शासकीय योजनाओं के कार्यान्वयन में घोटालों की परत दर परत खुलना शुरु हो गई है। मनरेगा के बाद अब शौचालय निर्माण में लाखों रुपये के गबन का मामला सामने आया है। प्रभारी डीएम मुरली मनोहर लाल ने इस मामले में लिप्त दो सेक्रेटरियों को निलंबित करने के साथ ही पूर्व प्रधानों को भी नोटिस भेजकर रिकवरी के आदेश दिए हैं। उन्होंने 15 दिन के अन्दर गबन की रकम जमा नहीं होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वसूली के आदेश दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार खुटार ब्लाक के गांव कहमरिया निवासी जमीलुद्दीन, तबुद्दीन, सुबाउद्दीन, शबीब, सलीमुल्ला आदि ने 16 मार्च 2011 में डीएम नवदीप रिणवा को पत्र भेजकर वित्तीय वर्ष 2010-11 में गांव में स्वच्छता अभियान के तहत एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराए जाने का आरोप लगाया था। श्री रिणवा के निर्देश पर डीपीआरओ ने इसकी जांच एडीओ पंचायत राजवीर सिंह को सौंपी थी। जांच के दौरान शिकायतें सही पाई गई। श्री सिंह ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गांव में 50 बीपीएल व पांच एपीएल शौचालयों में से एक का भी निर्माण नहीं कराया गया था और न ही लाभार्थियों के खातों में कोई पैसा भेजा गया। इस मामले में डीपीआरओ ने पूर्व प्रधान मेराजुद्दीन व सेक्रेटरी हर्षवर्धन श्रीवास्तव के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। इसी तरह के एक अन्य मामले में पुवायां के बड़ागांव में 75 बीपीएल व आठ एपीएल शौचालय निर्माण न होने की शिकायत पर संपूर्ण स्वच्छता अभियान की जिला परियोजना समन्वयक बीना श्रीवास्तव ने जांच की। इस दौरान सेक्रेटरी महेश कांत पांडेय ने गांव में 53 शौचालय बने होने तथा 30 पर काम कराने की बात कही थी लेकिन सत्यापन में एक भी शौचालय बना नहीं मिला। इतना ही नहीं उन्होंने एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। इस पर श्रीमती श्रीवास्तव ने उन्हें व पूर्व प्रधान सविता शुक्ला को शौचालय निर्माण के लिए मिली धनराशि 177000 के गबन का दोषी मानते हुए कार्रवाई की संस्तुति की। डीपीआरओ अभय कुमार शाही की रिपोर्ट पर प्रभारी डीएम मुरली मनोहर लाल ने दोनों सेक्रेटरी को निलंबित करने के साथ ही उनको व पूर्व प्रधानों को सरकारी धन के गबन का दोषी मानते हुए आधी-आधी रकम के जमा करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने 15 दिन के भीतर पैसा जमा नहीं होने की स्थिति में वसूली प्रक्रिया अमल में लाने को कहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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