समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में प्रदेश में कानून व्यवस्था चैपट है और अराजकता को रोक पाने में उसकी असफलता से जनजीवन त्रस्त है। समाज का हर वर्ग इन दिनों गहरी निराशा में डूबा हुआ है। दलित समाज का उत्पीड़न रूक नहीं रहा है। इससे वह बुरी तरह आंदोलित और आक्रोशित है। अपराध रोकने के नाम पर एनकाउण्टर में अब निर्दोष और खुद भाजपा के अपने लोग भी शिकार बन रहे हैं।
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का नाम लेने वाली भाजपा के शासनकाल में उनकी प्रतिमा ही सबसे ज्यादा तोड़ी गई हैं। अपराधी भयमुक्त हैं। दलितों का उत्पीड़न बदस्तूर जारी है। बांदा के नीवी गांव में दलित पीने के पानी के लिए छटपटा रहे हैं। इलाहाबाद के कासगंज के निजामपुर गांव में एक युवक को शादी में घोड़ी पर चढ़कर जाने से रोका जा रहा है। स्थानीय पुलिस दबंगों के आगे उसको सुरक्षा देने में आनाकानी कर रही है। दलित बेटियों का मान सम्मान सुरक्षित नहीं रह गया है। इसमें भाजपा की नाकामी और उसका दलित विरोधी चरित्र जाहिर है। दलितों और डा. आंबेडकर के नाम पर भाजपा सिर्फ दिखावटी प्रेम दिखाती है।
जहां तक अपराध नियंत्रण की बात है भाजपा सरकार लगातार असफल साबित हुई है। अपनी असफलता छुपाने के लिए वह फर्जी इन्काउंटरों का सहारा ले रही है। पुलिस के इस खेल का एक बड़ा खुलासा तब हुआ जब कल (2 अप्रैल 2018 को) नोएडा सेक्टर 16 से पुलिस ने आर.एस.एस. के नामी प्रवक्ता राकेश सिन्हा को ही पकड़ कर उपद्रवी बताते हुए गाड़ी में बिठा लिया और परिचय देने के बावजूद उनकी एक नहीं सुनी। बड़ी मुश्किल से वे छूटे और उनकी जान बची। अब राकेश सिन्हा ही बता पायेंगे कि उनके साथ पुलिस के दुव्र्यवहार से क्या स्थिति हुई होगी? एनकाउण्टर के बारे में उनकी अब क्या राय है?
मुख्यमंत्री जी अक्सर दावा करते हैं कि अपराधी भाग रहे हैं पर सच्चाई तो यह है कि प्रधानमंत्री जी के गृह प्रदेश गुजरात के राज्यपाल महोदय, श्री ओपी कोहली के नोएडा स्थित आवास (डी-6 सेक्टर 50) का ताला तोड़कर बदमाशों ने कीमती सामान चोरी कर लिया। पुलिस जब राज्यपाल महोदय का घर नहीं बचा पाई तो आम आदमी कहां सुरक्षित रहेगा?
ये कुछ घटनाएं बानगी हैं कि भाजपा सरकार का कामकाज किस तरह जनविरोधी है और लोग किस तरह दहशत में जी रहे हैं। चूंकि भाजपा में जनता की कहीं सुनवाई नहीं है इसलिए किसी को भी अपने सम्मान और अधिकारों के लिए आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। जनता में बढ़ता असंतोष भाजपा के लिए सन् 2019 में केन्द्र से विदाई का संदेश हैं।