23 फरवरी 2015 को रजत समाज के कुलगुरू राष्ट्र संत गाडगे महाराज की 139वीं जयन्ती पर शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। के0डी0 सिंह बाबू स्टेडियम हजरतगंज पर नारियल फोड़कर एवं गजानन का पूजन कर शोभा यात्रा का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर सभी ने महाराज संत गाडगे के बताये मार्ग पर चलने का तथा बुराईयों को दूर करने का संकल्प लिया गया। शोभा यात्रा में हाथी, घोडे, ऊँट, बैण्ड बाजो सहित संत गाडगे महाराज की झांकिया भी सम्मिलित थी। उत्तर प्रदेश रजक सुधार समिति के महामंत्री रामऔतार कनौजिया, पार्षद रानी कनौजिया एव पूर्व पार्षद गणेश कनौजिया ने रजक समाज की जीविकापार्जन की समस्याओं का एक ज्ञापन मा. मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को भेजकर समस्या का निराकरण समय रहते कराने का आग्रह किया। शोभा यात्रा परिवर्तन चैक, कारगिल पार्क, डालीगंज पुल, मेडिकल कालेज चैरहा, महाबीर चैक चैरहे होते हुए संत गाडगे मूर्ति स्थल माँ मरी माता मन्दिर सीतापुर रोड पक्का पुल पहुंचकर समारोह में परिवर्तित हो गयी मूर्ति स्थल बाबा जी के नारे से गूंज उठी।
यात्रा की अगुवाई पार्षद रानी कनौजिया, महामंत्री रामऔतार कनौजिया, गणेश कनौजिया, महात्मा संत गाडगे जूनियर हाईस्कूल के छात्र/छात्राओं, विद्यालय प्रबन्धक अतुल कुमार कनौजिया, रीतेश कुमार कनौजिया, शिक्षकगण, रेनू कनौजिया, नीलू, अवधेश वर्मा, विनीता सिंह, सोफिया, विजय कनौजिया, अध्यक्ष कनौजिया रजक फ्रेन्डस एसोसिएशन, प्रहलाद कनौजिया, अध्यक्ष ट्रांस गोमती वलेशियर एसोसिएशन, अनिल कनौजिया, संत गाडगे उत्थान समिति, सुरेश कुमार चैधरी, राम नरेश कनौजिया, परशुराम, प्रमोद कुमार, होरी लाल, शिवपल्टन जी, शीतला प्रसाद चैधरी, लल्लू राम कनौजिया, अर्चना, रवि प्रसाद, रीता कनौजिया अगुवाई करते हुए उपरोक्त लोगों ने कहा कि संत गाडगे बाबा जैसे महान संत कभी-कभी ही पैदा होते है, जिन्होंने सारा जीवन पीडि़त मानवता के उद्धार एवं कल्याण में समर्पित कर दिया गया हो। महान संत, समाज सुधारक, समतामूलक समाज के पोषक, त्याग एवं ममता की प्रतिमूर्ति गाडगे जी महराज का जन्म महाराष्ट्र के एक किसान परिवार में (परीट/रजक/धोबी समाज में) 23 फरवरी 1876 दिन बुधवार महाशिवरात्रि को हुआ। गाडगे जी ने 29 वर्ष की आयु में घर त्याग दिया और अपना पूरा जीवन दबे, कुचले, पीडि़त, शोषित, अशिक्षित, व पिछड़े समाज के उत्थान में लगाया। महामानव ने पूरे महाराष्ट्र तथा भारत के अन्य प्रान्तों की यात्रा की और लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और एक प्रगतिशील जीवन के लिए लोगों को शिक्षित किया। उन्होने पीडि़त लोगों के साथ रहकर उनकी पीड़ा को सुना देखा, महसूस किया और उसके खिलाफ बिगुल छेड़ा महामानव ने लगभग 60-65 शिक्षण संस्थान, वृद्धा आश्रम, छात्रावास, वाचनालय, धर्मशाला, गौशाला आदि का निर्माण कराया। वह स्वयं स्कूली शिक्षा (अनपढ़ थे) नहीं ग्रहण किये थे। परन्तु फिर भी लोगों को शिक्षा हेतु प्रेरित किया। वह गरीबों, मजलूमों किसानों की लड़ाई लडते उनकों शिक्षा देते हुए 20 दिसम्बर 1956 को महापर्व निर्वाण को प्राप्त हुये।
आज हम सभी की जिम्मेदारी है कि उनकी शिक्षाओं, उनके त्याग, उनके प्रभाव, एकता एवं समरस समाज बनाने के सपने को आगे बढाये सही यही बाबा संत गाडगे का सच्चा मिशन होगा। यात्रा के समारोह को अन्त में समिति के पदाधिकारी पार्षद रानी कनौजिया, रामऔतार कनौजिया, महात्मा सन्त गाड्गे जूनियर हाईस्कूल के छात्र/छात्राओं, विद्यालय प्रबन्धक श्री अतुल कुमार कनौजिया, रीतेश कुमार कनौजिया, शिक्षकगण, रेनू कनौजिया, नीलू, अवधेश वर्मा, विनीता सिंह सोफिया, सुरेश कुमार चैधरी, प्रहलाद कनौजिया, प्रमोद कुमार, होरी लाल, शीतला प्रसाद चैधरी, गनेश कनौजिया पूर्व पार्षद, रमाशरन, चैहान, सुशील चैधरी, मुन्ना लाल, दिलीप कनौजिया, विजय कनौजिया, रमेश कनौजिया, राम जीवन, सुरेश कनौजिया, विजय कनौजिया, रमेश कनौजिया, राम सजीवन, सुरेश कनौजिय, दिनेश कनौजिया, सुखलाल, राम तीरथ, रामचन्द्र, शिव कुमार आदि लोगों ने सम्बोधित किया। समिति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर संत गाडगे की जयंती पर सर्वजनिक अवकाश एवं संत गाडगे जलाशय पार्क का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराये जाने व पैतृक कार्य से जुड़े समाज के सदस्यों की समस्याओं का निराकरण किये जाने शहर के अन्दर व्यवस्था कराये जाने की मांग की।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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