Archive | May, 2011

हाईटेक होगी विधानसभा मतदाता सूची

Posted on 13 May 2011 by admin

भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा की मतदाता सूची को निर्वाचन नामावली सूची में मोबाइल टेक्नोलाॅजी का प्रयोग के विस्तृत स्वरूप को प्रदान करने की योजना बनाई है। जिससे मतदाताओं द्वारा प्रारूपों में मोबाइल नंबर लिखवाये जा रहे है। अधिकारी द्वारा निर्देश दिया जा रहा है। समय समय पर इनका प्रयोग करके निर्वाचित सदस्यों को सत्यापन करे। निर्वाचन कार्यालय का प्रारूप 6 का प्रयोग नाम बढ़ानें में प्रारूप 7 का प्रयोग नाम काटने में तथा प्रारूप 8 का प्रयोग किसी भी संशोधन को प्रयोग करने के लिए इस्तेमाल होगा। एक पत्र के द्वारा आयोग ने यही भी कहा कि सभी मतदाताओं द्वारा मोबाइल नंबरों की मांग भी रखी जाए। जो संभवतः बीएलओ को देने है। निर्वाचन अधिकारी गयाप्रसाद मिश्र ने बताया कि पुराने मतदाता जिनकी संख्या 21 लाख तक है कैसे इतनी जल्दी में प्राप्त हो सकेगे। यह एक चुनौती हैं परंतु उन मतदाताओं को जिनकों बीएलओं ने निर्देशित किया है आने वाले समय में निर्वाचन संबंधी जानकारी एसएमएस में दे दिया जाता है पुरानें मे यह संभव नही हो पा रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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माओवादियों की दस्तक

Posted on 13 May 2011 by admin

सोनभद्र एवं चंदौसी के बाद अब माओवादी कौशांबी, फतेहपुर, चित्रकूट एवं महोबा आदि जनपदों में भी दस्तक देने लगे हैं. चित्रकूट में जल, जंगल और ज़मीन पर दबंगों के क़ब्ज़े के कारण हालात गंभीर हो गए हैं. सरकार की भूमिका बड़े जमीदारों जैसी हो गई है. Read More>>

सुरेंद्र अग्निहोत्री

सुरेंद्र अग्निहोत्री

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बी0जे0पी0 नेताओं द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ की गई बयानबाजी निराधार एवं असत्य

Posted on 12 May 2011 by admin

  • प्रदेश में हाशिये पर खिसकती बी0जे0पी0 घटिया राजनीति पर उतारू
  • बी0एस0पी0 सरकार पर झूठे आरोप लगाने से पहले बी0जे0पी0 को अपने शासित राज्यों व एन0डी0ए0 सरकार के भ्रष्टाचार को भी देख लेना चाहिए
  • दलित विरोधी जातिवादी मानसिकता में जकड़े बी0जे0पी0 नेताओं को राज्य में दलित मुख्यमंत्री का नेतृत्व सहन नहीं
  • प्रदेश सरकार अपने सभी फैसले पूरी पारदर्शिता के साथ नियमानुसार करती है
  • जनप्रिय माननीया मुख्यमंत्री जी की कार्यशैली के संबंध में बी0जे0पी0 नेताओं की टिप्पणी राज्य की जनता का अपमान

बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा बी0एस0पी0 सरकार के खिलाफ की गई बयानबाजी को निराधार एवं असत्य बताया है। उन्होंने बी0एस0पी0 सरकार के खिलाफ लगाये गये सभी आरोपों को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर खिसकती बी0जे0पी0 अब घटिया राजनीति पर उतारू हो गई है। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार पर झूठे बेबुनियाद व अनर्गल आरोप लगाने से पहले इन नेताओं को बी0जे0पी0 शासित राज्यों व बी0जे0पी0 नेतृत्व वाली केन्द्र की तत्कालीन एन0डी0ए0 सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार को भी देख लेना चाहिए। उन्होंने श्री राजनाथ सिंह द्वारा की जा रही भूख हड़ताल को महज राजनीतिक नौटंकी बताते हुए इसे बी0जे0पी0 नेताओं की आपसी वर्चस्व की लड़ाई बताया है।

प्रवक्ता ने कहा कि दलित विरोधी जातिवादी मानसिकता में जकड़े बी0जे0पी0 नेताओं को देश के सबसे बड़े व राजनैतिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में दलित मुख्यमंत्री का नेतृत्व सहन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार पर उंगली उठाने से पहले बी0जे0पी0 के नेताओं को आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबी कर्नाटक सहित अपनी अन्य राज्य सरकारों को सुधरने की सलाह देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बी0जे0पी0 शासित कर्नाटक के मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री एवं इन सरकारों के कई मंत्री भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जद में हैं। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार को कानून व्यवस्था की नसीहत देने से पहले बी0जे0पी0 नेताओं को अपनी पार्टी द्वारा शासित गुजरात सरकार के कारनामों को जरूर याद कर लेना चाहिए, जिसपर कई फर्जी मुठभेड़ के आरोप हैं और इन फर्जी मुठभेड़ों की जांच मा0 न्यायालयों द्वारा करायी जा रही है।

प्रवक्ता ने कहा कि माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की बी0एस0पी0 सरकार कानून द्वारा कानून के राज में विश्वास करती हैै। इसलिए कानून व्यवस्था के मामलें में किसी के साथ पक्ष-पात करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। उन्हांेने कहा कि बी0एस0पी0 ही देश की इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसने कानून व्यवस्था के मामलें में अपने मंत्रियों, सांसद, विधायक एवं पार्टी पदाधिकारियों तक को नहीं बख्शा।

पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार पर भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाने से पहले बी0जे0पी0 नेताओं को राज्य सरकार की कार्यप्रणाली की जानकारी अवश्य कर लेनी चाहिए थी। प्रदेश सरकार अपने सभी फैसले पूरी पारदार्शिता के साथ नियमानुसार करती है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर दोषियों के विरूद्ध न केवल तत्काल कार्यवाही की जाती है बल्कि आवश्यकतानुसार उन्हें जेल भेजने से भी परहेज नहीं किया जाता है।

बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ऊल-जलूल बयानबाजी करने वाली बी0जे0पी0 का हमेशा से ही भ्रष्टाचार के साथ गहरा जुड़ाव रहा है। आज भी सत्ता के लालच में बी0जे0पी0 के नेता हर तरह का समझौता करने को तत्पर है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर बी0जे0पी0 के इतने प्रसंग हैं जिन पर कई किताबे लिखी जा सकती हंै। उन्होंने कहा कि बी0जे0पी0 के एक राष्ट्रीय अध्यक्ष को रूपये लेते टी0वी0 कैमरे पर पकड़े जाने का प्रसंग देश के लोग आज भी नहीं भूले हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि किसानों का शुभचिंतक बनने का झूठा दावा करने वाली बी0जे0पी0 भूमि अधिग्रहण तथा मुआवजें को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए नया केन्द्रीय कानून न बनाये जाने के लिए बी0जे0पी0 भी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि अगर इस पार्टी के नेताओं को किसानों की वाकई चिंता होती तो बी0जे0पी0 के नेतृत्व वाली केन्द्र की तत्कालीन एन0डी0ए0 सरकार अपने छह वर्ष के कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण कानून में परिवर्तन करने के लिए कोई सार्थक पहल अवश्य करती।

प्रवक्ता ने कहा कि बी0जे0पी0 नेताओं द्वारा उत्तर प्रदेश की जनप्रिय माननीया मुख्यमंत्री जी की कार्यशैली के संबंध में की गयी टिप्पणी राज्य की जनता का अपमान है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन करने का दावा करने वाली इस विपक्षी पार्टी के नेताओं को मालूम होना चाहिए कि विगत विधान सभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने माननीया मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बी0एस0पी0 की नीतियों व कार्यक्रमों से प्रभावित होकर बी0एस0पी0 को पूर्ण बहुमत प्रदान किया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में बी0एस0पी0 के बढ़ते हुए जनाधार की बदौलत बहुजन समाज पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उन्होंने किसानों और भू-स्वामियों से अपील की है कि वे विपक्षी दलों के नेताओं की अनर्गल बयानबाजी एवं भड़काऊ प्रयासों के झांसे में न आयें क्योंकि राज्य की बी0एस0पी0 सरकार उनके हितों को लेकर संवेदनशील है।लखनऊ 12 मई 2011 भट्टा पारसौल के किसानों की यमुना एक्सपे्रस वे में अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे की मांग एवं भ्रष्टाचार, ध्वस्त कानून व्यवस्था के खिलाफ गाजियाबाद में शांतिपूर्वक धरना दे रहे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी, प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, राष्ट्रीय मंत्री अशोक प्रधान, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा0 रमापति राम त्रिपाठी, महामंत्री संगठन राकेश जैन, प्रदेश महामंत्री विन्ध्यवासिनी कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष महेन्द्र सिंह, किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश धनक्कड़, क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्यप्रकाश अग्रवाल, लज्जा रानी गर्ग, कमलावती सिंह, चन्द्रकान्ता, सरिता चैहान, कुसुम शर्मा, अनीता शर्मा सहित हजारो कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की भाजपा नेताओं ने निन्दा की है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र पाण्डेय, विनोद पाण्डेय, नरेन्द्र सिह, प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक, राजेन्द्र तिवारी, मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित, सह प्रभारी चै0 लक्ष्मण सिंह, किसान  मोर्चा के प्रदेश महामंत्री दिनेश दुबे ने भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी की निन्दा करते हुए इसे बसपा सरकार की तानाशाही बताया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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श्री दिग्विजय सिंह द्वारा बी0एस0पी0 सरकार पर लगाये गये आरोप झूठ का पुलिन्दा और तथ्यहीन

Posted on 12 May 2011 by admin

  • प्रदेश में कांगे्रस अपना आधार पूरी तरह से खो चुकी है और इसी की भड़ास वह लगातार निकल रही है
  • प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार में गुण्डों, माफियाओं एवं असामाजिक तत्वों का राज था, तब श्री सिंह ने उनके खिलाफ न तो कोई बयान दिया और न ही कोई धरना-प्रदर्शन किया
  • गे्रटर नोएडा में अधिग्रहण से सम्बन्धित कोई विवाद नहीं

बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता ने कांग्रेस के नेता श्री दिग्विजय सिंह द्वारा आज दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेन्स में राज्य सरकार पर लगाये गये आरोपों को झूठ का पुलिन्दा और तथ्यहीन बताया है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे विधान सभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, कांगे्रस पार्टी के नेतागण सुर्खियां बटोरने के लिए इधर-उधर अनाप-शनाप बयानबाजी करते घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि श्री सिंह के पास कोई कार्य नहीं है, इसलिए यह आये दिन प्रेस कांफे्रन्स करके मीडिया को ऊल-जलूल बातें बताते रहते हैं, जिसका कोई मतलब नहीं निकलता है।

प्रवक्ता ने कहा कि श्री सिंह का यह आरोप कि प्रदेश में बर्बरता का राज है, सरासर गलत है। प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार में गुण्डों, माफियाओं एवं असामाजिक तत्वों का राज था, तब श्री सिंह ने उनके खिलाफ न तो कोई बयान दिया और न ही कोई धरना-प्रदर्शन किया। प्रवक्ता ने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा प्रदेश में कराये जा रहे विकास कार्य कांगे्रस के नेताओं को अच्छे नहीं लग रहे हैं, इसीलिए वे ऐसे अनर्गल बयान दे रहे हैं।

बी0एस0पी0 प्रवक्ता ने श्री सिंह द्वारा न्यायिक जांच की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ग्रेटर नोएडा में भूमि का अधिग्रहण किसानों की सहमति के साथ करार नियमावली के अन्तर्गत शान्तिपूर्ण ढंग से किया गया था और किसानों को उनका पूरा मुआवजा भी दे दिया गया था, जो उन्होंने ले भी लिया था। उन्होंने कहा कि गे्रटर नोएडा की घटना वास्तव में अधिग्रहण से सम्बन्धित नहीं है, वरन कांग्रेस जैसी राजनैतिक पार्टियों द्वारा रचे गये कुचक्र का परिणाम थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने भोले-भाले किसानों को बरगला कर और अवांछनीय तत्वों को शह देकर इस घटना को अंजाम दिया। चंूकि यहां पर स्थिति पूरी तरह से शान्तिपूर्ण है और अधिग्रहण की प्रक्रिया पहले ही पूर्ण हो चुकी थी, ऐसे में अब किसी प्रकार की न्यायिक जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि असामाजिक एवं आपराधिक तत्वों द्वारा कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने का जो गन्दा प्रयास किया गया था, उसको प्रदेश की पुलिस ने शान्तिपूर्वक ढंग से निपटा दिया।

प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस नेता द्वारा फसलों को जलाये जाने से सम्बन्धित बयान शरारतपूर्ण है, क्योंकि खेतों में आग आपराधिक तत्वों द्वारा माहौल को बिगाड़ने के लिए लगायी गयी थी। परन्तु पुलिस ने इस स्थिति पर तत्परता से काबू पा लिया। उन्होंने कहा कि जहां तक राख के ढेर से हड्डियां मिलने का प्रश्न है तो श्री सिंह सनसनी फैलाने के लिए ऐसे बयान अक्सर देते रहते हैं, ताकि उनको मीडिया में जगह मिल सके।

प्रवक्ता ने कहा कि मारे गये पुलिस कर्मियों के परिवारों को पांच-पांच लाख रूपये की सहायता दिये जाने का जहां तक प्रश्न है, तो यह पुलिस कर्मी ड्यूटी पर थे और शान्ति व्यवस्था बनाये रखने का प्रयास कर रहे थे और इसी प्रयास में उनकी जान गयी। ऐसे में उनके आश्रितों को यह सहायता सरकार द्वारा प्रदान की गयी। प्रवक्ता ने कहा कि बी0एस0पी0 सरकार को इस बात का दुःख है कि इस घटना में कुछ लोग मारे गये।

प्रवक्ता ने कहा कि श्री सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री जी के संबंध में की गयी टिप्पणी माननीया मुख्यमंत्री जी के करोड़ों समर्थकों व अनुयायियों का अपमान है। उन्होंने कहा कि श्री सिंह को यह जानकारी होनी चाहिए कि पिछले विधान सभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने माननीया मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बी0एस0पी0 की नीतियों व कार्यक्रमों से प्रभावित होकर बी0एस0पी0 को पूर्ण बहुमत प्रदान किया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में बी0एस0पी0 के बढ़ते हुए जनाधार की बदौलत बहुजन समाज पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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करिश्माई माया

Posted on 12 May 2011 by admin

वह किसी परीकथा की जादुई छड़ी घुमाने वाली नायिका तो नहीं पर उससे भी ज्यादा करिश्माई है…वह किसी पौराणिक कथा की अलौकिक शक्तियों वाली देवी तो नहीं, पर उससे ज्यादा चमात्कारिक है….वह मायावी भी नहीं हाँ माया जरूर है, पर ईश्वर की माया नहीं….वह जीती जागती हाड़मांस की माया है, वह भारतीय राजनीति की माया है, विकृत समाज की माया है…बहुजन समाज को धोका देने वाले विधायको को सुप्रीम कोर्ट तक जाकर दंड दिलाने वाली माया है, अपनो के बीच दलितो ही नहीं सबकी माया है….वह मायावती है जिन्होने उत्तर प्रदेश  के राजनैतिक रंगमंच पर दो दशक से बिसरा दिये गये ब्राह्यमणांे को राजनैतिक तुला पर सबसे शक्तिशाली और परिणाम मुखी ताकत के रूप में पुर्नस्थापित कराकर सभी राजनैतिक दलों को अचंभित कर दिया । सियासी दंगल के चुनावी अंकगणित का गुणनफल बदल दिया है उ0प्र0 की राजनीति में माया का जादू मतदाता से लेकर नेताओं पर जमकर बोल रहा है। यह सब करिश्मा कर देने वाली मायावती ने अपने जीवन की 51 वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि देश में सम्पूर्ण बहुजन समाज ही मेरा परिवार है और इस समाज को मान-सम्मान व स्वाभिमान की जिन्दगी बसर करने तथा इन्हे अपने पैरों पर खड़ा करने हेतु मैंने अपना तमाम जीवन समर्पित किया है तथा जिसके लिऐ अनेक प्रकार की दुखः तकलीफे भी उठाई है जो अवश्य ही आने वाली पीढ़ियों के लिऐ प्रेरणा श्र्रोत का काम करेगी हजारों साल से जारी शोषण और दमन के प्रति मूक विद्रोह को प्रचंड सार्थक अभिव्यक्ति देते हुये इस अद्भूत नायिका ने दलित स्वाभिमान को जिस अंदाज में भारतीय लोकतंत्र की अनिवार्यता बनाया है, उसके लिये वह इससे ज्यादा प्रशंसा की हकदार हो सकती है कम रत्ती भी नहीं। मई 2002 को जब मायावती लखनऊ के ऐतिहासिक लामार्टिनियर ग्राउन्ड पर तीसरीबार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रही थी तो सत्ता के सारे दिग्गज हाहाकार कर रहे थे। उस रोज कोई नहीं कह रहा था कि मायावती का मुख्यमंत्री होना कोई चमत्कार है। ध्यान रहे, इससे पहले जब वह 1995 में मुख्यमंत्री बनी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्ह राव ने फिर दूसरी दफा 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने उनकी ताजपोशी को भारतीय लोकतंत्र का चमत्कार करार दिया था। सच भी है, करिश्मा एक या दो बार हो सकता है तीसरी बार नहीं। इन दो प्रधानमंत्रीयों ने ‘चमत्कार’ शब्द को इस्तेमाल बेशक इसी आशा के साथ किया होगा कि अब यह बासपा कभी इस स्थिति में नहीं होगी कि सूबे की सबसे ऊँची कुर्सी पर जा बैठे। एक बार समाजवादी पार्टी के साथ और दूसरी बार कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली बसपा अपनी ताकत इतनी बड़ा होगी कि अकेले दम पर वह प्रदेश की दूसरी नम्बर की पार्टी के रूप में उभर सकती है, वह भी भारतीय जनता पार्टी को हाशिऐ पर धकेल कर। अतीत की बात करे तो 6 वर्ष पूर्व फरवरी में विधानसभा चुनाव होने के पूर्व जो चुनावी सर्वेक्षण हुये उन सब में बसपा को सत्ता से काफी दूर और भाजपा, सपा के मुकाबले बहुत पीछे दर्शाया गया था लेकिन मायवती के जादुई व्यक्तित्व और बदली हुई ठोस रणनीति के चलते नीले झण्डे वाली पार्टी ने 99 सीटें हासिल कर सत्ता की कुंजी अपने पास कैद कर ली थी सो भाजपा के ही मैन अटल बिहारी बाजपेयी को इसमें चमत्कार न दिखना स्वाभाविक था। श्री बाजपेयी ने इस साक्षात हकीकत को समझा और भाजपा को और दुर्गति से बचाने के लिये उन्होनंे मायवती के बड़े हुऐ कद को उचित सम्मान दिया।

राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र जैसे धंुरघरों केे विरोध को नजरअंदाज कर अदम्य इच्छाशक्ति की स्वामिनी मायावती की तीसरी ताजपोशी का पथ प्रशस्त किया । इस पथ का निर्माण चमत्कार या भाग्य की बदौलत से नहीं हुआ इसका श्रेय जाता है मायावती के दलित मिशन को कुछ भारतीय समाज की विसंगतियों-विकृतियों को। कहना अतिश्योक्ति न होगा कि इन सारी स्थितियों ने एक साथ मिलकर मायावती के रूप मंे ऐसी विलक्षण नायिका गढ़ी है जो एक जातिविहीन समाज की अकेली रचनाकार हो सकती है। मायावती को विलक्षण या अद्भुत कहने के पीछे ठोस तार्किक कारण है। इन्हें समझने के लिऐ उन सारी स्थितियों का विश्लेषण करना होगा जिनके बीच से गुजर कर उन्होंने चैथी बार प्रदेश की बागडोर संभालने की अविश्वनीय कामयावी हासिल की है। यहां एक बार स्पष्ट कर  देना जरूरी है कि यह विश्लेषण किसी मुख्यमंत्री  बन चुकी महिला के लिए नहीं है बल्कि सामाजिक परिवर्तन का दुरूह जंग लड़ रही मिशनरी मायावती को है। मात्र 27 वर्ष के राजनीतिक कैरियर में चैथी बार मुख्यमंत्री होने को मायावती की व्यक्तिगत और मिशनरी दोनों उपलब्धियों के रूप में देखा जाना चाहिए। व्यक्तिगत उपलब्धि इस लिहाज से कि पूरी राजनीतिक यात्रा में उनके गुणों, स्वभाव और क्षमता का योगदान अहम है। यदि वह बेबाक और बिना लाग-लपेट के तीखा बोलने वाली न होती, यदि वह अपने अंदर के विद्रोह को दबा लेती, यदि निडर न होती, यदि वह जान को जोखिम मोल लेने वाली न होती और यदि वह दमन-शोषण झेलने की अभ्यस्त हो चुकी दलित कौम को झिझोड़कर जगाने की नैसर्गिक कला में दक्ष न होतीं तो बेशक न वह आज की तारीख में देश को परिवर्तन की राह दिखाने वाली चैथी बार उ0प्र0 की मुख्यमंत्री नहीं होतीं ओर न कभी पहले हुई होती। हो सकता है वह कहीं कलेक्टर, शिक्षिका या सुविद्दा सम्पन्न गृहस्थी की मालिक होती लेकिन दलितों की आस्था का केन्द्र कतई न होती। इसलिये इस उपलब्धि को व्यक्तिगत कहना अनुचित नहीं होगा। मिशन की कामयाबी तो शत-प्रतिशत हैं। प्रदेश का दलित जागा है, उसमेे राजनितिक चेतना का उदय हुआ है। वह एक झण्डे के नीचे लामबंद हुआ है और ‘बहिन जी’  में अपनी राजनीतिक-सामाजिक आर्थिक मुक्ति तलाश रहा है। इस सत्य-तथ्य से इंकार कौन कर सकता है? जिस सामाजिक व्यवस्था के विरूद्ध उन्हें संघर्ष-पथ तैयार करना था वह ढांचे से होकर गुजरता है जहाँ दििलत स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रही बसपा नेत्री को अपने लिये ‘चमारिन’ शब्द की गाली सुनने के लिये मजबूर होना ही पड़ता है। ध्यान रहे 1995 में लखनऊ स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में समाजवादी पार्टी के विधायकों-कार्यकर्ताओं ने मायावती जैसी कद्दवार नेत्री पर जानलेवा हमला किया था। कहना गलत न होगा, वह समूचा प्रकरण उस घिनौनी सामंती मानसिकता का प्रतिफल था, जो किसी औरत विशेषकर नीची जाति वाली को इस बात की सामाजिक इजाजत नहीं देती कि वह किसी मुलायम सिंह से समर्थन वापस लेने की गुस्ताख हरकत कर सके या पुरूष प्रधान समाज के पक्षधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को हकीकत का आइना दिखा सके। ग्लैमराइज्ड मीडिया भी इसी सिस्टम का अंग बना रहा और दलितों-दरिद्रों की इस रणबांकुरी को हमेशा निगेटिव तोरपर प्रस्तुत करता रहा। याद कीजिए हरिजन शब्द पर की गई मायावती की उस टिप्पणी को जिसमें उन्होंने अछूतों को हरिजन शब्द देने के लिये गाँधी जी के चिंतन को यह कहते हुए खारिज किया था कि अगर अछूत भगवान की संतान (हरि के जन) हैं तो क्या बाकी लोग शैतान की औलाद हैं? इसे देश भर के अखबारों ने मसाला लगाकर इस तरह पेश किया था मायावती ने गांधी जी को शैतान की औलाद कहा। इस संदर्भ में सबसे ज्यादा दिलचस्प और विडम्बनापूर्ण तथ्य यह है कि मायावती को दलित आंदोलन के उन दिग्गजों से भी जूझना पड़ा जो स्वंय को इस बीहड़ नेत्री के समक्ष बौना पाते थे। इस सच्चाई को बसपा सुप्रीमों स्वंय स्वीकारते हैं। ‘आयरन लेडी’ नामक पुस्तिका की प्रस्तावना में काशीराम लिखते हैं ‘जब मैनें मायावती की प्रतिभा उजागर करने के लिये ज्यादा अवसर देने का क्रम शुरू किया तो बहुजन समाज आंदोलन के सीनियर लोगों ने उसे पसंद नहीं किया। वे लोग मायावती की मुखाल्फत करने लगे। इससे मायावती के समक्ष परेशानियाँ आने लगी। 1982 के दौरान दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डी एस-4) संगठन का व्यापक इस्तेमाल किया गया। इसके तहत बहुत सारे प्रयोग किए गए। इन प्रयोगों के दौरान मायावती को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का भरपूर मौका मिला। उन्हंे खूब शोहरत भी हासिल हुई। इससे दलित आंदोलन के सीनियर लोग जलने लगे। वे पूरी ताकत से मायावती का विरोध करने लगे। इसी वातावरण में 14 अप्रैल, 1984 को बहुजन समाज पार्टी की स्थापना हुई। मैने मायावती को 1984 में मुजफ्फरनगर की कैराना सीट से और 1985 में बिजनौर     से लोकसभा का उपचुनाव लड़वाया। वह दोनों चुनाव हारीं जरूर लेकिन बसपा प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट पाने का श्रेय उन्हें ही हासिल हुआ। उससे बात नहीं मानी तो वे लोग बसपा छोड़कर चले गए। उन्होंने अपने ढ़ग से काम शुरू किया लेकिन आज उनमें से किसी का अस्तित्व नही है। तो कुल मिलाकर तस्वीर यही उभरती है कि मायावती जो जल में रहकर मगर से बैर मोल लेना था। यह बात दीगर है कि इन विरोधियों की शक्ल कभी धर्मनिरपेक्षता का नारा देने वाले, कभी राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक क्रांति का शंख फूंकने वाले तो कभी दलित आंदोलन को माध्यम बनाकर इसी सिस्टम को आक्सीजन देने वाले अदलते-बदलते रहते है। कभी मुलायम सिंह से तो कभी कांग्रेस से चुनावी गठबंधन मायावती की रणनीति का अहम हिस्सा था और भाजपा के कंधे पर सवार होकर तीन दफा मुख्यमंत्री पद हासिल करने काफी हद तक चाणक्य के कौशल को दर्शाता है। चाणक्य ने नंद वंश का शासन समाप्त करने के लिये उसी की ताकत को अपना औजार बनाया था। ठीक वही काम अब मायावती कर रही है। दूसरी महत्वपूर्ण बात है मायावती का औरत होना। जिस देश-समाज में औरत को अबला माना जाता हो और सम्मान, आत्मनिर्णय या अधिकार की बात करने वाली को कुलटा-कलंकिनी कहा जाता हो वहां एक दलित औरत का मायावती के रूप में अवतरित होना कभी लगभग असंभव बात होगी, लेकिन आज यह एक जीती-जागती हकीकत है। इस संदर्भ में मायावती की किसी से तुलना नहीं की जा सकती। वह जिस सामाजिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से निकली और अपने जटिल दायरों को तोड़ते हुए जो राजनीतिक मुकाम हासिल किया, उसको अविश्वसनीय ही कहा जाना चाहिए क्योंकि भारतीय परिवेश में जयललिता या राबड़ी देवी होना जितना सरल है, मायावती होना उतना ही कठिन। मायावती को राजनीति विरासत नहीं मिली बल्कि उन्होंने खुद ऐसी राजनीतिक जमीन तैयार की जो उनके दलित मिशन के लिए अपरिहार्य थी। वह भारत की किसी अन्य महिला नेता से इन अर्थ में विलक्षण है कि उन्होंने भारतीय राजनीति को अपने उद्देश्य के लिये साधन बनाया है न कि ‘अपने लिये साध्य’। बहुत संभव है कि मात्र इसी बजह से वह अपने अंदर की ज्वाला से दलित चेतना की मशाल प्रज्जवलित करने में कामयाब हुई। साथ ही साथ बसपा को सर्वजन पार्टी बनाकर सफलता के नये सोपान तय करने की दिशा में अग्रसर हो रही है।

surender-agnihotri-21सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बसपा के चार साल के कार्यकाल में राज्य की जनता जार-जार कर रोई है

Posted on 12 May 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी के आज कहा कि बसपा के चार साल के कार्यकाल में राज्य की जनता जार-जार कर रोई है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि 4 वर्ष में बसपा सरकार की पहचान अपराधियों व भ्रष्टाचारियों की सरकार के रूप में बनी है। सपा सरकार में प्रदेश में फैले अपराध के खात्मे के नाम पर राज्य की सत्ता पर काबिज होने वाली बसपा ने अपराधियों को संगठित गिरोह बनाकर उन्हें अपने दल में शामिल करा लिया और बसपा प्रमुख उनकी सरगना बन बैठी। सत्ता का दुरुपयोग कर बसपा ने लोकतंत्र का मजाक उड़ाया।

श्री पाठक ने कहा कि आज मुख्यमंत्री ने भी अपनी पे्रस वार्ता में स्वीकार किया कि कानून व्यवस्था सुदृढ़ कराने के नाम पर ही उनकी सरकार सत्ता में आई। लेकिन बसपा सरकार के शपथ ग्रहण के साथ मंत्री आनन्द सेन द्वारा एक युवती के साथ बलात्कार व हत्या तथा विधायक शेखर तिवारी द्वारा इंजीनियर मनोज गुप्ता की जघन्य हत्या किए जाने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह राजधानी में सीएमओ परिवार कल्याण डा0 बी0पी0सिंह की हत्या तक भी नहीं थम पाया। फिर भी मुख्यमंत्री दावा करती है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था सुद्ढ है।

श्री पाठक ने कहा कि बसपा शासनकाल में भ्रष्टाचार के मामले में भी कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। बसपा के सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला और शीर्ष स्तर पर ’डील’ होने के बाद ही काम होने की प्रक्रिया शुरू हुई। बसपा शासनकाल में बढ़ी लाभ दो लाभ लो की संस्कृति के परिणामस्वरूप ही वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हरिमिन्दर राज सिंह, फैजाबाद में इंजीनियर अनूप बाजपेई और मलिहाबाद में लेखपाल को मौत को गले लगाना पड़ा। भ्रष्टाचार में संलिप्तता उजागर होने के बाद अपने को कठघरे में खड़ा होत देखकर मुख्यमंत्री ने अपने दो-दो वरिष्ठ मंत्रियों के इस्तीफे लेकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि बसपा ने सत्ता में आने के बाद से ही बड़े औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने की नियत से किसानों की जमीनों का औने-पौने दामों पर अधिग्रहण कर उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया। टप्पल अलीगढ़, इलाहाबाद में करछना और अब गे्रटर नोयडा के भट्टा पारसौल में अधिग्रहीत भूमि का उचित मुआवजा न मिलने का विरोध कर रहे निरीह किसानों पर पुलिस पर बर्बरतापूर्वक बल प्रयोग कर उन्हें अपनी गोलियों का शिकार बनाया। बसपा सरकार में किसान बिजली, पानी, खाद, यूरिया के संकट से जूझते रहे। उन्हें उनकी उपज का भी उचित मूल्य नहीं मिल पाया लेकिन किसान हित से बेपरवाह राज्य सरकर की नजर उनकी बेशकीमती जमीन पर लगी रही।

श्री पाठक ने कहा कि बाॅंदा में शीलू निषाद, कानपुर में मासूम दिव्या, रमाबाईनगर की बंदना और हरदोई प्रियंका सहित कई ऐसा वीभत्स घटनाएं बसपा सरकार की कलंक हैं। प्रदेश में मासूम बच्चियों और महिलाओं की अस्मत बसपा से जुड़े लोगों ने लूटी और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बुंदेलखंड और पूर्वाचल में भूख व गरीबी से बेबस लोगों ने आत्महत्याएं की। बसपा सरकार में आमजन अपनी पीड़ा व समस्याएं लेकर दर-दर भटकते रहे लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। पूरा प्रशासनिक तंत्र सरकार के इशारे पर नाचता रहा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी 12 मई, 2011 को अपने सरकारी आवास पर मीडिया को सम्बोधित करती हुईं।

Posted on 12 May 2011 by admin

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प्रदेश में शान्ति बनायी रखे जाने की अपील

Posted on 12 May 2011 by admin

उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने कहा है कि यदि केन्द्र सरकार संसद के आगामी सत्र में भूमि अधिग्रहण का नया कानून पारित नहीं कराती, तो ऐसी स्थिति में बहुजन समाज पार्टी संसद का घेराव कर केन्द्र सरकार को नया कानून बनाने के लिए बाध्य करेगी। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर देश के विभिन्न प्रदेशों में विवाद/समस्यायें आती रही हैं, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सभी लोगों द्वारा प्रदेश में शान्ति बनायी रखे जाने की अपील करते हुए कहा कि निहित राजनीतिक स्वार्थों से प्रेरित कार्यवाहियों पर जनता कोई ध्यान न दे। प्रदेश सरकार किसानों एवं आम जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से सजग है एवं यदि शान्ति भंग करने हेतु कोई भी कृत्य किया जाएगा तो राज्य सरकार द्वारा उस सम्बन्ध में त्वरित कार्यवाही की जाएगी। माननीया मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रदेश में सौहार्द्र का वातावरण बनाये रखते हुए यह अपील की गयी है कि ओछी राजनीति के लिए जनता को गुमराह न किया जाए।

उत्तर प्रदेश के मंत्रिमण्डलीय सचिव श्री शशांक शेखर सिंह ने आज यहां लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित मीडिया सेन्टर में पत्रकार वार्ता के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नवीन भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में विस्तृत कानून लाये जाने की घोषणा की गयी थी, लेकिन अभी तक इसके लिए कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है। उन्होंने माननीया मुख्यमंत्री जी के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण का कानून एक केन्द्रीय कानून है। यदि कांग्रेस पार्टी इस कानून में कोई बदलाव करके किसानों के हित की बात करना चाहती है तो उसे ऐसा करने से किसने रोका है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नवीन भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी कानून न लाये जाने से विभिन्न प्रदेशों में भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित विवाद उठते रहते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित होती है और राज्य सरकारों को अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जहां तक भट्टा परसौल गांव की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का प्रश्न है, कांग्रेस पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल तथा जनता दल (यूनाइटेड) जैसे विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा की जा रही राजनीति अत्यन्त निन्दनीय है।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा कि इन दलों के नेताओं द्वारा आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर अन्य कोई मुद्दा हाथ में न होने के कारण स्थानीय लोगों को राज्य सरकार के विरूद्ध भड़काकर राजनीतिक रोटियां सेकने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि भट्टा परसौल में भूमि अधिग्रहण को लेकर कोई विवाद नहीं है। यहां की भूमि करार नियमावली के तहत किसानों की आपसी सहमति से अधिग्रहीत की गयी थी, जिसका मुआवजा भी भू-स्वामियों ने प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि भट्टा परसौल की भूमि करार नियमावली के तहत किसानों की आपसी सहमति से अधिग्रहीत की गयी थी। मार्च 2009 से अगस्त 2009 के बीच भट्टा गांव में 178 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की गयी थी और उसका लगभग 120 करोड़ रूपये का मुआवजा किसानों में वितरित किया जा चुका है।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसी प्रकार परसौल गांव में 260 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गयी, जिसका 180 करोड़ रूपये का मुआवजा किसानों में वितरित किया जा चुका है। इस प्रकार वर्तमान में भू-अधिग्रहण से सम्बन्धित कोई भी विवाद शेष नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा करार नियमावली के तहत किसानों की सहमति से ही भूमि अधिग्रहण की नीति लागू की गयी है। उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां करार नियमावली के तहत ही भूमि अधिग्रहण किया जाता है।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो विपक्षी पार्टियां भूमि अधिग्रहण को लेकर ओछी राजनीति कर रही हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए जो मुआवजा नीति घोषित की गयी है, वह देश के सभी विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों की तुलना में भू-स्वामियों को सबसे अधिक फायदा पहुंचाने वाली नीति है। उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों के नेता भट्टा परसौल में मनवीर सिंह तेवतिया जैसे कुछ लोगों को अपना मोहरा बनाकर कानून-व्यवस्था की स्थिति को खराब करने का विफल प्रयास कर रहे हैं।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने विपक्षी दलों के नेताओं से सवाल किया कि ये लोग उस समय कहां थे, जब राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों को बन्धक बनाया गया था। विपक्षी दलों के नेताओं को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि मनवीर सिंह तेवतिया जैसे अराजक तत्वों को पर्दे के पीछे से धन, अवैध असलहे एवं ताकत कौन उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि विरोधी पार्टियों को इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि जब भट्टा परसौल में अराजक तत्वों ने अवैध असलहों से जिलाधिकारी पर गोली चलाकर उन्हें घायल कर दिया और उपद्रव के दौरान भारी गोली-बारी एवं पथराव में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी भी घायल हुए, यहां तक कि दो पुलिस कर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी, मगर कर्मचारियों को बन्धक बनाने और पुलिस के जवानों तथा प्रशासनिक अधिकारियों पर हुए हमले की बाबत इन विपक्षी दलों के नेताआंे ने निन्दा का एक शब्द भी क्यों नहीं कहा। इन्होंने इन अधिकारियों के विरूद्ध स्थानीय गुण्डों द्वारा किए गए इस कृत्य की निन्दा क्यों नहीं की।

माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं को यह भी बताना चाहिए कि भट्टा परसौल की घटना के पीछे किन लोगों का हाथ था और यह कौन लोग हैं, जिन्होंने भोले-भाले स्थानीय लोगों को भड़काकर कानून को अपने हाथ में लेने के लिए उकसाया। उन्होंने कहा कि भट्टा परसौल की पूरी तरह शांतिपूर्ण स्थिति विपक्षी दलों के नेताओं को रास नहीं आ रही है, क्योंकि वह जानते हैं कि अगर जनता शांत रही तो उन्हें राजनीतिक रोटियां सेंकने का  मौका नहीं मिलेगा।

मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि जहां तक कुछ विरोधी दलों के नेताओं द्वारा भट्टा परसौल गांव में जाकर यहां के लोगों को उकसाने की कोशिश करने की बात है, और उनके द्वारा यह दावा किया जाना कि उन्होंने धारा-144 के तहत लागू निषेधाज्ञा को तोड़कर गांव में भ्रमण किया, यह बात पूरी तरह से गलत एवं तथ्यों से परे है। चूंकि इस क्षेत्र की स्थिति सामान्य हो गयी थी, इसलिए स्थानीय प्रशासन द्वारा पहले से लगायी गयी धारा-144, 10 मई 2011 की रात 12ः00 बजे तक समाप्त हो गयी और इसे बढ़ाया नहीं गया था। श्री सिंह ने बताया कि इस सम्बन्ध में माननीया मुख्यमंत्री जी का कहना है कि यदि क्षेत्र में धारा-144 लगी होती तो कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों न होता, उसके विरूद्ध कानून के अनुसार अवश्य ही कार्यवाही की जाती।

श्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा भट्टा परसौल में जनसभा करने की अनुमति मांगी गयी थी। जिला प्रशासन द्वारा इस सम्बन्ध में आख्या प्राप्त की गयी और विभिन्न स्रोतों व अभिसूचना की आख्या के आधार पर यह संकेत प्राप्त हुए कि असामाजिक व आपराधिक तत्व इस जनसभा के दौरान आकर पूर्व की घटना की पुनरावृत्ति कर सकते हैं और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। अतः जिला प्रशासन द्वारा जनहित में पुनः धारा-144 लागू कर दी गयी है, जिससे कि कोई भी असामाजिक व आपराधिक तत्व मौके का फायदा उठाकर कानून-व्यवस्था या शान्ति बिगाड़ने का प्रयास न कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शान्ति बनाये रखे जाने के सम्बन्ध में कोई समझौता नहीं किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सदस्यता समाप्त करने के लिए याचिका प्रस्तुत की

Posted on 12 May 2011 by admin

बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बी0एस0पी0 से बगावत करने वाले विधायक श्री फरीद महफूज किदवई की सदस्यता समाप्त करने के लिए आज विधान सभा अध्यक्ष श्री सुखदेव राजभर के समक्ष याचिका प्रस्तुत की। श्री मौर्य ने कहा कि श्री किदवई ने दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन किया और बाराबंकी की जनता के साथ धोखा किया। उन्होंने कहा कि यदि श्री किदवई समाजवादी पार्टी में सम्मिलित होना ही चाहते थे, तो उन्हें इस्तीफा देकर सपा की सदस्यता ग्रहण करनी चाहिए थी।

ज्ञातव्य है कि श्री किदवई बाराबंकी जनपद के मसौली विधान सभा क्षेत्र से वर्तमान में बी0एस0पी0 के विधायक थे और अभी हाल ही में उन्होंने सपा में शामिल होने का निर्णय लिया था। उनके इस निर्णय पर बी0एस0पी0 की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने गम्भीर रूख अपनाते हुए कहा था कि श्री किदवई ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के साथ धोखा एवं विश्वासघात किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि श्री किदवई का यह आचरण दल-बदल कानून की परिधि में आता है और बी0एस0पी0 उनकी सदस्यता समाप्त कराने के लिए विधान सभा अध्यक्ष से अनुरोध करेगी। इसी क्रम में श्री मौर्य ने आज यह याचिका दायर की।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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राहुल गांधी का किसान पे्रम छलावा है

Posted on 12 May 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सत्यदेव सिंह ने पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से वार्ता में कहा कि राहुल गांधी का किसान पे्रम छलावा है। जिसप्रकार से राहुल गांधी को मायावती सरकार ने धारा 144 को हटाकर भट्टा पारसौल पहुंचाया और भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को उसी दिन सायं रोका गया उससे कांगे्रस और बसपा की मिलीभगत का पुनः पर्दाफाश हुआ है। बसपा की मुखिया सीबीआई की कार्रवाई केे डर से तथा कांगे्रस आकण्ठ भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए मिले हुए हैं। केन्द्र तथा प्रदेश सरकार किसानों के उत्पीड़न में बराबर के भागीदार हैं।

पिछले छः माह में टप्पल से लेकर विभिन्न किसान आंदोलनों में राहुल गांधी ने किसानों को सार्वजनिक रूप से आश्वासन दिया था कि केन्द्र भूमि अधिग्रहण का नया कानून बनाएगी, जिसमें किसानों के सम्पर्ण हित का ध्यान रखा जाएगा। उ0प्र0 में ’जमुना एक्सपे्रस वे’ हेतु जे0पी0 गु्रप के लिए विशेष लाभ पहुंचाने और स्वयं बसपा अपनी थैली भरने के लिए किसानों की भूमि का जबरन और बहुत कम मूल्य पर अधिग्रहण कर लिया है। पिछले छः माह से भट्टा पारसौल के किसानों ने बाजार भाव से जमीन के मूल्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। राहुल गांधी आज भट्टा पारसौल गांव पहुंच कर किसानों की मांगों के समर्थन में धरने पर बैठ गए हैं और मांगे पूरी होने तक धरना नहीं समाप्त होगा यह घोषणा उनके सिपाहलदार दिग्विजय सिंह ने किया है। आज किसानों के लिए राहुल गांधी का यह दर्द क्यों छलका है इसके लिए बहुत खोज की आवश्यकता नहीं है। उ0प्र0 के विधानसभा के आगामी 2012 के चुनाव इस दर्द का वास्तविक कारण है।

प्रदेश प्रवक्ता सत्येदव सिंह ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास पूरी केन्द्रीय सरकार है और मनमोहन सिंह मुखौटा मात्र हैं। राहुल गांधी इस बात का जबाव दें कि पिछले सात वर्षो से केन्द्रीय सत्ता पर काबिज रहने और समय-समय पर किसानों के हित में घड़ियाली आॅसू बहाने के सिवा कांगे्रस और उनकी केन्द्रीय सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। केन्द्र सरकार ने किसानों की भूमि अधिग्रहण के लिए न्यायसंगत और किसानों के हित के अनुरूप कानून क्यों नहीं बनाया जा सका जब देश के सभी राजनैतिक दल और मुख्य रूप् से प्रमुख विपक्षी भाजपा इसके पक्ष में है।

श्री सिंह ने कहा कि भट्टा पारसौल ग्राम में धरना देकर किसको धोखा दिया  जा रहा है। राहुल गांधी और उनके प्रिय दिग्विजय सिंह लगातार बीएसपी और मायावती पर आरोप लगा रहे थे कि संविधान का उ0प्र0 में  पालन नहीं हो रहा है तो क्यों नहीं मायावती सरकार को बर्खास्त करने की कार्रवाई की जा रही है। कांगे्रस, राहुल और सोनिया को यह तमाशा बंद करके जनता को यह बतावें कि जन विरोधी एवं किसान विरोधी उ0प्र0 की बहुजन समाज पार्टी से केन्द्रीय सरकार को बचाने के लिए बार-बार संकटमोचन की भूमिका क्यों अदा करती है। राहुल गांधी बी0एस0पी0 तथा सपा के साथ नूरा कुश्ती बंद करके यदि किसानों के हितैशी है तो तत्काल एक समग्र भूमि अधिग्रहण कानून को संसद से स्वीकार करावें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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