Posted on 04 April 2018 by admin
प्रदेश को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने हेतु बारा एवं मेजा परियोजनाओं का भी किया निरीक्षण।
युद्धस्तर पर कार्य पूर्ण कर सभी यूनिटों को निर्धारित समय से चालू करने के लिए दिये निर्देश
लखनऊ, 4 अप्रैल 2018। प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं उ0प्र0 पावर कारपोरेषन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने इलाहाबाद के सर्किट हाउस में बैठक कर कुम्भ मेले में विद्युत व्यवस्था के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की। साथ ही उन्होने बारा एवं मेजा विद्युत परियोजनाओं का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कुम्भ मेले के लिये षासन द्वारा स्वीकृत सब स्टेषनों, लाइनों के निर्माण एवं क्षमतावृद्धि आदि का कार्य युद्धस्तर पर करके समय से पूर्ण करने के निर्देष दिये। मेजा एवं बारा परियोजनाओं से जो विद्युत प्रदेष को प्राप्त होगी वह अनेक विद्युत परियोजना से सस्ती होगी। प्रमुख सचिव ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि मेजा एवं बारा परियोजनाओं से प्रदेष को सस्ती बिजली शीघ्र प्राप्त हो।
कुम्भ मेले से सम्बन्धित कार्यों को समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव ने निर्देशित किया कि विद्युत से सम्बन्धित सभी कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाये। सभी अस्थायी खण्ड 20 अप्रैल तक संचालित हो जाये। माघ मेले में एल0ई0डी0 लाइटों का अनुभव अच्छा रहा है इसलिये कुम्भ में भी एल0ई0डी0 लाइटों का ही अधिकत प्रयोग किया जाये।
उन्होंने शासन से अनुमोदित 14 कार्यों को जिनकी लागत लगभग 34 करोड़ रूपया है, को सितम्बर, 2018 तक पूर्ण करने के निर्देश दिये। इसमें तीन कार्य पूर्ण भी हो गये हैं। इसी तरह विद्युत वितरण निगम द्वारा 129.26 करोड़ की लागत से 32 कार्य कराये जा रहे हैं इन सभी कार्यों को भी उन्होंने युद्धस्तर पर करके मई 18 तक पूर्ण करने के निर्देश दिये। कार्यों में 12 कार्य पूर्ण भी हो गये है पारेषण निगम द्वारा 9 कार्य लगभग 20ः21 करोड़ के कराये जा रहे हैं।
मेजा तापीय परियोजना एन0टी0पी0सी0 एवं उत्पादन निगम का संयुक्त उपक्रम है। 2ग्660 मेगावाट की इस परियोजना में 916 मेगावाट उ0प्र0 का शेयर है। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने आज मेजा परियोजना का निरीक्षण किया। उन्होेेंने परियोजना के शेष कार्याें का युद्धस्तर पर करने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि वरिष्ठ अधिकारी प्रत्येक सप्ताह प्रगति रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। प्रमुख सचिव ने कोयला ढुलाई हेतु रेल लाइनों आदि में विलम्ब हेतु रेलवे से समन्वय स्थापित कर दो महीने में कार्यों को पूर्ण करने के निर्देश दिये। इसकी पहली यूनिट तैयार है। दूसरी यूनिट मई 2019 तक आयेगी। यहां से प्राप्त विद्युत तुलनात्मक दृष्टि से सस्ती है।
प्रमुख सचिव ने बारा परियोजना का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण में उन्होंने परियोजना की तीनों यूनिटें मई, 2018 से चलाने के निर्देश दिये। यह परियोजना 3ग्3360 मेगावाट की है। जिसमें तीनों यूनिटें तैयार हंै, तथा दो यूनिटें उत्पादन दे रही हैं। इस परियोजना में कोयले की कमी के कारण पिछले वर्ष मात्र 40 प्रतिशत पी0एल0एफ0 आया था। मार्च 2018 में उ0प्र0 पावर कारपोरेशन ने बकाये का भुगतान कर दिया है। कोयले के स्टाॅक में सुधार हो रहा है। जुलाई तक रेल ओवर ब्रिज का कार्य पूर्ण होने पर कोयला ढुलान और अच्छा होगा। इस परियोजना में उ0प्र0 का हिस्सा 1605 मेगावाट है। ललितपुर परियोजना से लगभग 4.83 रूपये प्रति यूनिट विद्युत प्राप्त होती है जबकि बारा में 3.65 तथा मेजा में 3.76 रूपये प्रति यूनिट विद्युत प्राप्त होगी।
प्रमुख सचिव, ऊर्जा द्वारा कुम्भ मेला वर्श 2019 के अन्तर्गत षासन द्वारा स्वीकृत (33/11) के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र बक्षीबांध से दारागंज विद्युत उपकेन्द्र तक 33 के0वी0 लिंक लाइन के निर्माण, 132 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र तेलियरगंज से विद्युत उपकेन्द्र मिन्टोपार्क के बीच 132 के0वी0 लिंक लाइन के निर्माण, 400 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र रींवा रोड से 220 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र रींवा रोड के डबल सर्किट चालक को एच0टी0एल0एस0 चालक से बदलने का कार्य, नगर क्षेत्र में सड़क के किनारे प्लिंथ पर स्थापित वितरण परिवर्तकों को डबल पोल पर स्थानान्तरित करने का कार्य, 132 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र झंूसी की क्षमतावृद्धि, पेषवाई मार्ग पर स्थित खुले तार की एल0टी0 लाइन को ए0बी0सी0 से बदलने का कार्य, मेला हेतु स्टोर भवन के निर्माण, पंचकोषी परिक्रमा मार्ग पर स्थित षिव मंदिरों के विद्युतीकरण का कार्य इत्यादि) के साथ-साथ आई0पी0डी0एस0 तथा आर0ई0सी0 योजनाओं के अन्तर्गत कुम्भ मेला हेतु कराये जा रहे सहायक कार्यों की विस्तृत समीक्षा की गयी। उन्होंने इन कार्यों को समय से पूर्ण करने के निर्देश दिये।
समीक्षा के अन्तर्गत प्रमुख सचिव, ऊर्जा द्वारा 33 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र बक्षीबांध से दारागंज तक निर्माणाधीन 33 के0वी0 लिंक लाइन एवं 132 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र तेलियर गंज से विद्युत उपकेन्द्र मिन्टोपार्क के बीच निर्माणधीन 12 के0वी0 लिंक लाइन के निर्माण कार्य की प्र्रगति पर चार्ट के अनुरूप इस माह में प्राप्त करने हेतु सम्बन्धित को निर्देषित किया तथा सहायक कार्यों में निवनिर्मित 33/11 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्रों को पोशित करने वाले 33 के0वी0 लाइनों का निर्माण एन0एच0ए0आई0/सी0ओ0डी0/आवास-विकास से षीघ्र एन0ओ0सी0 प्राप्त कर पूर्ण करने हेतु निर्देषित किया।
समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव, ऊर्जा के साथ निदेषक (वितरण) एवं मुख्य अभियन्ता (सी0एम0यू0डी0), श्री जी0पी0 वर्मा, मुख्य अभियन्ता (पारेशण), श्री अष्वनी कुमार श्रीवास्तव, मुख्य अभियन्ता (वितरण) तथा अधीक्षण अभियन्ता (पारेशण) एवं अधीक्षण अभियन्ता (वितरण) द्वारा प्रतिभाग किया गया।
Posted on 04 April 2018 by admin
लखनऊ 04 अप्रैल, 2018ः एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ परिसर के एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवरियल एवं एलाइड साइंसेज विभाग द्वारा आज ‘‘समाज और कल्याण’’ विषय पर पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का ध्येय विभिन्न वर्गों के लोगों को एक साथ इस विषय पर व्यक्ति और समाज के कल्याण में आने वाली कठिनाइयों और तरीकों को जानना था।
सम्मेलन का शुभारम्भ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त निदेशक डाॅ. के. सी. जार्ज, सर्च फाउंडेशन के संस्थापक एवं प्रसिद्ध कवि सर्वेश अस्थाना, इंस्टीट्यूट आॅफ करियर स्टडीज की संस्थापिका डाॅ. अमृता दास, टाटा मोटर्स के एचआर प्रमुख कुमार ललित, बाल कल्याण कमेटी के चेयरपर्सन डाॅ. अंशुमालि शर्मा मनोविज्ञान विभाग केजीएमयू के विभागाध्यक्ष डाॅ. पी.के. दलाल, जेएनपीजी लखनऊ के सोसियोलाॅजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डाॅ. विनोद चन्द्रा और निदेशिका एआईबीएएस, एमिटी जयपुर की निदेशिका डाॅ. उमा जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवरियल एवं एलाइड साइंसेज की विभागाध्यक्षा प्रोफेसर मंजू अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के विषय की प्रासंगिकता से लोगों को परिचित कराया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता डाॅ. के.सी. जार्ज ने कहा कि समाज में बच्चों के हितों और उनके कल्याण पर प्राथमिक तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्हीं के कंधों पर समाज और देश का आने वाला कल टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकारें भी इस दिशा में कई तरह की योजनाओं पर काम कर रही हैं। इसके अलावा महिला सशक्तिकरण पर भी सरकार का विशेष ध्यान है।
कवि सर्वेश अस्थाना ने कहा कि स्वयं के बारे में जागृत रहना वेलबीइंग की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत कल्याण और समाज कल्याण आपस में गुथे हुए हैं। उन्होंने आत्म कल्याण के लिए अध्यात्म की वकालत की।
वर्तमान जीवन में तकनीकी के दखल पर प्रकाश डालते हुए डाॅ. अमृता दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सम्पर्क हेतु और सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए तकनीकी निःसंदेह एक महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन यह हमारे आपसी सम्पर्कों और रिश्तों में दरार लाने का भी एक बड़ा कारण है। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग समाज में अवसाद और वैमनस्यता बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं से परिजनों की बढ़ती अपेक्षाओं के कारण युवाओं में आत्मघाती प्रवृत्ति बढ़ रही है। इन सबके कारण समाज में हिंसा और आत्महत्या के मामले बढ़े हैं।
डाॅ. पी.के. दलाल ने कहा कि इंटरनेट एडेक्शन डिस आॅडर समाज के लिए घातक होने वाला है। उन्हांेंने कहा कि समाज में जिस तरह से सेल्फी डेथ और आत्ममुग्धता की प्रवृत्ति बढ़ी है वह कई मानसिक रोगों के विकसित होने की तरफ इशारा करती है। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को इससे बचाने के लिए जीवन में अनुशासन, बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद और स्वस्थ दिन चर्या का पालन आवश्यक हो चुका है।
सम्मेलन के दौरान एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवरियल एवं एलाइड साइंसेज के उप निदेशक एसजेडएच आब्दी, मनोवैज्ञानिक नेहा आनन्द और एमिटी लखनऊ परिसर के उप निदेशक सूचना एवं जनसम्पर्क आशुतोष चैबे सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
Posted on 04 April 2018 by admin
लखनऊ ,समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र को इस भाजपा सरकार ने अपनी मनमानी के चलते पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है। प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों ने मनमानी फीस बढ़ोŸारी के साथ किताबें, काॅपी, जूते-मोजे और डेªस तक बेचना शुरू कर दिया है। अभिभावक लुट रहे हैं। जब स्कूल प्रबन्धकों ने लूट खसोट शुरू कर दी तब राज्य सरकार को होश आया तो एक औपचारिक फरमान अध्यादेश लाने का जारी कर दिया गया लेकिन उसको कैसे लागू किया जाएगा, यह अस्पष्ट है। जैसे गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था का प्रबन्धक मजाक उड़ा रहे हैं और सरकार का शिक्षा विभाग कुछ कर नहीं पा रहा है। वैसा ही हाल फीस में मनमानी वृद्धि पर रोक लगाने का होगा।
स्थिति यह है कि सरकारी अकर्मण्यता के कारण बच्चों को स्कूल खुलने के समय किताबें नहीं मिल पाएगीं। जाड़ा जब बीत गया तब स्कूलों में आधे-अधूरे और दोयम दर्जे के स्वेटर बांटे गए। बस्ते, जूते-मोजे बंटे जो बहुत ही घटिया स्तर के हैं। बेमन से दबाव में कुछ को ही ये उपलब्ध हुए। तीन-चार महीने में ही वे फटने लगे। ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा‘ का उद्घोष प्रदेश में कहीं नजर नहीं आ रहा है।
भाजपा सरकार ने हर वह काम किया है जिससे नौजवानों में बेरोजगारी बढ़े और उनमें कुंठा पनपे। अभी परीक्षा में नकल रोकने के नाम पर कई लाख छात्र-छात्राओं को घर बैठा दिया। उनकी पढ़ाई पूरी नहीं होगी। पढ़ाई की पूरी व्यवस्था नहीं है, कोर्स पूरे नहीं हुए। रोजगार कहां है? मिलेगा नहीं। असंवेदनशीलता के चलते शिक्षा माफिया अपना एकाधिकार चला रहे हैं।
श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में ऐसी दुर्दशा नहीं थी। धांधली करनेवालों पर अंकुश था। समाजवादी सरकार में छात्र-छात्राओं को 18 लाख लैपटाॅप बांटे गए थे। मध्यान्ह् भोजन में फल वितरण की नई योजना शुरू की गई थी। बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी पर 2,41,437 शिक्षकों की नियुक्ति हो गई थी। मेधावी छात्राओं को 30-30 हजार रूपए कन्या विद्याधन प्रदान किया गया था। अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं को मुफ्त कोचिंग की सुविधा दी गई थी।
समाजवादी सरकार की प्राथमिकता में किसान, नौजवान, गरीब और गांव थे। शिक्षा की गुणवŸाा के साथ कौशल प्रशिक्षण का काम भी तब हुआ था। अखिलेश जी की प्रशासन पर लगातार नजर रहती थी इसलिए उनके समय धांधली की स्थिति नहीं होती थी। सबकों शिक्षा और सबको रोजगार के उद्देश्य की पूर्ति के लिए अखिलेश जी प्रतिबद्ध थे। भाजपा उनका क्या मुकाबला करेगी क्योंकि भाजपा की कोई शिक्षा नीति ही नहीं हैं।
भाजपा राज में उत्तर प्रदेश में हर मोर्चे पर स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं। अराजकता जैसी स्थिति है। भाजपा सरकार की मनमानी से जनता परेशान है और प्रशासन पंगु है। भाजपा सरकार का चेहरा जन विरोधी लगने लगा है। जनता यह कहने लगी है कि भाजपा से तो श्री अखिलेश यादव ही कई गुना बेहतर मुख्यमंत्री थे। अपने कार्यकाल में अखिलेश जी ने ही जो काम किए थे वही जनता को याद आ रहे हैं। जनता तो मुख्यमंत्री जी से यही पूछ रही है-‘सब कुछ लुटाके होश में आए तो क्या हुआ?
Posted on 04 April 2018 by admin
उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एंव अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन हाजी सिराज मेहदी ने अपने एक बयान में कहा कि कल प्रदेश व देश में एससी/एसटी के पूर्व घोषित भारत बंद के दौरान जो आगज़नी, तोड़फ़ोड़ तथा मारे गये लोगों की पूरी जि़म्मेदारी केन्द्र की भाजपा सरकार की सीधी जि़म्मेदारी होती है। श्री मेहदी ने कहा कि केन्द्र की सरकार कंाग्रेस पार्टी व तमाम विपक्षी पार्टियों की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका चली जाती तो यह दिन देखने को नहीं मिलते जिसे कल पूरे देश को देखना पड़ा और इसका ख़मियाज़ा देश को नहीं भुगतना पड़ता, इससे देश बच सकता था।
श्री मेहदी ने कहा कि एससी/एसटी या अल्पसंख्यकों के मामले में केन्द्र की भाजपा सरकार सौतेला व्यवहार करती आई है वह आज समझ में आ गया है। उन्होने कहा कि भारत के दलित समाज और अल्पसंख्यक समाज के बारे में आरएसएस और भाजपा ने हमेशा नुक़सान पहुचाने और कमज़ोर करने की साजि़श रची है। आरएसएस दिखावे के लिए कुछ करती है और अन्दर-अन्दर समाप्त करने की कोशिश करता है, जो कल संगठन ने बन्द का आवाहन किया उससे सरकार को होशियार हो जाना चाहिए ।
श्री मेहदी ने कहा कि हम महात्मा गांधी और डा0 भीम राव अम्बेडकर के मानने वाले हैं, हमने कभी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया है, हमने अपना हक़ गांधी और अम्बेडकर के बताये शान्ति के रास्ते पर चलकर लिया है और आगे भी इसे अपनाते रहेगें। केन्द्र सरकार ने पुर्नविचार याचिका दायर करने में 13 दिन लगा दिये उससे उसकी मंशा का खुलासा होता है। श्री मेहदी ने सर्वाेच्च न्यायालय का धन्यवाद दिया कि उन्होने पुर्नविचार याचिका स्वीकार कर ली।
Posted on 04 April 2018 by admin
सीपीआई (एम) उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल ने पुलिस फायरिंग, लाठीचार्ज तथा
गिरफ्तारी की निंदा की
लखनऊ 03 अप्रैल। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उ0प्र0 राज्य सचिव
मण्डल ने दलित संगठनों के दो अप्रैल को भारत बंद में हिंसा के लिए केन्द्र और
राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हुए पुलिस फायरिंग, लाठीचार्ज तथा गिरफ्तारी
की कड़ी निंदा की है।
ज्ञात हो कि एससी/एसटी एक्ट 1989 को सर्वोच्च अदालत ने आदेश पारित कर दंतविहीन
कर दिया है। लगता है कि हिन्दी इलाकों मंे दलितों पर अपराधों में तेजी से
वृद्धि करने में आग में घी डालने का काम सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने किया है।
उक्त आदेश की पुनः सुनवाई याचिका दायर करने मंे केन्द्र सरकार ने देरी की
जिससे दलित जनता में आक्रोश पनपा है। भारत बंद में पुलिस फायरिंग में आधा
दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई जिसमें से मेरठ व मुजफ्फरनगर में भी एक-एक की
मौत हुई है। दर्जनों लोग पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए हैं। सैकड़ों लोगों को
पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह अप्रिय निर्णय ऐसे समय आया है जब देश में भाजपा शासित
राज्यों में दलितों पर होने वाले अपराधों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। जिनमें
उत्तर प्रदेश अव्वल है। योगी सरकार दलितों पर अपराध रोकने में फेल है।
सीपीआई (एम) उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल सदस्यगण दीनानाथ सिंह यादव व बी0एल0
भारती ने मांग की है कि एससी/एसटी एक्ट पर दिये गये आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में
शीघ्र पुनः सुनवाई करायी जाय। भारत बंद में मरे व घायलों के परिजनों को
पर्याप्त मुआवजा दिया जाय। दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की
जाय। गिरफ्तार लोगों को तुरन्त रिहा किया जाय। दलितों पर होने वाले अपराधों
को सख्ती से रोका जाय।
Posted on 04 April 2018 by admin
लखनऊ 04 अप्रैल 2018, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय 5 अप्रैल को रामलीला मैदान, घंटाघर गाजियाबाद में दोपहर 1ः45 बजे महर्षि कश्यप एवं मर्हिष निषादराज जयन्ती कार्यक्रम में उपस्थित रहेगें। सायंकाल 4 बजे गाजियाबाद से नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे।
Posted on 04 April 2018 by admin
-सपा बताए, आजम खां कहां बनेगें मुख्यअतिथि
लखनऊ 04 अप्रैल 2018, भारतीय जनता पार्टी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी के बाबा साहब डाॅ. भीमराव रामजी आम्बेडकर के जन्मदिन को जोर-शोर से मनाने के फैसले को ढोंग बताया। श्री राकेश त्रिपाठी ने कहा सपा ने हालिया ही बसपा के हाथी को साथी बनाया है और दलित चिन्ता सताने लगी है। जबकि उत्तर प्रदेश की जनता भूली नहीं है कि वर्ष 2012 में अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण के दिन ही प्रदेश भर में दलित बस्तियों पर हमले-आगजनी की घटनाएं हुई थी। अल्पसंख्यक तुष्टिकरण में डूबी सपा के अखिलेश राज में दलितों पर सर्वाधिक अत्याचार की घटनाए हुई थी। कानून व्यवस्था के बिगड़ने का सबसे प्रतिकूल प्रभाव दलितों और गरीबों पर ही पड़ता है। भूमाफियाओं ने दलितों की जमीनों पर कब्जा किया था। तब बाबा साहब की याद सपा को कभी नहीं आई।
श्री त्रिपाठी ने सपा से प्रश्न पूछा कि सपा बताए कि 14 अप्रैल को सपा के किस कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता आजम खान मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। श्री त्रिपाठी ने कहा कि काबीना मंत्री रहते आजम खान ने सार्वजनिक मंचों से कहा था कि डाॅ. आम्बेडकर की मूर्तिया लगाकर जमीनें कब्जाई जाती हैं। आजम खान ने डाॅ. आम्बेडकर को भूमाफिया बताया था। डाॅ. आम्बेडकर के प्रति इतनी अपमानजनक टिप्पणी करने वाले आजम खान की भत्र्सना भी सपा मुखिया ने कभी नहीं की। बाबा साहब आम्बेडर का सम्मान न कांग्रेस ने किया और न ही सपा ने। बसपा ने भी बाबा साहब के नाम का उपयोग कर दलितों को बरगलाने का प्रयास किया।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि डाॅ. आम्बेडकर के जीवन से जुडे पांच स्थानों को पंचतीर्थ घोषित कर उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि भाजपा ने ही दी है। उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में बाबा साहब की तस्वीर अनिवार्य करने का आदेश भी योगी सरकार ने दिया। उत्तर प्रदेश में लगभग आठ लाख प्रधानमंत्री ग्रामीण आवासों में सर्वाधिक लाभार्थी अनुसूचित जातिवर्ग से हैं। उज्जवला योजना के लगभग 60 लाख लाभार्थियों में भी सबसे बड़ी संख्या दलित-वंचित समाज की है। जिनके घर शौचालयों का निर्माण सरकार ने कराया है उसमें भी सबसे बडी संख्या दलित वर्ग की है। उत्तर प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था से दलित उत्पीड़न की घटनाओं में गिरावट आई है।
श्री त्रिपाठी ने कहा केन्द्र सरकार की स्टैण्ड अप योजना से बैंक की हर शाखा से एक ऋण अनुसूचित जाति वर्ग को अनिवार्य कराकर आत्मनिर्भरता की दशा में परिवर्तनकारी कदम उठाया है, जिसका लाभ लेकर बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोग आत्मनिर्भर हुए है। भाजपा हर वर्ष बाबा साहब की जयन्ती और परिनिर्वाण दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है। इस वर्ष भी 14 अप्रैल से 5 मई तक भारत सरकार ‘ग्राम-स्वराज अभियान‘ आयोजित कर रही है जिसके तहत पूरे भारत में ग्राम विकास, गरीब कल्याण और सामाजिक न्याय पर अलग-अलग कार्यक्रम होंगे। भाजपा भी इन कार्यक्रमों में सहयोग कर बाबा साहब के संदेशों को जनमानस तक पहुॅचाएगी।
Posted on 03 April 2018 by admin
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में प्रदेश में कानून व्यवस्था चैपट है और अराजकता को रोक पाने में उसकी असफलता से जनजीवन त्रस्त है। समाज का हर वर्ग इन दिनों गहरी निराशा में डूबा हुआ है। दलित समाज का उत्पीड़न रूक नहीं रहा है। इससे वह बुरी तरह आंदोलित और आक्रोशित है। अपराध रोकने के नाम पर एनकाउण्टर में अब निर्दोष और खुद भाजपा के अपने लोग भी शिकार बन रहे हैं।
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का नाम लेने वाली भाजपा के शासनकाल में उनकी प्रतिमा ही सबसे ज्यादा तोड़ी गई हैं। अपराधी भयमुक्त हैं। दलितों का उत्पीड़न बदस्तूर जारी है। बांदा के नीवी गांव में दलित पीने के पानी के लिए छटपटा रहे हैं। इलाहाबाद के कासगंज के निजामपुर गांव में एक युवक को शादी में घोड़ी पर चढ़कर जाने से रोका जा रहा है। स्थानीय पुलिस दबंगों के आगे उसको सुरक्षा देने में आनाकानी कर रही है। दलित बेटियों का मान सम्मान सुरक्षित नहीं रह गया है। इसमें भाजपा की नाकामी और उसका दलित विरोधी चरित्र जाहिर है। दलितों और डा. आंबेडकर के नाम पर भाजपा सिर्फ दिखावटी प्रेम दिखाती है।
जहां तक अपराध नियंत्रण की बात है भाजपा सरकार लगातार असफल साबित हुई है। अपनी असफलता छुपाने के लिए वह फर्जी इन्काउंटरों का सहारा ले रही है। पुलिस के इस खेल का एक बड़ा खुलासा तब हुआ जब कल (2 अप्रैल 2018 को) नोएडा सेक्टर 16 से पुलिस ने आर.एस.एस. के नामी प्रवक्ता राकेश सिन्हा को ही पकड़ कर उपद्रवी बताते हुए गाड़ी में बिठा लिया और परिचय देने के बावजूद उनकी एक नहीं सुनी। बड़ी मुश्किल से वे छूटे और उनकी जान बची। अब राकेश सिन्हा ही बता पायेंगे कि उनके साथ पुलिस के दुव्र्यवहार से क्या स्थिति हुई होगी? एनकाउण्टर के बारे में उनकी अब क्या राय है?
मुख्यमंत्री जी अक्सर दावा करते हैं कि अपराधी भाग रहे हैं पर सच्चाई तो यह है कि प्रधानमंत्री जी के गृह प्रदेश गुजरात के राज्यपाल महोदय, श्री ओपी कोहली के नोएडा स्थित आवास (डी-6 सेक्टर 50) का ताला तोड़कर बदमाशों ने कीमती सामान चोरी कर लिया। पुलिस जब राज्यपाल महोदय का घर नहीं बचा पाई तो आम आदमी कहां सुरक्षित रहेगा?
ये कुछ घटनाएं बानगी हैं कि भाजपा सरकार का कामकाज किस तरह जनविरोधी है और लोग किस तरह दहशत में जी रहे हैं। चूंकि भाजपा में जनता की कहीं सुनवाई नहीं है इसलिए किसी को भी अपने सम्मान और अधिकारों के लिए आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। जनता में बढ़ता असंतोष भाजपा के लिए सन् 2019 में केन्द्र से विदाई का संदेश हैं।
Posted on 03 April 2018 by admin
-राजनीतिक स्वार्थ में कराई गई हिंसा के लिए मायावती दोषी
-हिंसा के लिए जनता से माफी मांगे मायावती।
लखनऊ 03 अप्रैल 2018, भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता की चाह में हिंसा व अराजकता का माहौल बनाने के लिए मायावती को जिम्मेदार ठहराया। प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि जनता मायावती से सवाल पूंछ रही है कि मायावती सरकार ने 29 अक्टूबर 2007 को एस.सी./एस.टी. एक्ट के दुरूपयोग को रोकने के लिए आदेश पारित किये थे, अब जबकि बिल्कुल वैसे ही उच्चतम न्यायालय ने अपनी भावना अभिव्यक्त की तो विरोध में हिंसा और अराजकता की राजनीति क्यों? भारत बंद के नाम पर हुई हिंसा और अराजकता के लिए मायावती जी जनता से माफी मांगे। डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भाजपा सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुॅची है। उन्होंने सारे दलित समाज से अपील की कि दलितों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने वालों से सावधान रहे। मोदी और योगी सरकार सच्चे अर्थो में दलित समाज के कल्याण के लिए समर्पित है। डाॅ. पाण्डेय ने योगी सरकार को धन्यवाद दिया कि बडे़ पैमाने पर हिंसा के लिए रचे गए षडयंत्र को पूरी तत्परता से तत्काल काबू किया गया है।
प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने विगत दिवस हुई प्रायोजित हिंसा और अराजकता पर निंदा एवं क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्यनीय बाबा साहेब आम्बेडकर एवं माननीय काशीराम जी की नीति एवं सिद्धान्तों के उलट मायावती हिंसा और अराजकता के हथकडों से राजनीतिक विसात विछाने की कोशिश कर रही है। डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि मोदी सरकार ने ही एस.टी.-एस.सी. अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक 2015 पारित कर दलितों के हितों की रक्षा करने का काम किया है। दलितों के खिलाफ 22 तरह के अपराध हुआ करते थे, जिन्हे मोदी सरकार ने कैटेगोराइज्ड करके 123 तरह के अपराध रजिस्टर किये हैं। डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि आज सबसे ज्यादा दलित विधायक और सांसद भाजपा के है। मोदी सरकार ने पूज्यनीय डाॅ. आम्बेडकर जी से जुडे स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया है। डाॅ. अम्बेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के निर्माण से डाॅ. अम्बेडकर जी की विचारधारा विश्व क्षितिज पर पहुॅचाने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है।
डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ विकास पथ पर बढ चुका है। सपा-बसपा-कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल राजनीतिक जमीन के दरकरने पर जातिगत विद्वेष फैलाकर देश की शांति, सद्भाव को समाप्त करने का पाप कर रहे है, जिसके लिए जनता उन्हें क्षमा नहीं करेगी। डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि दलित वर्ग के लोग नौकरी देने वाले बने इसके लिए मोदी सरकार ने स्टैडअप के माध्यम से 2.5 लाख दलित उद्यमियों का लक्ष्य रखा है। वैचलर कैपिटल फंड योजना के तहत दलित जाति के युवको को 50 लाख से 15 करोड़ रूपये तक के ऋण की व्यवस्था की है। दलितों के लिए अलग से मुद्रा बैंक प्रारम्भ हुए है। प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला, मुद्रा बैंक, जीवन बीमा सहित केन्द्र सरकार की सभी योजनओं का सबसे ज्यादा लाभ दलितों को हुआ हैैै। डाॅ. पाण्डेय ने कहा कि मोदी सरकार और योगी सरकार की दलितों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान एवं राजनीतिक भागीदारी के काम में प्राणार्पण से जुटी है, जिससे घबराकर मायावती वैमनस्य फैलाने का पाप कर रही है।
Posted on 03 April 2018 by admin
-जस्प्रुडेंशिया वर्ल्ड पीस समिट में बोले उप मुख्यमंत्री
-शांति के लिए सामाजिक सहयोग जरूरी : प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी
-भारत के ज्यादातर लोग शांति के बारे में सोचते हैं : स्कॉट लिंच
-शांति और सद्भाव के लिए काम करने वाली पांच हस्तियों को सम्मान
लखनऊ,3 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा विश्व में शांति के लिए सबसे ज्यादा विचार हमारे देश की ही धरती से ही पैदा हुए हैं, इसीलिए पूरा विश्व भारत को गुरु मानता है। उन्होंने कहा कि आपसी प्रेम और सद्भाव से ही शांति की स्थापना हो सकती है। श्री मौर्य आज यहां राजधानी लखनऊ में पर्यटन भवन जस्प्रुडेंशिया की ओर से आयोजित वर्ल्ड पीस समिट में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। समिट में देश-विदेश की अनेक हस्तियां मौजूद थीं।
उप मुख्यमंत्री श्री मौर्य ने कहा कि विश्व में ऐसा कौन सा सख्श होगा जो खुश नहीं होना चाहता हो। लेकिन यह खुशी तब मिल सकती है, जब सबके भीतर और बाहर शांति का वातावरण हो। श्री मौर्य ने कहा कि जस्प्रुडेंशिया शांति के लिए अभिनव प्रयास कर रही है। मैं और मेरी सरकार जस्प्रुडेंशिया के इस अभियान के साथ हैं। वर्ल्ड पीस समिट के आयोजक शुभम त्रिपाठी और उनकी टीम छोटी सी उम्र में शांति लाने का जो प्रयास कर रही है, वह साधुवाद की पात्र है।
समिट में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण, बाल कल्याण और पर्यटन मंत्री प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि शांति हिमालय या मंदिर में नहीं, अपने भीतर मिलती है। आज विश्व के अनेक देशों में अशांति का वातावरण है, परस्पर टकराव है चाहे वह यूरोप हो या एशियाई देश। सामाजिक सहयोगा व भाईचारे की भावना से ही अशांति खत्म की जा सकती है और शांति को स्थापित किया जा सकता है। प्रोफेसर जोशी ने शांति के लिए जस्प्रुडेंशिया के प्रयासों की सराहना की।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने विश्व के अनेक देशों में अशांति के कारणों का जिक्र करते हुए शांति के लिए भारतीय मनीषियों के दर्शन को श्रेष्ठ बताया और कहा कि समाज में छोटे छोटे प्रयासों से शांति कायम की जा सकती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक और योग गुरु स्वामी योगी सत्यम ने दुनिया के अनेक देशों में अपने भ्रमण के अनुभव साझा किए और कहा कि भारतीय दर्शन के साथ ही विश्व के अनेक संतों के विचार भी शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन सबके साथ ही क्रियायोग के जरिए शांति और सरलता से स्थापित हो सकती है। अमेरिका से आए कानूनवेत्ता स्कॉट लिंच ने इस मौके पर विश्वशांति के लिए जस्प्रुडेंशिया के प्रयासों को सराहा और कहा कि भारत इसीलिए श्रेष्ठ है कि यहां के ज्यादातर लोग शांति के बारे में सोचते हैं।
समारोह में शांति और सद्भाव के लिए काम करने वाली कई जानी-मानी हस्तियों को सम्मानित भी किया गया। इनमें सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री रूना बनर्जी, हिंदुस्तान टाइम्स की लखनऊ के सीनियर एडिटर सुनीता ऐरन, सिटी मांटेसरी स्कूल के संस्थापक डॉ जगदीश गांधी, यूनेस्को के ब्रांड एम्बेसडर स्वप्निल तिवारी, व शीरोज हैंगआउट के संस्थापक शामिल हैं। इससे पहले जस्प्रुडेंशिया के संस्थापक अध्यक्ष शुभम त्रिपाठी ने वर्ल्ड पीस समिट के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन शेफाली ने किया। कार्यक्रम में देश-विदेश से आए अनेक वक्ताओं ने अलग अलग सत्रों में अपने विचार व्यक्त किये। देश के हिस्सों से आए रिसर्च स्कॉलर ने अपने अपने पेपर भी प्रेजेंट किए।