- आर्थिक एवं राजनैतिक प्रस्ताव
राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक एक साल पहले 12-13 सितम्बर, 2012 को कोलकाता में सम्पन्न हुयी थी। आज हम विश्व प्रसिद्ध ताजनगरी आगरा में देश की वर्तमान आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति का विश्लेषण करने और आगामी लोक सभा के चुनाव की दृष्टि से पार्टी की रणनीति पर विचार करने के लिये बैठ रहे हैं। समाजवादी पार्टी की स्थापना से लेकर आज तक आगरा में हम सबसे ज्यादा बार एकत्रित हुए हैं। जनवरी 1996 एवं जुलाई, 2000 में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, मार्च 2003 एवं अगस्त 2009 में विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन और जून 2011 में राष्ट्रीय सम्मेलन आगरा में हो चुके हैं। लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों में और आज की परिस्थितियों में काफी अन्तर है।
आज देश गम्भीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते पिछले 3 साल में हालत बद से बदतर हो गये हैं। 2010 में जहाँ सकल घरेलू उत्पाद (जी0डी0पी0) की वृद्धि दर 7ण्2 प्रतिशत थी वह घटकर 4 प्रतिशत के आस-पास पहुँच गयी है और आशंका इससे भी नीचे जाने की है। चालू खाता घाटा 2010 में 2ण्8 प्रतिशत था जो बढ़कर 4ण्8 प्रतिषत हो गया है। राजकोषीय घाटा 10 लाख करोड़ रूपये तक पहुँच गया है। डालर के मुकाबले रूपया में अभूतपूर्व गिरावट आयी है। 2010 में एक डालर 44ण्5 रूपये के बराबर था, आज वह गिरकर 66 रूपये से 68 रूपये के बीच झूल रहा है। यदि सरकार ने ठोस कदम न उठाये तो आशंका यह है कि आने वाले दिनों में केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में भी नहीं रहेगी। इससे बचने के लिये आयात में कमी करनी होगी और निर्यात में बढ़ोत्तरी। लेकिन सब कुछ इसके उलट हो रहा है। हमारे यहाँ लगभग 100 वर्ष के लिये कोयले के भण्डार हैं लेकिन हम पिछले वर्षों में हजारों करोड़ डालर का कोयला आयात कर चुके हैं। आर्थिक कुप्रबन्धन के चलते यह सब हो रहा है। समाजवादी पार्टी यू0पी0ए0 सरकार की इस जनविरोधी कार्यशैली की निन्दा करती है।
मँहगाई निरन्तर बढ़ रही है। 2010 में पेट्रोल 40 रूपये प्रति लीटर था जो आज बढ़कर लगभग 75 रूपया प्रति लीटर हो गया है और डीजल के दाम भी लगभग दोगुने हो गये हैं। सीमेंट, स्टील और ईंट के दाम आकाश चूमने लगे हैं। इसकी वजह से जो लोग अपना निजी घर बनाने का सपना देख रहे थे वे भी पूरी तरह निराश हो गये हैं। गरीब लोगों को तो थाली पहले ही नसीब नहीं थी लेकिन अब मध्यम वर्ग के लोगों को भी अपनी थाली में दाल, सब्जी और प्याज जैसी चीजों में कटौती करनी पड़ रही है। ग्रामवासियों और गरीब लोगों के लिये अरहर की दाल प्रोटीन का मुख्य स्रोत होता है लेकिन अत्यधिक मँहगाई के चलते दाल देश की बहुत बड़ी आबादी की पहुँच के बाहर हो गयी है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार सन् 1951 में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन चना की दाल की उपलब्धता 22ण्5 ग्राम थी जो 2011 में घटकर 14ण्6 ग्राम रह गयी है। अन्य दालों की उपलब्धता सन् 1951 में 61 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से घटकर 39 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन रह गयी है। इसीलिये आज शारीरिक दृष्टि से कमजोर और बीमार लोगों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ी है।
देश की अर्थव्यवस्था को कृषि सबसे ज्यादा स्थिरता प्रदान करती है। सन् 1950 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जी0डी0पी0) में खेती का हिस्सा 50 प्रतिशत था जो घटकर अब 14 प्रतिशत रह गया है। उस वक्त खेती पर निर्भर रहने वाले लोगों की संख्या 74 प्रतिशत थी अब सरकारी आँकड़ों के अनुसार लगभग 63 प्रतिशत है। जो कृषि क्षेत्र इस देश के लगभग 63 प्रतिशत लोगों को रोजी-रोटी देता है उसकी सबसे ज्यादा उपेक्षा की जा रही है। हमारे पड़ोस में चीन है। चीन की तुलना में भारत में धान एवं गेहूँ का एरिया काफी ज्यादा है। लेकिन चीन में धान की पैदावार प्रति हैक्टेयर भारत से दोगुनी तथा गेहूँ की पैदावार प्रति हैक्टेयर भारत से 70 फीसदी ज्यादा है और यही कारण है कि दुनियाॅ में धान के उत्पादन में जहाँ चीन का हिस्सा 29ण्35 प्रतिशत है वहीं भारत का हिस्सा केवल 17ण्95 प्रतिशत है और गेहूँ के उत्पादन में चीन का हिस्सा 17ण्62 प्रतिशत है वहीं भारत का हिस्सा 12ण्36 प्रतिशत ही है। चीन ने कृषि की वृद्धि दर को 6 प्रतिशत से ऊपर रखकर अपनी आर्थिक स्थिति को स्थिर रखा और अन्य क्षेत्रों में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी करके काफी तरक्की की है। जबकि भारत में खेती की विकास दर दो प्रतिशत से भी कम रही है। समाजवादी पार्टी इस पर गम्भीर चिंता व्यक्त करती है।
बेरोजगारी की वजह से गरीबी लगातार बढ़ रही है। यू0पी0ए0-2 बनने के बाद से लेकर बीते वित्तीय वर्ष के अन्त तक लगभग 3 करोड़ 20 लाख गरीब लोग बढ़े हैं और यह सरकारी आँकड़ा तो तब है जब योजना आयोग यह कहता है कि ग्रामीण क्षेत्र में 27 रूपया प्रतिदिन और शहरी क्षेत्र में 32 रूपया प्रतिदिन से कम खर्च करने की क्षमता वाला व्यक्ति गरीब है। योजना आयोग की गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की यह परिभाषा हास्यास्पद तो है ही, देश के करोड़ों गरीबांे के साथ एक क्रूर मजाक भी है। सेन गुप्ता कमेटी की रिपोर्ट में जब यह कहा गया था कि भारत के 80 प्रतिशत लोग 8 रूपये से लेकर 20 रूपया प्रतिदिन पर निर्भर करते हैं या 8 रूपया से लेकर 20 रूपया खर्च करने की क्षमता रखते हैं तब सरकारी हल्कों में इसकी आलोचना हुयी थी लेकिन उसके तुरन्त बाद बजट से पूर्व संसद के पटल पर रखी गयी भारत सरकार की आर्थिक समीक्षा में इस बात को स्वीकार किया गया था कि देश की लगभग 63 प्रतिशत आबादी 20 रूपया तक रोज खर्च करने की क्षमता रखती है और इसलिये समाजवादी पार्टी का मानना है कि देश में गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या लगभग 70 प्रतिशत है। आर्थिक क्षेत्र में दुनियाॅ में हम कहाँ खड़े हैं इसका अन्दाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जहाँ अमेरिका की पर कैपीटा इन्कम 49802 डालर, कोरिया की 32431 डालर, इटली की 30116 डालर, चीन की 9141 डालर, श्रीलंका की 6102 डालर और भारत की पर कैपीटा इनकम मात्र 3851 डालर है।
छोटे, मझोले और कुटीर उद्योग धन्धों की उपेक्षा से देश में गम्भीर संकट की स्थिति पैदा हो गयी है। किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिलता है। खाद, बीज, डीजल, पैस्टीसाइड सब इतने मँहगे हो गये हैं कि किसान की कुछ फसलों में तो लागत के बराबर भी पैदावार का मूल्य नहीं मिल पाता है। देश के बुनकर बेहाल हैं । उनके द्वारा तैयार किया गया माल बड़े पूँजीपतियों की मिलों में बने माल का मुकाबला नहीं कर पाता है। सरकार द्वारा बुनकरों के तैयार माल को खरीदने की व्यवस्था न करने से देष के विभिन्न हिस्सों में चल रहे हैण्डलूम और पावरलूम धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे हैं। खुदरा व्यापार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की वजह से देश के लगभग 5 करोड़ खुदरा व्यापारी बेरोजगार हो जायेंगे और उससे देश की लगभग 25 करोड़ आबादी भुखमरी के कगार पर पहुँच जायेगी। यह सब केन्द्र सरकार की ऐसी नीतियाँ हैं जिससे देश की अर्थव्यवस्था तो खराब होती ही है देश में बेरोजगारी और गरीबी भी बढ़ती है।
भ्रष्टाचार ने सारी सीमाएं लाँघ दी हैं। एक के बाद एक इतने घोटाले सामने आ रहे हैं कि जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता था। 2-जी स्पैक्ट्रम घोटाला, काॅमनवेल्थ घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला, कोयला घोटाला, एयर इंडिया घोटाला, हैलीकाॅप्टर घोटाला आदि इतने बड़े घोटाले हैं जिनकी वजह से देश का नाम सारी दुनियाॅ में बदनाम हुआ हैं। इन घोटालों का सबसे दुःखद पहलू यह है कि जो असली गुनाहगार हैं उनको बचाने का प्रयास किया गया है।
भारत सरकार की अमेरिका परस्ती के कारण हमारी विदेश नीति में भी स्पष्ट तौर पर परिवर्तन दिखायी दे रहा है। आजादी के पहले काॅग्रेस पार्टी की विदेश नीति सैल के प्रमुख होने के नाते भारत की जिस विदेश नीति की रूपरेखा डाक्टर राम मनोहर लोहिया ने तैयार की थी और उसी के आधार पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने यह स्पष्ट रूप से कहा था कि हम किसी गुट में शामिल नहीं होंगे। लेकिन अगर किसी देश के साथ अन्याय होता है तो हम उस अन्याय का विरोध करेंगे। हम देख रहे हैं कि अमेरिका लगातार अपनी ताकत के बल पर मनमाने तरीके से दुनियाॅ के दूसरे देशों के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। अफगानिस्तान, इराक, लीबिया इसके उदाहरण हैं और सीरिया में कभी भी अमेरिका आक्रमण कर सकता है। ईरान पर प्रतिबन्ध लगा दिये गये हैं। इराक और ईरान से हमारे बहुत अच्छे रिश्ते रहे हैं। लेकिन भारत सरकार ने अपने इन मित्र देशों के बचाव में कभी एक शब्द भी नहीं कहा उल्टे अमेरिका का समर्थन किया। भारत का यह रवैया हमारी पारम्परिक विदेश नीति से बिल्कुल हटकर है।
विदेश नीति का आधार राष्ट्रहित होता है। लेकिन यह सरकार अमेरिका के दबाब में राष्ट्रहित की अनदेखी कर रही है। कच्चे तेल का आयात हमारी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से गड़बड़ा रहा है। अगर हम ईरान से यह तेल लें तो भारत को 50 हजार करोड़ रूपये का सीधा लाभ हो जायेगा लेकिन अमेरिका के दबाब की वजह से भारत ऐसा नहीं कर रहा है।
एक तरफ अमेरिका आतंकवाद से लड़ने की बात करता है और दूसरी तरफ भारत में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल पाकिस्तान का समर्थन करता है और उसे आर्थिक मदद भी देता है। अमेरिका द्वारा भारत और पाकिस्तान को एक ही पायदान पर रखना हमारी विदेश नीति की असफलता है। हमारे लगभग सभी पड़ोसी देशों से सम्बन्ध खराब हैं। हमारे मित्र देशों की संख्या लगातार कम हो रही है और विरोधी देशों की संख्या में वृद्धि हो रही है। श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश से भी अब हमारे मधुर सम्बन्ध नहीं है। इससे स्पष्ट है कि हमारी विदेश नीति का क्रियान्वयन ठीक तरह से नहीं हो रहा है।
चीन और पाकिस्तान की दुरभि संधि भारत की सुरक्षा के लिये एक खतरे की घंटी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव कई वर्षों से भारत सरकार को आगाह करते रहे हैं कि चीन से सावधान रहें क्योंकि असली खतरा हमें चीन से ही है। हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाकर चीन ने पहले भारत के साथ धोखा किया और 1962 में भारत की लाखों वर्गमील जमींन पर कब्जा कर लिया जिस पर वह आज भी काबिज है। और अब आये दिन भारत की सीमा में घुसकर किसी न किसी क्षेत्र में या तो कब्जा कर लेता है या अपनी सेना को अन्दर भारत की सीमा में भेजकर वापस कर लेता है। हमारी सेना को लाइन आॅफ कन्ट्रोल पर गश्त करने से चीन की सेना ने रोक दिया है। चीन आये दिन अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में भारतीय सीमा का अतिक्रमण करता है और इन राज्यों में अपना क्षेत्र होने का दावा करता है। चीन ने भारत की सीमा तक हाईवे बना लिये हैं, रेलवे लाइन बना ली है। ब्रहमपुत्र नदी की धारा मोड़ दी है लेकिन हमारी सीमा पर जो सड़कें रक्षामंत्री रहते श्री मुलायम ंिसह यादव ने बनवायी थीं वे भी अधूरी हैं और आज भी हमारी सेना को खच्चरों का सहारा लेना पड़ता है। हिन्दुस्तान की इस बेहद कमजोर सरकार ने न तो सीमा पर सड़कों का निर्माण कराया और न एक बार भी चीन के साथ उसकी नापाक गतिविधियों को रोकने के लिये सख्ती से बात की। चीन और पाकिस्तान का यह गठबंधन हमारे देश की सुरक्षा के लिये एक गम्भीर खतरा हो गया है। लेकिन केन्द्र सरकार की कमजोरी के चलते हमारी सेना का और हमारे देशवासियों का मनोबल गिर रहा है। समाजवादी पार्टी का मानना है कि जो सरकार सीमाओं की रक्षा नहीं कर सकती, उसे जनता कभी माफ नहीं कर सकती है।
हमारे देश के कई राज्यों में माओवादियों और नक्सलवादियों ने समानान्तर सरकारें चला रखीं हैं। ये छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखण्ड, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और आन्ध्र प्रदेश में आये दिन बड़ी-बड़ी हिंसक घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। देश के सामने यह गम्भीर संकट है। आन्तरिक सुरक्षा को लेकर भी संकट है और बाहरी देशों से भी खतरा है।
असम और सारे पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवादियों का सिक्का चलता है। एन0डी0ए0 और यू0पी0ए0 की सरकारों के पिछले 15 वर्षों के शासनकाल में देश में आंतरिक सुरक्षा का गम्भीर संकट पैदा हो गया है। देश की सीमाएं सिकुड़ रहीं हैं। लेकिन इन दोनों गठबन्धनों का पूरा ध्यान सत्ता में बने रहने या सत्ता में येन-केन प्रकारेण आने के प्रयासों में लगा हुआ है। काॅग्रेस सरकार की मिड-डे मील योजना, पौष्टिक आहार योजना, मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून कहने सुनने में बहुत अच्छे लग सकते हैं लेकिन व्यवहार में योजनाएं धन की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं हैं। मिड-डे मील ने सारी प्राइमरी शिक्षा को खत्म कर दिया, मनरेगा ने काम करने वाले लोगों को नाकारा बना दिया, खाद्य सुरक्षा कानून के लागू होने के बाद किसान भी सोचेगा कि क्यों धूप, पानी और सर्दी में हाड़तोड़ मेहनत करें। दो रूपया किलो गेहूँ, 3 रूपया किलो चावल और एक रूपया किलो मोटा अनाज लेकर गुजारा करें। अगर ऐसा हुआ जिसकी पूरी सम्भावना है तो देष रसातल में चला जायेगा। इसलिये समाजवादी पार्टी देश के लोगों से आग्रह करती है कि यू0पी0ए0 सरकार की इन लोक लुभावन किन्तु वास्तविक तौर पर जनविरोधी नीतियों से सावधान रहें ।
यू0पी0ए0 और एन0डी0ए0 दोनों ने ही देश के युवाओं, मुसलमानों, पिछड़े वर्गों के लोगों तथा देश के गरीबों के लिये सिर्फ छलावा किया है, उन्हें धोखा दिया है, उनके विकास के लिये कुछ भी नहीं किया है। आजादी मिलने के 66 साल बाद भी इन वर्गों की हालत दयनीय है। युवा बेरोजगार है और इसलिये देश के कई भागों में मजबूरन उसने नक्सलवादियों से हाथ मिला लिया है। मुसलमानों की स्थिति का अध्ययन करने वाली सच्चर कमेटी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि देश में मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी ज्यादा खराब है। नौकरियों और उद्योग धन्धों में उनकी उपस्थिति न के बराबर है लेकिन सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लागू नहीं किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव को बधाई देती है कि उन्होंने संसद में इस मुद्दे को इतनी मजबूती से उठाया कि प्रधानमंत्री को सच्चर कमेटी की रिपोर्ट संसद में रखने को विवश होना पड़ा। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की सच्चाई को ध्यान में रखते हुए ही समाजवादी पार्टी इस बात पर जोर देती रही है कि केन्द्र सरकार संविधान में संशोधन करके मुसलमानों को नौकरियों में उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दे। अन्य पिछड़े वर्ग को मिले 27 प्रतिशत आरक्षण के बाद भी देश में नौकरियों में उनकी भागीदारी बहुत कम है। आई0ए0एस0 एवं आई0पी0एस0 में चयनित होने के बाद भी अब तक लगभग 300 लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग पर जाने से रोका जा चुका है। धनाभाव के कारण सामान्य वर्ग के गरीबों को भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। केन्द्र सरकार की उदासीनता के चलते देश की बड़ी आबादी गरीबी में जी रही है और वह पूरी तरह से हताश और निराश हो चुकी है। समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति केन्द्र सरकार के इस रवैये पर रोष प्रकट करती है और उसकी कड़े शब्दों में निन्दा करती है।
नये राज्यों के गठन का समाजवादी पार्टी ने सदैव विरोध किया है। छोटा राज्य विकास की गारण्टी नहीं है। मध्य प्रदेश को तोड़कर बनाया गया छत्तीसगढ़ और बिहार को तोड़कर बनाया गया झारखण्ड पूरी तरह नक्सलवादियों की चपेट में आ गया है। पूर्वोत्तर के सभी राज्य अशान्त हैं। अभी काॅग्रेस ने आन्ध्र प्रदेश में अपने राजनैतिक लाभ के लिये उसे बाँटने का ऐलान करके वहाँ आग लगा दी है। समाजवादी पार्टी का यह मानना है कि बड़े राज्य देश की एकता एवं अखण्डता को बरकरार रखने की गारण्टी करते हैं। जो लोग प्रशासन के नाम पर बड़े राज्यों के बँटवारे की माँग करते हैं वे किसी दिन भारत जैसे विशाल राज्य को प्रशासनिक लिहाज से बाँटने की माँग भी कर सकते हैं। इसलिये समाजवादी पार्टी नये राज्यों के गठन की अवधारणा का पुरजोर विरोध करती है।
लोक सभा के चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में बी0जे0पी0 अपने सहयोगी संगठनों की मदद से पूरे देश में साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिश कर रही है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में विश्व हिन्दू परिषद के आवरण में बी0जे0पी0, आर0एस0एस0 और बजरंग दल आदि साम्प्रदायिक संगठनों ने 84 कोसी परिक्रमा के नाम पर साम्प्रदायिक सद्भाव खत्म करने का प्रयास किया था। कार्यसमिति की यह बैठक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को बधाई देती है कि उन्होंने साम्प्रदायिक ताकतों के नापाक मन्सूबों को पूरी तरह असफल कर दिया।
उत्तर प्रदेश में ही मथुरा, अयोध्या एवं काशी हैं और पूरा देश यह जानता है कि इन धार्मिक स्थलों के नाम पर साम्प्रदायिक शक्तियाँ पूरे प्रदेश में साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने का प्रयास करती हैं। ऐसे में किसी भी मामूली बात पर साम्प्रदायिक तनाव पैदा करके प्रदेश सरकार को बदनाम करने का लगातार प्रयास हो रहा है। कार्यसमिति समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताआंें एवं नेताओं का आह्वान करती है कि वे इस खतरे से सावधान रहें और जनता के बीच जाकर साम्प्रदायिक भाई-चारा सुनिश्चित करने के लिये कार्य करें।
समाजवादी पार्टी का यह निश्चित मत है कि बी0एस0पी0 ने पूरे उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का नंगा नाच करके प्रदेश की कार्य संस्कृति को तहस-नहस कर दिया है। भ्रष्टाचार के जरिये अपार धन सम्पदा अर्जित करने के लिये सारे मापदन्डों को ताक पर रख दिया गया। ऊपर से नीचे तक रिश्वतखोरी और कमीशनखोरी परत दर परत पूरी व्यवस्था में प्रवेश कर गयी थी। इसे दुरूस्त करने में ही हमारी सरकार को अपना काफी समय और शक्ति जाया करनी पड़ रही है। सत्ता पाने के लिये बसपा को भाजपा से हाथ मिलाने में कोई परहेज नहीं है और इसीलिए प्रदेश में जब कभी भाजपा एवं उसके सहयोगी संगठनों द्वारा साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश होती है, बसपा उसका कभी प्रत्यक्ष रूप से और कभी परोक्ष रूप से समर्थन करती है। जाति और धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाली इन पार्टियों से समाजवादी पार्टी को न केवल सावधान रहना होगा बल्कि उन्हें हर मोर्चे पर पराजित करना होगा।
समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव एवं उनकी सरकार को बधाई देती है कि उन्होंने चुनाव से पूर्व किये गये सभी प्रमुख वादे पूरे कर दिये हैं। किसानों के 50 हजार तक के कर्जे माफ किये, गम्भीर बीमारियों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था की, सिंचाई मुफ्त कर दी, शिक्षा मुफ्त कर दी, छात्र-छात्राओं को लैपटाॅप प्रदान किये, किसानों की दुर्घटना बीमा राशि बढ़कार 5 लाख कर दी, कन्या विद्या धन योजना पुनः लागू कर दी, हाई स्कूल पास मुसलमान कन्याओं को 30 हजार रूपये की आर्थिक मदद कर दी, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने के साथ-साथ लाखों बेरोजगारों को रोजगार देने का रास्ता साफ कर दिया। लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन देने की योजना पुनः प्रारम्भ कर दी। जेल में बन्द बेकसूर मुसलमान युवकों की रिहाई की योजना पर अमल किया। व्यापारियों एवं दुकानदारों को इंसपैक्टर राज से मुक्ति दिलाई। लोहिया ग्राम एवं जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना के जरिये हजारों गाँवों तक विकास की किरण पहुँचाने का काम किया। 5 साल बाद एक बार फिर नहरों एवं रजवाहों में टेल तक पानी पहुँचाने का काम किया। सैकड़ों छोटे-बड़े पुलों का निर्माण करके जनता को राहत प्रदान की। चुनाव घोषणा पत्र पर अमल करके उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि समाजवादियों की कथनी एवं करनी में कोई अन्तर नहीं होता है। उत्तर प्रदेश सरकार को जनता का विश्वास बनाये रखने के लिये और अधिक जबावदेही के साथ काम जारी रखना होगा।
समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति मानती है कि देश की दुर्दशा के लिये काॅग्रेस और बी0जे0पी0 दोनों जिम्मेदार हैं। मँहगाई और भ्रष्टाचार के लिये काॅग्रेस तो जिम्मेदार है ही, बी0जे0पी0 के नेतृत्व वाली एन0डी0ए0 सरकार ने भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम किया था। भाजपा चुनाव से पहले साम्प्रदायिक सद्भाव खत्म करने का हरसंभव प्रयास करेगी। आज देश का जो राजनैतिक परिदृश्य है उसमें काॅग्रेस और भाजपा दोनों ही सत्ता में आने वाली नहीं हैं। केवल दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में ये दो प्रमुख पार्टियाँ हैं और शेष सारे देश में हर राज्य में वहाँ की राज्य स्तरीय पार्टियों ने इतनी मजबूत पकड़ कर ली है कि इन दोनों दलों के वहाँ पैर जमने वाले नहीं है। स्पष्ट है बी0जे0पी0 और काॅग्रेस के अलावा जो अन्य दल हैं उन्हीं के हाथ में सत्ता की कुन्जी होगी। उत्तर प्रदेश से 80 एम0पी0 चुनकर आते हैं। सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उत्तर प्रदेश की होने वाली है। उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से पूरे देश के समाजवादियों को बहुत बड़ी उम्मीद है। कार्यसमिति को यह पूर्ण विश्वास है कि उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उन्हें निराश नहीं करेंगे।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव की लोक सभा चुनाव के बाद देश में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसलिये पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति अपने कार्यकर्ताओं का आह्वान करती है कि वे एकजुट होकर पार्टी के लिये काम करें और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभिन्न राज्योें में जिन उम्मीदवारों को घोषित करें उन्हें तन, मन और धन से चुनाव लड़ाकर विजयी बनाएं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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