Archive | January, 2011

जनपदों में होमगाड्Zस की ड्यूटी रोस्टर प्रणाली के अनुसार लगाने के निर्देश

Posted on 13 January 2011 by admin

होमगाड्Zस स्वयं सेवकों के रिक्त पदों पर भर्ती शीघ्र करें -वेद राम भाटी

होमगाड्Zस एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के कार्यकलापों की समीक्षा सम्पन्न

उ0प्र0 के होमगाड्Zस एवं प्रान्तीय रक्षक दल मन्त्री श्री वेदराम भाटी ने निर्देश दिये हैं कि जनपदों में होमगाड्Zस की ड्यूटी साफ्टवेयर के माध्यम से तैयार कराकर रोस्टर प्रणाली के अनुसार लगायी जाय।

श्री भाटी  यहां होमगाड्Zस मुख्यालय के सभागार में विभागीय कार्यों की समीक्षा के लिए गत दिवस आयोजित समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बैठक मेें आये जिला एवं मण्डलीय कमाण्डेण्ट्स से अपेक्षा की कि वे जनपदों में रिक्त होमगाड्Zस स्वयं सेवकों के पदों पर भर्ती की कार्रवाई शीघ्र पूरी कर लें। उन्होंने यह भी कहा कि होमगाड्Zस की समस्याओं के निराकरण के लिए जिला एवं मण्डल स्तर पर गठित ग्रीवांस समितियों के माध्यम से समस्याओं का निराकरण कराया जाय और होमगाड्Zस के लिम्बत ड्यूटी भत्ता देयकों का त्वरित भुगतान कराया जाना सुनििश्चत किया जाय।

होमगाड्Zस मन्त्री ने आडिट आपित्त्यों के निराकरण एवं वसूली में अपेक्षित प्रगति न होने पर असन्तोश व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को निर्देिशत किया कि आडिट आपत्तियों के निराकरण में अपेक्षित तेजी लाई जाये। उन्होंने निर्माणाधीन जिला होमगाड्Zस कार्यालय भवनों का निर्माण चालू वित्तीय वशZ में पूरा कर लेने के निर्देश भी दिये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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गरीब, असहाय, निराश्रित, शेल्टरहीन व्यक्तियों को समुचित ससमय सहायता

Posted on 13 January 2011 by admin

जनपदीय प्रशासन द्वारा अलाव जलवाना, कम्बल  वितरण एवं रैन बसेरों का निर्माण

शीत लहर से किसी की भी मृत्यु नहीं

उत्तर प्रदेश में शीत लहर के प्रकोप के दृिश्टगत मा0 मुख्यमन्त्री महोदया द्वारा समस्त जिलाधिकारियों, स्थानीय निकायों एवं सम्बंधित विभागों को पहले ही निर्देश दिये जा चुके हैं कि वे सुनििश्चत करें की प्रत्येक दशा में गरीब, असहाय, निराश्रित, शेल्टरहीन व्यक्तियों को समय पर सहायता प्रदान की जाय। इस क्रम में जनपदीय प्रशासन द्वारा अलाव जलवाना, कम्बल वितरण एवं रैन बसेरों का निर्माण करवाकर जरूरतमन्दों को सहायता दी जा रही है।

यह जानकारी प्रमुख सचिव राजस्व एवं राहत आयुक्त श्री के0के0सिन्हा ने एक विज्ञप्ति में दी है। उन्होंने बताया कि शीत लहर से मृत्यु विशयक गत 08 जनवरी को प्रकािशत समाचार के बारे में लखनऊ के जिलाधिकारी द्वारा कमेटी गठित कर तीन व्यक्तियों के मृत्यु के सम्बंध में सूचित किया गया है। कि श्री कल्लू पुत्र श्री बाबू लाल, आयु 70 वशZ टीबी से पीड़ित थे एवं ईलाज चल रहा था। इनकी मृत्यु बीमारी से हुई है। श्री िशवपाल पुत्र स्व0 सोनासर उम्र 50 वशZ निवासी बहराइच की मृत्यु बीमारी से हुई तथा श्री खुशीराम उम्र 36 वशZ काफी शराब एवं गांजे का सेवन करता था, एवं पीलिया से ग्रसित था की मृत्यु बीमारी से हुई है।

जिलाधिकारी रामपुर द्वारा गत 08 जनवरी को प्रकािशत समाचार के क्रम में नियमानुसार कमेटी गठित कर मृत्यु की जांच करवायी गई जिसमें पाया गया कि श्री नन्हू पुत्र खुशाली उम्र लगभग 70 वशZ ग्राम पट्टी, फजिलाबाद की मृत्यु बीमारी से हुई। श्रीमती लीलावती बेवा पूरन उम्र 60 वशZ ग्राम पट्टी फजिलाबाद की मृत्यु, श्री गजराम पुत्र केहरी आयु लगभग 66 वशZ तथा श्री हरिप्रसाद पुत्र मोहन लाल ग्राम करीगां जो सांस की बीमारी के मरीज थे की मृत्यु बीमारी से हुई।

जिलाधिकारी फरूZखाबाद द्वारा श्री विशुन दयाल पुत्र श्री रामदास ग्राम अताईपुर उम्र लगभग 85 वशZ एवं श्रीमती हसीना बेगम पत्नी श्री हलीम खॉं उम्र लगभाग 70 वशZ निवासी ग्राम रायपुर की मृत्यु के कारणों की जांच करावायी गई, दोनों की मृत्यु बीमारी से होना पाया गया।

जिलाधिकारी बस्ती द्वारा 9 व्यक्तियों की मृत्यु के कारणों की स्थलीय जांच करवाई जा रही है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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नये विद्युत कनेक्शनों को 31 जनवरी तक लेजर पर लायें

Posted on 13 January 2011 by admin

अवर अभियन्ताओं के रसीद बुकों की विजिलेंस जांच होगी, पावर कारपोरेशन का बढ़ता घाटा चिन्तनीय -ऊर्जा मन्त्री

प्रदेश के ऊर्जा मन्त्री श्री रामवीर उपाध्याय ने पावर कारपोरेशन के बढ़ते घाटे पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि समय रहते अधिकारी सचेत हो जायं, वरना उन्हें गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।

ऊर्जा मन्त्री ने आज यहां शक्ति भवन में राजस्व वसूली की समीक्षा के दौरान कहा कि निगम का घाटा 22 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो यह दशाZता है कि बार-बार निर्देश दिये जाने के बावजूद अधिकारी अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिसम्बर माह में मात्र 1172 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली हुई है जबकि लक्ष्य 1542 करोड़ रुपये निर्धारित था। उन्होंने कहा कि राजस्व वसूली की यह गति क्षम्य नहीं है। अधिकारी राजस्व वसूली में वृद्धि लाने के लिए और अधिक प्रयास करें।

ऊर्जा मन्त्री ने कहा कि उपभोक्ताओं को नये कनेक्शन जारी करने के साथ ही उसे लेजर में भी लायें। प्राय: यह िशकायत मिलती है कि नये कनेक्शन की रसीद तो काट दी जाती है, लेकिन उसे वशोZं तक लेजर में नहीं चढ़ाया जाता है जिससे ऐसे उपभोक्ताओं से बिजली बिल की वसूली नहीं हो पाती है जबकि वे बिजली का उपयोग करते रहते हैं। उन्होंने सभी मुख्य अभियन्ताओं को निर्देश दिये कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में 31 जनवरी तक नये कनेक्शनों को लेजर में अंकित करा दें। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी के बाद विजिलेंस टीम द्वारा किसी भी समय अवर अभियन्ताओं की रसीद बुकों की चेकिंग की जा सकती है और चेकिंग के समय यदि यह पाया जायेगा कि

रसीद बुकों के आधार पर लेजराइजेशन नहीं किया गया है तो सम्बंधित जे0ई0 के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी।

विद्युत चोरी पर प्रभावी अंकुश लगाने के सम्बंध में ऊर्जा मन्त्री ने कहा कि अधिकारी स्वयं क्षेत्र में निकलें और बड़े उपभोक्ताओं के यहां चेकिंग करें। जिन क्षेत्रों में लाइन हानियां जयादा हैं, ऐसे क्षेत्रों की गहन चेकिंग की जाय।

अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक श्री नवनीत सहगल ने निर्देश दिए कि सभी अभियन्ता अपने-अपने क्षेत्रों में पुराने लिम्बत स्थायी विच्छेदन (पी.डी.) के सभी मामले हर हालत में 28 फरवरी तक समाप्त कर दें। इसके साथ ही पी.डी. वाले कनेक्शनों की बिलिंग तत्काल बन्द करें। उन्होंने कहा कि पी.डी.वाले कनेक्शनों के बिलिंग नहीं बन्द करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी।

बैठक में संयुक्त प्रबन्ध निदेशक श्री धीरज साहू, अपर पुलिस महानिदेशक (विजिलेंस) श्री शैलजा कान्त मिश्र निदेशक वित्त श्री एस0के0अग्रवाल, निदेशक कार्मिक श्री नन्दलाल, निदेशक वितरण श्री जवाहर लाल के अलावा डिस्कामों के प्रबन्ध निदेशक एवं क्षेत्रीय मुख्य अभियन्ता उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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लिम्बत प्रकरण पर तत्काल कार्यवाही की जाये

Posted on 13 January 2011 by admin

न्यायालयों के स्थगन आदेश से आच्छादित प्रकरणों के अतिरिक्त अन्य वन भूमि खाली करवाई जाये। इसके साथ ही वन क्षेत्र की जमीन पर नया अतिक्रमण न होने पाये।

यह निर्देश वन एवं जन्तु उद्यान मन्त्री ने गत दिवस वन विभाग के अधिकारियों की बैठक में दिये। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में लिम्बत वादों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित किये जाने की कार्यवाही की जाये तथा क्षेत्रीय स्तर पर लिम्बत 52 प्रकरणों पर तत्काल कार्यवाही की जाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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गन्ना क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए अधिकारी किसानों को प्रोत्साहित करें

Posted on 13 January 2011 by admin

घटतौली में लिप्त क्रय केन्द्रों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करें

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग श्री संजय अग्रवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि आगामी पेराई सत्र में गन्ना क्षेत्रफल बढ़ाने की दिशा में प्रभावी कदम उठायें। साथ ही किसानों को मिश्रित खेती के लिए भी प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि गन्ना घटतौली में लिप्त गन्ना क्रय केन्द्रों को चििन्हत कर उनके विरूद्ध ठोस एवं प्रभावी कार्यवाही की जाये।

श्री अग्रवाल ने कहा कि अधिकारी ऐसी रणनीति बनायें जिससे आगामी पेराई सत्र में गन्ना बुवाई के क्षेत्रफल में वृद्धि हो सके। उन्होंने कहा कि अधिकारी यह भी सुनििश्चत करें कि किसानों को प्रोत्साहित कर आगामी सीजन में कम से कम दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मिश्रित खेती की जा सकें। उन्होंने कहा कि मिश्रित खेती करने वाले गन्ना किसानों को समितियों के माध्यम से कृशि विभाग द्वारा इन्सेंटिव भी दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि घटतौली के विरूद्ध पूरी सजगता से नियमित छापामार अभियान जारी रखें। उन्होंने कहा किसी भी स्तर पर गन्ना किसानों का शोशण बर्दाश्त नहीं होगा।

प्रमुख सचिव ने कहा कि सभी चीनी मिलों को अपनी वेबसाइट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये। अब तक 113 चीनी मिलों की वेबसाइट पर 74.81 प्रतिशत गन्ना किसानों के मोबाइल संकलित किये जा चुके है, जिनके द्वारा किसानों को पर्ची, तौल व भुगतान आदि के लिए एस.एम.एस. के सूचना भेजी जा रही है। दिसम्बर माह के अन्त तक घटतौली रोकने के लिए मारी गई छापेमारी में 398 सामान्य प्रकृति के मामले पकड़े गये। इसी प्रकार 129 गम्भीर प्रकृति के मामलों के साथ ही 249 मामलों में नोटिस जारी किये गये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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आवासीय भूमि पर शत-प्रतिशत कब्जे दिलाये गये

Posted on 13 January 2011 by admin

आवासीय भूमि से अवैध कब्जे दारों को हटाकर वास्तविक पट्टेदारों को कब्जा दिलाये जाने की योजना के तहत प्रदेश में, माह दिसम्बर 2010 तक निर्धारित लक्ष्य 4562 कब्जों के सापेक्ष शत-प्रतिशत कब्जे दिलाये गये।

राजस्व विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार अलीगढ़ मण्डल में 439, आगरा मण्डल में 141, आजमगढ मण्डल में 78, इलाहाबाद मण्डल में़ 141, कानपुर मण्डल में 125, गोरखपुर मण्डल में 114, चित्रकूट मण्डल में 70, झांसी मण्डल में 36, देवीपाटन मण्डल में 422, फैजाबाद मण्डल में 765, बरेली मण्डल में 158, बस्ती मण्डल में 250, मेरठ मण्डल में 482, मुरादाबाद मण्डल में 165, विध्यांचल मण्डल में 192, लखनऊ मण्डल में 423, वाराणसी मण्डल में 561 एवं सहारनपुर मण्डल में 150 कब्जेदारों को कब्जा दिलाया गया।

इसके अतिरिक्त अवैध कब्जे दारों में से 32 के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई तथा 38 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सहारा वन अपने प्रसारण समय का विस्तार

Posted on 13 January 2011 by admin

आगामी 24 जनवरी से सहारा वन अपने प्रसारण समय का विस्तार करने जा रहा है। शाम 7.30 बजे से लेकर रात 11.30 बजे तक इस चैनल पर मनोरंजन निरन्तर रूप से चलता रहेगा।

ज्ञातव्य है कि सहारा वन टेलीविजन विगत कुछ महीनों से निरन्तर वृद्धि के पथ पर अग्रसर है। वशZ 2010 की अन्तिम तिमाही में चैनल ने ो नये कार्यक्रमों गंगा की धीज और हमारी बेटी राज करेगी को लॉन्च किया। यह दोनों कार्यक्रम जल्दी ही दशZकों से जुड़ गए और इन्होंने सहारा वन की जीआरपी में उल्लेखनीय योगदान दिया। इस सफलता का उत्सव मनाते हुए अपने दशZकों से प्राप्त प्रतिसाद का स्वागत कर सहारा वन दो और नये कार्यक्रम लॉन्च करने जा रहा है।

सहारा इण्डिया कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन्स, लखनऊ के सूत्रों के अनुसार 24 जनवरी से सहारावन पर दो नये शो का प्रसारण प्रारंभ होने जा रहा है। ये दो नये शो हाय पड़ोसी और रिश्तों के भंवर में उलझी… नियति। हाय पड़ोसी एक कॉमेडी शो है, जबकि रिश्तों के भंवर में उलझी…. नियति एक भावनात्मक कहानी है। इन दोनेां नये शो का प्रसारण प्रारंभ होने के बाद इस चैनल का प्राइम टाइम प्रसारण एक नयी ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। इसके साथ ही सहारा वन अपने प्राइम टाइम कार्यक्रमों को शुक्रवार तक के लिए विस्तारित कर रहा है, ताकि साप्ताहिक प्रसारण स्थायी रहे। जितने भी प्राइम टाइम कार्यक्रम सप्ताह में चार दिन (सोमवार से गुरूवार) प्रसारित हो रहे थे, वे अब सोमवार से शुक्रवार तक, अर्थात पांच दिन प्रति सप्ताह प्रसारित होंगे।

उल्लेखनीय है वर्तमान परिदृश्य में सामान्य मनोरंजन चैनलों के बीच कड़ी प्रतिस्पद्धाZ है, इसलिए अपने ब्राण्ड को लोकप्रिय बनाये रखना आवश्यक है। अपने दशZकों के लिए विविधतापूर्ण कार्यक्रमों की प्रस्तुति इसी दिशा में सहारा वन का एक प्रयास है। सहारा वन अपनी पुरानी रौनक में लौट आया है और लगातार वृद्धि कर रहा है तथा इस बार भी इसके लिए यह सर्वश्रेश्ठ प्रस्तुति का समय है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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और नही अब और नहीं

Posted on 13 January 2011 by admin

यह बात इस ओर संकेत करती है कि चाहे जो भी कारण हो, कमी हो अथवा दोष हो अब सजा पर्याप्त मिल चुकी है और सजा की आवश्यकता नहीं है। यह बात शिक्षक व विद्यार्थी, बाप व बेटा, सिपाही और चोर के बीच सुनाई पड़ती है। होमवर्क न करने पर विद्यार्थी को शिक्षक द्वारा मार पड़ती है घर में शिकायत पहुंचने पर पापा द्वारा बेटे को मार पड़ती है तब मम्मी कहती है अब बस कीजिए अब और नहीं लेकिन यहां पर न शिक्षक, बाप, बेटा, पुलिस व चोर इस बात को कह रहे हैं बल्कि पूरा का पूरा समाज गांव, कस्बों, नगरों, शहरों में पान की दुकान से लेकर घर के कीचन तक मंहगाई की मार अब और नहीं सही जाती कह रहा है। बढ़ती मंहगाई के विरूद्ध आमजन का यह शोर सरकार नहीं सुन रही है। सरकारी नियत का यह खोट अब वोट की चोट मांग रहा है। सत्तारूढ नेताओं, नौकरशाहों और बड़े पूंजीपतियों को छोड़ दें तो भारत के लोग मंहगाई की मार से रो रहे हैं। इस भ्रष्ट व्यवस्था में दम तोड़ रहे हैं चीजों की गुणवत्ता की बात तो पहले ही सोचना छोड़ दिया था मिलावटी सामान बाजारों में खरीदने को मजबूर थे अब तो दाम आसमान छू रहे हैं। यूपीए-2 की पूरी सरकार सरकार से ऊपर श्रीमती सोनिया गांधी उनके पुत्र राहुल गांधी भी मंहगाई काबू में करेंगे इस प्रकार के बयान टीवी चैनलों व अखबारों में देते रहते हैं। किसी भी प्रकार की अति की गति बड़ी दुखदाई होती है। अधिक रिसाव, भटकाव, भेदभाव, अलगाव व झूठे वादों से भरमाओं आदि हानिकारक होता है। कांग्रेस पार्टी के 125 वर्ष के ढांचे से मंहगाई की पीड़ा फूटकर रिस रही है। कोरे व थोथे वादे करने की सरकारी झूठ सुनते-सुनते जनता के सब्र का बॉंध टूटने लगा है। किसान (उत्पादक) और ग्राहक (खरीददार) लूट रहा है। जो पैदा करे वह भी दुखी जो खरीदे खाये वह भी दुखी तो बीच वाला (बिचौलिया) सदा सुखी चाहे वह आढ़ती हो, नौकरशाह हो, सरकार हो सब मौज में हैं। आम आदमी के लिये आज का जीवन जीना किसी सजा से कम नहीं रह गया है। रोटी, कपड़ा, मकान, चिकित्सा, शिक्षा व सुरक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकतायें देने में सरकारें फेल साबित हो रही हैं। मंहगाई की पापूलरिटी ने कांग्रेस आई की पापूलरिटी घटाई है। मंहगाई की चर्चा में कांग्रेस हमेशा तर्क देती है कि उसकी सरकार ने कृषि उपज का न्यूनतम मूल्य बढ़ाया है इस कारण थोड़ी सी मंहगाई लाजमी है। यह सफेद झूठ हेै पिछले 6 सालों में कृषि के लागत मूल्यों में बेतहासा बढ़ोत्तरी हो रही हैं। बीज, खाद, दवा, बिजली, डीजल सब मंहगे हुये हैं। सरकार कीमतों को काबू में करने के लिये देशवासियों से ही नहीं प्रवासी भारतियों से भी सच नहीं बोल रही हेै। नई दिल्ली में आयोजित छत्प् सम्मेलन में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह व वित्त मन्त्री प्रणव मुखर्जी ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुये मोैजूदा मंहगाई की वजह आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज और सामान की कीमतों में वैश्विक स्तर पर बढ़ोत्तरी को बताया। प्रधानमन्त्री ने देश में विकास की दर को दो अंकों के लक्ष्य तक ले जाने का दावा किया। प्रवासियों के बीच आर्थिक आंकड़े पेश करते हुये दोनों नेता इस बात का बखूबी ख्याल रख रहे थे कि लगातार बढ़ती मंहगाई पर काबू पाने में सरकार की नाकामी के मद्दे नज़र कोई भी दावा विरोधाभास बनकर सामने न आ जाय। सरकार को यह अहसास खूब है कि मंहगाई पर काबू पाने में उसकी नाकामी उसके दावों की हवा निकाल रही है। जच्चा बच्चा, कच्चे पक्के चाहे किसी से सब बिना पूछे ही कहते मिलेंगे मंहगाई के लिये यूपीए-2 सरकार जिम्मेदार है। गृह मन्त्री चिदम्बरम साहब कहते हैं सरकार के पास मंहगाई रोकने के पर्याप्त उपाय नहीं हैं। मंहगाई से बढ़कर और क्या टैक्स हो सकता है। सवाल उठता है कीमते काबू में कैसे आयें उसके लिये सरकार को आकड़ों का खेल और गैर जिम्मेदार बयानबाजी तुरन्त बन्द करनी चाहिए। मंहगाई को रोकने की वर्तमान असफल नीति में आमूल चूल परिर्वतन करना चाहिए सत्ताधारियों में दृढ इच्छाशक्ति का होना बेहद जरूरी है। मौजूदा कानून को तत्काल बदल देना चाहिए। कमीशनखोरों के गोदामों पर छापों की कारवाई बढ़नी चाहिए। प्रभु की कृपा से भारत पर प्रकृति मेहनबान है हमारा उत्पादन बढ़ा है घटा नहीे है। सरकारी गोदामों में गेहंूं के भण्डार भरे पड़े हैं, अनाज को रखने की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण अनाज सड़ जा रहा है। एक तरफ गरीब भूखमरी से मर रहा है वहीं दूसरी ओर अनाज न बट पाने के कारण सड़ रहा है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि एवं खाद्य मन्त्री शरद पवार को तत्काल अनाज गरीबों में बांटने को कहा था। मा0 मन्त्री ने न्यायालय के सुझाव पर अमल करने में असमर्थता जताई। तब मा0 न्यायालय को कड़ी फटकार लगानी पड़ी। उसके बाद मन्त्री जी के मान पर जूं रेंगी। सरकार के मन्त्री कहते हैं कि मंहगाई रोकना राज्य सरकारों का काम है। लोग ज्यादा खाने लगे हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि 2008 में मिस्र, कैमरून और हैती देशों में खाने को लेकर दंगे हो चुके हैं। हमारे देश की हालत बेहद खस्ता है कुछ मण्डियों में प्याज की कीमत 89प्रतिशत और सब्जियों में 59 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज हो चुकी है। मौसमी फल 20 प्रतिशत, दूध का मूल्य 19 प्रतिशत बढ़ गये हैं। मात्र 7 साल पहले राजग सरकार के जब अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमन्त्री थे तथा राजनाथ सिंह कृषि मन्त्री थे उस समय चीजों के जो दाम थे वह आज तीगुना-चौगुना हो चुके हैं। जैसे -

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यह प्रमाणित है कि अटल सरकार ने जनता के हितों को ध्यान में रखते हुये  6 वषोZ तक मंहगाई को बढ़ने से रोका वहीं यूपीए-2 मनमोहन सरकार ने 6 वषोZ में महंगाई से जनता की कमर तोड़ दी।

नरेन्द्र सिंह राणा - लेखक, पावर लििफ्टंग के अन्तर्राष्ट्रीय कोच रहे हैं
लखनऊ, मो0 9415013300

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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अबुलफजल जन्म दिवस (14 जनवरी 1551 ई.) पर विशेश

Posted on 13 January 2011 by admin

abulphajal-akbarnamaअकबर के नवरत्नों में शीशZ पर रहे महान रचनाकार कुशल शासक के साथ युद्ध कौशल में महारत हासिल करने के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में उतारने वाले अबुलफजल हमेशा याद आते रहेंगे। भारतीय दशZन को पूरी तरह अपने में आत्मसात करके धर्मनिरपेक्षता का पाठ हकीकत की दुनिया में लाने वाले महान विचारक अबुलफजल को इतिहास के पन्नों में विसरा देने की साजिश का ही परिणाम है कि आज देश धार्मिक कटरता की आग में झुलसने के लिये विवश है। शेख अबुलफजल की तुलना हम भले ही कौटिल्य विश्णुगुप्त के समतुल्य ना करें फिर भी सकते है कि जिस तरह  कौटिल्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन के रूप में भारत को एकताबद्ध समृद्ध बनाने की कोिशश की यही काम अबुलफजल ने अकबर के समय भी  किया था।

अबुलफजल ने तत्कालीन समय भारत को एकता की डोर में बांधने  की कोिशश की थी जिस वक्त  धर्म के नाम पर होते खूनी जंग का मैदान भारत भूमि बना हुआ था। अबुलफजल का जन्म आज से 460 वशZ पहले 14 जनवरी 1551 ई0 में आगरा के जमुना पार रामबाग में हुआ था। पिता शेख मुबारक अद्वितीय विद्धान और अत्यन्त उदार विचारों के समर्थक थे। इस कारण तत्कालीन मुल्ले उन्हें काफिर कहकर हर तरह की तकलीफ देते रहते थे, क्योंकि उनकी धारणा थी कि वे सामवादी सय्यद मोहम्मद जौनपुरी का अनुयायी है, कभी िशया और नास्तिक कहते थे। इस कारण अबुलफजल का बपचन जद्दोजहद में बीता।  अपने जीवन की कुछ बाते अकबरनामा में अबुलफजल ने इस तरह लिखी हैं- “बरस-सवा-बरस की उमर में भगवान ने मेहरबानी की और मैं साफ बातें करने लगा। पांच वशZ का था, कि दैवने प्रतिभा खिड़की खोल दी। ऐसी बातेें समझमें आने लगीं, जो औरों को नसीब नहीं होती। 15 वशZ की उमर में पूज्य पिता की विद्यानिधिका खजांची और तत्तवरत्न का पहरेदार हो गया, निधिपर पांव जमा कर बैठ गया। िशक्षा की बातों से सदा दिल मुरझाता था और दुनिया के खटकामों से मन कोसों भागता था। प्राय: कुछ समझ ही नहीं पाता था। पिता अपने ढंग से विद्या और बुद्धि के मन्त्र फूंकते थे। हरेक विशय पर एक पुस्तक लिख कर याद करवाते। यद्यपि ज्ञान बढ़ता था, पर वह दिलको न लगाता था। कभी तो जरा भी समझमें न आता था और कभी सन्देह रास्ते को रोक लेते थे, वाणी मदद न करती थी, रूकावट हलका बनादेती थी। मैं भाशण का भी पहलवान था पर जबान खोल न सकता था। लोगों के सामने मेरे आंसू निकल पड़ते थे, अपने को स्वयं धिक्कारता था। … जिन्हें विद्वान! कहा जाता था, उन्हें मैने बेइन्साफ पाया, इसलिये मन चाहता था, कि अकेले में रहूं, कही भाग जाऊं। दिन को मदरसा में बुद्धि के प्रकाश में रहता,रात को निर्जन खण्डहरों में भागता।… इसी बीच एक सहपाटी से स्नहे हो गया, जिसके कारण मदरसे की ओर फिर आकशZण बढ़ा।´´ ज्ञान अर्जन के बाद अबुलफजल अपने हुनर के बल पर बादशाह अकबर के निकट आया और उनका प्रधानमन्त्री बना।

अबुलफजल का धर्म
अबुलफजल धर्म मानव-धर्म था। वह मानवताको धर्मो के अनुसार बांटने के लिये तैयार नही थे। हिन्दू, मुसलमान, पारसी, ईसाई, उनके लिये सब बराबर थे। बादशाह का भी यही मजहब था। जब लोगों ने ईसाई इंजीलकी तारीफ की, तो उसने शाहजादा मुराद को इंजील पढ़ने के लिये बैठा दिया और अबुलफजल तर्जुमा करने के लिये नियुक्त किये गये। गुजरात से अग्निपूजक पारसी अकबर में पहुंचे। उन्होंने जर्थुस्तके धर्म की बातें बतलाते आग की पूजा की महिमा गाई। फिर क्या था, अबुलफजल को हुक्म हुआ-“जिस तरह ईरान में अग्नि-मिन्दर बराबर प्रज्वलित रहते हैं, यहां भी उसी तरह हो। दिन-रात अग्निको प्रज्वलित रक्खों। आग तो भगवान के प्रकाश की ही एक किरण है। अग्नि पूजा में हिन्दू भी शामिल थे, इसलिये उन्होंने इसकी पुिश्ट की होगी, इसमें सन्देह नहीं। जब शेख मुबारक मर गये, तो अबुलफजल ने अपने भाइयों के साथ भद्र (मुण्डन) करवाया। अकबर ने खुद मरियम मकानी के मरने पर भद्र कराया था। लोगों ने समझा दिया था, कि यह रम्स हिन्दुओं मेें ही नहीं, बल्कि तुर्क सुल्तानों में भी थी। यही वह बातें थी, जिनके कारण कट्टर मुसलमान अबुलफजल को काफिर कहते थे। पर, न वह काफिर थे और न ईश्वर से इन्कार करने वाले। रात के वक्त वह सन्तों-फकीरों की सेवा में जाते और उनके चरणों मेें अशफिZयां भेंट करते। बादशाह ने कश्मीर में एक विशाल इमारत बनवाई थी, जिसमें हिन्दू, मुसलमान सभ आकर पूजा-प्रार्थना करते। अबुलफजल ने इसके लिये वाक्य लिखा था-
“इलाही, ब-हर खाना कि भी निगरम्, जोयाय-तू अन्द। व ब-हर जबां कि मी शुनवम्, गोयाय तू।´´ (हे अल्ला, मैं जिस घर पर भी निगाह करता हूं, सभी तेरी ही तलाश में है और जो भी जबान मैं सुनता हूं, वह तेरी बात करती हैं।) यह भी लिखा-
“इै खाना ब-नीयते इै तलाफे-कलूब मोहिदाने-हिन्दोस्तान व खसूसन् माबूद्परिस्तान अर्सये-कश्मीर तामीर याफ्ता।´´ (यह घर हिन्दुस्तान के एकेश्वरवादियों, विशेशकर कश्मीर के भगवत्-पूजा के लिये बनाया गया।)
अबुलफजल यदि आज पैदा हुए होते, तो वह निश्चय ही अल्ला और ईश्वर से नाता तोड़ देते। पर, अपने समय में वह यहां तक नही पहुंच सके थे। वह इतना ही चाहते थे, कि सभी मनुश्य आपसी भेद-भाव को छोड़ कर अपने-अपने ढंग से भगवान् की पूजा करें।

अबुलफजल कलम ही नही तलवार का भी धनी था। अकबर के कहने पर दक्षिण में विद्रोह दबाने तथा असीरगढ़ तथा अहमद नगर की आसाधरण विजय का सहरा अबुलफजल के नेतृत्व को जाता है। लेकिन सन् 1602 ई0 19 अगस्त को आगरा की ओर लौटते समय अन्तरी के पास ओरछा के राजा नर्ससिंह देव का बेटा मधुकर बुन्देला ने बगावत करके अबुलफजल का सिर काटकर शहजादा सलीम उर्फ जहांगीर को पेश किया। बुन्देला मधुकर शाह के क्रूर हाथों ने मानवता के उस पुजारी को असमय ही मौत की नीन्द सुलाकर हिन्दुस्तान से धर्मनिZपेक्षता की ज्योति को बुझा दिया। ग्वालियर से 5-6 कोस पर स्थित इस छोटे से कस्बे मेें आज भी हमारे इतिहास का महान राजनैतिक परमदेश भक्त और धर्मिनिपेक्षता की जीती जागती मिशाल गुमनामी में सो रही है। अकबर ने अबुलफजल की मौत पर अफशोस करते हुये कहा था “हाय, हाय शेखूजी, बादशाहत लेनी थी मुझे मारना था तो शेख को क्यों मारा´´ अकबर सलीम को शेखूजी कहता था।

कृतियां
अबुलफजल अगर और कुछ न करते और केवल अपनी लेखनी को ही चला कर चले गये होते, तो भी वह एक अमर साहित्यकार माने जाते। उन्होंने कई विशाल और अत्यन्त महत्वपूर्ण गं्रथ लिखे हैं, जो आज भी हमें उनके काल और विचारों के बारे में बहुत-सी बातें बतलाते मार्ग-प्रदशZन करते है। “अकबरनामा´´ और “आईनेअकबरी´´ उनके अमर ग्रन्थ हैं।

1. आईनअकबरी- “अकबरनामा´´ को उन्हेांने तीन खण्डों में लिखा। इसके पहिले दूसरे खण्ड ही “आईनअकबरी हैं पहले खण्ड में तैमूर के वंश का संक्षेप में, बाबर का उससे अधिक, हुमायंू का उससे भी विस्तृत वर्णन है। फिर अकबर के पहले 17 साल (1556-73 ई0) तक का हाल है। अकबर के 30 वशZ के होने तक की बातें इसमें आई है। दूसरे खण्ड में अकबर के राज्य संवत्सर (सनजलूस) 18 से 46 (1574-1602 ई0) की बातें है। अबुलफजलकी मृत्यु के तीन साल बाद अकबर का देहान्त हुआ। इस वक्त की घटनायें “तारीख अकबरी´´ में है। पहले खण्ड की भूमिका देहान्त हुआ। इस वक्त की घटनायें “तारीख अकबरी´´ में है। पहले खण्ड की भूमिका में अबुल फजल ने लिखा है- “मैं हिन्दी हूं, फारसी में लिखना मेरा काम नही हैं। बड़े भाई के भरोसे यह काम शुरू किया था( पर अफसोस, थोड़ा ही लिखा था, कि उनका देहान्त हो गया सिर्फ दस साल का हाल उन्होंने देख पाया था।´´

2. अकबरनामा -“अकबरनामा´´ ही इसका तीसरा खण्ड है, जिसे अबुलफजल ने 1597-98 ई (हिजरी 1006) में समाप्त किया था। यह एक ऐसी किताब है, जिसकी जरूरत अंग्रेजों ने 19वीं सदी के अन्त में महसूस की और अनेक गजेटियर लिखे। अकबर सल्तनत का यह विशाल गजेटियर है। इसमें हरेक सूबे, सरकार (जिला) परग ने का विस्तृत वर्णन और आंकड़े दिये गये है। उनके क्षेत्रफल, उनका इतिहास, पैदावार, आमदनी-खर्च, प्रसिद्ध स्थान, प्रसिद्ध नदियां-नहरें-नाले-चश्में, लाल-नुकसान का उल्लेख है। सैनिक-असैनिक प्रबन्न्ध, अमीरों और उनके दजोZ की सूची, विद्वानों, पण्डितों, कलाकारों, दस्ताकारों, सन्त-फकीरों,़़़़ मिन्दरों-मिस्जदों आदि की बातों को भ़्ाी नहीं छोड़ा गया है और साथ़्ा ही हिन्दुस्तान के लोगों के धर्म विश्वास और रीतिरवाज भी जिक्र किया है। जिस चीज की महत्ता को 19वीं सदी में अंग्रेजों ने समझा, उसे अबुल फजल ने साढ़े तीन सौ वशZ पहले समझकर लिख डाला। “अकबरनामा´´ में अबुलफजल अलंकारिक भाशा इस्तेमाल करते हैं, पर “आईन´´ में उनकी भाशा प्रभावशाली होते भी बहुत सीधी-सादी हो जाती है। दोनों पुस्तकें बहुत विशाल है। (अबुलफजल की हरेक कृतियों का हिन्दी में अनुवाद होना आवश्यक है।)

3. मुकातिबाते अल्लामी- अबुलफजलको अल्लामी (महान पण्डित) कहा जाता था। इस पुस्तक में उनके पत्रों संग्रह है। इसके तीन खण्ड है। पहले खण्ड में वे पत्र हैं, जिन्हें अकबर ने ईरान और तूरान (तुिर्कस्तान) के बादशाहों के नाम पर अबुलफजल से लिखवायें थे। इसी में बादशाही फरमान भी दर्ज है। समरकन्द का शासक उज्बक सुल्तान अब्दुल्ला बहुत ही प्रतापी खान और अकबर का खानदानी दुश्मन भी था। वह कहता था -“अकरब की तलवार तो नही देखी, लेकिन मुझे अबुलफजल की कलम से डर लगता है।´´ दूसरे खण्ड मेें अबुलफजल के अपने खत हैं, जो दरबार के अमीरों, अपने मित्रों और सम्बन्धियों को उन्होने लिखे। तीसरे खण्ड में उन्होंने पुराने ग्रन्थकारों की पुस्तकों के ऊपर अपने विचार प्रकट किये है। इसे साहित्यिक समालोचना कह सकते है।

4. ऐयारेदानिश-पंचतन्त्र अपने गुणों के लिये दुनिया में मशहूर है। छठी सदी में नौशेरखां इसका अनुवाद पहलवी भाशा में कराया था। अब्बासी खलीफों के जमाने में इसे अरबी में किया गया। सामानियों समय फारसी महान तथा आदिकवि रूदी की ने उसे पद्यबद्ध किया। मुल्ला हुसेन वायज़ने फारसी में करके इसका हिन्दुस्तान में प्रचार किया। अकबर उसे सुना। जब मालूम हुआ कि मूल संस्कृत पुस्तक अब भी मौजद है, तो कहा-कि घर की चीज है, सीधे क्यां न अनुवाद करो। अबुल फजलने इस पुस्तक को “ऐयारेदानिश´´ के नाम से सन् 1587-88 ई0 (हिजरी 996) में समाप्त किया। मुल्ला बदायूंनी इसको भी लेकर अकबर पर आज्ञेप किये बिना नहीं रहे और कहते है: इस्लाम की हर बात से उसे घृणा है, हर इल्म (शास्त्र) से बेजारी है। जबान भी पसन्द नहीं, हरफ भी प्रिय नहीं। मुल्ला हुसेन वायजने कलीलादमना (करकट दमनक) का तर्जुमा “अनवार सुहेली´´ कैसा अच्छा किया था। अब अबुलफजल को हुक्म हुआ, कि इसे साधारण साफ नंगी फारसी में लिखें, जिसमें उपमा अतिशयोक्ति भी न हो, अरबी वाक्य भी न हो।

5. रुकआते-अबुलफजल- यह अबुलफजल के रुक्कों (लघु-पत्रों) का संग्रह है। इसमेें 46 रुक्कों रूप में बहुत सी ऐतिहासिक, भौगोलिक और दूसरी महत्व की बातें सीधी-सादी भाशा में दर्ज हैं। जिनके नाम रुक्के लिखे गये हैं, उनमें कुछ हैं- अब्दुला खान, दानियाल, अकबर, मरियम मकानी (अकबर की मां), शेख मुबारक, फौजी, उर्फ, (मार्सिया फैजी)।

6. कश्कोल- कश्कोल फकीरों के भिज्ञा-पात्र को कहते है, जिसमें वह हर घर से मिलने वाले पुलाव, भुने चने, रोटी, दाल, सूखा तर रोटी का टुकड़ा, मिट्टा-सलोना-खट्टा कड़वा सभी कुछ डाल लेते है। अबुलफजल जो भी सुभाशित सुनते, उन्हें जमा करते जाते। इसको ही कश्कोल नाम दिया गया। इसे देखने से अबुलफजल की रुचिका पता लगता है।

आभार- इस आलेख लेखन में राहुल सांकृत्यायन लिखित पुस्तक अकबर के अंश का समावेश किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0: 9415508695

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सरकारी आकड़े के अनुसार 768 लोगों ने ठण्ड के कारण दम तोड़ा

Posted on 13 January 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सत्यदेव सिंह ने प्रदेश में ठण्ड से हो रही मौतों के लिए बसपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुये मुख्यमन्त्री से सवाल किया कि एक सप्ताह में सरकारी आकड़े के अनुसार 768 लोगों ने ठण्ड के कारण दम तोड़ा है। ठण्ड ने महामारी का रूप धारण कर लिया है। सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है कब तक गरीब ठण्ड से मरता रहेगा।

प्रदेश प्रवक्ता श्री सत्यदेव सिंह ने कहा कि एक ही प्रदेश के आंगन में जश्न और मातम मन रहा है। जहां मा0 मुख्यमन्त्री के दरबार में जन्म दिन की तैयारियों का जश्न मनाने का जोर है वहीं गरीबों के घरों में अपनों के खोने का मातम मन रहा है। प्रदेश में ठण्ड से हजारों की संख्या में मौते हुई हैं। सरकार आकड़े छुपा रही है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार की संवेदनहीनता का पता इस बात से चलाता है कि विधायक, मन्त्री, अधिकारी स्वयं मुख्यमन्त्री गरीबों को ठण्ड से बचाने में कतई गम्भीर नहीं है। जश्न पर होने वाले खर्च का एक चौथाई धन यदि गरीबों की दवा, कम्बल, खाद्य सामग्री आदि जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करने में सरकार लगा दें तो गरीबों को मरने से बचाया जा सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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