Archive | October, 2012

श्रमिकों की पुत्र-पुत्रियों की शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता

Posted on 26 October 2012 by admin

उत्तर प्रदेश औद्योगिक अधिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों के पुत्र/पुत्रियों को प्राविधिक शिक्षा में प्रवेश पाने पर आर्थिक सहायता वितरण संबंधी योजना के अन्तर्गत चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए प्रार्थना पत्र श्रम कल्याण आयुक्त/श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश जी0टी0 रोड कानपुर के कार्यालय में जमा करने की अंतिम तिथि 30-11-2012 निश्चित है। योजनान्तर्गत डिग्री पाठयक्रम हेतु रू0 8000 डिप्लोमा पाठयक्रम हेतु 6000 सर्टीफिकेट पाठयक्रम हेतु रू0 4000 प्रति अभ्यर्थी एकमुश्त प्रति वर्ष दिये जाने का प्राविधान है।
उक्त योजना का लाभ केवल ऐसे छात्र एवं छात्राओं को दिया जाना है कि जिनके माता/पिता औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के अन्तर्गत श्रमिक की परिभाषा से आवर्त होते हो तथा उसकी मासिक वेतन (मूल वेतन तथा महंगाई भत्ता) रू0 10,000 से अधिक न हो एवं उनके व्दारा कारखाने में छः माह तक लगातार सेवा की हो और प्रार्थना पत्र देते समय भी सेवारत हो। यदि अभ्यर्थी के माता/पिता देानों ही उत्तर प्रदेश में स्थित कारखानों के श्रमिक है तो माता एवं पिता की कुल मासिक वेतन (मूल वेतन तथा महंगाई भत्ता) रू0 10,000/- से अधिक नही होना चाहिए।
आवेदन पत्र का प्रारूप श्रम आयुक्त संगठन उत्तर प्रदेश की वेबसाइट  http://labour.up.nic.in पर भी डाउनलोड किया जा सकता है। विस्तृत जानकारी उप श्रम आयुक्त आगरा के कार्यालय से भी प्राप्त कर सकते है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक प.पू. सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का उद्बोधन

Posted on 24 October 2012 by admin

(बुधवार दिनांक 24 अक्तुबर 2012) के अवसर पर दिये गये उद्बोधन -
आज के दिन हमें स्व. सुदर्शन जी जैसे मार्गदर्शकों का बहुत स्मरण हो रहा है। विजययात्रा में बिछुड़े हुये वीरों की स्मृतियॉं आगे बढ़ने की
प्रेरणा देती है। विजयादशमी विजय का पर्व है। संपूर्ण देश में इस पर्व को दानवता पर मानवता की, दुष्टता पर सज्जनता की विजय के रूप में मनाया जाता
है। विजय का संकल्प लेकर, स्वयं के ही मन से निर्मित दुर्बल कल्पनाओं ने खींची हुई अपनी क्षमता व पुरुषार्थ की सीमाओं को लांघ कर पराक्रम का
प्रारंभ करने के लिये यह दिन उपयुक्त माना जाता है। अपने देश के जनमानस को इस सीमोल्लंघन की आवश्यकता है, क्योंकि आज की दुविधा व जटिलतायुक्त
परिस्थिति में से देश का उबरना देश की लोकशक्ति के बहुमुखी सामूहिक उद्यम से ही अवश्य संभव है। यह करने की हमारी क्षमता है इस बात को हम सबने
स्वतंत्रता के बाद के 65 वर्षों में भी कई बार सिद्ध कर दिखाया है। विज्ञान, व्यापार, कला, क्रीड़ा आदि मनुष्य जीवन के सभी पहलुओं में,
देश-विदेशों की स्पर्धा के वातावरण में, भारत की गुणवत्ता को सिद्ध करनेवाले वर्तमान कालीन उदाहरणों का होना अब एक सहज बात है। ऐसा होने पर
भी सद्य परिस्थिति के कारण संपूर्ण देश में जनमानस भविष्य को लेकर आशंकित, चिन्तित व कहीं-कहीं निराश भी है। पिछले वर्षभर की घटनाओं ने तो
उन चिन्ताओं को और गहरा कर दिया है। देश की अंतर्गत व सीमान्त सुरक्षा का परिदृश्य पूर्णत: आश्व स्त करनेवाला नहीं है। हमारे सैन्य-बलों को अपनी
भूमि की सुरक्षा के लिये आवश्यक अद्ययावत शस्त्र, अस्त्र, तंत्र व साधनों की आपूर्ति, उनके सीमास्थित मोर्चों तक साधन व अन्य रसद पहुँचाने के लिये
उचित रास्ते, वाहन, संदेश वाहन आदि का जाल आदि सभी बातों की कमियों को शीघ्रातिशीघ्र दूर करने की तत्परता उन प्रयासों में दिखनी चाहिए। इसके
विपरीत, सैन्यबलों के मनोबल पर आघात हो इस प्रकार, सेना अधिकारियों का कार्यकाल आदि छोटी तांत्रिक बातों को बिनाकारण तूल देकर नीतियों व
माध्यमोें द्वारा अनिष्ट चर्चा का विषय बनाया गया हुआ हमने देखा है।  सुरक्षा से संबंधित सभी वस्तुओं के उत्पादन में स्वावलंबी बनने की दिशा
अपनी नीति में होनी चाहिए। सुरक्षा सूचना तंत्र में अभी भी तत्परता, क्षमता व समन्वय के अभाव को दूर कर उसको मजबूत करने की आवश्यकता
ध्यान में आती है। हमारी भूमिसीमा एवं सीमा अर्न्तगत द्वीपों सहित सीमा क्षेत्र का प्रबन्धन पक्का करने व रखने की पहली आवश्यकता है। देश की
सीमाओं की सुरक्षा, उनके सामरिक प्रबंध व रक्षण व्यवस्था के साथ-साथ, सुरक्षा की दृष्टि से अपने अंतरराष्ट्रीय राजनय के प्रयोग-विनियोग पर भी
आजकल निर्भर होती है। उस दृष्टि से कुछ वर्ष पूर्व से एक बहुप्रतीक्षित नयी व सही दिशा की घोषणा “Look East Policy” नामक वाक्यप्रयोग से शासन के
उच्चाधिकारियों से हुयी थी। दक्षिण पूर्व एशिया के सभी देशों में इस सत्य की जानकारी व मान्यता है कि भारत तथा उनके राष्ट्रजीवन के बुनियादी मूल्य
समान है, निकट इतिहास के काल तक व कुछ अभी भी सांस्द्भतिक तथा व्यापारिक दृष्टि से उनसे हमारा आदान-प्रदान का घनिष्ट संबंध रहा है। इस दृष्टि से
यह ठीक ही हुआ कि हमने इन सभी देशों से अपने सहयोगी व मित्रतापूर्ण संबंधों को फिर से दृढ़ बनाने का सुनिश्च य किया। वहां के लोग भी यह
चाहते हैं। परन्तु घोषणा कितनी व किस गति से द्भति में आ रही है इसका हिसाब वहां और यहां भी आशादायक चित्र नहीं पैदा करता। इस क्षेत्र में
हमसे पहले हमारा स्पर्धक बनकर चीन दल-बल सहित उतरा है यह बात ध्यान में लेते है तो यह गतिहीनता चिन्ता को और गंभीर बनाती है। अपनी आण्विक तकनीकी
पाकिस्तान को देने तक उसने पाकिस्तान से दोस्ती बना ली है यह हम अब जानते हैं ही। नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका ऐसे निकटवर्ती देशों में भी चीन का इस
दृष्टि से हमारे आगे जाना सुरक्षा की दृष्टि से हमारे लिये क्या अर्थ रखता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। इन सभी क्षेत्रों में भारतीय मूल
के लोग भी बड़ी मात्रा में बसते हैं, उन के हितों की रक्षा करते हुये इन हमारे परम्परागत स्वाभाविक मित्र देशों को साथ में रखने की व उन के साथ
रहने की दृष्टि हमारे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी होनी चाहिये। परन्तु राष्ट्र का हित हमारी नीति का लक्ष्य है कि नहीं यह प्रश्न  मन
में उत्पन्न हो ऐसी घटनाएँ पिछले कुछ वर्षों में हमारे अपने शासन-प्रशासन के समर्थन से घटती हुई सम्पूर्ण जनमानस के घोर चिन्ता का कारण बनी है।

जम्मू-कश्मीर की समस्या के बारे में पिछले दस वर्षों से चली नीति के कारण हां उग्रवादी गतिविधियों के पुनरोदय के चिन्ह दिखायी दे रहे हैं।
पाकिस्तान के अवैध कैंजे से कश्मीर घाटी के भूभाग को मुक्त करना; जम्मू, लेह-लद्दाख व घाटी के प्रशासन व विकास के भेदभाव को समाप्त करते हुये शेष भारत के साथ उस राज्य के सात्मीकरण की प्रक्रिया को गति से पूर्ण करना; घाटी से विस्थापित हिंदू पुनश्चक ससम्मान सुरक्षित अपनी भूमि पर बसने की स्थिति उत्पन्न करना; विभाजन के समय भारत में आये विस्थापितों को राज्य में नागरिक अधिकार प्राप्त होना आदि न्याय्य जनाकांक्षा के विपरित वहां की स्थिति को अधिक जटिल बनाने का ही कार्य चल रहा है। राज्य व केन्द्र के
शासनारूढ़ दलों के सत्ता स्वार्थ के कारण राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करना व विदेशी दबावों में झुकने का क्रम पूर्ववत चल रहा है। इतिहास के क्रम में राष्ट्रीय वृत्ति की हिन्दू जनसंख्या क्रमश: घटने के कारण देश के उत्तर भूभाग में उत्पन्न हुयी व बढ़ती गयी इस समस्यापूर्ण स्थिति से हमने कोई पाठ नहीं पढ़ा है ऐसा देश के पूर्व दिशा के भूभाग की स्थिति देखकर लगता है। असम व बंगाल की सच्छिद्र सीमा से होनेवाली घुसपैठ व शस्त्रास्त्र, नशीले पदार्थ, बनावटी पैसा आदि की तस्करी के बारे में हम
बहुत वर्षों से चेतावनियॉं दे रहे थे। देश की गुप्तचर संस्थाएँ, उच्च व सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों के राज्यपालों तक ने समय-समय पर खतरे की घंटियॉं बजायी थीं। न्यायालयों से शासन के लिये आदेश भी दिये गये थे। परंतु उन सबकी अनदेखी करते हुये सत्ता के लिये लांगूलचालन की नीति चली, स्पष्ट राष्ट्रीय दृष्टि के अभाव में गलत निर्णय हुये व ईशान्य भारत में संकट का विकराल रूप खड़ा हुआ सबके सामने है। घुसपैठ के कारण वहॉं पैदा हुआ जनसंख्या असंतुलन वहॉं के राष्ट्रीय जनसंख्या को अल्पमत में लाकर संपूर्ण देश में अपने हाथ पैर फैला रहा है। व्यापक मतांतरण के साये में वहां पर फैले अलगाववादी उग्रवाद की विषवेल को दब्बू नीतियॉं बार-बार संजीवनी प्रदान करती है। उत्तर सीमापर आ धड़की चीन की विस्तारवादी नीति का हस्तक्षेप भी होने की भनक वहॉं पर लगी है। विश्वी की “अल कायदा” जैसी कट्टरपंथी ताकतें भी उस परिस्थिति का लाभ लेकर वहॉं चंचुप्रवेश करना चाह रही है। ऐसी स्थिति में अपने सशस्त्र बलों की समर्थ उपस्थिति व परिस्थिति की प्रतिकार में उभरा जनता का दृढ़ मनोबल ही राष्ट्र की भूमि व जन की सुरक्षा के आधार के रूप में बचे हैं। समय रहते हम नीतियों में अविलम्ब सुधार करें। ईशान्य भारत में तथा भारत के अन्य राज्यों में भी घुसपैठियों की पहचान त्वरित करते हुये तथा मतदाता सुची सहित (राशन पत्र, पहचान पत्र आदि) अन्य प्रपत्रों से इन अवैध नागरिकों के नाम बाहर कर देने चाहिये व विदेशी घुसपैठियों को भारत के बाहर भेजने के प्रबंध करने चाहिये। विदेशी
घुसपैठियों के पहचान के काम में किसी प्रकार का गड़बड़झाला न हो यह दक्षता बरती जानी चाहिये। सीमाओं की सुरक्षा के तारबंदी आदि के दृढ़ प्रबंध व रक्षण व्यवस्था में अधिक सजगता से चौकसी बरतने के उपाय अविलम्ब किये जाने चाहिये। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (National Register of Citizens) को न्यायालयों द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देशित, जन्मस्थल, माता-पिता के स्थान अथवा मातामहों-पितामहों के स्थानों के पुख्ता प्रमाणों के आधार पर तैयार करना चाहिए। ईशान्य भारत के क्षेत्र में व अन्यत्र भी यह पूर्व का अनुभव है कि जनमत के व न्यायालय के आदेशों के दबाव में विदेशी नागरिकों अथवा संशयास्पद मतदाताओं ( D voters) की  पहचान करने का दिखावा जब-जब प्रशासन या शासन करने गया तब-तब बंगलादेशी घुसपैठियों को तो उसने छोड़ दिया व वहॉं से पीड़ित कर निकाले गये व अब भारत में अनेक वर्षों से बसाये गये निरुपद्रवी व निरीह हिन्दुओं पर ही उनकी गाज गिरी।

हम सभी को यह स्पष्ट रूप से समझना व स्वीकार करना चाहिए कि विश्वओभर के हिन्दू समाज के लिये पितृ-भू व पुण्य-भू के रूप में केवल भारत-जो परम्परा से हिन्दुस्थान होने से ही भारत कहलाता है, हिन्दू अल्पसंख्यक अथवा निष्प्रभावी होने से जिसके भू-भागों का नाम तक बदल जाता है- ही है। पीड़ित होकर गृहभूमि से निकाले जाने पर आश्रय के रूप में उसको दूसरा देश नहीं है। अतएव कहीं से भी आश्रयार्थी होकर आनेवाले हिन्दू को विदेशी नहीं मानना चाहिये। सिंध से भारत में हाल में ही आये आश्रयार्थी हो अथवा बंगलादेश से आकर बसे हों, अत्याचारों के कारण भारत में अनिच्छापूर्वक धकेले गये विस्थापित हिन्दुओं को हिन्दुस्थान भारत में सस्नेह व ससम्मान आश्रय मिलना ही चाहिये। भारतीय शासन का यह कर्तव्य बनता है वह विश्व्भर के हिन्दुओं के हितों का रक्षण करने में अपनी अपेक्षित भूमिका का तत्परता व दृढ़ता से निर्वाह करें। इस सारे घटनाक्रम का एक और गंभीर पहलू है कि विदेशी घुसपैठियों की इस अवैध कारवाई को केवल वे अपने संप्रदाय के है इसलिये कहीं पर कुछ तत्त्वों ने उनके समर्थन का वातावरण बनाने का प्रयास किया। शिक्षा अथवा कमाई के लिये भारत में अन्यत्र बसे ईशान्य भारत के लोगों को धमकाया गया। मुंबई के आजाद मैदान की घटना प्रसिद्ध है। म्यांमार के शासन द्वारा वहां के रोहिंगियाओं पर हुयी कार्यवाही का निषेध भारत में जवान ज्योति का अपमान करने में गर्व महसूस करनेवाली भारत विरोधी ताकतों को अंदर से समर्थन देनेवाले तत्त्व अभी भी देश में विद्यमान है यह संदेश साफ है।

“ यह चिन्ता, क्षोभ व ग्लानी का विषय है कि देश हित के विपरित नीति का प्रशासन द्वारा प्रदर्शन हुआ व राष्ट्र विरोधी पंचमस्तम्भियों के बढ़े हुये साहस के परिणाम स्वरूप उन तत्त्वों द्वारा कानून व शासन का उद्दंड अपमान हुआ। सब सामर्थ्य होने के बाद भी तंत्र को पंगु बनाकर देश विरोधी तत्त्वों को खुला खेल खेलने देने की नीति चलाने वाले लोग दुर्भाग्य से स्वतंत्र देश के अपने ही लोग हैं। समाज में राष्ट्रीय मनोवृति को बढ़ावा देना तो दूर हमारे अपने हिन्दुस्थान में ही मतों के स्वार्थ से, कट्टरता व अलगाव से अथवा विद्वेषी मनोवृत्ति के कारण पिछले दस वर्षों में हिन्दू समाज का तेजोभंग व बल हानि करने के नीतिगत कुप्रयास व छल-कपट बढ़ते हुये दिखाई दे रहे हैं। हमारे परमश्रद्धेय आचार्यों पर मनगढंत आरोप लगाकर उनकी अप्रतिष्ठा के ओछे प्रयास हुये। वनवासियों की सेवा करने वाले स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती की षडयन्त्रपूर्वक हत्या की गयी, वास्तविक अपराधी
अभी तक पकड़े नहीं गये। हिन्दू मन्दिरों की अधिग्रहीत संपत्ति का अपहार व अप-प्रयोग धड़ल्ले से चल रहा है, संशय व आरोपों का वातावरण, निर्माण किया गया, हिंदू संतों द्वारा निर्मित न्यासों व तिरुअनन्तपुरम् के पद्मनाभ स्वामी मंदिर जैसे मंदिरों की संपत्ति के बारे में हिन्दू समाज की मान्यताओं, श्रेष्ठ परंपरा व संस्कारों को कलुषित अथवा नष्ट करनेवाला वातावरण निर्माण करनेवाले विषय जानबूझकर समाज में उछाले गये। बहुसंख्य व उदारमनस्क होते हुये भी हिन्दुसमाज की अकारण बदनामी कर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले कानून लाने का प्रयास तो अभी भी चल रहा है। प्रजातंत्र, पंथनिरपेक्षता व संविधान के प्रति प्रतिबद्धता का दावा करने वाले ही मतों के लालच में तथाकथित अल्पसंख्यकों का राष्ट्र की संपत्ति पर पहला हक बताकर साम्प्रदायिक आधार पर आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं। लव जिहाद व मतांतरण जैसी गतिविधियों द्वारा हिन्दू समाज पर प्रच्छन्न आक्रमण करनेवाली प्रवृत्तियों से ही राजनीतिक साठगांठ की जाती है। फलस्वरूप इस देश के परम्परागत रहिवासी बहुसंख्यक राष्ट्रीयमूल्यक स्वभाव व आचरण का निधान बनकर रहने वाले हिन्दू समाज के मन में यह प्रश्नक उठ रहा है कि हमारे लिए बोलनेवाला व हमारा प्रतिनिधित्व करनेवाला नेतृत्व इस देश में अस्तित्व में है कि नहीं?”

हिन्दुत्व व हिन्दुस्थान को मिटाना चाहनेवाली दुनिया की एकाधिकारवादी, जड़वादी व कट्टरपंथी ताकतों तथा हमारे राज्यों के व केन्द्र के शासन में घुसी मतलोलुप अवसरवादी प्रवृत्तियों के गठबंधन के षडयंत्र के द्वारा और एक सौहार्दविरोधी कार्य करने का प्रयास हो रहा है। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर परिसर के निकट विस्तृत जमीन अधिग्रहीत कर वहां पर मुसलमानों के लिये कोई बड़ा निर्माण करने के प्रयास चल रहे हैं ऐसे समाचार प्राप्त हो रहे हैं। जब अयोध्या में राममंदिर निर्माण का प्रकरण न्यायालय में है तब ऐसी हरकतों के द्वारा समाज की भावनाओं से खिलवाड़ सांप्रदायिक सौहार्द का नुकसान ही करेगी। 30 सितंबर 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में लेते हुए वास्तव में हमारी संसद के द्वारा शीघ्रातिशीघ्र भव्य मंदिर के निर्माण की अनुमति रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास को देनेवाला कानून बने व अयोध्या की सांस्द्भतिक सीमा के बाहर ही मुसलमानों के लिये किसी स्थान के निर्माण की अनुमति हो यही इस विवाद में घुसी राजनीति को बाहर कर विवाद को सदा के लिये संतोष व सौहार्दजनक ढंग से सुलझाने का एकमात्र उपाय है। परंतु देश की राजनीति में आज जो वातावरण है वह उसके देशहितपरक, समाजसौहार्दपरक होने की छवि उत्पन्न नहीं करता। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से बड़ी विदेशी कंपनियों का खुदरा व्यापार में आना विश्वर में कहीं पर भी अच्छे अनुभव नहीं दे रहा है। ऐसे में खुदरा व्यापार तथा बीमा व पेंशन के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाना हमें लाभ पहुँचाने के बजाय अंततोगत्वा छोटे व्यापारियों के लिये बेरोजगारी, किसानों के लिये अपने उत्पादों का कम मूल्य मिलने की मजबूरी तथा ग्राहकों के लिये अधिक मंहगाई ही पैदा करेगा। साथ ही अपनी खाद्यान्न सुरक्षा के लिये भी खतरा बढ़ेगा। देश की प्राद्भतिक संपदा की अवैध लूट तथा विकास के नामपर जैव विविधता व पर्यावरण के साथ ही उनपर निर्भर लोगों को बेरोजगारी से लेकर तो विस्थापन तक समस्याओं के भेट चढ़ाना अनिर्बाध रूप से चल ही रहा है। देश के एक छोटे वर्गमात्र की उन्नति को जनता की आर्थिक प्रगति का नाम देकर हम जिस तेज विकास दर की डींग हांकते थे वह भी आज 9 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक नीचे आ गया है। संपूर्ण देश नित्य बढ़ती महंगाई से त्रस्त है। अमीर और गरीब के बीच
लगातार बढ़ते जा रहे अन्तर में विषमता की समस्या को और अधिक भयावह बना दिया है। न जाने किस भय से हड़बड़ी में इतने सारे अधपके कानून बिना
सोच-विचार-चर्चा के लाये जा रहे हैं। इन तथाकथित “सुधारों” के बजाय में जहॉं वास्तविक सुधारों की आवश्यकता है उन क्षेत्रों में-चुनाव प्रणाली, करप्रणाली, आर्थिक निगरानी की व्यवस्था, शिक्षा नीति, सूचना अधिकार कानून के नियम- सुधार की मॉंगों की अनदेखी व दमन भी हो रहा है। अधूरे चिन्तन के आधार पर विश्व  में आज प्रचलित विकास की पद्धति व दिशा ही ऐसी है कि उससे यही परिणाम सर्वत्र मिलते हैं। ऊपर से अब यह पद्धति धनपति बहुराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों के खेलों से उन्हीं के लिये अनुकूल बनाकर चलायी जाती है। हम
जब तक अपनी समग्र व एकात्म दृष्टि के दृढ़ आधार पर जीवन के सब आयामों के लिये, अपनी क्षमता, आवश्यकता व संसाधनों के अनुरूप व्यवस्थाओं के नये
कालसुसंगत प्रतिमान विकसित नहीं करेंगे तबतक न भारत को सभी को फलदायी होनेवाला संतुलित विकास व प्रगति उपलब्ध होगी न अधूरे विसंवादी जीवन से दुनिया को मुक्ति मिलेगी। चिन्तन के अधूरेपन के परिणामों को अपने देश में राष्ट्रीय व व्यक्तिगत शील के अभाव ने बहुत पीड़ादायक व गहरा बना दिया है। मन को सुन्न करनेवाले भ्रष्टाचार-प्रकरणों के उद्‌घाटनों का तांता अभी भी थम नहीं रहा है। भ्रष्टाचारियों को सजा दिलवाने के, कालाधन वापस देश में लाने के, भ्रष्टाचार को रोकनेवाली नयी कड़ी व्यवस्था बनाने के
लिये छोटे-बड़े आंदोलनों का प्रादुर्भाव भी हुआ है। संघ के अनेक स्वयंसेवक भी इन आंदोलनों में सहभागी हैं। परन्तु भ्रष्टाचार का उद्गम शील के अभाव में है यह समझकर संघ अपने चरित्रनिर्माण के कार्य पर ही केन्द्रित रहेगा। लोगों में निराशा व व्यवस्था के प्रति अश्रद्धा न आने देते हुये व्यवस्था परिवर्तन की बात कहनी पड़ेगी अन्यथा मध्यपूर्व के
देशों में अराजकता सदृश स्थिति उत्पन्न कर जैसे कट्टरपंथी व विदेशी ताकतों ने अपना उल्लू सीधा कर लिया वैसे होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती। अराजनैतिक सामाजिक दबाव का व्यापक व दृढ़ परन्तु व्यवस्थित स्वरूप ही भ्रष्टाचार उन्मूलन का उपाय बनेगा। उसके फलीभूत होने के लिये हमें व्यापक तौर पर शिक्षाप्रणाली, प्रशासनपद्धति तथा चुनावतंत्र के सुधार की बात आगे बढ़ानी होगी। तथा व्यापक सामाजिक चिन्तन-मंथन के द्वारा हमारी व्यवस्थाओं के मूलगामी व दूरगामी परिवर्तन की बात सोचनी पड़ेगी। अधूरी क्षतिकारक व्यवस्था के पीछे केवल वह प्रचलित है इसलिये आँख मूंद कर जाने के परिणाम समाज जीवन में ध्यान में आ रहे है। बढ़ता हुआ जातिगत अभिनिवेश व विद्वेष, पिछड़े एवं वंचित वर्ग के शोषण व उत्पीड़न की समस्या, नैतिक मूल्यों के ह्‌रास के कारण शिक्षित वर्ग सहित सामान्य समाज में बढती हुई महिला उत्पीडन, बलात्कार, कन्या भू्रणहत्या, स्वच्छन्द यौनाचार ,हत्याएँ व आत्महत्याएँ , परिवारों का विघटन, व्यसनाधीनता की बढती प्रवृत्ति, अकेलापन के परिणाम स्वरूप तनावग्रस्त जीवन आदि हमारे देश में न दिखी अथवा
अत्यल्प प्रमाण वाली घटनाएँ अब बढ़ते प्रमाण में दृग्गोचर हो रही है। हमें अपने शाश्वलत मूल्यों के आधार पर समाज के नवरचना की काल सुसंगत व्यवस्था भी सोचनी पड़ेगी।

अतएव सारा उत्तरदायित्व राजनीति, शासन, प्रशासन पर डालकर हम सब दोषमुक्त भी नहीं हो सकते। अपने घरों से लेकर सामाजिक वातावरण तक क्या हम स्वच्छता, व्यवस्थितता, अनुशासन, व्यवहार की भद्रता व शुचिता, संवेदनशीलता आदि सुदृढ़ राष्ट्रजीवन की अनिवार्य व्यवहारिक बातों का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं? सब परिवर्तनों का प्रारम्भ हमारे अपने जीवन के दृष्टिकोण व आचरण के प्रारंभ से होता है यह भूल जाने से, मात्र आंदोलनों से काम बननेवाला नहीं है। स्व. महात्मा गांधी जी ने 1922 के Young India के एक अंक में सात सामाजिक पापों का उल्लेख किया था। वे थे। Politics without Principles Wealth without Work pleasure without
Conscience तत्त्वहीन राजनीतिश्रमविना संपत्तिविवेकहीन उपभोग शील Knowledge without Character Commerce without Morality Science Without Humanity Worship without Sacrifice विना ज्ञाननीतिहीन व्यापारमानवता विना विज्ञानसमर्पणरहित पूजा आज के अपने देश के सामाजिक राजनीतिक परिदृश्य का ही यह वर्णन लगता है। ऐसी परिस्थिति में समाज की सज्जनशक्ति को ही समाज में तथा समाज को साथ लेकर उद्यम करना पड़ता है। इस चुनौति को हमें स्वीकार कर आगे बढ़ना ही पड़ेगा। भारतीय नवोत्थान के जिन उद्गाताओं से प्रेरणा लेकर स्व. महात्मा जी जैसे गरिमावान लोग काम कर रहे थे उनमें एक स्वामी विवेकानन्द थे। उनके सार्ध जन्मशती के कार्यक्रम आनेवाले दिनों में प्रारंभ होने जा रहे हैं। उनके संदेश को हमें चरितार्थ करना होगा।
निर्भय होकर, स्वगौरव व आत्मविश्वाउस के साथ, विशुद्ध शील की साधना करनी होगी। कठोर निष्काम परिश्रम से जनों में जनार्दन का दर्शन करते हुए नि:स्वार्थ सेवा का कठोर परिश्रम करना पड़ेगा धर्मप्राण भारत को जगाना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य इन सब गुणों से युक्त व्यक्तियों के निर्माण का कार्य है। यह कार्य समय की अनिवार्य आवश्यकता है। आप सभी का प्रत्यक्ष सहभाग इसमें होना ही पड़ेगा। निरंतर साधना व कठोर परिश्रम से समाज अभिमंत्रित होकर संगठित उद्यम के लिये खड़ा होगा तब सब बाधाओं को चीरकर सागर की ओर बढ़नेवाली गंगा के समान राष्ट्र का भाग्यसूर्य भी उदयाचल से शिखर की ओर कूच करना प्रारम्भ करेगा। अतएव स्वामीजी के शब्दों में “उठो जागो व तबतक बिना रूके परिश्रम करते रहो जबतक तुम अपने लक्ष्य को नहीं पा लोगे।” उत्तिष्ठत! जाग्रत!! प्राप्यवरान्निबोधत!!! - भारत माता की जय -

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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त्यौहार के दिन भी किसी न किसी बेहद मजबूरी में यह लोग आए होगें

Posted on 24 October 2012 by admin

आज एक बार फिर मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की संवेदनशीलता देखने में तब आई जब वह अपने सरकारी आवास 5-कालिदास मार्ग लखनऊ पूर्वान्ह 10 बजे पहुॅचे तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि आज विजयादशमी के दिन भी उनसे मिलने के इंतजार में पहले से वहां सैकड़ो की संख्या में लोग खड़े थे। मुख्यमंत्री जी के साथ पहुॅचे प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी से उन्होने कहा कि आज त्यौहार के दिन भी किसी न किसी बेहद मजबूरी में यह लोग आए होगें।
मुख्यमंत्री जी ने तमाम लोगो से भेंट करने के लिए तत्काल उनके बीच पहुॅचते ही  सभी को विजयादशमी की बधाई दी। उन्होने यह सभी से जानने और समझने की कोशिश की कि उनकी ऐसी का परेशानी है कि वह आज भी लखनऊ आने के लिये मजबूर हुये हैं। उनमे से कुछ लोगों ने बसपा सरकार के उत्पीड़न और फर्जी मुकदमो से अवगत कराया तो कुछ ने बीमारी के चलते आर्थिक सहायता की मांग की। कुछ नौजवान भी थे जो नौकरी दिलाने के लिये आवेदन पत्र लेकर आए थे।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को जरदोज एक्शन कमेटी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष श्री गुलाम अब्बास ने अवगत कराया कि जरदोजी के काम में लगे लगभग 20 लाख अल्पसंख्यक समुदाय के कारीगरों को  अपना काम धंधा सुचारू रूप से चालू रखने में राजकीय मदद की आवश्यकता है। अकेले लखनऊ में ही जरदोजी कारीगरों की संख्या 5 लाख तक है जो बेहद आर्थिक संकट झेल रहे हैं।  अल मिल्लत फाउन्डेशन ट्रस्ट लखनऊ के श्री दबीर अहमद ने शिक्षण संस्थान को सहायता देने के बारे में बात की।
मुख्यमंत्री जी से फैजाबाद के श्री हरिशंकर उपाध्याय ने मृतक आश्रित नौकरी दिलाने का निवेदन किया। औरैया जनपद दिबियापुर के श्री अनिल प्रताप दोहरे ने सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना के सम्बन्ध में मांग पत्र दिया। हरदोई थमखा माधोगंज के भगवानदीन ने उत्पीड़न से अवगत कराया, तो वही गोरखपुर के श्री रामनयन अकेला ने गौ सेवकों के बारे में बात की। इटावा से आए संत माधोदास ने भी समस्या से मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया।
इलाहाबाद की श्रीमती महबात बानो ने अपनी बीमारी के इलाज में मुख्यमंत्री जी से मदद की मांग की। कन्नौज से आए श्री विनोद कुमार ने  अपनी आर्थिक बदहाली से मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया और सहायता की मांग की। कैन्ट लखनऊ के मो0 नसीम ने नौकरी दिलाने की मांग की। नोएडा के महामाया प्राविधिक विश्वविद्यालय के छात्रो ने द्वितीय वर्ष की परीक्षा देने के लिए अनुमति की मांग की तो वही आलमबाग लखनऊ श्री अखिलेश सक्सेना ने सड़क नाली, स्ट्रीट लाइट आदि लगवाने एवं वजीरगंज लखनऊ के श्री सैयद असकरी मेंहदी ने अतिक्रमण हटाने की मांग की।  मुख्यमंत्री जी ने वहां उपस्थित अधिकारियों को परेशान हाल लोगों की समस्याओ के तत्काल समाधान करने का निर्देश दिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई दी

Posted on 23 October 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विजयादशमी (दशहरा) के पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई दी है। श्री यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में धार्मिक पर्वों का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। हमारा समाज मूलतः उत्सवधर्मी समाज है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दशहरे का त्योहार मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम द्वारा लोक जीवन में स्थापित नैतिक मूल्यों से प्रेरणा लेने की सीख देता है। बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयादशमी पर्व सद्मार्ग पर चलने के साथ ही आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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आपसी भाईचारे के साथ मनाने की अपील की

Posted on 23 October 2012 by admin

राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता अनिल दुबे ने प्रदेशवासियों को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुये कहा है कि असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक यह पर्व लोगों के जीवन में सुख समृद्धि लेकर आये। उन्होंने प्रदेशवासियों से यह पर्व शान्ति सद्भावना और आपसी भाईचारे के साथ मनाने की अपील की है ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व दशहरा पर भाजपा अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेई ने प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई दी।

Posted on 23 October 2012 by admin


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बस दुघर्टना पर गहरा दुख व्यक्त किया

Posted on 23 October 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेई ने जनपद फतेहपुर के जहानाबाद में हुई बस दुघर्टना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। डा0 बाजपेई ने प्रदेश सरकार से मृतक आश्रितों को 5-5 लाख रूपये मुआवजा तथा घायलों को उचित चिकित्सा मुहैय्या कराने की मांग की। उन्होंने घटना की जाॅच की मांग करते हुए कहा कि सरकार को हर यात्री की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए की हर यात्री सकुशल अपने गंतव्य पर पहुॅचे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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अधिग्रहण को वैधानिक मंजूरी प्राप्त होने के बाद ऐक्सिस बैंक ने पूर्ण स्वामित्व वाली आनुषंगिक कंपनी की घोषणा की

Posted on 23 October 2012 by admin

ऐक्सिस बैंक ने आज ऐक्सिस कैपिटल लाॅन्च करने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि एनाम सिक्युरीटीज प्राइवेट लिमिटेड (एनाम) के वित्तीय सेवा व्यवसाय के अधिग्रहण को वैधानिक मंजूरी प्राप्त होने के बाद ऐक्सिस बैंक ने पूर्ण स्वामित्व वाली आनुषंगिक कंपनी की घोषणा की है।

ऐक्सिस कैपिटल, में ऐक्सिस बैंक की वित्तीय सुदृढ़ता, तथा एनाम की विशेषज्ञता सन्निहित है, जिससे यह वित्तीय सेवा क्षेत्र की एक सशक्त कंपनी बनकर उभरेगी। इसे ऐक्सिस बैंक के व्यावसायिक बैंकिंग के अनुभव तथा डेट कैपिटल मार्केट फ्रेंचाइज एवं एनाम इन्वेस्टमेंट बैंकिंग एण्ड इक्विटीज फ्रेंचाइज का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा।

एनाम का निवेश एवं वित्तीय परामर्श व्यवसाय, जो कि संस्थागत एवं काॅरपोरेट ग्राहकों को समाधान उपलब्ध कराता था, अब ऐक्सिस कैपिटल का अंग होगा और ऐक्सिस बैंक के प्राइवेट बैंकिंग इकाई के साथ मिलकर कार्य करेगा।

ऐक्सिस कैपिटल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री मनीष चोखानी हैं।

इस अवसर पर चर्चा करते हुए श्री मनीष चोखानी ने कहा, ‘‘अब हम अपने काॅरपोरेट ग्राहकों को क्रेडिट, इक्विटी तथा परामर्शदात्री सेवायं उपलब्ध कराकर उन्हें मूल्यवर्द्धित सेवायें उपलब्ध कराने में पूर्णतया सक्षम हैं। अब हम निवेशकों के लिए काॅरपोरेट (बड़े, मध्यम एवं छोटे) से संबंधित अतुलनीय एवं तथ्यपरक जानकारियां उपलब्ध करा पाने में सक्षम होंगे और संस्थागत और खुदरा निवेशक फ्रेंचाइजी की स्थापना के कार्य को आगे बढ़ायेंगे। अब हमारे ग्राहक सर्वश्रेष्ठ सेवाओं एवं उत्पादों का लाभ उठाने में सक्षम होंगे। हम अपनी क्षमता का भरपूर लाभ उठाने के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध हैं।‘‘

ऐक्सिस कैपिटल कार्यबल के विकास पर भी अपना ध्यान केन्द्रित करेगा और इसका लक्ष्य वित्तीय क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित संगठन बनना है, जिसके साथ जुड़कर गर्व की अनुभूति हो।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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sa@upnewslive.com

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485 करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित करने के प्रस्ताव का उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी ने स्वागत किया

Posted on 23 October 2012 by admin

भारत सरकार द्वारा छोटे एवं मझोले उद्योगों केा बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से इस्टेन्ट टू स्टेट्स फार डेवलपमंेट आफ एक्सपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर योजना के तहत उ0प्र0 केा 485 करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित करने के प्रस्ताव का उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी ने स्वागत किया है तथा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी, प्रधानमंत्री डाॅ0 मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस महासचिव श्री राहुल गांधी जी का आभार व्यक्त किया है।

उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मारूफ खान ने बताया कि उत्तर प्रदेश के छोटे एवं मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने एवं उनके द्वारा तैयार माल की अच्छी पैकेजिंग एवं उनको विदेशों में निर्यात करने के लिए भारत सरकार की इस्टेन्ट टू स्टेट्स फार डेवलपमंेट आफ एक्सपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर योजना के तहत उ0प्र0 केा 485 करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित करने का प्रस्ताव है, जिसमें विशेष रूप से उ0प्र0 की राजधानी लखनऊ के जरदोजी व चिकन कारीगरों को ट्रेण्ड व फैशन के अनुसार डिजाइन तैयार करने एवं उक्त माल की फिनिशिंग, पैकेजिंग आदि को सिखाने के लिए 10 करोड़ 25लाख की लागत से एक डिजाइन डेवलपमेंट एण्ड टेªनिंग सेन्टर खोलने एवं फल, फूल और सब्जी को वैज्ञानिक तरीके से पकाने, इनके रखरखाव, पैकिंग व ढुलाई के लिए 15.50 करोड़ रूपये की लागत से कामन फैसिलिटी सेंटर(सी.एफ.सी.) स्थापित करने की योजना तैयार की गयी है।

प्रवक्ता ने कहा कि इसी प्रकार पूरे उ0प्र0 के अन्य जिलों जैसे मुरादाबाद, फिरोजाबाद, अलीगढ़, खुर्जा, कानपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही में भी सी.एफ.सी. स्थापित करने की योजना है।

प्रवक्ता ने कहा कि उ0प्र0 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान जहां एक ओर अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान एवं विकास के लिए इस वर्ग के व्यापारियों, बेरोजगारों एवं कामगारों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने हेतु उक्त उद्योगों को बढ़ावा दिया गया था और यह उद्योग न सिर्फ सम्पूर्ण भारत बल्कि विदेशों में अपनी साख जमाये थे वहीं पिछले 23 वर्षों की गैर कांग्रेसी सरकारों के शासनकाल में इन उद्योगों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते लगातार बंद होते जा रहे हैं जिससे इन उद्योगों से जुड़े अल्पसंख्यक वर्ग के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होने कहा कि यदि अल्पसंख्यकों के कल्याण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के अनुरूप इस सराहनीय कदम में प्रदेश सरकार भी अपना सहयोग देगी तो कंाग्रेस पार्टी द्वारा उनके  आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक स्तर को उठाने के लिए किये जा रहे कार्यों की कड़ी में भारत सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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मुकदमें के तहत गिरफ्तारी कराकर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाय

Posted on 23 October 2012 by admin

आज प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थानीय समाचारपत्र के छायाकार का कैमरा छीनने, मारे-पीटे जाने की घटना की तीव्र निन्दा करते हुए उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त श्री नटवर गेायल को अविलम्ब बर्खास्त कर उनके विरूद्ध दर्ज कराये गये मुकदमें के तहत गिरफ्तारी कराकर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाय।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने बताया कि इस बावत प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि प्रदेश में राज्य सरकार के मंत्रियों द्वारा लगातार किये जा रहे गुण्डई और दबंगई थमने का नाम नहीं ले रही है, जिससे प्रदेश में अराजकता और भय की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। अभी कुछ दिन पूर्व जनपद बाराबंकी के दरियाबाद विधानसभा के अन्तर्गत ग्रामसभा पूरे डलई में प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री श्री राजीव कुमार सिंह के संरक्षण में कुछ लोगों द्वारा मौजूदा ग्राम प्रधान श्री शिवशंकर गोस्वामी को मारा-पीटा गया एवं उनके घर को जलाये जाने के बाद उल्टे प्रधान के ही विरूद्ध ही मंत्री के दबाव में स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसके विरोध में कल सायं कंाग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री श्री राकेश वर्मा के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन व मार्ग अवरूद्ध कर विपक्षीगणों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने की मांग की गयी किन्तु राज्यमंत्री के दबाव में पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज करना तो दूर रहा, प्रधान श्री गोस्वामी को ही रात्रि में 11बजे धरना-स्थल से उठाकर जेल भेज दिया गया।
डाॅ0 खत्री ने कहा कि इतना ही नहीं, अभी ज्यादा दिन नहीं बीते, कि जनपद गोण्डा में राज्य सरकार के पूर्व मंत्री श्री विनोद सिंह द्वारा जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी का अपहरण कर उत्पीड़न किये जाने का मामला थमा भी नहीं था कि आज राज्य सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री नटवर गोयल द्वारा जबरिया जमीन कब्जे केा लेकर स्थानीय समाचारपत्र के छायाकार का कैमरा छीनकर मारा-पीटा गया।
डाॅ0 खत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से राज्य सरकार के मंत्रियों द्वारा जिलों-जिलों में कानून व्यवस्था की उड़ाई जा रही धज्जियों एवं अपने प्रभाव का दुरूपयोग करने तथा संरक्षित माफियाओं, अपराधियों एवं पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही दबंगई तथा लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ पर किये जा रहे हमले पर अविलम्ब रोक लगाने की मांग की है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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