आज का समय सभ्य मानव की कल्पना के बिल्कुल विपरीत ।

Posted on 12 September 2013 by admin

वर्तमान समय से जिस तेजी से इंसानो मे अपराधिक प्रवृत्त्ति बढ़ रही है वो वास्तव मे मानव समाज देश एवं विश्व के लिए चिंता का विषय है आज का समय सभ्य मानव की कल्पना के बिल्कुल विपरीत है।

लोग इस कदर स्वार्थी और भौतिकवादी होते जा रहे है कि उन्हे सही गलत से कोई मतलब ही नही है घोर वैज्ञानिकता के युग ने अब तो सर्वशक्तिमान ईश्श्व्र के अस्तित्व पर भी उंगली उठाना शुरु कर दिया है बडी तेजी से हम इंसानियत से दूर और हैवानियत के करीब होते जा रहे है।

प्रचलित अपराधो से अलग आज तमाम ऐसे अपराध हो रहे है जिन्हे देखकर या सुनकर लगता है कि मनुष्य विकृत मानसिकता का शिकार हो चुका है । साइबर व्रहृाइम और गंदे मनोविकार का ही परिणाम है । धन दौलत जैसी नश्श्व्र चीज के लिए रिश्तो का खून होने लगा है।

भाई भाई का, पुत्र पिता का, दोस्त दोस्त का आदमी आदमी का दुश्मन बनता जा रहा है चंद पैसो के लिए जमीन जायदाद के लिए अखबारो और न्यूज चैनलो को देखकर आप अंदाजा लगा सकते है कि आदमी का अपराधीकरण किस तेजी से हो रहा है।

लोगो को सिर्फ यही आसान लगता है कि सारा दोषारोपण शासन प्रशासन पर कर दिया जाय । क्या सिर्फ सजा के डर से ही हम गल्तियां करने से बचे हमरा स्वयं का कर्तव्य नही है कि हम सच्ची इंसानियत का परिचय दे इस बात से कतई इंकार नही किया जा सकता कि वर्तमान की राजनीति अपराधियो की सबसे सुरक्षित शरणस्थली बन चुकी है।

लोग अपराध करते है नामवार अपराधी होने के बाद राजनीति मे चले जाते है खुद की सुरक्षा तो करते ही है साथ ही साथ नये अपराधियो का पोषण एवं संवर्द्धन करने मे जुट जाते है । पुलिस प्रशासन काफी हद तक राजनेताओ के दबाव मे रहता है ।

छोटे स्तर के अपराधी तो नेताओ के सिर्फ कोतवाली फोन कर देने से मुक्त हो जाते है इन सब बातो के होने पर भी इस तथ्य से इंकार नही किया जा सकता कि पुलिस प्रशासन स्वयं भी भ्रष्ट लगभग निरंकुश एवं तानाशाही का शिकार है ।

आप अंदाजा लगा सकते है कि कोई एक आदमी मामूली मारपीट मे पुलिस द्वारा पकडकर प्रताडित किया जाता है वही दूसरी ओर हत्या करने वाला पुलिस की पकड़ से दूर घूमता रहता है । ये बाते किस तथ्य का खुलासा कर रही है आप स्वयं सोचिये मानवता वास्तव मे विकारग्रस्त हो चुकी है ।

शासन प्रशासन अपराधो को रोकने की बजाय उनके पोषण मे रुचि ले रहा है ऐेसे मे हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर उसका अनुकरण करना होगा तभी कुछ संभव है ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

agnihotri1966@gmail.com

sa@upnewslive.com

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