बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व बी.एस.पी. संसदीय दल की चेयरपर्सन एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी का 57वां जन्मदिन, देश भर में ‘‘जन-कल्याणकारी दिवस’’ के रूप में गरीबों, मजलूमों व असहाय लोगों की विभिन्न प्रकार से मदद करने की कार्यक्रम के साथ सम्पन्न। साथ ही, बी.एस.पी. की ‘‘ब्लू बुक’’ मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा-भाग-8 एवं इसके अंग्रेजी संस्करण ‘A Travelogue of My Struggle-Ridden Life and BSP Movement-Volume-8’’ का विमोचन।
यू.पी.ए. की देशी व विदेशी पूँजीपति-समर्थक तथा गरीब एवं आमजन विरोधी गलत आर्थिक व नकारात्मक नीतियों के बावजूद एन.डी.ए. द्वारा यू.पी.ए. को पूरा-पूरा जीवन दान दिये जाने से देश में आमजन-विरोधी महौल के फलस्वरूप बी.एस.पी. देश की जनता के सामने एक मात्र ‘‘बेहतर, कारगर, स्वच्छ व ठोस एवं सिद्धान्तवादी विकल्प’’: सुश्री मायावती जी
भारत-पाकिस्तान सीमा पर गोली-बारी की घटनाओं के साथ-साथ अपने देश की सीमायें पूरे तौर से सुरक्षित ना होने की वजह से आतंकवादियों व अन्य अपराधिक तत्वों के घुसपैठ के कारण भी, समय-समय पर अपने देश को काफी ज्यादा ‘जानी-माली’ नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिससेे अपने देश की जनता का बेहद दुःखी व चिन्तित होना भी स्वभाविक, इन्हें रोकने के लिये केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में सभी प्रकार के कारगर उपाय करने की बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी की माँग
बी.एस.पी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) एवं चेयरपर्सन, बी.एस.पी. संसदीय दल एवं पूर्व मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ एक प्रेस कान्फ्रेंस को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर करीब एक घन्टे तक अपनी बात रखने के साथ-साथ मीडिया कर्मियों द्वारा विभिन्न विषयों पर पूछे गयेे सवालों का जवाब भी काफी विस्तार से दिया, जिनमें भारत-पाकिस्तान के बीच वर्तमान तनाव, तमिलनाडु राज्य में दलितों पर जुल्म-ज्यादती और बी.एस.पी. द्वारा उसका विरोध एवं यू.पी.ए. और एन.डी.ए. से सम्बन्धित मामले प्रमुख हैं।
आज की प्रेस कान्फ्रेस में मीडिया कर्मियों की भारी भीड़ को सम्बोधित करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि, सबसे पहले मैं आप सभी लोगों को नये-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनायें देती हूँ। इसके साथ ही, आज के विषय से सम्बन्धित वैसे आप लोगों को यह विदित है कि आज मेरा 57वां जन्म-दिन है और आज 15 जनवरी के दिन को हमारी पार्टी के लोग पूरे देशभर में विभिन्न स्तर पर इसे ‘जन-कल्याणकारी दिवस‘ (Peoples welfare Day) के रूप में मनाते हैं, जिसके तहत् पार्टी के कार्यकर्तागण विशेष कार्यक्रम आयोजित करके अपनी क्षमता के हिसाब से अपने क्षेत्र के ‘‘गरीब, पीडि़त, असहाय व विकलांग‘‘ आदि जरूरतमन्द लोगों की विभिन्न रूपों में मदद करते हैं और इसी ही पैटर्न पर उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. की सरकार के दौरान भी सरकारी स्तर पर मेरा जन्म-दिन मनाया जाता रहा है। अर्थात् इस दिन मेरी सरकार के समय में, हजारों करोड़ रूपयों की लागत वाली अनेकों ‘जन-कल्याणकारी‘ योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण आदि करके, प्रदेश में गरीब एवं जरूरत लोगांे को भारी तादाद् में लाभान्वित किया गया है, जिनमें से ज्यादातर योजनाओं को अब प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार ने राजनैतिक द्वेष के कारण बन्द कर दिया है।
इसके साथ ही, आप लोग इस बात से भी भली-भाँति अवगत हैं कि ‘‘बी.एस.पी. एक राजनैतिक पार्टी के साथ-साथ एक मूवमेन्ट भी है‘‘, जिस कारण मेरे जन्म-दिन के शुभ अवसर पर ‘‘बी.एस.पी. मूवमेन्ट‘‘ से सम्बन्धित मेरे द्वारा लिखित पुस्तक, जिसका नाम ‘‘मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा‘‘ है, इसका हर वर्ष प्रकाशन करके, आज के दिन ही इस पुस्तक को रिलीज भी किया जाता है। इस पुस्तक में खासतौर से पिछले एक वर्ष में बी.एस.पी. की मूवमेन्ट के रास्ते में आने वाली सभी प्रकार की चुनौतियों और उनका सामना किये जाने के लिए उठाये गये विशेष कदमों के साथ-साथ ‘‘सामाजिक परिवर्तन‘‘ के क्षेत्र में पार्टी मूवमेन्ट की सफल भूमिका आदि के, एक वर्ष का भी लेखा-जोखा होता है। हालांकि इस पुस्तक को हमारी पार्टी के लोग ज्यादातर बी.एस.पी. की ‘‘ब्लू बुक‘‘ के नाम से भी जानते हैं।
इतना ही नहीं बल्कि इस पुस्तक के महत्व के बारे में यहाँ मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि ‘‘जिस समाज या मूवमेन्ट का अपना इतिहास नहीं होता है, तो वह समाज पूरेतौर से आगे तरक्की नहीं कर सकता है‘‘ और यह बात वास्तव में, मैंने अपने पूर्वजों से ही सीखी है, जिनका यह कहना था कि किसी भी समाज या मूवमेन्ट के इतिहास को केवल जिन्दा व बरकरार ही नहीं रखना है, बल्कि उसे सुरक्षित भी रखना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही, इस सन्दर्भ में वैसे आप लोगों को यह भी मालूम है कि अपने देश में जातिवादी मानसिकता के तहत् चलकर, अब तक किस प्रकार से यहाँ दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान् सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों में भी खासतौर से ‘‘महात्मा ज्योतिबा फूले, छत्रपति शाहूजी महाराज, श्री नारायणा गुरू, पेरियार जी, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि‘‘ की हर स्तर पर ‘‘उपेक्षा‘‘ की गयी है।
साथ ही, उनके यहाँ ‘‘समतामूलक एवं मानवतावादी समाज व्यवस्था‘‘ की स्थापना के लिए, किये गये, उनके आजीवन ‘‘संघर्षों, त्याग व तपस्या‘‘ आदि को भी किस प्रकार से तोड़-मरोड़ कर पेश करके लोगों को इनकी इस मूवमेन्ट के प्रति गुमराह करने की भी पूरी-पूरी कोशिश की गयी है। इसके साथ-साथ, आप लोग यह जानते हैं कि परमपूज्य ‘‘बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर‘‘ के समतामूलक एवं मानवतावादी मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने वाले ‘‘मान्यवर श्री कांशीराम जी‘‘ अब हमारे बीच में नहीं रहे हैं। परन्तु, बी.एस.पी. इन दोनों की व अन्य सभी दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों के महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों आदि की ‘‘मिशनरी सोच, विचारधारा एवं उनके मानवतावादी मूवमेन्ट‘‘ को, उनके जीवन संघर्षों से प्रेरणा लेकर लगातार आगे बढ़ा रही हूँ और इन सबका भी लेखा-जोखा मेरी इसी ही पुस्तक में हर वर्ष दर्ज (अंकित) किया जाता है, ताकि देश में वर्तमान व आने वाली पीढ़ी को, बी.एस.पी. के ‘‘सामाजिक परिवर्तन एवं मानवतावादी मूवमेन्ट‘‘ से सम्बन्धित समकालीन इतिहास के बारे में सही जानकारी मिल सके।
इसके साथ ही, आप लोग यह भी अवगत हैं कि ‘‘गत वर्ष सन् 2012‘‘ का हमारी पार्टी व मूवमेन्ट के लिए एक बड़ी चुनौती का वर्ष रहा है, जिसमें हमें इस बार, खासतौर से उत्तर प्रदेश में हुये विधानसभा आमचुनाव में विरोधी पार्टियों के ‘‘साम, दाम, दण्ड, भेद‘‘ आदि अनेकों प्रकार के हथकण्डों वाले सामूहिक साजिशों का कुछ ज्यादा ही सामना करना पड़ा है। जिस कारण ही उत्तर प्रदेश में एकदम अप्रत्याशित एवं अभूतपूर्व तौर पर उस पार्टी का भला हो गया है। जिसके बारे में आज देश भर में यह चर्चा है कि ‘‘कानून-व्यवस्था के मामले में अब उत्तर प्रदेश एक ’’क्राइम प्रदेश’’ बन गया है‘‘ जहाँ अधिकतर ’जंगलराज व अराजकता’ कायम है।
हालांकि उत्तर प्रदेश के इसी विधानसभा आमचुनाव में इस बार पिछली बार की तुलना में बी.एस.पी. को पहले से ज्यादा वोट प्राप्त हुये है। जो समाजवादी पार्टी से मात्र साढ़े चैबीस लाख यानि की लगभग 3 प्रतिशत वोट ही केवल हमें कम मिले हैं। अर्थात हमारी पार्टी को, इस चुनाव में हमारे खिलाफ सभी विरोधी पार्टियों की अन्दरूनी साजिश होने के कारण हमें सीटें तो जरूर कम मिली हैं, लेकिन हमारी पार्टी के, यहाँ तेजी से बढ़ रहे जनाधार में कोई कमी नहीं आई है और इस बात का ताजा सबूत यह है कि उ.प्र. में वि.सभा आमचुनाव होने के कुछ समय बाद ही, यहाँ हुये ‘‘स्थानीय निकाय चुनाव’’ में मिली भारी सफलता के साथ-साथ बामसेफ, डी.एस-4 व बी.एस.पी. मूवमेन्ट के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी के छठवें परिनिर्वाण दिवस पर दिनांक 9 अक्टूबर सन् 2012 को लखनऊ के ऐतिहासिक रमाबाई अम्बेडकर मैदान में आयोजित बी.एस.पी. की राष्ट्रीय संकल्प महारैली‘‘ का हर मामले में सफल होना आदि ऐसे अनेकों कार्य रहे हैं। जिनको गतवर्ष की उपलब्धियों के रूप में याद करना जरूरी है, क्योंकि इनसे बी.एस.पी. मूवमेन्ट को एक नयी गति मिलती है। लेकिन इसके साथ ही, आप लोग यह भी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी ‘‘बी.एस.पी. मूवमेन्ट‘‘ से जुड़े लोगांे को देश व आम-जनहित में कांग्रेस के यू.पी.ए. व बीजेपी के एन.डी.ए. के साथ भी काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है। और यही कारण है कि चाहे देश में एससी/एसटी वर्ग के सरकारी कर्मचारियों का प्रोन्नति में आरक्षण व खुदरा बाजार में FDI(प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का मामला हो या फिर गरीबी, बेरोजगारी व महँगाई आदि का मामला हो, तो इस प्रकार के हर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर हमें काफी सोच-समझकर व दूरगामी प्रभाव वाले महत्वपूर्ण निर्णय, अपने मूवमेन्ट के हित को ध्यान में रखकर लेने पड़े हैं, जिसके बारे में विस्तार से जानकारी आज रिलीज होने वाली पुस्तक में वर्णित की गयी है।
इसके साथ ही, आप लोगों को यह भी विदित है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर, बी.एस.पी. की मूवमेन्ट के हित में व इसे आगे बढ़ाने हेतु मुझे यहाँ चार बार कार्य करने का मौका मिला है और इस दौरान ऐतिहासिक महत्व के अनेकों ऐसे कार्य किये गये हैं, जिसकी शायद यहाँ दूसरी मिसाल मिलनी बहुत मुश्किल है और अब वर्तमान में बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद होने के साथ-साथ बी.एस.पी. संसदीय दल की चेयरपर्सन के रूप में यहाँ देश की राष्ट्रीय नीति को ‘‘आमजन-हितैषी‘‘ बनाने हेतु प्रभावित करने का भी अवसर प्राप्त हो रहा है इस कारण इन दोनों ही जिम्मेदारियों का अपना-अपना खास महत्व है और अब वर्तमान में स्पष्ट तौर पर यह देखा जा सकता है कि खासकर उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य के साथ-साथ, देश की राजनीति व सामाजिक जीवन में ‘‘बी.एस.पी. मूवमेन्ट‘‘ का ’’सकारात्मक दखल व प्रभाव’’ काफी ज्यादा मजबूती के साथ बढ़ा है और इस कारण अब देश में ‘‘परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी‘’ का मानवतावादी विचारधारा वाला इनका यह कारवाँ आज इतना आगे बढ़ गया है कि अब इसकी अनदेखी व उपेक्षा आसानी से कोई नहीं कर सकता है।
‘‘और खासतौर से जब तक मुझमें सांस रहेगी तो उनका यह कारवां किसी भी कीमत पर हर मुश्किल की घड़ी में भी पीछे मुड़कर देखने वाला नहीं है।’’ ऐसी मेरी दिली तमन्ना है और इसके लिये मेरी पूरी कोशिश भी रहेगी। चाहे उनके इस कारवां को रोकने के लिये, सभी विरोधी ताकतंे मेरे रास्ते में हमेशा कितनी भी कठिन से कठिन बाधायें क्यों ना पैदा करते रहंे। हालांकि अभी तक यहाँ लगभग सभी विरोधी ताकतों ने, मेरे रास्ते में अनेकों बाधायें उत्पन्न करके, मेरी ईमेज को धूमिल करने व उनके कारवाँ को रोकने का हर सम्भव प्रयास किया है। जैसे उदाहरण के तौर पर ‘‘सन्् 2003’’ में केन्द्र में बीजेपी के शासनकाल के दौरान सी.बी.आई. द्वारा ‘‘ताज प्रकरण के केस’’ में व इस केस की आड़ में मेरे माँ-बाप, भाई-बहिन व नजदीकी रिश्तेनातों एवं मिलने वालों आदि की ज्यादातर सम्पत्ति को मेरी सम्पत्ति में जोड़कर, मेरे ऊपर आय से अधिक सम्पत्ति होने का जबरन गलत मामला दर्ज कराया गया और फिर आगे चलकर कांग्रेस पार्टी के राज में भी लगभग 8 वर्षों तक, इसी ही सम्बन्धित केस की आड़ में, मुझे सभी विरोधी ताकतों ने प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में, हर मामले में व हर स्तर पर काफी ज्यादा परेशान करने की भी पूरी-पूरी कोशिश की है। लेकिन इस मामले में मुझे ‘‘माननीय सुप्रीम कोर्ट’’ में सही न्याय मिलने पर फिर विरोधियों की इस साजिश को काफी जबरदस्त झटका लगा है। किन्तु इसके बावजूद भी, इस मामले को लेकर अभी तक भी विरोधी लोग चुप नहीं बैठे हैं। अर्थात अभी भी ये लोग इस मामले में कोई ना कोई कमी निकालकर आयेदिन कोर्ट-कचेहरी में Review व अन्य और Petition आदि दाखिल करते रहते हैं।
इतना ही नहीं, बल्कि विरोधी लोग आज भी ‘‘मेरे माँ-बाप, भाई-बहिन व नजदीकी रिश्तेनातों एवं मिलने वालों की खुद के कारोबार व नौकरी आदि के जरिये अर्जित की गई, उनकी सम्पत्ति को’’ विभिन्न स्तर पर, और उसमें भी खासतौर से मीडिया में इस प्रकार गलत तरीके से बीच-बीच में छपवाते रहते हैं। जैसे उनकी सारी सम्पत्ति मेरी खुद की अपनी सम्पत्ति हो। और अब तो ये विरोधी लोग देश के किसी भी उद्योगपति की सम्पत्ति को जबरन उसे मेरी खुद की सम्पत्ति बताकर, व इसका अन्दर-अन्दर काफी गलत तरीके से प्रचार करके मेरी एवं पार्टी की ईमेज पर बुरा प्रभाव डालने की भी, पूरी कोशिश में लगे रहते हैं। लेकिन मुझे अपने खुद के समाज व अपनी पार्टी के लोगों के ऊपर यह पूरा भरोसा व नाज भी है कि हमारे ये लोग अभी तक विरोधी ताकतों के ऐसे किसी भी हथकण्डे के बहकावे में नहीं आये हैं और अपनी पार्टी की मूवमेन्ट को हर स्तर पर आगे बढ़ाने के लिये अभी तक ये लोग विरोधी पार्टियों व अन्य सभी ताकतों के हर हथकण्डे़ का मुकाबला करके हमेशा एक मजबूत चट््टान की तरह, मेरे साथ खड़े रहे हैं और इसी प्रकार आगे भी खड़े (डटे) रहेंगे। ऐसी मुझे अपनी पार्टी के लोगों के ऊपर पूरी उम्मीद व भरोसा भी है।
इसके साथ-साथ अब मेरा यहाँ, यह भी कहना है कि हम लोग नये-वर्ष सन्् 2013 में तो जरूर प्रवेश कर गये हैं। परन्तु पिछले वर्ष के अन्त में खासतौर से दिल्ली गैंगरेप की हुई जघन्य घटना के कारण इस बार नव-वर्ष में पूरे देश के लोग काफी गहरे सदमें व आक्रोश में रहे हैं और देश भर में सर्वसमाज का व खासकर युवा वर्ग का यह आक्रोश, इस घटना के साथ-साथ, अनेकों और घटनाओं में भी यहाँ सरकार व सरकारी तन्त्र की नाकामी के कारण दोषियों को सजा व पीडि़त परिवार को ’’न्याय’’ नही मिल पाने के विरूद्ध हमें ज्यादा नजर आता है। अर्थात देश में हर स्तर पर ’’कानून के राज’’ की कमी के खिलाफ लोगों में गुस्सा काफी ज्यादा व्याप्त है, जो पूरी तरह से न्यायसंगत भी है। क्योंकि इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर देश का हर नागरिक, कोई कम तो कोई ज्यादा पीडि़त व दुःखी है। इसके साथ-साथ देश में इनके इस जन-आक्रोश की एक और वजह वर्तमान केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार में अभी तक हुये ’’रिकार्डतोड़ भ्रष्टाचार’’ का होना भी है। जो ज्यादातर देश की सम्पत्ति व स्वाभिमान को दांव पर लगाकर किया गया है। जिसने समाज के हर वर्ग व धर्म के लोगों को भीतर से काफी ज्यादा आन्दोलित व आक्रोशित कर दिया है।
इतना ही नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की लगभग हर राष्ट्रीय मामले में अधिकांश गलत नीति होने के साथ-साथ, देशी व विदेशी पूँजीपति-समर्थक तथा गरीब एवं आम जन-विरोधी गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश का सामान्य जन-जीवन काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है। जिससे सर्वसमाज में से खासकर गरीब वर्ग तथा दलित, पिछड़ा, धार्मिक अल्पसंख्यक एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के साथ-साथ सभी समाज के मध्यम वर्गों के लोग भी काफी ज्यादा दुःखी व गुस्से में है और इसके साथ ही यह भी सर्वविदित है कि केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार ने बीते वर्ष सन् 2012 के दौरान ’’गैर-जनहित व गैर-जन उपयोगी’’ मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देकर, यहाँ देश के गरीबों व आम जनता के साथ-साथ ‘किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, व्यापारियों एवं अन्य पेशों‘ में लगे लोगों के हितों की अनदेखी करके, उनके साथ बहुत बड़ा धोखा व विश्वासघात किया है और इन्हीं सभी कारणों की वजह से ही केन्द्र में इस सरकार के दौरान्् देश में एससी/एसटी वर्गों के पदोन्नति में आरक्षण सम्बन्धित संशोधन विधेयक का लोकसभा में पारित नहीं होना तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा गारण्टी विधेयक, भूमि सुधार विधेयक, व लोकपाल विधेयक आदि ऐसे अनेकों और भी देश व जनहित से जुड़े जरूरी विधेयक है। जो पिछले वर्ष ‘‘लम्बित‘‘ पड़े रहे है। जिससे देश की जनता को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इसके अलावा केन्द्र सरकार की ज्यादातर मामलों में ‘‘गलत नीतियांे‘‘ के होने की वजह से ही, पूर्व की भाँति पिछले वर्ष भी, पूरे देश में सर्वसमाज में ‘‘गरीबी, बेरोजगारी एवं महँगाई’’ आदि काफी ज्यादा बढ़ी है और इस वर्ष भी इसके और ज्यादा बढ़ने के पूरे-पूरे आसार हैं। जिससे देश की आमजनता का जीवन- यापन करना काफी ज्यादा मुश्किल हो रहा है। अर्थात वर्तमान केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार देश की जनता के लिये अधिकतर मामलों में अब तक एक प्रकार से काफी ज्यादा ‘‘दुःखदायी’’ सरकार साबित हुई है।
यही कारण है कि केन्द्र की सरकार देश में गरीबी, बेरोजगारी एवं महँगाई आदि को कम करके, जनता को राहत देने के बजाय, ‘‘यहाँ खुदरा बाजार में थ्क्प् को लागू करना व सभी दर्जें का रेल किराया महंगा करना तथा डीजल, पेट्रोल एवं रसोई गैस की कीमतों में बार-बार भारी वृृद्धि करना और अब रसोई गैस की सप्लाई को भी सीमित करने आदि के’’ ऐसे अनेकों और ‘‘गैर-जनहित व आमजन -विरोधी नीतियों’’ एवं कार्यक्रमों को लागू करने के लिये एक प्रकार से ज्यादातर नकारात्मक कार्यों में ही अपनी पार्टी व सरकार की पूरी ‘‘शक्ति व ऊर्जा’’ का इस्तेमाल करती आ रही है। जबकि केन्द्र की सरकार के संसाधन, शक्ति व ऊर्जा का इस्तेमाल वास्तव में देश व जनहित में तथा आम लोगों की दिन-प्रतिदिन की जरूरतों की सरल व सस्ती आपूर्ति में पूरी तरह से लगने चाहिये थे। इस प्रकार के केन्द्र सरकार के आम जनता के प्रति ’’नकारात्मक व गैर-जनहित’’ रवैये से देश की आमजनता में काफी ज्यादा निराशा व बेचैनी व्याप्त है। इसके साथ ही, देश की हर स्तर पर बिगड़ती हुई कानून-व्यवस्था ने व समाज में कुछ मामलों को लेकर आ रही गिरावट ने भी यहाँ विशेषतौर से महिलाओं के सम्मान एवं स्वाभिमान को तथा इनकी सुरक्षा आदि को भी काफी ज्यादा चिन्ताजनक बना दिया है और इस बात के अनेकों उदाहरण आप लोगों के सामने मौजूद हैं, जिन्हें मैं दोहराना नहीं चाहती हूँ।
इसके अलावा अपने देश के पड़ोसी देशों के साथ, सभी स्तर पर कारगर व ठोस ‘‘सम्बन्ध’’ बनाने की रणनीति के मामले में भी केन्द्र सरकार का रवैया ज्यादा ‘‘गम्भीर’’ ना होने के कारण, खासतौर से भारत-पाकिस्तान की सीमा पर अक्सर गोलीबारी होते रहना अब एक आम घटना सी हो गयी है, जिसकी वजह से अभी तक हमारे देश के काफी सैनिक कर्मी मारे गये हैं। इसके साथ ही अपने देश की सीमायें पूरेतौर से सुरक्षित ना होने की वजह से यहाँ आतंकवादियों व अन्य अपराधिक तत्वों के घुसपैठ की काफी तादाद्् हो जाने के कारण भी, समय-समय पर अपने देश को काफी ज्यादा ‘जानी-माली’ नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिससेे अपने देश की जनता बेहद दुःखी व चिन्तित भी है। जो केन्द्र सरकार की नीतियों व व्यवस्था के खिलाफ भी विभिन्न रूपों में उबल कर सामने आता हुआ अब हमें हर तरफ से नजर आता है। लेकिन देश की जनता अब केवल यहां कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार के इस किस्म के देश व ‘‘गरीब एवं जन-विरोधी‘‘ नीतियों एवं कार्यक्रमों से ही परेशान नहीं हैं। बल्किी केन्द्र में ‘‘प्रमुख प्रतिपक्ष बीजेपी‘‘ के एन.डी.ए. के रवैये ने भी इस बार इन्हें बहुत ज्यादा मायूस व निराश करके रखा है।
क्योंकि बीजेपी में अनुशासन व एकजुटता का अभाव एवं दिशाहीन व स्वार्थ भरी राजनीति होने के कारण, केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की यू.पी.ए. सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी ने खुद ही एक प्रकार से इनको पूरा जीवन-दान दिया हुआ है। कहने का तात्पर्य यह है कि अब सही मायने में देश की जनता को कांग्रेस व बी.जे.पी. तथा इनके सभी घटक दलों से काफी ज्यादा घोर निराशा हो गई है और ऐसी स्थिति में, मैं यह समझती हूँ कि देश व जनहित में देश की जनता को अब यहाँ एक साफ-सुथरे, ठोस व कारगर एवं सिद्धान्तवादी विकल्प की सख्त जरूरत है और यदि इस मामले में देश की जनता धर्म व जाति के चक्कर में ना पड़कर अर्थात अपनी जातिवादी मानसिकता को त्यागकर, बिना किसी पक्षपात के सामने आकर, आगे होने वाले लोकसभा के आमचुनाव में अपने वोटों का सही इस्तेमाल करती है। तो फिर बी.एस.पी., इस बार, हर मामले में ‘‘एक बेहतर, कारगर, स्वच्छ व ठोस एवं सिद्धान्तवादी विकल्प’’ बन सकती है, जिसकी अब अपने देश की आमजनता को सख्त जरूरत है और इस सन्दर्भ में अब फैसला, हमने देश की आमजनता के ऊपर ही छोड़ दिया है।
इन्हीं जरूरी बातों के साथ-साथ अब मेरा आप लोगों से फिर यह कहना है कि बी.एस.पी. की हर वर्ष की गतिविधियों, कार्य-कलापों, उपलब्धियों एवं मूवमेन्ट को सुरक्षित रखने व आगे आने वाली नई पीढ़ी को इस पार्टी की मूवमेन्ट की सही जानकारी देने तथा उन्हें हर मामले में प्रेरित कर अपने खुद के पैरों पर खड़ा करने के खास मकसद से हर वर्ष मेरे खुद के द्वारा लिखी गयी ‘‘मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा‘‘ नामक इस पुस्तक का आज के ही दिन मेरे खुद के जन्म-दिन के शुभ अवसर पर मेरे द्वारा विमोचन भी किया जाता है और इसी क्रम में अब मैं इस पुस्तक के भाग-8 के हिन्दी व अंग्रेजी संस्करण का एक साथ ही विमोचन कर रही हूँ। लेकिन इससे पहले मैं आप लोगांे के माध्यम से अपनी पार्टी के उन तमाम् लोगों व शुभचिन्तकों का भी दिल से आभार प्रकट करती हूँ। जो लोग हर वर्ष की भाँति इस बार भी आज मेरे जन्म-दिन को पूरे देशभर में विभिन्न स्तर पर ‘‘जन-कल्याणकारी दिवस‘‘ के रूप में मना रहे हैं और अब अन्त में, मैं आप लोगों के सामने अपनी इस पुस्तक का विमोचन कर रही हूँ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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