Archive | August 2nd, 2013

जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर द्वारा मुख्यमंत्री पीडि़त सहायता कोष में 50,59,024 रुपये का योगदान दिया गया

Posted on 02 August 2013 by admin

जनपद गौतमबुद्ध नगर के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा अपना एक दिन का वेतन उत्तराखण्ड की दैवी आपदा से पीडि़त लोगों के सहायतार्थ दान दिया गया। अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा कुल 50,59,024 रुपये की धनराशि एकत्र की गई।
यह धनराशि जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर द्वारा मुख्यमंत्री पीडि़त सहायता कोष उत्तराखण्ड, देहरादून के नाम से कृषि उत्पादन आयुक्त, उ0प्र0 शासन के माध्यम से आज उपलब्ध कराई गई है। शीघ्र ही इस धनराशि के बैंक ड्राफ्ट/चेक उत्तराखण्ड शासन को प्रेषित कर दिये जायेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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वर्तमान वित्तीय वर्ष 2013-14 में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार प्रस्तावित 753 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब निर्धारित माइल स्टोन के अनुसार आगामी मई 2014 तक क्रिया शील हो जाने चाहिये: मुख्य सचिव

Posted on 02 August 2013 by admin

  • 224 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब बनने हेतु आगणन के अनुसार 80.34 करोड़ रूपये की स्वीकृति निर्गत, अवशेष एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब के आगणन एवं प्रस्ताव आदि की कार्यवाही प्राथमिकता से पूर्ण कर माह अगस्त तक स्वीकृति निर्गत करें: जावेद उस्मानी
  • विगत वर्ष के अवशेष 65 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब को भी आगामी माह सितम्बर तक अवश्य क्रियाशील करा दिया जाय: मुख्य सचिव
  • एग्रीकल्चर मार्केटिंग हबों में किसानों की सुविधा हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में इच्छुक बैंकों को बैंक शाखाएं खोलने हेतु सूची एग्रीकल्चर मार्केटिंग हबों की चयनित सूची उपलब्ध करायें: जावेद उस्मानी

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिये हैं कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2013-14 में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार प्रस्तावित 753 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब निर्धारित माइल स्टोन के अनुसार आगामी फरवरी 2014 तक 224, मार्च 2014 तक 250 तथा अप्रैल 2014 तक 279 हैण्ड ओवर होकर मार्च 2014 तक 224, अप्रैल 2014 तक 225 तथा मई 2014 तक 279 क्रियाशील हो जाने चाहिये। उन्होने कहा कि 224 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब बनने हेतु आगणन के अनुसार 80.34 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। अवशेष एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब के आगणन एवं प्रस्ताव आदि की कार्यवाही प्राथमिकता से पूर्ण कर माह अगस्त तक स्वीकृति निर्गत कर दी जाये। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष 31 मार्च 2013 तक 2014 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब को क्रियाशील कराये जाने का निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 139 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब क्रियाशील कराये जा चुके हैं शेष 65 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब को आगामी माह सितम्बर तक अवश्य क्रियाशील करा दिया जाये। उन्होंने कहा कि इन एग्रीकल्चर मार्केटिंग हबों में किसानों की सुविधा हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में इच्छुक बैंकों को बैंक शाखाएं खोलने हेतु सूची एग्रीकल्चर मार्केटिंग हबों की चयनित सूची उपलब्ध करा दी जाये। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब की सुरक्षा हेतु आवश्यकतानुसार बाउण्ड्री वाल का भी निर्माण कराने हेतु आगणन के अनुसार स्वीकृतियां तत्काल निर्गत कर दी जाये।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार मंे प्रदेश के विभिन्न जनपदों में एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब खोले जाने हेतु प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंनंे कहा कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार प्रस्तावित 753 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु पर्ट-चार्ट अवश्य बना लिया जाये। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब की कनेक्टिविटी मुख्य मार्ग से अवश्य हो तथा कोई भी एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब ऐसे स्थान पर निर्मित न कराया जाये जहां पर इसे क्रियाशील कराने में कठिनाई का सामना करना पड़े। मार्केटिंग हब में सौर ऊर्जा से प्रकाश की व्यवस्था कराई जायेगी तथा बैंकिंग सुविधा भी उपलब्ध करायी जायेगी।
बैठक में प्रमुख सचिव कृषि एवं सहकारिता श्री देवाशीष पाण्डा, प्रबंध निदेशक भूमि सुधार निगम श्रीमती आराधना शुक्ला सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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अवमुक्त धनराशि का शत-प्रतिशत उपयोग कर सभी विभाग उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें: कृषि उत्पादन आयुक्त

Posted on 02 August 2013 by admin

  • मत्स्य विभाग को अवमुक्त धनराशि का उपयोग न होने पर संबंधित पर कार्यवाही होगी: आलोक रंजन

कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने बुद्धवार  को अपने कार्यालय के सभागार में जारी बजट/जारी वित्तीय स्वीकृतियों/व्यय/केन्द्रीय सहायता/अप्रयुक्त धनराशि की समीक्षा की, जिसमें कृषि, ग्राम्य विकास, सिंचाई, पंचायती राज, रेशम, युवा कल्याण, पशुधन, दुग्ध, भूमि विकास एंव जल संसाधन, कृषि शिक्षा एंव अनुसंधान, उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य, की विभागवार रिपोर्टांे के आधार पर अवमुक्त धनराशि के उपयोग न होने पर नाराजगी जताते हुए धन के सदुपयोग करने के खाद्य प्रसंस्करण को निर्देश दिये। कृषि उत्पादन आयुक्त ने पंचायती राज विभाग में स्वीकृति के सापेक्ष व्यय 8.74 प्रतिशत ही हुआ है। यह बहुत कम है इसको बढ़ाने के लिये लोहिया समग्र ग्राम, अम्बेडकर ग्राम के कार्यों में तेजी लाकर कार्य कराने के साथ-सफाई पर हुए कम व्यय को बढ़ाने को कहा तथा भूख मुक्ति से जीवन से सम्बन्धित पत्रावली अविलम्ब प्रस्तुत करने के साथ निर्मल भारत अभियान में कम व्यय को शीघ्रातिशीघ्र पूरा करने के आदेश दिये।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने ग्राम विकास विभाग के कार्यों पर असंतोश  व्यक्त करते हुये कहा कि इन्दिरा आवास और लोहिया समग्र आवास योजना के कार्यों पर ंकिये गये व्यय के उपयोग धन का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें तथा पी0एल0ए0 के खाते में जमा धन का प्रमुख सचिव अपने स्तर से समीक्षा कर पत्रावली मेरे समक्ष प्रस्तुत करें। सरकार द्वारा जारी धन का उपयोग न होना कार्यों के प्रति उदासीनता का द्योतक है। इसी के साथ दुग्ध विकास के सुदृढ़ीकरण के लिये जारी धन का समुचित उपयोग कर उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें।    उन्होंने लघु सिंचाई में भी व्यय की कमी को दूर करने के कड़े निर्देश दिये। रेशम विभाग ने अपनी कमी को स्वीकार करते हुये आश्वासन दिया कि 05 अगस्त, 2013 तक धन का उपयोग कर प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर दिया जायेगा। युवा कल्याण विभाग, उद्यान विभाग के निदेशक को कम धन खर्च करने पर उन्होंने रोष व्यक्त किया। खाद्य प्रसंस्करण विभाग में स्वीकृतियों के सापेक्ष 35 प्रतिशत खर्च हुआ है, जिसमें दवा, फास्ट फूड, वर्तमान में चल रहे प्रशिक्षण और 22 करोड़ के प्रोजक्ट्स स्वीकृत हो गये हैं। शेष 10 करोड़ की स्वीकृति आनी बाकी है तो प्रयास करे और अवमुक्त धनराशि का उपयोगकर  उपयोगिता प्रमाण-पत्र शीघ्र प्रस्तुत करें। पशुधन विभाग एवं मत्स्य विभाग में दवा, रिवैलिडेशन, वैक्सीन खरीद का टेंडर हो गया है। रूरल पोल्ट्री के अतिरिक्त अभी तक पशु रोग में स्वीकृति जारी नहीं हुई है। इसे निदेशक पशु व्यक्तिगत रूप से प्रयास करे शीघ्र जारी करा के मुझे सूचित करें। मत्स्य विभाग की कार्यप्रणाली से नाराज होकर कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि 29.43 करोड़ की स्वीकृति में सिर्फ 7.5 करोड़ जारी होने के बावजूद अब तक केवल 0.0 प्रतिशत व्यय हुआ है। स्थिति स्पष्ट करते हुये आंकड़ों सहित मत्स्य निदेशक तुरंत मिलें। परफार्मेंस शून्य प्रतिशत होने से संबंधित पर होगी कार्रवाई। प्रमुख सचिव कृषि उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें सभी प्रमुख सचिव अपने स्तर से 15 दिन में संबंधित समीक्षा करें और मुझे रिपोर्ट प्रस्तुत करें तथा 30 सितम्बर, 2013 तक सभी निदेशक/सहायक निदेशक सभी योजनाओं का खरीफ बजट पूरा खर्च करें। कृषि शिक्षा कृषि शिक्षा के लिये लखीमपुर में जो जमीन मिली है, उसके लिए कृषि शिक्षा की स्कीमों की कार्यवार सूची बनाकर प्रस्तुत करें। सूचना दें।
बैठक में प्रमुख सचिव कृषि श्री देबाशीष पाण्डा, विशेष सचिव कृषि श्री निखिल चन्द्र शुक्ला, विशेष सचिव कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, श्री चक्रपाणि, स्टाफ आॅफिसर कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अजय कुमार उपाध्याय, निदेशक कृषि श्री डी0एम0 सिंह के अतिरिक्त पशुधन, रेशम, मत्स्य, पंचायतीराज, युवा कल्याण, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सिंचाई परियोजनाओं के समझौते का अक्षरशः पालन होगा -शिवपाल सिंह यादव

Posted on 02 August 2013 by admin

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री श्री हरीश रावत की अध्यक्षता में दिल्ली में उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश सरकार के सिंचाई मंत्रियों के मध्य वाण सागर नहर परियोजना, केन बेतवा लिंक परियोजना तथा राज घाट डैम के सम्बन्ध में समझौता हुआ। वाण सागर नहर परियोजना कई वर्षों से अपूर्ण थी। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से काम हुआ। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 1 अक्टूबर से इसमें जल छोड़ा जायेगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जल छोड़ने पर आपत्ति की जा रही थी। उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने बताया कि हम समझौते का पालन अक्षरशः करेंगे, इस समझौते से उत्तर प्रदेश के हजारों किसान लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि केन बेतवा लिंक परियोजना को दोनों प्रदेशों के आपसी समन्वय से क्रियान्वित किया जायेगा। केंद्र ने मध्य प्रदेश सरकार से यह अपेक्षा की है कि वह 11 अगस्त से पहले अपनी सहमति भेज दे। इसी प्रकार राजघाट डैम के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ललितपुर विद्युत तापीय परियोजना को अपने हिस्से का पानी दिया जा रहा था। केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार के अभिमत से सहमत है।
बैठक में उ0प्र0 सरकार की ओर से सिंचाई मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव, प्रमुख सचिव श्री दीपक सिंघल तथा मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जल संसाधन मंत्री श्री मलैया तथा प्रमुख सचिव श्री जुलानिया उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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पत्रकार एसोसिएशन संघ ने किया रोजा अफ्तार का आयोजन

Posted on 02 August 2013 by admin

edited-1 उ0प्र0 जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन द्वारा यहां स्टार पैलेस, कैसरबाग में रोजा अफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया।
रोजा अफ्तार पार्टी में लखनऊ के अनेक गणमान्य व्यक्ति, पत्रकार तथा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा संभ्रांत नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
रोजा अफ्तार पार्टी में प्रदेश के बेसिक शिक्षा एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री श्री राम गोबिन्द चैधरी, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकलांग कल्याण मंत्री श्री अम्बिका चैधरी एवं समाज कल्याण मंत्री श्री अवधेश प्रसाद के साथ-साथ नवाब मीर जाफर अब्दुल्ला, प्रदेश के डीजीपी (होमगाड्र्स), श्री ए0सी0 शर्मा, लखनऊ के विधायक श्री रविदास मेहरोत्रा, अपर निदेशक सूचना डाॅ0 अनिल कुमार, उप निदेशक सूचना अमजद हुसैन, श्री अशोक कुमार बनर्जी आदि ने विशेष रूप से शिरकत की और मुसलमान भाईयों के प्रति अपनी शुभकामनाएं दीं तथा पत्रकार एसोसिएशन द्वारा रोजा अफ्तार पार्टी में आये सभी रोजेदारों एवं मेहमानों का शुक्रिया अदा किया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी समारोह को प्रारम्भ करते द ब्रेकथ्रू:

Posted on 02 August 2013 by admin

editeddscn1612मल्टीसेन्सरी अनुभव देने वाली माॅईस्चुराईजि़ंग लिपस्टिक का प्रदर्शन, किया। वैभव बारात में  अपने होठों पर ऐसी सुखद लिपस्टिक लगाएं जो आपके होठों पर केवल सुहावने रंग ही नहीं फैलाए बल्कि आपकी संवेदनाओं को एक उत्तेजक अनुभव भी प्रदान करे। एवन की नवीनतम ब्रेकथ्रू लिपस्टिक टोटली किसेबल में प्राकृतिक तेलों और फलों के एन्ज़ाईम का षानदार मिश्रण है, जो होठों पर खूबसूरत रंग बिखेर देता है, जिनके स्वाद और गंध उन्हें काफी उत्तेजक बना देते हैं। इसकी सुन्दर बहुआयामी सिल्वर पैकेजि़ंग आपके व्यक्तित्व में एक और उपलब्धि है, जबकि इसका हाईड्रेटिंग फाॅमूला और सिल्क की तरह मुलायम षेड्स हर अवसर पर आपके होठों को खूबसूरत बनाते हैं। काॅन्सेप्टः अपने होठों पर ऐसी सुखद लिपस्टिक लगाएं जो आपके होठों पर केवल सुहावने रंग ही नहीं फैलाए बल्कि आपकी संवेदनाओं को एक उत्तेजक अनुभव भी प्रदान करे। एवन की नवीनतम ब्रेकथ्रू लिपस्टिक टोटली किसेबल में प्राकृतिक तेलों और फलों के एन्ज़ाईम का षानदार मिश्रण है, जो होठों पर खूबसूरत रंग बिखेर देता है, जिनके स्वाद और गंध उन्हें काफी उत्तेजक बना देते हैं। इसकी सुन्दर बहुआयामी सिल्वर पैकेजि़ंग आपके व्यक्तित्व में एक और उपलब्धि है, जबकि इसका हाईड्रेटिंग फाॅमूला और सिल्क की तरह मुलायम षेड्स हर अवसर पर आपके होठों को खूबसूरत बनाते हैं।एवन इन्डिया सेलिब्रिटी मेक-अप आर्टिस्ट नेहा खन्ना ने कहा, ‘‘हर महिला अपनी लिपस्टिक में सबकुछ चाहती है… टोटली किसेबल लिपस्टिक तीव्र भड़कीला रंग देती है, जो हमारी स्किनटोन से पूरी तरह मिल जाती है, और किस के लिए तैयार नर्म और मुलायम होंठ देती है। इससे होंठ रंगीन और फूलपत्र की तरह मुलायम हो जाते हैं।’’
पिंक विंक, केयरेसिंग कोरल, लविंग लिलाक, रेसी रेड, डीप आॅर्किड, नैचुरल ग्लो, अनड्रेस्ड ब्राउन, काॅय काॅपर, रिच ब्राउन और स्वीट मोचा के आकर्शक पैलेट षेड आपके होंठों को खूबसूरत और चूमने योग्य बना देंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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आंध्र प्रदेश से जरुरी जम्मू-कश्मीर का विभाजन……… संजय कुमार आजाद

Posted on 02 August 2013 by admin

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव-2014 नजदीक आता जा रहा है भारतीय राजनीति मंडी के शेयर उछाल भर रहे हैं। कभी खाद्य सुरक्षा बिल अध्यादेश के द्वारा तो कभी मनरेगा के दिहाडि़यों को मुफ्त मोबाइल देने का फैसला, कभी अल्पसंख्यकों (सिर्फ मुस्लिमों को ही) को अपने पाले में लाने के लिए असंवैधानिक कुकृत्यों का सहारा लेकर आर्थिक व दीनी सहायता देने का अराष्ट्रीय फैसलों से देश का राष्ट्रीय शेयर उतार-चढ़ाव के भयानक हिचकोले खा रहा है। अपने जन्म काल से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अति महत्वाकांक्षी नेताओं ने स्वहित के लिए राष्ट्रहित का बलि देता आया है, जिसका खामियाजा आज देश भुगत रहा है। वर्ष 1947 में इस देश का एक रुपया एक डाॅलर के बराबर था यानि सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद भी यह देश विश्व में अपना आर्थिक दबदबा बनाए रखा किंतु तथाकथित आजादी के बाद इस देश में नेहरुवादी विकास माॅडल की प्रेत छाया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्वहितवादी क्रूर नीतियां देश को दीमक की तरह चाटता गया और आज भारत भय, भूख और भ्रष्टाचार से त्रस्त है। वर्ष 1947 का आर्थिक ढांचा नेहरु की गलत अदूरदर्शी और स्वहित परिवारवादी नीतियों के कारण महज 67 वर्ष में आज एक डाॅलर 61 रुपये के बराबर हो गया।
कांग्रेस की राजनीतिक मंशा कभी देशहित में नहीं रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण अभी-अभी ‘तेलांगना’ नामक नये राज्य के गठन की घोषणा से है। आंध्र प्रदेश का विभाजन करके अलग राज्य तेलांगना की जो घोषणा की गई उसे राज्यहित में नहीं अपितु राजनीतिक लाभ-हानि देखकर उछाला गया। अपने प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। आंध्र प्रदेश के 10 सबसे अति पिछड़ा जिला प्राकृतिक संपदाओं से धनी इसी तेलांगना क्षेत्र में आते हैं। वर्ष 2009 में ही तेलांगना के गठन पर तत्कालीन गृहमंत्री श्री पी. चिदम्बरम् ने हामी भर दी थी किंतु उसके बाद यह ठंढे बस्ते में डाल दिया गया। भला हो गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के लोकप्रिय नेता श्री नरेन्द्र मोदी का जिनके आंध्र प्रदेश के दौरे ने कांग्रेस को इस ब्रह्मास्त्र को प्रयोग करने को प्रोत्साहित किया। वर्ष 2004 की लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को आंध्र प्रदेश से 29 तथा वर्ष 2009 में ये बढ़कर 33 सीटें मिली थी। राजनीतिक नफा-नुकसान की चैसर पर कांग्रेस हमेशा अपने विरोधियों को पछाड़ने के लिए हर प्रकार का हथकंडा प्रयोग करती रही है। इसका ध्येय होता है-‘देश बंटे पर सत्ता न जाए।’
विकास और प्रगति के लिए छोटे राज्यों का गठन होना चाहिए किंतु क्षेत्रीय दलों की सिद्धांतविहीन संघीय व राजनीतिक नीति, संघीय ढांचा के लिए खतरनाक होता है। वास्तव में यदि राजनीति दूरदृष्टि का परिचायक इस देश के नेता हो तो छोटे राज्यों का गठन में पहली प्राथमिकता ‘जम्मू-कश्मीर’ राज्य को कश्मीर, जम्मू एवं लद्दाख जैसे तीन राज्यों में गठन कर देते। जम्मू-कश्मीर राज्य से सारे संसाधनों पर सिर्फ कश्मीर घाटी के लोगों का वर्चस्व है। लद्दाख और जम्मू का जिस प्रकार से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक,      धार्मिक एवं वैयक्तिक शोषण किया जा रहा है वैसा तो किसी गुलाम के साथ भी नहीं होता होगा। अतः इस देश के सरकार एवं राजनीतिक दल को सबसे पहले जम्मू-कश्मीर पर ध्यान देना चाहिए। आखिर क्यों होना चाहिए जम्मू, कश्मीर और लद्दाख ये तीन अलग-अलग भारतीय राज्य इसके अनेक कारण हैं। भारतीय संविधान के प्रति उपेक्षा और अलगाववाद के लिए कुख्यात जम्मू-कश्मीर में सिर्फ कुल क्षेत्रफल का 14 प्रतिशत भाग जो कश्मीर घाटी में है के चार जिले-बारामुला, श्रीनगर, पुलवामा अनन्तनाग और शोपियां जिले तक सीमित है किंतु बदनामी जम्मू और लद्दाख क्षेत्र के निवासी को भी मिलती है। गुज्जर, शिया, पहाड़ी, सिक्ख, पंडित, लद्दाखी, डोगरा, बौद्ध जैसे समूहों ने ना तो कभी जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने का आंदोलन और ना ही कभी देश के संवेदनशील सैनिकों पर पत्थरबाजी किया। ये घटनायें सिर्फ कश्मीर घाटी के जिलों में ही होती है।
जम्मू जिसका कुल क्षेत्रफल 36,315 वर्ग कि.मी. है जिसका 26 हजार वर्ग कि.मी. ही भारत के पास है, यहां 67 प्रतिशत हिन्दू है,यहां कि मुख्य भाषा डोगरी और पहाड़ी है।वहीं लद्दाख जिसका कुल क्षेत्रफल 1,01,000 वर्ग कि.मी. जिसका भारत के पास 59 हजार वर्ग कि.मी. है यह बौद्ध बाहुल्य तथा यहां कि मूल भाषा भोटिया है। वहीं कश्मीर जिसका कुल क्षेत्रफल 22 हजार वर्ग कि.मी. है, जिसमें लगभग 16 हजार वर्ग कि.मी. भारत के पास है अब मुस्लिम बाहुल्य है, इसका मुख्य भाषा पहाड़ी व डोगरी है। जम्मू कश्मीर की बिडम्बना है कि इस्लामी देशों के सहयोग से चलने वाले अनेक आतंकी संगठनों का आका पाकिस्तान द्वारा इस राज्य को हमेशा अस्थिर रखने का प्रयास किया गया और इसमें कुछ कश्मीरियों का भी योगदान रहा। रही-सही कसर इस देश की नेहरुवादी नीति ने पूरा कर दिया था। तभी तो उर्दू इस राज्य के किसी भी भाग के मूल निवासियों की भाषा नहीं किंतु बलपूर्वक एक इस्लामी साजिश के तहत ‘उर्दू’ थोपा गया है। वर्ष 2008 का आंकड़ा बताता है कि केन्द्र सरकार जम्मू कश्मीर को प्रति व्यक्ति 9,754/- रुपये जबकि बिहार जैसे राज्य को 876/- रुपये प्रति व्यक्ति दिया जाता है। इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर को इस राशि से 90 प्रतिशत अनुदान और 10 प्रतिशत वापसी जबकि शेष राज्यों के लिए 30 प्रतिशत अनुदान और 70 प्रतिशत वापसी करना होता है। फिर भी जम्मू व लद्दाख के लोगों का जीवन टेंटों में गुजर रहा है और कश्मीर के लोग गुलछर्रे उड़ा रहे हैं। जम्मू में वर्ष 2002 में 26 हजार वर्ग कि.मी. के क्षेत्रफल में 30,59,986 मतदाता है किंतु विधानसभा में 37 और लोकसभा में सिर्फ दो सदस्य चुने जाते हैं। वहीं कश्मीर घाटी का क्षेत्रफल 15,953 वर्ग कि.मी. में 29 लाख मतदाता किंतु विधानसभा के लिए 46 तथा लोकसभा के लिए तीन सदस्य चुने जाते हैं। आखिर क्यों ऐसी संरचना का दंश जम्मू झेल रहा है। इतना ही नहीं वर्ष 1997-98 में के.ए.एस. और के.पी.एस. अधिकारियों की भर्ती के लिए राज्य लोक सेवा आयोग जो परीक्षा ली, उसमें 1 ईसाई, 3 मुस्लिम तथा 23 बौद्ध परीक्षोतीर्ण हुए जिसमें 1 ईसाई, 3 मुस्लिम और 1 बौद्ध को नियुक्ति दी गई शेष 22 बौद्धों को नहीं आखिर ऐसा विद्वेष क्यों हुआ? इतना हीं नहीं वर्ष 2010-11 तक के आंकड़े जम्मू कश्मीर सचिवालय काॅडर के कुल 3,500 कर्मचारियों में एक भी बौद्ध कर्मचारी नहीं है।
पिछले 52 वर्षों से सचिवालय में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों में एक भी बौद्ध नहीं, आखिर क्यों? फारुक अब्दुल्ला के मुख्यमंत्रीत्व काल में कुल 1.04 लाख कर्मचारियों की भर्ती हुई, इसमें महज 319 यानि कुल 0.31 प्रतिशत लद्दाख क्षेत्र से थे। सार्वजनिक क्षेत्रों में कार्यरत लगभग 21,206 कर्मचारियों में केवल 3 बौद्ध राज्य परिवहन निगम में कार्यरत हैं। राज्य के 8 सार्वजनिक उपक्रमों में भी बौद्ध नहीं है। वर्ष 1997 में 24 पटवारी की भर्ती जिसमें 23 मुस्लिम और 1 बौद्ध। वर्ष 1998 में राज्य शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कुल 40 कर्मचारियों में 1 को छोड़कर शेष 39 मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति हुई। इतना हीं नहीं कश्मीर की कश्मिरीयत ईस्लाम के कब्र में दफन हो चुका है।
1950 के आसपास अमेरिका के सह पर शेख अब्दुल्ला के मन में स्वतंत्र कश्मीर की चाहत उभरी थी जिसे पाकिस्तानी सरकार और उसके कुख्यात जल्लाद आई. एस.आई. ने कुछ भारतीय सेकुलरवादियों के सहयोग से कश्मीर में इस्लाम की, जो आग लगाई,वह   मानवाधिकार का सबसे विद्रुप चेहरा विश्व में उभरा किंतु इस देश का दुर्भाग्य है कि इस इस्लामी आग में झुलसने वाला गैर इस्लामी लोग हैं, जिनका ना कोई हक होता ना कोई हकूक होता है। कश्मीर घाटी के अलावे इस इस्लामी आग जम्मू के डोडा, किश्तवाड़, रामबन, उधमपुर, रियासी, पुंछ, राजौरी और कुठुआ जैसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में फैला, जहां से अब तक लगभग 8 लाख गैर इस्लामी लोग अपना सब कुछ छोड़ धर्म बचाकर पलायन किया और अपने ही देश में वैसा शरणार्थी बना है, जहां नागरिकता के सभी अधिकारों सहित किसी भी प्रकार के अधिकार से वह बंचित है। इस्लामी दरिंदों द्वारा नियंत्रित कश्मीर और उसके दलालों की सरकार जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों में जिस प्रकार का अघोषित शरीयत लागू कर रखा है वैसे जलालत जिंदगी से मरना अच्छा है। वैसे लोगों के लिए जम्मू कश्मीर का विभाजन अत्यंत आवश्यक है।
लद्दाख अत्यंत शुष्क एवं कठोर जलवायु क्षेत्र वाला प्रदेष है। सिंधु यहां की मुख्य नदी है। आज अपने संस्कृति और संस्कार की रक्षा के लिए संघर्षरत है। लद्दाख की ‘भोटी’ भाषा एक समृद्ध भाषा रही है। आज भी जो गं्रथ संस्कृत में मूल रूप में नहीं है वह ‘भोटी’ भाषा में उपलब्ध है। किंतु इस्लाम नियंत्रित राज्य सरकार की उर्दू की अनिवार्यता के कारण लद्दाखी बच्चे या तो राज्य से बाहर या नहीं पढ़ने को विवश है।
इतने भयावह परिस्थितियों एवं मानव अधिकारों के हनन के बाद भी भारत सरकार राष्ट्रवादी जम्मू-लद्दाख एवं कश्मीर के निवासियों को प्रोत्साहन ना देकर चंद इस्लामी आतातायियों जो डाॅलरों पर बिके आई.एस.आई. के भारतीय सर जमीन पर गुंडे हैं, उसकी बातों को सुनता रहा है। अलगाववादियों का गढ कश्मीर घाटी कभी शांति का परिचायक ना है ना रहेगा क्योंकि यहां के कुछ गिने लोगों के आगे भारत सरकार और राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण जो राष्ट्रवादी ना हैं ना होगे को प्रोत्साहन मिलता रहा है । फलतः इस राज्य के देषभक्त नागरिक मौन है। वैसे में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को नेहरु से लेकर आज तक की गई पापों को प्रायश्चित करने का सबसे अच्छा समय है कि जम्मू कश्मीर राज्य को तीन कश्मीर, जम्मू और लद्दाख के रूप में अलग राज्य गठन कर अपने पापों का प्रायश्चित कर अपने ही देश में बने शरणार्थियों की रक्षा करे। इस मानवीय राष्ट्रीय कार्य में देश का हर नागरिक, राजनीतिक दलों का सहयोग करेगा, चाहे वो कश्मीर का हो या कन्याकुमारी का।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जिले के कर्मचारी अधिकारी पैसे पैसे के लिए मोहताज

Posted on 02 August 2013 by admin

जनपद के कोषागार पर जिलाधिकारी का भी नियंत्रण नही रह गया है अब मुख्यमंत्री ही सुधार सकते है अपने कर्मचारियों की पेमेंन्ट व्यवस्था ।
गौरतलब हो कि जब से सरकार ने ई-पेमेन्ट व्यवस्था लागू की है तब से जिले के कर्मचारी अधिकारी पैसे पैसे के लिए मोहताज हो गये है और उसके लिए नये नये रास्ते निकाल रहे है जाहिर है कि कर्मचारियों को तीन तीन माह से वेतन नही मिला हो और परिवार लम्बा हो बच्चे पढ़ने लिखने खाने पीने वाले हो या भाडे का मकान हो तो कोई कैसे इस मंहगाई मे जीवित रहेगा और तो और कोषागार के बाबुओ का कोई ठिकाना नही है कि इस माह पैसा बैंक खाते मे डाल ही दे तो ऐसे मे कर्मचारी क्या करेगा उसे कौन सा दुकानदार आखिर कब तक उधार देगा ?
बच्चो का एडमीशिन बिना पैसे के कौन से स्कूल मे होगा, कर्मचारी की पत्नी का बिना पैसा ईलाज कौन डाक्टर करेगा अब तो सरकारी अस्पताल मे भी बिना पैसा ईलाज नही होता तो कर्मचारी क्या करें । काम के बदले पैसा ले और हो भी रहा है कुछ ऐसा ही राज्य सरकार के मुखिया और डी.एम. सुलतानपुर को पैसे व वेतन की समस्या आडे आती ही नही वो क्या जाने एक सरकारी चपरासी के परिवार की पीडा जबकि जिले मे सीट सम्भालते ही कोषागार का चार्ज लेने वाली डी.एम. उस दिन के बाद शायद ही कभी कोषागार गई हो ? उन्हे शायद यह भी नही मालूम की पेंशनरों को आज भी माह की १० ता० के बाद ही पेशन मिलती है कर्मचारियों को मिलने वाला डी.ए. बिना पैसे के शायद ही किसी पेंशनर को मिलता हो ।
जब कर्मचारियों को वेतन आन लाईन सेंड करने मे तीन माह से छरू माह लगता है तो सोचा जा सकता है कि क्या हालात है कोषागार के कोषागार अधिकारी को उनको क्लर्क कुछ समझते ही नही है जब मन करता है नजराना मिल जाता है तो सीट पर बैठते है वरना आप खोजते रहियें दिन पर दिन महीने पर महीने बीतते रहेगें वेतन नही जायेगा ।
ऐसे में ज्यादातर कर्मचारी अपनी सीटो पर काम के बदले अनाज की तर्ज पर काम के बदले नजराना ढूढते मिल जायेगे आखिर क्या करें किससे कहे मुख्यमंत्री ने कसम खाई है कि सुलतानपुर के हालात व प्रशासनिक व्यवस्था नही सुधारेगें न जिम्मेदारो को कुछ कहेगें चाहे कर्मचारी बिना वेतन भीख मांगे या जनता से घूस मांगे जिले को किसी तरह चलाने पर अमादा है सरकार । ऐसे मे जनता कर्मचारी सभी त्रस्त है ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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बाटला हाउस कांड पर न्यायालय के निर्णय पर खुशी

Posted on 02 August 2013 by admin

भारतीय जनता युवा मोर्चा केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार भाजयुमो के जिलाध्यक्ष आशुतोष सिंह के आह्वान पर कार्यव्रहृम अध्यक्ष प्रवीण मिश्र तथा आकाश जायसवाल एवं प्रदीप यादव के संयोजकत्व मे बाटला हाउस कांड पर न्यायालय के निर्णय पर खुशी व्यक्त करते हुये तथा केन्द्र सरकार एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गाधी के प्रतीकात्मक पुतले का दहन किया गया । edited-dscn25351
कार्यव्रहृम की अध्यक्षता करते हुए प्रवीन मिश्र ने कहा कि न्यायालय के निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि बटला हाउस कांड फर्जी एनकाउन्टर न होकर आंतकवाद विरोधी अभियान था । इस मौके पर सेक्टर प्रमुख आशीष सिंह रानू ने कहा कि अदालत के निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि इस अभियान मे मारे गये इंस्पेक्टर एम.सी.शर्मा शहीद थे और मारे गये आतंकवादियों की पैरवी करने वाले दिग्विजय सिंह व अन्य कांग्रेस नेताओं को देश से माफी मांगनी चाहिए । इस अवसर पर भाजयुमों कार्यकर्ता सुपर मार्केट कार्यालय से शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए केन्द्र सरकार एवं आतंकवादी विरोधी नारा लगाते हुए कलेक्ट्रेट के सामने पुतला दहन किया गया ।
इस अवसर पर डा० एम.पीत.सिंह, रामचन्द्र मिश्र, विजय त्रिपाठी, विजय मिश्र, श्याम बहादुर पाण्डेय, नीलेश, विमलेश, विवेक श्रीवास्तव, अशोक यादव, सुमित श्रीवास्तव, धर्मेन्द्र वर्मा, गिरीश, नन्दन, लालेन्द्र प्रताप, शिवम सिंह, प्रशान्त, सुशील दूबे, गुडडू, रत्नेश, जयकृष्ण पाण्डेय, विजय सिंह रघुवंशी, प्रीति शर्मा, कोकिला तिवारी, संतबक्श सिंह चुन्नू, दिनेश चैरसिया, मंगरु प्रजापति, अखिलेश जायसवाल, सतपाल सिंह, सुरेन्द्र, गौतम, धर्मेन्द्र, रवि श्रीवास्तव, उमा सिंह, समेत अनेक कार्यकर्ता व पदाधिकारी मौजूद रहे ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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मनरेगा संविदा कर्मी भुखमरी के कगार पर

Posted on 02 August 2013 by admin

जनपद के मुख्य विकास अधिकारी व परियोजना निदेशक की गैर जरुरी अंडगे बाजी से भुखमरी के कगार पर पहुंच गये मनरेगा संविदा कर्मी।
गौरतलब हो कि जिले मे न तो शासन का कोई महत्व है न सरकार का जो अधिकारी जहां बैठा है वहां का संविधानबिद स्वयं बन बैठा है उसके अधीन कर्मी शोषित और पीडित है । मनरेगा के सैकडो संविदा कर्मी इनकी  हठ धर्रि्मता और स्वेच्छा चारिता की त्रासदी का नमूना बन चुके है न सरकार सुन रही है न मंडलायुक्त । विकास कार्यो की समीक्षा बैठका कागजी और औपचारिकता बन चुकी है ।
सोचा जा सकता है कि मनरेगा कर्रि्मयों को जब वेतन ही नही मिलेगा तो वो कैसे विकास कार्यो की निगरानी करेगें या सरकार के आदेश को मरेगे । एक दो माह हो तो मांग जांचकर चल जायेगा मगर एक वर्ष पूरा वेतन न दीजिए और किसी कर्मचारी या सेवक से काम लीजिये तो इसे क्या कहा जायेगा । इसे मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव स्वयं अपनी भाषा मे प्रसारित करें तो जनता और कर्मी समझे कि यह कार्य कौन सी के अन्र्तगत आती है । जिले के मुख्य विकास अधिकारी और स्वयंभू पी.डी. अपना तो वेतन उठा ही रहे है और इन बेचारे संविदा कर्मियों को इनके संवैधानिक अधिकार काम के बदले वेतन से क्यो और किस स्वार्थ मे वंचित किये है ?  जिनमें एक सैकडा तकनीकी सहायक, तेरह ए.पी.ओ. १३ कम्प्यूटर आपरेटर, तेरह एकाउंटटेंट आज शासना देश होते हुए भी भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके है ।
ऐसा नही है कि शासना देश न हो ग्राम्य विकास सचिव मनोज सिंह द्वारा जारी शासना देश ७६५३/३८-७-२०१०-१०एन आर टी जी ए / ०५ टी सी-११-११-२०१० को प्रभावी रहते हुए भी जिले के अधिकारी मनरेगा कर्मियों से तेजी और गुणवत्त्ता तो चाहते है मगर वेतन देने में कौन से मंत्री ने इन्हे भूख मारने का आदेश दिया है ? क्या मुख्य मंत्री या मुख्य सचिव ने इनके वेतन वितरण पर रोक लगाई है ? यह बताने वाला कोई नही है आखिर ये मनरेगा कर्मी प्रधान व सेकरेट्री के भ्रष्टाचार का सी.डी.ओ. और पी.डी. नही है ? या मनरेगा योजना जिले मे फेल हो जाये तो इसका दोषी कौन है ?

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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