प्रदेश बिधान सभा मे बेसिक शिक्षा बिभाग के वित्तीय वर्ष 2015-16 के प्रस्ताबित बजट को बिधान सभा के पटल पर रखते हुए रामगोबिन्द चैधरी बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यालयों में अध्यापकों की कमी को दूर करने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही की गयी है। वर्ष 2012-13 एवं वर्ष 2013-14 में 13097 अध्यापकों की भर्ती की गयी। वर्ष 2014-15 में बी0टी0सी0 प्रशिक्षण प्राप्त 5030 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की गयी। 58903 शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापकों के पद पर नियुक्त किया गया है। 72825 बी0एड0टी0ई0टी0 प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति की कार्यवाही गतिमान है। अब तक लगभग 44000 अभ्यर्थियों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है और शेष प्रक्रिया में है। इसके अतिरिक्त उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विज्ञान/गणित अध्यापकों की नियुक्ति हेतु विज्ञापित 29334 पदों हेतु कौन्सिलिंग की जा चुकी है। चयनित अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित करने एवं नियुक्ति प्रदान करने हेतु मा0 उच्च न्यायालय से अनुमति प्राप्त की जा रही है। इसके अतिरिक्त बी0टी0सी0 एवं टी0ई0टी0 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की भर्ती 15000 पदों हेतु विज्ञप्ति प्रसारित की जा चुकी है। यह भी उल्लेखनीय है कि द्वितीय बैच के प्रशिक्षण पूर्ण लगभग 91000 शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पदों पर समायोजन की कार्यवाही प्रारम्भ की जा रही है। इस प्रकार प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर लगभग 121000 अध्यापकों की भर्ती की जा चुकी है और लगभग 164000 अध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया गतिमान है, जिससे विद्यालयों में अध्यापकों की कमी दूर हो जायेगी। प्रदेश सरकार की यह एक एतिहासिक उपलब्धि होगी। विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए अवस्थापना सुविधाओं का निरन्तर सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। इस दिशा में हमारी सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर की व्यवस्था प्रस्तावित की गयी है।
ऽ विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए अवस्थापना सुविधाओं का निरन्तर सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। इस दिशा में हमारी सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए फर्नीचर की व्यवस्था प्रस्तावित की गयी है।
ऽ विद्यालयो में प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के उद्देश्य से हमारी सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 में विद्यालय पुरस्कार की नयी योजना प्रस्तावित की गयी है, जो विद्यालय छात्र नामांकन, पठन-पाठन, बच्चों के उपलब्धि स्तर, अवस्थापना सुविधाओं के रखरखाव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगंें उन्हंे पुरस्कार दिया जायेगा।
ऽ प्रदेश में अन्य बोर्ड जैसे सी0बी0एस0सी0, आई0सी0एस0ई0 से सम्बद्व विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 01 अप्रैल से प्रारम्भ होता है। एकरूपता की दृष्टि से प्रदेश सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों एवं बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में भी आगामी शैक्षिक सत्र 01 अप्रैल से प्रारम्भ किया जायेगा। इस सम्बन्ध में आवश्यक तैयारियाॅं की जा रही हैं।
ऽ विभाग द्वारा कक्षा 1-8 में अध्ययनरत सभी बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें प्रति वर्ष वितरित की जाती है। काफी समय से विभिन्न श्रोतों से यह फीडबैक प्राप्त हो रहा है कि पाठ्य पुस्तकों के पन्नों/मुद्रण आदि में गुणवत्ता की कमी है। इस सम्बन्ध में पाठ्य पुस्तकों की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु कागज की विशिष्टियों में परिवर्द्धन/संशोधन किया गया है। तदनुसार अग्रेतर कार्यवाही की जा रही है।
ऽ विद्यालयों के विकास के लिए अधिकारियों द्वारा लगभग 7000 विद्यालयों को गोद लिया गया है और उनके द्वारा गोद लिए गये विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जायेगा ताकि अन्य विद्यालय इसका अनुसरण कर सकें।
ऽ विद्यालयों में छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ाने हेतु एवं विद्यालय में पठन-पाठन व्यवस्था में सुधार लाने हेतु प्रत्येक माह अधिकारीवार विद्यालयों के निरीक्षण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके अनुसार विद्यालयों के निरीक्षण हो रहें हैं।
सर्व शिक्षा अभियान
प्रदेश में 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों की कक्षा 1 से 8 तक की प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण हेतु सुनियोजित प्रयास किये जा रहे हैं।
ऽ वर्ष 2014-15 मेें कक्षा 1-8 तक के समस्त छात्र-छात्राओं को निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें एवं निःशुल्क यूनीफार्म के दो सेट उपलब्ध करायेे गये हैं तथा वर्ष 2015-16 में भी छात्राओं को यह सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।
ऽ वित्तीय वर्ष 2014-15 के अन्तर्गत 2557 से शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है तथा शेष शौचालयों का निर्माण कार्य गतिमान है। वर्ष 2015-16 में 3750 शौचालय एवं 3600 पेयजल की व्यवस्था प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त पूर्व से संचालित विद्यालयों में 7500 अतिरिक्त कक्षा-कक्षों का निर्माण एवं 37500 विद्यालयों में चहारदीवारी का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है।
ऽ प्रदेश में 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित हैं जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं बी0पी0एल0 परिवारों की कुल 70838 बालिकाओं को कक्षा 6-8 तक की आवासीय शिक्षा प्रदान की जा रही है।
ऽ संचालित 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में से अब तक 693 विद्यालयांे के भवन का निर्माण पूर्ण हो गया है तथा 53 विद्यालय निर्माणाधीन हैं।
ऽ 100 से अधिक छात्र संख्या वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तीन विषयों (कला शिक्षा, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा तथा कार्य शिक्षा) के लिए आॅनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से पारदर्शी प्रक्रिया से 41307 के सापेक्ष 31253 अंशकालिक अनुदेशकों की संविदा के आधार पर नियुक्तियां की गयी है। शेष अंशकालिक अनुदेशकों की नियुक्ति की कार्यवाही गतिमान है।
ऽ विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को सपोर्ट देने हेतु 2615 विशेष शिक्षक कार्यरत हैं। 659 मेडिकल एसेसमेण्ट कैम्प आयोजित किये गये जिनमें 33630 बच्चों का चिकित्सीय परीक्षण किया गया। 15462 बच्चों को विकलांगता प्रमाण पत्र दिये गये। 10 माह की अवधि के 118 आवासीय कैम्प संचालित किये गये हैं जिनमें 5530 विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चें शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं।
ऽ प्रदेश सरकार द्वारा मानक के अनुरूप प्रदेश के समस्त ग्रामों/मजरों मंे विद्यालय की स्थापना की जायेगी। विद्यालय में अवस्थापना सुविधाओं- पेयजल, शौचालय, विद्युतीकरण एवं चहारदीवारी हेतु व्यवस्था की जायेगी। इस हेतु वार्षिक कार्ययोजना का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जा चुका है।
ऽ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु निम्नलिखित विशेष प्रयास किये जायेंगेः-
व शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु सभी अध्यापकों को सेवारत् प्रशिक्षण दिया जाना प्रस्तावित है।
व प्राथमिक कक्षाओं में पठन कौशल व अंकगणित पर तथा उच्च प्राथमिक कक्षाओं में विज्ञान व गणित की शिक्षा पर विशेष बल दिया जायेगा।
व छात्र-छात्राओं के उपलब्धि स्तर ज्ञात करने हेतु वाह्य संस्था से सर्वेक्षण कराया जाना प्रस्तावित है।
व विद्यालयों एवं शिक्षकों के मूल्यांकन की व्यवस्था लागू की जायेगी।
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम
ऽ प्रदेश में दिनांक 01 सितम्बर 2004 से पका-पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराने की योजना आरम्भ की गयी। दिनांक 01 अक्टूबर 2007 से भारत सरकार के निर्देशों के अन्तर्गत शैक्षणिक रूप से पिछड़े विकास खण्डों में संचालित उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भी योजना लागू की गयी।
ऽ योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 1.69 लाख प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों मंे अध्ययनरत् लगभग दो करोड़ छात्र आच्छादित हैं, जिसमें 477 मदरसे भी शामिल हैं।
ऽ प्राथमिक स्तर पर 100 ग्राम एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर 150 ग्राम खाद्यान्न (गेहूँ/चावल) से निर्मित किये जाने वाले भोजन को बच्चों को नियमित रूप से साप्ताहिक मेनू के अनुसार पके-पकाये गुणवत्तायुक्त भोजन के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है।
ऽ इस प्रयास में लगभग 04 लाख रसोइये भोजन पकाने हेतु कार्यरत हैं। योजनान्तर्गत प्रत्येक विद्यालय को रू0 5000 प्रति विद्यालय की दर से बर्तन/उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं।
ऽ ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत, स्वयं सहायता समूह, महिला समाख्या, विद्यालय प्रबन्धन समिति अथवा स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से तथा नगरीय क्षेत्र में सभासद, स्वयं सेवी संस्थान अथवा डूडा के माध्यम से योजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है।
ऽ जनपद मथुरा में अक्षयपात्र संस्था द्वारा केन्द्रीकृत किचेन के माध्यम से लगभग 1.6 लाख बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी क्रम में नवीन प्रयास के रूप में जनपद लखनऊ, आगरा, कानपुर, वाराणसी, इटावा एवं कन्नौज में भी अक्षयपात्र संस्था द्वारा योजना का संचालन किये जाने का निर्णय लिया जा चुका है। लखनऊ में केन्द्रीकृत किचेन का निर्माण पूर्ण हो गया है, जिसका उदघाटन मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।
ऽ योजनान्तर्गत प्रदेश में सफलतापूर्वक लागू की गयी दैनिक अनुश्रवण प्रणाली (आई0वी0आर0एस0) को भारत सरकार द्वारा ई-गवर्नेंन्स पुरस्कार दिया गया है।
ऽ मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत जन सहभागिता सुनिश्चित करने एवं योजना के प्रभावी संचालन हेतु हेल्पलाइन सेवा टाॅल फ्री नम्बर-18004190102 की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। योजना से विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हुआ है तथा विद्यालय में सभी जाति एवं धर्म के छात्र-छात्राओं को एक स्थान पर भोजन उपलब्ध करा कर उनके मध्य सामाजिक सौहार्द, एकता एवं परस्पर भाई-चारे की भावना का विकास हुआ है।
साक्षरता कार्यक्रम
ऽ प्रदेश में 15$ वयवर्ग के निरक्षरों को साक्षर करने के उद्देश्य से भारत सरकार के सहयोग से साक्षर भारत कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश के उन जनपदों को सम्मिलित किया गया है, जिनमें वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर 15$ वयवर्ग में महिला साक्षरता 50 प्रतिशत से कम है।
ऽ उक्त आधार पर प्रदेश के 70 जनपदों में भारत सरकार द्वारा कार्यक्रम स्वीकृत किया गया है (कानपुरनगर, औरैया, गाजियाबाद, हापुड एवं लखनऊ को छोड़कर)।
ऽ इन जनपदों में 15$ वयवर्ग के 102 लाख निरक्षरों को चिन्हित किया गया है तथा केन्द्रों पर 60 लाख प्रतिभागियों को पंजीकृत किया जा चुका है।
ऽ केन्द्रों पर साक्षर हुए प्रतिभागियों हेतु राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयीय शिक्षा संस्थान द्वारा साक्षरता परीक्षा आयोजित की जाती है। अगस्त, 2014 में सम्पन्न परीक्षा में 44.84 लाख प्रतिभागी सम्मिलित हुए, जिनमें 34.81 लाख प्रतिभागी सफल हुए है। सफलता का प्रतिशत 77.63 है।
ऽ वर्ष 2015-16 में योजनान्तर्गत आयोजित होने वाली साक्षरता परीक्षा में 50 लाख प्रतिभागियों को सम्मिलित कराये जाने का प्रस्ताव किया गया है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एस0सी0ई0आर0टी0)
ऽ राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उ0प्र0, द्वारा प्राथमिक/उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिये पाठ्यक्रम तथा पाठ्यपुस्तकों का विकास, छात्र-छात्रओं की शैक्षिक सम्प्राप्ति का मूल्यांकन, शोध, सेवापूर्व तथा सेवारत शिक्षक-प्रशिक्षण का कार्य किया जाता है।
ऽ राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के अधीन प्रदेश में 70 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान संचालित हैं। 43 जनपदों में 200 प्रशिक्षु, 08 जनपदों में 100 प्रशिक्षु तथा 19 जनपदों में 50 प्रशिक्षुओं की सीटें आवंटित हैं जिन पर सेवापूर्व प्रशिक्षण संचालित किया जा रहा है। इसी के साथ, एन0सी0टी0ई0 से मान्यता प्राप्त एवं शासन से सम्बद्धता प्राप्त 701 निजी बी0टी0सी0 कालेज भी उक्त प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
ऽ बी0टी0सी0 प्रशिक्षण में प्रवेश हेतु अभी तक प्रदेश स्तर पर विभाग की वेबसाइट पर आॅनलाइन आवेदनपत्र प्राप्त किये जाने की व्यवस्था है। प्राप्त आवेदन पत्रों से वर्ग एवं श्रेणीवार आरक्षण के नियमों का अनुपालन करते हुये मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है। उक्त पाठ्यक्रम में आवेदन करने वाले अभ्यर्थी न सिर्फ अपने गृह जनपद में बी0टी0सी0 प्रशिक्षण करने हेतु पात्र होते हैं, बल्कि प्रदेश में किसी भी जनपद में प्रशिक्षण हेतु पात्र होते हैं। काउन्सिलिंग करा चुके अर्ह अभ्यर्थियों से 10 जनपदों का आॅनलाइन विकल्प भराया जाता है, यथासंभव 10 जनपदों में अभ्यर्थी सीटों के सापेक्ष जनपद का आवंटन प्राप्त करता है। यदि अभ्यर्थी की मेरिट इस 10 जनपद हेतु चयन के लिए कम होती है तो शेष जनपदों को अंगे्रजी की वर्णमाला क्रम में रखकर मेरिट के अनुसार वर्ग व श्रेणी के आधार पर कोई न कोई जनपद आवंटित कर दिया जाता है।
ऽ आर0टी0ई0 2009 में दी गयी व्यवस्था के अनुसार सतत् एवं व्यापक मूल्याॅंकन प्रशिक्षण का माड्यूल वर्ष 2014-15 में नवीनीकृत किया गया है। इस हेतु प्रथम चरण में 05 जनपद-रायबरेली, बलरामपुर, ललितपुर, वाराणसी एवं गाजियाबाद पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में चयनित किये गये थे, परन्तु अब यह सम्पूर्ण प्रदेश में संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में लागू करने हेतु राज्य स्तर पर मास्टर टेªनर्स का प्रशिक्षण कराया जा चुका है।
उपर्युक्त के अतिरिक्त कक्षा 1 तथा 2 में पठन-पूर्व दक्षताओं के विकास हेतु शिक्षक प्रशिक्षण के लिए राज्य स्तर पर मास्टर- टेªनर्स का प्रशिक्षण आयोजित किया गया है।
ऽ बी0टी0सी0 पाठ्यक्रम एन0सी0एफ0-2005 एवं आर0टी0ई0- 2009 के आलोक में संशोधित किया जा चुका है। यह संशोधित पाठ्यक्रम वर्तमान में संचालित बी0टी0सी0 सत्र हेतु लागू है। पाठ्यक्रम निर्माण/संशोधन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि वर्तमान परिपेक्ष्य में वह समस्त आयाम समाहित कर लिये जायें जिनकी अद्यतन आवश्यकता है।
ऽ प्रदेश के सभी जनपदों में कक्षा 5 तथा 8 में अध्ययनरत छात्र-छात्रओं की शैक्षिक सम्प्राप्ति का मूल्यांकन कराया जा रहा है।
ऽ भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अल्पसंख्यक बाहुल्य विकासखण्डों में ब्लाॅक इन्स्टीट्यूट आॅफ टीचर एजूकेशन (बाइट) की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गयी है। इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक बाहुल्य 21 विकासखण्डों में ब्लाॅक इन्स्टीट्यूट आॅफ टीचर एजूकेशन (बाइट) के भवन निर्माण हेतु धनराशि की प्रथम किश्त जनपदों को अवमुक्त की गयी है। भवन निर्माण समयबद्ध रूप से तथा गुणवत्तापूर्ण ढं़ग से कराने का दायित्व प्राचार्य डायट को सौंपा गया है।
ऽ निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनिमय 1995 के क्रियान्वयन हेतु केन्द्र पुरोनिधानित (सिपडा) ;ैबीमउम वित प्उचसमउमदजंजपवद व िच्मतेवदे ूपजी क्पेंइपसपजपमे ंबजद्ध के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15 में दो शौचालय (01 पुरूष एवं 01 महिला) एवं रैम्प बनाने हेतु जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को विकलांगजन विकास विभाग द्वारा धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है तथा निर्माण हेतु मार्गदर्शी सिद्धान्त पे्रषित किये गये है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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