बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश, स्टेट कार्यालय लखनऊ में, पार्टी द्वारा आयोजित प्रेस कान्फ्रेस को बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री उ0प्र0 सुश्री मायावती जी ने सबसे पहले मीडिया बन्धुओं के साथ-साथ उनके माध्यम से उ0प्र0 सहित, पूरे देश की जनता को नव-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनायें देते हुये कहा कि अब हम लोग इस महीने की पहली तारीख से नये वर्ष सन् 2013 में प्रवेश कर गये हैं। लेकिन पिछला वर्ष सन् 2012 का यहाँ उ.प्र. की सपा सरकार व केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की UPA सरकार का कैसा रहा है? उस पर कुछ खास मुद्दों को लेकर अपनी पार्टी की प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिये आज की यह महत्वपूर्ण प्रेस कान्फ्रेंस बुलायी गई है।
और इस सम्बन्ध में, सबसे पहले मैं उ.प्र. के बारे में यह कहना चाहती हूँ कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश, उ.प्र. की सपा सरकार के पिछले वर्ष का लगभग 10 महीनों का शासनकाल हर मामले में व हर स्तर पर बहुत ही ज्यादा ‘‘खराब, दुःखदायक एवं चिन्ताजनक‘‘ रहा है। और खासतौर से प्रदेश में ‘‘अपराध-नियन्त्रण एवं कानून-व्यवस्था‘‘ के मामले में वर्तमान सपा सरकार, अपने पुराने रिकार्ड को तोड़ते हुये, इतनी ज्यादा ‘‘लचर सरकार‘‘ साबित हो रही है कि यहाँ आम लोगों का विश्वास कानून-व्यवस्था एवं सरकार से पूरा उठता जा रहा है। और अब प्रदेश की ऐसी स्थिति को ‘‘अराजक‘‘ स्थिति कहना गलत नहीं होगा, जिसके आगे चलकर काफी ज्यादा गम्भीर परिणाम निकल सकते हैं। क्योंकि यहाँ शासन-प्रशासन व्यवस्था लगभग ध्वस्त हो चुकी है। और प्रदेश में हर तरफ सपा के ‘‘गुण्डों, बदमाशों, माफियाओं एवं असामाजिक व भ्रष्ट तत्वों‘‘ का बोलबाला है। और यह स्वाभाविक भी है कि जिस पार्टी में ‘‘गुण्डें, बदमाश, माफिया व भ्रष्ट लोग‘‘ भरे पड़े हों तो उस पार्टी की सरकार से और क्या उम्मीद की जा सकती है।
इतना ही नहीं बल्कि यहाँ ‘‘कानून- व्यवस्था व अपराध नियन्त्रण‘‘ के मामले में इस पार्टी के सरकार के मुखिया की ‘‘लाचारी‘‘ इस बात से भी साफ झलकती है कि जब प्रदेश का मुख्यमंत्री यह कहे कि ‘‘प्रदेश की कानून-व्यवस्था को ठीक करने के लिये, क्या मैं खुद वर्दी पहन लूँ।‘‘ इस प्रकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के मुँह से दिया गया यह बयान यहाँ प्रदेश की शर्मनाक कानून-व्यवस्था की स्थिति को स्वयं दर्शाता है। इसके साथ ही, यह बयान सरकार की ‘‘लाचारी‘‘ को भी दर्शाता है जो कि अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। और वैसे भी वर्तमान सपा सरकार के 48 में से लगभग 26 मन्त्रियों के आपराधिक रिकार्ड हैं। अर्थात् लगभग 54 प्रतिशत मन्त्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि जिस सपा सरकार के मन्त्रिमण्डल में इतने आपराधिक मामलों वाले ‘‘दागी मंत्री‘‘ हों, तो ऐसी सरकार में जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है? और इतना ही नहीं बल्कि पिछले वर्ष लगभग इसी ही 10 महीनों की अवधि में प्रदेश में ‘‘चोरी, डकैती, हत्या, लूटमार, फिरौती, अपहरण, बलात्कार एवं साम्प्रदायिक दंगे‘‘ आदि की घटनायें भी अब यहाँ चरमसीमा पर पहुँच चुकी हैं। और खासतौर से ‘‘साम्प्रदायिक दंगों‘‘ के बारे में प्रदेश की जनता का यह मानना है कि प्रदेश में इस अवधि के दौरान लगभग 100 से ज्यादा छोटे-बड़े साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं। हालांकि इतनी बड़ी तादाद् में दंगे आजादी के बाद यहाँ अन्य किसी भी पार्टी के शासन में नहीं हुये हैं। इसी प्रकार प्रदेश में पिछले वर्ष इसी ही अवधि के दौरान महिलाओं पर लगभग ‘‘डेढ़ हजार‘‘ से ज्यादा बलात्कार व अन्य जघन्य अति दुःखद व गम्भीर घटनायें घटित हो चुकी हैं।
इसके साथ ही प्रदेश में ऐसा कोई दिन नहीं जाता है जिस दिन प्रदेश के किसी भी जिले में कोई हत्या या अन्य कोई जघन्य वारदात नहीं होती हो। लेकिन इसके साथ-साथ यहाँ दुःख की बात यह भी है कि प्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत पीडि़त लोगों की थानों में FIR तक भी नहीं लिखी जाती है। इसीलिए अब प्रदेश में दुःखी व पीडि़त लोग इस प्रदेश को उ.प्र. नहीं बल्किी ‘‘क्राईम प्रदेश‘‘ कहने लगे हैं। लेकिन अपनी इन सब कमियों व बुराइयों पर से प्रदेश की जनता का ध्यान हटाने के लिये इस सपा सरकार द्वारा आयेदिन पिछली सरकार के कार्यों की ‘‘नई-नई जाँच‘‘ कराने का बड़े पैमाने पर हवआ (भय) खड़ा करना और फिर इसकी आड़ में धन उगाही आदि करने की बात भी काफी ज्यादा चर्चा में है। और इसी क्रम में यहाँ बी.एस.पी. सरकार के जरिये दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों से सम्बन्धित महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूषों के ‘‘आदर-सम्मान‘‘ में बनाये गये ‘‘भव्य एवं ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों व पार्कों‘‘ आदि के बारे में आयेदिन कुछ-न-कुछ ‘टीका-टिप्पणी‘ आदि करके ‘‘दुर्भावनापूर्ण व ओछी‘‘ राजनीति करने का सिलसिला भी लगातार जारी है। जबकि इस मामले में ‘‘माननीय सुप्रीम कोर्ट‘‘ ने इन सभी स्थलों में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ करने पर रोक लगाई हुई है। और अभी भी यह मामला ‘‘माननीय अदालत‘‘ में लम्बित पड़ा हुआ है।
इसके साथ ही SC/ST वर्गों के पदोन्नति में आरक्षण को लेकर यहाँ प्रदेश के ‘‘अपरकास्ट समाज‘‘ के लोगों को जबरन गुमराह करना आदि प्रमुख है। इसके अलावा प्रदेश में सर्वसमाज के हितों व उनके उत्थान एवं विकास के मामलों में तो यह सरकार बहुत बुरी तरह से विफल रही है। और अब इस मामले में अधिकांश सभी धर्मों व वर्गों के लोग इस सरकार को अपने ‘चुनावी वायदों‘‘ की याद दिलाने लगे हैं। और अच्छी बात यह है कि इनमें से कुछ बातें अब इनकी पार्टी के लोग ही इन्हें याद दिला रहे हैं। जैसे उदाहरण के तौर पर सपा ने इस बार अपने ‘‘चुनावी घोषणा-पत्र‘‘ में प्रदेश के सभी मुसलमानों को दलितों की आबादी की तरह इन्हें भी ‘‘18 प्रतिशत‘‘ शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों आदि में यहाँ प्रदेश में सपा सरकार बनने पर आरक्षण देने की बात कही है। लेकिन अब इस वायदे से बचने के लिये इसकी पूरी जिम्मेवारी केन्द्र सरकार के ऊपर डालने की तैयारी की जा रही है। जिस पर इनकी पार्टी के ही शुभ-चिन्तक जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने यह कहा है कि इस मामले में सपा सरकार प्रदेश के मुसलमानों को धोखा दे रही है। नहीं तो दिल्ली में केन्द्र की सरकार से मुसलमानों के लिये आरक्षण मांगने वाली समाजवादी पार्टी यू.पी. में बहुमत में होने के बावजूद भी यहाँ इनको आरक्षण क्यों नहीं दे रही है? जो इन्होंने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में वायदा किया है। और इनका यह बयान पिछले महीने ‘‘28 दिसम्बर सन् 2012‘‘ को दिल्ली व यू.पी. के ज्यादातर अखबारों में छपा है। इसलिए अब यह बात काफी हद तक स्पष्ट हो जाती है कि इस पार्टी ने यहाँ मुस्लिम समाज को यह लालच देकर व गुमराह करके उनका वोट तो जरूर हासिल कर लिया गया, परन्तु अब उन चुनावी वायदों को पूरा करने में अनेकों प्रकार की आनाकानी करके अब यह सपा सरकार अपने वायदों से मुकर रही है, अर्थात् प्रदेश में अन्य समाज की तरह मुस्लिम समाज के साथ भी ‘‘दगा व धोखा‘‘ कर रही है।
इसी प्रकार ‘‘कन्या विद्याधन‘‘ के मामले में ना केवल पक्षपात बल्कि भ्रष्टाचार भी काफी किया जा रहा है, जिसमें उच्च स्तर पर लोग मिले हुये बताये जाते हैं। क्योंकि इनका जो भी सीमित व पक्षपातपूर्ण वितरण है, वह वितरण अधिकारी स्तर पर नहीं करके बल्कि मंत्री स्तर पर किया जा रहा है। यही कारण है कि आम लड़के व लड़कियों में इसको लेकर भारी नाराजगी व असंतोष पैदा हैं जो इन कार्यक्रमों के दौरान ‘‘हंगामा, मारपीट, अव्यवस्था व पुलिस लाठीचार्ज‘ के रूप में अधिकतर जगहों पर देखने को मिल रहा है। यही हाल प्रदेश में छात्र-छात्राओं से किये गये ‘‘लैपटाप, टैबलेट पी.सी, व बेरोजगारी भत्ता‘‘ आदि दिये जाने के चुनावी वायदों का भी हमें नजर आ रहा है। इसके साथ-साथ प्रदेश में ‘‘किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, वकीलों, व्यापारी व अन्य पेशों से जुड़े वर्गों के लोगों‘‘ से भी किये गये तमाम चुनावी वायदों को भी ताक पर रखकर भुला दिया गया है। यहाँ तक कि सपा सरकार के मुख्यमंत्री की तमाम् प्रकार की घोषणायें भी ‘‘कोरी-हवाई‘‘ साबित होकर अपना मखौल खुद उड़ा रही है। लेकिन इन सबके बावजूद भी सपा व इनकी सरकार आयेदिन ‘‘हवाई-भरी‘‘ बड़ी-बड़ी बयानबाजी करने से बाज नहीं आ रही है।
इसी प्रकार प्रदेश में ‘‘OBC वर्गों‘‘ का ज्यादातर फायदा भी इस सपा सरकार में अकेले ‘‘यादव‘‘ समाज के लोगांे को ही दिया जा रहा है। इसको लेकर भी अन्य सभी OBC वर्गोें के लोग काफी ज्यादा दुःखी व चिन्तित हैं। हालांकि हमारी पार्टी कोई ‘‘यादव समाज‘‘ के विकास व उत्थान के खिलाफ नहीं है। लेकिन यादव समाज के साथ-साथ बाकी OBC वर्गों के लोगों को भी उनका हक इस सरकार को जरूर देना चाहिये। जो इस सरकार में बराबर नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ-साथ इस सरकार में ‘‘अपरकास्ट समाज‘‘ की भी हर स्तर पर काफी ज्यादा उपेक्षा की जा रही है और इसी ही मानसिकता के तहत चलकर अपनी पिछली सरकार में तो इस पार्टी ने इनकी ‘‘सरकारी भर्ती‘‘ पर भी पूरेतौर से रोक लगा दी थी। जिसे फिर मेरी सरकार ने हटाकर इनको अर्थात् अपरकास्ट समाज के लोगों को कई लाख सरकारी नौकरियां दी है। इस प्रकार इन सब बातों को मद्देनजर रखते हुये, अब यहाँ यह बात काफी हद तक स्पष्ट हो जाती है कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के गत वर्ष में लगभग पिछले 10 माह का कार्यकाल यहाँ प्रदेश की जनता के लिये ‘‘अत्यन्त खराब, दुखदायी व कष्टदायक‘‘ रहा है, जिसके बारे में जितना भी कहा जाये, वह कम होगा।
इसके अलावा जहाँ तक केन्द्र में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में चल रही UPA सरकार की, पिछले वर्ष की रही गतिविधियों एवं कार्यशैली का सवाल है, तो इस सन्दर्भ में भी हमारी पार्टी का यह मानना है कि पिछले वर्ष देश व जनता के हिसाब से केन्द्र सरकार की ज्यादातर मामलों में नीतियां अधिकांश ‘‘प्रभावहीन एवं निराशाजनक‘‘ ही रही हैं। अर्थात् पूर्ण रूप से लाभदायक सिद्ध नहीं हुई हैं। और इस क्रम में UPA सरकार ने जनहित व आमजनता के पीडि़त करने वाले मुद्दों को सुलझाने की बजाय ‘‘गैर-जनहित व गैर-जनोपयोगी‘‘ मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देकर देश के गरीबों व आमजनता के साथ ‘‘न्याय‘‘ नहीं करके, उनके साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। और इन्हीं सभी कारणों की वजह से इस दौरान देश में SC/ST वर्गों के पदोन्नति में आरक्षण सम्बन्धित संशोधन विधेयक का लोकसभा में पास ना होना, तथा राष्ट्रीय FOOD सुरक्षा गारन्टी विधेयक, भूमि सुधार विधेयक, लोकपाल विधेयक आदि ऐसे अनेकों और देश व जनहित से जुड़े विधेयक है जो पिछले वर्ष पास नहीं हो सके हैं जिससे देश की जनता को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार का पिछला वर्ष कई मामलों को लेकर ‘‘भ्रष्टाचार‘‘ से भी भरा हुआ रहा है।
इतना ही नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की अधिकांश ‘‘गलत आर्थिक नीतियों‘‘ की वजह से पूर्व की भाँति पिछले वर्ष भी पूरे देश में सर्वसमाज में ‘‘गरीबी, बेरोजगारी एवं महँगाई‘‘ आदि काफी ज्यादा बढ़ी है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा देश में ‘‘गरीबी, बेरोजगारी एवं महँगाई‘‘ आदि को कम करने की बजाय खुदरा बाजार में एफ.डी.आई (FDI) को लागू करना व ‘‘रसोई गैस‘‘ की कीमत में भारी इजाफा तथा इसकी सप्लाई सीमित करने आदि की ’’गैर-जनहित व आमजन विरोधी’’ नीतियों व कार्यक्रमों को अमल करने के, एक प्रकार से नकारात्मक कार्यों में, अपनी पार्टी व सरकार की पूरी शक्ति व ऊर्जा का इस्तेमाल करती रही है। जिससे देश की आमजनता में काफी ज्यादा निराशा व बेचैनी व्याप्त है। और अब जबकि देश में लोकसभा आमचुनाव होने का समय करीब है तो केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार एक बार फिर ’’चुनावी प्रलोभन’’ वाले हथकण्डें इस्तेमाल करने पर अमादा लगती है।
और इस मामले में, केन्द्र सरकार खासकर ऐसी योजनाओं का सहारा लेने का प्रयास कर रही है, जिसका तुरन्त चुनावी लाभ तो मिल जाये। परन्तु उनको देश भर में लागू करने में काफी वर्ष लग जायेंगे। और इस सम्बन्ध में ’’Direct Cash सब्सिडी Transfer योजना‘‘ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जिसे स्वयं केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री व नीति निर्धारक इसे कांग्र्रेस पार्टी के हक में चुनाव जिताने वाली योजना बता रहे है। जबकि इस नयी व्यवस्था को भी लाने में केन्द्र सरकार की नीयत हमें साफ नजर नहीं आती है। क्योंकि केन्द्र सरकार की यदि नीयत साफ होती तो इनको इस योजना को शुरू करने के लिये पहले राज्य सरकारों को ‘’प्रोत्साहित’‘ करना चाहिये था। ताकि ऐसी योजनाओं की सफलता ज्यादा ठीक ढंग से सुनिश्चित हो सके। इसके साथ-साथ इस योजना को सबसे पहले देश में B.P.L परिवारों को मिलना सुनिश्चित करना चाहिये था। हालांकि इस नई योजना के जरिये ‘‘यह लाभ‘‘ देश के गरीब लाभार्थियों को कोई पहली बार ‘‘नया अलग‘‘ से नहीं दिया जा रहा है। बल्किी ‘‘केन्द्रीय योजनाओं‘‘ के तहत् देश के गरीब लोगों को जो लाभ पहले से ही यहाँ सीधा राज्यों के माध्यम से दिया जाता था। उनमें से कुछ योजनाओं को अब केन्द्र की सरकार ने देश में लो.सभा के आमचुनाव नजदीक आते हुये देखकर अपने राजनैतिक स्वार्थ में, इसे अब खुद सीधा cash के रूप में देने के लिये यह ‘‘डायरेक्ट cash सब्सिडी transfer (वितरण) योजना‘‘ बनाई है। और कल बहुत जल्दबाजी में पहली जनवरी (सन् 2013) से देश के मात्र 20 जिलों में ‘‘केवल 7 मामलों‘‘ के अन्दर ही इस नई योजना की अधकच्ची शुरूवात भी कर दी गई है। जिसमें से 3 मामले देश में sc/st व obc वर्गों के छात्रों को, यहाँ पहले से ही वर्षों से दी जा रही छात्रवृत्ति का भी जबरन शामिल कर लिया गया है। जो मेरी सरकार में, उ.प्र. की तरह यहाँ देश के ज्यादातर राज्यों में भी अब सीधा बैंक के जरिये ही नकद धनराशि के रूप में दिया जा रहा है। और इसे अब इस नई योजना के जरिये अर्थात् ‘‘डायरेक्ट Cash सब्सिडी Transfer योजना‘‘ के जरिये देकर कांग्रेस पार्टी के लोग ‘‘आपका पैसा, आपके हाथ‘‘ की बात कहकर, इस बार इसे लोकसभा के आमचुनाव में भुनाना चाहते हैं। जबकि केन्द्र सरकार की यह नई योजना सही मायने में ‘‘पुरानी किताब पर नया कवर चढ़ाके‘‘ देने की तरह ही है। इसलिए इन सब बातों को ध्यान में रखकर देश के गरीब लोगों को कांग्रेस पार्टी के इस नये राजनैतिक स्वार्थ भरे नाटक के बहकावे में कतई भी नहीं आना है। अर्थात् अब देश के गरीब लोगों को अपने हित में ऐसी धोखेबाज कांग्रेस पार्टी को, आगे केन्द्र की सत्ता से दूर रखना बहुत जरूरी है।
इसके अलावा जहाँ तक गत वर्ष अभी हाल ही में ‘‘दिल्ली गैंगरेप‘‘ का अत्यन्त दुःखद व निन्दनीय मामला सामने आया है तो मुझे ऐसा लगता है कि इस घटना से देश जागा है और देश के लोगों की ‘‘जमीर‘‘ भी कुछ हद तक जरूर जागी है। परन्तु इस मामले में केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों का भी अभी तक रवैया ज्यादा नहीं बदला है। और वे अधिकांश हमें अभी तक भी सोये हुये नजर आ रहे हैं। वरना इस घटना के बाद देश में इस किस्म की अन्य और घिनौनी घटनायें नहीं घटती। जबकि इस मामले में, मैं यह समझती हूँ कि केन्द्र की सरकार को तुरन्त ही पहल करके भारत के माननीय प्रधान (चीफ) न्यायाधीश से तथा राज्यों की सरकारों को भी माननीय मुख्य न्यायाधीशांे से तत्काल सलाह-मश्विरा (परामर्श) करके बलात्कार व महिला उत्पीड़न के अन्य और गम्भीर मामलों की सुनवाई अविलम्ब सुनिश्चित कर पीडि़त महिला व उसके परिवार को न्याय व दोषियों को कड़ी सजा दिलाना सुनिश्चित करना चाहिये। जबकि यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोग इस किस्म के मामलों में केवल घटना की निन्दा व उस पर शोक व्यक्त करने से आगे इस किस्म के कुछ भी ठोस कदम नही उठा रहे हैं। जबकि वक्त की मांग ऐसे मामलों में कुछ ठोस उपाय करने की है। अर्थात् इन मामलों में ठोस कदम उठाने की पहल नहीं करना भी एक आपराधिक कृत्य होगा, जिसकी तरफ केन्द्र व राज्यों की सरकारों को समय से ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसके साथ-साथ देश में महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने के लिये सभी धर्मों व जाति के लोगों को भी अपने परिवार एवं समाज में ‘‘अच्छे संस्कारों‘‘ के लिये भी जरूर पहल करनी होगी। इसके अलावा इस मामले में अन्य और क्षेत्रों में भी खासतौर से ‘‘फिल्म-जगत व विज्ञापन‘‘ दर्शाने वाले लोगों को भी जरूर कुछ मंथन करना होगा। और अब अन्त में इन्हीं जरूरी बातों के साथ मैं आप सभी लोगों को पुनः नये-वर्ष की शुभ-कामनायें देते हुये, आपको लन्च के लिये आग्रह करती हूँ।
प्रेसवार्ता में अपनी बात रखने के बाद सुश्री मायावती जी ने पत्रकारों के अनेक सवालों के जवाब भी दिये। एक प्रश्न के उत्तर में सुश्री मायावती जी ने कहा कि दिल्ली दुष्कर्म के मामले की पीडि़त लड़की के नाम पर केन्द्र की योजना का नाम रखे जाने का मामला एक मंत्री का सुझाव है और इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में आमराय बनाने के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिये।
इसी प्रकार गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी किस व्यक्ति को क्या जिम्मेदारी देने का दायित्व देती है ये बीजेपी का अन्दरूनी मामला है, परन्तु जहाँ तक बीएसपी का सवाल है तो हमारी पार्टी गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी भूमिका को मद्देनजर रखते हुये श्री नरेन्द्र मोदी को कभी भी देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना पसन्द नहीं करेगी।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी ने कहा कि वो इस सुझाव से एक सौ एक प्रतिशत सहमत है कि राजनैतिक दल बलात्कार के आरोपी लोगांे को चुनाव मैदान में नहीं उतारे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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