सुश्री मायावती को आज इस बात का पूरा एहसास हो गया है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। जनता बार-बार धोखा नहीं खाती है। आज बसपा की Þसावधान रैलीÞ से सचमुच जनता सावधान दिखार्इ दी और लाखों की भीड़ का दावा खोखला साबित हुआ। इस भीड़ में भी कोर्इ उत्साह नहीं था। किराये की भीड़ से इसकी आषा भी नहीं की जाती है। वास्तव में जनता ने काले धन की कमार्इ का खेल देखकर इससे किनारा ही कर लिया। बसपा सुप्रीमों अब वर्ष 2012 के चुनाव परिणामों की याद कर भयभीत हैं और दलित समाज से बार-बार त्राहि-त्राहि की गुहार लगाती दिखार्इ दी।
Û बसपा की फलाप रैली का ही शायद यह सीधा असर था कि सुश्री मायावती अपने पढ़े हुए भाषण में विरोधाभासी बातें बोलती रही। बसपा सरकार ने अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में सिवाय पत्थरों पर सरकारी खजाना लुटाने और मोटा कमीषन वसूलने के अलावा जन कल्याण का कोर्इ कार्य किया ही नहीं था। भ्रष्ट प्रशासनतंत्र और खाली खजाना ही समाजवादी पार्टी सरकार को मिला था। श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में विकास का नया एजेण्डा लागू किया और लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली की।
Û बसपा राज में भ्रष्टाचार का ऊपर से नीचे तक परनाला बहता रहा था। देश-विदेश तक प्रदेश की बदनामी हुर्इ थी। मुख्यमंत्री कार्यालय का काम केवल कमीशन वसूली के नए-नए स्रोत तलाशना ही रह गया था। प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था कर बसपा सरकार ने प्रशासन को जातीय कुचक्र में फंसाकर पंगु बना दिया था। समावजादी पार्टी सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था कायम की तो सुश्री मायावती को उससे भारी नाराजगी है।
Û भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी होने पर वे Þअपने अनुकूलÞ निष्पक्ष जांच की मांग कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। किस्से कहानी सुनाकर दलितों को और भोलीभाली महिलाओं को भ्रमित करने की उनकी चाल अब सफल होनेवाली नहीं है।
Û अजीब बात है कि मुजफफरनगर के पीडि़तों के आंसू पोंछने तो बसपा अध्यक्ष कभी उनके बीच गर्इ नहीं लेकिन धडि़याली आंसू बहाने में वे सबको पीछे छोड़ दिया हैं। समाजवादी पार्टी की सामाजिक न्याय यात्रा से भी उन्हें खतरा लगता हैं क्योंकि 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ मिलने पर उन्होने जिस तरह बंदिश लगार्इ थी, उसका भांडा फूट चुका है। बसपाराज का एक बड़ा झूठ यह भी बताया कि उन्होने कम दर पर 24-24 घंटे तक बिजली दी थी जबकि हकीकत यह है कि वे जाते-जाते 25 हजार करोड़ रूपए का कर्जा मंहगी बिजली खरीद कर छोड़ गर्इ थी। मंहगी बिजली खरीद में भी हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ था।
Û उत्तर प्रदेश को क्राइम प्रदेश कहना प्रदेश की जनता को अपमानित एवं बदनाम करना हैं। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सबसे ज्यादा बदहाल उनके समय रही। हत्या, बलात्कार लूट में उनके समय ही आधा दर्जन मंत्री विधायक अदालती आदेश पर जेल गए थे। खुद पूर्व मुख्यमंत्री ने माना था कि उनकी पार्टी सरकार में 500 अपराधी है। वे समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के दिन से ही राष्ट्रपति राज की मांग कर रही है। बेकारी भत्ता देनेवाली समाजवादी सरकार पर वे बेकारी बढ़ाने का आरोप लगा रही है जबकि उनके राज में 18000 सिपाहियों को नौकरियों से निकाल दिया गया था।
Û जितने दिन बसपा सत्ता में रही उसका एक-एक दिन प्रदेश की बदनामी और बदहाली के नाम रहा। जनता ने अब इसे हमेशा के लिये नकार दिया है। इसकी लखनऊ में 15 जनवरी,2014 की तथाकथित राष्ट्रीय सावधान रैली जिसमे विभिन्न प्रदेशो से भी लोग लाये गये थे, में उतनी भीड़ नहीं जुटी जितनी समाजवादी पार्टी की मण्डलीय रैलियों में हुर्इ है। बसपा में समाज के सभी वर्ग अपमानित हुये हैं इसलिये इसकी रैली में मुसिलम भार्इयों और किसानो ने झांककर भी नहीं देखा। समाजवादी पार्टी की रैलियों में किसान, मजदूर मुसिलम आदि सभी की बड़ी भागीदारी हो रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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