प्रशमन शुल्क वसूले जाने के बाद भी परिचालकों पर विभागीय कार्यवाही जारी रहेगी
परिवहन निगम की बसों में बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्रियों से किराये का 10 गुना अथवा 500 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा। इसी तरह जानबूझकर अथवा असावधानी से किराया लेकर यात्री को टिकट न देने अथवा कम मूल्य का टिकट देने पर बस परिचालकों से भी 500 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री आलोक कुमार ने सभी क्षेत्रीय एवं सहायक क्षेत्रीय प्रबन्धकों को निर्देश दिए हैं कि मार्ग निरीक्षण एवं प्रवर्तन कार्य में चेकिंग दल पारदर्शी कार्यवाही सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा है कि यह बात प्रकाश में आयी है कि बसों की चेकिंग के दौरान चेकिंग दलों द्वारा यात्रियों पर जुर्माना न कर प्रायः परिचालकों के विरूद्ध जुर्माना लगा दिया जाता है, जो उचित नहीं है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि वैध टिकट या पास न पाये जाने पर यात्रियों पर जुर्माना किया जाए।
प्रबन्ध निदेशक ने अपने निर्देश में कहा है कि निगम के कतिपय अधिकारियों में यह धारणा व्याप्त है कि परिचालक अथवा यात्री से निरीक्षण स्थल पर जुर्माना लेकर अपराध का प्रशमन कर दिये जाने के बाद पुनः उसी अपराध के लिए परिचालक के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही विधि विरूद्ध है जबकि यह धारणा उचित नहीं है। इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा भी मत धारित किया गया है कि प्रशमन शुल्क के उपरान्त भी विभागीय कार्यवाही वैध है। उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय में यहां तक कहा गया है कि बिना टिकट के प्रकरणों में परिचालकों के विरूद्ध सेवा से बर्खास्त किए जाने के अलावा कोई अन्य दण्ड न दिया जाए।
प्रबन्ध निदेशक ने क्षेत्रीय प्रबन्धकों को पुनः निर्देश दिए हैं कि 15 या इससे अधिक बिना टिकट यात्री को प्रकरण में दोषी परिचालकों के विरूद्ध संबंधित थानों में एफ0आई0आर0 निश्चित रूप से दर्ज करायी जाए। प्रायः यह देखा जा रहा है कि इस कार्य में तत्परता नहीं बरती जा रही है जो कदापि उचित नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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