नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को उनके द्वारा प्लाण्ट, मशीनरी तथा तकनीकी सिविल कार्य पर होने वाले व्यय हेतु बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण पर देय ब्याज की दर पर 07 प्रतिशत की दर से पांच वर्ष हेतु प्रतिपूर्ति होगी: जावेद उस्मानी
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापना हेतु अनुकूल वातावरण का सृजन किया जाए। नए निवेश को आकर्षित करने के लिए निवेशकों को निवेश सम्बन्धी सूचनाएं उपलब्ध कराने तथा उनकी जिज्ञासाओं के समाधान हेतु व्यापक प्रबन्ध किए जायें। उन्होंने कहा कि निवेशकों की सुविधा के लिए खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा उद्योग बन्धु की तर्ज पर एकल विन्डो सिस्टम विकसित किया जायेगा तथा मण्डल एवं जनपद स्तर पर भी निवेशकों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी प्रदान कराने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नवीन नीति के अन्तर्गत उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधाओं को एकीकृत कर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के माध्यम से लागू कराया जायेगा, जो अन्य सम्बन्धित विभागों के लिए बाध्यकारी होगा। राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना के अन्तर्गत प्रदेश में मेगाफूड पार्क की स्थापना हेतु इच्छुक उद्यमियों/प्रमोटर्स को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की योजना के अन्तर्गत प्रस्ताव तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
मुख्य सचिव आज शास़्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नवीन नीति पर आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थापित होने वाली नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को उनके द्वारा प्लाण्ट, मशीनरी तथा तकनीकी सिविल कार्य पर होने वाले व्यय हेतु बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण पर देय ब्याज की दर पर 07 प्रतिशत की दर से पांच वर्ष हेतु प्रतिपूर्ति की जायेगी। इसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष प्रति इकाई 50 लाख रूपये होगी। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी इकाइयों, जैव प्रौद्योगिकी इकाइयों, बी0पी0ओ0 काल सेन्टर्स, एग्रो प्रोसेसिंग इकाइयों, फूड प्रोसेसिंग इकाइयों, फूड पार्क, सौर ऊर्जा व वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की इकाइयों को स्टैम्प शुल्क में 100 प्रतिशत छूट प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) माध्यम के अलावा अवस्थापना सुविधाओं के विकास (यथा-सड़कों, पुलों, ओवरब्रिज, थोक बाजार, ट्रान्सशिपमेंट केन्द्र, एकीकृत ट्रांसपोर्ट व व्यवसायिक केन्द्र, विद्युत उत्पादन, पारेषण व वितरण, जलापूर्ति, जल निकासी, प्रदर्शनी केन्द्र, वेयर हाऊस, कोल्ड स्टोरेज, एयरपोर्ट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट, साॅलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट प्लान्ट, रेलवे व्यवसायिक केन्द्र, कारगो हब, फायर स्टेशन, गैस बूम्टर व फीडर स्टेशन, एफ्लुएंेट ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट की स्थापना) हेतु भूमि के क्रय पर स्टैम्प शुल्क में 100 प्रतिशत छूट प्रदान की जायेगी।
श्री उस्मानी ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति के अन्तर्गत बाजार व्यवस्था में सुधार कर कृषकों को उनके उत्पाद का अधिकतम मूल्य उपलब्ध कराया जायेगा। इस हेतु हाॅफेड एवं सम्बद्ध सहकारी समितियों को सुदृढ़ कर संगठित विपणन व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जायेगा और विपणन प्रोत्साहन हेतु क्रेता-विक्रेता सम्मेलन (बायर-सेलर मीट) और मेलों के माध्यम से उपभोक्ताओं और कृषकों को सीधे सम्पर्क में लाया जायेगा। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति के अन्तर्गत प्रशिक्षण एवं प्रचार-प्रसार के माध्यम से खाद्य सुरक्षा मानकों का व्यापक प्रसार कराया जाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्टडी टूर का आयोजन उद्यमियों, विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों को समय-समय पर आवश्यकतानुसार कराया जाए, जिससे प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों की स्थापना में उनका और अधिक सहयोग मिल सके।
नवीन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति के अनुसार राज्य सरकार, राज्य में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, संस्थानों, व्यावसायिक संस्थानों में खाद्य प्रसंस्करण,पैकेजिंग तथा विपणन में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने को प्रोत्साहित करेगी। इन पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ करने के लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थाओं को खाद्य प्रसंस्करण मिशन एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से अनुमन्य सहायता प्रदान करायी जायेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता विकास एवं तकनीकी हस्तानान्तरण के साथ-साथ स्थानीय कच्चे माल के प्रसंस्करण हेतु निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को दक्ष मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु उद्यमिता विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन, ढाबा, फास्ट फूड, रेस्टोरेंट प्रशिक्षण, फूड हाईजीन एवं सेनीटेशन जागरूकता तथा केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी शोध संस्थान (सी0एफ0टी0आर0आई0) रक्षा खाद्य शोध प्रयोगशाला (डी0एफ0आर0एल0) एवं अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ प्रशिक्षण आयोजित कराये जायेंगे।
बैठक में प्रमुख सचिव उद्यान श्री रजनीश दुबे, निदेशक मण्डी श्री राजीव अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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