बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व बी.एस.पी. संसदीय दल की चेयरपर्सन एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी का 57वां जन्मदिन, देश भर में ‘‘जन-कल्याणकारी दिवस’’ के रूप में गरीबों, मजलूमों व असहाय लोगों की विभिन्न प्रकार से मदद करने की कार्यक्रम के साथ सम्पन्न। साथ ही, बी.एस.पी. की ‘‘ब्लू बुक’’ मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा-भाग-8 एवं इसके अंग्रेजी संस्करण ‘A Travelogue of My Struggle-Ridden Life and BSP Movement-Volume-8’’ का विमोचन।
यू.पी.ए. की देशी व विदेशी पूँजीपति-समर्थक तथा गरीब एवं आमजन विरोधी गलत आर्थिक व नकारात्मक नीतियों के बावजूद एन.डी.ए. द्वारा यू.पी.ए. को पूरा-पूरा जीवन दान दिये जाने से देश में आमजन-विरोधी महौल के फलस्वरूप बी.एस.पी. देश की जनता के सामने एक मात्र ‘‘बेहतर, कारगर, स्वच्छ व ठोस एवं सिद्धान्तवादी विकल्प’’: सुश्री मायावती जी
भारत-पाकिस्तान सीमा पर गोली-बारी की घटनाओं के साथ-साथ अपने देश की सीमायें पूरे तौर से सुरक्षित ना होने की वजह से आतंकवादियों व अन्य अपराधिक तत्वों के घुसपैठ के कारण भी, समय-समय पर अपने देश को काफी ज्यादा ‘जानी-माली’ नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिससेे अपने देश की जनता का बेहद दुःखी व चिन्तित होना भी स्वभाविक, इन्हें रोकने के लिये केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में सभी प्रकार के कारगर उपाय करने की बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी की माँग
बी.एस.पी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) एवं चेयरपर्सन, बी.एस.पी. संसदीय दल एवं पूर्व मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ एक प्रेस कान्फ्रेंस को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर करीब एक घन्टे तक अपनी बात रखने के साथ-साथ मीडिया कर्मियों द्वारा विभिन्न विषयों पर पूछे गयेे सवालों का जवाब भी काफी विस्तार से दिया, जिनमें भारत-पाकिस्तान के बीच वर्तमान तनाव, तमिलनाडु राज्य में दलितों पर जुल्म-ज्यादती और बी.एस.पी. द्वारा उसका विरोध एवं यू.पी.ए. और एन.डी.ए. से सम्बन्धित मामले प्रमुख हैं।
आज की प्रेस कान्फ्रेस में मीडिया कर्मियों की भारी भीड़ को सम्बोधित करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि, सबसे पहले मैं आप सभी लोगों को नये-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनायें देती हूँ। इसके साथ ही, आज के विषय से सम्बन्धित वैसे आप लोगों को यह विदित है कि आज मेरा 57वां जन्म-दिन है और आज 15 जनवरी के दिन को हमारी पार्टी के लोग पूरे देशभर में विभिन्न स्तर पर इसे ‘जन-कल्याणकारी दिवस‘ (Peoples welfare Day) के रूप में मनाते हैं, जिसके तहत् पार्टी के कार्यकर्तागण विशेष कार्यक्रम आयोजित करके अपनी क्षमता के हिसाब से अपने क्षेत्र के ‘‘गरीब, पीडि़त, असहाय व विकलांग‘‘ आदि जरूरतमन्द लोगों की विभिन्न रूपों में मदद करते हैं और इसी ही पैटर्न पर उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. की सरकार के दौरान भी सरकारी स्तर पर मेरा जन्म-दिन मनाया जाता रहा है। अर्थात् इस दिन मेरी सरकार के समय में, हजारों करोड़ रूपयों की लागत वाली अनेकों ‘जन-कल्याणकारी‘ योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण आदि करके, प्रदेश में गरीब एवं जरूरत लोगांे को भारी तादाद् में लाभान्वित किया गया है, जिनमें से ज्यादातर योजनाओं को अब प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार ने राजनैतिक द्वेष के कारण बन्द कर दिया है।
इसके साथ ही, आप लोग इस बात से भी भली-भाँति अवगत हैं कि ‘‘बी.एस.पी. एक राजनैतिक पार्टी के साथ-साथ एक मूवमेन्ट भी है‘‘, जिस कारण मेरे जन्म-दिन के शुभ अवसर पर ‘‘बी.एस.पी. मूवमेन्ट‘‘ से सम्बन्धित मेरे द्वारा लिखित पुस्तक, जिसका नाम ‘‘मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा‘‘ है, इसका हर वर्ष प्रकाशन करके, आज के दिन ही इस पुस्तक को रिलीज भी किया जाता है। इस पुस्तक में खासतौर से पिछले एक वर्ष में बी.एस.पी. की मूवमेन्ट के रास्ते में आने वाली सभी प्रकार की चुनौतियों और उनका सामना किये जाने के लिए उठाये गये विशेष कदमों के साथ-साथ ‘‘सामाजिक परिवर्तन‘‘ के क्षेत्र में पार्टी मूवमेन्ट की सफल भूमिका आदि के, एक वर्ष का भी लेखा-जोखा होता है। हालांकि इस पुस्तक को हमारी पार्टी के लोग ज्यादातर बी.एस.पी. की ‘‘ब्लू बुक‘‘ के नाम से भी जानते हैं।
इतना ही नहीं बल्कि इस पुस्तक के महत्व के बारे में यहाँ मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि ‘‘जिस समाज या मूवमेन्ट का अपना इतिहास नहीं होता है, तो वह समाज पूरेतौर से आगे तरक्की नहीं कर सकता है‘‘ और यह बात वास्तव में, मैंने अपने पूर्वजों से ही सीखी है, जिनका यह कहना था कि किसी भी समाज या मूवमेन्ट के इतिहास को केवल जिन्दा व बरकरार ही नहीं रखना है, बल्कि उसे सुरक्षित भी रखना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही, इस सन्दर्भ में वैसे आप लोगों को यह भी मालूम है कि अपने देश में जातिवादी मानसिकता के तहत् चलकर, अब तक किस प्रकार से यहाँ दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान् सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों में भी खासतौर से ‘‘महात्मा ज्योतिबा फूले, छत्रपति शाहूजी महाराज, श्री नारायणा गुरू, पेरियार जी, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि‘‘ की हर स्तर पर ‘‘उपेक्षा‘‘ की गयी है।
Continue Reading