लखनऊ 04 अप्रैल, 2018ः एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ परिसर के एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवरियल एवं एलाइड साइंसेज विभाग द्वारा आज ‘‘समाज और कल्याण’’ विषय पर पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का ध्येय विभिन्न वर्गों के लोगों को एक साथ इस विषय पर व्यक्ति और समाज के कल्याण में आने वाली कठिनाइयों और तरीकों को जानना था।
सम्मेलन का शुभारम्भ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त निदेशक डाॅ. के. सी. जार्ज, सर्च फाउंडेशन के संस्थापक एवं प्रसिद्ध कवि सर्वेश अस्थाना, इंस्टीट्यूट आॅफ करियर स्टडीज की संस्थापिका डाॅ. अमृता दास, टाटा मोटर्स के एचआर प्रमुख कुमार ललित, बाल कल्याण कमेटी के चेयरपर्सन डाॅ. अंशुमालि शर्मा मनोविज्ञान विभाग केजीएमयू के विभागाध्यक्ष डाॅ. पी.के. दलाल, जेएनपीजी लखनऊ के सोसियोलाॅजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डाॅ. विनोद चन्द्रा और निदेशिका एआईबीएएस, एमिटी जयपुर की निदेशिका डाॅ. उमा जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवरियल एवं एलाइड साइंसेज की विभागाध्यक्षा प्रोफेसर मंजू अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के विषय की प्रासंगिकता से लोगों को परिचित कराया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता डाॅ. के.सी. जार्ज ने कहा कि समाज में बच्चों के हितों और उनके कल्याण पर प्राथमिक तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्हीं के कंधों पर समाज और देश का आने वाला कल टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकारें भी इस दिशा में कई तरह की योजनाओं पर काम कर रही हैं। इसके अलावा महिला सशक्तिकरण पर भी सरकार का विशेष ध्यान है।
कवि सर्वेश अस्थाना ने कहा कि स्वयं के बारे में जागृत रहना वेलबीइंग की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत कल्याण और समाज कल्याण आपस में गुथे हुए हैं। उन्होंने आत्म कल्याण के लिए अध्यात्म की वकालत की।
वर्तमान जीवन में तकनीकी के दखल पर प्रकाश डालते हुए डाॅ. अमृता दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सम्पर्क हेतु और सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए तकनीकी निःसंदेह एक महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन यह हमारे आपसी सम्पर्कों और रिश्तों में दरार लाने का भी एक बड़ा कारण है। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग समाज में अवसाद और वैमनस्यता बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं से परिजनों की बढ़ती अपेक्षाओं के कारण युवाओं में आत्मघाती प्रवृत्ति बढ़ रही है। इन सबके कारण समाज में हिंसा और आत्महत्या के मामले बढ़े हैं।
डाॅ. पी.के. दलाल ने कहा कि इंटरनेट एडेक्शन डिस आॅडर समाज के लिए घातक होने वाला है। उन्हांेंने कहा कि समाज में जिस तरह से सेल्फी डेथ और आत्ममुग्धता की प्रवृत्ति बढ़ी है वह कई मानसिक रोगों के विकसित होने की तरफ इशारा करती है। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को इससे बचाने के लिए जीवन में अनुशासन, बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद और स्वस्थ दिन चर्या का पालन आवश्यक हो चुका है।
सम्मेलन के दौरान एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बिहैवरियल एवं एलाइड साइंसेज के उप निदेशक एसजेडएच आब्दी, मनोवैज्ञानिक नेहा आनन्द और एमिटी लखनऊ परिसर के उप निदेशक सूचना एवं जनसम्पर्क आशुतोष चैबे सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।