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा
कि इस विभाग को भ्रष्टाचारमुक्त बनाये तथा किसानों को हरसम्भव खाद एवं बीज
उपलब्ध करायें, इससे कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने कहा कि गेहूं,
धान खरीद में जो कठिनाई हो रही है उसे दूर किया जायेगा। उन्होंने कहा कि
सहकारिता विभाग द्वारा पिछले वर्षों में सबसे अधिक गेहूं खरीद किया गया है। इस
क्षेत्र में जो कार्य कर रहे हैं वह बधाई के पात्र हैं।
इस अवसर पर राज्य मंत्री सहकारिता श्री उपेन्द्र तिवारी ने कहा कि वर्ष
2017-18 में कुल 37 लाख मीट्रिक टन गेहूं का क्रय सभी एजेन्सियों द्वारा किया
गया जिसमें से 19.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं का क्रय केवल सहकारिता विभाग की
एजेन्सियों द्वारा खरीदा गया। आगे उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में
प्रतिस्पर्घा होनी चाहिए इससे अच्छे कार्य करने वाले व्यक्ति पुरस्कृत होते
हैं। गेहूं एवं धान खरीद में पारदर्शिता के साथ सही योजना बनाकर कार्य करें।
इस अवसर पर पी.सी.एफ के जिला प्रबन्धकों में सर्वश्री होनेश्वर दयाल सिंघल,
सतीश चन्द्र, संदीप कुमार, अभय राज सिंह, अशोक कुमार बिसारिया, सुरेश बाबू,
सौरभ कुमार, दिव्यांशु वर्मा, परशुराम, सौरभ यादव, प्रशान्त त्रिवेदी, अमित
कुमार चैधरी तथा सुशील कुमार को सम्मानित किया गया।
इस तरह पी.सी.यू. के तीन अधिकारियों में सर्वश्री अजय कुमार गुप्ता, श्रीमती
शहना बेगम तथा दिलीप कुमार को भी सम्मानित किया गया। प्रदेश के तीन जनपदों में
सर्वाधिक गेहूं खरीद पर वहां पर तैनात सहायक निबन्धक सर्वश्री मंगल सिंह
लखीमपुर खीरी, नवीन चन्द्र शुक्ला बहराइच तथा अनूप द्विवेदी ललितपुर को भी
सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सहकारिता विभाग के शीर्ष संस्थाओं के प्रबन्ध निदेशक, पी.सी.एफ. के
अध्यक्ष श्री आदित्य यादव, अपर मुख्य सचिव सहकारिता श्री हरि राजकिशोर सहित
विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
Posted on 19 July 2017 by admin
उद्यान विभाग की राजकीय पौधशाला, सरोजनी नगर, लखनऊ में वृक्षारोपण हेतु फलदार
पौधे, कलमी पौधे, बीजू पौधे तथा शोभाकार पौधे जन सामान्य के लिए बिक्री हेतु
उपलब्ध हैं।
यह जानकारी उद्यान निदेशक, श्री एस.पी.जोशी ने दी है। उन्होंने बताया कि इस
पौधशाला में नीबू, अंगूर, अनार, आडू, अमरूद, कटहल, बेल, चांदनी, गुड़हल,
हरसिंगार, बोगेनविलिया, शतरानी, सावनी, देशी गुलाब आदि के पौधे उपलब्ध हैं,
इच्छुक व्यक्ति/कृषक जिला उद्यान अधिकारी, राजकीय शीतगृह परिसर, सेक्टर जी,
अलीगंज, लखनऊ के यहां भी सम्पर्क कर नगद मूल्य पर पौध प्राप्त कर सकते हैं।
Posted on 18 July 2017 by admin
‘‘उत्तर पूर्व के कुछ जनजातीय इलाकों में ऐसी दुर्लभ औषधियाँ मौजूद हैं जो भविष्य में तमाम रोगों से निजात में काम आ सकती हैं। इन पर शोध किये जाने की आवश्यकता है।’’ यह जानकारी आज डाॅ0 एस के बारिक, निदेशक, नेशनल बाॅटेनिकल रिसर्च इंस्टीच्यूट ने प्राचीन भारत में विज्ञान विषय औषधीय पौधों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए राज्य स्तरीय गोष्ठी में बोलते हुए दी। पूर्वोत्तर के कुछ जनजातीय इलाकों में ऐसी दुर्लभ औषधियाँ मौजूद हैं जो भविष्य में तमाम रोगों से निजात में काम आ सकती हैं। इन पर शोध किये जाने की आवश्यकता है।
ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी, लखनऊ व आंचलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘‘प्राचीन भारत में विज्ञान’’ विषय पर बोलते हुए पद्मश्री डाॅ0 नित्यानन्द ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानव जीवन में विज्ञान की महत्ता पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला।
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डाॅ0 राणा प्रताप सिंह ने पुरातन भारत के पर्यावरण प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु हमें प्राचीन पद्धतियों से सीखने की आवश्यकता है।
सेण्टर फाॅर पाॅलिशी रिसर्च के वैज्ञानिक डाॅ0 विवेक के मौर्य ने पुरातन विज्ञान प्रौद्योगिकी द्वारा सिल्क रोड द्वारा वैश्विक व्यापार के महत्त्व पर प्रकाश डाला। एन.बी.आर.आई. के पूर्व वैज्ञानिक डाॅक्टर ए.के.एस. रावत ने पश्चिम हिमालय के औषधीय पौधों के प्राचीन एवं आधुनिक उपयोगों पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि अभी भी तमाम किस्म की औषधियों का मूल्यांकन एवं मानव जीवन में उनकी उपयोगिकता पर शोध करने की जरूरत है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के पूर्व वैज्ञानिक डाॅ0 बी.एस.रावत ने कहा कि पुरातन दौर के भूगर्भीय प्रमाणों के आधार पर आधुनिक विज्ञान में क्रांतिकारी शोध किये जा सकते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भटनागर पुरस्कार से सम्मानित विशिष्ट वैज्ञानिक डाॅ0 सौमित्रो बनर्जी, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (प्प्ैम्त्) कोलकाता के प्रोफेसर और ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी के अखिल भारतीय महासचिव ने वैदिक और उत्तर वैदिक (सैध्दान्तिक) युग, ईसा पूर्व छठीं शताब्दी से लेकर ग्यारहवीं शताब्दी (लगभग सत्रह सौ साल) के दौरान विज्ञान और गणित- शून्य की खोज, चरक एवं सुश्रुत के हाथों आर्युवेद एवं शल्य चिकित्सा, पाणिनी के हाथों संस्कृत व्याकरण, आर्यभट, ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य द्वारा बीजगणित, त्रिकोणमित और खगोलविज्ञान- के क्षेत्र में असाधारण प्रगति की चर्चा की। डाॅ0 बनर्जी ने भौतिकीय गणित के साथ भाषा विज्ञान में पुरातन भारत के गणितज्ञों व भौतिक शास्त्रियों के अवदान की चर्चा करते हुए ग्यारहवीं शताब्दी के बाद भारतीय विज्ञान में गिरावट की भी व्यापक चर्चा की।
ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी के राज्य अध्यक्ष डाॅ0 पी.के.श्रीवास्तव, आंचलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ के संयोजक डाॅ0 राज मेहरोत्रा, बायोटेक पार्क के पूर्व सी.ई.ओ. डाॅ0 पी.के.सेठ, आई.आई.टी.आर. के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ0 वी.पी.शर्मा, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ0 सरजित सेनसर्मा, जियोलाॅजी विभाग व डाॅ0 मधु त्रिपाठी, जूलाॅजी विभाग आदि जैसे तमाम गणमान्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत व समापन प्रख्यात संगीत शिक्षक श्री असीम सरकार के द्वारा गाये गीतों के जरिये हुई। कार्यक्रम का संचालन बीरबल साहनी पुरातत्व विज्ञान संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डाॅ0 सी.एम. नौटियाल ने व अंत में धन्यवाद ज्ञापन संगठन के राज्य सचिव इं0 जय प्रकाश मौर्य ने किया।
Posted on 18 July 2017 by admin
उत्तर प्रदेश विधान सभा के माननीय अध्यक्षए श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि दिनांक 14 जुलाईए 2017 को विधान सभा के उपवेशन में सुरक्षा के संबंध में लिए गए निर्णय एवं घोषणाओं के अनुपालन में विधान सभा के स्तर पर समस्त कार्यवाही की जा चुकी है । माननीय विधायकगण एवं उनके एक प्रतिनिधि तथा विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अतिरिक्त समस्त प्रवेश.पत्र निरस्त कर दिये गये हैं। माननीय विधायकों के एक वाहन के अतिरिक्त निर्गत किए गए समस्त वाहनों के प्रवेश.पत्रों को निरस्त कर दिया गया है। श्री दीक्षित ने प्रदेश के सभी मा0 विधायकों से सहयोग की अपील की है और कहा है कि सामान्य वाहन प्रवेश पत्र 365ए पूर्व विधायक वाहन प्रवेश पत्र 715ए अस्थायी व्यक्तिगत प्रवेश पत्र 421 को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा है कि सदन के अंदर माननीय सदस्यों के अतिरिक्त जो भी कर्मी अथवा अन्य महानुभाव प्रवेश करेंगे उनकी तलाशी ली जायेगी और विधान सभा सचिवालय के संविदा एवं दैनिक वेतनकर्मियों का पुलिस सत्यापन कराया जायेगा ।
श्री दीक्षित ने कहा कि दिनांक 12 जुलाईए 2017 को विधान सभा मण्डप में पाए गए संदिग्ध पदार्थ के पश्चात यह आवश्यक हो गया है कि सुरक्षा की दृष्टि से सख्त कदम उठाये जायें। इस संबंध में यह निर्णय भी लिया गया है कि लोक सभा समेत अन्य प्रदेश जहां विधान सभाओं में सुरक्षा की व्यवस्थायें उत्कृष्ट हैं वहां पर जाकर उनकी व्यवस्थाओं को समझा जाये एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा में भी उसको लागू किया जाये । श्री दीक्षित ने बताया है कि विधान सभा के बजट सत्र की समाप्ति के बाद गुजरात एवं महाराष्ट्र विधान सभाओं की सुरक्षा व्यवस्था का अध्ययन किया जाना प्रस्तावित है। इस कार्य हेतु उत्तर प्रदेश विधान सभा से माननीय अध्यक्ष के नेतृत्व में एक टीम इन दोनों विधान सभाओं में जाकर वहां के माननीय अध्यक्ष एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों से बैठक करेगी तथा सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त एवं उत्कृष्ट व्यवस्थाओं को उत्तर प्रदेश विधान सभा में भी लागू किये जाने पर सभी आवश्यक कदम उठायेगी ।
माननीय अध्यक्षए विधान सभा ने कहा है कि लोकतंत्र की व्यवस्था अद्यतन सबसे राजनीतिक व्यवस्था है तथा जिस प्रकार की घटना उत्तर प्रदेश विधान सभा में घटित हुई है उससे यह परिलक्षित होता है कि कुछ अराजकतत्व लोकतंत्र की इस सर्वोच्च व्यवस्था को आघात पहुँचाना चाहते हैं । हम लोगों का यह दायित्व है कि लोकतंत्र की इस व्यवस्था को सुदृढ़ एवं परिपक्व किया जाये ।