Archive | September 29th, 2012

सरकार पर जन सरोकारों के प्रति गैर जवाबदेह होने का आरोप लगाया

Posted on 29 September 2012 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार पर जन सरोकारों के प्रति गैर जवाबदेह होने का आरोप लगाया। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र तिवारी ने आज प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए सपा सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की मशीनरी उच्च न्यायालय के फटकार के बाद ही गतिशील होती है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा क्या है कि सरकार उच्च न्यायालय की फटकार के बाद जागती है ? उन्होंने कहा कि प्रदीप शुक्ला की ज्वाइनिंग का मसला रहा है, एन.एच.आर.एम. आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही की स्वीकृति का मसला हो, गुटखे पर प्रतिबंध का मसला हो, सरकार हाईकोर्ट की फटकार के बाद ही कार्यवाही को मजबूर हुई। ग्रेटर नोएडा में राकेश बहादुर व संजीव सरन की नियुक्ति का मसला तथा लोकायुक्त के कार्यकाल बढ़ाने जाने को लेकर सरकार से सवाल किए। अब हाईकोर्ट ने लड़कियों की छेड़खानी को लेकर जो सवाल खड़ा किया है वह अत्यंत शर्मनाक है।
श्री तिवारी ने कहा कि लड़कियों /महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाओं को लेकर उच्च न्यायालय की टिप्पणी कि ”हालात इतने बिगड़ चुके है कि लड़कियों व महिलाएं कही भी सुरक्षित नहीं ” लड़कियां घर से निकलने में डरने लगी है। सरकार के कानून व्यवस्था पर करारा तमाचा है। श्री तिवारी ने कहा कि यह बेहद आश्चर्य की बात है कि राजधानी लखनऊ में विगत एक माह में आधा दर्जन से अधिक लड़कियो/ महिलाओं के साथ छेड़खानी की दुःसाहसिक घटनाएं घटित हो चुकी है परन्तु प्रभावी कार्यवाही के अभाव मे अपराध की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। श्री तिवारी ने कहा कि यदि अपराधी सपा बि गे्रड का सदस्य है तो कई बार प्रशासन उन्ही अपराधियों के बचाव में लग जाती है  लखनऊ व कानपुर मे युवा नेताओं को प्रशासन द्वारा बचाना इसका स्पष्ट प्रमाण है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के लिए इससे अधिक बेशर्मी की कोई बात नही हो सकती।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि वास्तविकता यह है कि प्रदेश सरकार केवल लोकलुभावन कार्यो की तरफ केन्द्रित है व मुस्लिम वोटों के तुष्टीकरण को लेकर ही चिन्तित है। सरकार का रवैय्या आम आदमी की रक्षा-सुरक्षा देने में पूरी तरह फेल है तथा प्रदेश की कानून व्यवस्था व शान्ति व्यवस्था सरकार की प्राथमिकता नही है जो चिन्ता का विषय है। प्रदेश मे हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, राहजनी तथा लड़कियों/महिलाओं के साथ अपराध में लगातार वृद्धि के कारण प्रदेश की जनता भयग्रस्त है। सम्प्रदायिकता के खिलाफ होने का स्वांग भरने वाली वर्तमान सरकार के 6 माह के कार्यकाल में 6 दंगे हुए तथा गाजियाबाद, लखनऊ व इलाहाबाद की घटनाओं के सामनें प्रदेश सरकार व स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक रहे यह घटनाएं इस बात की प्रमाण है कि सरकार ने अतिवादी उन्मादी तथा हिंसा में विश्वास रखने वाली ताकतों के सामने घुटने टेक दिए हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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पूर्व गृह सचिव श्री जयदयाल पुरी का निधन

Posted on 29 September 2012 by admin

भाजपा नेता अमित पुरी के पिता उत्तर प्रदेश के पूर्व गृह सचिव श्री जयदयाल पुरी का आज पी0जी0आई0 लखनऊ में निधन हो गया। श्री पुरी के निधन के समाचार से भाजपा परिवार दुखी है।  प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेई सहित भाजपा के सभी प्रमुख नेताओं ने श्री पुरी के निधन पर हार्दिक दुःख व्यक्त किया है। स्व0 श्री पुरी के निधन पर पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र, विनय कटियार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह, केसरीनाथ त्रिपाठी, डा0 रमापति राम त्रिपाठी, सूर्यप्रताप शाही, वरिष्ठ नेता एवं सांसद लालजी टण्डन, प्रदेश उपाध्यक्ष शिवप्रताप शुक्ला, राधेश्याम गुप्ता, धर्मपाल सिंह, रमापति शास्त्री स्वतंत्र देव सिंह, डा0 महेन्द्र सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जैन, प्रदेश महामंत्री विन्ध्यवासिनी कुमार, श्रीमती प्रेमलता कटियार, डा0 महेन्द्र पाण्डेय, नरेन्द्र सिंह, रामनरेश अग्निहोत्री, पूर्व मंत्री लल्लू सिंह, प्रदेश मंत्री आशुतोष टण्डन, संतोष सिंह, प्रदेश प्रवक्ता सत्यदेव सिंह, हृदय नारायण दीक्षित, राजेन्द्र तिवारी, विजय बहादुर पाठक, डा0 मनोज मिश्र, कार्यालय प्रभारी भारत दीक्षित, संगठन मंत्री अशोक तिवारी, पूर्व विधायक सुरेश श्रीवास्तव, सुरेश तिवारी, विद्यासागर गुप्त, कार्यालय सहप्रभारी चै0 लक्ष्मण सिंह, प्रदेश मीडिया प्रभारी नरेन्द्र सिंह राणा, हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव, सहमीडिया प्रभारी दिलीप श्रीवास्तव, मनीष दीक्षित, कार्यालय सचिव अनूप गुप्ता, मैथलीशरण शुक्ल, वीरेन्द्र तिवारी, मनोहर सिंह, मान सिंह, राजीव मिश्रा, हीरो बाजपेई, सियाराम वर्मा, गिरजा शंकर गुप्ता, सचिदान्द राय, अशोक जायसवाल, करूणेश त्रिपाठी आदि अनेक लोगों ने शोक संवेदना व्यक्त की है तथा परमात्मा से उनकी आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जनता से भेंट कार्यक्रम

Posted on 29 September 2012 by admin

28-09-aसमाजवादी पार्टी के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज “जनता से भेंट कार्यक्रम“ के तहत सैकड़ों आवेदको की समस्याएं सुनीं। उन्होने इस बात पर बल दिया कि जनपदों में अधिकारी जन समस्याओं के निस्तारण में अधिक से अधिक रूचि ले। उन्होने कई अधिकारियों से फोन पर बात कर मामलों के शीघ्र निस्तारण के भी निर्देश दिए।
श्री यादव के साथ मुख्यालय में राज्यमंत्री सुरेन्द्र सिंह पटेल, प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी तथा प्रदेश सचिव श्री एस0आर0एस0यादव ने भी लोगों की समस्याएं सुनने में सहयोग किया। श्री यादव से बिहार समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव रामजीवन यादव तथा खगडि़या के प्रो0 विभूति यादव ने भी भेंट की और उन्हें बिहार आने का निमंत्रण दिया। बिहार के नेताओं का कहना था कि बिहार में मुलायम सिंह यादव के प्रति लोगों में भारी विश्वास है और इस बार सन् 2014 में समाजवादी पार्टी को काफी सफलता मिलेगी।
शिवपाल सिंह यादव ने पूर्वमंत्री चै0 यशपाल सिंह, साॅसद श्रीमती सुशीला सरोज एवं अंसार अहमद, विधायक द्वारा अपने पत्र में समस्याएं बताए जाने पर उनके निराकरण के आदेश दिए। चै0 यशपाल सिंह के पुत्र रूद्रसेन ने सहारनपुर में सड़क निर्माण और फर्जी मुकदमों की वापसी की मांग की। श्रीमती सुशीला सरोज ने भी फर्जी  मुकदमों को हटाने का आग्रह किया। के0सी0 कर्दम ने प्रशासन से पीडि़त होने की शिकायत की। उन्होने कम पेंशन मिलने एवं अधिकारियों द्वारा उत्पीडि़त किए जाने के बारे में मंत्री जी को बताया। बलिया रसड़ा के चन्द्रशेखर ने टोंस नदी पर पुल और सड़क बनाए जाने की मांग की।
हरदोई के राशिद अहमद को नौकरी चाहिए थी तो शाहजहाॅपुर के ह्दयरोग से पीडि़त राज किशोर को इलाज के लिए मदद की दरकार थी। जलेसर, एटा के मुसर्रत हुसैन अंसारी और अब्दुल रशीद अंसारी की शिकायत थी कि मोहल्ला हवैलियान स्थित कब्रिस्तान पर एक स्थानीय स्कूल के प्रबंधक ने कब्जा कर लिया है उससे अवैध कब्जा हटाकर कब्रिस्तान की चहारदीवारी बनवा दी जाए। मीना देवी, अनैया, लखनऊ स्थानान्तरण का आवेदन लाई थीं तो शाहजहाॅपुर के परिवहन निगम के परिचालक दिनेश पाल सिंह संविदा पर बहाली चाहते थे।  रायबरेली के ग्राम गोयन थाना शिवरतनगंज की सुमिरता देवी पत्नी श्रीकृष्ण को अपनी पुत्र मंजू की दहेज यातना दिए जाने की पीड़ा थी। प्रतापगढ़ के नन्हकू पाल किसी निगम में पद पाने के इच्छुक थे। लोक निर्माण एवं सिंचाई व सहकारिता मंत्री से मिलकर अपना आवेदन देने वालों में प्रमुख थे भानु सिंह यादव (लखनऊ), श्रीमती कमलावती (कुशीनगर) देवनारायण यादव (प्रतापगढ़) सुश्री नीलम (औरैया) आशीष कुमार (कन्नौज) श्रीमती जानकी पाल (सुल्तानपुर) बाबा भरतपुरी (कन्नौज) समीना खातून (रायबरेली) बेगम समीना (कानपुर) आदि।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सनबर्न फेस्टिवल के आयोजन की घोषणा

Posted on 29 September 2012 by admin

परसेप्ट लि., भारत में मनोरंजन, मीडिया और संचार के क्षेत्र की अग्रणी कंपनी, ने 7 अक्टूबर 2012 को नोएडा में पहले सनबर्न फेस्टिवल के आयोजन की घोषणा की है। एशिया का नं. 1 और विश्व का नं. 9 (सीएनएन डाॅट काॅम) इलेक्ट्राॅनिक डांस म्यूजिक (ईडीएम) फेस्टिवल सनबर्न नोएडा में अपने शुभारंभ के लिये तैयार है तथा विश्व के महानतम कलाकारों के साथ उच्च उत्साही दर्शकों की उपस्थिति से युक्त एक श्रृंखला के साथ शानदार जीवन शैली उत्सव के अनुभव की पेशकश करने जा रहा है। पहली बार विश्व के नं. 7 सुपरस्टार डीजे, डीजे अफ्रोजैक सनबर्न नोएडा में परफाॅर्म करेंगे। इस उत्सव में दो विशाल मंच तैयार किये जायेंगे, जो सर्वश्रेष्ठ डीजे के परफाॅमेंस और दर्शकों के थिरकन के साक्षी बनेगे। डीजे अफ्रोजेक के अतिरिक्त यहां पर एवर इक्लेक्टिक मोगल और डायनेमिक द्वय प्रोक एंड फिच की धूम रहेगी, जो सनबर्न नोएडा में परफाॅर्म करेंगे। कनाडाई गौरव और 26वें आइडीएमए के ’’बेस्ट ब्रेक थ्रू आर्टिस्ट’’ अर्नेज इस फेस्टिवल के लिये रोमांचकारी टोन तैयार करेंगे। इस उन्माद में वृद्धि करने के लिये तथा इस उत्सव में हंगामा खड़ा करने के लिये एक अति प्रसिद्ध साइ ट्रांस बैंड एस्ट्रल प्रोजेक्शन, जो इजरायल से आ रहा है, को पेश किया जायेगा। भारत के नं.2 डीजे पर्ल अपने सांस रुका देने वाले सेट्स के साथ मंच पर तूफान मचा देंगे। डीजे मैग भारत के नं. 1 अर्जुन वागले, ऐश राॅय और मैश भी मंच पर धूम मचा देंगे, जबकि निखिल चिनप्पा इस उत्सव की मेजबानी करेंगे। प्रत्येक सनबर्न की बहु प्रतीक्षित खासियत सनबर्न पोस्ट पार्टी होती है, जो नोएडा में भी प्रमुख उत्सव के तुरंत बाद आयोजित की जायेगी। सनबर्न नोएडा 2012 का शुभारंभ खूबसूरत यूनिटेक गोल्फ कोर्स एंड कंट्री क्लब में अपरान्ह 3 बजे होगा। इस फेस्टिवल की थीम ’’कार्निवल-वेयर योर सनबर्न लुक’’ होगा तथा दर्शकों को आकर्षित और सम्मोहित करने में सफल होगा। इसका उद्देश्य लोगों को उन्माद के खुमार में डुबो कर सनकी स्टाइल के साथ प्रस्तुत होने के लिये प्रेरित करना है। यहां पर रोचक सनबर्न नोएडा लाइन भी होगी, जो कि इस फेस्टिवल के लिये प्रख्यात डिजाइनर्स नोएडा लाइन के सहयोग से लान्च की जायेगी। इन्हें फेस्टिवल में प्रदर्शित किया जायेगा तथा इन्हें इस आयोजन स्थल पर लाया जा सकेगा।

शैलेन्द्र सिंह, संयुक्त प्रबंध निदेशक, पर्सेप्ट लि., ने कहा कि, ’’पर्सेप्ट संचार एवं मनोरंजन व्यवसाय में अग्रदूत है और यह अपने ग्राहकों में अन्तर्निहित व्यावसायिक क्षमता को समझाता है। अपने 6वें वर्ष में प्रवेश के साथ सनबर्न एक मात्र भारतीय मनोरंजन इवेंट है, जिसके दर्शक और प्रशंसक समूचे देश में फैले हुये हंै। क्रिकेट और बाॅलीवुड के अतिरिक्त कोई अन्य चीज विभिन्न पृष्ठभूमियों वाले लोगों को एक साथ नहीं ले कर आ सकती। हमारा वास्तव में यह विश्वास है कि सनबर्न उत्तर भारत के लोगों को एकजुट करने इलेक्ट्राॅनिक डांस म्यूजिक के माध्यम से एक सशक्त मंच उपलब्ध करायेगा। सनबर्न प्रत्येक वर्ष भारत में त्योहार के मौसम के शुभारंभ का प्रतीक है।’’

सनबर्न न सिर्फ अपने दर्शकों को समूचे विश्व के संगीत व कलाकारों के सर्वश्रेष्ठ समूहों को उपलब्ध कराता है, बल्कि ऐसी आधुनिकतम तकनीक और प्रभाव का निर्माण करता है जो लोगों के लिये एक उत्तम नयनाभिराम दृश्य के समान होता है। लिक्विड नाइट्रोजन बस्टर््स, सीओ 2 कैनन, क्रायो-बोर्ग, पाइरोटेक्निक्स, एलईडी मेश, स्प्रे गन्स, 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग जैसे अतिरिक्त आकर्षणों के रणनीतिक समायोजन के साथ यह विभिन्न कलाकारों के अभिनय का जरिया बन जायेगा। सनबर्न फेस्टिवल एशिया का अग्रणी इलेक्ट्राॅनिक डांस म्यूजिक (ईडीएम) फेस्टिवल है। यह पर्सेप्ट की उत्कृष्ट लाइफस्टाइल अनुभव प्रदान करने वाली वार्षिक संपत्ति है, जिसका शुभारंभ वर्ष 2007 में गोवा में हुआ था। संगीत, मनोरंजन, खान-पान, खरीदारी और जीवन शैली की सहक्रियात्मकता से युक्त इस 3 दिवसीय फेस्ट के जरिये गोवा संगीत पर्यटन को आकर्षित करता है। पिछले पांच वर्षों के अपने अस्तित्व के साथ सनबर्न दिसंबर में तीन दिन की अवधि में एक लाख से अधिक दर्शकों का मनोरंजन करने के लिये भारत तथा विश्व के प्रख्यात डीजेज को लेकर आता है। सनबर्न में परफार्म करने वाले कुछ पूर्ववर्ती वैश्विक ईडीएम हस्तियों में अर्मिन वाॅन ब्यूरेन, एक्सवेल, एबव एंड बियांड, पाॅल वाॅन डाइक, एविसी, स्काजी, इनफेक्टेड मशरुम, पीट टोंग, डैश बर्लिन इत्यादि शामिल हैं। यह भारत तथा अन्तर्राष्ट्रीय जगत के व्यापक दर्शकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है तथा भारत को विश्व के एक डांस फेस्टिवल गन्तव्य के रुप में प्रदर्शित करता है। इसे वर्ष 2008 और 2010 में बेस्ट लाइव एंटरटेनमेंट इवेंट आॅफ दी ईयर के रुप में चिन्हित किया गया तथा साथ ही डब्लूओडब्लू अर्वाड्स के अन्तर्गत इसे वर्ष 2011 में बेस्ट फेस्टिवल आॅफ दी ईयर से नवाजा गया। पिछले 5 वर्षों से इलेक्ट्राॅनिक डांस म्यूजिक परिदृश्य पर राज करने के उपरान्त सनबर्न का अप्रैल 2012 में आयोजन किया गया था और यह 6 सितंबर को कोलंबो, श्रीलंका में आयोजित होगा। कैंडोलिम बीच के हृदयस्थल में आयोजित होने वाले इस फेस्टिवल में इसके विभिन्न संस्करणों के दौरान 90 प्रतिशत भारतीय एवं 10 प्रतिशत विदेशी दर्शकों की मिश्रित उपस्थिति दर्ज हुयी है। सनबर्न का स्वस्थ मनोरंजक आयोजन का इतिहास रहा है। गोवा पर्यटन परिषद तथा कानून व प्रवर्तन मंत्रालय द्वारा समर्थित सनबर्न ने अपने इवेंट के अबाध और मर्यादित तरीके से संचालन हेतु सरकारी नियमों और दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया है। सनबर्न गोवा में अपने शुभारंभ के समय से तथा इसके बाद के मुंबई व कोलंबो के परवर्ती संस्करणों द्वारा सदैव ही मादक द्रव्यों से मुक्त जोन्स का सृजन करने का गौरव प्राप्त किया है।

स्थानीय पुलिस और निजी गार्ड्स के रुप में अतिरिक्त सुरक्षा सदैव ही फेस्टिवल क्षेत्र की निगरानी रखती है। इवेंट के पहले और इसके दौरान एंटी नार्कोटिक सेल पूरी तरह सक्रिय रहता है, ताकि मादक द्रव्यों के प्रयोग को रोका जा सके। शानदार ग्राउंड प्लानिंग, प्रभावी, स्वास्थ्य व सुरक्षा के साथ ही साथ अवैध द्रव्यों के दुरुपयोग से मुक्त एक कंजक्शन फ्री जोन के साथ सनबर्न नोएडा के लिये सख्त उपाय किये गये हैं। इस वर्ष सनबर्न 27 से 29 दिसंबर 2012 तक एक बार फिर गोवा में आयोजित किया जायेगा। अगले 12 माह में सनबर्न दुबई, जकार्ता और सिंगापुर में धूम मचाने के लिये तैयार है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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गूगल इंडिया ने गेटइट को एसएमई साझीदार के रूप में नियुक्त किया

Posted on 29 September 2012 by admin

गेटइट इंफोसर्विसेज, देश की अग्रणी डिजिटल मार्केटिंग कंपनी, ने गूगल इंडिया के साथ अग्रणी एसएमई पार्टनर के रूप में गठबंधन की घोषणा की है। इस गठबंधन के अंतर्गत गेटइट छोटे और मंझोले आकार के उद्यमियों की डिजिटल विज्ञापन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करेगी तथा गूगल ऐडवर्ड्स उत्पादों की मार्केटिंग करेगी। इन उत्पादों को छोटे एवं मझोले आकार की कंपनियों की आवश्यकतानुसार विकसित कर लाॅन्च किया जाएगा, जिससे कि इन कंपनियों के डिजिटल कैंपेन को प्रबंधित किया जा सकेगा।

गूगल और गेटइट के बीच का यह गठबंधन भविष्य में इस क्षेत्र की कंपनियों को संपूर्ण विक्रय एवं विपणन समाधान उपलब्ध कराने के साथ-साथ डिजिटल कैंपेंन्स को पूरी तरह से क्रियान्वित भी करेगा। इस व्यावसायिक भागीदारी में गेटइट की अहम् भूमिका होगी, क्योंकि गेटइट के पास 1,000 से अधिक लोगों की टीम है और इसने देशव्यापी स्तर पर अपनी पहुंच बना रखी है और इसका सीधा लाभ एसएमई क्षेत्र की कंपनियों को होगा। साथ ही साथ यह गठबंधन गूगल को अधिक से अधिक संख्या में भारतीय एसएमई को आकर्षित करने में सक्षम बनाएगा, जो अपने व्यवसाय के आॅनलाइन प्रचार-प्रसार के लिए इससे जुड़ेंगे और उसे गूगल के ऐडवर्ड्स उत्पाद के माध्यम से लीड उपलब्ध करायेंगे।

इस गठबंधन पर टिप्पणी करते हुए गेटइट इंफोसर्विसेज प्रा. लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा, ‘‘ गेटइट के लिए विगत कुछ वर्ष काफी रोमांचकारी रहे हैं, क्योंकि इस अवधि में हमने स्वयं को एक डिजिटल कंपनी में परिवर्तित कर लिया है और गूगल के साथ यह गठबंधन भी बिल्कुल उचित समय पर हुआ है। हमारे पास देशव्यापी स्तर पर 1000 से अधिक एसएमई ग्राहक हैं और हम उनके लिए लाभकारी गूगल उत्पादों की पेशकश करेंगे। भारतीय परिदृश्य में एसएमई एक-दूसरे से बात कर व्यवसाय करने को प्राथमिकता देते हैं और उनके साथ निकटता से कार्य करते हुए हम गेटइट बंडल्स के अतिरिक्त उन्हें गूगल ऐडवडर््स के सर्वोत्तम लाभों की भी पेशकश करेंगे।‘‘

इस अवसर पर टिप्पणी करते हुए गूगल इंडिया के चैनल सेल्स प्रमुख श्री कार्तिक तनेजा ने कहा, ‘‘भारत में गेटइट को अपना प्रमुख एसएमई पार्टनर बनाने की घोषणा करते हुये हमें बेहद खुशी हो रही है। गेटइट की पहुंच 80 शहरों में हैं और इसने एसएमई क्षेत्र में अपनी सुदष्ढ़ उपस्थिति दर्ज करा रखी है। हमें पूरा भरोसा है कि गेटइट के साथ मिलकर हम एसएमई को अपनी सेवायें प्रदान करने और उन्हें इंटरनेट विज्ञापन का लाभ प्रदान करने में सक्षम हो पायेंगे।

एसएमई चैम्बर्स आॅफ इंडिया के अनुसार, भारत के औद्योगिक उत्पादन में एसएमई का योगदान 45 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत हैै। एसएमई क्षेत्र में तकरीबन 60 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं और प्रतिवर्ष 1.3 मिलियन रोजार इस क्षेत्र में उत्पन्न होते है। इससे स्पष्ट है कि एसएमई भारतीय की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा रहे हैं। गेटइट अपने येलो पेजेज के साथ तकरीबन 25 वर्षों से भारतीय एसएमई को सेवायें प्रदान कर रहा है। गेटइट के साथ 30 लाख से अधिक एसएमई पंजीकृत हैं  और प्रतिवर्ष 1.5 मिलियन से अधिक सम्पर्क एसएमई के साथ स्थापित किये जाते हैं। इन सभी विशेषज्ञता के साथ गेटइट गूगल को एसएमई की तेजी से बढ़ती संभावनाओं का लाभ प्रदान करने में मदद करेगा।

गेटइट इंफोसर्विसेज(प्रा.) लिमिटेड के विषय में
गेटइट इंफोसर्विसेज, भारत की अग्रणी डिजिटल मार्केटिंग कंपनी है जो स्थानीय सर्च, वर्गीकृत विज्ञापनों, माइक्रो कम्युनिटीज, डील्स इत्यादि के लिये एक मंच की पेशकश करती है। कंपनी भाारत के 100 से अधिक देशों में परिचालन करती है और विभिन्न श्रेणियों में एसएमई के लिये गुणवत्तायुक्त सूचनायें उपलब्ध कराती है। प्रतिमाह 5 मिलियन से भी अधिक उपभोक्ता विभिन्न सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं से जुड़ने, तथा उत्पादों व सेवाओं की बिक्री/खरीदी के लिये गेटइट की सेवाओं की लाभ उठाते हैं।
गेटइट भारत में स्थानीय सर्च के लिये अग्रणी मोबाइल ऐप्पस प्रदाता है, जिसके उपयोगकर्ताओं की संख्या 1.5 मिलियन से भी अधिक है। यूजर्स विभिन्न उपकरणों/मंचों पर इस ऐप्पस का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें आइओएस, ब्लैकबेरी, सिम्बियन, जावा, एंड्रायड और विंडोज फोन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इसकी एक 24ग्7 वाॅयस सर्विस भी है, उपभोक्ता किसी भी प्रकार की खरीदी/ बिक्री के लिये 44444444 पर काॅल कर सकते हैं।
गेटइट 25 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय एसएमई को सेवायें प्रदान कर रहा है और गुणवत्तायुक्त सूचनायें प्रदान कर तथा नये उपभोक्ता उपलब्ध कराकर उनके कारोबार के विकास में मदद कर रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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क्षमा वीरस्य भूषणम्- क्षमा वाणी पर विषेष

Posted on 29 September 2012 by admin

‘क्षमा’ जीवन का सहज सत्य
एक वास्तविकता है कि जहाॅं अन्य धर्मों के मनाते समय किसी न किसी इष्ट/ईष्वर की आराधना, धार्मिक उत्सवों में की जाती है संभवतः जैन धर्म का पर्युषण पर्व ही ऐसा दस दिवसीय धर्मोत्सव है जिसमें किसी भगवान की साधना नहीं,स्वर्ग की कामना नहीं, मानव में उत्तम मानव धर्म को जीवन में उतारने के लिये क्षमा,मार्दव,आर्जव,षौच, सत्य,संयम,तप,त्याग, आकिंचन्य,ब्रम्हचर्य, आदि आत्मा के दस लक्षणों/गुणों की साधना/आराधना की जाती है। कदाचित् इसीलिये इसे पर्व नहीं ,महापर्व कहा जाता है क्योंकि इसमें भोग नहीं लगाते, त्याग अपनाते हैं। क्षमा वाणी धर्म ,पर्युषण/ दषलक्षण पर्व, दस दिनों में दस ब्रतों की साधना के उपरान्त, समापन पर, दीर्घ काल से मनाये जाने की परमपरा है। विषेषतौर से श्रमण समाज या जैन समाज में ,क्षमापना अब एक पर्व का स्वरुप धारण कर चुका है। जैसे मुस्लिम समाज में रोजों़ के बाद ईद में परस्पर गले मिल कर मुबारकब़ाद देते हैं। या दषहरे के बाद रावण के निधन उपरान्त विजयपर्व मनाया जाता है ,या अंधेरे पर ज्योति की विजय उपरान्त दीवाली की षुभ कामनायें दी जातीं हैं।ऐसे ही दषलक्षण पर्व के समापन पर विकारों को जीत कर, परस्पर क्षमायाचना से मनोमालिन्य दूर कर यह मनाया  जाता है। कहते हैं इन दसलक्षण ब्रतों की साधनाओें के आत्म विजय से ही प्रत्येक जीवात्मा परम आत्मा बनने की ओर अग्रसर होती है। श्    दूसरे क्षमावाणी/दषलक्षण पर्व ठीक ठीक वैसे भी नहीं है कि उत्तम क्षमा कह दिया और हो गया। क्योंकि जहाॅं अन्य पर्वों में रुचिकर.पकवान ग्रहण कर मनाये जाते हैं,दषलक्षण पर्व–,उपवास/एकासन कर, पकवान के साथ कोई न कोई  व्यसन /कषाय भी, त्याग कर  मनाये जाते हैं। दरअसल क्षमावाणी, अंग्रेजी के ‘साॅरी’ या ‘एक्सक्यूज’ का अनुवाद भी नहीं है कि ‘दिल मिलें न मिलें हाथ मिलाते रहिये’-यह उत्तम क्षमा में नहीं चलता. यह अलग बात है कि स्वयं जैन समाज ने आज इस आत्म धर्म को इतना औपचारिक और बाजारु बना दिया है कि वे ही असलियत से बहुत दूर होते चले जा रहे हैं कि जिससे ‘वैज्ञानिक जन धर्म’को, उन्होंने जैनियों तक सीमित एक सम्प्रदाय बना दिया है। जन धर्म का प्रमाण यह है कि हिन्दुस्तान के हर प्रान्त के सुदूर अंचलों में प्राचीन जैन मंदिर हैं।भले वहाॅं अब जैन हों या नहीं। इतना ही नहीं पुरातत्वविद बताते हैं कि कहीं भी जमीन की खुदाई कीजिये एक न एक जैन मूर्ति अवष्य मिल जायेगी। हजारों साल पुराने जैन षास्त्र प्राचीन मंदिरों में धूल भले खा रहे हों पर प्रचुर मात्रा में षोधपरक जैन साहित्य यत्र तत्र सर्वत्र विद्यमान है जो यह दर्षाने के लिये पर्याप्त है कि विज्ञान की कसौटी पर आज भी खरा उतरने वाला जैनधर्म कभी इस देष में जन जन का धर्म अवष्य रहा होगा।वैदिक संस्कृति में वेद सबसे प्राचीन माने जाते हैं पर प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव का ़ऋग्वेद में ससम्मान उल्लेख मिलता है-देखें ऋचा /10/ 102/ 6 जो यह सि़द्ध करता है कि वेदों के पूर्व भी जैन तीर्थंकर रहे हैं।तभी न पं.जवाहर लाल नेहरु ने ‘डिस्कवरी आॅफ इण्डिया’में जैनधर्म को भारत के सबसे प्राचीन धर्माे में एक कहा है। डाॅ.राधाकष्णन ने अपनी पुस्तक ‘इण्डियन फिलास्फी’के पृष्ठ 287 पर लिखा है कि ईसा पूर्व प्रथम षताब्दी तक लोग तीर्थंकर ऋषभदेव की पूजन किया करते थे ,आदि.।कहने का आषय यह कि जैनधर्म ने ही इस महादेष में अहिंसा की नींव रखी और‘जियो और जीने दो’ का बहुमूल्य मंत्र दिया। अवतारबाद से हटकर कर्म से महान बनने का मार्ग प्रषस्त किया इत्यादि,तो दषलक्षणपर्व के बाद क्षमावाणी पर्व हम उसी गहरी पृष्ठभूमि में समझें कि क्षमावाणी मात्र षिष्टाचार नहीं अपितु आत्मा का मौलिक धर्म है जो तभी अंतस में गहराई से उतर सकता है जब किसी प्राणी ने धर्म के दष ब्रत-क्षमा,मार्दव,आर्जव, षौच,सत्य,संयम,तप, त्याग, अकिंचन,ब्रह्मचर्य का पालन किया हो, इतना ही नहीं वरन् अपनी आत्मा में इन्हें गहरे उतार लिया हो,तभी क्षमाब्रत को धारण करने की क्षमता आ सकती है,विषेषतौर से उत्तमक्षमा मनाने की। केवल रंगविरंगे कार्ड छपाकर अपना ऐष्वर्य दिखाते हुये क्षमा लिखने से नहीं, उत्सव मनाकर भी नहीं,औपचारिकता पूर्ण करने से नहीं ,मित्रों या रिष्तेदारों से क्षमा कहने से बाहरी क्षमा का प्रदर्षन भले हो जाये पर अंतरंग क्षमा का भाव तो नहीं आ सकता। इसीलिये हम देखते हैं कि क्षमा अपने दुष्मनों से माॅगने कोई नहीं जाता। उन अपनों से क्षमा माॅंगने का फिर भला क्या औचित्य जिनके प्रति कोई गल्ती कभी की ही नहीं?दरअसल यह वाणी तक सीमित रखने की चीज है भी नहीं वरन् कषाय रहित सरल हृदय की भावनाओं से ओतप्रोत एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसके बाद कोई न अपराधी रहता है न दुष्मन। यह मनुष्योंश्तक भी सीमित नहीं वरन् प्राणी मात्र का धर्म है-                        खम्ममि सव्व जीवाणामं, सव्वे जीवा खमन्तु मे ।                                       मित्ती में सव्वभूएसु ,वैरं मंज्झं ण केण वि ।
अर्थात् मैं सब जीवों को क्षमा करता हॅूं और सभी जीव मुझे क्षमा करें। जगत में सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्री भाव है और मेरा किसी से भी बैर भाव नहीं है।                    अब प्रायः कोई यह कहते नहीं देखा जाता कि मैं सभी को क्षमा करता हॅॅॅॅॅॅू। इसके कहने का आषय यह है कि अब कोई मेरा दुष्मन नहीं रहा। अगर यह गले उतर जाये तो फिर जिससे आपकी दुष्मनी है उसके घर जाकर विनयपूर्वक हाथ जोड़ कर क्षमा माॅंगने में किंचित भी संकोच नहीं रहेगा।क्या यह वीरता आप में वास्तव में है? तभी क्षमा वीरस्य भूषणम् सार्थक होगा। सच्ची वीरता पर को जीतने से नहीं अपने अन्तः को जीतने से आती है।            एक पौराणिक गाथा में मिलता है कि किसी संत ने अपने दुष्मन को उसके अपराध के लिये सौ बार क्षमा किया पर जब एक सौ एक वीं बार दुष्मन ने आक्रमण किया तो संत ने
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अपने दुष्मन का बध कर दिया। तब कथित संत ने कहा कि यदि 101वीं बार भी वह अपने दुष्मन को सह लेता तो यह उसकी कायरता होती क्योंकि क्षमा वीरस्य भूषणम्।….क्षमा तो वीर ही धारण करते हैं,कायर नहीं। क्या यह वीरता ,वीरता कही जायेगी ??….नहीं,क्योंकि यदि संत ने अंतस से क्षमा कर दिया होता तो 101वीं बार क्या, कितनी भी बार दुष्मन आक्रमण करता, संत उसे पलटकर मार ही नहीं सकता था।दरअसल क्षमा धर्म में बाहरी  दुष्मन मारने को वीरों का भूषण नही अंतरंग कषायों को मारना वीरों का भूषण कहा जाता है। क्रोध विभाव है और क्षमा आत्मा का सहज स्वभाव होता है।क्रोध का अभाव ही उत्तम क्षमा है।दषलक्षण पूजन में क्षमा/बैर के बारे में कहा गया है-
‘‘….गाली सुन मन खेद न आनौ,गुन कौ औगुन कहै बखानौ                        कहि है बखानौ वस्तु छीनें,  बाॅंध कर बहुविधि करै                              घर सें निकारै तन विदारै ,बैर जो न तहाॅं धरै ।….’’
अर्थात् आपको कोई गाली दे तो मन में खेद नहीं लाओ,तुम्हारे गुणों को वह अवगुण  बताये और तुम्हारा सर्वस्य भी छीन ले तो भी क्षमा करो। इतना ही नहीं वह तुम्हें बाॅंध कर बहुप्रकार पीड़ा भी पहुॅचाये। इससे भी आगे तुम्हारे अंग भंग करदे और उसके बाद तुम्हारे घर से भी तुम्हें निकाल दे तो भी तुम उसके प्रति क्षमा भाव बनाये रखो,मन में खेद नहीं उपजने दो तभी ‘बैर नहीं’ मानना हेागा और आप उत्तम क्षमा का धर्म धारण करने के अधिकारी होंगे।    एक और बात यह कि क्षमा धर्म व्यक्तिगत/निजी धर्म है,दो प्राणियों की सम्मिलित क्रिया नहीं।स्वाधीन क्रिया है। इसमें पर की स्वीकृति आवष्यक नहीं। अर्थात् आप कहें कि पहले सामने बाला क्षमा माॅंगे या मैं क्षमा माॅंगू तो क्या वह क्षमा कर देगा? दरअसल सामने बाला क्या करेगा वह वो जानें आपने क्षमा धर्म धारण कर लिया तो आप अपना काम करें। जमाने की चिंता नहीं। विकल्प को उत्तमक्षमा धर्म में कोई जगह नहीं है।                                  दूसरे ,व्यक्ति को क्षमावाणी पर स्वंय से भी क्षमा माॅंगना चाहिये। क्योंकि हम निरंतर अपनी आत्मा के साथ गल्तियाॅं करते हैं। आत्मा को दबा कर  कितने काम करते हैं।पीड़ा पहॅुचाते हैं इसलिये अब अपनी आत्मा के साथ अन्याय नहीं करेंगे-ऐसे समता भाव भी अपने मन में लाना चाहिये।‘अज्ञेय’ ने एक कविता में कहा है- साॅप तुम वस्ती में रहे नहीं, गाॅंवों में बसे नहीं, एक बात पूॅछूॅ इतना जहर कहाॅं से आया? मतलब आदमी में स्थित जहर यानी विकार ज्यादा घातक होता है जिसका निदान आवष्यक है जो आत्म आकलन के बाद आत्म तप से ही संभव है।                                        यह भी कि जिन गल्तियों के लिये क्षमा माॅंगी है उनकी पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिये अन्यथा यह‘गज-स्नान’जैसा होगा कि तालाब में डूब कर नहाये और बाहर निकलकर सूॅड से सड़क पर एक फूॅक मारी और फिर धूल धूसरित।                                        इस पर्व पर प्रकृति से भी हमें क्षमा माॅंगना चाहिये जिसके प्रति हम अपने विकारों से प्रदूषण फैलाते हैं जिससे संतुलन बिगड़ रहा है।पेड़-पौधों को तोड़ना ,जैनधर्म में आदि से ही हिंसा माना गया है। वैज्ञानिक जगदीष चंद बसु ने तो बहुत बाद में वनस्पति में प्राणों की उपस्थिति बताई। जैन धर्म तो आदि से, वनस्पति में जीव की उपस्थिति मानता आ रहा है।पानी का अपव्यय नहीं करें,संचित करें। अतः सम्पूर्ण
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प्राकृतिक पर्यावरण  के प्रति मनुष्य को उत्तरदायी होना चाहिये-    दषकूपसमो वापी,कषवापिसमो हृदः।                                       दषहृदसमो पुत्रः,दषपुत्रसमो द्रुमः ।।             जैन साहित्य में अनेकों ऐसे उदाहरण हैं जब उत्तमक्षमा के जीवंत दर्षन हुये है। यथा पाष्र्वनाथ पर कमठ का उपसर्ग व धरणेन्द्र द्वारा उपसर्ग निवारण।   कभी राजा श्रेणिक ने एक तपस्यारत जैन मुनि के गले में मरा हुआ साॅंप उनको परेषान या परीक्षा के लिये डाल दिया था,उनकी रानी चेलना ने जब सुना तो दुःखी होकर मुनि सेवा में गईं और साॅंप को गले से बाहर निकाला। मुनिवर ने ध्यान स,ेजब आॅंखें खेालीं तो रानी चेलना व राजा श्रेणिक को समान भाव से आषीर्वाद दिया। मुनिवर के मन में राजा के प्रति कोई क्षोभ नहीं था।ं यह है उत्तम क्षमा।                                     आधुनिक युग में महात्मा गाॅंधी ने ऐसी ही अहिंसा और क्षमा का उदाहरण राजनीति में प्रस्तुत किया। यह केवल गाॅंधी ही कह सकते थे कि कोई तुम्हारे बाॅंयें गाल पर चाॅंटा मारे तो दाॅंया गाल भी उसके सामने कर दो। इसीलिये षायद दुनिया में एक मात्र उदाहरण है कि दक्षिण अफ्रीका ने 105 वर्ष बाद 1999 में वहाॅं की वैधानिक संस्था ने मोहनदास करम चंद गाॅंधी से अपनी तत्कालीन गल्तियों के लिये भारत से क्षमा माॅंगी थी।                                                आग कभी आग से नहीं बुझती।खून के दाग खून से साफ नहीं होते।नफरत से नहीं प्रेम से षाॅति आ सकती है।दुनिया को यदि वास्तव में रहने लायक बनाना है तो उत्तम क्षमा का धर्म ही मानवता के लिये एक मात्र विकल्प  है।

कैलाष मड़बैया, 75 चित्रगुप्त नगर,कोटरा, भोपाल 462003 ,मोबा. 09826015643

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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