आज दिन रविवार, दिनांक 15 मार्च, 2015 को ‘राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान’, उ0प्र0 के तत्वावधान में ‘पुरस्कार एवं सम्मान समारोह’ वर्ष 2014-15 का आयोजन ’विश्वेश्वरैया प्रेक्षागृह, लोक निर्माण विभाग (राजभवन के सामने), महात्मागाँधी मार्ग, लखनऊ, में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो0 अभिषेक मिश्र, मा0 राज्य मंत्री, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग, उ0प्र0 थे। समारोह के अति विशिष्ट अतिथि जाने माने गायक पद्मश्री श्री अनूप जलोटा जी, श्री जयशंकर मिश्र, सेवानिवृत्त अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा, विशिष्ट अतिथि श्री नरेन्द्र कुमार चैबे, प्रमुख सचिव, उ0प्र0 विधान परिषद एवं श्री हर्षवर्धन, अग्रवाल, फाउन्डर ट्रस्टी, हेल्प यू ट्रस्ट, हजरतगंज, लखनऊ थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 हरशरण दास, प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ0प्र0 शासन द्वारा की गयी। कार्यक्रम में संस्थान के सह संरक्षक श्री अनीस अंसारी भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मा0 अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि/विशिष्ट अतिथिगण द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात श्री घनानन्द पाण्डेय ‘मेघ’ द्वारा वाणी वन्दना प्रस्तुत की गयी। संस्थान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री विनोद चन्द्र पाण्डेय ‘विनोद’ द्वारा साहित्यकारों एवं अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके पश्चात संस्थान की गतिविधियों के साथ प्रगति आख्या डाॅ0 दिनेश चन्द्र अवस्थी, महामंत्री द्वारा प्रस्तुत की गयी।
इस अवसर पर मा0 राज्य मंत्री प्रो0 अभिषेक मिश्र ने कहा कि हमारे समाज में साहित्य का प्रभाव सदैव से रहा है साहित्य समाज को दिशा व सोच देता है। वन्दे मातरम के माध्यम से साहित्यकारों ने देश को एक साथ खड़ा किया था। साहित्य सवाल उठाता है एवं समाधान भी प्रस्तुत करता हैं साहित्य वैचारिक क्रान्ति का बीज बोता है।
प्रमुख गायक कलाकार पद्मश्री श्री अनूप जलोटा जी ने संस्थान के कार्यों की प्रशंसा करते हुए भजन सुनाया: मिल जाते हैं राम कोई बुला कर देख ले।
डाॅ0 जयशंकर मिश्र, से0नि0 अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा ने कहा कि राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है साहित्य का कार्य समाज को स्थापित करने का कार्य है। समाज की आवाज को साहित्य उठाता है और जीवन जीना भी सिखाता है।
संस्थान के सह संरक्षक डाॅ0 अनीस अंसारी ने कहा कि साहित्य और समाज का बहुत करीबी रिश्ता है। साहित्यकारों को समाज को जोड़ने में साहित्य का उपयोग करना चाहिए।
प्रमुख सचिव विधान परिषद श्री नरेन्द्र कुमार चैबे ने कहा कि साहित्य समाज की आत्मा, शक्ति और मनोरंजन के साथ भक्ति है। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर ने पुस्तकों को अलमारी तक सीमित कर दिया है।
संस्थान के अध्यक्ष डा0 हरशरण दास ने कहा कि संस्थान बहुत अच्छा कार्य कर रहा है यह न केवल राज्य कर्मचारियों को प्रोत्साहित करता है वरन साहित्य का उद्देश्य साहित्य के माध्यम से समाज की सेवा करना है। उन्होंने ंस्थानस के 51-51 हजार के 8 पुरस्कारों को बढ़ाकर 24 किये जाने हेतु शासन को धन्यवाद ज्ञापित किया। संस्थान के महामंत्री डाॅ0 दिनेष चन्द्र अवस्थी ने कहा कि हमें बेहद खुषी होती है कि हम शासकीय सेवाओं के साथ साथ साहित्य की सेवा उत्तम सेवा है। इसके लिए साहित्य से जुड़े अधिकारी एवं राज्यकर्मचारी लगातार आदर एवं बधाई के पात्र हैं। उन्होंने संस्थान की प्रगति के सम्बन्ध में आरम्भ से लेकर अबतक की जानकारियाँ प्रदान कीं।
हेल्प यू ट्रस्ट के फाउन्डर ट्रस्टी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल जी ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है समाज को दिशा देता है और समाज की बेचैनी को व्यक्त करता है। साहित्यकारों को धन्यवाद एवं बधाई।
मुख्य अतिथि द्वारा संस्थान की पत्रिका ‘अपरिहार्य’ के ‘पुरस्कार एवं सम्मान विशेषाँक’, श्रीमती शोभा दीक्षित ‘भावना’ के ग़ज़ल संग्रह ‘जि़न्दगी तेरे लिए’, डाॅ0 कैलाश निगम की कृति ‘दीवान-ए-कैलाश निगम’, श्री दयानन्द जडि़या ‘अबोध’ की कृति ‘ये हैं अबोध के नवीन छन्द’, श्री सत्य प्रकाश सक्सेना की कृति ‘मदशाला’ एवं डाॅ0 रश्मिशील द्वारा सम्पादित कृति ‘अनुभव की सीढ़ी’ (डाॅ0 भारतेन्दु मिश्र की कविताओं का संकलन) का लोकार्पण भी किया गया।
इसके पश्चात इस आयोजन का मुख्य पुरस्कार एवं सम्मान का सत्र प्रारम्भ हुआ। अतिथिगण द्वारा साहित्यकारों को पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किये गये:-
मा0 राज्य मंत्री प्रो0 अभिषेक मिश्रजी द्वारा पुरस्कृत किये गये साहित्यकारों की सूची
1. पं0 महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार ः डाॅ0 जटाशंकर त्रिपाठी,
दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा-हिन्दी गद्य अनुसचिव, चिकित्सा विभाग,
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) उ0प्र0 सचिवालय।
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र
2. सुमित्रा नन्दन पंत पुरस्कार ः डाॅ0 अशोक अज्ञानी
दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा-हिन्दी पद्य प्रवक्ता, हिन्दी, हुसैनाबाद
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) राजकीय इण्टर कालेज,लखनऊ
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र
3. अमृतलाल नागर पुरस्कार ः डाॅ0 सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय,
हिन्दी गद्य की मौलिक कृति ‘योग और अध्यात्म’ जिलाधिकारी, सिद्धार्थनगर,
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) उ0प्र0।
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र
4. जय शंकर प्रसाद पुरस्कार ः श्री ओम धीरज
हिन्दी पद्य की मौलिक कृति ‘सावन सूखे पाँव’ अपर जिलाधिकारी,
रु0 51,000/- (रुपये इक्यावन हजार मात्र) वाराणसी, उ0प्र0।
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र
5. डाॅ0 विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार ः श्री अमिताभ पाण्डेय,
हिन्दी गद्य की मौलिक कृति ‘इतिहास और साहित्य’ प्राविधिक सहायक ‘इतिहास’
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) राजकीय अभिलेखागार, महानगर,
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र लखनऊ।
6. डाॅ0 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पुरस्कार ः श्री उमाशंकर यादव ‘निशंक’
हिन्दी पद्य की मौलिक कृति ‘चेतना के स्वर वरिष्ठ लिपिक, कलेक्ट्रेट,पेशकार
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) सदर, उन्नाव, उ0प्र0।
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र
7. मिर्जा असदउल्ला खाँ ‘गालिब’ पुरस्कार ः श्री मोहम्मद अशरफ़
उर्दू भाषा गद्य में दीर्घकालीन साहित्यिक सेवा, उर्दू, सहायक आयुक्त एवं
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) सहायक निबंधक
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र सहकारिता कार्यालय, विकास
भवन, गोरखपुर, उ0प्र0।
8. फिराक़ गोरखपुरी पुरस्कार ः श्री मोहम्मद फारूक़,
उर्दू भाषा पद्य की मौलिक कृति ‘अकसे हयात्’ उर्दू अनुवादक, कार्यालय
रु0 51,000/-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) निबंधक एवं सहकारिता, लखनऊ
तथा प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, अंग-वस्त्र उ0प्र0।
संस्थान की पत्रिका ‘अपरिहार्य’ एवं संस्थान को अमूल्य योगदान देने हेतु
‘साहित्य गौरव सम्मान’
श्री रवीन्द्र नाथ तिवारी,
श्रीयुत् श्रीकृष्ण सिंह ‘अखिलेश’
श्री राम प्रकाश त्रिपाठी प्रकाश
डाॅ0 सुरेश पति त्रिपाठी
श्री शाहनवाज़ कुरैशी
श्री शिव कुमार बिलगरामी
श्री ओम प्रकाश गुप्त ‘मधुर’
डाॅ0 गणेश नारायण शुक्ल (उन्नाव)
डाॅ0 कृष्णा जी श्रीवास्तव
श्री मयंक किशोर शुक्ल ‘मयंक’
श्री सुरेन्द्र कुमार अग्निहोत्री
श्री कमलेश मौर्य ‘मृदु’
श्री धन सिंह मेहता ‘अनजान’
श्री सुरेश पंजम
श्री रमेश गुप्त
श्री बजरंगबली
डा0 आनन्द ओझा
श्री हरि मोहन बाजपेयी ‘माधव’
श्रीमती इन्द्रासन सिंह ‘इंदु’
श्री मनीष कुमार
उक्त सभी साहित्यकारों को प्रशस्ति-पत्र, अंग-वस्त्र एवं स्मृति-चिन्ह प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका की सम्पादक श्रीमती शोभा दीक्षित ‘भावना’ एवं संयुक्त सम्पादक डाॅ0 रश्मिशील को संस्थान को सराहनीय सहयोग देने हेतु प्रशंसा-पत्र भी प्रदान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ0 रश्मिशील एवं श्री सुनील कुमार बाजपेयी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पधारे हुए अतिथियों/साहित्यकारों/श्रोताओं एवं अन्य उपस्थित महानुभावों के प्रति संस्थान के उपाध्यक्ष श्री विजय प्रसाद त्रिपाठी ने आभार/धन्यवाद व्यक्त किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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