Archive | October, 2012

गांधी जी ने रामराज का सपना देखा था

Posted on 03 October 2012 by admin

2-10-cसमाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने आज यहां कहा कि गांधी जी ने रामराज का सपना देखा था जिसमें कोई दीन दुःखी न हो, गरीबी-अमीरी की खाई न हो और किसी के प्रति अन्याय न हो। समाजवादियों ने गांधीजी के रास्ते को अपनाया। इस रास्ते पर चलकर ही खुशहाली आएगी। अन्याय, शोषण और विषमता से मुक्ति मिल सकेगी।
श्री यादव आज पार्टी मुख्यालय, 19-विक्रमादित्य मार्ग, लखनऊ में गांधी-शास्त्री जयंती एवं समाजवादी पार्टी के संस्थापक महासचिव कपिलदेव सिंह की पुण्यतिथि पर एकत्र कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर वरिष्ठ मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव, स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन अब्बास अली, पूर्व साॅसद श्री रामनरेष कुशवाहा, प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी, राज्यमंत्री श्री मानपाल सिंह,     श्री राममर्ति वर्मा, शारदा प्रताप शुक्ला, रविदास मेहरोत्रा तथा राजेश दीक्षित भी उपस्थित थे।
श्री मुलायम सिंह यादव ने गांधी जी एवं शास्त्री जी के चित्रों पर माल्यार्पण के पश्चात कहा कि गांधी जी के रास्ते पर समाजवादियों ने ही चलने का संकल्प लिया था। डा0 लोहिया और जेपी ने गांधी जी के रास्ते पर चलते हुए सादगी और फिजूलखर्ची का विरोध किया। उन्होने कहा समाजवादी पार्टी की प्रदेश में बहुमत की सरकार बनी है। इच्छा है कि यह देश में एक आदर्श सरकार बने।
2-10-g श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कन्या विद्याधन, बेकारी भत्ता देने की पहल की जिसका अनुसरण बिहार और मध्य प्रदेश में किया गया है। किसानों के लिए टयूबवेल और नहर का पानी मुफ्त दिया जाएगा। समाजवादी पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में जो वायदे किए गए उन्हें पांच साल के बजाए दो साल में पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होने कहा मुस्लिमो की दशा दलितों से भी ज्यादा बदतर है। सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्टे लागू नहीं की जा रही है जबकि उनका गठन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने ही किया था। उन्होने कहा कि 6दिसम्बर,1992 को बाबरी मस्जिद गिरा देने की आशंका से हमने तब दो दिन पूर्व राष्ट्रपति जी को भी अवगत करा दिया था। इस काण्ड से देश में एकता को धक्का लगा। इस लड़ाई को भी समाजवादियों ने ही लड़ा है।
श्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि शास्त्री जी गरीबी से निकलकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुॅचे। उन्होने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। स्व0 कपिलदेव सिंह की समाजवादी पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे इसके पहले प्रमुख महासचिव भी थे। इस मौके पर सर्वश्री कबीर आलम, पारसनाथ यादव एवं सियाराम यादव ने गीत प्रस्तुत किए।
आज के कार्यक्रम में सर्वश्री राज किशोर मिश्र, जयप्रकाश अंचल, फिदा हुसैन अंसारी, गोपीनाथ वर्मा, मुजीबुर्रहमान बबलू, विजय सिंह यादव, धर्मानन्द तिवारी, इंदिरा जायसवाल, श्रीमती माला द्विवेदी, मो0 एबाद, डा0 आशालता सिंह, डा0 सुरभि शुक्ला, मो0 उस्मान, शाहिन फातिमा, जरीना उस्मानी, प्रदीप शर्मा, चंद्रिका पाल, गजेन्द्र मलिक,जवाहरलाल साहू, मुदस्सिर हसन, श्रीमती कुसुम शर्मा, राम सागर, जलाल अकबर, अखिलेश पटेल, ताराचन्द्र, श्रीमती अर्चना राठौर, डा0 अल्पना बाजपेयी, नरेन्द्रमणि त्रिपाठी, वीर सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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झांसी रेलवे स्टेशन पर रेलवे चि•ित्सा•र्मियों •ी अवैध वसूली

Posted on 03 October 2012 by admin

1gc1-ट्रेन में चोटिल हुई गंगापुर •ी महिला यात्री से मरहम पटटी •रने •े एवज में वसूले ५00 रुपए
-यात्रियों •े लूटने में लगे चि•ित्सा•र्मियों •ी रेलमंत्री एवं रेलवे अधि•ारियों से •ी शि•ायत
गंगापुर सिटी, 1 अक्टूबर।
यात्रियों •ी सुरक्षा एवं संरक्षा •े लिए •टिबद्ध रेलवे प्रशासन •े •र्मचारियों •ी मनमानी से यात्रियों •ो परेशानी उठानी पड़ रही है। यही नहीं रेलवे •े चि•ित्सा•र्मियों द्वारा झांसी रेलवे स्टेशन पर राजस्थान •े गंगापुर सिटी •ी महिला यात्री से ट्रेन में चोटिल होने पर मरहम पटटी •े नाम पर ५00 रुपए वसूलने •े मामले •ा खुलासा हुआ है। ऐसे में चि•ित्सा•र्मियों •ी चौथवसूली पर रो• लगाने में रेलवे प्रशासन ना•ामयाब साबित हो रहा है। खास बात यह है •ि ट्रेन में महिला •े चोटिल होने पर ट्रेन में सवार टीटी, आरपीएफ पुलिस वालों ने •ोई खैर-खबर नहीं ली। महिला द्वारा गंगापुर सिटी मेें उस•े परिजनों •ो अवगत •राने पर उन•े परिजनों द्वारा झांसी में उन•े परिचित मीडिया से जुड़े ए• व्यक्ति •ो सूचना दी गई। इस पर उस व्यक्ति द्वारा झांसी •े रेलवे चि•ित्सा•र्मियों •ो सूचना दे•र ट्रेन पर महिला •ी मरहम पटटी •रने •े लिए भेजा गया।
जान•ारी •े अनुसार गंगापुर सिटी निवासी महिला यात्री सारि•ा अपनी बहन एवं बहन •े पुत्र •े साथ गया नगर दुर्ग निवासी उन•े रिश्तेदार •े यहां से ए• धार्मि• •ार्य•्रम में भाग ले•र 29 सितम्बर •ो रात •रीब 7 बजे दुर्ग •े डोंगरगढ़ •े •िशनगा रेलवे स्टेशन से गंगापुर सिटी आने •े लिए समता एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुए थे। उन•े पास डोंगरगढ •े •िशनगा से उत्तरप्रदेश •े मथुरा रेलवे स्टेशन त• •ा रिजर्वेशन टि•ट था। ट्रेन में सवार होने •े आधा घंटे बाद ही महिला यात्री •ा हाथ ट्रेन •ी खिडक़ी गिर जाने से उसमें आ गया और चार अंगुलियों में गंभीर चोट लग गई। इस•ी जान•ारी देने •े लिए ट्रेन में जब टीटी एवं आरपीएफ जवानों •ी तलाश •ी गई तो •ोई नजर नहीं आया और बाद में भी •िसी •र्मचारी ने •ोई खैर-खबर नहीं ली। उस दौरान रात में ही ए• अन्य यात्री ने पटटी तो बांध दी, ले•िन खून नि•लना बंद नहीं हुआ। 30 सितम्बर •ी सुबह •रीब 8 बजे झांसी रेलवे स्टेशन आने से दो घंटे पूर्व महिला यात्री ने उस•े चोटिल होने •ी जान•ारी गंगापुर सिटी में उस•े परिजनों •ो दी। इस पर महिला •े पति ने झांसी में परिचित मीडिया से जुड़े ए• व्यक्ति •ो इस घटना •ी जान•ारी दी और उपचार •रवाने •ी बात •ही। इस पर उस व्यक्ति ने ट्रेन •े झांसी आने पर रेलवे चि•ित्सा•र्मियों •ो समता एक्सप्रेस ट्रेन(ट्रेन नंबर-12807)•े •ोच एस-3 •ी सीट नंबर 47(टि•ट पीएनआर नंबर-660-6980171) पर चोटिल हुई महिला यात्री •े पास भेजने •ी बात •ही।  30 सितम्बर •ो सुबह •रीब 10 ट्रेन झांसी रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई तो रेलवे •ा ए• डॉक्टर, ए• •म्पाउंडर पहुंच गए। इस दौरान वहां दो टीटी भी मौजूद थे। चि•ित्सा•र्मियों ने घायल महिला यात्री •ी मरहम पटटी •र दी। बाद में उपचार •े बाद चि•ित्सा•र्मियों ने महिला यात्री से उपचार •रने •ी एवज में 200 रुपए मांगे। सर•ारी चि•ित्स•ों द्वारा अवैध रूप् से पैसे मांगने •ा महिला सहित ट्रेन में सवार अन्य यात्रियों ने भी विरोध •िया। ले•िन चि•ित्सा•र्मी नहीं माने और जबरन महिला से 200 रुपए ले लिए। जब•ि ट्रेन में सवार होने •े बाद चि•ित्सा आदि •ी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन •ी होती है। ए• और तो महिला यात्री •ो 12 घंटे बाद उपचार मिला, वहीं चि•ित्सा•र्मियों ने अवैध वसूली •ी। इस संबंध में रेल मंत्री, रेलवे बोर्ड अध्यक्ष एवं झांसी •े रेलवे अधि•ारियों से दोषी चि•ित्सा•र्मियों •ो सस्पेंड •रने •ी मांग •ी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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फुटकर व्यापार में सीधे विदेषी निवेष -एक आकलन

Posted on 03 October 2012 by admin

इन दिनों जैसी मारा मारी एफ.डी.आई. पर मीडिया में-विपक्षी राजनीतिज्ञों में, मची हुई है उससे लग रहा है कि आजादी दिलाने वाली काॅंग्रेस कोई कथित इस्ट इण्डिया कम्पनी बुलाकर तुरन्त देष को गुलाम बनाने पर ही उतारु है और कतिपय विपक्षी दल ही केवल जनता के हिमायती बचे हैं ? कोई यह सोचने- समझने तक को तैयार नहीं है कि आखिर यह है क्या? दरअसल इसे देखने के दो पहलू हैं एक आर्थिक और दूसरा राजनैतिक। हमारे अर्थषास्त्री प्रधानमंत्री ने पहले भी भारत को आर्थिकरुप से सुद्रढ किया है जिसका जवर्दस्त असर भारतीय समाज के रहन सहन और हमारे आर्थिक विकास पर स्पष्ट दिख रहा है।हाथ कंगन केा आरसी क्या?…और अब फिर एक नई दिषा देकर उन्होंने देष की दषा बदलने का साहस किया है।साहस इसलिये कि एक तो केवल एक दल की सत्ता नहीं है,दूसरे विपक्ष को कुछ करना नहीं केवल ऋणात्मक हल्ला बोलना है जो बहुत आसान होता है। वस्तुतः बिना पूॅजी के देष में विकास कार्य आगे बढ़ नहीं सकते। देषी पूॅजी तो सीमित है अतःविदेषी पूॅजी आने से निष्चितरुप से ‘ग्रोथ’ बढ़ेगी और रुपया मजबूत होगा तो मॅंहगाई कम होगी जिसका लाभ आम आदमी को ही पहुॅंचेगा। इसलिये सरकार ने देष में आर्थिक सुधारों के तहत विदेषी निवेष बढ़ाने के लिये अन्य देषों की तरह , 51प्रतिषत मल्टीब्राण्ड रिटेल में,49प्रति.एयरलाइन्स में,74प्रति.सूचना प्रसारण में और 49प्रतिषत पाॅवर एकसचेंज में विदेषी कम्पनियों को भारत में कार्य करने की, कुछ षर्तों पर अनुमति दी है। क्योकि हमारे पास तो अपनी बुनियादी आवष्यकताओं की पूर्ति के लिये ही पर्याप्त धन नहीं है यथा सड़क, पानी, बिजली आादि.., तो एयर लाइन्स, पावर, तकनीकी सूचना आदि के लिये पूॅजी कहीं से तो लाना ही पड़ेगी या ऐसे ही वैष्वीकरण के,आर्थिक सुधार के वर्तमान युग में हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे? तो क्या सरकार के इस कदम पर, .निर्णय जनता को या देष के तटस्थ अर्थषास्त्रियों को विचार करने का अधिकार नहीं है कि सरकार का यह कदम उनके लिये हितकर है या अहितकर?  पर राजनैतिक द्रष्टि से केवल वे विरोधी राजनैतिक दल कुछ ज्यादा हल्ला मचा रहे हैं जो अपनी सत्ता होने के दौरान इस कार्यक्रम को देष में लाना चाहते थे पर नहीं ला पाये थे।एक तरफ गुजरात में विदेषी पूॅजी लाने के लिये नरेन्द्र मोदी का सम्मान किया जा रहा है। बिहार में नीतीष विदेषी पूॅजी के लिये लालायित बैठे हैं क्योंकि बिना इसके इन्फ्रास्ट्क्चर खड़ा ही नहीं किया जा सकता। इसलिये विरोध के लिये विरोध केवल चंद विरोधी राजनीतिज्ञ ही कर रहे हैं या वे व्यवसायी जिनकी दलाली पर रोक लगेगी, या वे जो किराने में 50 से 70प्रतिषत तक अनियन्त्रित मुनाफाखोरी कर रहे हैं या जिन्होंने अपने यहाॅ पहले से ही विदेषी ऐसे ही षोरुम खोल रखे हैं पर चिल्लाने से नहीं चूकते कि एफ.डी.आई. से देष लुट जायेगा।अभी कल ही एक चैनल बता रहा था कि किस तरह 5रु किलो किसान को देकर 25रु किलो टमाटर उपभोक्ताओं को बिचैलियों द्वारा बेचे जाते हैं? वे जानते हैं कि एफ.डी.आइ.से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और दलालों की मनमानी नहीं चलेगी।एफ.डी.आइ. से किसानों को ने केवल एक किलो टमाटर का दस रु मिलेगा वरन् उपभोक्ता केा पन्द्रह रु किलो टमाटर मिलेगा, नुकसान होगा तो केवल दलालों को। अब इन्ही से पूॅछो कि भैया भोपाल,इन्दोर में विदेषी ‘वेस्ट प्राइज’ का करोंद वाला षोरुम कितने सालों से चल रहा है?उ.प्र. में वालमार्ट कयों ?अगर वह लूट रहा है तो पहले उसे निकालो न ? पर हिप्पोक्रेसी यही तो है कि करना कुछ और कहना कुछ और।                          कौन जानता था कि राम से लेकर गाॅंधी तक के इस देष में एक ऐसी  लोकतांत्रिक मिली जुली सरकारी व्यवस्था आयेगी जब जनहित के कार्यों का निर्णय भी, बिना किसी बहस के भीड़तंत्र में मनमसोस कर लागू करने में सरकार को दाॅंतों पसीना आयेगा? इसीलिये इन दिनों यह चर्चा ही जोरों पर है कि खुदरा बिक्रेताओं को बेराजगार कर विदेषी व्यापारियों को अपना पैसा सीधे इस व्यवसाय में लगाने की अनुमति देना भारत सरकार का अत्यंत घातक कदम है ं? बिना जाने, केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिये चिल्लपौं मची है। एफ.डी.आइ.,विपक्ष ने गत वर्ष स्थगित करा दिया था,षासन को झुका दिया था और दूसरी ओर यह आरोप लगने लगा था कि सरकार काम नहीं करती? ,इतने दिन संसद को नहीं चलने दी और अब वे डिवेट की माॅंग करते हैं।सरकार ने संसद चलने देने के लिये यदि कोई प्रकरण कभी स्थगित कर दिया तो विपक्ष अपनी जीत समझने लगा।पर प्रष्न यह है कि एफ.डी.आइ.पर एक तो बहस  हो ही नहीं सकी। न ही कोयले पर संसद का उपयोग  बहस के लिये हुआ। संसद बंद कर क्या विपक्ष ने एक अच्छे अवसर को देष से नहीं छीन लिया ? वे कैसे बिना बहस के कह सकते हैं कि कोयला में किसी एजेंसी का अनुमानित कथ्य, सही में घपला है?,एफ.डी.आइ.जन हित में नहीं है? अब एक तरफ भारत सरकार भारी धन व्यय कर बड़े बड़े विज्ञापन अखबारों में छपवाकर, किसान सम्मेलन कर एफ.डी.आइ.के लाभ गिनायेगी, बहसें आयोजित कर सत्य समझाने के प्रयास होंगे तो दूसरी ओर बाजार बंद कराये जायेंगे ,मुनाफाखोर व्यापारी दबाव बनाने को आमादा होंगे और अनेक विपक्षी दल संसद को नहीं चलने देकर बाहर यह बताने में अपनी पूरीऋणात्मक उर्जा लगायेगे कि ख्ुादरा क्षेत्र में विदेषी निवेष की अनुमति दी गई तो इस क्षेत्र में काम कर रहे करोड़ों लोग बेरोजगार हो जायेंगे,देष रसातल मंे चला जायेगा। जिस कार्य को, विरोधी कभी खुद सत्ता में रहते लागू कराना चाहते थे अब वही बाहर रह कर जनता विरोधी कह ,इसे हटाना चाह रहे हैं। विरोध विषय का नहीं ,षासन को एक अच्छे कार्य का श्रेय न मिल जाये इसका विरोध है या बदनाम कर षासन गिर जाये ?।हल्ले से ऐसे लग रहा है कि एक बार फिर ईस्ट इ्रण्डिया कम्पनी भारत में आकर हमें गुलाम बनाने बाली है। यह कटु सत्य है कि आज वैष्वीकरण और उदारबाद की आर्थिक सुधार की परिस्थितियों में बिना विदेषी निवेष के ,केवल आतरिक पॅूजी प्रवाह से हम विकास के उत्कृष्ट लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते। बेंक,इंष्योरेंस,टेलीकाॅम में पहले एफ.डी.आई आई थी,तब भी एसी आषंकायें बताई जा रहीं थीं पर उससे भारत के बेंक बेहतर ही हुये हैं ,आदि आदि। पर बहस अगर मुद्दों पर हो तो कुछ समझने की बात भी बने और तस्वीर साफ हो क्योंकि जिन देषों में यह अनुंमति दी गई है न तो वे गुलाम हुये हैं न लुट गए हैं। पर बहस हो कहाॅं ? संसद तो चलने नहीं दी जायेगी।जिदबाजी पर दोनों पक्ष अडे़ रहंेगे तो जनता केवल भावनात्मक रुप से भ्रमित होगी और देष को लाभ की बजाय क्षति अधिक होगी। क्योंकि देषी बनाम विदेषी का संवेदनात्मक मामला बनाकर लोग बिना एफ.डी.आई समझे विरोध करने के आदी हैं या फिर भले इसे मात्र 53 षहरों में पहले लागू करना हो,हाॅं है तो नीतिगत फैसला। दूसरी ओर विपक्षी बिना मनन किये तरह तरह के काल्पनिक आरोप लगाने लगे हैं।सरकार को अल्टीमेटम देकर झुकाना चाहते हैं।इतना ही नहीं षासन के सहयोगी एक दो घटक तक रंग बदल चुके हैं। हालाॅंकि अगर केन्द्र ने निर्णय कर ही लिया है तो प्रदेष सरकारें अपना हानि-लाभ विचार कर इसके कार्यान्वयन करने के लिये स्वतंत्र हैं इसलिये विरोध करने का तो कोई औचित्य ही नहीं रहा।केन्द्र किसी पर यह थोप नहीं रहा है। विकल्प आपके हाथों में है ,परेषान नहीं हों।इसलिये बिना विचारे अनाप षनाप वक्तव्य देना कहाॅं तक उचित है?पर विरोध मानें विरोध? एक मुख्यमंत्री जो अपनी मूर्ति स्वयं लगवाकर स्वंय को माला पहना कर, दलितों का कथित हित साधने में लगी रहीं और राहुल गाॅंधी के दौरों से बेहद परेषान थीं, ने तो यहाॅं तक कह दिया था कि विदेषी कम्पनियों के मालिक राहुल गाॅंधी के दोस्त हैं इसलिये उन्हें लाभ पहुॅंचाने के लिये केन्द्र सरकार यह कार्य कर रही है। जब कि अभी यही नहीं मालूम कि कितनी और कौन कम्पनियाॅं भारत में निवेष करेंगीं?एक और मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्रदेष में वे विदेषियों को घुसने नहीं देंगे जब कि वही मुख्यमंत्री बहुत पहले ही अपनी राजधानी में विदेषी  ‘षाॅपिंग माॅल’ खुलवा चुके है। एक पूर्व असफल मुख्य मंत्री ने घोषणा की थी कि यदि उक्त बालमार्ट का माॅल खुला तो वह स्वंय आग लगायेंगे।अब.बताइये इस माहौल में जनता कैसे वास्तविकता.समझे ? प्रथम द्रष्टया यह तो समझ में आता है कि खुदरा व्यवसाय में करोड़ों लोग रोजगार कर,अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं। अब जब विदेषी कम्पनियाॅं यहाॅं उक्त कार्य करेंगी तो देषी व्यवसायी उनके सामने इसलिये नहीं टिक पायेंगे कि न तो विदेषियों की भाॅंति भारी पूॅजी लगाकर भारतीय छोटे व्यवसायी कच्चामाल या उत्पादों का संग्रहण अधिक दिनों के लिये खरीद कर रख सकेंगे,न बड़े बड़े विज्ञापनों का प्रदर्षन कर सकंेग,े न ही रंग विरंगी आकर्षक पैकिंग से नई पीढि़यों को आकर्षित कर पायेंगे,न ही विदेषी कन्याओं को उॅची तनख्वाहें देकर ग्राहकों को खींच सकेगे और न ही एकड़ों भूखण्डों में षानदार बिल्डिंगें बनाकर लिफ्टों में,स्वमेव सरकती सीढि़यों में, लेागों को आधुनिक गिफ्टें दे सकेंगे। यह भी सही है कि प्रारंभ में विदेषी माॅल सस्तें में ग्राहकों को सामग्री उपलब्ध करायेंगे,रिलायंष फ्रेष जैसे,.. और इनका अभ्यस्त होने पर अपना रंग दिखाना षुरु कर उपभोक्ताओं से अधिक लाभ लेना प्रारंभ करेंगे,किसानों की उपज का मनमाना रेट देंगे ही,क्योंकि एक तो वे यहाॅं लाभ कमाने के लिये भारी पूॅंजी लगा कर धंधा करने आ रहे हैं सेवा करने नहीं।दूसरे विज्ञापनों, पैकिगों, सैल्समेनों की उॅंची तनख्वाहों,माॅंल के लिये मंहंगी जमीनें खरीदने आदि आदि का पैसा निकालेंगे तो क्रेता की,यानी हमारी ही जेब से। फिर अनुमान है कि यही सामान हमें इतना मंहगा पड़ेगा कि जिसकी कल्पना आज नहीं की जा सकती यह भी सही है कि एक करोड़ों लोगों को नौकरियाॅं मिलेंगी पर चार करोड़ से अधिक उन छोटे दुकानदारों को बेरोजगार करके जेा न तो तकनीकी कुषल हैं और न बिना पूॅंजी के अकुषल होने के कारण, अन्य कोई कार्य कर सकते हैं।प्रभावितों की संख्या लगभग बीस करोड़ तक हो सकती है तब बेरोजगारी से इस देष का जो हाॅल होगा वह भी अकल्पनीय है। आखिर अमेरिका में बेरोजगारी 15प्रतिषत बढ़ने का एक कारण यह भी है कि वहाॅं विदेषी कम्पनियों को खुली छूट दी गई। तो हमें कुछ तो अन्य देषों से सीखना चाहिये।थाईलेण्ड में तो सुना है कि विदेषियों को निकालने तक का निर्णय लेना पड़ा।कमोवेष यही हाल अन्य देषों का हो रहा है।अब चूॅकि बराक ओबामा गत भारत यात्रा में कह गये थे कि जिन्हें हमने अपनी अर्थव्यवस्था खुली छोड़ी है वे बाजार हमें भी खुलना चाहिये तो क्या इसीलिये हम आधुनिक होने के लिये भारतीयों को बेरोजगारी की आग में झोंक दें ?षासन द्वारा समझाया जा रहा है कि कृषि एवं फलों की उपजों/ उत्पादों का बहुत भाग नष्ट होने या सड़ने से बचाया जा सकेगा। बिचैलिये समाप्त होंगे जिससे उपभोक्ता को लाभ होगा। नई तकनीक आयेगी। षीतग्रह बढ़ेंगे। प्रष्न केवल यही है तो क्या यह कार्य अपने देष के लोगों से नहीं कराया जा सकता?यह सही है कि 2009 की तुलना में हमारे यहाॅं विदेषी निवेष इन दिनों कम हुआ है।विदेषी कम्पनियाॅं हमारी सरकार को सैकड़ों करोड़ रु के निवेष का प्रलोभन दे रहीं हैं तो क्या यह निवेष बिना लघु व्यापारियों के बेराजगार किये बिना, अन्य तकनीकी क्षेत्रों में निवेष से नहीं किया जा सकता? भारत की प्राचीन परम्परा हाट बजारों की रही है उन्हें बीमार करके फिर बुनकरों आदि जैसा पेकेज देना पड़े या हमारे उत्पादों की जगह विदेषी उत्पाद यहाॅं भर जाये ंतो हमारे कुटीर उद्योगों का क्या होगा? एक बहुत पुराना उदाहरण हमारे पूर्वज सुनाया करते थे कि पहले भारतीयों में चाय पीने की आदत नहीं थी,तब अंग्रेजों ने मुफ्त में चाय पिला पिला कर हमें इसका आदी बनाया था। अब हम विष्व के सबसे बड़े चाय उपभोक्ता बन गये हैं। जिस चाय के पीने से स्वास्थ को हानि ही होती है,कोई फायदा नहीं, अब हम उसके बिना रह नहीं सकते और जिसके निर्यात से जो हमें भारी विदेषी मुद्रा मिलती,वह हानि तो हो ही रही वरन् अब वही चाय पाॅंचसौ रु किलो लेकर हमें पीनी पड़ रही है। यही स्थिति कोल्ड ड्ंिक्स की है।जब से दूध ब्राण्डेड हुआ है भले देषी लोगों ने किया हो तो न केवल मंहगा होता जा रहा है वरन् पालतू पषु के सारे लाभों से हम वंचित हो षुद्ध़,सस्ते और स्वास्थवर्धक दूध,दही,घी के लाले पड़ गये। कृषि और चमड़ा का कुटीर उद्योग सब ठप्प हो गया है।विज्ञापनों की चमक दमक ने हमें भौतिकवादी विकास के नाम पर, षहरीकरण ने गाॅंव निर्जन कर ,हमें पेट्ोल पर आश्रित कर कारों से स्टेटस बनाने का प्रदर्षनकारी बना ,तेल के देषों का गुलाम बना दिया है। इत्यादि…        समय रहते हमें चेतना चाहिये।दरअसल भारत की पारम्परिक स्थितियाॅं अन्य देषों से निताॅंत भिन्न हैं। यहाॅं का सोच केवल अर्थ केन्द्रित न होकर परस्पर समभाव का है।इसलिये विकसित बनने के नाम पर , आधुनिक प्रतिस्पर्धा में हम पाष्चात्य की तरह दिवालिये बनने की ओर  कहीं न मुड़ने लगें ?अपने पाॅंवों पर खुद कुल्हाड़ी न मारें? अतः सतर्क रहने की आष्यकता है।विदेषी निवेष अवष्य हो पर देषवासियों को बेरोजगार करने की षर्त पर नहीं।हम अपने सांस्कृतिक धरातल पर ही सबको साथ लेकर आगे बढ़ें और सषक्त बनें तो बेहतर होगा।    हाॅलाकि हम इतने बड़े देष में अपने श्रोतों से सड़क,बिजली,पानी जैसी प्राथमिक समस्यायें ही पहले सुलझा लें तब अन्य मुद्दों पर विचार करें। इसलिये किसानों की जिन्सों को सुरक्षित,संरक्षित और विकसित,कोल्ड स्टोरेज,प्रोसेसंिग यूनिट डालने आादि एवं उपभोक्ता को सस्ते में सामग्री मिलने,विचैलिया हटाने  के निये एफ.डी.आई. आवष्यक प्रतीत होता है।

कैलाष मड़बैया,वरिष्ठ साहित्यकार
75 चित्रगुप्त नगर,कोटरा,भोपाल-3 ,
9826015643
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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श्री के. एन. गोविन्दाचार्य द्वारा 1 अक्टूबर 2012 राजघाट से मार्च एवं जंतर मंतर पर ध्रना

Posted on 02 October 2012 by admin

govindacharyaराष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक-संरक्षक व सुप्रसि( स्वदेशी विचारक श्री के. एन. गोविन्दाचार्य  के नेतृत्व में आज दिनंाक 1 अक्टूबर 2012 को देशभर से आए हजारों कार्यकत्ताओं ने राजघाट पर महात्मा गंाध्ी को श्र(ा सुमन अर्पित करने के उपरांत जंतर मंतर तक मार्च निकाला एवं पूरे दिन जंतर मंतर पर ध्रना दिया। आंदोलन की प्रमुख मांग केन्द्रीय बजट का 7» सीध्े ग्राम पंचायतो को देने के संबंध् मे है। इस क्रम में इसी वर्ष 12, 13 एवं 14 मार्च को तीन दिवसीय ध्रना आयोजित किया गया था और प्रधनमंत्राी को ज्ञापन दिया गया था। किन्तु अभी तक कोई कार्यवाही न होने के कारण इस ध्रने का आयोजन किया गया। इस संबंध् में इसी मांग को लेकर पफरवरी 2013 में रामलीला मैदान में विशाल जनसभा का प्रदर्शन कर सरकार पर दबाब बनाने का निर्णय भी लिया गया है।
इस अवसर पर अपने उदबोध्न में राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक-संरक्षक व सुप्रसि( स्वदेशी विचारक श्री के. एन. गोविन्दाचार्य ने कहा है कि देश की राजनीति में जड़ता की स्थिति आ गई है। इसे तोड़ने के लिए साहसिक राजनैतिक पहल की जरूरत है। देश को राजनैतिक विकल्प देने से पहले वैकल्पिक राजनीति की दिशा निर्धरित करनी होगी।  ‘‘केन्द्रीय बजट का 7» राशि सीध्े ग्राम पंचायतों को दी जाय’’ हमारी यह मांग उस वैकल्पिक राजनीति की दिशा में प्रथम कदम है।
महात्मा गंाध्ीजी ने ‘स्वराज्य’ मिलने के पश्चात ‘ग्राम स्वराज्य’ का सपना देखा था। लोहियाजी ने चैखम्बा राज में ‘ग्राम पंचायतों’ को स्थान दिया था। दीनदयाल उपाध्यायजी ने अंत्योदय को पूरा करने के लिए पंचायतों की पुनस्र्थापना पर जोर दिया था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी पंचायतों को सत्ता में भागीदार बनाकर सिर के बल खड़े सत्ता के पिरामिड को सीध करने की बात कही थी। इन महापुरुषों ने राजसत्ता और अर्थसत्ता का विकेन्द्रीकरण करके ग्राम स्वराज्य का सपना देखा था। हमारी यह मांग इस दिशा में बढ़ा हुआ एक कदम हैं।
sarad-yadav सन 1993 में संविधन संशोध्न के द्वारा देश में नए सिरे से ‘पंचायती राज’ की व्यवस्था बनी। इससे ग्राम-पंचायतों का ढाँचा खड़ा हुआ और उन्हें कुछ कार्यों के अध्किार भी मिले। उस समय केन्द्र सरकार ने वादा किया था कि पंचायतों को ध्न भी दिया जायेगा। पर उस वादे पर ठीक से अमल नहीं हुआ। वित्त आयोग ने पंचायतों को कुछ ध्न सीध्े देने की बात रखी पर ‘उफँट के मुँह में जीरे’ जैसा है। आज पंचायतों को काम करने के अधिकार तो हैं पर ध्न के अभाव में कागजों में हैं। केन्द्र और राज्य सरकार की योजना को सरकारी अध्किारी और कर्मचारी लागू करते हैं जिसमें अभी पंचायतों की भागीदारी दिखावटी है। जिस उद्देश्य के लिए ‘पंचायती राज’ की स्थापना हुई उसको पूरा करने के लिए ही हमने यह मांग रखी है।
स्वतंत्राता के पश्चात दिल्ली और प्रदेशों की राजधनियों में ग्राम-विकास और लोक कल्याणकारी योजनायें बनायी जाती हैं। इन कामों को पूरा करने के लिए ध्न भेजा जाता है। पर इनमें से अध्किांश कामों की दुर्दशा तो सभी जानते हैं। देश के भूतपूर्व प्रधनमंत्राी श्री राजीव गंाध्ी ने एक बार कहा था, ‘‘ विकास कामों के लिए दिल्ली से भेजे गए एक रुपये में से 15 पैसा ही आखिर तक पहुंचता है।’’ आम जनता से कर के माध्यम से प्राप्त पैसा ही केन्द्र और राज्य सरकारें खर्च करती हैं। भ्रष्टाचार से बचाकर कुछ राशि सीधे गाँवों तक पहुँचाने के लिए हमनें यह मांग रखी है।
आज भी गांवों में लगभग 70» आबादी रहती है अतः केन्द्रीय बजट से 7» राशि सीध्े ग्राम पंचायतों को दी जाए। सन 2012-13 में केन्द्रीय बजट लगभग 14 लाख करोड़ रुपये से अध्कि का था और देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायतें हैं। इस हिसाब से प्रत्येक ग्राम पंचायत को औसत 40 लाख रुपये मिलेंगे जो बजट राशि के साथ प्रतिवर्ष बढ़ते जाएंगे। ग्राम-विकास के क्षेत्रा में सपफलतापूर्वक काम किए समाजसेवकों के हिसाब से अगर प्रतिवर्ष इतना ध्न ग्राम-पंचायतों को मिलने लगे तो वह गांवांे का कायाकल्प करने के लिए पर्याप्त होगा।
ध्न के इस हस्तांतरण को सरलतम बनाने तथा उसके उपयोग को अध्कितम प्रभावी और लाभदायी बनाने के लिए निम्न रूप से लागू करने की भी हम मांग करते हैं-
1-  केन्द्र सरकार सीधे ग्राम पंचायतों के बैंक खातों में धन भेजे।
2-  ग्राम सभा ग्राम विकास कार्यों को मंजूर करे।
3-  ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत योजनाओं को ग्राम पंचायत लागू करे।
4 -  राज्य सरकार केवल ग्राम पंचायतों के बही खातों का आडिट करे।
5- बजट के बाद प्रति वर्ष मार्च में पंचायतों को भेजी गई राशि का प्रचार उसी तरह हो जैसे सरकार             आजकल पोलियो निर्मूलन अभियान का प्रचार करती है।
इस प्रकार प्राप्त ध्न राशि को विकास कार्यों पर खर्च करने का अध्किार केवल ग्राम-सभा और ग्राम-पंचायत का होगा। उसमें सरकारी अध्किारी और कर्मचारियों की कोई दखलंदाजी नहीं होगी। हर ग्राम-पंचायत एक मंत्रिमंडल के रूप में काम करेगा तथा ग्राम सभा उस गांव की लोकसभा या विधनसभा के रूप में चलेगी। अर्थात् हर गंाव में एक छोटी सरकार होगी।
एनडीए के संयोजक शरद यादव जी ने अपने संबोध्न में चिंता व्यक्त की देश की जनता को हजारो गुटो, समुहों आदि मे बाटा जा रहा हैं जिस कारण जनता की सामूहिक शक्ति प्रकट नही हो पा रही। देश की असली मालिक देश की जनता ही है और इस सरकार को इस सच को स्वीकार करना ही होगा 7» नही 70» देश की ग्रामीण जनता का हक है और वह उसको मिलना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की मांग एवं ध्रने को सैकड़ो संस्थाओं, दलो, संगठनो एवं प्रसि( समाज सेवियों ने अपना समर्थन दिया है। इस अवसर पर मंच से श्री शरद यादव ;संयोजक एनडीएद्ध, श्री जगदीश ममगोई, संजय पासवान, श्री आरीपफ मोहम्मद खान, श्री शिव कुमार शर्मा, श्री रमेश शिलेदार, स्वामी चेतनानंद, डा. गणेशी लाल ;पूर्व मंत्राीद्ध, श्री अनुराग केजरीवाल ;लोकसत्ता पार्टीद्ध, डा. महेश शर्मा ;पूर्व सांसदद्ध, मुन्नी सिंह ;पूर्व विधयकद्ध, माननीय शिवन्ना जी, माननीय जगदीश शेट्टीगार, श्री राकेश दुबे एवं सुरेन्द्र विष्ट जी ने संबोध्ति किया।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव एवं सांसद श्री नरेश अग्रवाल 01 अक्टूबर, 2012 को हरदोई में आयोजित विशाल जनसभा के अवसर पर

Posted on 02 October 2012 by admin

naresh-agrawal-hardoi-with-up-cm-akhilesh-yadav-and-mulayam-singh-yadavउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव 01 अक्टूबर, 2012 को हरदोई में विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शुभारम्भ करते हुए
naresh-agrawal-hardoi-with-up-cm-akhilesh-yadav-and-mulayam-singh-yadav-2उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव 01 अक्टूबर, 2012 को सांसद श्री नरेश अग्रवाल के 62वें जन्मदिवस के अवसर पर हरदोई में आयोजित विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए।
naresh-agrawal-hardoi-with-up-cm-akhilesh-yadav-and-mulayam-singh-yadav-1 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव 01 अक्टूबर, 2012 को सांसद  श्री नरेश अग्रवाल के 62वें जन्मदिवस के अवसर पर हरदोई में आयोजित विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए।

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मुख्यमंत्री ने गंाधी जयंती पर प्रदेशवासियों को बधाई दी

Posted on 02 October 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने गांधी जयंती पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी हंै।
अपने बधाई संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी का सत्य, अहिंसा और मानवता का संदेश आज और अधिक प्रासंगिक हो गया है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने जाति प्रथा और छुआछूत जैसी कुरीतियों को दूर कर सामाजिक विषमता को समाप्त करने के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किया।
श्री यादव ने कहा कि राष्ट्रपिता ने प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए, पिछड़ों, शोषितों व दलितों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए देश को जो मार्ग दिखाया, उस पर और तेजी से चलने की आवश्यकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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अद्भुत गुफाओं की यात्रा

Posted on 02 October 2012 by admin

साईमैक्स प्रदर्शन अपने आप में अनूठा एवं सजीव अनुभव है, जिससे व्यक्ति को महसूस होता है कि वह गुफा खोजी दल के साथ एक अद्भुत यात्रा कर रहा है। भीड़ से दूर शांति का अनुभव प्राप्त करने के लिए गुफाएं सर्वोत्तम स्थान हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज मिश्र की पत्नी श्रीमती मीना मिश्र ने आज यहां आचंलिक विज्ञान नगरी में ‘अद्भुत गुफाओं की यात्रा’ नामक साइमैक्स शो का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि आंचलिक विज्ञान नगरी के इस आयोजन से अद्भुत गुफाओं की यात्रा के दौरान दर्शक अपने ग्रह पर उपस्थित विलक्षण स्थानों की सैर कर नये अनुभव प्राप्त कर सकेंगे।
आंचलिक विज्ञान नगरी के परियोजना संयोजक श्री समरेन्द्र कुमार ने बताया कि धरती के गर्भ के रहस्यमयी संसार तथा नियाग्रा, एवरेस्ट, जीवंत सागर, शैल प्रवाल रोमांच, डाॅलफिन्स, महानतम स्थल, नील नदी के रहस्य और अमेजन आदि की जानकारी के लिए अद्भूत गुफाओं की यात्रा पर नवीन साइमैक्स शो का प्रसारण आंचलिक विज्ञान नगरी में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बर्फीली गुफाएॅ, अन्तर्जलीय गुफाएँ, जमीनी गुफाएँ जैसे असाधरण एवं डरावने दृश्यों से भरपूर फिल्म में गुफाआंे का अध्ययन करने वाली दो महिलाओं के साथ ग्रीनलैण्ड की बर्फीली गुफाआंे में, यूकेटन प्रायद्वीप के अन्तर्जलीय गुफाआंे में, लिटिलग्राण्ड कैनयाॅन की जमीनी गुफाआंे में असाधारण जीवों को दर्शक खोज पायेंगे। उन्होंने बताया कि अद्भुत गुफाओं की यात्रा पर आधारित हमारा साईमैक्स प्रदर्शन दर्शकों को ऐसा महसूस कराएगा जैसे वे खुद अद्भुद गुफाओं की यात्रा पर हैं।
इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो0यू0एन0द्विवेदी,लखनऊ विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान के विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 सी0एम0 नौटियाल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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वर्ष 2012-13 के लिए धान खरीद नीति घोषित

Posted on 02 October 2012 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2012-13 के लिए धान खरीद नीति घोषित कर दी है। इसके तहत कामन श्रेणी के धान का मूल्य 1250 रुपये प्रति कुन्तल तथा ग्रेड ए श्रेणी के धान का मूल्य 1280 रुपये प्रति कुन्टल निर्धारित किया गया है। धान की खरीद एक अक्टूबर से 28 फरवरी 2013 तक होगी। इस वर्ष 25 लाख मी0 टन धान क्रय का न्यूनतम कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री श्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 28 फरवरी 2013 तक क्रय केन्द्रों पर किसानों द्वारा लाई जाने वाली धान की समस्त मात्रा का क्रय किया जायेगा। इसके लिए 3250 केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इसके लिए 9 क्रय एजेन्सियों को नामित किया गया है, जिसमें खाद्य विभाग, उ0प्र0 सहकारी संघ,यू0पी0एग्रो, उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ, उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम, नैफेड, राज्य कर्मचारी कल्याण निगम, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एन.सी.सी.एफ.) तथा भारतीय खाद्य निगम शामिल हैं। उन्होंने बताया कि धान की खरीद सीधे केवल किसानों से की जायेगी तथा किसानों का मोबाइल नम्बर/फोन नम्बर भी धान क्रय पंजिका पर अंकित किया जायेगा। वास्तविक किसान की पहचान हेतु फोटोयुक्त पहचान पत्र के आधार पर ही धान खरीद किये जाने की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए किसानों को जोतबही, खतौनी तथा चकबन्दी अन्तर्गत ग्रामों में चकबन्दी संबंधी संगत भूलेख लाये जाने की अनिवार्यता होगी। उन्होंने बताया कि क्रय केन्द्रों पर सुचारू रूप से व्यवस्था बनी रहे इसके लिए ‘‘प्रथम आवक प्रथम खरीद’’ आधार पर खरीद की जायेगी।
खाद्य मंत्री ने बताया कि धान के मूल्य का भुगतान खाद्य विभाग के जिन क्रय केन्द्रों तथा कृषकों के खाते सहकारी बैंकों अथवा ग्रामीण बैंकों में हों, उन क्रय केन्द्रों को छोड़कर शेष समस्त केन्द्रों पर धान बिक्रेता कृषक के खाते में आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से धान मूल्य का सीधा एवं त्वरित भुगतान की व्यवस्था की जायेगी। इसके अलावा ‘‘पेइज एकाउण्ट चेक’’ से भुगतान प्राप्त करने का विकल्प भी किसान के पास रहेगा। उन्हांेने बताया कि ऐसे खरीद केन्द्रों पर जहां आर0टी0जी0एस0 से भुगतान की सुविधा उपलब्ध न हो, वहां खाद्य विभाग के क्रय केन्द्र प्रभारी द्वारा 2,00,000 रुपये (दो लाख रुपये) की सीमा तक ‘‘पेइज एकाउण्ट चेक’’ के माध्यम से किया जायेगा।
खाद्य मंत्री ने बताया कि समर्थन मूल्य योजना के अन्तर्गत क्रय किये गये कामन एवं ग्रेड-ए की धान से चावल की रिकवरी भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार अरवा चावल के लिए 67 प्रतिशत मानकर सी0एम0आर0 की डिलवरी की जायेगी। क्रय एजेन्सियों द्वारा खरीदे गये धान की कुटाई करायी जायेगी तथा उत्पादित कस्टम चावल का सम्प्रदान (डिलीवरी) केन्द्रीय मूल्य हेतु भारतीय खाद्य निगम के डिपो पर किया जायेगा। धान खरीद हेतु नामित सभी संस्थायें खरीदे गये धान से उत्पादित कस्टम चावल के मूल्य का बिल तैयार कर भारतीय खाद्य निगम से भुगतान प्राप्त करेंगी।

खाद्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश स्तर पर धान खरीद का अनुश्रवण विशेष सचिव खाद्य श्री सुभाष चन्द्र त्रिवेदी, संयुक्त आयुक्त खाद्य श्री अनिल कुमार दमेले तथा मुख्य विपणन अधिकारी द्वारा किया जायेगा। उन्हांेने बताया कि धान खरीद की स्थिति के निरन्तर अनुश्रवण हेतु खाद्य आयुक्त कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जो एक अक्टूबर से प्रातः 8 बजे से सायं 7 बजे तक कार्यशील रहेगा। नियंत्रण कक्ष का टेलीफोन/फैक्स नं0-2286046 तथा 2286044 है। क्रय एजेन्सियों को बोरों की व्यवस्था खाद्य विभाग द्वारा की जायेगी। कृषकों की सुविधा की दृष्टि से धान क्रय केन्द्रों पर धान का मूल्य, गुणवत्ता के मानक, संबंधित बैंक का नाम जहां भुगतान होना है, सम्बद्ध गांव की सूची आदि को क्रय केन्द्रों पर प्रदर्शित किया जायेगा। इसके अलावा क्रय केन्द्रों पर टोल फ्री नं0-18001800150 का प्रदर्शन किया जायेगा ताकि इस नम्बर पर खरीद संबंधी शिकायतों को दर्ज कराया जा सके।
खाद्य मंत्री ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक गांव को निकटतम दूरी के धान क्रय केन्द्र से सम्बद्ध किया जायेगा। गांवों का क्रय  केन्द्रों से सम्बद्धीकरण इस तरह किया जायेगा, कि किसानों को धान बेचने के लिए 7 कि0मी0 से अधिक दूरी तय न करना पड़े। धान क्रय केन्द्र कार्य दिवसांे में प्रातः 9 बजे से सायं 5 बजे तक खुले रहेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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महिलाओं के साथ अभ्रदता करने वाले किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा

Posted on 02 October 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने महिला से अभ्रदता करने वाले आई0ए0एस0 अधिकारी, श्री शशि भूषण सुशील को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने के आदेश देते हुए कहा है कि महिलाओं के साथ अभ्रदता करने वाले किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा। उन्हांेने कहा कि महिलाओं का सम्मान करना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है।
विदित है कि श्री नीरू सक्सेना ने जी0आर0पी0 थाना लखनऊ में श्री शशि भूषण सुशील आई0ए0एस0 अधिकारी के विरूद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज कराई है कि श्री सुशील ने 30 सितम्बर, 12 की रात लखनऊ मेल से यात्रा के दौरान उनकी पुत्री के साथ अभ्रदता की है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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विभागों एवं प्रकोष्ठों के चेयरमैन एवं संयोजकों की बैठक

Posted on 02 October 2012 by admin

उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री, सांसद की अध्यक्षता में आज उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के विभागों एवं प्रकोष्ठों के चेयरमैन एवं संयोजकों की बैठक प्रदेश कंाग्रेस मुख्यालय में सम्पन्न हुई। बैठक में पूर्व विधायक श्री हरीश बाजपेई जी भी मौजूद रहे।
इस बैठक में श्री रामकृष्ण, चेयरमैन, अनु0जाति विभाग ने कहा कि ग्राम कांग्रेस का गठन होने से संगठन की मजबूती होगी। चिकित्सा प्रकोष्ठ के चेयरमैन डाॅ0 जियाराम वर्मा ने कहा कि कंाग्रेसीजन मजबूती से चिकित्सीय सुविधा प्रदान करें जो सामाजिक सेवा पर आधारित हो। अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन श्री मारूफ खान ने कहा कि अल्पसंख्यकों से सम्बन्धित लिटरेचर ग्राम स्तर पर वितरित कराया जाना चाहिए। डाॅ0 खत्री ने श्री अरशी रजा, खेलकूद प्रकोष्ठ के चेयरमैन से कहा कि राजीव गांधी स्पेार्टस कैम्प के बैनर तले प्रदेश में कम से कम 100 गांवों में स्पोर्टस शिविर लगाकर युवा खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करें। श्री इरशाद अली, चेयरमैन श्रम प्रकोष्ठ ने आशा बहुओं एवं स्वास्थ्य रक्षकों को एक हजार रूपये मानदेय प्रतिमाह दिये जाने का सुझाव प्रस्तुत किया। श्री सम्पूर्णानन्द मिश्र विचार विभाग के चेयरमैन ने कंाग्रेस की नीतियों और कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार प्रबुद्धजनों के बीच प्रसारित करने के अपने प्रयासों के बारे में बताया। डाॅ0 खत्री ने श्री विनोद चैधरी पूर्व विधायक पिछड़ा वर्ग विभाग से पिछड़े वर्ग के लोगों को और मजबूती से संगठन से जोड़ने के लिए कहा तथा मो0 तारिक सिद्दीकी, चेयरमैन रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट से कहा कि मंडल व जिले स्तर पर रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट की व्यवस्था सुनिश्चित करायी जा सकें, जिससे कि सूचना के आदान प्रदान में काफी सहूलियत मिलेगी। कै0 एस.जे.एस. मक्कड़ चेयरमैन सूचना का अधिकार टास्क फोर्स एवं श्री आर.सी. उप्रेती चेयरमैन पर्वतीय प्रकोष्ठ  ने भी अपने सुझाव प्रस्तुत किये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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