राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 70वें दौर के राज्य स्तरीय प्रशिक्षण में भाग लेने के लिये आये मण्डलीय उप निदेशकों एवं जिला अर्थ एवं संख्याधिकारियों को सम्बोधित करते हुये आर्थिक बोध एवं संख्या निदेशक श्री प्रेम नारायण ने कहा कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के अंतर्गत इस आवृत्ति में एकत्रित किये जा रहे ’भू सम्पत्ति एवं पशुधन धारिता’ ऋण एवं निवेश तथा ’कृषक परिवारों की स्थिति का मूल्यांकन’ से संबंधित आॅकड़े अन्य आवृत्तियों में एकत्रित करायें गये आॅकड़ों से और भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कृषक परिवारों की स्थिति का मूल्यांकन, जोत, फसल उत्पादन तथा ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र में परिवारों की परिसम्पत्तियों के भण्डार, ऋण ग्रस्तता के विस्तार, पूॅजी निर्माण तथा अन्य परिमाणात्मक सूचनाएं भी प्राप्त होंगी जो राज्य के ग्रामीण व नगरीय परिवारों की साख संरचना के मूल्यांकन तथा अधिक प्रभावी साख नीति बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
श्री प्रेम नारायण ने आज यहाॅ योजना भवन के सभागार में मण्डलीय उपनिदेशक/जिला संख्याधिकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी व्यक्ति या परिवार से संग्रह की गयी जानकारी गुप्त रखी जाये तथा अन्य सरकारी विभागों के समक्ष ये प्रकट न की जायें। उन्होंने कहा कि इन सर्वेक्षणों की सफलता जनता द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। इसलिये इस सर्वेक्षण को गंभीरता के साथ पूरे मनोयोग, ईमानदारी एवं परिश्रम से पूरा किया जाये। सर्वेक्षण के दौरान यदि किसी भी प्रकार की कठिनाई आती है तो मुख्यालय के अधिकारियों से सम्पर्क करके समस्या का निराकरण करें। इसमें किसी भी प्रकार का संकोच न करें तथा अपने अनुभव का अदान-प्रदान करें। श्री नारायण ने कहा कि जो कार्मिक सूचना एकत्र करने क्षेत्र में जायें वे प्रतिदर्श परिवार/सूचक से उनका सहयोग प्राप्त करने के लिये अनुरोध करें, जिससे सही एवं पूर्ण आंकड़े उपलब्ध हो सकें।
कार्यक्रम से पूर्व निदेशक श्री प्रेम नारायण ने दीप प्रज्जवलित कर प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक श्री बी0राम, भारत सरकार के संयुक्त निदेशक, उप निदेशक के साथ ही सभी जिलों के अर्थ एवं संख्या अधिकारी एवं निदेशालय के सभी अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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