Posted on 16 January 2014 by admin
वर्तमान मौसम में पशुओं को ठंड से बचाने के लिए सुबह-शाम पशुओं पर झूल डालें तथा रात में पशुओं को पशुघर के अन्दर बांंधें एवं पशुघर के खिड़की एवं दरवाजों को टाट-बोरी के परदे से या कडवी का टटटर बनाकर ढकें। पशुओं में गलाघोंटू व लंगडि़या बुखार का टीका लगवायें। यह सुविधा सभी पशुचिकित्सालयों पर उपलब्ध है।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा किसान मण्डी भवन में आयोजित बैठक में, फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गर्इ सलाह के अनुसार किसान नवजात पशुओं के पेट में होने वाले कीड़ों से बचाने के लिए पशुओं की डी-वर्मिंग एवं सींगरोधन कि्रया स्थानीय पशु चिकित्सालय पर करवायें।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें खनिज लवण एवं संतुलित पशु आहार अवश्य खिलायें। उन्होंने बताया कि पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता बनायें रखने के लिए बोयी गयी चारा फसलों में सिंचार्इ करते रहें ताकि ठण्डे मौसम में फसलों की बड़वार प्रभावित न हो।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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sa@upnewslive.com
Posted on 16 January 2014 by admin
शिक्षक बनने आए हैं-राजाज्ञा लेकर जाएंगे का संकल्प कर चुके प्रदेश के हजारों शिक्षामित्र आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन उ0प्र0 के नेतृत्व में अनिशिचत कालीन डेरा डालो-घेरा डालो आन्दोलन मे अनवरत नववें दिन भी डटे हुए हैं। जबर्दस्त ठिठुरन, सर्द हवाओं और बारिश में जहां लोगों को घर के अन्दर भी अलाव व हीटर का सहारा लेना पड़ रहा है वहीं देश के नौ निहालों का भविष्य निर्माण करने वाले शिक्षामित्र अपने बाल बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे गोमती तट पर विगत 7 जनवरी से डटे हुए हैं। वे कभी भीख मांगकर, कभी झाड़ू लगाकर, कभी अर्धनग्न होकर, कभी टी0र्इ0टी0 महराज की शव यात्रा निकाल कर, कभी कैण्डल मार्च कर और कभी समायोजन की मानव श्रृंखला बनाकर प्रदेश सरकार से बिना टी0र्इ0टी0 शिक्षक बनाये जाने की गुहार कर रहे है, किन्तु संवेदनहीन सरकार वादानुसार शिक्षक बनाने की राजाज्ञा न देकर शिक्षामित्रों को डेरा डालो-घेरा डालो आन्दोलन जारी रखने के लिए विवश कर दिया है। संगठन ने भी हार न मानते हुए डेरा डालो-घेरा डालो आन्दोलन का विस्तृत कार्यक्रम तैयार कर लिया है। अब 16 जनवरी 2014 से तीन मण्डलों के साथ लखनऊ मण्डल का एक जनपद भी निर्धारित तिथि को आन्दोलन में समायोजित होगा।
शिक्षामित्रों ने कल जहां समायोजन की मानव श्रृंखला बनाकर समायोजन का पाठ पढ़ाया था वहीं आज शिक्षक की मानव श्रृंखला बनाकर प्रदेश सरकार से शिक्षक बनाये जाने की मांग की है।
प्रान्तीय अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने शिक्षामित्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि शासनादेश जारी करने में देरी के कारण ही आन्दोलन का विस्तार करना पड़ा है। 16 जनवरी से प्रदेश के 1.62 लाख शिक्षामित्र शिक्षण कार्य बहिष्कार करेंगे। जिस मण्डल के जनपद जिस दिन धरने में लगे हैं वहां के शिक्षामित्र लखनऊ आएंगे और शेष जनपदों के शिक्षामित्र शिक्षण कार्य बहिष्कार करते हुए बीआरसी भवन में एकत्रित होकर पंचायत करेंगे। फिर भी यदि राज्य सरकार ने राजाज्ञा नही दी तो शानितपूर्ण प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों को सड़कों पर निकल कर प्रदर्शन करने से कोर्इ भी नही रोक पाएगा।
महामंत्री विश्वनाथ कुशवाहा ने शिक्षामित्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में मा0 उच्च न्यायालय ने भी शिक्षामित्रों को टी0र्इ0टी0 से मुक्त रखने का आदेश कर दिया है। न्यायालय का सम्मान करते हुए अब प्रदेश सरकार को भी बिना टी0र्इ0टी0 शिक्षक बनाने का शासनादेश जारी कर देना चाहिए। जिससे उनका वादा भी पूरा हो जाएगा और शिक्षामित्र भी खुशी-खुशी घर वापस चले जायेंगे।
धरना प्रदर्शन को मुख्य रूप से सन्तोष मिश्र, राकेश बाजपेयी, अविनाश चन्द्र अवस्थी, रीना सिंह, गदाधर दूबे, बनवारीलाल गौतम, उदयवीर यादव, उमेश पाण्डेय, बृजेश राना, विकास यादव, संजय मिश्र, आनन्द दूबे, श्यामजी दूबे, अमरेन्द्र दूबे, अशोक राय, अजय दूबे, राजेश यादव, विनोद पटेल आदि लोगों से सम्बोधित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 16 January 2014 by admin
सुश्री मायावती को आज इस बात का पूरा एहसास हो गया है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। जनता बार-बार धोखा नहीं खाती है। आज बसपा की Þसावधान रैलीÞ से सचमुच जनता सावधान दिखार्इ दी और लाखों की भीड़ का दावा खोखला साबित हुआ। इस भीड़ में भी कोर्इ उत्साह नहीं था। किराये की भीड़ से इसकी आषा भी नहीं की जाती है। वास्तव में जनता ने काले धन की कमार्इ का खेल देखकर इससे किनारा ही कर लिया। बसपा सुप्रीमों अब वर्ष 2012 के चुनाव परिणामों की याद कर भयभीत हैं और दलित समाज से बार-बार त्राहि-त्राहि की गुहार लगाती दिखार्इ दी।
Û बसपा की फलाप रैली का ही शायद यह सीधा असर था कि सुश्री मायावती अपने पढ़े हुए भाषण में विरोधाभासी बातें बोलती रही। बसपा सरकार ने अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में सिवाय पत्थरों पर सरकारी खजाना लुटाने और मोटा कमीषन वसूलने के अलावा जन कल्याण का कोर्इ कार्य किया ही नहीं था। भ्रष्ट प्रशासनतंत्र और खाली खजाना ही समाजवादी पार्टी सरकार को मिला था। श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में विकास का नया एजेण्डा लागू किया और लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली की।
Û बसपा राज में भ्रष्टाचार का ऊपर से नीचे तक परनाला बहता रहा था। देश-विदेश तक प्रदेश की बदनामी हुर्इ थी। मुख्यमंत्री कार्यालय का काम केवल कमीशन वसूली के नए-नए स्रोत तलाशना ही रह गया था। प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था कर बसपा सरकार ने प्रशासन को जातीय कुचक्र में फंसाकर पंगु बना दिया था। समावजादी पार्टी सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था कायम की तो सुश्री मायावती को उससे भारी नाराजगी है।
Û भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी होने पर वे Þअपने अनुकूलÞ निष्पक्ष जांच की मांग कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। किस्से कहानी सुनाकर दलितों को और भोलीभाली महिलाओं को भ्रमित करने की उनकी चाल अब सफल होनेवाली नहीं है।
Û अजीब बात है कि मुजफफरनगर के पीडि़तों के आंसू पोंछने तो बसपा अध्यक्ष कभी उनके बीच गर्इ नहीं लेकिन धडि़याली आंसू बहाने में वे सबको पीछे छोड़ दिया हैं। समाजवादी पार्टी की सामाजिक न्याय यात्रा से भी उन्हें खतरा लगता हैं क्योंकि 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ मिलने पर उन्होने जिस तरह बंदिश लगार्इ थी, उसका भांडा फूट चुका है। बसपाराज का एक बड़ा झूठ यह भी बताया कि उन्होने कम दर पर 24-24 घंटे तक बिजली दी थी जबकि हकीकत यह है कि वे जाते-जाते 25 हजार करोड़ रूपए का कर्जा मंहगी बिजली खरीद कर छोड़ गर्इ थी। मंहगी बिजली खरीद में भी हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ था।
Û उत्तर प्रदेश को क्राइम प्रदेश कहना प्रदेश की जनता को अपमानित एवं बदनाम करना हैं। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सबसे ज्यादा बदहाल उनके समय रही। हत्या, बलात्कार लूट में उनके समय ही आधा दर्जन मंत्री विधायक अदालती आदेश पर जेल गए थे। खुद पूर्व मुख्यमंत्री ने माना था कि उनकी पार्टी सरकार में 500 अपराधी है। वे समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के दिन से ही राष्ट्रपति राज की मांग कर रही है। बेकारी भत्ता देनेवाली समाजवादी सरकार पर वे बेकारी बढ़ाने का आरोप लगा रही है जबकि उनके राज में 18000 सिपाहियों को नौकरियों से निकाल दिया गया था।
Û जितने दिन बसपा सत्ता में रही उसका एक-एक दिन प्रदेश की बदनामी और बदहाली के नाम रहा। जनता ने अब इसे हमेशा के लिये नकार दिया है। इसकी लखनऊ में 15 जनवरी,2014 की तथाकथित राष्ट्रीय सावधान रैली जिसमे विभिन्न प्रदेशो से भी लोग लाये गये थे, में उतनी भीड़ नहीं जुटी जितनी समाजवादी पार्टी की मण्डलीय रैलियों में हुर्इ है। बसपा में समाज के सभी वर्ग अपमानित हुये हैं इसलिये इसकी रैली में मुसिलम भार्इयों और किसानो ने झांककर भी नहीं देखा। समाजवादी पार्टी की रैलियों में किसान, मजदूर मुसिलम आदि सभी की बड़ी भागीदारी हो रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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