उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान के तत्त्वावधान में श्री उदय प्रताप सिंह, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की अध्यक्षता में अभिनन्दन पर्व-2013 का आयोजन निराला सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया। अभिनन्दन पर्व-2013 में मुख्य अतिथि के रूप में श्री विनोद चन्द्र पाण्डेय ‘विनोद‘, वरिष्ठ बाल साहित्यकार सम्मिलित हुए।
मा0 श्री उदय प्रताप सिंह एवं डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान सहित अन्य मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना की प्रस्तुति भारतखण्डे संगीत सम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत की गयी।
मंचासीन अतिथियों का स्वागत उत्तरीय द्वारा डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
अभ्यागतों का स्वागत करते हुए डाॅ0 सुधाकर अदीब ने कहा - बाल साहित्य लिखना एक साहित्यकार के लिए चुनौती पूर्ण होता है। हमारे सम्मानित साहित्यकार बाल साहित्य की ऊर्जा व शक्ति से बाल साहित्य को उन्नत शिखर पर ले जायेंगे। सम्मानित साहित्यकार बाल साहित्य को प्रदेश -देश ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण गरिभाव स्थान दिलायंेगे। बाल साहित्य समाज को नयी दिशा प्रदान करता है। बच्चे ही भविष्य के समाज निर्माता की भूमिका निभाते हैं। बाल साहित्य बालकों को समाज निर्माता के रूप में प्रतिस्थापित करता है।
इस अवसर पर अभिनन्दित बाल साहित्यकारों का उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र व पचीस हजार की धनराशि भेंट कर सम्मानित किया गया जिनमें - सुभद्रा कुमारी चैहान महिला बाल साहित्य सम्मान से श्रीमती निर्मला सिंह, बरेली, सोहन लाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान से श्री सूर्य कुमार पाण्डेय, लखनऊ, निरंकार देव सेवक बाल साहित्य इतिहास लेखन सम्मान से डाॅ0 कामना सिंह, आगरा, अमृत लाल नागर बाल कथा सम्मान से श्री संजीव जायसवाल ‘संजय’, लखनऊ, शिक्षार्थी बाल चित्रकला सम्मान से श्री विभाष पाण्डेय, लखनऊ, लल्ली प्रसाद पाण्डेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान से श्री प्रेमचंद गुप्त ‘विशाल’, लखनऊ, डाॅ0 रामकुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान से
डाॅ. हेमन्त कुमार, लखनऊ, कृष्ण विनायक फड़के बाल साहित्य समीक्षा सम्मान से श्री ओम प्रकाश कश्यप, बुलंदशहर, जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान से श्री राजीव सक्सेना, मुरादाबाद एवं उमाकान्त मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान से श्री परमात्मा प्रसाद श्रीवास्तव, संतकबीर नगर को समादृत किया गया।
अभिनन्दित साहित्यकारों द्वारा उद्बोधन व्यक्त करते हुए सर्वप्रथम श्रीमती निर्मला सिंह, ने कहा - बाल साहित्य का प्रचार-प्रसार आवश्यक है। उन्होंने ‘समय‘ शीर्षक पर कविता सुनायी - समय का सबसे कहना है, जीवन चलते रहना है, इसको मत बर्बाद करो….. फूल सदा मुस्कराते हैं, हमको यह समझाते हैं, जीवन में मुस्कराते रहना है।
डाॅ0 कामना सिंह, ने कहा - बाल साहित्य और इतिहास लेखन काफी असमंजस की स्थिति में है। लेखकों को काफी सावधानी रखनी चाहिए। निरकार देव सेवक की बाल साहित्य इतिहास के लेखन में काफी महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आज बाल साहित्य को पढ़कर, लिखकर, समझकर लिखने की आवश्यकता है।
संजीव जायसवाल ‘संजय’, ने - बच्चों को कहानी के माध्यम से समाज की समस्याओं से लड़ने व जुझने का संदेश व शिक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने अपनी एक कहानी का पाठ भी किया। चुनमुन चिडि़या पर आधारित कहानी पढ़ उन्होंने बालकों को एक नयी सीख दी।
श्री विभाष पाण्डेय, ने कहा - बच्चों का जो भी साहित्य हो वह चित्रों से परिपूर्ण होना चाहिए। चित्रों की अभिव्यक्ति बालकों के मन मस्तिक पर गहरा प्रभाव ड़ालती है।
श्री प्रेमचंद गुप्त ‘विशाल’, ने कहा - दुनियाँ सारी गोल मटोल जिसकों सब कहते है भूगोल वाली कविता सुनायी।
डाॅ. हेमन्त कुमार, ने कहा - बाल नाटक कम लिखे जा रहे है और जो लिखे जा रहे हैं उनका मंचन भी नहीं हो पा रहा है। आज परिवारों में बाल साहित्य को नहीं पढ़ा जा रहा है आवश्यकता है परिवार में बाल साहित्य मंगाकर पढ़ा जाये। बाल साहित्य बच्चों में नैतिकता पैदा करते हैं। उन्होंने अपना नाटक ‘चिडि़या का अनशन‘ का पाठ भी किया।
श्री ओम प्रकाश कश्यप, ने कृष्ण विनायक फड़के के जीवनवृत्त पर आधारित कई रोचक संस्मरण सुनाये। उन्होंने कहा - फड़के के जीवन से हम बाल साहित्यकारों को पे्ररणा लेनी चाहिए। उनका बाल साहित्य की भूमिका में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
श्री राजीव सक्सेना, ने कहा - आज का युग विज्ञान व तकनीकी का युग हैं हमें बच्चों को ऐसा साहित्य देना है जिससे उन्हें विज्ञान व तकनीकी क्षेत्रों में हो रही प्रगति का सामना वे कर सकें और उन्हें विज्ञान व तकनीकी के बारे में पर्याप्त जानकारी मिल सके। भविष्य का युग विज्ञान व तकनीक का युग होगा। उन्होंने अपनी कहानी ‘तेईसवीं सदी‘ का पाठ भी किया।
श्री परमात्मा प्रसाद श्रीवास्तव, ने कहा - बाल साहित्य पर चर्चा आज स्वप्न सा प्रतीत होती है। कार्टून जगत बच्चों को बाल साहित्य से दूर कर रहा है। हमें बच्चों का बचपन बचाना होगा। तभी हमारा भविष्य बचेगा। आज आवश्यकता है बाल पत्रिकाओं का समुचित प्रचार-प्रसार हो।
मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित श्री विनोद चन्द्र पाण्डेय, वरिष्ठ बाल साहित्यकार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - यह बाल साहित्य सम्मान समारोह भविष्य में बाल साहित्य को प्रगति के पथ पर ले जायेगा। आज का बाल साहित्यकार समाज को नयी दिशा प्रदान कर रहा है। ये समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बाल साहित्य का लेखन संस्कारवान गुणों से परिपूर्ण होना चाहिए। समय की परिवर्तनशीलता का प्रभाव समाज के प्रत्येक क्षेत्र में पड़ता है। साहित्यकारों को इस पर अपना ध्यान केन्द्रित करना होगा।
अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए श्री उदय प्रताप सिंह, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा - मैं सम्मानित बाल साहित्यकारों का ह्दय से धन्यवाद व बधाई देता हूँ। आज समाज में चरित्र व संस्कार पर बहुत बड़ा संकट हैं। बच्चों के सामने रोचक साहित्य प्रस्तुत करना होगा। जिससे उन्हें संस्कारित किया जा सके। अच्छे संस्कार बचपन में दिये जाते हैं जो जीवन पर्यन्त काम आते हैं। समाज में संस्कार देने का कार्य साहित्य ही करता है। बच्चों का मन होता है उपजाऊ मिट्टी की तरह। उसमें क्या बोओगे सोचों बागबाँ जरा। कविता भी सुनायी।
समारोेह में धन्यवाद ज्ञापन श्री अनिल मिश्र, प्रधान सम्पादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा व्यक्त किया गया तथा संचालन डाॅ0 अमिता दुबे, प्रकाषन अधिकारी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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