भारत-पाकिस्तान के मध्य सन् 1971 को हुए युद्ध की पृश्ठभूमि एवं बांग्लादेश के प्रादुर्भाव पर लिखा गया कथाकार श्री महेन्द्र भीश्म का सद्य: प्रकािशत उपान्यास “जय हिन्द! की सेना´´ का लोकार्पण गांधी जयन्ती के दिन सांय तीन बजे मोती महल लॉन, लखनऊ में पुस्तक मेला के दौरान होने जा रहा है।
मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ पीठ में बेंच सेक्रेटरी महेन्द्र भीश्म के अब तक तीन कहानी संग्रह क्रमश: `तेरह करवटे´ (1986), `एक अग्रेशित-पत्र´ (2004) एवं `क्या कहेर्षोर्षो´ (2008) प्रकािशत व पुरस्कृत हो चुके हैं। आपकी कहानी `लालच´ में टेली फिल्म भी बन चुकी है। युद्ध की पृश्ठभूमि पर बहुत कम उपन्यास लिखे गए है, विशेशकर हिन्दी साहित्य में तो इनकी संख्या नगण्य है। ऐसी स्थिति में जहां श्री महेन्द्र भीश्म का यह उपन्यास महत्वपूर्ण बन जाता है, वही पाठकों के बीच विशेशकर हिन्दी साहित्य में इस उपन्यास का जोरदार स्वागत होना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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