Archive | September 4th, 2013

मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रिपरिषद के फैसले-हाईलाइट्स

Posted on 04 September 2013 by admin

  • प्रदेश के सभी राजकीय एलोपैथिक मेडिकल काॅलेजों में सेवानिवृत्त चिकित्सा शिक्षकों को संविदा पर नियुक्त किए जाने की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष किए जाने का निर्णय।
  • राज्य सरकार की मुरादाबाद, फैजाबाद एवं सैफई स्थित हवाई पट्टियों को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, भारत सरकार को यथास्थिति में हस्तांतरित किए जाने एवं मुरादाबाद तथा फैजाबाद हवाई पट्टियों के लिए अतिरिक्त भूमि निःशुल्क एवं समस्त भार-मुक्त रूप में भारत सरकार को उपलब्ध कराए जाने का निर्णय।
  • राज्य सरकार की मेरठ स्थित डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर, हवाई पट्टी, परतापुर को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, भारत सरकार को यथास्थिति में हस्तांतरित किए जाने का निर्णय।
  • उ0प्र0 सचिवालय के चतुर्थ श्रेणी के पदों पर वर्तमान में अनुमन्य सचिवालय भत्ते को 500 रुपये से बढ़ाकर 625 रुपये प्रतिमाह करने एवं मोबाइल फोन भत्ते के रूप में 125 रुपये प्रतिमाह अनुमन्य किए जाने का निर्णय।
  • उत्तर प्रदेश सचिवालय के सहायक समीक्षा अधिकारी के पदों पर वर्तमान ग्रेड वेतन 4200 रुपये को उच्चीकृत कर गे्रड वेतन 4600 रुपये किए जाने का फैसला।
  • उत्तर प्रदेश चिकित्सा परिचर्या सेवा कर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्थान (हिंसा और सम्पत्ति की क्षति का निवारण) अध्यादेश, 2013 के प्रतिस्थानी विधेयक को राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुरास्थापित/पारित कराकर अधिनियमित कराए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत।
  • झांसी विकास क्षेत्र का सीमा विस्तार किए जाने का निर्णय।
  • राज्य सम्पत्ति विभाग के वाहन चालकों को सी0यू0जी0 की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का निर्णय।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व सैनिक अथवा उनकी विधवाओं को देय पेंशन की दरों का पुनरीक्षण किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत।
  • आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, समस्त विकास प्राधिकरण आदि तथा नगर विकास विभाग के अधीन स्थानीय निकायों के अंतर्गत अवस्थित अचल संपत्तियों के अंतरण पर विभिन्न अधिनियमों के अन्तर्गत अधिसूचित क्षेत्रों में स्थित अचल संपत्ति के अंतरण विलेखों पर संग्रहीत दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की धनराशि के वितरण की प्रक्रिया निर्धारित करने का प्रस्ताव मंजूर।
  • भूख मुक्ति एवं जीवन रक्षा गारण्टी योजना के अंतर्गत प्रदेश की बी0पी0एल0 श्रेणी की सभी महिलाओं को दो-दो साड़ी तथा वृद्धजनों को एक-एक कम्बल दिए जाने का निर्णय।
  • प्रदेश के चार महानगरों यथा इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर नगर एवं गाजि़याबाद में अत्याधुनिक सुविधायुक्त कंट्रोल रूम की स्थापना का निर्णय।
  • उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली, 1991 में द्वितीय संशोधन करने का प्रस्ताव मंजूर।
  • उत्तर प्रदेश अभियोजन संवर्ग के रिक्त पदों के सापेक्ष, अभियोजन सेवा संवर्ग के सेवानिवृत्त अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति किए जाने की मंजूरी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

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मुख्यमंत्री को बीस-सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष श्री सुरेश पाण्डेय ने 51 हजार रु0 का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पीडि़त सहायता कोष हेतु प्रदान किया

Posted on 04 September 2013 by admin

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव 03 सितम्बर, 2013 को लखनऊ में बीस-सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष (राज्य मंत्री स्तर)

श्री सुरेश पाण्डेय से 51 हजार रुपये का बैंक ड्राफ्ट प्राप्त करते हुए।

श्री सुरेश पाण्डेय ने मुख्यमंत्री पीडि़त सहायता कोष हेतु 51 हजार रुपये का बैंक ड्राफ्ट  मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को आज यहां प्रदान किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उपाध्यक्ष श्री पाण्डेय का आभार व्यक्त करते हुए प्रदेशवासियों से उत्तराखण्ड आपदा के प्रभावित लोगों की सहायता के लिए अधिक से अधिक दान करने की अपील की।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

Posted on 04 September 2013 by admin

up-govt-logo-150x150उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-

भूख मुक्ति एवं जीवन रक्षा गारण्टी योजना के अन्तर्गत प्रदेश की

बी0पी0एल0 श्रेणी की सभी महिलाओं को दो-दो साड़ी तथा

वृद्धजनों को एक-एक कम्बल दिए जाने का निर्णय

भूख मुक्ति एवं जीवन रक्षा गारण्टी योजना के अन्तर्गत प्रदेश की बी0पी0एल0 श्रेणी की सभी महिलाओं को दो-दो साड़ी तथा वृद्धजनों को एक-एक कम्बल दिए जाने के सम्बन्ध में पूर्व में जारी शासनादेश दिनांक 19 मार्च, 2013 में संशोधन परिवर्धन के पश्चात् मंत्रिपरिषद ने इस योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब साडि़यों की टेस्टिंग हेतु उल्लिखित प्रयोगशालाओं में वस्त्र समिति कानपुर की लैब को भी सम्मिलित कर लिया गया है। साथ ही, साड़ी/कम्बल में इस आशय का टैग लगाए जाने का फैसला किया गया है कि साड़ी/कम्बल का वितरण पंचायती राज विभाग के सौजन्य से किया जा रहा है। यह वस्त्र बिक्री हेतु नहीं है।

अभियोजन संवर्ग के रिक्त पदों के सापेक्ष, अभियोजन संवर्ग के

सेवानिवृत्त अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति का फैसला

उत्तर प्रदेश अभियोजन संवर्ग में रिक्त पदों के कारण प्रदेश में प्रभावी अभियोजन की कार्यवाही में आ रही कठिनाई को दूर करने के लिए इस संवर्ग के रिक्त पदों के सापेक्ष, अभियोजन संवर्ग के सेवानिवृत्त अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति किए जाने के फैसले को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी प्रदान कर दी है।

इस निर्णय के अनुसार अभियोजन संवर्ग से सेवानिवृत्त अधिकारी को उत्तर प्रदेश स्थित उसके गृह जनपद को छोड़कर प्रदेश के किसी जिले में नियुक्त किया जा सकेगा, जिनकी अधिकतम आयु 65 वर्ष हो व शारीरिक, मानसिक रूप से अभियोजन अधिकारियों के दायित्वों का निर्वहन करने में सक्षम हों। संविदा पर नियुक्त कार्मिक के कार्य व दायित्व वही होंगे, जो नियमित अभियोजन संवर्ग के अधिकारी के होते हैं।

उ0प्र0 अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली, 1991 में द्वितीय संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली, 1991 में द्वितीय संशोधन किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

राज्य सम्पत्ति विभाग के वाहन चालकों को सी0यू0जी0

मोबाइल फोन की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने राज्य सम्पत्ति विभाग के वाहन चालकों की विशेष सेवाओं के दृष्टिगत उन्हें सरकारी व्यय पर सी0यू0जी0 मोबाइल फोन की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया है। चूंकि राज्य सम्पत्ति विभाग में कार्यरत वाहन चालकों के कार्य एवं दायित्व तथा प्रास्थिति राज्य सरकार के अधीन कार्यरत अन्य विभागों के वाहन चालकों से सर्वथा भिन्न है। अतः यह सुविधा अन्य विभागों को उपलब्ध नहीं कराई जाएगी।

झांसी विकास क्षेत्र की वर्तमान सीमा का विस्तार करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने झांसी विकास क्षेत्र की वर्तमान सीमा का विस्तार करते हुए 62 राजस्व ग्रामों को झांसी विकास क्षेत्र की सीमा में सम्मिलित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 1984 में झांसी विकास क्षेत्र के गठन के उपरान्त इसका सीमा विस्तार नहीं किया गया। जनपद झांसी में उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम फोर लेन का जंक्शन बनने के कारण, सीमा के बाहर चारों दिशाओं में तथा ओरछा एवं खजुराहो अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक स्थल होने के कारण सम्बन्धित मार्ग एवं आसपास के क्षेत्र के सुनियोजित विकास की प्रबल संभावना है। इसके दृष्टिगत झांसी विकास क्षेत्र की वर्तमान सीमा का विस्तार करने का निर्णय लिया गया है।

द्वितीय विश्वयुद्ध के भूतपूर्व सैनिकों एवं विधवाओं की मासिक पेंशन में वृद्धि

मंत्रिपरिषद ने द्वितीय विश्वयुद्ध के उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व सैनिकों एवं विधवाओं को दी जा रही पेंशन की वर्तमान दर 2,500 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 4 हजार रुपये प्रतिमाह, शासनादेश जारी होने की तिथि से, किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

अचल संपत्ति के अंतरण विलेखों पर संग्रहीत दो प्रतिशत अतिरिक्त

स्टाम्प शुल्क की धनराशि के वितरण की प्रक्रिया निर्धारित

मंत्रिपरिषद ने आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, समस्त विकास प्राधिकरण आदि तथा नगर विकास विभाग के अधीन स्थानीय निकायों के अंतर्गत अवस्थित अचल संपत्तियों के अंतरण पर विभिन्न अधिनियमों के अन्तर्गत अधिसूचित क्षेत्रों में स्थित अचल संपत्ति के अंतरण विलेखों पर संग्रहीत दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की धनराशि के वितरण की प्रक्रिया निर्धारित कर दी है।

इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर नगर एवं गाजि़याबाद में अत्याधुनिक कन्ट्रोल रूम स्थापित करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के 4 महानगरों-इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर नगर एवं गाजि़याबाद में अत्याधुनिक सुविधायुक्त कन्ट्रोल रूम स्थापित करने का निर्णय लिया है।

ज्ञातव्य है कि इन महानगरों की जनसंख्या देश के बड़े नगरों के समकक्ष हो गई है। अत्याधुनिक कन्ट्रोल रूम की स्थापना का उद्देश्य इन नगरों के निवासियों को आकस्मिकता की स्थिति में त्वरित पुलिस सहायता उपलब्ध कराया जाना है। पुलिस सेवा के लिए यह व्यवस्था जिन चार महानगरों में की जा रही है, उसमें पुलिस कन्ट्रोल रूम थानों के माध्यम से सहायता पहुंचाने के बजाए सीधे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पर्यवेक्षण में अपर पुलिस अधीक्षक के अधीन स्वतंत्र रूप से संचालित होगा।

राजकीय एलोपैथिक मेडिकल काॅलेजों में सेवानिवृत्त

चिकित्सा शिक्षकों को संविदा पर नियुक्त किए जाने की

अधिकतम आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष किए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के सभी राजकीय एलोपैथिक मेडिकल काॅलेजों में सेवानिवृत्त चिकित्सा शिक्षकों को संविदा पर नियुक्त किए जाने की अधिकतम आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष किए जाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय मेडिकल काॅलेजों मंे छात्रों के समुचित पठन-पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तथा वर्तमान में प्रदेश के मेडिकल काॅलेजों में वरिष्ठ चिकित्सा शिक्षकों की कमी को देखते हुए लिया गया है।

राज्य की मुरादाबाद, फैजाबाद एवं सैफई स्थित हवाई पट्टियों को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को यथा स्थिति में हस्तांतरित करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में हवाई यात्रियों की संख्या में वृद्धि के मद्देनजर बेहतर एअर कनेक्टिविटी विकसित करने के उद्देश्य से राज्य की मुरादाबाद, फैजाबाद एवं सैफई स्थित हवाई पट्टियों को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को यथा स्थिति में हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही मुरादाबाद और फैजाबाद स्थित हवाई पट्टी के विस्तार/उच्चीकरण के लिए आवश्यक अतिरिक्त भूमि का क्रय/अर्जन कर निःशुल्क रूप से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। भूमि के क्रय/अर्जन पर होने वाले व्यय को वहन करने के लिए धन की व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2013-14 मंे अनुपूरक मांग के माध्यम की जाएगी।

मेरठ स्थित डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर हवाई पट्टी, परतापुर को भारतीय

विमानपत्तन प्राधिकरण को यथा स्थिति में हस्तान्तरित किए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश की मेरठ स्थित डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर हवाई पट्टी, परतापुर को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को यथा स्थिति में हस्तान्तरित किए जाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेहतर एअर कनेक्टिविटी को विकसित करने तथा यहां से ‘सी’ श्रेणी के हवाई जहाजों का ‘सिविल शेड्यूल आॅपरेशन’ प्रारम्भ करने के उद्देश्य से लिया गया है।

उ0प्र0 सचिवालय के चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों को सचिवालय भत्ते के रूप में

625 रुपये तथा मोबाइल फोन भत्ते के रूप में 125 रुपये दिए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 सचिवालय मंे वर्तमान में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों को वर्तमान में सचिवालय भत्ते के रूप में अनुमन्य हो रहे 500 रुपये को बढ़ाकर 625 रुपये किए जाने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त ऐसे चतुर्थ श्रेणी कार्मिक जो अपना मोबाइल फोन रखते हैं और उसका उपयोग शासकीय कार्य हेतु भी किया जाता है, उन्हें मोबाइल फोन भत्ते के रूप में 125 रुपये प्रतिमाह तत्काल प्रभाव से अनुमन्य किए जाने का निर्णय लिया है।

उ0प्र0 सचिवालय के सहायक समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी (लेखा) को वर्तमान में अनुमन्य ग्रेड वेतन 4200 रुपये के स्थान पर

4600 रुपये तत्काल प्रभाव से अनुमन्य किए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सचिवालय के समीक्षा अधिकारी, अनुभाग अधिकारी एवं अन्य पदों पर अनुमन्य सचिवालय भत्ते के अंश को ग्रेड वेतन में सम्मिलित करते हुए उच्चीकृत ग्रेड वेतन अनुमन्य कराए जाने के सादृश्य पर उ0प्र0 सचिवालय के सहायक समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी (लेखा) के पदों पर वर्तमान में अनुमन्य हो रहे सचिवालय भत्ते की धनराशि 850 रुपये में से 400 रुपये को ग्रेड वेतन में सम्मिलित करते हुए वर्तमान में अनुमन्य ग्रेड वेतन 4200 रुपये के स्थान पर 4600 रुपये तत्काल प्रभाव से अनुमन्य किए जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के फलस्वरूप सहायक समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी (लेखा) के पदों पर सचिवालय भत्ता 450 रुपये ही देय रह जाएगा।

उ0प्र0 चिकित्सा परिचर्या सेवा कर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था

(हिंसा और सम्पत्ति की क्षति का निवारण) अध्यादेश, 2013 के प्रतिस्थानी विधेयक को राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में पारित कराए जाने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 चिकित्सा परिचर्या सेवा कर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था (हिंसा और सम्पत्ति की क्षति का निवारण) अध्यादेश, 2013 के प्रतिस्थानी विधेयक को अधिनियम के रूप में अंगीकृत किए जाने हेतु राज्य विधान मण्डल से पारित कराए जाने का निर्णय लिया है। ज्ञातव्य है कि दिनांक 20 मई, 2013 को उ0प्र0 चिकित्सा परिचर्या सेवा कर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था (हिंसा और सम्पत्ति की क्षति का निवारण) अध्यादेश, 2013 प्रख्यापित किया गया था। इस अध्यादेश के प्रतिस्थानी विधेयक को राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुरः स्थापित/पारित कराकर अधिनियमित कराए जाने का निर्णय लिया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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न्याय पाने के लिए सड़कों पर उतर कर संघर्ष

Posted on 04 September 2013 by admin

भाजपा समाजिक न्याय मोर्चा उ0प्र0 के पदाधिकारियों की बैठक भाजपा मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष बहोरन लाल मौर्य की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।

मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा0 रमापति राम त्रिपाठी ने सम्बोंधन में कहा कि भाजपा सदैव से ही द्ररिद्र नारायण की उत्थान की अवधारणा पर कार्य करती रही है। इसी संदर्भ में 2001 में सामाजिक न्याय समिति का गठन करके अति पिछड़ों एवं अति दलितों को न्याय दिलाने का संकल्प लिया।

प्रदेश अध्यक्ष बहोरन लाल मौर्य ने अपने सम्बोंधन में कहा कि 2001 में 27 सितम्बर को सदन में सामाजिक न्याय समिति पर अध्यादेश जारी हुआ था इसलिए 27 सितम्बर 2013 को सामाजिक न्याय दिवस मनाये जाने व पार्टी मुख्यालय से राज्यपाल के यहां सामाजिक न्याय मोर्चा के कार्यकर्ता न्याय मार्च करते हुए ज्ञापन देने जायेगे। साथ ही सरकार द्वारा धार्मिक आधार पर 30 विभागों में 20 प्रतिशत कार्य का आरक्षण आदेश मुसलमानों को खुश करने हेतु जारी किया गया है। इस आदेश उन्माद बढ़ेगा तथा इसके विरोध में भी ज्ञापन दिया जायेगा।

भाजपा प्रदेश मंत्री श्रीमती अनुपमा जायसवाल ने सम्बोधन में कहा कि देश के आजाद होने के बाद सामाजिक न्याय की व्यवस्था तत्काल संविधान में होना चाहिए था। 2001 में राजनाथ सिंह जी के मुख्यमंत्रित्व काल में सामाजिक न्याय समिति का गठन किया गया किन्तु सपा और बसपा की सरकारों ने उसको लागू नही होने दिया। सामाजिक न्याय पाने के लिए सड़कों पर उतर कर संघर्ष किया जायेगा।

अन्य वक्ताओं ने प्रमुख रूप से पूर्व केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जी, प्रदेश महामंत्री रामनाथ कोविन्द, पूर्व मंत्री उ0प्र0 शासन रामकुमार वर्मा, केशव प्रसाद मौर्य विधायक, सुशील कुमार शाक्य पूर्व विधायक, धर्मपाल सिंह पूर्व मंत्री उ0प्र0 सरकार, प्रकाश पाल संगठन मंत्री, बाबूलाल बलवन्त पूर्व मंत्री उ0प्र0 शासन, हरिनारायण राजभर पूर्व मंत्री उ0प्र0 शासन, रामनारायण साहू पूर्व सांसद राज्यसभा ने सम्बोधित किया।

बैठक में प्रमुख रूप से रमेश चन्द्र लोधी एड0 प्रदेश महामंत्री, भारत सिंह मौर्य, सुरेश सैनी व रामप्रकाश आर्य, राजेश सचान उपाध्यक्ष, अरविन्द बघेल, नन्द लाल साहू, गीता निषाद प्रदेश मंत्री, विनय शरण गुप्ता सहमीडिया प्रभारी, भागीरथी मौर्य, जय प्रकाश कुशवाहा, अरूण पाल, जगदीश साहू, दिनेश मौर्य, गया लाल वर्मा, उत्तर कुमार मौर्य, मानसिंह गोस्वामी, अरविन्द विश्वकर्मा, यशपाल गोला, गोपालजी पाल आदि उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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आम आदमी को न्याय न दे पाने की स्थिति

Posted on 04 September 2013 by admin

राजनीति में कोई किसी पर कृपा नही करता। संगठन मजबूत कर समाजवादी पार्टी की ”गुण्डई, धनबल व बाहुबल के दमपर राजनीति” का जमकर मुकाबला करने को तैयार रहना होगा। सपा सरकार द्वारा आम आदमी को न्याय न दे पाने की स्थिति को उन्होंने गंभीरता से लिया और कहा भाजपा संघर्ष ही नही करेंगी बल्कि अधिवक्ताओं की कमेटी गठित कर न्यायालय स्तर पर लड़ाई लडी जायेगी। उक्त उद्बोधन दो दिवसीय संगठनात्मक दौरे पर झांसी आए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री व उ0प्र0 के प्रभारी श्री अमित शाह ने दूसरे दिन बुन्देलखण्ड क्षेत्र के क्षेत्रीय पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की बैठक मंे बतौर मुख्य अतिथि दिया।

बैठक को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में संगठनात्मक संरचना लगभग पूर्ण कर ली गयी है। उन्होंने आग्रह किया कि मिशन 2014 ही नही बल्कि मिशन 2017 का लक्ष्य रख अपने-अपने बूथों की संरचना दुरूस्त कर ले। बूथों का वर्गीकरण हमारी प्राथमिकता में होना चाहिए।

श्री शाह ने विचारधारा को प्राथमिकता देकर कार्य करने पर विशेष बल दिया। वहीं पिछड़े वर्ग के वोट को पहले से कही ज्यादा जोड़ने के लिए पिछड़े वर्ग के लिए तत्परता से संघर्ष करने व पिछड़ांेे की लड़ाई पूर्ण रूप से लड़ने का आह्वान किया। आरक्षण विषय पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि ”महेश का हक महमूद को मिले” यह भाजपा बर्दाश्त नही करेंगी। इसके पूर्व श्री शाह ने वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई व महारानी झलकारी बाई की प्रतिमा पर माल्यार्पाण किया।

बैठक में उ0प्र0 सहप्रभारी सत्येन्द्र कुशवाहा, बुन्देलखण्ड क्षेत्र अध्यक्ष बाबूराम निषाद, क्षेत्रीय संगठन मंत्री रत्नाकर पाण्डेय, विधायक साध्वी निरंजन ज्योति, प्रदेश महामंत्री रामनाथ कोविंद, विधायक रवि शर्मा, पूर्व सभापति कुॅ मानवेन्द्र सिंह, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी चन्द्रभान राय, भैरो प्रसाद मिश्रा, राजेश सिंह, जयदेव पुरोहित, राम रतन कुशवाहा आदि प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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अल्पसंख्यकों के हितों हेतु खोखले दावे - अनिल दुबे

Posted on 04 September 2013 by admin

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने प्रदेष सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों हेतु किये जा रहे दावों को खोखला बताते हुये कहा है कि केन्द्र सरकार की एक रिपोर्ट से प्रदेष सरकार का अल्पसख्यक हितैषी होने का दावा  उजागर हो गया है जिसके अनुसार देष के सबसे बड़े राज्य उ0प्र0 में मुस्लिमों की स्थिति प्राथमिक षिक्षा में बहुत ही चिन्ता जनक है और अन्य सभी राज्यों से पीछे है। edited-photo-anil-dubey

श्री दुबे ने आज लखनऊ में जारी बयान में कहा कि प्रदेष में मुस्लिमों की आबादी 18 प्रतिषत से अधिक है और उन मतों के लिए पहले बसपा सरकार और अब सपा सरकार उनके हितों के लिए बड़े बड़े प्रलाप कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा है। दोनो ही सरकारों ने अल्पसख्यकों को सिर्फ छलने का काम किया और जबकि समाजवादी पार्टी ने तो विधान सभा चुनाव के पूर्व घूम घूम कर अल्पसख्यक मुसलमान के लिए 18 प्रतिषत आरक्षण देने तथा सच्चर कमेंटी की सिफारिषों को हूबहू लागू करने तथा सभी सरकारी योजनाओं, संस्थानों में  आरक्षण देेने की घोषणा की थी परन्तु सरकार बनने के बाद उन पर कोई अमल नहीं किया, केवल दिखावे के तौर पर कुछ योजनाओं में आरक्षण देने की घोषणा कर रस्म अदायगी भर की, वो भी उन योजनाओं में जो केन्द्र सरकार द्वारा संचालित है।

श्री दुबे ने कहा कि अपने आपको मुसलमानों का सच्चा हिमायती कहने वाली सरकार में, प्रदेष में जब मुसलमानों के बच्चे प्राथमिक षिक्षा में ही वांछित है, ऐसे में उनका विकास कैसे होगा मुसलमानों का हितैषी होने का उनका दावा कितना सही है, स्वतः स्पष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यदि अल्पसख्यकों के लिए वास्तव में कुछ करना चाहती हैं तो अपने चुनावी घोषणा पत्र में उल्लिखित बातों को पूरा करे, और पिछड़ों के लिए दिये गये 27 प्रतिषत आरक्षण में मुसलमानों का 8.44 प्रतिषत हिस्सा ही उनको देने की घोषणा करे तथा उनकी बुनियादी षिक्षा के लिए युद्वस्तर पर प्रयास करे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

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जुवेनाइल एक्ट बाल अपराध का संरक्षक —- संजय कुमार आजाद

Posted on 04 September 2013 by admin

पूरे देश को झकझोर कर देने वाली घटना पिछले साल 16 दिसम्बर 2012 को  दिल्ली में घटित हुई। पूरे देश में इस अमानवीय दुष्कर्म घटना का रोष देख गया। समाज से लेकर सियासत तक को यह घटना हिलाकर रख दिया था। आजादी के 66 वर्ष बाद भी भारत की महिला भारत में,वह भी देष की राजधानी दिल्ली जहां कि मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित हों वहां भी सुरक्षित नहीं है। इस घटना से लगा कि देश में निर्भया  की शहादत एक नई सोच, नई क्रांति का आगाज किया है। भले ही निर्भया उन दरिन्दों का बहशीपन का शिकार बनी किंतु अब भारतीय महिला ऐसे जघन्य कुकृत्य का शिकार नहीं बनेगी, क्योंकि अब सुसुप्त भारतीय समाज भी जागा और देश की सियासत में भी हलचल हुई है। अतः समाज जागरण से और इस व्याभिचार को कठोरतम कानून व त्वरित न्याय से रोका जाएगा। किंतु निर्भया पर उठा जन-जागरण और सियासी हलचल महज पानी का बुलबुला साबित हुआ। लोकसभा की अध्यक्षा महिला, नेता प्रतिपक्ष, महिला और तो और वर्तमान केन्द्रीय सरकार की संजीवनी बुटी एवं निर्देशिका भी महिला। ऐसे में देश को आशा और विश्वास था कि अब समाज के आधे अंग को न्याय मिलेगा, उसका हक मिलेगा। सदियों से उपेक्षित दलित एवं उपभोग तथा  नुमाईश की वस्तु समझे जाने वाली महिला का पुर्नजागरण होगी। वैदिक परंपरा में ‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’’ की पुर्नस्थापना होगी। समाज और सियासी दल कीचड़ में छुपे देश की आधी आबादी को उसकी हक देकर शोषित, पीडि़त महिलाओं को सम्मान से जीने का हक इस भारत भूमि में किसी मत, पंथ या समुदाय के रूप में नहीं बल्कि महिला के रूप में उसे समान अधिकार व न्याय देकर संविधान की मूल भावना को सुदृढ़ करने का प्रयास किया जाएगा। किंतु निर्भया की घटना के बाद एक बार फिर समाज और सियासत कुंभकर्णी नींद में सो गया। फलस्वरूप बलात्कार की घटनाओं में नापाक वृद्धि हुई और अपराधी भी निडर हो गये। अभी हाल ही में मुम्बई में अखबार के युवा फोटोग्राफर के साथ वही शर्मसार घटना दुहराई गयी। देश में अल्पव्यस्कों के द्वारा किये जा रहे घटनाओं में सर्वाधिक बढ़ोतरी हो रही है। क्योंकि भारत का कानून 18 वर्ष से कम उम्र के नृशंस अपराधियों को तीन साल की अधिकतम सजा वो भी बाल सुधार घर भेजकर देती है।यह न्याय सिर्फ पीडि़तों को हीं आजीवन दम घुट-घुट कर मरने की सजा देती है। आज के उन्मुक्त वातावरण में पल रहे और इंटरनेट की जिंदगी में जी रहा बालक 10 से 12 वर्ष की उम्र में ही अपने मस्तिष्क का विकास उस स्तर तक कर लेता है जो आज से 20 वर्ष पूर्व 21 वर्ष का युवा नहीं कर पाता था। उम्र के आधार पर न्याय की परिभाषा प्राकृतिक न्याय का गला घोंटना एवं पीडि़तों को जीते जी मरनासन्न के रूप में छोड़ना है। वर्तमान कानून की यह परिभाषा समाज के लिए विध्वंसकारी है जो सिर्फ अपराध को बढ़ावा देता है। अपने इर्द-गिर्द का सामाजिक वातावरण एवं पारिवारिक माहौल में 10-12 वर्ष के उम्र तक के बच्चे, बच्चे नहीं अपितु सब कुछ सोचने-समझने में सक्षम हो जाता है। ऐसे में वैसी घटनायें जो समाज के लिए अत्यंत विध्वंसकारी है के लिए उम्र की परिभाषा पर दंड का प्रावधान अमानवीय है। बलात्कार पीडि़ता की मनःस्थिति और समाज व परिवार का उसके प्रति नजरिया ही तिल- तिलकर उस पीडि़ता को मरने को मजबूर करती है। उस मुकाम तक पहुंचाने वाला दोषी महज 3 साल में छूटकर उसी पीडि़ता के छाती पर मूंग दलता रहता है। न्याय के उपर हंसता है।ये कैसा न्याय और न्याय की ऐसी संकल्पना से तो अच्छा बर्बर जीवन में ही जीना है। निर्भया के मामले में दिल्ली के बाल किशोर न्यायालय ने जो अधिकतम 3 साल का सजा उस दोषी को दिया वह निंदनीय व पुरुष समाज का महिलाओं के प्रति घोर अपमान है। बाल किशोर अपराधियों को उसकी मनोदशा, उसका मानसिक स्थिति जब अबोधावस्था की हो, मंद बुद्धि का हो तब वह बाल सुधार गृह के लिए उपयुक्त सजा हो सकती है। किंतु बलात्कार जैसी जघन्यता के लिए नहीं। किसी की हत्या के लिए नाबालिग को उसकी मानसिक विकास एवं बौद्धिक दक्ष्ता क्रम मानकर उसे बाल अपराधी कहा जा सकता है। बलात्कार जैसे अमानवीय प्रवृति किसी भी दशा में बाल अपराध नहीं हो सकता है और इस विकसित और बददिमागी प्रवृति पर कठोर से कठोरतम यहां तक की (बाल/वयस्क दोनों दशा में) फांसी की सजा भी कम है। मानसून सत्र में अनेक घोषणाओं का पिटारा संसद में लाया गया। कुछ विधेयक भी लाए गए। किंतु महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराध एवं तथाकथित बाल किशोर अपराधियों के प्रति संसद कठोर कानून नहीं बना पाया। एक कानून बना भी ‘‘पास्को’’ जो बलात्कार या महिलाओं के प्रति हो रहे व्यभिचार, छेड़छाड़ या अन्य मामलों में सिर्फ उम्र के आधार पर ही सजा देने का प्रावधान रखा है। जबकि तथाकथित बाल-किशोर अपराधियों का अपराध इस सामाजिक क्षेत्र में सुरसा की तरह बढ़ रही है। किंतु इस सरकार से महिलाओं की सुरक्षा की आशा करना बालू से तेल निकालने के जैसा है। समाज को विष्वास था कि श्रीमती सोनिया गांधी अपने पति एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी द्वारा वर्ष 1985 में किया गया पाप का प्रायश्चित इस बहाने कर सकेगी ताकि श्री राजीव गांधी की आत्मा को सुकून मिले और महिलाओं के प्रति उनका सामन्ती सोच का दाग धुल सके। देश को स्मरण होगा कि 60 वर्षीय मुस्लिम महिला शाहबानो ने अपने पति से तलाक के बाद अपना जीवन निर्वाह के लिए गुजारा भत्ता की मांग की थी। वह साहसिक मुस्लिम महिला सुप्रीम कोर्ट तक गयी और सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय कानून संहिता 125 ब्तच्ब के तहत फैसला शाहबानो के पक्ष में दिया किंतु उस महिलाओं को मिला यह अधिकार स्वतंत्र भारत के सामन्ती सोच का पार्टी कांग्रेस (ई) और उस वक्त के प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने शाहबानो की जिंदगी के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को बद से बदतर बनाने एवं उसे दर-दर की ठोकरे खाने या अपने अस्मत तक बेचने को मजबूर कर जीने के लिए छोड़ दिया। उस अधिकार से वंचित करने के लिए तत्काल लोकसभा में डॅच्त्क्.।बज 1986 ;डनेसपउ ॅवउमद ।तवजमबजपवद व ित्पहीजे वद क्पअवतबम ।बज 1986द्ध लाया और पास कराकर उसे शाहबानों मामले में भी लागू कराया। संविधान की मूल भावना के विपरीत यह अराष्ट्रीय कानून लोकतंत्र की आड़ में बनाई गयी और देश की महिला भारतीय के नाते नहीं अपितु मत, पंथ और समुदाय के तराजू में तौली जाने लगी। आजादी के इतने वर्षों बाद भी भारत की महिला अपने समानता के अधिकार को प्राप्त करने से वंचित है। आखिर देश के वोट बैंक के सौदागर अपनी वोट की लालच में कब तक महिलाओं के हक और हकूक का सौदा कर मुगलिया स्वप्न में डूबे रहेंगे। इस देश की आधी आबादी को पंथ व समुदाय से उपर उठकर आगे आने होगा। अपना हक इस पुरुष प्रधान समाज से उसे छिनने के लिए बगावत करना हो या जन क्रांति करना हो, उसे करना ही चाहिए। कोई भी पीडि़ता अपने प्रति किये अपराध को मत, पंथ या समुदाय की चश्मे से अपने उपर किये अपराध को नहीं देखती, अपराधी का उम्र, मत, पंथ से उसका कुकृत्य नहीं देखा जाता है। फिर भारत की लोकतंत्र ऐसा अमानवीय, घृणित, असंवैधानिक कुकृत्य को उम्र की तराजू से क्यों तौल रहा है। बलात्कार जैसे अमानवीय कृत्य जीते जी महिलाओं को ना घर का छोड़ती है ना बाहर का। इस घटना के उपरांत जीवित महिलाओं के आत्मबल एवं उसके साहस को भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को शुक्रगुजार होना चाहिए कि ईश्वर प्रदत्त जीने का अधिकार के सहारे वह इस पाश्विक पुरुष के समाज के बीच जिंदा है और वह समाज को दिशा देने में भी सक्षम है। ऐसे में भारत सरकार एवं अन्य स्वयंसेवी संगठन भी जुवेलाईल एक्ट जैसा अलोकतांत्रिक व घृणित एक्ट से भारत को मुक्त कराने का सार्थक प्रयास करे। जुबेनाइल एक्ट बाल मनोविज्ञान की प्रवृति के उलट इन अपराधों में है यह समाज को अधोगति पर ले जाने का प्रमुख कारक है। बाल सुधार गृहों का मकसद बाल अपराधियों में पुर्नवासित कर मुख्य धारा में शामिल होने लायक बनाना है किंतु आंकड़े बताते हैं कि नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो के वर्ष 2011 के आंकड़े के अनुसार बाल अपराधियों में से 64 प्रतिशत 16 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बाल अपराधी हैं। ऐसी परिस्थिति में यह जुबेनाइल एक्ट समाज में बाल अपराध को बढ़ावा और संरक्षक के रूप में कार्यशील है। जिसका सर्वाधिक शिकार इस देश की महिला बन रही है।पुरूष प्रधान भारतीय समाज और विष्व का परिपक्व विषाल लोकतंत्र की गरिमा इस गैरकानूनी जुबेनाइल एक्ट को समाप्त करने में ही है। —————-    संजय कुमार आजाद

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उत्तर प्रदेश में विपक्ष का नकारात्मक व्यवहार

Posted on 04 September 2013 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष पूरी तरह नकारात्मक व्यवहार कर रहा है, समाजवादी पार्टी की सरकार बिना बदले की भावना से विकास के एजेण्डा पर काम कर रही है। प्रदेश के पिछड़ापन को दूर करने का संकल्प लेकर मुख्यमंत्री जी समग्र विकास की परियोजनाओं पर ध्यान दे रहे है। क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के साथ सामाजिक विषमता से निबटने के लिए वे सतत प्रयासशील है। इस सबके बावजूद विपक्ष को सिर्फ समाजवादी सरकार में कमियां ही नजर आ रही है। कांग्रेस-भाजपा और बसपा की प्रदेश के जनमानस में कोई स्वीकार्यता नहीं बची है। अपने को राष्ट्रीय दल कहने वाले दलों कांग्रेस और भाजपा में तो अब चैथे-पांच वे पायदान की प्रतिद्वंद्विता है जबकि बसपा अपने लूटराज के लिए जनता की निगाहों में गिर गई है। प्रदेश के मतदाताओं ने इसीलिए बसपा को सत्ता से बाहर कर दिया है। इन दलों को इससे सबक लेना चाहिए था कि अपनी किन गलतियों से इन्हें ये दुर्दिन देखने को मिला। अगर उन्होने प्रदेश के विकास में रूचि दिखाई होती तो जनता उन्हें सत्ता से बाहर क्यों करती। समाजवादी पार्टी की सरकार ने चुनावी वायदों की पूर्ति में तेजी से काम किया है अधिकांश वायदे सवा साल पूरा होते-होते पूरे कर दिए गए है। किसानों, नौजवानों, महिलाओं और मुस्लिमों के साथ किए गए वायदे निभाने में मुख्यमंत्री जी ने देर नहीं की। बिगड़े प्रशासन को पटरी पर लाने में उन्होने अथक प्रयास किया। उनके इन प्रयासों की बदौलत ही अन्य प्रदेशों व देशों के उद्यमी यहां निवेश करने के इच्छुक हो गए हैं। अच्छा होता विपक्षी दल मुख्यमंत्री जी की इस बात के लिए सराहना करते कि उन्होने बाढ़ के आने से पहले ही बाढ़ नियंत्रण और राहत योजनाओं को प्राथमिकता में रखा। लेकिन वे तो निराधार रोना रोते नजर आते हैं। बाढ़ पीडि़़त परिवारों की मदद के लिए 8983 करोड़ रूपए और क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियेां की मरम्मत के लिए 7805 करोड़ रूपए की धनराशि दी। पहली बार बाढ़ में बह जाने वाले गांवों के ग्रामवासियों को आवासीय सुविधा देने के मद में 10 करोड़ रूपए दिए हैं। वर्ष 2013-14 में बाढ़ नियंत्रण कार्यो पर 725 करोड़ रूपए खर्च हो रहे है।। बाढ़ग्रस्त इलाको में चिकित्सा सुविधा, राशन, चारा आदि की व्यवस्था की गई है। बाढ़ के हालात पर कागजी बयानबाज भाजपाइयों और रालोद नेताओं को बाढ़ग्रस्त इलाको की सही स्थिति जाननी चाहिए थी। बाढ़ राहत कार्यो में उनका कोई सहयोग नहीं है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को बाढ़ राहत कार्यो में जुट जाने का निर्देश दे रखा है जबकि मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री ने अफसरों को भी बाढ़ राहत में चूक न होने के कड़े आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले तत्वों के प्रति सख्त रूख अपनाया है और सौहार्द बिगाड़ने वालों को चिन्हित करने का भी निर्देश दिया हैं। अल्पसंख्यकों का रोना रोनेवाले यह तो बताएं कि उन्होने उनके लिए क्या किया जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार ने उन्हें योजनाओं में 20 प्रतिशत भागीदारी, कब्रिस्तानों की चहारदीवारी निर्माण तथा मुस्लिम लड़कियों को 30 हजार रूपए की अनुदान राशि स्वीकृति की है। स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की प्रगति की सुई अब पीछे नहीं की जा सकेगी। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में और श्री मुलायम सिंह यादव के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश आदर्श प्रदेश बनकर रहेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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सपा के मंत्रियों एवं विधायकों के काले कारनामें ।

Posted on 04 September 2013 by admin

सपा के मंत्रियों एवं विधायकों के काले कारनामों ने जहां समूचे देश में उ0प्र0 को शर्मसार किया वहीं अब उसी नक्शेकदम पर चलते हुए प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ महिला कांस्टेबल के साथ किये गये बदसलूकी और शर्मनाक आचरण की घटना ने समाजवादी पार्टी सरकार के कानून व्यवस्था की कलई खोलकर रख दी है। कंाग्रेस पार्टी इस घटना की कड़ी निन्दा करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के विरूद्ध तत्काल सख्त कार्यवाही करने की मांग करती है।

उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के मीडिया कोआर्डिनेटर अशोक सिंह ने आज यहां जारी बयान में कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के  बाद समय-समय पर कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं के प्रति हो रहे  अत्याचार, ध्वस्त हो रही कानून व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट कराया किन्तु राज्य सरकार नहीं चेती और सपा ने सरकार को विरोधी दलों द्वारा बदनाम किये जाने का आरोप लगाया। जघन्य घटनाएं घटती रहीं किन्तु सरकार के दबाव में थानों में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गयीं। प्रदेश को अराजक  तत्वों के हवाले कर दिया गया।

श्री सिंह ने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति यह है कि आम जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रदेश के जिस पुलिस विभाग में महिलाएं ही सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से थाने पर तैनात जिस प्रकार सरकार की नाक के नीचे महिला पुलिसकर्मी के साथ दुवर््यवहार किया गया उससे प्रदेश के अन्य जनपदों की हालत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। किन्तु प्रदेश सरकार ऐसे गंभीर मामले में सख्त कार्यवाही करने के बजाय सिर्फ रस्म अदायगी तक ही सीमित है।

श्री सिंह ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। गुण्डों और अराजक तत्वों का बोलबाला है। इतना ही नहीं हत्या, बलात्कार जैसे घृणित अपराध की रोजाना तमाम घटनाएं घटित हो रही हैं और समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं किन्तु सरकार इस पर अंकुश लगाने में विफल है। रोजाना घट रहीं हत्या, लूट, बलात्कार, डकैती, राहजनी, छेड़छाड़ आदि जघन्य घटनाओं से यह साफ हो गया है कि समाजवादी पार्टी सरकार का शासन और प्रशासन से नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो चुका है।

श्री सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह अविलम्ब प्रदेश में कानून व्यवस्था की नये  सिरे से समीक्षा करें तथा प्रमुख पदों पर ईमानदार एवं स्वच्छ छवि के अधिकारियों की तैनाती की जाय।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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“उ0प्र0 सरकार ने नैतिकता के साथ साथ संवेदनषीलता भी खो दिया है” - मुन्ना सिंह चैहान

Posted on 04 September 2013 by admin

“उ0प्र0 सरकार ने नैतिकता के साथ साथ संवेदनषीलता भी खो दिया है” राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चैहान ने प्रदेष सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि उत्तराखण्ड आपदा में मृतक हुये श्रद्वालुओं के परिजन दर दर भटकते हुये अपनों को ढँूढ रहे हैं परन्तु उनको ढूँढने में सहायक होने वाले डी0एन0ए0 सैम्पल लेने में प्रदेष सरकार को कोई रूचि नहीं है। उत्तराखण्ड के आपदा में लापता लोगो का जिलेवार सत्यापन कराने में भी प्रदेष सरकार ढिलाई बरत रही है और डी0एन0ए0 सैम्पल लेने के काम में षिथिलता बरतने से लगता है कि सरकार का नैतिक पतन होने के साथ साथ संवेदनहीन भी हो गयी है।

श्री चैहान ने कहा कि प्रदेष के लगभग 25 जिलों में बाढ़ से जानमाल का नुकसान हो रहा है परन्तु सरकार बाढ़ पीडि़तों के प्रति भी संवेदनषीलता न दिखाकर उनको भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में मारे गये लोगों के प्रति भी सरकार संवेदनहीनता से काम ले रही है। प्रदेष सरकार प्रदेषवासियों के हित में कोई कार्य नहीं कर पा रही है उसके अधिकारी व विधायक रासलीला में मग्न है। उन्होेंने बताया कि दूसरो की सहायता करने वाली पुलिस भी थाने में रासलीला रचा रही है। इसका जीता जागता उदाहरण ट्रान्सगोमती इलाके के एक एस0ओ0 द्वारा महिला कांस्टेबिल के हाथ पर दिल बनाकर आई0लव0यू0 लिखना है। कांस्टेबिल की षिकायत को दबाने की कोषिष की जा रही है।

श्री चैहान ने प्रदेष सरकार से मांग की है कि उत्तराखण्ड की आपदा में मृतकों के परिजनों का डी0एन0ए0 सैम्पल भेजकर शीघ्र कार्यवाही करायें जिससे उनके परिजनों को मुआवजा सहित अन्य देयों का भुगतान हो सके। साथ ही राजस्व अभिलेखों में भी मृतक के परिजनों का नाम दर्ज हो सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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