समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी नर्इ चुनौतियों का सामना कर रही है। जाति और संप्रदाय की राजनीति करनेवाली ताकतें समाजवादी पार्टी सरकार की विकास की गाड़ी का रास्ता रोकने के लिए कटिबद्ध रहती हैं। इन ताकतों का समाजवादी पार्टी से पुराना बैर है। सन 1989 में जब श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तब मंदिर-मसिजद का सवाल उठाकर सामाजिक सदभाव को चोट पहुचाने की कोशिश की गर्इ। कार सेवकों के जत्थे आने लगे। बाबरी मसिजद तोड़ने की कोशिश हुर्इ जिसे श्री मुलायम सिंह यादव द्वारा नाकाम किया गया। अब जब फिर समाजवादी पार्टी की सरकार श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में बनी है प्रतिगामी ताकतें अपनी साजिशें दुहराने लगी है। बिडंबना है कि समाजवादी पार्टी सरकार के खिलाफ कांग्रेस-भाजपा-बसपा और रालोद के सुर एक जैसे हें। वामपंथी भी इन साजिशों को न समझने की भूल कर रहे हैं। मुजफफरनगर में सियासी फायदे के लिए भाजपा-बसपा ने मिलकर दो समुदायों के बीच खार्इ खोदने का काम किया है। महापंचायत में कांग्रेस और भारतीय किसान यूनियन के भी नेताओं ने शिरकत की। इसके नतीजे में पूरे प्रदेश का राजनीतिक माहौल प्रदूषित हुआ है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में शांति सदभाव की बहाली के लिए ठोस कदम उठाए है। मुजफफरनगर में जो विस्थापित हुए हैं उनको भरोसे में लेकर उनके गांव-घरों में वापसी का उचित माहौल तैयार करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। सरकार ने आर्थिक सहायता भी उदारतापूर्वक दी हैं। घायलों और मृतक आश्रितों का भी पूरा ध्यान रखा गया है। इसके साथ ही जिन अधिकारियों को कर्तव्य में ठिलार्इ करते पाया गया है उन पर कार्यवाही की गर्इ है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि जो निर्दोष हैं उन्हें सताया नहीं जाएगा जबकि दोषियों को अवश्य सजा दी जाएगी। प्रदेश में विकास की गति शांति और सौहार्द के वातावरण में ही बढ़ सकती है। समाजवादी पार्टी धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध है ताकि यह प्रदेश अपना पुराना गौरव पुन: प्राप्त कर सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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