उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े बड़े दावे धराशाही होते नजर आ रहे है। इन सबके पीछे छिपी है वह नीति जिसके चलते अधिकारियों का टोटा नीतियों को अंजाम तक पहुंचाने में हो रहा है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उधार के परियोजना निदेशक से राज्य एडस नियन्त्रण सोसायटी अपना काम चला रही है। परियोजना निदेशक को इतनी भी फुर्सत नहीं की वह राज्य सोसायटी कार्यालय आ सके। पंचम तल पर तैनात अधिकारी एस.पी.गोयल के पास काम का इतना बोझ है कि चाहकर भी इस संवेदनशील विभाग के कार्यालय तक जाने की जहमत नहीं कर सकते है। दूर से नियंत्रण का परिणाम आज सामने है। उत्तर प्रदेश भयानक रूप से एडस रूपी जानलेवा बिमारी की गिरफ्त में आने को मजबूर है। राज्य की जेलों तक इस बिमारी ने अपनी दस्तक दे दी है। विचाराधीन कैदियों में 14 कैदी एडस के शिकार पाये गये है। स्वास्थ्य मंत्री अनन्त कुमार मिश्रा बड़े-बड़ें दावे भले ही करे लेकिन प्रदेश में चाहेते अधिकारियों को विश्वबैंक जैसी वित्तपोषित योजनाओं के संचालन के लिये तैनात किये जा रहे अधिकारियों से सिद्ध होता है कि सिर्फ अपने लेागों को अधिक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी देने का नया शगल उत्तर प्रदेश में चल रह है। कुछ अधिकारी तैनाती की प्रतीक्षा कर रहे है तो कुछ अधिकारियाें के पास इतने विभाग है कि वे चाहकर भी विभागों की बैठकों में भाग नहीं ले सकते?
सरकारी योजनाएं किस तरह औंधे मुंह गिरती हैं, क्योें उनके बेहतर नतीजे नही निकलते उसका एक और ताजा उदाहरण एडस जाग सकता अभियान मेें दिख रहा है। फतेहपुर जनपद इनदिनों एडस जैसये जानलेवा मर्च की गिरफ्त मेे आ चुका है। चाहे यह रोग मुम्बर्इ से या फिर अन्य प्रांतों में रहने वाले लोगाें के द्वारा यहां आया हो लेकिन स्वयं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में एडस की पहचान की लिए होने वाले एच.आर्इ.वी. परीक्षणों की संख्या काफी बढ़ी है। इनमें से 236 परीक्षण ऐसे पाए गए जिसमं एडस के लक्षण मिले हैं। इस मामले में सीनियर पैथालाजिस्ट डा. वी.के. शर्मा का कहना है कि यहां जिला अस्पताल में एच.आर्इ.वी. परीक्षण की पूरी सुविधा है ओर हर आने वाले मरीजों का परीक्षण करवाया जा रहा है। इसे गोपनीय भी रखा जाता है। जिले में अब तक मिले 236 एडस आशंकित रोगियों में से कुल 44 ऐसे रोगी हे जो एडस से पीडि़त घेाषित कर दिया गया है। इन 44 एडस रोगियों मं 14 महिलाएं हैं। डा. शर्मा का कहना है कि एडस रोगियों में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जो धीरे-धीरे समाप्त होकर मरीज को मौत की दहलीज पर लाकर खड़ा कर देती हैं ऐसी सिथति में एडस रोगी को यह चाहिए कि यदि उसे मामूली बुखार, मुंह में दाने या फिर अन्य कोर्इ संक्रामक रोग हो जाये तो उसका तुरन्त इलाज करा लें। यदि इलाज में देरी हो गयी तो संक्रामक बीमारी एडस रोगी की मौत के साथ समाप्त होती है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग यह भी मान रहा है जिले मेें एडस आशंकित रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका कारण एडस से बचाव संबंधी उपायों की अनदेखी करना है। उत्तर प्रदेश मेें पूर्वान्चल के गरीबों को लीलने में लगा है एडस। अभी हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार प्रदेश में एडस 3694 रोगी प्रदेश में पाये गये है उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाके एडस के कैरियर बनते जा रहे है क्योंकि बड़ी संख्या में यहां की युवा आबादी देश के दूसरे हिस्सों में रोजी रोटी की तलाश मे सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, मुम्बर्इ, आदि हिस्सों मेें जाती है और दूसरे कार्य करती है और जब सब कुछ हो चुका होता है तो अनितम दौर मेें अपने घरों में वापस आती है वह अपने साथ बीमारी लेकर आते है जिसकी शिकार उनकी पतिनयां भी होती है।
पूर्वान्चल के इन पिछड़ों जिलों की तस्वीर भयावह होती जा रही है। संतकबीरनगर में एक युवा दम्पति ने तो घर आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी जो सूरत में काम करता था पति को एडस था और पत्नी भी प्रभावित हो गयी थी। अन्तत: दोनों ने अपनी इहलीला छत में लटककर समाप्त कर ली थी। फैजाबाद के मया इलाके मेें आधे दर्जन लोग इससे पीडि़त है वहीं बीकापुर में बीते साल एक व्यकित की मौत हो चुकी है। पूर्वान्चल एडस के लिये कैरियर बनता जा रहा है अब तक जितने भी मामले सामने आये है उसमें ज्यादातर लोग बाहर दूसरे प्रदेशों से यह लेकर प्रदेश में पहुंचे। प्रदेश में सरकारी आंकड़ों को देखा जाये तो प्रदेश में बीते ढार्इ साल में 267 लोगोें की मौत एडस से हो गयी।
एडस रोगियों में फैजाबाद जिले में 46, अम्बेडकरनगर में 41, आजमगढ़ में 133, जौनपुर 188, गाजीपुर 98, बलिया में 93, इलाहाबाद में 192, बस्ती में 46, देवरिया में 100, लखनऊ में 387, कानपुर में 260, रायबरेली 42, मऊ में 53, कुशीनगर में 169, सुल्तानपुर में 55, कुशीनगर ममें 413, उन्नाव में 36, सोनभद्र में 30 सिद्धार्थनगर में 38, श्रावस्ती में 3, सीतापुर में 9, शाहजहांपुर में 10, संतरविदासनगर में 66, प्रतापगढ़ में 70, बलरामपुर 25, बाराबंकी 25, चन्दौली 39, इटावा 59, फतेहपुर 37, फिरोजाबाद 40, गोण्डा 49, गोरखपुर 63, कौशाम्बी 28, मिर्जापुर 62, रामपुर 21, मामले पाये गये है लेकिन ये वह संख्या है जो लेाग अस्पतालों में आये और उनका वे एचआर्इवी पाजीटिव पाये गये। प्रदेश में एडस मामले में प्रदेश मेें अब तक 267 मौतें हुयी। प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री अनन्त कुमार मिश्र के अनुसार जनवरी 2004 से 31 जुलार्इ 2007 तक 267 मौते हुयी है। इसे रोकने के लिए लक्षित इण्टरवेशन, एसटीडी नियंत्रण, कण्डोम प्रोत्साहन, रक्त सुरक्षा, लो कास्ट कम्युनिटी केयर, की भारत सरकार तथा राज्य सरकार की योजनाओं को चला रही है। एडस की नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 6 एण्टी टि्रवायरल थेरेपी, केजीएमसी लखनऊ, मेडिकल कालेज मेरठ, बीएचयू वाराणसी, मेडिकल कालेज इलाहाबाद, मेडिकल कालेज अलीगढ़ तथा मेडिकल कालेज गोरखपुर में केन्द्रों की स्थापना की गयी है। पीलीभीत जनपद में अकेले इस जिले में पांच साल में 40 एडस रोगी हो चुके है। इसमें दर्जन भर दंपतित और एक बच्चा भी शामिल है। जिले में अक्तूबर में तीन एचआर्इवी और एडस रोगी मिले, जबकि इस साल नौ एडस रोगी अब तक मिल चुके है। 40 एडस रोगियों में करीब 15 की मौत अभी तक हो चुकी है। मुजफ्फरनगर जनपद मेें इस वर्ष में एडस रोगियों की संख्या दोगुनी हो गर्इ। एडस के मरीजों की इस बढ़ती संख्या से नगरवासियों में भय व्याप्त है। एचआर्इवी के 33 केस जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
देश में हयूमन इम्यूनो वायरस से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ शामली मेें भी इस बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। पिछले वर्ष की तुलना ममें इस वर्ष नगर मं एचआर्इवी मरीजों की संख्या दोगुनी हो गर्इ है। सात माह क अंदर एडस के 10 नए माले सामनेाअएं है। बढ़ रही मरीजों की संख्या से नगरवासी बीमारी से भयभीत है।
रोग के उपायों का प्रचार प्रसार केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गया हैं आज भी गांवों में जब पूछा जाता है कि एडस क्या होता है। इसका टेस्ट करवाया या नहीं। जवाब मिलता है कि ये कौन सी बला होती है, जा बीमारी तो पहली बार सुनी भइया गिधौर के अनोखे लाल, ललपुरिया के अजमेर सिंह, भरतपुर के बेअंत ंिसह आदि भी इस बीमारी से इत्तेफाक तो रखते हैं, लेकिन कहा कि इस बावत कभी सरकार ने चेताने जैसे कोर्इ कार्यक्रम नहीं किए है। सच यह है कि परियेाजना निदेशक पूर्णकालिक न होने के कारण कर्इ तरह की समस्याऐं खड़ी हो गयी है। एक दिसम्बर को जारी होने वाला जागरूकता वाला विज्ञापन सिर्फ लखनऊ के अखबारों में सिमट कर रह गया है। एडस कन्ट्रोल सोसायटी के प्रचार मध्य का पैसा सिर्फ नकली और चहेते लोगों द्वारा प्रकाशित होने वाली स्मारिकाओं और कम प्रसार वाले समाचार पत्रों में छपवाकर सोसायटी के प्रचार अधिकारी बन्दरबाट में संलग्न है।जबकि दूसरी ओर सोसायटी के परियोजना निदेशक दावा करते है कि एच0आर्इ0वी0 एडृस के प्रसार को रोकने के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार तथा जनसमान्य में एडस जागरूकता के स्तर को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य एडस नियंत्रण सोसायटी द्वारा विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही है। एडस रोगियों की देखभाल के लिए सामाजिक एवं पारिवारिक सहयोग का वातावरण तैयार करने पर विशेष बल दिया जा रहा है। एडस रोगियों को उनके निवास के निटक आधुनिक उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के 27 जनपदों में लिंक ए0आर0टी0 सेण्टर स्थापित किये गये है। वर्ष 2008 में प्रदेश में कुल 11,053 व्यकित एच0आर्इ0वी0 पाजिटिव तथा 3369 एडस रोगी प्रकाश में आये है।
यह जानकारी उत्तर प्रदेश राज्य एडस नियंत्रण सोसयटी के परियोजना निदेशक एस0पी0 गोयल ने दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2008-09 में 210 एकिकृत परामर्श एवं परीक्षण केन्द्र (आर्इ0सी0टी0सी0) स्थापित किये गये, इसमेें से 28 नये केन्द्र है। इन केन्द्रों के माध्यम से एच0आर्इ0वी0 एडस मरीजों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधायें प्रदान करने व उन्हें तथा उनके परिवारजनों को परामर्श की सेवायें उपलब्ध करायी गयी। इसमें से 2,40,034लोगों की जांच की गयी, जिसमें से 10,914 एच0आर्इ0वी0 पाजिटिव पाये गये। एडस के विषाणु यौन रोगियों में आम आदमी की तुलना में आसानी से प्रवेश कर जाते है। उनके उपचार के लिए 79 एस0टी0डी0 क्लीनिक खोले गये है। उन्हाेंने बताया कि वर्ष 2008 मे 9,72,949 रोगियों का उपचार किया गया।
आजमगढ़ के प्रवासी श्रमिकों में एच0आर्इ0वी0 एडस के निवारण और ज्ञानवर्धन हेतु सपोर्ट फार र्इमप्लेमेन्टेशन सन लखनऊ संस्था यू0एस0 ऐड व पैक्ट द्वारा आजमगढ़ के दो ब्लाक फूलपुर व मिर्जापुर मेें एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। एच0आर्इ0वी0 एडस को रोकने के लिए यह एक अति आवश्यक कदम है।
प्रवासी श्रमिकाें में एच0आर्इ0वी0 एडस की जानकारी देने से इस संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है। आजमगढ़ जनपद उधोग के मामले में बहुत पिछड़ा है। यहां आय का एकमात्र साधन कृषि हैं अत: यहां की बहुसंख्यक जनता मुम्बर्इ, दिल्ली, गुजरात, कलकत्ता आदि शहरों में जाकर नौकरी या व्यवसाय करके अपनी रोजी रोटी चलाते है। घर से दूर रहने के कारण यह अक्सर वेश्याओं के सम्र्पक में आ जाते है। जानकारी के अभाव में सुरक्षा उपाय ना करने के कारण इनमें एच0आर्इ0वी0 वायरस के संक्रमण की सम्भावना बहुत अधिक होती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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