Posted on 29 September 2010 by admin
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* सभी वार्ड अध्यक्षों को सौंपी गई जिम्मेदारियां
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या प्रकरण के फैसले के मामले में 30 सितम्बर को निर्णय सुनाये जाने का आदेश दिये जाने के बाद जिले में उस दिन अमन-चैन कायम रखने के लिए जिला सुरक्षा संगठन की एक विशेष बैठक उसी दिन रात में बुलाई गई जिसमें यह रणनीति बनाई गई कि निर्णय आने के दिन संगठन के लोग अपनी-अपनी जिमेदारी किस तरह निभायेंगे।
इस मौके पर संगठन के संयोजक सुन्दरलाल टण्डन ने कहा कि निर्णय आने के एक दिन पूर्व ही हम सभी लोगों को अपनी गतिविधि ऐसी बना लेनी चाहिए कि 30 सितम्बर को आने वाले निर्णय के दिन पूरी तरह शान्ति से बीत जाये। उन्होंने आगे कहा कि अपने-अपने क्षेत्रों के संभ्रान्त लोगों से मिलकर अफवाहों से बचने के लिए अफवाहों को प्रभावहीन बनाने में जुटें।
संगठन के उपाध्यक्ष कमलनयन पाण्डेय ने कहा कि हमें विशेष रूप से दो बातों पर ध्यान देना होगा। पहला- अफवाहें न फैलने पाये। ऐसे मौके पर धार्मिक स्थलों को अवांछनीय तत्व अपमानित करने की कोशिश करेंगे। इन पर हम लोगों की नज़र होनी चाहिए। अपने-अपने वाडोZ में यह देख लें कि शरारती तत्व कौन हैं उन पर नज़र रखें। दूसरा- सन्देश व संवाद पर हम काम करेंगे। यदि निर्णय आने के बाद कोई वर्ग विरोध में कुछ करता है तो उसे समझाने की कोशिश करें। भीड़ के भड़कने पर संयम नहीं खोना चाहिए। आप स्वयं उनसे उलझें बल्कि इसकी जानकारी पुलिस को दें ताकि वह उनसे निपट
सके।
इस मौके पर संगठन के प्रवक्ता जाहिल सुलतानपुरी, डॉ. जैदी, राधेश्याम गुप्त, भुलईराम गुप्त, मो. अहमद, हाजी अशफाक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संगठन के महासचिव सरदार बलदेव सिंह ने मौजूद लोगों को फैसला आने के पूर्व से ही अपनी जिम्मेदारियांनिभाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि संगठन के सभी लोग संगठन के अपना परिचयपत्र साथ अवश्य रखेंगे।
इस बैठक में मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष नरेश माहेEरी, अरूण जायसवाल, अशोक अग्रवाल, मो. इलियास, रामचन्द्र गुप्ता, राम सागर गुप्ता, अब्दुल मन्नान, सत्य प्रकाश गुप्त, अशोक जायसवाल, डॉ. मकसूद सरदार, मो. जाहिद आदि मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com
Posted on 29 September 2010 by admin
भारत-पाकिस्तान के मध्य सन् 1971 को हुए युद्ध की पृश्ठभूमि एवं बांग्लादेश के प्रादुर्भाव पर लिखा गया कथाकार श्री महेन्द्र भीश्म का सद्य: प्रकािशत उपान्यास “जय हिन्द! की सेना´´ का लोकार्पण गांधी जयन्ती के दिन सांय तीन बजे मोती महल लॉन, लखनऊ में पुस्तक मेला के दौरान होने जा रहा है।
मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ पीठ में बेंच सेक्रेटरी महेन्द्र भीश्म के अब तक तीन कहानी संग्रह क्रमश: `तेरह करवटे´ (1986), `एक अग्रेशित-पत्र´ (2004) एवं `क्या कहेर्षोर्षो´ (2008) प्रकािशत व पुरस्कृत हो चुके हैं। आपकी कहानी `लालच´ में टेली फिल्म भी बन चुकी है। युद्ध की पृश्ठभूमि पर बहुत कम उपन्यास लिखे गए है, विशेशकर हिन्दी साहित्य में तो इनकी संख्या नगण्य है। ऐसी स्थिति में जहां श्री महेन्द्र भीश्म का यह उपन्यास महत्वपूर्ण बन जाता है, वही पाठकों के बीच विशेशकर हिन्दी साहित्य में इस उपन्यास का जोरदार स्वागत होना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 29 September 2010 by admin
प्रारिम्भक अनुमान के आधार पर 2175 करोड़ रूपये की सहायता
धनराशि हेतु मेमोरेण्डम दिनांक 27.09.2010 को भारत सरकार को
प्रेषित किया जा चुका है, जो उन्हें प्राप्त भी हो गया है
भारत सरकार बाढ़ की विभीषिका के
आंकलन के लिए तत्काल केन्द्रीय दल भेजे
उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने प्रधानमन्त्री जी को पत्र लिखकर बाढ़ प्रभावित जनपदों के लिए प्रारिम्भक अनुमान के आधार पर 2175 करोड़ रूपये की सहायता धनराशि तत्काल उपलब्ध कराने का पुन: अनुरोध किया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि बाढ़ का प्रभाव कम होने के उपरान्त वास्तविक क्षति का आंकलन करके केन्द्र को अपेक्षित धनराशि हेतु विस्तृत मेमोरेण्डम भेजा जायेगा। उन्होंने केन्द्र सरकार से प्रदेश में बाढ़ से हुई व्यापक क्षति के आंकलन के लिए तत्काल केन्द्रीय दल भेजने एवं सहायता धनराशि उपलब्ध कराने की भी मांग की है।
गौरतलब है कि माननीया मुख्यमन्त्री जी ने प्रदेश में बाढ़ से हुई व्यापक क्षति के आंकलन के लिए स्वयं गत 22 सितम्बर, 2010 को विस्तृत हवाई सर्वेक्षण एवं समीक्षा की थीं। उत्तराखण्ड के बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में हुई व्यापक तबाही को देखते हुए उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर केन्द्र सरकार से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए प्रथम चरण में तत्काल 1000 करोड़ रूपये तथा राज्य के अन्य जनपदों के लिए 1000 करोड़ रूपये अर्थात् कुल 2000 करोड़ रूपये की सहायता राशि उपलब्ध कराने का अनुरोध प्रधानमन्त्री जी को पत्र लिखकर किया था। आज लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि बाढ़ से हुई क्षति के प्रारिम्भक अनुमान के आधार पर 2175 करोड़ रूपये की सहायता धनराशि हेतु मेमोरेण्डम प्रमुख सचिव, राजस्व एवं राहत आयुक्त, उत्तर प्रदेश के पत्र दिनांक 27.09.2010 द्वारा संयुक्त सचिव, आपदा प्रबन्धन, गृह मन्त्रालय, भारत सरकार को प्रेषित किया जा चुका है, जो उन्हें प्राप्त भी हो गया है।
इसी क्रम में माननीया मुख्यमन्त्री जी ने प्रधानमन्त्री को पुन: पत्र लिखकर 2175 करोड़ रूपये तत्काल अवमुक्त करने का अनुरोध किया है। उन्होंने प्रदेश में बाढ़ से हुई व्यापक क्षति का हवाला देते हुए लिखा है कि माह जून से अब तक प्रदेश के 33 जनपदों के 5969 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जिसमें 2022 गांव तो पूरी तरह से पानी से घिर गये हैं। बाढ़ से हुई
जान-माल की हानि का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह भी लिखा है कि अब तक 96 लोगों की बाढ़ से तथा 330 व्यक्तियों की मकान आदि गिरने से मौत हुई है। इसके अलावा बड़ी संख्या में पशुओं की भी जनहानि हुई है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि बाढ़ के कारण 8.08 लाख हेक्टेअर बोई गई फसल नष्ट होने का अनुमान है और बड़ी संख्या में अवस्थापना सुविधाओं को भी क्षति पहुंची है। बाढ़ के कारण सड़कें, तटबन्ध, बिजली के खम्भे, तार आदि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में आवास भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। उन्होंने कहा है कि इनके पुननिZर्माण एवं मरम्मत की तत्काल आवश्यकता है।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वे राज्य में बाढ़ की विभीषिका के आंकलन के लिए
तत्काल केन्द्रीय दल भेजे। उन्होंने केन्द्र सरकार से तत्काल अपेक्षित धनराशि अवमुक्त करने का अनुरोध किया है, ताकि राहत एवं बचाव कार्यों को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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