Archive | February 9th, 2015

प्रदेष में ध्वस्त कानून व्यवस्था और संवेदनहीन सरकार - डा0 मनोज मिश्र

Posted on 09 February 2015 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में हो रहे ताबड़तोड़ अपराधों के लिए सपा सरकार को जबर्दश्त तरीके से घेरा। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डा0 मनोज मिश्र ने आरोप लगाया कि सपा सरकार में राजधानी लखनऊ में ही अपराध और अपराधियों का ताण्डव हो रहा है। पुलिस की संवेदन हीनता की पराकाष्ठा है कि  मृतक के पिता से ही रिपोर्ट के नाम पर घूस ले ली। 100 नवम्बर सेवा की सवेंदनहीनता की बदनुमा तस्वीर भी प्रदेश की जनता को दिखलाई पड़ी।
प्रवक्ता डा0 मिश्र ने प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सपा सरकार को जमकर लताड़ लगाई। लखनऊ में ही गौरी और हर्ष की हत्या के मामले में प्रदेश पुलिस की सम्वेदनहीनता ने जन मानस को हिला दिया। बरेली में 5 साल बच्ची के साथ बलात्कार के मामलो में एस.एस.पी. की संवेदनहीनता से जनता हैरान है। शिखर हत्याकाण्ड में सी.वी.सी.आई.डी. जांच भी अपराधियों को बचाने का प्रयास हैं। जनता का पुलिस और सरकार पर विश्वास खत्म हो गया। मृतक हर्ष के पिता से घूस लेकर रिपोर्ट दर्ज करने वाला मुंशी आज तक अपनी कुर्सी पर कायम है। 100 नम्बर की निष्क्रियता की जांच के लिए बहानेबाजी हो रही है। अभी तक किसी जिम्मेदार पुलिस वाले पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे है और पुलिस इनकी संरक्षण बनकर उभरती दिख रही हैं।
प्रवक्ता डा0 मिश्र ने सपा सरकार से तत्काल मृतक के पिता से घूस लेने वाले मुंशी को वर्खास्त करने की मांग की। 100 नम्बर सेवा की सम्वेदन हीनता के लिए जिम्मेदार लोगों पर भी तत्काल कार्यवाही हो। उन्होंने मांग की सपा सरकार में पूरा उत्तर प्रदेश अपराधियों के खौप से थर्रा रहा है। उन्होंने पूछा कि आखिर प्रदेश में कानून का राज कौन कायम करेगा ? जब राजधानी में कानून-व्यवस्था ध्वस्त है तो पूरे प्रदेश का अंदाजा लगाया जा सकता हैं ? ध्वस्त कानून व्यवस्था की कीमत प्रदेश की सपा सरकार को हर हालत में चुकानी होगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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आज भारतीय जनता पार्टी, कानपुर महानगर ने अपने ‘‘सदस्यता अभियान’’ को गति प्रदान करने हेतू प्रदेश द्वारा आये कार्यक्रम ‘‘बूथ चलो, ग्राम चलो’’ दिनांक 8,9,10,11 को लेकर सारा दिन तैयारी पर जोर दिया।

Posted on 09 February 2015 by admin

आज भारतीय जनता पार्टी, कानपुर महानगर ने अपने ‘‘सदस्यता अभियान’’ को गति प्रदान करने हेतू प्रदेश द्वारा आये कार्यक्रम ‘‘बूथ चलो, ग्राम चलो’’ दिनांक 8,9,10,11 को लेकर सारा दिन तैयारी पर जोर दिया। सभी विधानसभा में मण्डल अध्यक्ष, मण्डल प्रभारी, बूथ प्रवासियों से सम्बन्ध स्थापित किया गया। कानपुर में कुल 2183 बूथ है, जिन पर 4 दिन लगातार भा.ज.पा के कार्यकर्ता कार्य करेंगे। चूँकि प्रदेश ने अपने 1.50 करोड़ के लक्ष्य को अब 2 करोड कर दिया है। इस नाते जिलो की जिम्मेदारी एंव जवाब देही बढ़ गयी है। इन चारो दिनों में रोज सांय पार्टी कार्यालय पर बूथों का हिसाब किताब देना अनिवार्य होगा।
चूंकि प्रदेश भी पल-पल की जानकारी चाह रहा है। प्रदेश नेतृत्व भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता। भारतीय जनता पार्टी इस सदस्यता अभियान सें 2017 के चुनाव में अपनी जीत का रास्ता बनाना चाहती है।
इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्वश्री सुरेन्द्र मैथानी, भूपेन्द्र त्रिपाठी, सुनील बजाज, चिन्ता ंिसह चन्देल, रघुराज सरन गुप्ता, पूनम कपूर, रंजीता पाठक, उपेन्द्र पाठक, दीपक ंिसह, आनन्द शर्मा, रवि प्रकाश ंिसह, अभिज्ञा सिंह, आदि लोग रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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सी.एम.एस. अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के फेस्टिवल लोगो एवं पोस्टर का अनावरण 8 फरवरी को

Posted on 09 February 2015 by admin

यूनाइटेड नेशन्स इन्फार्मेशन सेन्टर की निदेशिका सुश्री किरन मेहरा करपेलमन करेंगी सी.एम.एस. के अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के फेस्टिवल लोगो का अनावरण
सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित होने वाले सातवें अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2015) के फेस्टिवल लोगो एवं फेस्टिवल पोस्टर का अनावरण 8 फरवरी, रविवार को सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में यूनाइटेड नेशन्स इन्फार्मेशन सेन्टर की निदेशिका सुश्री किरन मेहरा करपेलमन द्वारा किया जायेगा। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. के फिल्म्स डिवीजन द्वारा किशोर एवं युवा पीढ़ी को चरित्र निर्माण व जीवन मूल्यों की शिक्षा देने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव का आयोजन विगत छः वर्षों से लगातार किया जा रहा है एवं इसी कड़ी में सी.एम.एस. द्वारा लगातार सातवीं बार विश्व का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव 7 से 15 अप्रैल 2015 तक सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है।
श्री शर्मा ने बताया कि इस नौ-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव में प्रदर्शन हेतु 80 देशों की 1020 बाल फिल्मों की प्रवष्टियाँ प्राप्त हो चुकी है जिनमें अफगानिस्तान, अर्जेन्टीना, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, अजरबैजान, बांग्लादेश, बेल्जियम, बेलारूस, बोत्सवाना, बोस्निया, ब्राजील, बुल्गारिया, बुर्कीनाफासो, कनाडा, कम्बोडिया, चिली, चीन, कोलम्बिया, क्रोएशिया, क्यूबा,  चेक-रिपब्लिक, डेनमार्क, इक्वाडोर, इजिप्ट, फिनलैण्ड,  फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हांगकांग, हंगरी, इण्डोनेशिया, ईरान, ईराक, आयरलैण्ड, इजरायल, इटली, जापान, कजाकिस्तान, कोरिया, कोसोवो, लाओ पीडीआर, लेबनान, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मैक्सिको, मोरक्को, नेपाल, नीदरलैण्ड, न्यूजीलैण्ड, नार्वे, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, पैराग्वे, पेरू, फिलीपीन्स, पोलैण्ड, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सर्बिया, सिंगापुर, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, श्रीलंका, स्वीडन, स्विटजरलैण्ड, सीरिया, ताईवान, थाईलैण्ड, टर्की, यूक्रेन, यू.ए.ई., यू.के., यू.एस.ए., उजबेकिस्तान, वेनेजुएला एवं भारत शामिल हैं।
श्री शर्मा ने बताया कि इस बाल फिल्मोत्सव में प्रतिदिन दो शो आयोजित किये जायेंगे जिनमें देश-दुनिया की चुनिन्दा बाल फिल्में पूर्णतया निःशुल्क प्रदर्शित की जायेंगीं। इसके अलावा, विभिन्न श्रेणियों के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को 10 लाख रूपये के नगद पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा। श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. द्वारा पिछले 6 वर्षों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव अत्यन्त ही सफल रहा है। छात्रों व युवा पीढ़ी को स्वस्थ मनोरंजन के साथ जीवन मूल्यों व चरित्र निर्माण की शिक्षा दे रहे इस आयोजन की लोकप्रियता का यह आलम रहा कि प्रत्येक वर्ष लगभग एक लाख से अधिक बच्चे इस अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव में दिखाई जाने वाली फिल्मों को देखने के लिए आते हैं।
श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. का मानना है कि आॅडियो-विजुअल माध्यम बच्चों को जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का बड़ा ही सीधा व सरल तरीका है एवं बच्चों के मन-मस्तिष्क पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि सी.एम.एस. ने हिंसा व अश्लीलता से भरपूर गंदी फिल्मों के स्थान पर अच्छी फिल्में निःशुल्क दिखाने का साहसिक बीड़ा उठाया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आगामी अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल भी इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मील का पत्थर साबित होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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मुख्यमंत्री नीति आयोग के कार्यांंे, रूपरेखा एवं कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार का पक्ष प्रस्तुत करेंगे

Posted on 09 February 2015 by admin

मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव रविवार को नई दिल्ली में आयोजित होने वाली नीति आयोग की शासी परिषद की पहली बैठक में आयोग के कार्यांे, रूपरेखा एवं कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही, श्री यादव संविधान की संघीय व्यवस्था के मद्देनजर केन्द्र सरकार के स्तर से राज्यों को अधिक से अधिक वित्तीय सहायता एवं सहयोग दिए जाने की भी पुरजोर वकालत करेंगे। वे इस बात पर भी बल देंगे कि वित्तीय संसाधनांे के आवंटन में विवेक की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए। साथ ही, यह उम्मीद भी जाहिर करेंगे कि केन्द्र सरकार राज्यों की वर्षाें से चली आ रही कठिनाईयों के मद्देनजर बगैर किसी भेदभाव के, स्वयं पहल कर राज्यों को मदद उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री द्वारा इस बात पर भी बल दिया जाएगा कि सभी केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं में राज्यों को कम से कम 90 प्रतिशत अनुदान राशि मुहैय्या करायी जाए।
यह भी उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री केन्द्र और राज्य के बीच नियमित संवाद पर बल देंगे। साथ ही, इसे आवश्यक और अपरिहार्य बताते हुए नवगठित संस्था में भी ऐसी प्रणाली को विकसित करने की बात कहेंगे। वे राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न सेक्टरों में स्थायी कार्य दल के गठन की भी मांग करेंगे, जिनमें सेक्टर से जुड़े मंत्रालयों के साथ ही राज्यों की भी पूरी नुमाइंदगी भी हो। इन कार्याें दलों के
जरिए भावी योजनाओं की रूप-रेखा तय करने और मौजूदा योजनाओं की दिक्कतों को दूर करने के लिए गहन विचार-विमर्श होना चाहिए और उनकी संस्तुतियांे पर नीतिगत फैसले लिए जाना चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री उल्लेख कर सकते हैं कि संविधान के अनुच्छेद-263 के तहत अन्तर्राज्यीय परिषदों का गठन हुआ है। यह परिषद राज्यों के बीच उन विवादों के निस्तारण पर विचार-विमर्श करती है, जिसका सम्बन्ध एक से अधिक राज्य से हो। इसी प्रकार राज्य पुनर्गठन अधिनियम-1956 के तहत भी क्षेत्रीय परिषद गठित है, जिसकी बैठक समय-समय पर आयोजित हो रही है। संवैधानिक अधिकारों द्वारा गठित इन परिषदों और नीति आयोग के अधीन गठित होने वाली
क्षेत्रीय परिषदों के अधिकार और कार्य क्षेत्र में किस प्रकार विभाजन होगा, यह अभी साफ नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री पहले से गठित क्षेत्रीय परिषदों को और मजबूत करते
हुए उनकी नियमित बैठकों के आयोजन पर बल देते हुए इन बैठकों में लिए गए फैसलों को लागू करने के लिए प्रभावशाली व्यवस्था की बात भी कहेंगे। यह सुझाव भी देंगे कि नीति आयोग इन परिषदों में उठाए जा रहे विकास के मुद्दों पर कार्रवाई करे।
दूरगामी नतीजे वाली रणनीति के तहत मौजूदा परिवेश में 10 से 15 साल की दीर्घकालीन योजनाएं बनाए जाने की आवश्यकता से सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री
समयबद्ध ढंग से पंचवर्षीय योजनाएं बनाने की वर्तमान प्रणाली को कायम रखने का सुझाव भी देंगे। वे यह भी मांग करेंगे कि पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देने से पहले राज्यों से राजनैतिक एवं अधीकारिक स्तर पर विस्तृत विचार-विमर्श जरूर किया जाना चाहिए। इसी के साथ सेक्टोरल कार्यकारी दलों में राज्यों की समस्याओं के समाधान के लिए उन्हें जोड़ते हुए दिक्कतों को दूर करने के मुकम्मल इंतजाम होने चाहिए। वे इस बात पर भी बल देंगे कि पंचवर्षीय योजनाओं में साल दर साल वार्षिक योजनाओं पर विचार करते समय उनमें काट-छांट करना अथवा अपेक्षित संसाधनों में कटौती करना उचित नहीं होगा।
श्री यादव यह तथ्य भी सामने रखंेगे कि कुछ केन्द्रीय कार्यक्रम ऐसे हैं जिनकी कठिन शर्ताें और प्रतिबन्धों के चलते मात्र कुछ राज्य ही उनका लाभ हासिल कर पाते हैं। राज्यों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन शर्ताें और प्रतिबन्धों को लचीला बनाना आवश्यक है। वित्तीय संसाधनों के आवंटन में विवेक की कोई गंुजाइश नहीं रहनी चाहिए, बल्कि पारदर्शी तरीके से वस्तुपरक मानक के जरिए राज्यों के बीच संसाधनों का बंटवारा होना चाहिए। इस बंटवारे में पिछड़े क्षेत्रों/राज्यों की जरूरतों को वरीयता दी जानी चाहिए।
राज्यों को विकास योजनाओं संचालित करने के लिए केन्द्र से स्थानान्तरित होने वाले संसाधनों के विशेष महत्व का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री यह अनुरोध भी करेंगे कि जो भी नवीन संस्था बने वह पारदर्शी हो, वस्तुपरक हो तथा उसके द्वारा राज्यों के पिछड़ेपन, गरीबी के आधार को महत्व देते हुए कार्रवाई की जाए। अभी यह स्थानान्तरण गाडगिल-मुखर्जी फार्मूले के आधार पर किया जाता है। यदि भविष्य में इसमें कोई संशोधन प्रस्तावित होता है तो राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर इसको अन्तिम रूप दिया जाय तथा स्थानान्तरण के मापदण्डों में राज्यों के पिछड़ेपन, गरीबी व जनसंख्या को वरीयता दी जाए।
केन्द्र सरकार द्वारा देश के विकास की मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिए कतिपय महत्वपूर्ण पहल की गयी है, परन्तु अभी तक यह पहल इरादों तक ही सीमित है। इसके कार्यान्वयन हेतु वित्तीय व अन्य संसाधन तथा राज्यों की सक्रिय सहभागिता आवश्यक होंगी। मुख्यमंत्री यह भी बताएंगे कि केन्द्रीय सरकार द्वारा की गई पहल तुलना में प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व से ही अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाएं संचालित कर रही है जो राज्य की जनता के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
इन योजनाओं में सोलर पावर जनरेशन परियोजना, बालिकाओं को शिक्षित करने हेतु कन्या विद्याधन योजना, सुशासन हेतु सूचना प्रौद्योगिकी/ई-गवर्नेन्स का अधिक से अधिक प्रयोग, 40 लाख गरीब परिवारों को समाजवादी पेंशन योजना से लाभान्वित करना तथा इस पेंषन योजना को प्राथमिक शिक्षा, चिकित्सा, मातृ एवं शिशु रक्षा तथा बाल पोषण से जोड़ना, प्रदेश में शहरी क्षेत्र में 24 घण्टे व ग्रामीण क्षेत्र में 18 से 20 घण्टे विद्युत आपूर्ति हेतु अवस्थापनाओं का विकास, लखनऊ सहित अन्य बड़े शहरों में मेट्रो योजना का क्रियान्वयन, आगरा से लखनऊ 8 लेन के एक्सप्रेस वे का निर्माण, लखनऊ स्थित चक गंजरिया में निजी भागीदारी से आई0टी0 पार्क का निर्माण शामिल हैं। प्रदेश में विकास की गतिविधियों को सुव्यवस्थित और समयबद्ध ढंग से संचालित करने के लिए राज्य सरकार हर वर्ष विकास का एजेण्डा निर्धारित कर उसे लागू करती है। राज्य सरकार शुरू से ही समाजवादी विचारधारा के आधार पर हर व्यक्ति को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, दवा, बिजली और पानी की व्यवस्था करने और उसके सम्मान की रक्षा के लिए कृतसंकल्प है।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री यह भी बताएंगे कि सुझाए गए नवीन पहलुओं को क्रियान्वित करने हेतु राज्य सरकार पर अत्यधिक वित्तीय बोझ डालने का प्रयास न किया जाय। राज्य को अपने फ्लैगशिप कार्यक्रम को संचालित करने हेतु संसाधन जुटाने में अत्यधिक कठिनाई हो रही है। अतः राज्यों को अपनी विकास परियोजनाओं को संचालित करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों को संरक्षित करते हुए केन्द्र की योजनाओं को क्रियान्वित किया जाना श्रेयस्कर होगा। सभी केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं में कम से कम 90 प्रतिशत अनुदान राशि राज्यों को उपलब्ध करायी जाये।
राज्यों की वार्षिक योजनाओं के माध्यम से विकास कार्यो को द्रुत गति से कार्यान्वित करने और अल्प अवधि में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने हेतु नीति आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में दो राय नहीं है। इस उद्देश्य को सफल बनाने हेतु विभिन्न राज्यों द्वारा किये गये नवीन एवं सफल प्रयोगों को अन्य राज्यों में कार्यान्वित कराने के उद्देश्य से नियमित रूप से कार्यशालायें आयोजित हों, जिनमें राज्यों के सम्बंधित प्रतिनिधि प्रतिभाग करें। इसी के साथ नीति आयोग द्वारा राज्यों के सफल प्रयोगों को अंगीकृत करते हुए राष्ट्रीय कार्यक्रमों में उसका समावेश किया जाये ताकि उनके आधार पर राज्य उसका लाभ उठा सके।
नीति आयोग को सहकारी संघवाद (ब्ववचमतंजपअम थ्मकमतंसपेउ) के सिद्धान्तों पर चलते हुए राज्यों के साथ मिलकर नीतियाॅं बनाते हुए विकास की गति बढ़ानी है। प्रदेशों की अपनी-अपनी प्राथमिकतायें हैं और विकास सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाये जाते हैं। इसलिए सभी राज्यों पर एक ही नीति कारगर नहीं हो सकती। नीतियों में लचीलापन रहना जरूरी है ताकि प्रदेश अपनी आर्थिक, सामाजिक एवं भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उसमें बदलाव कर सके।
श्री यादव मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट मानीटरिंग ग्रुप स्थापित करने के प्रस्ताव पर राज्य सरकार की सहमति की जानकारी भी देंगे। वे यह भी बताएंगे कि राज्य सरकार की अवस्थापना सम्बन्धी अनेक परियोजनाओं को निर्धारित समय-सारिणी में पूरा करने हेतु केन्द्रीय मंत्रालयों से विभिन्न प्रकार की अनापत्तियां व स्वीकृतियां आवश्यक होती हैं। ऐसे प्रकरण समय-समय पर राज्य से सन्दर्भित भी किये गये हैं। वे यह मांग भी करेंगे कि केन्द्र सरकार स्तर पर भी, नीति आयोग व प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर पर राज्यों द्वारा सन्दर्भित प्रकरणों के समयबद्ध नियमित निस्तारण व समीक्षा की व्यवस्था हो, जिसमें राज्य सरकार एवं सम्बन्धित केन्द्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधि सम्मिलित हों। इस दोहरी व्यवस्था से निश्चित रूप से पूरे देश में अवस्थापना विकास की योजनाओं को तेजी से क्रियान्वित कराया जा सकेगा।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री इस बात पर जोर देंगे कि आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर राज्यों को समुचित संसाधन उपलब्ध कराये बिना सबका साथ सबका विकास की परिकल्पना को साकार नहीं किया जा सकता। वे उम्मीद जताएंगे कि केन्द्र सरकार राज्यों की वर्षो से चली आ रही कठिनाईयों को दृष्टिगत रखते हुए बिना किसी भेदभाव के स्वयं पहल कर राज्यों को सहायता मुहैया करायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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प्रेस विज्ञप्ति - हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एवं हेल्प यू जलोटा अकादमी आॅफ स्प्रिचुअल म्यूजिक की प्रस्तुति ”हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या” कार्यक्रम दिनांक 07.02.2015 का विस्तृत विवरण

Posted on 09 February 2015 by admin

प्रेस विज्ञप्ति - हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एवं हेल्प यू जलोटा अकादमी आॅफ स्प्रिचुअल म्यूजिक की प्रस्तुति ”हेल्प यू संजीवनी हनुमान  भजन संध्या” कार्यक्रम दिनांक 07.02.2015 का विस्तृत विवरण

हैल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट ने दिनांक 07.02.2015 को हनुमान मन्दिर, हनुमान सेतु, लखनऊ विश्वविद्यालय के सामने ”हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या” का आयोजन किया। यह कार्यक्रम हेल्प यू जलोटा अकादमी आॅफ स्प्रिचुअल म्यूजिक की तरफ से प्रत्येक शनिवार को प्रस्तुत किया जाता है।

”हेल्प यू संजीवनी हनुमान भजन संध्या” में भजन सम्राट पद्मश्री श्री अनूप जलोटा जी के अनुयायी गायक मिथिलेश लखनवी, अल्का निवेदन, अमर कुमार, अंजलि श्रीवास्तव, अनूप केसवानी, कामिनी सिंह, किशोर चतुर्वेदी, कुलतार सिंह, ओंकार श्ंाखधर, प्रदीप अली, वन्दना गुप्ता, जयकिशन, शिव प्रिया पाण्डेय, प्रीतीलाल, गौतम निशा सिंह, ने अपने भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मिथिलेश लखनवी-.नाम हरि का जप ले बन्दे फिर पीछे पछताएगा, अल्का निवेदन-मन बसिया दो कान्हा, अंजलि श्रीवास्तव- प्रभूजी तुम चन्दन हम पानी, मै तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोई, अनूप केसवानी- मन के तम्बूरे में साॅंसो के तार बोले जय सिया राम-राम, कामिनी सिंह हे दुख भंजन मारूति नंदन सुन लो मेरी पुकार, किशोर चतुर्वेदी-मन लागो मेरे यार फकीरो में, कुलतार सिंह- मेरा कोई न सहारा बिन तेरे गुरू सॅंवरिया मोरे, ओकार शंखधर-जहाॅं-जहाॅं प्रभू का स्थल हो, प्रदीप अली-तुम करूणा के सागर हो प्रभू, वन्दना गुप्ता- हम तो अपने राम जी का भगीरथ दूसर कोई आशा न करबे, जयकिशन- मेरे मन मे राम जन मे राम रोम-रोम में राम, शिव प्रिया पाण्डेय- प्रथम केसर भोले नाथ दर-दर महादेव सुखधाम, प्रीतीलाल- रधुबर तुम तो मेरी लाज, गौतम निशा सिंह- वो काला एक बांसुरी वाला, उपस्थित सभी ने हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के भजन संध्या आयोजन की बडी सराहना की और कई उपस्थित भक्तगणों ने अगले शनिवार को होने वाली भजन संध्या में स्वयं अपने गायन के लिए भी पेशकश की।

हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के फाउन्डर ट्रस्टी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने आए हुए सभी भक्तगणेा का आभार व्यक्त किया एवं सभी से समाज की प्रगति के लिए सुझाव भी माॅंगे एवं बताया कि हेल्प यू जलोटा अकादमी आॅफ स्प्रिचुअल म्यूजिक की तरफ से हर शनिवार सांय 4 बजे से 7 बजे तक भजन संध्या का अयोजन किया जायेगा। श्री अग्रवाल ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये श्री दिवाकर त्रिपाठी का विशेष योगदान बताया एवं सभी से हेल्प यू बाल गोपाल शिक्षा योजना में सहयोग की अपील भी की।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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स्वास्थ्य फिट तो परीक्षा में हिट- पंडित हरि ओम शर्मा

Posted on 09 February 2015 by admin

परीक्षायें निकट हैं, समस्यायें विकट हैं, इन समस्याओं में यदि स्वास्थ्य फिट है तो आप परीक्षा में हिट हैं यदि नहीं तो यह खतरे की घंटी है आपके लिए! इसलिए इस खतरे की घंटी की आवाज को कान खोलकर सुन लीजिए, सावधान हो जाइये! अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिये तभी आप परीक्षा में हिट होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि विद्वानों का मत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मष्तिष्क निवास करता है। इसलिए अतिआवश्यक है कि परीक्षा सन्निकट होने के कारण पढ़ाई के साथ साथ स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखें। इन सुझावों पर भी अमल करें यह सुझाव आपके लिए रामबाण साबित होंगे और आप अपनी परीक्षा में विजय प्राप्त कर विजयी कहलाये जायेंगे।
नींद अवश्य पूरी करें: यह बात सही है कि परीक्षायें निकट हैं और जमकर पढ़ाई करना है किन्तु इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप दिन रात पढ़ाई में ही जुटे रहे और अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करें। नींद हजार समस्याओं का निदान है। अतः कम से कम 6 घंटे अवश्य सोयें, ऐसा करने से आपके शरीर में एक नई चेतना, एक नई स्फूर्ति आयेगी, साथ ही दिमाग तरोताजा होगा, इससे आपकी पढ़ाई की क्षमता में और अधिक विकास होगा। अतः ‘नींद’ के समय को बरकरार रखें, नींद में मीठे-मीठे सपने देखें फिर इन सपनों को मूर्तिरूप देने के लिए जमकर पढ़ाई करें तभी आप परीक्षा में हिट हो सकते हैं।
बदलते मौसम में सावधानी बरतें: मौसम बदल रहा है। अतः लापरवाही न करें, अभी भरपूर गर्मी नही है अतः कपड़े पहनने में लापरवाही न करे, क्योंकि इन दिनों में लापरवाही से ही सर्दी, जुकाम, बुखार अपनी पकड़ बना लेता है जो आपके हित में नही है। बदलते मौसम के मिजाज को समझना आवश्यक है।
खान-पान का विशेष ध्यान रखे: इस समय पार्टियो, शादियो, होटल व रेस्टोरेन्ट के खाने से परहेज करें। घर पर बना खाना ही खायें, साथ ही यह भी ध्यान रखें कि खाना सुपाच्य व शीघ्र पचने वाला हो, इन दिनो पूरी-पराठा, छोले-भटूरे, चाट-पकौड़े व मिठाई आदि से भी दोस्ती तोड़ ले, साथ ही जूस व फलो का सेवन अवश्य करें। थोड़ा खायें भले ही दिन में कई बार खायें।
दिनचर्या नियमित करें: स्वास्थ पर दिनचर्या का विशेष प्रभाव पड़ता है जिन लोगो की दिनचर्या अनियमित होती है उनका स्वास्थ ठीक नहीं रहता है। अतः दिनचर्या नियमित करिये। सोने का समय, जगने का समय, नित्यकर्म से निवृत होने का समय, नाश्ते का समय, लंच व डिनर का समय सबकुछ निश्चित करिये और उसका दृढ़तापूर्वक पालन करिये फिर देखिये कैसे आपका स्वास्थ्य फिट होता है और फिर कैसे आप परीक्षा में हिट होते है।
तनाव से बचे: तनाव से शीघ्र ही थकान जाती है अतः तनावमुक्त रहें, मन को बोझिल होने से बचायें, हमेशा प्रफुल्लित व मस्त रहें फिर आप देखेंगे कि किस तरह आपको चैप्टर शीघ्र ही याद हो जाते हैं और गणित की जटिल पहेलियों को चुटकी बजाकर हल कर लेंगे, विज्ञान के फार्मूले हर समय आपकी जबान पर रहेंगे, साहित्यिक भाषा में आप स्वतः ही निपुण हो जायेंगे।
आत्मविश्वास बनाये रखें: हमेशा यह ध्यान में रखें कि परीक्षा की तैयारी सबसे अधिक आपकी ही अच्छी है। आप ही परीक्षा में हिट होंगे व सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेंगे। यह आत्मविश्वास ही आपके तन व मन दोनों को स्वस्थ रखेगा और आपको सर्वोच्चता के मुकाम तक ले जायेगा। अतः आत्मविश्वास बनाये रखना अति आवश्यक है। याद रखिये! आत्मविश्वास सफलता की वह कुंजी है जो किस्मत के दरवाजे स्वयं खोल देती है।
रात को देर तक पढ़ाई न करें: देखा गया है कि कुछ छात्र देर रात तक पढ़ते हैं और प्रातः देर से जगते हैं। यह आदत स्वास्थ्य एवं पढ़ाई दोनों के प्रतिकूल है। यदि आप इस गलत आदत के आदी हैं तो इस आदत में तुरन्त सुधार करिये, आज से और अभी से और इसी समय से अन्यथा यह बुरी आदत आपको मनचाही सफलता से वंचित कर सकती हैं। याद रखिये! प्रातः जगने से एक तो शरीर स्वस्थ होता है दूसरे याद करने वाला मैटर या समझने वाला मैटर शीघ्र ही याद हो जाता हैै और शीघ्र ही समझ में आ जाता है। साथ ही प्रातः स्मरण किया हुआ चैप्टर बहुत दिनों तक मन मष्तिष्क में विद्यमान रहता है और उससे भी महत्वपूर्ण  बात यह है कि प्रातः ब्रहम मुहुर्त में सरस्वती विद्या दान करती है जो छात्र प्रातः जगे हुए होते हैं उनकी झोली विद्या से परिपूर्ण हो जाती है और जो छात्र सोये हुए होते हैं उनकी झोली खाली रह जाती है क्योंकि बीता हुआ समय फिर कभी वापस नहीं आता है।
पढ़ने के आसन का ध्यान रखो: कुछ छात्र या तो लेटकर पढ़ते हैं या सोफे पर पसरकर! पढ़ाई के यह दोनों आसन ही गलत है और इनका स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पढ़ता है। पढ़ाई हमेशा सीधे बैठकर करें और कुर्सी पर बैठकर ही करें, जब थकान अनुभव करें तो किताब बंद कर सीधे बिस्तर पर लेट जायें, दोनों आँखे बंद कर लें फिर आपने जो चैप्टर पढ़ा है उसका मनन करें इससे आपको दो फायदे होंगे एक तो आप द्वारा याद किया हुआ चैप्टर स्थायी याद हो जायेगा दूसरे आपकी थकान शीध्र ही दूर हो जायेगी। जिससे आप तरोताजा होकर पुनः पढ़ाई में जुट जायेंगे।
प्रातः जगकर पानी अवश्य पीयें: जितना चाय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है उतना ही जल ‘मन व तन’ दोनों को निर्मल करता है। प्रातः जलपान करने से छोटी मोटी बीमारी तो खुद ही किनारा कर लेती है। साथ ही प्रातः का जलपान पेट साफ करता है। इससे शरीर निरोग व सुडौल बनता है साथ ही मष्तिष्क तेज होता है।
कुछ समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालें: परीक्षा सन्निकट है इसका मतलब यह नहीं है कि आप व्यायाम का निर्धारित समय भी पढ़ाई को भेंट कर दें, यह कदम आपके लिए आत्मघाती कदम होगा। अतः व्यायाम का निर्धारित समय किसी को न दे प्रातः व्यायाम अवश्य करें, व्यायाम आपके शरीर व मष्तिष्क दोनों को बल प्रदान करता है। अतः इस बल को प्राप्त करने के लिए  व्यायाम अवश्य करिये तभी आपका स्वास्थ्य फिट रहेगा और आप परीक्षा में हिट होंगे।
छात्र जीवन के पाँचो गुणों का पालन करें: छात्रों में पाँच गुणों का समावेश होना अति आवश्यक है। वह पाँच गुण हैं - पहला - कौए जैसा प्रयास अर्थात प्रत्येक समय अवसर की तलाश में रहना, दूसरा -  बगुला जैसा ध्यान अर्थात अपने उद्देश्य पर ही ध्यान केन्द्रित करना, तीसरा - कुत्ते जैसी नींद अर्थात सोते समय भी अपने कर्तव्य पर अडिग रहना, चैथा - अल्पहारी अर्थात कम भोजन करने वाला, पाँचवा - गृहत्यागी अर्थात घर के झंझटों से अपने आपको दूर कर पढ़ाई में ही जुटे रहना। इन पाँच गुणों को संस्कृत में इस प्रकार कहा गया है -
‘काग चेस्टाः, बको ध्यानं्, स्वान निद्राः तथैव च। अल्पहारी, गृह त्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणम्।।
यह कुछ ऐसे चन्द सुझाव हैं जो आपको देखने में अवश्य छोटे लग रहे होंगे किन्तु याद रखिये छोटी-छोटी बातें ही बड़े-बड़े परिणाम दिलाती हैं यदि आप बड़ा परिणाम चाहते हैं और परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर हिट होना चाहते हैं तो आप इन छोटी-छोटी बातों पर अमल करिये। इन बातों को अपने जीवन में उतारिये अपने स्वास्थ्य को फिट करिये और परीक्षा में हिट होइये। परीक्षा आपका इन्तजार कर रही है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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परीक्षा सिर पर है, समय कम है, पढ़ने की क्षमता बढ़ाइये- पंडित हरि ओम शर्मा

Posted on 09 February 2015 by admin

परीक्षायें सिर पर हैं, समय कम हैं यदि आपने पढ़ने की क्षमता में विकास न किया तो आपको वह सफलता प्राप्त नहीं हो सकती है जिसके लिए आप प्रयास कर रहे हैं। अतः पढ़ने की आदत में सुधार करिये, अध्ययन की क्षमता का विकास करिये, अपने याद करने के तौर-तरीके बदलिये तभी आपको मनचाही सफलता मिल सकती है, अन्यथा आप हाथ मलते ही रह जायेंगे! पढ़ने का, याद करने का, अध्ययन की क्षमता का विकास करने का यह अवसर पुनः आपको नहीं मिलेगा। याद रखिये! अवसर व्यक्ति को बार-बार नहीं मिलता है इस समय अवसर आपके दरवाजे पर है, आप उसका लाभ उठाइये। अभी भी समय है चेत जाइये! जग जाइये! पूर्णरूप से जुट जाइये! अपनी पढ़ाई में, कर लीजिए विकास अपनी अध्ययन क्षमता का, प्राप्त कर लीजिए अपनी मनचाही मंजिल। अवसर अपकी प्रतीक्षा कर रहा है मेरे इन सुझावों पर अमल करते हुए जुट जाइये पूर्ण मनोयोग से अपने मिशन में, सफलता आपका इन्तजार कर रही है।
टाइम टेबल तैयार करें और उस पर अमल करें: योजनाबद्ध तरीके से किये गये कार्य से ही मनचाही सफलता मिलती है। जब आपके विद्यालय में टाइम टेबिल के अनुसार पढ़ाई होती है तो फिर घर पर क्यों नहीं? घर के समय को सोने, खेलने-कूदने, पढ़ने व दैनिक नित्य कर्म से निपटने में कुछ इस तरह विभक्त करें कि पढ़ने का व याद करने का समय आपको अधिक से अधिक मिल सके। टाइम टेबिल को कुछ इस तरह योजनाबद्ध तरीके से बनाओं कि सोने के लिए 6 घंटे आपको अवश्य मिल जाये। लिखने वाला कार्य सोने से पहले ही पूरा कर लें तब सोयें, लिखने वाले कार्य को कल पर टालना घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि सुबह आपके पढ़ने का समय है। एक बात और गाँठ बाँध लीजिए प्रातः याद की हुई बातें हमेशा याद रहती हैं तथा जो चैप्टर आप रात में सोने से पहले दो घंटे में याद करेंगे, सच मानिये! वह चैप्टर आप प्रातः एक घंटे में याद कर सकते हैं। इसके कारणों पर इस समय चर्चा करने का समय नहीं है। अतः बिना सोचे समझे मेरी यह बात मान लीजिए साथ ही टाइम टेबिल का पालन करना भी नितान्त आवश्यक है। यदि आपने टाइम टेबिल बना लिया किन्तु उसका पालन न किया तो सब बेकार। अतः टाइम टेबिल का पालन करना नितान्त आवश्यक है। हाँ, अपनी सुविधानुसार आप परिवर्तन अवश्य कर सकते हैं।
नियमपूर्वक अध्ययन करें: टाइम टेबिल के अनुसार नियम पूर्वक अध्ययन करें। ‘अभी पढ़ने का मूड नहीं है!’ यह बहाना उन छात्रों के लिए है जो पढ़ना नहीं चाहते हैं तथा अपने भविष्य के साथ दूसरे छात्रों का भविष्य भी चैपट करना चाहते हैं। अतः ऐसे बहानेबाज सहपाठियों से सौ कोस की दूरी बना लेना ही हितकर है, अन्यथा यह खुद तो डूबेंगे ही आपको भी ले डूबेंगे। अतः अगर दोस्ती करनी है तो किताबों से दोस्ती करिये, किताबों से सच्चा दोस्त इस संसार में कोई दूसरा नहीं है। न मानो तो किताबों से दोस्ती करके देख लो, यह बेजुबान किताबें आपको इतना अथाह ज्ञान दे देंगी कि यह आपकी जुबान पर बैठ कर बोलने लगेगी और आपके हाथ की कलम बन कर परीक्षा मंें प्रश्नों का उत्तर इतने सर्वोच्च ढंग से देंगी कि आप परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेंगे। अतः ऐसे सच्चे दोस्त से दोस्ती करिये और चढ़ जाइये सफलता के सोपान पर!
पढ़ने का सही तरीका अपनायें: मैंने बहुत से छात्र-छात्राओं को देखा है कि वह आराम से बिस्तर पर लेटे-लेटे पढ़ते हैं और पढ़ते-पढ़ते ही सो जाते हैं। कुछ छात्रों को सोफे पर पैर पसारे हुए पढ़ते हुए भी मैने देखा है तो कुछ छात्र टी0वी0 के सामने किताब खोलकर बैठ जाते हैं फिर उनकी निगाहें किताब पर नहीं! टी0वी0 पर होती है। किताब के चैप्टर में क्या लिखा है उनको यह नहीं मालूम होता है किन्तु अमुक सीरियल में अब क्या होने वाला है यह उन्हें अच्छी तरह मालूम है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप एक होनहार और अपनी मंजिल पर पहँुचने वाले मेधावी छात्र हैं। किन्तु यदि आपके पढ़ने का तरीका कुछ इसी तरह का है तो उसे तुरन्त आज से, अभी से व इसी समय से बदल दीजिए अन्यथा पढ़ाई के साथ आप द्वारा की जा रही यह मजाक एक दिन आपका ही मजाक उड़ायेगी। मेरी यह सलाह विनम्रता के साथ है किन्तु साथ ही चेतावनी भी है आपके लिए।
संभव हो तो पढ़ने का कमरा अलग कर लें: यदि घर में समुचित स्थान है तो आप अपने पढ़ने के कमरे में पढ़ाई करें क्योंकि इससे आप घर की बातचीत, आने-जाने वाले मेहमानों, टी0वी0 रेडियो के शोर-शराबों आदि से बच जायेंगे साथ ही आपका मन शान्त व स्थिर रहेगा। इससे तुम्हारी याददाश्त में गजब की अभिवृद्धि हो जायेगी तथा पढ़ने की पुस्तकें कापियाँ व अन्य शैक्षिक उपकरण सब एक ही कमरे में होंगे तो इससे आपके समय में भी बचत होगी। पढ़ने वाले कमरे में न तो कम रोशनी वाला लगी हो और न ही तेज रोशनी वाला बल्ब/ट्यूबलाइट। यह दोनों ही स्थितियां पढ़ाई में बाधक हैं। पढ़ने के कमरे में समुचित प्रकाश की व्यवस्था हो तथा कमरें में एक रोशनदान व एक खिड़की का होना भी अति आवश्यक है।
स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें: कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है अतः इन दिनों में आपका स्वस्थ रहना अति आवश्यक है। परीक्षा सन्निकट है, मौसम बदल रहा है अतः इस समय सेहत का विशेष ध्यान रखिये - खाना खाने का समय, सोने का समय, खेलने का समय आपने अपने टाइम टेबिल में निर्धारित किया है उसका पूर्णतः पालन करिये साथ ही हल्का व सुपाच्य भोजन करिये। भूख से थोड़ा कम खाये तो अच्छा है सोने से दो घंटे पहले खाना खा लेना स्वास्थ्यवर्धक होता है। खाने के साथ पानी न पीयें तो अति उत्तम है खाना खाने के आधा घंटे बाद पानी पीना श्रेयस्कर होता है।
पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के कुछ सरल उपाय:
अध्ययन करने की क्षमता बढ़ाने के कुछ सरल उपाय आपको बता रहा हूँ जो आपकी सफलता में मील के पत्थर साबित होंगे और आप इन्हीं मील के पत्थरों के सहारे पहुँच जायेंगे अपनी सफलता की मंजिल तक।
ऽ    जो चैप्टर आपको याद करना है पहले उसको अच्छी तरह समझो फिर याद करो तदुपरान्त लिखकर देख लो ऐसा करने से उक्त चैप्टर आपके मन मस्तिष्क में हमेशा के लिए बैठ जायेगा।
ऽ    जिस चैप्टर को आपको याद करने में कठिनाई हो रही है उसे कई बार और बार-बार दोहराओ। इसके बाद आप देखेंगे कि वह चैप्टर आपके दिलो दिमाग में घर कर जायेगा।
ऽ    कुछ चैप्टर ऐसे होते हैं जिनका सम्बन्ध एक-दूसरे से होता है ऐसे चैप्टरों को टुकड़ों में नहीं अपितु एक साथ पढ़ो। इससे आपको सम्बन्धित सभी चैप्टर शीघ्र याद हो जायेंगे।
ऽ    अपने कोर्स की पाठ्य पुस्तकों तक ही सीमित मत रहो अन्य लेखकों की पुस्तकों को भी पढ़ो इससे अन्य छात्रों की तुलना में आपकी तैयारी अच्छी हो जायेगी।
ऽ    पढ़ाई के लिए हमेशा तत्पर रहो अर्थात क्लास में पढ़ते समय, नोट्स उतारते समय, सहपाठियों से बात करते समय हमेशा जागरूक रहो, काम की बात सुनते ही या पढ़ते ही उसे तुरन्त नोट करो। इन बातों से तुम्हारे ज्ञान में अभिवृद्धि होगी और आपको अपने विषय पर भी मजबूत पकड़ हो जायेगी।
ऽ    जिन किताबों को आप पढ़ते हैं उस किताब के महत्वपूर्ण चैप्टरों की अतिमहत्वपूर्ण लाइनों को अन्डरलाइन अवश्य कर लें साथ ही आज जिस पैराग्राफ को आप महत्व देना चाहते हैं उस पर सही का निशान लगा लें। इन सबसे समय की बचत होती है तथा इन महत्वपूर्ण लाइनों पर निगाह बरबस ही चली जाती है।
ऽ    पहले कोर्स में निर्धारित किताबें पढ़े फिर अन्य लेखकों की किताबें पढ़े फिर नोट्स तैयार करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको सर्वोच्चता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता है।
ऽ    आत्म विश्वास सफलता की वह कुन्जी है जो किस्मत के फाटक स्वयं खोल देती है। अतः आत्म विश्वास बनाये रखें। ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। उत्साही का क्या करे, गर्मी, वर्षा, शीत।।’’
वक्त है कम, परीक्षा है कठिन, तुम्हें तेज कदम चलना होगा।
हे परम् तपस्या के पथिकों, तुम्हें नूतन पथ रचना होगा।।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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नीति आयोग के संचालन हेतु प्रक्रिया इस प्रकार निर्धारित हो कि वह राज्यों को साथ लेते हुए विकास की गति को आगे बढ़ाए

Posted on 09 February 2015 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि नीति आयोग के संचालन हेतु नियमावली व प्रक्रिया इस प्रकार निर्धारित हो कि वह राज्यों को साथ लेते हुए विकास की गति को आगे बढ़ाए। उन्होंने केन्द्रीय प्लान बजट का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को एकमुश्त उपलब्ध कराए जाने की मांग की, ताकि प्रदेश स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं के मुताबिक योजनाएं लागू कर सके। राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इस ओर अपने संसाधनों से पूरी कोशिश कर रही है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार की केन्द्र सरकार से अपेक्षा है कि वह उत्तर प्रदेश की जरूरतों और समस्याओं पर ध्यान दे।
मुख्यमंत्री आज नई दिल्ली में नीति आयोग की शासी परिषद की पहली बैठक में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने नीति आयोग की कार्य प्रणाली में सुस्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए जाने पर जोर देते हुए इस सम्बन्ध में एक उप समिति के गठन का सुझाव दिया, जिसमें आयोग के सदस्य एवं राज्यों का प्रतिनिधित्व हो। यह उप समिति एक निश्चित समय सीमा में अपनी विस्तृत संस्तुति शासी परिषद को सौंपेगी, जिसके अनुमोदन के बाद आयोग द्वारा ग्रहण कर लिया जाएगा।
श्री यादव ने कहा कि नीति आयोग के नवीन स्वरूप से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि राज्यों और केन्द्र सरकार के मंत्रालयों के बीच किस प्रकार ताल-मेल कायम होगा, पिछड़े तथा कमजोर राज्यों को वरीयता प्रदान करते हुए उन्हें संसाधनों के हस्तान्तरण का कार्य किस प्रकार से व किस संस्था द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस बात पर ध्यान आकृष्ट कराया कि आयोग की शासी परिषद और राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन का स्वरूप लगभग समान है। इसलिए राष्ट्रीय विकास परिषद के बारे में भी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। दोनों संस्थाओं को समानान्तर रूप से बनाए रखना औचित्यपूर्ण नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का यह मत है कि देश के विभिन्न पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास की बाधाओं को दूर करते हुए नीति आयोग उनके समग्र विकास को द्रुत गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि बजट का बड़ा अंश केन्द्र द्वारा रखे जाने के बजाए उसे राज्यों को हस्तान्तरित किए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। राज्य सरकार का मानना है कि केन्द्रीय प्लान बजट का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को एकमुश्त धनराशि के रूप में उपलब्ध कराया जाए, ताकि प्रदेश स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं के मद्देनजर योजनाएं कार्यान्वित कर सके।
श्री यादव ने कहा कि जब तक नीति आयोग की नई व्यवस्थाएं धरातल पर नहीं उतर आती तब तक, विशेष रूप से यह देखते हुए की 12वीं पंचवर्षीय योजना का तीसरा वर्ष चल रहा है, पूर्ववर्ती वार्षिक योजना व्यवस्था को फिलहाल बनाए रखना उचित होगा। उन्होंने कहा कि दूरगामी परिणाम वाली रणनीति के तहत 10-15 वर्षों की दीर्घकालीन योजनाएं बनाना वर्तमान परिदृश्य में आवश्यक तो है, परन्तु पंचवर्षीय योजनाएं समयबद्ध ढंग से बनाने की वर्तमान प्रणाली को बनाए रखना उचित होगा।
व्यवस्था ऐसी बनाई जानी चाहिए कि वित्तीय संसाधनों के आवंटन में विवेक की कोई गुंजाइश नहीं रखनी चाहिए। पारदर्शितापूर्ण तरीके से वस्तुपरक मानक के माध्यम से राज्यों के मध्य संसाधनों का बंटवारा हो और इस बंटवारे में पिछड़े क्षेत्रों/राज्यों की आवश्यकता को वरीयता दी जानी चाहिए।
केन्द्र सरकार द्वारा अवस्थापना परियोजनाओं को महत्व दिए जाने का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग ग्रुप की स्थापना राज्य सरकार द्वारा की गई है। प्रमुख सचिव, प्रधानमंत्री के 28 जनवरी, 2015 के पत्र के क्रम में मुख्य सचिव द्वारा विस्तृत परीक्षण कर उत्तर भेज दिया गया है। यद्यपि स्थानीय स्तर पर केन्द्र सरकार के अधिकारियों द्वारा इन बिन्दुओं पर पूर्व में ध्यान आकृष्ट नहीं किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के जो विभिन्न प्रस्ताव एवं अपेक्षित स्वीकृतियां केन्द्र सरकार के स्तर पर लम्बित हैं, उन पर नीति आयोग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर पर प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग ग्रुप की व्यवस्था की जाए और उसमें राज्य सरकार के अधिकारियों को भी सम्मिलित किया जाए। उन्होंने कहा कि लखनऊ मेट्रो, जिसकी सैद्धान्तिक सहमति और बजट प्राविधान, दोनों ही केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व में ही किए जा चुके हैं, उसकी स्वीकृति भी केन्द्र सरकार के स्तर पर काफी दिनों से लम्बित चल रही है, जबकि समस्त औपचारिकताएं राज्य सरकार ने पूरी कर दी हैं। उन्होंने कहा कि अपने विचारों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाते हुए प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार को तत्काल लखनऊ मेट्रो को मंजूरी देनी चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों का बेहतर और उचित रख-रखाव नहीं हो पा रहा है। इस सम्बन्ध में केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी के लखनऊ आगमन पर उनके साथ विस्तृत चर्चा की गई थी। उन्होंने अवस्थापना के दृष्टिगत प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत और अनुरक्षण की स्थिति को और बेहतर किए जाने की मांग की, ताकि आम जनता के साथ-साथ उद्योग व्यवसायों को भी इसका लाभ मिल सके।
राज्य की आम जनता को पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने के प्रति प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के स्तर पर कोल ब्लाॅक आंवटन, केन्द्रीय विद्युत परियोजनाओं से पर्याप्त विद्युत आपूर्ति, विभिन्न पर्यावरणीय क्लीयरेन्स जैसी समस्याएं लम्बित हैं। विद्युत और कोयला राज्य मंत्री से इस बारे में हुई विस्तृत चर्चा का उल्लेख करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री से इस सम्बन्ध में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। श्री यादव ने यह मांग भी की कि प्रदेश में बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए केन्द्र सरकार से जो अपेक्षाएं हैं, जिनका उनके द्वारा पूर्व में भी उल्लेख किया गया था, इनका स्थायी निराकरण किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कतिपय महत्वपूर्ण पहल की गई है, लेकिन यह अभी तक इरादों तक ही सीमित है। इसके क्रियान्वयन हेतु वित्तीय व अन्य संसाधन तथा राज्यों की सक्रिय सहभागिता जरूरी होगी। प्रदेश सरकार अपने स्तर से इनमें से विभिन्न बिन्दुओं पर पहले से कार्य कर रही है। विशेष रूप से कौशल विकास, सोलर पार्कों की स्थापना, डिजीटल डिवाइड दूर करने के लिए आई0टी0 सेवाओं को जनोपयोगी बनाने, नई बैंक शाखाओं की स्थापना तथा बालिका शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार बेहतर कार्य कर रही है। महिलाओं के कल्याण के लिए विशेष रूप से अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। अवस्थापना के क्षेत्र में भी प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण कार्य प्रगति पर हैं। इनमें आगरा से लखनऊ एक्सप्रेस-वे, 4 शहरों में मेट्रो रेल का कार्य, आई0टी0 सिटी लखनऊ आदि प्रमुख हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2015-16 के विकास एजेण्डा को अन्तिम रूप दे दिया है और बजट की व्यवस्था भी कराई जा रही है।
श्री यादव ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-263 के अधीन जहां पूर्व से अन्तर्राज्यीय परिषदों का गठन है, वहीं स्टेट री-आॅर्गनाइजेशन एक्ट-1956 के अन्तर्गत क्षेत्रीय परिषदें भी गठित हैं। हाल ही में, लखनऊ में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक गृह मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित भी हुई थी। ऐसे मंे उचित होगा कि इन्हीं क्षेत्रीय परिषदों को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सुदृढ़ करते हुए प्रभावशाली बनाया जाए। विभिन्न सेक्टरों के लिए स्थायी कार्यदल गठित किए जाएं, जिनमें सेक्टर से सम्बन्धित मंत्रालयों के साथ ही राज्यों का पूरा प्रतिनिधित्व हो।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप व्यवस्था स्थापित किए जाने के प्रति राज्य सरकार के दृढ़ संकल्प का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के अन्तिम छोर पर खड़े आमजन को विकास की हर सुविधा दिया जाना उनके आंसू पोछकर बेहतर भविष्य के सपनों को साकार करना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने के लिए गरीबों और गांव वालों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। किसानों, गरीबों, छात्रों, नौजवानों, अल्पसंख्यकों, बच्चों और महिलाओं आदि के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास की कई परियोजनाओं पर निरन्तर कार्य किया जा रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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ओरछा में हुआ बंुदेली साहित्य का राष्ट्ीय अधिवेषन कवि कैलाष मड़बैया को इक्यावन हजार रु.का षाॅंति देवी पुरस्कार

Posted on 09 February 2015 by admin

झाॅंसी,वेत्रवती तट पर स्थित पावन,प्रसिद्ध और ऐतिहासिक तीर्थ ओरछा में दो दिवसीय बुन्देली बंुदेली भाषा और साहित्य का राष्ट्ीय अधिवेषन नूतन वर्षाभिनन्दन 2015 पर सम्पन्न हुआ।अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के तत्वावधान में आयोजित इस साहित्य सम्मेलन में एक सौ से अधिक बंुदेलखण्ड के 50 जिलों के प्रतिनिधि साहित्कारों ने चार स़त्रों में भागीदारी की। अधिवेषन में सर्वसम्मति से भारत षासन से बुन्देली भाषा को आठवीं अनुसूची में अब तक स्थान नहीं दिये जाने पर तीब्र आक्रोष व्यक्त किया गया। साथ ही राजा राम के प्रसिद्ध तीर्थ ओरछा में,उक्त रेल लाइन पर आने जाने बाली रेलों के स्टोपेज बनाये जाने की माॅंग की गई। इस भव्य साहित्य समारोह में लब्ब्धप्रतिष्ठित कवि कैलाष मड़बैया भोपाल को राष्ट्ीय षाॅंति देवी साहित्य पुरस्कार-2015,‘लाइफ टाइम एचीवमेण्ट’ स्वरुप इन्क्यावन हजार रुपये, अंगवस्त्र,साॅंल,श्री फल और साहित्यादि प्रदान किया गया। पुरस्कार पूर्व सांसद झाॅंसी एवं मध्यदेष के पूर्व सम्पादक विष्वनाथ षर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य,ओरछेष मधुकरषाह जू देव दिल्ली और फिल्म अभिनेता राजा बुन्देला के आतिथ्य में प्रदान किया गया। वीरसिंह देव पुरस्कार-15 डाॅं. कामिनी प्राचार्या सेंव़ढ़ा/दतिया को प्रदान किया गया। विविध सत्रों में बंुदेली भाषा के विविध पक्षों पर उ0प्र0और म0प्र0 के बंुदेली विद्वानों द्वारा अपने षोध पत्र प्रस्तुत किये गये। यथा सद्यःप्रकाषित अभूतपूर्व ग्रंथ‘बंुदेली के ललित निबंध’  पर 60 साहित्यकारों ने समीक्षायें प्रस्तुत कर एक नया रिकार्ड बनाया कि किसी एक ग्रंथ को एक साथ इतने विद्वानों ने पढ कर दो माह में अपने आलेख तैयार किये और उस पर अपनी अपनी राय च्यक्त की।दरअसल यह बंुदेली में गद्य साहित्य को समर्थ और सक्षम बनाने की दिषा में एक विषिष्ट उपक्रम था। साथ ही बंुदेली की बोलियों में बटे होने के कारण उसे मानकीकरण करते हुये भाषायी रूवरुप प्रदान करने की दिषा में महत्वपूर्ण चरण था। बंुदेली में समीक्षायें लिखने की भी यह पहल थी। इसी तरह बंुदेली में सात्रा वृतान्त लिखने के लिये नेपाल की हाल ही में की गई यात्रा के माध्यम से षोध आलेख पढ़ कर मंथन किया गया। एक सत्र विलुप्त होती बंुदेली लोक कथाओ पर सम्पन्न किया गया। सर्वसम्मति से नेपाल में हुये अन्तर्राष्ट्ीय सम्मेलन की सफलता पर धन्यवाद ज्ञापन भी किया गया।इस अवसर पर हुये बंुदेली काव्य पर राष्ट्ीय कवि सम्मेलन में सर्वश्री कैलाष मड़बैया भोपाल,आषा पाण्डे ग्वालियर,देवदत्त द्विवेदी छतरपुर, बेंधड़क झाॅंसी, रामस्वरुप दतिया,पथ एवं षिवेन्द्र भिण्ड, स्वदेष सोनी एवं पुरुषोत्तम पस्तोर ललितपुर, राजीव राणा  एवं रामगोपाल रायकवार ठीकमगढ,जवाहर द्विवेदी गुना,लखनखरे षिवपुरी,उमेष खरे,हेमा बुखारिया,प्रभा खरे,प्रज्ञा एवं पोषक पृथ्वीपुर,़प्रो.षीलचंद पालीवाल विदिषा,संतोष पटैरिया खजुराहो,रजनीष ओरछा एवं सागर,जबलपुर,मउरानीपुर,जालौन, काल्पी,महोबा आदि आदि जनपदों से आये नये पुराने लगभग 50 कवियों ने रात्रि के अन्तिम पहर तक काव्यपाठ किया।पूरे समय ओरछा नरेष मधुकरषाह और बंुदेलखण्ड के राष्ट्ीय अध्यक्ष डाॅ.कैलाष मड़बैया भोपाल विद्यमान रह, सक्रिय भागीदारी करते रहे। अधिवेषन में सम्पूर्ण बंुदेलखण्ड में नियमित कार्य करते रहने के लिये एक वार्षिक आयोजना कलेंण्डर2015 भी लोकार्पित कर ,सभी जिला प्रतिनिधियों को प्रदान किया गया। समारोह में श्री रामस्वरुप स्वरुप दतिया की काव्यकृति और षिरोमणिसिंह पथ भिण्इ के बंुदेली कथा संग्रह अरगनी का लोकार्पण भी मूर्धन्य साहित्यकार कैलाष मड़बैया जी एवं अन्य अतिथियों द्वारा किया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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लैपटाप, कन्या विद्याधन, बेरोजगारी भत्ता एवं अन्य लालीपाप योजनाओं के लिए पिछले बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं था, जिसके चलते इन योजनाओं को प्रदेश सरकार को बंद करना पड़ा।

Posted on 09 February 2015 by admin

लैपटाप, कन्या विद्याधन, बेरोजगारी भत्ता एवं अन्य लालीपाप योजनाओं के लिए पिछले बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं था, जिसके चलते इन योजनाओं को प्रदेश सरकार को बंद करना पड़ा। प्रदेश सरकार एक बार पुनः उपरोक्त योजनाओं की घोषणा करके प्रदेश की जनता के साथ छलावा कर रही है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रदेश का पिछला  2014-15 का बजट जो लगभग 2 लाख 74 हजार करोड़ रूपये का था, जिसमें स्वास्थ्य, बिजली सड़क, अनु0जाति/जनजाति, पिछड़े एवं अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण के लिए भरपूर पैसे का प्रावधान था। लेकिन प्रदेश में व्याप्त अराजकता एवं प्रशासनिक अक्षमता के चलते बजट में प्रावधानित काफी पैसा उन मदों में खर्च ही नहीं हो पाया, जिसका मूल कारण प्रदेश सरकार का योजनाओं के प्रति उदसीन रवैया रहा है। इससे यह साफ हो गया है कि जनता और जनता की मूलभूत सुविधाएं सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के मद में 14377 करोड़ रूपये पिछले बजट में प्रावधान था लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरायी हुई हैं। न दवा, न चिकित्सा और न ही नये अस्पतालों का निर्माण हो रहा है जिसकी परिणति यह है कि 74-74 महिलाओं की नसबंदी करने के बाद सरकार उन्हें बेड नहीं उपलब्ध करा पायी और इसी तरह की घटनाएं रोजाना प्रदेश के हर जिले में घटित होती रहती हैं चाहे वह आंख के मोतियाबिन्द का आपरेशन हो, प्रसूति में दी जाने वाली सुविधाएं हों अथवा आम आदमी की सामान्य बीमारियों का इलाज हो, कहीं भी इलाज नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं पूरे बजट का पैसा न खर्च हो पाने के कारण प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, सड़क एवं बिजली, पानी की घोर अव्यवस्था और कमी के चलते आम आदमी त्रस्त है। आम जनता को आये दिन सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना पड़ा है और प्रदेश की कानून व्यवस्था खराब हुई है और प्रदेश का विकास अवरूद्ध पड़ा हुआ है।
प्रवक्ता ने कहा कि विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली समाजवादी पार्टी की सरकार जब बजट का ही पैसा नहीं खर्च पा रही है तो ऐसे में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ नये रोजगारों का सृजन कैसे हो सकता है?
श्री अग्रवाल ने कहा कि जैसा कि अभी प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015-16 के बजट का आकार लगभग 3 लाख करोड़ रूपये के ऊपर रखने के संकेत दिये हैं। इस बजट में सरकार यह सुनिश्चित करे और प्रदेश की जनता को भी विश्वास में ले कि सरकार के पास जो संसाधन हैं उनके माध्यम से बजट में किये गये प्रावधानों को पूरा करने की इच्छाशक्ति और क्षमता भी है। इसके साथ ही सरकार इस एक श्वेतपत्र जारी करे कि पिछले बजट में भिन्न-भिन्न विभागों द्वारा कितना पैसा किन-किन मदों में खर्च किया गया और कितना खर्च नहीं कर पाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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