भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार पर जन सरोकारों के प्रति गैर जवाबदेह होने का आरोप लगाया। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र तिवारी ने आज प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए सपा सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की मशीनरी उच्च न्यायालय के फटकार के बाद ही गतिशील होती है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा क्या है कि सरकार उच्च न्यायालय की फटकार के बाद जागती है ? उन्होंने कहा कि प्रदीप शुक्ला की ज्वाइनिंग का मसला रहा है, एन.एच.आर.एम. आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही की स्वीकृति का मसला हो, गुटखे पर प्रतिबंध का मसला हो, सरकार हाईकोर्ट की फटकार के बाद ही कार्यवाही को मजबूर हुई। ग्रेटर नोएडा में राकेश बहादुर व संजीव सरन की नियुक्ति का मसला तथा लोकायुक्त के कार्यकाल बढ़ाने जाने को लेकर सरकार से सवाल किए। अब हाईकोर्ट ने लड़कियों की छेड़खानी को लेकर जो सवाल खड़ा किया है वह अत्यंत शर्मनाक है।
श्री तिवारी ने कहा कि लड़कियों /महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाओं को लेकर उच्च न्यायालय की टिप्पणी कि ”हालात इतने बिगड़ चुके है कि लड़कियों व महिलाएं कही भी सुरक्षित नहीं ” लड़कियां घर से निकलने में डरने लगी है। सरकार के कानून व्यवस्था पर करारा तमाचा है। श्री तिवारी ने कहा कि यह बेहद आश्चर्य की बात है कि राजधानी लखनऊ में विगत एक माह में आधा दर्जन से अधिक लड़कियो/ महिलाओं के साथ छेड़खानी की दुःसाहसिक घटनाएं घटित हो चुकी है परन्तु प्रभावी कार्यवाही के अभाव मे अपराध की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। श्री तिवारी ने कहा कि यदि अपराधी सपा बि गे्रड का सदस्य है तो कई बार प्रशासन उन्ही अपराधियों के बचाव में लग जाती है लखनऊ व कानपुर मे युवा नेताओं को प्रशासन द्वारा बचाना इसका स्पष्ट प्रमाण है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के लिए इससे अधिक बेशर्मी की कोई बात नही हो सकती।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि वास्तविकता यह है कि प्रदेश सरकार केवल लोकलुभावन कार्यो की तरफ केन्द्रित है व मुस्लिम वोटों के तुष्टीकरण को लेकर ही चिन्तित है। सरकार का रवैय्या आम आदमी की रक्षा-सुरक्षा देने में पूरी तरह फेल है तथा प्रदेश की कानून व्यवस्था व शान्ति व्यवस्था सरकार की प्राथमिकता नही है जो चिन्ता का विषय है। प्रदेश मे हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, राहजनी तथा लड़कियों/महिलाओं के साथ अपराध में लगातार वृद्धि के कारण प्रदेश की जनता भयग्रस्त है। सम्प्रदायिकता के खिलाफ होने का स्वांग भरने वाली वर्तमान सरकार के 6 माह के कार्यकाल में 6 दंगे हुए तथा गाजियाबाद, लखनऊ व इलाहाबाद की घटनाओं के सामनें प्रदेश सरकार व स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक रहे यह घटनाएं इस बात की प्रमाण है कि सरकार ने अतिवादी उन्मादी तथा हिंसा में विश्वास रखने वाली ताकतों के सामने घुटने टेक दिए हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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