Posted on 09 September 2010 by admin
लखनऊ - प्रदेश के लोक निर्माण एवं सिंचाई मन्त्री श्री नसीमुददीन सिद्दीकी कल दिनांक 10.09.2010 को पूर्वान्ह 9 बजे पण्डित गोविन्द बल्लभ पन्त जी के जन्म दिवस के अवसर पर विधान भवन स्थिति उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 09 September 2010 by admin
लखनऊ - लखनऊ प्राणी उद्यान की वन्य जीव अंगीकरण योजना के अन्तर्गत श्री एस0के0प्रसाद, महाप्रबधंक लखनऊ प्रोडयुसर्स को-आपरेटिव मिल्क यूनियन लि0 लखनऊ द्वारा लखनऊ प्राणी उद्यान के एक हिमालयन काला भालू, एक हुक्कू बन्दर तथा एक नीले पीले मकाऊ का अंगीकरण किया गया तथा इन वन्य जीवों के अंगीकरण हेतु 46071 रूपये चेक द्वारा लखनऊ प्राणी उद्यान को उपलब्ध कराये।
यह जानकारी लखनऊ प्राणी उद्यान की निदेशक रेणु सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त श्री रोहित कुमार (अक्षय) सम्पादक अक्षय सांस्कृतिक सेवा समिति अम्बेडकर नगर मवैया ऐशबाग लखनऊ द्वारा अक्षय कुमार फिल्म अभिनेता के जन्म दिवस अवसर पर एक रोजी पास्टर को अंगीकृत किया गया और इसके लिए 1175 रूपये चेक द्वारा लखनऊ प्राणी उद्यान को उपलब्ध कराया।
निदेशक प्राणि उद्यान ने कहा कि श्री एस0के0प्रसाद, महाप्रबंधक एवं श्री रोहित कुमार (अक्षय) सम्पादक का यह प्रयास अत्यन्त सराहनीय है एवं वन्य जीवों के प्रति उनका स्नेह प्रशंसनीय है। यह अंगीकरण अन्य लोगों को भी इस कार्य हेतु प्रेरित करेगा। वन्य जीवों के प्रति उनके स्नेह की प्रशंसा करते हुए लखनऊ प्राणी उद्यान वन्य जीवों को गोद लेने वाले महानुभावों एवं संस्थाओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 09 September 2010 by admin
भारत का सबसे धनी और संसार के सबसे धनी मंदिरों में आंध्रप्रदेश में तिरूपति नामक स्थान पर भगवान विष्णु (वैंकटेश) का मंदिर है। वैंकटेश भगवान को कलियुग में बालाजी नाम से भी जाना गया है। तमिल भाषा में तिरू अथवा थिरू शब्द का वही अर्थ है जो संस्कृत में श्री है। श्री शब्द, धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी के लिये प्रयुक्त होता है। तीर्थयात्रियों की संख्या की दृष्टि से रोम (वेटिकन), मक्का और जेरूसलम की तीर्थयात्रा करने वाले यात्रियों की तुलना में अधिक संख्या में श्रद्धालु तिरूपति बालाजी की तीर्थयात्रा प्रतिवर्ष करते हैं। तिरूपति देवस्थान बोर्ड में लगभग पच्चीस हजार कर्मचारी नियुक्त हैं। इस मंदिर में सर्वाधिक चढ़ावा आना अपने आपमें व्यक्त करता है कि जनसाधारण की मनोकामनाएं और कष्ट निवारण हेतु इसकी महत्ता स्वयंसिद्ध है। प्रसंगवश भारत में जनआस्था से जु़डे अन्य महत्वपूर्ण स्थान भी हैं जो क्रमश: चार धाम, बारह ज्योतिर्लिग, इक्यावन शक्तिपीठ, राम और कृष्ण की जन्मभूमि अयोध्या तथा मथुरा इत्यादि हैं। इनकी तुलना में चढ़ावा अधिक तिरूपति मंदिर को क्यों चढ़ाया जाता है? पौराणिक गाथाओं और परम्पराओं से जु़डा इतिहास इस प्रश्न का समाधान प्रस्तुत करता है। यह पौराणिक संक्षिप्त इतिहास यहां प्रस्तुत है-
प्रसिद्ध पौराणिक सागर-मंथन की गाथा के अनुसार जब सागर मंथन किया गया था तब कालकूट विष के अलावा चौदह रत्न निकले थे। इन रत्नों में से एक देवी लक्ष्मी भी थीं। लक्ष्मी के भव्य रूप और आकर्षण के फलस्वरूप सारे देवता, दैत्य और मनुष्य उनसे विवाह करने हेतु लालायित थे, किन्तु देवी लक्ष्मी को उन सबमें कोई न कोई कमी लगी। अत: उन्होंने समीप निरपेक्ष भाव से ख़डे हुए विष्णुजी के गले में वरमाला पहना दी। विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को अपने वक्ष पर स्थान दिया। यह रहस्यपूर्ण है कि विष्णुजी ने लक्ष्मीजी को अपने ह्वदय में स्थान क्यों नहीं दिया? महादेव शिवजी की जिस प्रकार पत्नी अथवा अर्द्धाग्नि पार्वती हैं, किन्तु उन्होंने अपने ह्वदयरूपी मानसरोवर में राजहंस राम को बसा रखा था उसी समानांतर आधार पर विष्णु के ह्वदय में संसार के पालन हेतु उत्तरदायित्व छिपा था। उस उत्तरदायित्व में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हो इसलिए संभवतया लक्ष्मीजी का निवास वक्षस्थल बना।
एक बार धरती पर विश्व कल्याण हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया। तब समस्या उठी कि यज्ञ का फल ब्रम्हा, विष्णु, महेश में से किसे अर्पित किया जाए। इनमें से सर्वाधिक उपयुक्त का चयन करने हेतु ऋषि भृगु को नियुक्त किया गया। भृगु ऋषि पहले ब्रम्हाजी और तत्पश्चात महेश के पास पहुंचे किन्तु उन्हें यज्ञ फल हेतु अनुपयुक्त पाया। अंत में वे विष्णुलोक पहुंचे। विष्णुजी शेष शय्या पर लेटे हुए थे और उनकी दृष्टि भृगु पर नहीं जा पाई। भृगु ऋषि ने आवेश में आकर विष्णु जी के वक्ष पर ठोकर मार दी। अपेक्षा के विपरीत विष्णु जी ने अत्यंत विनम्र होकर उनका पांव पक़ड लिया और नम्र वचन बोले- हे ऋषिवर! आपके कोमल पांव में चोट तो नहीं आई? विष्णुजी के व्यवहार से प्रसन्न भृगु ऋषि ने यज्ञफल का सर्वाधिक उपयुक्त पात्र विष्णुजी को घोषित किया। उस घटना की साक्षी विष्णुजी की पत्नी लक्ष्मीजी अत्यंत क्रुद्ध हो गई कि विष्णुजी का वक्ष स्थान तो उनका निवास स्थान है और वहां धरतीवासी भृगु को ठोकर लगाने का किसने अधिकार दिया? उन्हें विष्णुजी पर भी क्रोध आया कि उन्होंने भृगु को दंडित करने की अपेक्षा उनसे उल्टी क्षमा क्यों मांगी? परिणामस्वरूप लक्ष्मीजी विष्णुजी को त्याग कर चली गई। विष्णुजी ने उन्हें बहुत ढूंढा किन्तु वे नहीं मिलीं।
लक्ष्मीजी के भृगु ऋषि पर अव्यक्त क्रोध का परिणाम पौराणिक इतिहास से जाना जा सकता है जो कि भृगु के तीन प्रमुख वंशजों का है। यथा दैत्यगुरू शुक्राचार्य एक अवसर पर अपनी एक आंख फु़डवाकर काणे बन गए, ऋषि च्यवन धोखे से अपनी दोनों आंखें फु़डवाकर एक बार अंधे हो गए थे और अवतार परशुरामजी की अवमानना को राजा जनक के दरबार में शिवजी के धनुष भंग के अवसर पर सभी ने देखा था। अंतत: विष्णुजी ने लक्ष्मी को ढूंढते हुए धरती पर श्रीनिवास के नाम से जन्म लिया और संयोग से लक्ष्मी ने भी पद्मावती के रूप में जन्म लिया। घटनाचक्र ने उन दोनों का अंतत: परस्पर विवाह करवा दिया। सब देवताओं ने इस विवाह में भाग लिया और भृगु ऋषि ने आकर एक ओर लक्ष्मीजी से क्षमा मांगी तो साथ ही उन दोनों को आशीर्वाद प्रदान किया। लक्ष्मीजी ने भृगु ऋषि को क्षमा कर दिया किन्तु इस विवाह के अवसर पर एक अनहोनी घटना हुई। विवाह के उपलक्ष्य में लक्ष्मीजी को भेंट करने हेतु विष्णुजी ने कुबेर से धन उधार लिया जिसे वे कलियुग के समापन तक ब्याज सहित चुका देंगे। अत: जब भी कोई भक्त तिरूपति बालाजी के दर्शनार्थ जाकर कुछ चढ़ाता है तो वह न केवल अपनी श्रद्धा भक्ति अथवा आर्त प्रार्थना प्रस्तुत करता है अपितु भगवान विष्णु के ऊपर कुबेर के ऋण को चुकाने में सहायता भी करता है। अत: विष्णुजी अपने ऎसे भक्त को खाली हाथ वापस नहीं जाने देते हैं।
जिस नगर में यह मंदिर बना है उसका नाम तिरूपति है और नगर की जिस पह़ाडी पर मंदिर बना है उसे तिरूमला (श्री+मलय) कहते हैं। तिरूमला को वैंकट पह़ाडी अथवा शेषांचलम भी कहा जाता है। यह पह़ाडी सर्पाकार प्रतीत होती हैं जिसके सात चोटियां हैं जो आदि शेष के फनों की प्रतीक मानी जाती हैं। इन सात चोटियों के नाम क्रमश: शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरू़डाद्रि, अंजनाद्रि, वृषभाद्रि, नारायणाद्रि और वैंकटाद्रि हैं। यह मंदिर प्राचीन दक्षिण भारतीय वास्तु का अनुपम उदाहरण है। इस मंदिर को प्राचीनकाल से पल्लव, पांड्या, चोल, विजयनगर और मैसूर के शासकों का संरक्षण प्राप्त हो रहा है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष लगभग बीस हजार श्रद्धालु अपने केश कटवाकर भगवान को मनौती हेतु प्रस्तुत करते हैं। तिरूपति के लड्डूप्रसाद विश्व प्रसिद्ध हैं। यहां लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु तीर्थयात्री प्रतिदिन भोजन प्रसाद नि:शुल्क पाते हैं। तिरूपति के समीप अनेक मंदिर, उपासना स्थल तथा पर्यटन स्थल हैं। यथा-संत रामानुजाचार्य द्वारा 1130 ई. में बनवाया श्री गोविंदराज स्वामी मंदिर, कपिलेश्वर स्वामी मंदिर, देवी पदमावती मंदिर, श्री कल्याण वैंकटेश्वर स्वामी मंदिर, श्री कालहस्ती मंदिर और अगस्त्य स्वामी मंदिर इत्यादि हैं। आकाश गंगा, शिला तोरणम, स्वामी पुष्करणी (तालाब) और प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी चंद्रगिरि के पुरावशेष भी दर्शनीय हैं। मंदिर में दर्शनार्थियों की लंबी कतारें और देवदर्शन का आकर्षण आज भी लाखों श्रद्धालुओं को तिरूपति खींच लाता है।
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Vikas Sharma
Editor
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Posted on 09 September 2010 by admin
झांसी - बैंक भले ही लाख दावे करे मगर स्थिति एजुकेशन लोन की ठीक नहीं है। विदेशों में पढ़ाई करने वालों को भी लोन की व्यवस्था है, मगर अपने शहर में ऐसों का टोटा है। पढ़ाई के लिए ऋण मागने वालों की राह आसान होते नहीं दिख रही। बैंकों में तमाम औपचारिकताओं के बीच फँसे अधिकाश छात्रों के हाथ सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है। हालाकि बैंक ऋण देने के मामले में खुद को नरम बताते है, मगर रिकवरी की गारण्टी पर पूरी प्रक्रिया कहीं न कहीं फँस जाती है।
गौरतलब है कि इण्टरमीडिएट के बाद खास कर तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन का प्रावधान है। छात्र जहा का मूल निवासी हो, वहा के बैंक से ऋण ले सकता है। पढ़ाई पूरी होने के छह माह बाद या उससे पहले नौकरी लगते ही ऋण चुकाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है।
चार लाख रुपए से ज्यादा का एजुकेशन लोन लेने वालों को गारण्टी के रूप में सम्पत्ति दर्शाना होती है। हालाकि चार लाख से कम एजुकेशन लोन लेने वालों को गारण्टी दर्शाने की छूट दी जाती है, किन्तु लोन देने से पहले बैंक रिकवरी की सम्भावनाओं पर भी गौर करता है। मैरिट व पढ़ाई में तेज स्टूडेण्ट को इसमें छूट भी मिल जाती है। मसलन आईआईटी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित होने वाले छात्रों को औपचारिकताओं में छूट दी जाती है। इसके पीछे बैंकों को रिकवरी की पूरी उम्मीद की मानसिकता होती है। दूसरी ओर पढ़ाई में सुस्त स्टूडेण्ट को लोन देकर बैंक वाले रिस्क नहीं लेना चाहते।
बैंक लोन में पढ़ाई का पूरा खर्च समाहित होता है। इसमें ट्यूशन फीस के साथ ही कॉपी-किताब, एजुकेशन टूर, प्रोजेक्ट, हॉस्टल फीस जैसे सभी खर्चोü का वहन किया जाता है। ज्यादातर बैंकों द्वारा भारत में पढ़ाई के लिए अधिकतम14 लाख और विदेश में पढ़ाई के लिए बीस लाख के लोन की सीमा निर्धारित की गई है। छात्रों को राहत देने के मकसद से चार लाख तक का एजुकेशन लोन बिना किसी गारंटी के दे दिया जाता है, पर इससे ऊपर लोन प्राप्त करने के लिए लोन के बराबर की संपत्ती गारंटी के तौर पर बैंक के पास रखनी पड़ती है।
इनमें ब्याज की राशी भी काफी कम होती है। लोन की सुविधा मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, मेडीकल की पढ़ाई के साथ ही सामान्य पढ़ाई के लिए भी उपलब्ध कराई गई है। छात्र सामान्य कोर्सोü के लिए जरूरी दस से बीस हजार रूपये से लेकर बीस लाख तक का लोन ले सकते हैं। एजुकेशन लोन में चार लाख तक की राशी में कोई मार्जिन नहीं होता, जबिक इसके ऊपर 14 लाख तक की राशी में 15 फीसदी और बीस लाख तक की राशी में 25 फीसदी मार्जिन देना होता है।
किसका कितना लोन
बैंक - एकाउण्ट - राशी
1. पंजाब नेशनल बैंक-628- लगभग अठारह करोड़
2. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया-228-करीब साढ़े सात करोड़
3. इलाहाबाद बैंक-135 -एक करोड़ 54 लाख
4. एक्सेस बैंक-यहां बंद - इंदौर से स्पेशल केस
5. आईसीआईसीआई- पॉलसी नहीं-मुम्बई से स्पेशल केस
6. एचडीएफसी-यहां बंद-भोपाल से स्पेशल केस
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Vikas Sharma
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Posted on 09 September 2010 by admin
एक नए शोध में दावा किया गया है कि कम मात्रा में शराब पीने से इंसान ज्यादा जी सकते हैं। वैज्ञानिकों ने 20 साल चले इस शोध में लगभग 1,800 वयस्कों के शराब पीने की मात्रा और उनके जीवन के संबंध के बारे में अध्ययन किया। शोध से पता चला कि कम मात्रा में शराब या रोज एक से तीन ड्रिंक मृत्यु दर को उल्लेखनीय तौर पर कम करती है।
हालांकि शोध के लेखकों का मानना है कि कम मात्रा में शराब पीने के पहले जो फायदे गिनाए गए हैं, उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। इस शोध ने पुष्टि की है कि कम मात्रा में शराब और मृत्युदर के बीच संबंध होता है। शोध के परिणाम अल्कोहलिज्म : क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल रिसर्च के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित हुए हैं।
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Vikas Sharma
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Posted on 09 September 2010 by admin
विधायक के महिला मित्र के कथित प्रेम प्रसंग का मामला
सुल्तानपुर- समरीन बनाम अनूप का प्रकरण दिन प्रति दिन नया मोड़ लेता जा रहा है। कल सायं प्रेस के सामने तीन साल से जीम परतों को साफ करते हुए कहा कि सदर विधायक अनूप सण्डा ने मेरे साथ बलात्कार किया। शर्म एवं संकोच के कारण मैं चुप रही। धीरे- धीरे नजदीकियां बढ़ने के कारण मेरं और अनूप के सम्बन्ध प्रगाढ़ होते चले गये।
बुधवार शाम को मीडिया से रुबरु होते हुए समरीन ने कहा कि मेरे साथ अनूप ने विश्वासघात किया है।अभी तक मैं उनके झॉसे में रह कर इन्तजार कियां पानी जब सिर से ऊपर गया तो वह न्याय के लिए कोतवाली पहुंची।
समरीन का आरोप है कि विधायक ने उसके साथ पत्नी की ना मौजूदगी में अपने आवास पर बुलाया और इज्जत लूट ली।बाद में उन्होनें शादी का झॉसा दिया । इस कोरे आश्वासन पर मैं चुप बैठी रही। फिलहाल इस बाबत विधायक श्री सण्डा के मोबाइल पर सम्पर्क किया गया तो मोबाइल बन्द मिला। इस समय जनपद मे उपरोक्त प्रकरण पर शहर के प्रमुख चौराहों व ग्रामीणांचलो में लोग चर्चा करते नज़र आ रहे है।
सूत्रो की माने तो इस प्रकरण में राजनैतिक रोटियां सेंकने में सण्डा विरोधी लोगो का हाथ है। जब जिले के कुछ सम्भ्रान्त व्यक्तियों से बात चीत की गई तो लोगो ने कहा कि इस प्रकरण पर बात चीत करना बेकार है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 09 September 2010 by admin
टैंम्पों ड्राइवर बजा रहे अश्लील गाने
सुल्तानपुर - लोगो को बेहतर सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने नगर में आटो चलवाने का परमिट देकर जो अच्छे कार्य की शुरूआत किया था। पहला अच्छा काम ये हुआ कि निर्धारित किराये में लोगो को कम समय में गन्तब्य तक पहुंचाया जाय। दूसरा काम कि सैकडो बेरोजगारो को रोजगार मिल जाय, परन्तु धीरे धीरे पुलिस, यातायात पुलिस की वसूली के चलते इसमे विकार पैदा हो गया है जिसका खामियाजा महिलाओ को भुगतना पड रहा है अधिकांश आटो के ड्राइबर कम उम्र और बगैर लाइसेन्स के है।
दूसरी तरफ सभी आटो मे तेज आवाज करने वाला हार्न लगा होने के कारण ध्वनि प्रदूषण पैदा किया जा रहा है, परन्तु जो सबसे अधिक गडबडी हो रही सभी आटो में टेप लगाकर गन्दे गानो का बजना जिससे महिलाओ का सिर शर्म झुक जाता है। प्रेमलता केसवानी, शीमा श्रीवास्त, पायल सोनी आदि महिलाओ ने शिकायत करते हुए कहा कि आटो चालक भोजपुरी फूहड गाने बजाते है मना करने पर और तेज ध्वनि कर देते है। महिलाओ ने कहा कि इतने गन्दे गाने बजते है कि के0एन0आई0 के छात्राओं के शर झुक जाते है और ड्राइबर मना करने पर भी नही मानते।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 09 September 2010 by admin
सुलतानपुर - कुड़वार स्थित कस्तूरबा गॉधी आवासीय बालिका विधालय संक्रामक रोगों के चपेट में आ गया हैं। जिससें लगभग दर्जन भर छात्राएं अब तक बीमार हो चुकी हैं। संक्रामक रोगो में खसरा व डायरिया की चपेट में आयी एक छात्रा को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय बाजार स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में उस समय अफरा-तफरी का माहौल देखा गया। जब विद्यालय की कुछ छात्राओ को अचानक उल्टी दस्त आना शुरू हुआ। देखते ही देखते विद्यालय की सभी छात्राओं में भय का वातावरण व्याप्त हो गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 09 September 2010 by admin
सुल्तानपुर - शहर के सीयूजी नम्बर पर बात करना चाहे तो मानो अपने देवता से बात करने से कम नही। सुल्तानपुर मुख्यालय पर डि्यूटी पर तैनात सचिन जायसवाल जूनियर इन्जीनियर का सरकारी न0 9415901576 पर यदि को होनी अनहोनी की सूचना देना चाहे तो उस पर बात करने को तैयार नही है। चाहे पूरा शहर रहे या जाये, जो कुछ भी है हमी है कभी फोन उठा ही लेते है तो मालूम पडता है कि पूरी दुनिया की जिम्मेदारी उन्ही के उपर है बात भी नही करते अगर कोई शिकायत की बात करता है तो हमारा कोई क्या करेगा। कुछ है हमी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 09 September 2010 by admin
सुल्तानपुर - जिला चिकित्सालय में प्राइबेट पैथोलाजी सेण्टर के दलाल प्रात: 08 बजे से अपराह्न 02 बजे तक सक्रिय दिखाई पडते है। इनमे खुद तो दो महिला आशा बहू बताती है कि सब्जी मण्डी स्थित पैथोलाजी के वर्कर भी जिला चिकित्सालय में धूमते रहते है। दूर दराज से आये ग्रामीण मरीजो को बेहतर जांच का आश्वासन देकर मोटी रकम वसूलते है।
सबसे अधिक महिलाचिकित्सालय मे आशा बहू बताने वाली दलाल कई नर्सिग होम के लिये तथा सब्जी मण्डी स्थित पैथोलाजी के लिये मरीजो को बरगलाकर ले जाती हुई दिखाई पडती है, जिला चिकित्सालय के प्रति इन दलालो के विरूद्व कोई कार्यवाही न होने के कारण ये दलाल बेरोक-टोक अपना धन्धा चला रहे है। इस धन्धे में जिला अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी लगे है। उदाहरण के लिये ए0एन0एम0 उषा दूबे जिनके विरूद्व कोतवाली नगर में प्राथिमकी दर्ज हो गई है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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