समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और उत्तर प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस पार्टी की जमीन खिसकती ही जा रही है। समाजवादी पार्टी जनता की विश्वसनीयता के साथ वैकलिपक राजनीति की मुख्य सूत्रधार बनकर उभर रही है। कांग्रेस और भाजपा की यह दुर्दशा लखनऊ से दिल्ली तक इसके नेताओं की जानकारी में है। फिर भी वे अपनी ढपली अपना राग छेड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। इनके सहारे अपनी नाव खेने की कुचेष्टा में बसपा भी अपने हाथपांव फेंक रही है। जनता ने इन सबको चुनाव में कोर्इ भाव न देने का मन बना लिया है।
कांग्रेस और भाजपा के नेता मुजफफरनगर की यात्राएं कर गए है। उन्होने किसी पीडि़त को कोर्इ मदद नहीं की। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कर्इ बार कहा कि विपक्षी नेता अपने सुुझाव दें तो सरकार उन पर अमल करेगी लेकिन किसी ने कोर्इ सुझाव या सलाह नहीं दी। एक नेताजी जेल से छूटते ही पटना से मुजफफरनगर पहुच गए और वहां की सिथति के बारे में अनर्गल बयान दे बैठे। उन्हें पीडि़तों के बजाय कांग्रेस की चिन्ता सता रही है और श्री मुलायम सिंह यादव के विरोध में बोलते हुए वे राजनीतिक शिष्टाचार भूल गए। श्री मुलायम सिंह यादव उनसे वरिष्ठ है और उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में भी उनकी प्रमुख भूमिका थी। यह उन्हें भूलना नहीं चाहिए। दरअसल, विपक्ष केवल अपनी सियासत की रोटियां सेंकने में ही लगा है, उसका जनहित से कोर्इ वास्ता नहीं है। काष, घडि़याली आंसू से सहानुभूति जतानेवाले मानवीय संवेदना का भी पाठ पढ़ते।
गुजरात से आयातित प्रभारी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सांप्रदायिक तत्वों के हाथ का खिलौना बना रहे हैं। समाजवादी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के लिए संघर्षशील रही है। उसने ही भाजपा को दिल्ली पहुचने से रोका है और संकट के समय यूपीए सरकार की रक्षा की है। अब उक्त प्रभारी समाजवादी पार्टी और इसके लोकप्रिय नेता श्री मुलायम सिंह यादव की खिलाफत कर अपने प्रांतीय भार्इ मोदी की ही वकालत कर रहे है। कैसा संयोग है कि मंगलवार की फलाइट से भाजपा के प्रभारी और वह एक ही दिन एक साथ लखनऊ आए। इससे लगता है कि भाजपा कांग्रेस दोनों समाजवादी पार्टी के खिलाफ साजिश में एक हैं और उन्हीं की शह पर बसपा श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पहले दिन से ही प्रदेश में समाजवादी पार्टी सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर रही है। ऐसे में मुसलमान कांग्रेस के साथ जाएगें, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस विधान सभा चुनावों में तीसरे चौथे नम्बर की प्रतिस्पद्र्धा करते दिखार्इ दिए हैं। जनता ने उन्हें समाजवादी पार्टी की सीधी प्रतिद्वंद्विता में भी नहीं रखा है। बसपा को जनता ने उसके काले कारनामों के चलते सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया है। समाजवादी पार्टी सरकार ने जनहित में जो तमाम निर्णय लिए है उससे किसान, नौजवान और मुसलमान सभी लाभानिवत हुए है। मुसलमान जानता है कि समाजवादी पार्टी और श्री मुलायम सिंह यादव उनकी हर मुसीबत में साथी रहे है। कांग्रेस- भाजपा ने बाबरी मसिजद तुड़वार्इ, श्री मुलायम सिंह यादव ने सरकार गिरने का खतरा उठाकर भी मसिजद बचार्इ। मुसिलमों के पक्ष में खड़े होकर उन्होने ही यह कहा था कि यह देश संविधान से चलेगा, आस्था से नहीं। कांग्रस-भाजपा जानते है कि अब केन्द्र में उनका बहुमत नहीं आनेवाला है, इस बार दिल्ली में जोर तीसरी ताकतों का होगा। समाजवादी पार्टी उसमें निर्णायक भूमिका निभाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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