और इसी आधार पर प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्गों की कुछ जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में, इनका भी आरक्षण का कोटा बढ़ाये जाने व इनकी आबादी के हिसाब से, इनका अलग से कोटा निर्धारित करने की शर्त के साथ शामिल किये जाने तथा देश में अनुसूचित जाति/जनजाति की आरक्षण सम्बन्धी सभी समस्याओं का निराकरण करने
व अपरकास्ट समाज में से गरीब लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने के सम्बन्ध में माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी द्वारा, केन्द्र सरकार को पुनः चिट्ठी लिखी गयी
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी ने केन्द्र सरकार से देश में मुस्लिम व जाट समाज को अन्य पिछड़े वर्गों की केन्द्रीय सूची में, इनका आरक्षण का कोटा बढ़ाये जाने व इनकी आबादी के हिसाब से, इनका अलग से कोटा निर्धारित करने की शर्त के साथ सभी मामलों में आरक्षण दिये जाने और इसी आधार पर प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्गों की कुछ जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में, इनका भी आरक्षण का कोटा बढ़ाये जाने व इनकी आबादी के हिसाब से, इनका अलग से कोटा निर्धारित करने की शर्त के साथ शामिल किये जाने की मांग की है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने देश में अनुसूचित जाति/जनजाति की आरक्षण सम्बन्धी सभी समस्याओं का निराकरण करने व अपरकास्ट समाज में से गरीब लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने की भी मांग की है। इस सम्बन्ध में मा0 प्रधानमंत्री डाॅ0 मनमोहन सिंह को आज पुनः लिखे गये अपने पत्र में उन्होंने कहा कि देश के व्यापक हित में इन सभी मामलों की गंभीरता के मद्देनज़र तत्काल इन मुद्दों पर समुचित कार्यवाही किया जाना आवश्यक है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने 14 सितम्बर 2011 को लिखे अपने पत्र के माध्यम से देश में अल्पसंख्यकों, विशेषतः मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिये आरक्षण सहित सार्थक प्रयास प्राथमिकता के आधार पर करने एवं 15 सितम्बर 2011 के दो पत्रों द्वारा उŸार प्रदेश की जाट जाति/समुदाय को अन्य पिछड़े वर्गों की “केन्द्रीय सूची” में शामिल करने, सवर्ण जातियों के ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे नागरिकों को भी आरक्षण लाभ दिये जाने के साथ-साथ अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लोगों के केन्द्र सरकार की नौकरी में बैकलाॅग भरने व निजी क्षेत्र एवं माननीय न्यायपालिका आदि में आरक्षण दिये जाने का अनुरोध किया था।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह सभी मामले अति संवेदनशील व राष्ट्रीय महŸव के हैं, इसी कारण उन्हें इन मामलों को काफी स्पष्ट करते हुये फिर से पत्र लिखने की आवश्यकता महसूस हुयी है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर मुस्लिम समुदाय के उत्थान के सम्बन्ध में अपनी सरकार की प्रतिबद्धताओं के दृष्टिगत् मा0 प्रधानमंत्री जी का ध्यान आकृष्ट करते हुए लिखा है कि अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान हेतु आरक्षण सहित सार्थक क़दम उठाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिये सच्चर कमेटी द्वारा गहन विचार के पश्चात् अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिये कई सुझाव दिये गये, जिनमें मुख्यतः शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा देना, आर्थिक कार्यकलापों और रोज़गार में समुचित हिस्सेदारी, अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के जीवन स्तर की दशा में सुधार करना तथा साम्प्रदायिकता एवं हिंसा पर नियंत्रण एवं रोकथाम करना शामिल है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय संविधान में सभी धर्मों के लोगों के लिये जीवन में आगे बढ़ने हेतु अवसरों की नींव रखी गयी है। लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यक, विशेषतः मुस्लिम समुदाय, जिन की आबादी बहुत अधिक है, देश के स्वतंत्र होने के 64 वर्षों के दीर्घ अन्तराल के बाद भी अभी तक पिछड़ा हुआ है, जिसका उल्लेख सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी किया गया है। उनका मानना है कि अल्पसंख्यकों, विशेषतः मुस्लिम समुदाय की स्थिति में यदि परिवर्तन लाना है तो उन्हें शिक्षा, सेवायोजन तथा जीवन के अन्य सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिये अवसरों में वृद्धि सुलभ कराये जाने की नितान्त आवश्यकता है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि ‘‘इस दृष्टि से देश में अन्य पिछड़े वर्गों की केन्द्रीय सूची में, इनका आरक्षण कोटा बढ़ाये जाने व इनकी आबादी के हिसाब से, इनका अलग से कोटा निर्धारित करने की शर्त के साथ, मुस्लिम समाज को सभी मामलों में आरक्षण दिये जाने के लिए, भारतीय संविधान में संशोधन करके अपेक्षित प्राविधान करने पर विचार किया जाये, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार पूर्ण सहयोग देने के लिये प्रतिबद्ध है।‘‘
इसी तरह माननीया मुख्यमंत्री जी ने जाट समुदाय को केन्द्र सरकार की पिछड़ा वर्ग की सूची व अन्य पिछड़े वर्गों की अनेकों जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के सम्बंध में मा0 प्रधानमंत्री जी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए लिखा है कि जाट जाति के व्यक्ति मुख्यतः कृषि एवं कृषि सम्बन्धी अन्य कार्यों से जीविकोपार्जन करते हैं। प्रत्येक परिवार हेतु कृषि योग्य भूमि के कम हो जाने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर है। इसके अतिरिक्त जाट जाति के व्यक्ति शैक्षणिक रूप से भी पिछड़े हुये हैं। स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में बालिकायें, बालकों की अपेक्षा अधिक पिछड़ी हुयी हैं। इस समुदाय का प्रतिनिधित्व केन्द्रीय सेवाओं में पर्याप्त नहीं है। उŸार प्रदेश में भी जाट जाति सामाजिक एवं शैक्षिणिक रूप से पिछड़ी हुयी है। इसे दृष्टिगत् रखते हुये प्रदेश सरकार की अधिसूचना 10 मार्च, 2000 द्वारा प्रदेश के अन्य पिछड़े वर्गों की सूची में “जाट” जाति को सम्मिलित किया गया है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अन्य पिछड़े वर्ग की केन्द्रीय सूची में राजस्थान राज्य की सूची में जाट जाति को (धौलपुर एवं भरतपुर ज़िलों को छोड़कर) अधिसूचना दिनांक 27 अक्तूबर, 1999 द्वारा सम्मिलित किये जाने का उल्लेख करते हुए लिखा है कि राजस्थान उŸार प्रदेश से सटा हुआ राज्य है और राजस्थान के जाट जाति के लोगों और उŸार प्रदेश की जाट जाति के व्यक्तियों की सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति लगभग एक जैसी ही है। इस आधार पर उŸार प्रदेश की जाट जाति को केन्द्र सरकार की अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित किये जाने का पर्याप्त आधार है। उनका दृढ़ अभिमत है कि जाट समुदाय की स्थिति में यदि परिवर्तन लाना है तो जाट समुदाय को शिक्षा, सेवायोजन तथा जीवन के अन्य सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिये अवसरों में वृद्धि सुलभ कराये जाने की नितान्त आवश्यकता है, जिस पर प्रदेश सरकार पूर्ण सहयोग के लिये प्रतिबद्ध है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने इस अति महŸवपूर्ण विषय पर उŸार प्रदेश की जाट जाति/समुदाय को अन्य पिछड़े वर्गों की केन्द्रीय सूची में, इनका आरक्षण का कोटा बढ़ाये जाने व इनकी आबादी के हिसाब से, इनका अलग से कोटा निर्धारित करने की शर्त के साथ सम्मिलित कराने का अनुरोध किया है।
माननीया सुश्री मायावती जी ने उŸार प्रदेश में निवास करने वाली अन्य पिछड़े वर्गों की अनेकों जातियों जिनमें, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, बिन्द, कहार, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोंड, माझी, मछुआ, लोनिया, नोनिया, लोनिया-चैहान, पाल, बघेल व धनकर जातियों का अनुसूचित जाति की सूची में, इनका आरक्षण का कोटा बढ़ाये जाने व इनकी आबादी के हिसाब से, इनका अलग से कोटा निर्धारित करने की शर्त के साथ शामिल किये जाने के लिये भी अनुरोध किया है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने सवर्ण जातियों के ग़रीबों को भी आरक्षण का लाभ दिये जाने की मांग करते हुए मा0 प्रधानमंत्री जी को स्मरण कराया कि अपनी सरकार के गठन के बाद जुलाई, 2007 के दूसरे पखवारे में, उन्होंने मा0 प्रधानमंत्री जी से भेंट की थी। इस भेंट के दौरान उन्होंने प्रदेश के सर्वांगीण विकास, विशेषतः पूर्वांचल, बुन्देलखण्ड क्षेत्रों के पिछड़ेपन को दूर करने हेतु वहाँ अवस्थापना सुविधाओं की कमी को पूरा कराने, प्रदेश में कृषि तथा उससे सम्बंधित रोज़गार सृजन और इस क्षेत्र में 5 प्रतिशत् की विकास दर की प्राप्ति के लिये सरकार के प्रयासों को गति प्रदान करने के लक्ष्य को हासिल करने हेतु विशेष पैकेज की माँग की थी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस भेंट के दौरान उन्होंने यह भी निवेदन किया था कि प्रदेश के अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, धार्मिक अल्पसंख्यक तथा सवर्ण समाज में ग़रीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे नागरिकों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को सार्थक बनाने हेतु भारत सरकार से आर्थिक सहयोग अपेक्षित है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने यह भी माँग की थी कि भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग के लिये बनाई गयी आरक्षण नीति के अन्तर्गत् पूरे देश में आरक्षण का कोटा शीघ्र पूरा कराये जाने, देश में कमज़ोर वर्गों के लिये सरकारी क्षेत्रों के साथ-साथ निजी व माननीय न्यायपालिका तथा अन्य क्षेत्रों में भी आरक्षण लागू किये जाने तथा आरक्षण नीति को अब तक अछूते रह गये क्षेत्रों में भी प्राथमिकता से लागू कराया जाये।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने पूरे देश में उच्च वर्गों अर्थात् सवर्ण जातियों के ग़रीब लोगों, को आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ दिये जाने के उद्देश्य से संविधान में संशोधन करते हुये आरक्षण नीति को नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया था। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने पुनः आग्रह किया कि इस महŸवपूर्ण विषय पर सम्यक विचार करके “सवर्ण जातियों के ग़रीबी लोगों को भी आरक्षण नीति से आच्छादित करने हेतु शीघ्र गम्भीर प्रयास की पहल की जानी चाहिए।
अपने पत्र में माननीया मुख्यमंत्री जी ने अनुसूचित जाति/जनजाति वर्गों के लोगों को निजी क्षेत्र व माननीय न्यायपालिका आदि में भी आरक्षण दिये जाने की मांग करते हुए कहा कि देश में माननीय न्यायपालिका, मंत्रिपरिषद्, राज्य सभा, विधान परिषद् व प्राइवेट सेक्टर आदि क्षेत्रों में अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्गों के लोगों को आरक्षण दिये जाने के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में उनके बैकलाग कोटा को भर्ती के माध्यम से पूरा करने तथा इनकी बढ़ी हुई आबादी के हिसाब से इनका आरक्षण कोटा बढ़ाने के सम्बंध में भी उन्होंने मा0 प्रधानमंत्री जी को कई बार पत्र लिखे हैं। इसके अलावा, अनुसूचित जाति/जनजाति वर्गों के जो लोग धर्म परिवर्तन करके ईसाई अथवा मुस्लिम बन गये हैं, उन्हें भी अनुसूचित जाति/जनजाति की सूची में शामिल करने की भी माँग उन्होंने केन्द्र सरकार से लगातार की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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