Archive | January 2nd, 2013

पिछला वर्ष सन् 2012 सपा सरकार व केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की UPA सरकार का कैसा रहा है?

Posted on 02 January 2013 by admin

बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश, स्टेट कार्यालय लखनऊ में, पार्टी द्वारा आयोजित प्रेस कान्फ्रेस को बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री उ0प्र0 सुश्री मायावती जी ने सबसे पहले मीडिया बन्धुओं के साथ-साथ उनके माध्यम से उ0प्र0 सहित, पूरे देश की जनता को नव-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनायें देते हुये कहा कि अब हम लोग इस महीने की पहली तारीख से नये वर्ष सन् 2013 में प्रवेश कर गये हैं। लेकिन पिछला वर्ष सन् 2012 का यहाँ उ.प्र. की सपा सरकार व केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की UPA  सरकार का कैसा रहा है? उस पर कुछ खास मुद्दों को लेकर अपनी पार्टी की प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिये आज की यह महत्वपूर्ण प्रेस कान्फ्रेंस बुलायी गई है।
और इस सम्बन्ध में, सबसे पहले मैं उ.प्र. के बारे में यह कहना चाहती हूँ कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश, उ.प्र. की सपा सरकार के पिछले वर्ष का लगभग 10 महीनों का शासनकाल हर मामले में व हर स्तर पर बहुत ही ज्यादा ‘‘खराब, दुःखदायक एवं  चिन्ताजनक‘‘ रहा है। और खासतौर से प्रदेश में ‘‘अपराध-नियन्त्रण एवं कानून-व्यवस्था‘‘ के मामले में वर्तमान सपा सरकार, अपने पुराने रिकार्ड को तोड़ते हुये, इतनी ज्यादा ‘‘लचर सरकार‘‘ साबित हो रही है कि यहाँ आम लोगों का विश्वास कानून-व्यवस्था एवं सरकार से पूरा उठता जा रहा है। और अब प्रदेश की ऐसी स्थिति को ‘‘अराजक‘‘ स्थिति कहना गलत नहीं होगा, जिसके आगे चलकर काफी ज्यादा गम्भीर परिणाम निकल सकते हैं। क्योंकि यहाँ शासन-प्रशासन व्यवस्था लगभग ध्वस्त हो चुकी है। और प्रदेश में हर तरफ सपा के ‘‘गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं एवं असामाजिक व भ्रष्ट तत्वों‘‘ का बोलबाला है। और यह स्वाभाविक भी है कि जिस पार्टी में ‘‘गुण्डें, बदमाश, माफिया व भ्रष्ट लोग‘‘ भरे पड़े हों तो उस पार्टी की सरकार से और क्या उम्मीद की जा सकती है।
इतना ही नहीं बल्कि यहाँ ‘‘कानून- व्यवस्था व अपराध नियन्त्रण‘‘ के मामले में इस पार्टी के सरकार के मुखिया की ‘‘लाचारी‘‘ इस बात से भी साफ झलकती है कि जब प्रदेश का मुख्यमंत्री यह कहे कि ‘‘प्रदेश की कानून-व्यवस्था को ठीक करने के लिये, क्या मैं खुद वर्दी पहन लूँ।‘‘ इस प्रकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के मुँह से दिया गया यह बयान यहाँ प्रदेश की शर्मनाक कानून-व्यवस्था की स्थिति को स्वयं दर्शाता है। इसके साथ ही, यह बयान सरकार की ‘‘लाचारी‘‘ को भी दर्शाता है जो कि अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। और वैसे भी वर्तमान सपा सरकार के 48 में से लगभग 26 मन्त्रियों के आपराधिक रिकार्ड हैं। अर्थात् लगभग 54 प्रतिशत मन्त्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि जिस सपा सरकार के मन्त्रिमण्डल में इतने आपराधिक मामलों वाले ‘‘दागी मंत्री‘‘ हों, तो ऐसी सरकार में जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है? और इतना ही नहीं बल्कि पिछले वर्ष लगभग इसी ही 10 महीनों की अवधि में प्रदेश में ‘‘चोरी, डकैती, हत्या, लूटमार, फिरौती, अपहरण, बलात्कार एवं साम्प्रदायिक दंगे‘‘ आदि की घटनायें भी अब यहाँ चरमसीमा पर पहुँच चुकी हैं। और खासतौर से ‘‘साम्प्रदायिक दंगों‘‘ के बारे में प्रदेश की जनता का यह मानना है कि प्रदेश में इस अवधि के दौरान लगभग 100 से ज्यादा छोटे-बड़े साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं। हालांकि इतनी बड़ी तादाद् में दंगे आजादी के बाद यहाँ अन्य किसी भी पार्टी के शासन में नहीं हुये हैं। इसी प्रकार प्रदेश में पिछले वर्ष इसी ही अवधि के दौरान महिलाओं पर लगभग ‘‘डेढ़ हजार‘‘ से ज्यादा बलात्कार व अन्य जघन्य अति दुःखद व गम्भीर घटनायें घटित हो चुकी हैं।

इसके साथ ही प्रदेश में ऐसा कोई दिन नहीं जाता है जिस दिन प्रदेश के किसी भी जिले में कोई हत्या या अन्य कोई जघन्य वारदात नहीं होती हो। लेकिन इसके साथ-साथ यहाँ दुःख की बात यह भी है कि प्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत पीडि़त लोगों की थानों में FIR तक भी नहीं लिखी जाती है। इसीलिए अब प्रदेश में दुःखी व पीडि़त लोग इस प्रदेश को उ.प्र. नहीं बल्किी ‘‘क्राईम प्रदेश‘‘ कहने लगे हैं। लेकिन अपनी इन सब कमियों व बुराइयों पर से प्रदेश की जनता का ध्यान हटाने के लिये इस सपा सरकार द्वारा आयेदिन पिछली सरकार के कार्यों की ‘‘नई-नई जाँच‘‘ कराने का बड़े पैमाने पर हवआ (भय) खड़ा करना और फिर इसकी आड़ में धन उगाही आदि करने की बात भी काफी ज्यादा चर्चा में है। और इसी क्रम में यहाँ बी.एस.पी. सरकार के जरिये दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों से सम्बन्धित महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के ‘‘आदर-सम्मान‘‘ में बनाये गये ‘‘भव्य एवं ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों व पार्कों‘‘ आदि के बारे में आयेदिन कुछ-न-कुछ ‘टीका-टिप्पणी‘ आदि करके ‘‘दुर्भावनापूर्ण व ओछी‘‘ राजनीति करने का सिलसिला भी लगातार जारी है। जबकि इस मामले में ‘‘माननीय सुप्रीम कोर्ट‘‘ ने इन सभी स्थलों में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ करने पर रोक लगाई हुई है। और अभी भी यह मामला ‘‘माननीय अदालत‘‘ में लम्बित पड़ा हुआ है।
इसके साथ ही SC/ST वर्गों के पदोन्नति में आरक्षण को लेकर यहाँ प्रदेश के ‘‘अपरकास्ट समाज‘‘ के लोगों को जबरन गुमराह करना आदि प्रमुख है। इसके अलावा प्रदेश में सर्वसमाज के हितों व उनके उत्थान एवं विकास के मामलों में तो यह सरकार बहुत बुरी तरह से विफल रही है। और अब इस मामले में अधिकांश सभी धर्मों व वर्गों के लोग इस सरकार को अपने ‘चुनावी वायदों‘‘ की याद दिलाने लगे हैं। और अच्छी बात यह है कि इनमें से कुछ बातें अब इनकी पार्टी के लोग ही इन्हें याद दिला रहे हैं। जैसे उदाहरण के तौर पर सपा ने इस बार अपने ‘‘चुनावी घोषणा-पत्र‘‘ में प्रदेश के सभी मुसलमानों को दलितों की आबादी की तरह इन्हें भी ‘‘18 प्रतिशत‘‘ शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों आदि में यहाँ प्रदेश में सपा सरकार बनने पर आरक्षण देने की बात कही है। लेकिन अब इस वायदे से बचने के लिये इसकी पूरी जिम्मेवारी केन्द्र सरकार के ऊपर डालने की तैयारी की जा रही है। जिस पर इनकी पार्टी के ही शुभ-चिन्तक जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने यह कहा है कि इस मामले में सपा सरकार प्रदेश के मुसलमानों को धोखा दे रही है। नहीं तो दिल्ली में केन्द्र की सरकार से मुसलमानों के लिये आरक्षण मांगने वाली समाजवादी पार्टी यू.पी. में बहुमत में होने के बावजूद भी यहाँ इनको आरक्षण क्यों नहीं दे रही है? जो इन्होंने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में वायदा किया है। और इनका यह बयान पिछले महीने ‘‘28 दिसम्बर सन् 2012‘‘ को दिल्ली व यू.पी. के ज्यादातर अखबारों में छपा है। इसलिए अब यह बात काफी हद तक स्पष्ट हो जाती है कि इस पार्टी ने यहाँ मुस्लिम समाज को यह लालच देकर व गुमराह करके उनका वोट तो जरूर हासिल कर लिया गया, परन्तु अब उन चुनावी वायदों को पूरा करने में अनेकों प्रकार की आनाकानी करके अब यह सपा सरकार अपने वायदों से मुकर रही है, अर्थात् प्रदेश में अन्य समाज की तरह मुस्लिम समाज के साथ भी ‘‘दगा व धोखा‘‘ कर रही है।
इसी प्रकार ‘‘कन्या विद्याधन‘‘ के मामले में ना केवल पक्षपात बल्कि भ्रष्टाचार भी काफी किया जा रहा है, जिसमें उच्च स्तर पर लोग मिले हुये बताये जाते हैं। क्योंकि इनका जो भी सीमित व पक्षपातपूर्ण वितरण है, वह वितरण अधिकारी स्तर पर नहीं करके बल्कि मंत्री स्तर पर किया जा रहा है। यही कारण है कि आम लड़के व लड़कियों में इसको लेकर भारी नाराजगी व असंतोष पैदा हैं जो इन कार्यक्रमों के दौरान ‘‘हंगामा, मारपीट, अव्यवस्था व पुलिस लाठीचार्ज‘  के रूप में अधिकतर जगहों पर देखने को मिल रहा है। यही हाल प्रदेश में छात्र-छात्राओं से किये गये ‘‘लैपटाप, टैबलेट पी.सी, व बेरोजगारी भत्ता‘‘ आदि दिये जाने के चुनावी वायदों का भी हमें नजर आ रहा है। इसके साथ-साथ प्रदेश में ‘‘किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, वकीलों, व्यापारी व अन्य पेशों से जुड़े वर्गों के लोगों‘‘ से भी किये गये तमाम चुनावी वायदों को भी ताक पर रखकर भुला दिया गया है। यहाँ तक कि सपा सरकार के मुख्यमंत्री की तमाम् प्रकार की घोषणायें भी ‘‘कोरी-हवाई‘‘ साबित होकर अपना मखौल खुद उड़ा रही है। लेकिन इन सबके बावजूद भी सपा व इनकी सरकार आयेदिन ‘‘हवाई-भरी‘‘ बड़ी-बड़ी बयानबाजी करने से बाज नहीं आ रही है।
इसी प्रकार प्रदेश में ‘‘OBC वर्गों‘‘ का ज्यादातर फायदा भी इस सपा सरकार में अकेले ‘‘यादव‘‘ समाज के लोगांे को ही दिया जा रहा है। इसको लेकर भी अन्य सभी OBC वर्गोें के लोग काफी ज्यादा दुःखी व चिन्तित हैं। हालांकि हमारी पार्टी कोई ‘‘यादव समाज‘‘ के विकास व उत्थान के खिलाफ नहीं है। लेकिन यादव समाज के साथ-साथ बाकी OBC वर्गों के लोगों को भी उनका हक इस सरकार को जरूर देना चाहिये। जो इस सरकार में बराबर नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ-साथ इस सरकार में ‘‘अपरकास्ट समाज‘‘ की भी हर स्तर पर काफी ज्यादा उपेक्षा की जा रही  है और इसी ही मानसिकता के तहत चलकर अपनी पिछली सरकार में तो इस पार्टी ने इनकी ‘‘सरकारी भर्ती‘‘ पर भी पूरेतौर से रोक लगा दी थी। जिसे फिर मेरी सरकार ने हटाकर इनको अर्थात् अपरकास्ट समाज के लोगों को कई लाख सरकारी नौकरियां दी है। इस प्रकार इन सब बातों को मद्देनजर रखते हुये, अब यहाँ यह बात काफी हद तक स्पष्ट हो जाती है कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के गत वर्ष में लगभग पिछले 10 माह का कार्यकाल यहाँ प्रदेश की जनता के लिये ‘‘अत्यन्त खराब, दुखदायी व कष्टदायक‘‘ रहा है, जिसके बारे में जितना भी कहा जाये, वह कम होगा।
इसके अलावा जहाँ तक केन्द्र में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में चल रही UPA सरकार की, पिछले वर्ष की रही गतिविधियों एवं कार्यशैली का सवाल है, तो इस सन्दर्भ में भी हमारी पार्टी का यह मानना है कि पिछले वर्ष देश व जनता के हिसाब से केन्द्र सरकार की ज्यादातर मामलों में नीतियां अधिकांश ‘‘प्रभावहीन एवं निराशाजनक‘‘ ही रही हैं। अर्थात् पूर्ण रूप से लाभदायक सिद्ध नहीं हुई हैं। और इस क्रम में UPA सरकार ने जनहित व आमजनता के पीडि़त करने वाले मुद्दों को सुलझाने की बजाय ‘‘गैर-जनहित व गैर-जनोपयोगी‘‘ मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देकर देश के गरीबों व आमजनता के साथ ‘‘न्याय‘‘ नहीं करके, उनके साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। और इन्हीं सभी कारणों की वजह से इस दौरान देश में SC/ST वर्गों के पदोन्नति में आरक्षण सम्बन्धित संशोधन विधेयक का लोकसभा में पास ना होना, तथा राष्ट्रीय FOOD सुरक्षा गारन्टी विधेयक, भूमि सुधार विधेयक, लोकपाल विधेयक आदि ऐसे अनेकों और देश व जनहित से जुड़े विधेयक है जो पिछले वर्ष पास नहीं हो सके हैं जिससे देश की जनता को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार का पिछला वर्ष कई मामलों को लेकर ‘‘भ्रष्टाचार‘‘ से भी भरा हुआ रहा है।
इतना ही नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की अधिकांश ‘‘गलत आर्थिक नीतियों‘‘ की वजह से पूर्व की भाँति पिछले वर्ष भी पूरे देश में सर्वसमाज में ‘‘गरीबी, बेरोजगारी एवं महँगाई‘‘ आदि काफी ज्यादा बढ़ी है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा देश में ‘‘गरीबी, बेरोजगारी एवं महँगाई‘‘ आदि को कम करने की बजाय खुदरा बाजार में एफ.डी.आई (FDI) को लागू करना व ‘‘रसोई गैस‘‘ की कीमत में भारी इजाफा तथा इसकी सप्लाई सीमित करने आदि की ’’गैर-जनहित व आमजन विरोधी’’ नीतियों व कार्यक्रमों को अमल करने के, एक प्रकार से नकारात्मक कार्यों में, अपनी पार्टी व सरकार की पूरी शक्ति व ऊर्जा का इस्तेमाल करती रही है। जिससे देश की आमजनता में काफी ज्यादा निराशा व बेचैनी व्याप्त है। और अब जबकि देश में लोकसभा आमचुनाव होने का समय करीब है तो केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार एक बार फिर ’’चुनावी प्रलोभन’’ वाले हथकण्डें इस्तेमाल करने पर अमादा लगती है।
और इस मामले में, केन्द्र सरकार खासकर ऐसी योजनाओं का सहारा लेने का प्रयास कर रही है, जिसका तुरन्त चुनावी लाभ तो मिल जाये। परन्तु उनको देश भर में लागू करने में काफी वर्ष लग जायेंगे। और इस सम्बन्ध में ’’Direct Cash सब्सिडी Transfer योजना‘‘ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जिसे स्वयं केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री व नीति निर्धारक इसे कांग्र्रेस पार्टी के हक में चुनाव जिताने वाली योजना बता रहे है। जबकि इस नयी व्यवस्था को भी लाने में केन्द्र सरकार की नीयत हमें साफ नजर नहीं आती है। क्योंकि केन्द्र सरकार की यदि नीयत साफ होती तो इनको इस योजना को शुरू करने के लिये पहले राज्य सरकारों को ‘’प्रोत्साहित’‘ करना चाहिये था। ताकि ऐसी योजनाओं की सफलता ज्यादा ठीक ढंग से सुनिश्चित हो सके। इसके साथ-साथ इस योजना को सबसे पहले देश में B.P.L परिवारों को मिलना सुनिश्चित करना चाहिये था। हालांकि इस नई योजना के जरिये ‘‘यह लाभ‘‘ देश के गरीब लाभार्थियों को कोई पहली बार ‘‘नया अलग‘‘ से नहीं दिया जा रहा है। बल्किी ‘‘केन्द्रीय योजनाओं‘‘ के तहत् देश के गरीब लोगों को जो लाभ पहले से ही यहाँ सीधा राज्यों के माध्यम से दिया जाता था। उनमें से कुछ योजनाओं को अब केन्द्र की सरकार ने देश में लो.सभा के आमचुनाव नजदीक आते हुये देखकर अपने राजनैतिक स्वार्थ में, इसे अब खुद सीधा cash के रूप में देने के लिये यह ‘‘डायरेक्ट cash सब्सिडी transfer (वितरण) योजना‘‘ बनाई है। और कल बहुत जल्दबाजी में पहली जनवरी (सन् 2013) से देश के मात्र 20 जिलों में ‘‘केवल 7 मामलों‘‘ के अन्दर ही इस नई योजना की अधकच्ची शुरूवात भी कर दी गई है। जिसमें से 3 मामले देश में sc/st व obc वर्गों के छात्रों को, यहाँ पहले से ही वर्षों से दी जा रही छात्रवृत्ति का भी जबरन शामिल कर लिया गया है। जो मेरी सरकार में, उ.प्र. की तरह यहाँ देश के ज्यादातर राज्यों में भी अब सीधा बैंक के जरिये ही नकद धनराशि के रूप में दिया जा रहा है। और इसे अब इस नई योजना के जरिये अर्थात् ‘‘डायरेक्ट Cash सब्सिडी Transfer योजना‘‘ के जरिये देकर कांग्रेस पार्टी के लोग ‘‘आपका पैसा, आपके हाथ‘‘ की बात कहकर, इस बार इसे लोकसभा के आमचुनाव में भुनाना चाहते हैं। जबकि केन्द्र सरकार की यह नई योजना सही मायने में ‘‘पुरानी किताब पर नया कवर चढ़ाके‘‘ देने की तरह ही है। इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रखकर देश के गरीब लोगों को कांग्रेस पार्टी के इस नये राजनैतिक स्वार्थ भरे नाटक के बहकावे में कतई भी नहीं आना है। अर्थात् अब देश के गरीब लोगों को अपने हित में ऐसी धोखेबाज कांग्रेस पार्टी को, आगे केन्द्र की सत्ता से दूर रखना बहुत जरूरी है।
इसके अलावा जहाँ तक गत वर्ष अभी हाल ही में ‘‘दिल्ली गैंगरेप‘‘ का अत्यन्त दुःखद व निन्दनीय मामला सामने आया है तो मुझे ऐसा लगता है कि इस घटना से देश जागा है और देश के लोगों की ‘‘जमीर‘‘ भी कुछ हद तक जरूर जागी है। परन्तु इस मामले में केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों का भी अभी तक रवैया ज्यादा नहीं बदला है। और वे अधिकांश हमें अभी तक भी सोये हुये नजर आ रहे हैं। वरना इस घटना के बाद देश में इस किस्म की अन्य और घिनौनी घटनायें नहीं घटती। जबकि इस मामले में, मैं यह समझती हूँ कि केन्द्र की सरकार को तुरन्त ही पहल करके भारत के माननीय प्रधान (चीफ) न्यायाधीश से तथा राज्यों की सरकारों को भी माननीय मुख्य न्यायाधीशांे से तत्काल सलाह-मश्विरा (परामर्श) करके बलात्कार व महिला उत्पीड़न के अन्य और गम्भीर मामलों की सुनवाई अविलम्ब सुनिश्चित कर पीडि़त महिला व उसके परिवार को न्याय व दोषियों को कड़ी सजा दिलाना सुनिश्चित करना चाहिये। जबकि यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोग इस किस्म के मामलों में केवल घटना की निन्दा व उस पर शोक व्यक्त करने से आगे इस किस्म के कुछ भी ठोस कदम नही उठा रहे हैं। जबकि वक्त की मांग ऐसे मामलों में कुछ ठोस उपाय करने की है। अर्थात् इन मामलों में ठोस कदम उठाने की पहल नहीं करना भी एक आपराधिक कृत्य होगा, जिसकी तरफ केन्द्र व राज्यों की सरकारों को समय से ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसके साथ-साथ देश में महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने के लिये सभी धर्मों व जाति के लोगों को भी अपने परिवार एवं समाज में ‘‘अच्छे संस्कारों‘‘ के लिये भी जरूर पहल करनी होगी। इसके अलावा इस मामले में अन्य और क्षेत्रों में भी खासतौर से ‘‘फिल्म-जगत व विज्ञापन‘‘ दर्शाने वाले लोगों को भी जरूर कुछ मंथन करना होगा।     और अब अन्त में इन्हीं जरूरी बातों के साथ मैं आप सभी लोगों को पुनः नये-वर्ष की शुभ-कामनायें देते हुये, आपको लन्च के लिये आग्रह करती हूँ।
प्रेसवार्ता में अपनी बात रखने के बाद सुश्री मायावती जी ने पत्रकारों के अनेक सवालों के जवाब भी दिये। एक प्रश्न के उत्तर में सुश्री मायावती जी ने कहा कि दिल्ली दुष्कर्म के मामले की पीडि़त लड़की के नाम पर केन्द्र की योजना का नाम रखे जाने का मामला एक मंत्री का सुझाव है और इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में आमराय बनाने के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिये।
इसी प्रकार गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी किस व्यक्ति को क्या जिम्मेदारी देने का दायित्व देती है ये बीजेपी का अन्दरूनी मामला है, परन्तु जहाँ तक बीएसपी का सवाल है तो हमारी पार्टी गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी भूमिका को मद्देनजर रखते हुये श्री नरेन्द्र मोदी को कभी भी देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना पसन्द नहीं करेगी।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी ने कहा कि वो इस सुझाव से एक सौ एक प्रतिशत सहमत है कि राजनैतिक दल बलात्कार के आरोपी लोगांे को चुनाव मैदान में नहीं उतारे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

उ0प्र0 विधान मण्डल के 125 वर्ष

Posted on 02 January 2013 by admin

प्रशासनिक सभा से प्रजातांत्रिक सभा तक
प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संचालन एवं आवश्यक राजस्व संग्रह के उद्देश्य से ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने समय-समय पर जरूरत के अनुसार कम्पनी के नियमों एवं नीतियों में परिवर्तन किया। प्रारम्भिक दौर में कम्पनी ने बम्बई, मद्रास और बंगाल से ही कमेटी के सदस्यों द्वारा प्रशासन की शुरुआत की, किन्तु सुदृढ़ प्रशासन की आवश्यकता को देखते हुए ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा वर्ष 1833 में चार्टर ऐक्ट लागू करके गवर्नर जनरल पद का सृजन किया गया। वर्ष 1834 में चैथी प्रेसीडेंसी स्थापित की गई और इलाहाबाद को राजधानी बनाया गया तथा वहाँ के किले को मुख्यालय बनाकर व्यवस्था का क्रियान्वयन प्रारम्भ किया गया। इस राज्य का नाम नार्थ वेस्टर्न प्राॅविंसेज एण्ड अवध रखा गया।
1857 की क्रान्ति से उत्पन्न स्थितियों से निपटने एवं स्वाधीनता आन्दोलन को दबाने के उद्देश्य से 1861 में इण्डियन काउन्सिल ऐक्ट पारित किया गया, जिसमें राज्य लेजिसलेटिव काउन्सिल के गठन का प्रस्ताव पारित हुआ और उसमंे भारतीय प्रतिनिधित्व की बात कही गई। भारतीय आन्दोलनकारियों एवं स्वाधीनता की मांग पर अडिग महापुरुषों की बदौलत कम्पनी के लेजिसलेटिव काउन्सिल में भारतीयों को अधिकार मिल सका। पं0 मदन मोहन मालवीय ने तो यहां तक कह दिया था कि प्रतिनिधित्व का अधिकार दिये बिना सरकार को टैक्स लेने का अधिकार नहीं है, किन्तु ईस्ट इण्डिया कंपनी ने पूर्ण नियंत्रण अपने पास ही रखा। कौंसिल के शुरुआती सदस्यों में 5 अंग्रेज अधिकारी व 4 भारतीय प्रतिनिधि सम्मिलित थे। ऐक्ट में संशोधन करके सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई, जिसमें से अधिकांश गैर सरकारी थे। जन प्रतिनिधि व जनता के बीच कोई लोकतांत्रिक सम्बन्ध नहीं था। मुस्लिम मतदाताओं को अपना प्रतिनिधि चुनने के लिये पृथक निर्वाचन क्षेत्र का प्राविधान किया गया। वर्ष 1920 तक कौंसिल के सदस्यों की संख्या 123 कर दी गई।
जनवरी 1887 से अगस्त 1920 तक विधान मण्डल की कुल 38 बैठकें हुईं, जिनमें कुल 39 विधेयक प्रस्तुत किये गये और 4 बार राज्य सरकार का बजट पेश हुआ। थार्नहिल-मेन मेमोरियल भवन में 14 प्रस्ताव, मेयो मेमोरियल भवन में 18 प्रस्ताव, म्योर सेंट्रल कालेज में 3 प्रस्ताव तथा गवर्नमेंट हाउस में 3 प्रस्ताव पारित हुए।
एक अप्रैल 1937 को उत्तर प्रदेश में विधान सभा का गठन हुआ जिसमें सदस्यों की संख्या 228 निर्धारित की गई, किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उ0प्र0 विधान सभा का स्वरूप परिवर्तित हुआ और वर्तमान में विधान सभा की सदस्य संख्या 404 है, जिसमें से 335 सामान्य और 85 अनुसूचित जाति के सदस्य हैं। विधान परिषद की सदस्य संख्या 108 है।
लेजिस्लेटिव असेम्बली का नाम विधानसभा और लेजिस्लेटिव कौंसिल का नाम विधान परिषद पड़ा। स्वंतत्रता प्राप्ति के उपरांत भारतीय संविधान में 16 के स्थान पर 3 प्रकार के प्रतिनिधित्व का प्राविधान किया गया, जो कि सीधे जनता द्वारा चुन कर विधान सभा में भेजे जाते हैं। भारत की संविधान सभा में शुरुआती चरण में विधान सभा द्वारा 16 सदस्य चुनकर भेजे गये जिनमें सर्वश्री रफी अहमद किदवई, नवाब मोहम्मद इस्माइल खान, महाराज कुमार अमीर हैदर खान, पं0 जवाहर लाल नेहरू, पं0 गोविन्द बल्लभ पंत, डाॅ0 एस0 राधाकृष्णन, आचार्य जे0बी0 कृपलानी, श्रीमती सुचेता कृपलानी, श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित, हरगोविन्द पंत, हरिहर नाथ शास्त्री, डाॅ0 कैलाश नाथ काटजू, फिरोज गांधी, कमलापति त्रिपाठी, गोविन्द मालवीय, श्री प्रकाश, राजा जगन्नाथ बख्श सिंह, पदमपत सिंहानिया एवं पुरुषोत्तम दास दण्डन सम्मिलित हैं।
जिन दिनों संविधान सभा के लिए 55 सदस्य निर्वाचित किये गये उन दिनों मुस्लिम और सामान्य समुदाय के सदस्यों के निर्वाचन की अलग-अलग व्यवस्था थी। संविधान सभा के लिए 8 मुस्लिम तथा 47 सदस्य सामान्य समुदाय से निर्वाचित घोषित किये गये।
संविधान सभा के लिये निर्वाचित सदस्यों में आचार्य जे0बी0 कृपलानी, यू0पी0 के ऐसे सदस्य थे, जिनके भाषण से संविधान सभा की कार्यवाही 9 दिसम्बर, 1946 को पूर्वाह्न 11ः00 बजे आरम्भ हुई थी। उनके प्रस्ताव से डाॅ0 सच्चिदानन्द सिन्हा अस्थायी सभापति चुने गये और डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद को भी स्थायी सभापति चुने जाने के लिये आचार्य जी ने ही प्रस्ताव रखा था। दोनों प्रस्तावों का विरोध नहीं हुआ था। यू0पी0 के सदस्य श्री रफी अहमद किदवई और राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन, संविधान सभा की नियम समिति (रूल्स आॅफ प्रोसीजर कमेटी) के सदस्य थे तथा श्रीप्रकाश फाइनेंस एवं स्टाॅफ कमेटी और श्री मोहन लाल सक्सेना हाउस कमेटी के निर्विरोध सदस्य निर्वाचित हुए थे।
‘कैबिनेट मिशन’ ने 16 मई, 1946 को यह सुझाव दिया था कि संविधान सभा में भारतीय रियासतों और राजाओं के 93 प्रतिनिधि रखे जायें। 21 दिसम्बर, 1946 को श्री के0एम0 मुन्शी ने संविधान सभा में 6 सदयों का नाम देते हुए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया कि यही सदस्य, सभा की एक समिति के लिए नामों का चयन करेंगे जो ‘चैम्बर आॅफ प्रिंसेज’ की ओर से गठित ‘निगोशियेटिंग कमेटी’ से विचार विमर्श करके सभा के लिये उनकी सीटें निर्धारित किये जाने पर विचार करेगी। यू0पी0 से निर्वाचित पं0 जवाहर लाल नेहरू इस समिति के सदस्य थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के 65 वर्षों के उपरान्त भी जिस जनता के अधिकार प्राप्ति के लिये, समृद्धि व विकास के लिये अनेक महापुरुषों ने अपना बलिदान तक दे दिया था, वह अधिकार जनता को अभी भी प्राप्त नहीं हो सका है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनता द्वारा प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा में गये। जनता के हितों के लिये विधेयक भी बनाये गये। देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिये नियम व कानून भी बनाये गये, परन्तु ठीक प्रकार से क्रियान्वित नहीं किये जा सके। विगत कुछ वर्षों में समाजवाद की नीतियों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने जनता को शिक्षित व उन्नत बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया है, जिससे जनता अपने प्रतिनिधि चुनते वक्त अपने बुद्धि और विवेक का परिचय दे सके। प्रदेश की वर्तमान सरकार ने वास्तव में भारत को गांवों का देश मानते हुए फसलों का सही दाम निर्धारण, स्वस्थ भारत के लिये बच्चों को दोपहर का भोजन, गांवों केे विद्युतीकरण, साईकिल आवंटन, मेधावी छात्रोें को लैपटाॅप वितरण, बोरोजगारी भत्ता, गांवों में ही महीने में 20 से 25 दिन तक रोजगार प्रदान करने की प्रक्रिया, उच्च शिक्षा प्रदान करने की उत्तम व्यवस्था, मुफ्त में शिक्षा की पुस्तकें, कन्याधन, छात्र-छात्राओं की जरूरत की वस्तुएं सरकार मुहैया करा रही है। इस प्रकार समाज के सभी वर्गों के सदस्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं, जिससे कि प्रदेश का विकास सम्भव हो।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह 3 जनवरी से चार दिवसीय उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहेंगे

Posted on 02 January 2013 by admin

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उ0प्र0 राजनाथ सिंह 3 जनवरी से चार दिवसीय उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहेंगे।   श्री सिंह 3 जनवरी को वाराणसी, 4 जनवरी को सुल्तानपुर तथा 5 व 6 जनवरी को लखनऊ में रहेंगे।

Comments (0)

नयी सड़क परियोजनाएं प्रारम्भ की गयी

Posted on 02 January 2013 by admin

उत्तर प्रदेष में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु मुख्यमंत्री, श्री अखिलेष यादव के दिषा निर्देंषन में अनेक नयी सड़क परियोजनाएं प्रारम्भ की गयी हैं। इसके अंतर्गत कई तीव्रगति सड़कों का निर्माण एवं राज्य मार्गों का सुदृढ़ीकरण, पर्यटन विकास आदि सम्मिलित हैं।
उत्कृष्ट श्रेणी की सड़क परियोजनाओं में आगरा से लखनऊ के मध्य न्यूनतम दूरी के आधार पर 08 लेन का आगरा-लखनऊ, ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण हेतु पयार्वणीय अनुमोदन प्राप्त करने तथा परियोजना का संरखण किये जाने के लिए यूपीडा को नोडल एजेन्सी नामित कर दिया गया है। प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे में पर्यावरण रक्षा के लिए दोनों ओर हरियाली के साथ तालाब तथा झीलें प्रस्तावित हैं। इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने पर लखनऊ से नोयडा की दूरी लगभग 5 घण्टे में तय की जा सकेगी। इस एक्सप्रेस-वे के लिए किसानों से जमीन उनकी सहमति के आधार पर समुचित मुआवजा देने के बाद अधीग्रहीत की जायेगी। परियोजना का कार्य तीव्र गति से अग्रसर है।
इसी प्रकार दिल्ली वार्डर (वजीराबाद) से हापुड़ रोड तक लगभग 20 कि. मी. की 04 लेन की प्रस्तावित परियोजना के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को नोडल एजेन्सी बनाया गया है। सड़क निर्माण के लिए 200 हेक्टेयर भूमि की आवष्यकता सम्भावित है। परियोजना क्रियान्वयन के लिए समय-सीमा का निर्धारण प्राधिकरण द्वारा किया गया है। इसके पूर्व यमुना एक्सप्रेस-वे को जन-सामान्य के लिए गत 9 अगस्त 2012 से खोला जा चुका है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

स्टेडियम बनाए जाने हेतु लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा नये सिरे से परियोजना तैयार

Posted on 02 January 2013 by admin

लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम बनाए जाने हेतु लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा नये सिरे से परियोजना तैयार कर इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री के निर्देंषानुसार तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों को सुगम यात्रा हेतु प्रदेष के वृज क्षेत्र के वरसाना, विन्ध्यांचल क्षेत्र के अष्टभुजा तथा बुन्देलखण्ड के देवांगना में रोप-वे का निर्माण कराया जा रहा है। यह परियोजनाएॅं पर्यटन विभाग द्वारा सार्वजनिक निजी सहभागिता से क्रियान्वित करायी जा रही है। इन परियोजनाओं से प्रदेष में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों की युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरु

Posted on 02 January 2013 by admin

भारतीय जनता पार्टी इस वर्ष होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों की युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरु कर दी हैं। आज पार्टी मुख्यालय(नई दिल्ली) में केन्द्रीय चुनाव प्रबन्धन एवं समन्वय की बैठक में अगले दो महीनों में होने वाले कर्नाटक, मेघालय, नागालैण्ड, त्रिपुरा और उसके बाद दिल्ली, मध्यप्रेदश, छत्तीसगढ़ राजस्थान, मिजोरम के चुनावों  उसकी तैयारियों की समीक्षा एवं चर्चा हुई।
भाजपा उपाध्यक्ष एवं केन्द्रीय चुनाव प्रबन्धन एवं कार्यक्रम के प्रभारी श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि इस वर्ष होने वाले नौ राज्यों के विधासभा चुनाव महत्वपूर्ण है, बूथस्तर पर चुनावी तैयारियां शुरु हो चुकी हैं, पार्टी के प्रदेश एवं केन्द्रीय नेता इन सभी चुनावी राज्यों में उक्त राज्यों में चुनावी तैयारियों में कार्यकर्ताओं का सहयोग एवं समीक्षा कर रहे हैं।
श्री नकवी ने बताया कि केन्द्र सरकार के सौतेले व्यवहार कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति एवं केन्द्र की नीतियों के चलते बेलगाम मंहगाई के बाबजूद भाजपा शासित राज्यों ने लोगों को ‘‘डेवलपमेन्ट की डोर,, से जोडा, सुशासन एवं विकास का शानदार काम किया, वहीं कांग्रेस शासित राज्यों ने केन्द्र के बेहिसाब पैकेज, अन्धाधुन्द विशेष योजनाओं, पानी की तरह जनधन की लूट के बावजूद लोगों तक उसका लाभ नहीं पंहुचा, भ्रष्टाचार, घोटालों एवं जनधन की लूट होती रही। यह तमाम मुद्दे चुनावों में रहेंगें। इन राज्यों में कांगे्रस की केन्द्र सरकार की जनविरोधी एवं देश के हितो के खिलाफ उठाये गये कदम भी मुद्दा होगा।
श्री नकवी ने बताया कि इन नौ चुनावी राज्यों, तीन राज्यों, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं कर्नाटक में भाजपा की सरकार है जबकि पांच राज्यों दिल्ली, राजस्थान, मेघालय, नागालैण्ड, मिजोरम में कांग्रेस और त्रिपुरा में वामपंथी सत्ता में हैं। इन चुनावी राज्यों में चुनावी तैयारियों, बूथ स्तर की चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था, एवं विधानसभा वार-क्षेत्र, राज्य वार मुद्दों पर चर्चा हेतु इस महीने से केन्द्रीय नेता दौरा, बैठकें करेंगें।
श्री नकवी ने कहा कि जिन राज्यों में हम सत्ता में हैं वहां अपने अच्छे कामों, विकास, सुशासन के बल पर पुनः सरकार बनाने का लक्ष्य एवं जिन राज्यों में कांग्रेस सरकार चला रही है, उनके कुशासन से लोगों को मुक्ति दिलाने के संकल्प के साथ पार्टी चुनाव के मैदान में उतरेगी।
श्री नकवी ने कहा कि महंगाई बेरोजगारी, खुदरा बाजार में विदेशी निवेश एवं कांग्रेस व केन्द्र सरकार की गरीब विरोधी नीतियां प्रमुख मुद्दा होंगी। केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार, घोटालों के चलते देश ‘‘उदारवाद से उधारवाद,, के रास्ते पर खड़ा हो गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

दृष्टिहीन संघ द्वारा सर-रार्बट लुई-ब्रेल की 205वीं जयंती समारोह का आयोजन

Posted on 02 January 2013 by admin

उत्तर प्रदेष राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ द्वारा सर-रार्बट लुई-ब्रेल की 205वीं जयंती समारोह का आयोजन 4 जनवरी 2013 को अपरान्ह 1.00 बजे सूचना एवं जन सम्पर्क निदेषालय के प्रेक्षाग्रह में किया गया है। समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेष के वन एंव जन्तु उद्यान राज्य मंत्री डा0 षिव प्रताप यादव होगें।
यह जानकारी राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ शाखा के महा सचिव ने आज यहां दी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2013 के लिए 30 सार्वजनिक अवकाश

Posted on 02 January 2013 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 के लिए 30 सार्वजनिक अवकाशों की जो सूची जारी की है, उसमें 24 सार्वजनिक अवकाश निगोशिएबुल इन्स्ट्रूमेन्ट एक्ट के तहत तथा 6 सार्वजनिक अवकाश नाम निगोशिएबुल इन्स्टूªमेन्ट एक्ट के तहत घोषित की गयी हैं।
निगोशिएबुल इन्स्टूªमेन्ट एक्ट के तहत जो 24 सार्वजनिक अवकाश घोषित किये गये हैं, उसमें ईद-ए-मिलाद/बारावफात (25 जनवरी), गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) महा शिवरात्रि (10 मार्च), होलिका दहन (26 मार्च), होली (27 मार्च), गुड-फ्राइडे (29 मार्च), डा0 भीमराव अम्बेडकर जयन्ती (14 अप्रैल), रामनवमी (19 अप्रैल), महावीर जयन्ती (23 अप्रैल), हजरत अली का जन्म दिन (24 मई), बुद्ध पूर्णिमा (25 मई), ईद-उल-फितर (9 अगस्त), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), रक्षाबन्धन (21 अगस्त), जन्माष्टमी (28 अगस्त), महात्मा गांधी जयन्ती (2 अक्टूबर), दशहरा (महानवमी-विजयदशमी) (13 अक्टूबर), ईदुल-अज़हा (बकरीद) (16 अक्टूबर), दीपावली (3 नवम्बर), गोवर्द्धन पूजा(4 नवम्बर), भैयादूज/चित्रगुप्त जयन्ती (5 नवम्बर), मोहर्रम (14 नवम्बर), गुरूनानक जयन्ती/कार्तिक पूर्णिमा (17 नवम्बर) तथा क्रिसमस-डे (25 दिसम्बर) शामिल हैं।
इसके अलावा नान-निगोशिएबुल इन्स्टूªमेन्ट एक्ट के तहत जो 6 सार्वजनिक अवकाश घोषित किये गये हैं, उसमें चेटीचन्द (12 अप्रैल), परशुराम जयन्ती (12 मई), अलविदा (2 अगस्त), विश्वकर्मा पूजा (17 सितम्बर), महाराजा अग्रसेन जयन्ती (5 अक्टूबर) तथा महर्षि बाल्मीकि जयन्ती (18 अक्टूबर) शामिल हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

दलित अधिकर रैली 03 जनवरी को रवीन्द्रालय में

Posted on 02 January 2013 by admin

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री पी.एल.पुनिया कल लखनऊ में दलित अधिकार रैली में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सहायक निदेशक श्री तरूण खन्ना ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 3 जनवरी, 2013 को चारबाग स्थित रवीन्द्रायल में प्रातः 11ः00 बजे दलित अधिकार रैली का आयोजन किया गया है। दलित अधिकार रैली में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री पी.एल.पुनिया होंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

बसों में बिना टिकट पकड़े जाने पर यात्री से 500 रुपये जुर्माना वसूला जायेगा

Posted on 02 January 2013 by admin

प्रशमन शुल्क वसूले जाने के बाद भी परिचालकों पर विभागीय कार्यवाही जारी रहेगी

परिवहन निगम की बसों में बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्रियों से किराये का 10 गुना अथवा 500 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा। इसी तरह जानबूझकर अथवा असावधानी से किराया लेकर यात्री को टिकट न देने अथवा कम मूल्य का टिकट देने पर बस परिचालकों से भी 500 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री आलोक कुमार ने सभी क्षेत्रीय एवं सहायक क्षेत्रीय प्रबन्धकों को निर्देश दिए हैं कि मार्ग निरीक्षण एवं प्रवर्तन कार्य में चेकिंग दल पारदर्शी कार्यवाही सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा है कि यह बात प्रकाश में आयी है कि बसों की चेकिंग के दौरान चेकिंग दलों द्वारा यात्रियों पर जुर्माना न कर प्रायः परिचालकों के विरूद्ध जुर्माना लगा दिया जाता है, जो उचित नहीं है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि वैध टिकट या पास न पाये जाने पर यात्रियों पर जुर्माना किया जाए।
प्रबन्ध निदेशक ने अपने निर्देश में कहा है कि निगम के कतिपय अधिकारियों में यह धारणा व्याप्त है कि परिचालक अथवा यात्री से निरीक्षण स्थल पर जुर्माना लेकर अपराध का प्रशमन कर दिये जाने के बाद पुनः उसी अपराध के लिए परिचालक के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही विधि विरूद्ध है जबकि यह धारणा उचित नहीं है। इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा भी मत धारित किया गया है कि प्रशमन शुल्क के उपरान्त भी विभागीय कार्यवाही वैध है। उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय में यहां तक कहा गया है कि बिना टिकट के प्रकरणों में परिचालकों के विरूद्ध सेवा से बर्खास्त किए जाने के अलावा कोई अन्य दण्ड न दिया जाए।
प्रबन्ध निदेशक ने क्षेत्रीय प्रबन्धकों को पुनः निर्देश दिए हैं कि 15 या इससे अधिक बिना टिकट यात्री को प्रकरण में दोषी परिचालकों के विरूद्ध संबंधित थानों में एफ0आई0आर0 निश्चित रूप से दर्ज करायी जाए। प्रायः यह देखा जा रहा है कि इस कार्य में तत्परता नहीं बरती जा रही है जो कदापि उचित नहीं है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

Advertise Here

Advertise Here

 

January 2013
M T W T F S S
« Dec   Feb »
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
-->









 Type in