उत्तर प्रदेश विधान सभा के माननीय अध्यक्षए श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि दिनांक 14 जुलाईए 2017 को विधान सभा के उपवेशन में सुरक्षा के संबंध में लिए गए निर्णय एवं घोषणाओं के अनुपालन में विधान सभा के स्तर पर समस्त कार्यवाही की जा चुकी है । माननीय विधायकगण एवं उनके एक प्रतिनिधि तथा विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अतिरिक्त समस्त प्रवेश.पत्र निरस्त कर दिये गये हैं। माननीय विधायकों के एक वाहन के अतिरिक्त निर्गत किए गए समस्त वाहनों के प्रवेश.पत्रों को निरस्त कर दिया गया है। श्री दीक्षित ने प्रदेश के सभी मा0 विधायकों से सहयोग की अपील की है और कहा है कि सामान्य वाहन प्रवेश पत्र 365ए पूर्व विधायक वाहन प्रवेश पत्र 715ए अस्थायी व्यक्तिगत प्रवेश पत्र 421 को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा है कि सदन के अंदर माननीय सदस्यों के अतिरिक्त जो भी कर्मी अथवा अन्य महानुभाव प्रवेश करेंगे उनकी तलाशी ली जायेगी और विधान सभा सचिवालय के संविदा एवं दैनिक वेतनकर्मियों का पुलिस सत्यापन कराया जायेगा ।
श्री दीक्षित ने कहा कि दिनांक 12 जुलाईए 2017 को विधान सभा मण्डप में पाए गए संदिग्ध पदार्थ के पश्चात यह आवश्यक हो गया है कि सुरक्षा की दृष्टि से सख्त कदम उठाये जायें। इस संबंध में यह निर्णय भी लिया गया है कि लोक सभा समेत अन्य प्रदेश जहां विधान सभाओं में सुरक्षा की व्यवस्थायें उत्कृष्ट हैं वहां पर जाकर उनकी व्यवस्थाओं को समझा जाये एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा में भी उसको लागू किया जाये । श्री दीक्षित ने बताया है कि विधान सभा के बजट सत्र की समाप्ति के बाद गुजरात एवं महाराष्ट्र विधान सभाओं की सुरक्षा व्यवस्था का अध्ययन किया जाना प्रस्तावित है। इस कार्य हेतु उत्तर प्रदेश विधान सभा से माननीय अध्यक्ष के नेतृत्व में एक टीम इन दोनों विधान सभाओं में जाकर वहां के माननीय अध्यक्ष एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों से बैठक करेगी तथा सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त एवं उत्कृष्ट व्यवस्थाओं को उत्तर प्रदेश विधान सभा में भी लागू किये जाने पर सभी आवश्यक कदम उठायेगी ।
माननीय अध्यक्षए विधान सभा ने कहा है कि लोकतंत्र की व्यवस्था अद्यतन सबसे राजनीतिक व्यवस्था है तथा जिस प्रकार की घटना उत्तर प्रदेश विधान सभा में घटित हुई है उससे यह परिलक्षित होता है कि कुछ अराजकतत्व लोकतंत्र की इस सर्वोच्च व्यवस्था को आघात पहुँचाना चाहते हैं । हम लोगों का यह दायित्व है कि लोकतंत्र की इस व्यवस्था को सुदृढ़ एवं परिपक्व किया जाये ।