Posted on 02 February 2015 by admin
भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं से अफसरों की लापरवाही पर जबर्दश्त खिचाई की है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डाॅ0 मनोज मिश्र ने सपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्य सचिव महोदय की समीक्षा में सरकार की प्राथमिकताओं की धरातल पर सच्चाई की धज्जियंा उड़ गई । प्रदेश के तथाकथित विकास कार्यक्रमों की निगरानी और स्थलीय निरीक्षण में शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अफसरों का दिलचस्पी न लेना सपा सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था के मुॅह पर जोरदार तमाचा है। प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा प्रदेश के 62 नामित नोडल अफसरों से स्पष्टीकरण माॅंगने का तात्पर्य यह है कि पूरी की पूरी शासन-प्रशासन की व्यवस्था मनमर्जी , अराजकता और निरकुंशता की शिकार है।
प्रवक्ता डाॅ0 मिश्र ने आरोप लगाया कि प्रदेश के मुख्य सचिव को तो देर में इस सच्चाई की जानकारी हुई हैं जबकि पूरे प्रदेश में जनता पहले से ही प्रदेश की नौकरशाही के निरकुश रवैये के कारण त्रस्त और कुष्ठाग्रस्त है। प्रदेश की सपा सरकार का प्रदेश की नौकरशाही पर कोई नियत्रंण नही है। समीक्षा, सत्यापन और निरीक्षण की बात तो दूर प्रदेश पुलिस और प्रशासन के अधिकारी जनता के दुखदर्द को सुनते तक नही है। अधिकारी आम जनता द्वारा महीनों चक्कर लगाने के बाद समस्यओं को समाधान में रूचि नही दिखाते। शासन-प्रशासन के निरकुंश और पंगु होने की जानकारी प्रशासन के मुखिया को बहुत देर से मिली।
डाॅ0 मिश्र ने आरोप लगाया कि सरकार की नीतिगत अपगंता के कारण प्रदेश में न तो पुलिस और न ही प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त है बल्कि निरकुंश है। प्रदेश में मुख्यमंत्री जी के ढाई साल के शासन में 6 डीजीपी बने उनमें से कई का कार्यकाल मात्र एक या दो महीने रहा। प्रशासनिक अधिकारियों को ताश के पत्तों की तरह फेंटा जा रहा है। सरकार इसी नीतिगत अपंगता के कारण 31 दिसम्बर तक अपने वजट का लगभग 3/4 हिस्सा तक खर्च नहीं कर पायी।
डाॅ0 मिश्र ने सपा सरकार से मांग की कि सरकार प्रदेश के हित में तत्काल पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को चाक चैबन्द करें। निरकुंशता पर नियंत्रण करें तथा न्यायप्रिय एवं पारदर्शी शासन व्यवस्था लागू करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 02 February 2015 by admin
उत्तर प्रदेशीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ ने पाॅच फरवरी को प्रान्तीय बैठक बुलाई है। यह बैठक महासंघ के कार्यालय महात्मागांधी मार्ग लोनिवि में सम्पन्न होगी। प्रान्तीय अध्यक्ष रामराज दुबे ने बताया कि इस बैठक में सम्बंध संगठनों के अध्यक्ष एवं महामंत्री शामिल होगे। बैठक में चतुर्थ श्रेणी संवर्ग की वर्षों से लम्बित 32 सूत्रीय मांग पत्र पर विस्तार से चर्चा के उपरान्त क्रमिक एवं वृहद आन्दोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
श्री दुबे ने प्रेस को विज्ञप्ति मंे कहा कि प्रदेश के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सबसे ज्वलंत समस्या यह है कि वर्षों से इस संवर्ग में भर्ती न करके करके सरकार संविदा प्रणाली को बढ़ावा देकर इस संवर्ग को समाप्त करने का कुचक्र रच रही है। चतुर्थ श्रेणी समूह घ के रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती कराई जाए तथा संविदा प्रणाली को समाप्त किया जाए। प्रदेश के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वेतन संशोधन/उच्चीकरण का लाभ बैण्ड एक रुपये 5200-20200 एवं ग्रेड वेतन 1800 वर्ष 2006 काल्पनिक रूप से अनुमन्य कराते हुए वास्तविक लाभ 8 सितम्बर 2010 से दिया गया है इसे केन्द्र सरकार की भाॅति एक जनवरी 2006 से वास्तविक लाभ दिया जाए। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को एक जनवरी 2006से ग्रेड वेतन 1800 रुपये अनुमन्य होने पर 30 नवम्बर 08 से पूर्व व्यवस्था के अन्तर्गत शासनादेश संख्या वे.आ.-2-627/10-2007-44/2001टी.सी. 21 जून 2007मेंदी गयी समयमान वेतनमान देने की व्यवस्था के अन्तर्गत एक जनवरी 06 को मूल ग्रेड वेतन 1800 होने पर प्रथम प्रोन्नति वेतनमान/ग्रेड वेतन 1900(इग्नोर कर) अगला वेतनमान/ग्रेड वेतन 2000 एवं द्वितीय प्रोन्नति/ग्रेड वेतन 2400 (इग्नोर कर) को छोडकर 2800 वेतनमान ग्रेड वेतन दिया जाए। एक दिसम्बर 2008 से लागू सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन (एसीपी) का तृतीय लाभ ग्रेड वेतन 4200 दिया जाए। पंचायती राज विभाग के अधीन कार्यरत सफाईकर्मिकों को ग्राम प्रधानों के नियंत्रण से मुक्त किया जाए। इनके कार्य के धन्टे निर्धारित किए जाए। 29 जुलाई 91 के पश््चात के समस्त विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन/वर्कचार्ज कर्मिकों को नियमित कर पेंशन, ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाए। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत स्नातक/परास्नातक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सेवारत प्रशिक्षण दिलाकर प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर पदोन्नति दी जाए। इन कर्मचारियों की सेवानियमावली बनाकर पदोन्नति का प्राविधान एवं मृतक आश्रित नियमवली 1974 का लाभ दिया जाए। इसके अलावा इस बैठक में अन्य मांगों पर विस्तार से विचार करते हुए क्रमबंद्ध आन्दोलन की घोषणा की जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 02 February 2015 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव पर्यटन के जरिए प्रदेश को देश-विदेश के आकर्षण का केन्द्र बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं। उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जिनके विकास से बड़ी संख्या में पर्यटकों का आगमन हो सकता है। इससे नए रोजगार सृजित होंगे और युवाओं को खासतौर पर काम के नए अवसर भी मिल सकेंगे।
इस सम्बन्ध में आज फर्रूखाबाद जनपद मे संकिसा में मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की बुद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरू दलाईलामा से भंेट के दूरगामी परिणाम होंगे। मुख्यमंत्री जी के साथ वरिष्ठ मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी ने भी दलाई लामा से भेंट की। दलाई लामा जी ने मुख्यमंत्री जी को अंगवस्त्र तथ साहित्य देकर सम्मानित किया और कहा कि बुद्धधर्म के भारत में जो 8 तीर्थ स्थल हैं उनमे संकिसा भी एक प्रमुख स्थल है। मुख्यमंत्री जी ने इसके विकास तथा सौंदर्यीकरण के लिए तत्काल अधिकारियों को निर्देश दिए।
जापान, कोरिया, थाईलैण्ड, चीन आदि देशों में, जहाॅ बौद्ध धर्म का प्रसार है, वहाॅ से तमाम श्रद्धालु उत्तर प्रदेश में पूर्व एशियाई बौद्ध स्थापत्य का गौरव कुशीनगर बौद्ध मंदिर तथा यादगार विरासत और सारनाथ में भगवान बुद्ध की अभय मुद्रा वाली प्रतिमा और धर्मचक्र परिवर्तन स्थल के दर्शनों के लिए आते हैं। सारनाथ में धम्म के प्रचार का प्रतीक चैखण्डी स्तूप, वाटथाई मंदिर में थाई वास्तु शिल्प में अभय मुद्रा में भगवान बुद्ध की बलुआ पत्थर से बनी मूर्ति और वैभवशाली कौशाम्बी नगर के अवशेष का पर्यटन के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकास हो रहा है।
पर्यटन के विकास के लिए मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुषीनगर में 268Û30 एकड़ क्षेत्र में मैत्रेय परियोजना का शुभारम्भ किया है। ब्रज-मथुरा परिपथ के अंतर्गत स्थलों के विकास के साथ इटावा में लायन सफारी की स्थापना की गई है। बौद्ध धर्मावलम्बियों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए कुशीनगर में हवाई अड्डे का निर्माण कार्य प्रगति पर है। आगरा-मथुरा के बीच ताज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण होना है। तीन स्थानों शिल्पग्राम, आगरा, गुलिस्तां पार्किंग काम्प्लैक्स, फतेहपुर सीकरी एवं संत रविदास घाट, वाराणसी में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हीलियम बैलून राइड सुविधा उपलब्ध करायी जानी है। विध्यांचल, बरसाना, मथुरा एवं देवांगना चित्रकूट में रोपवे की स्थापना प्रस्तावित है। अयोध्या, काशी, मथुरा और वाराणसी अपने पौराणिक महत्व के लिए जाने जाते हैं।
समाजवादी सरकार द्वारा हेरिटेज पर्यटन विकास नीति को अंतिम रूप प्रदान किया जा रहा है। इस नीति के फलस्वरूप प्रदेश में पर्यटकों को अतिरिक्त रूप से पर्यटन सुविधाएं तो प्राप्त होगी ही, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार के साधन भी सुलभ हो सकेंगे। हेरिटेज होटलों के विकास के साथ स्थानीय हस्तशिल्प कलाकारों और कलाओं को भी प्रचार प्रसार और प्रोत्साहन का उचित माध्यम मिल सकेगा। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का मानना है कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास की योजना से ही राज्य में खुशहाली आयेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 02 February 2015 by admin
श्री शाह प्रातः 10 बजे एअरपोर्ट पहुॅचेंगे और 11ः30 पर गन्ना संस्थान डालीबाग में आयोजित ’’प्रदेश सदस्यता समीक्षा बैठक‘‘ का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने बताया कि बैठक में प्रदेश प्रभारी श्री ओम माथुर जी और राष्ट्रीय सहसदस्यता प्रभारी श्री अरूण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 लक्ष्मीकान्त बाजपेयी और महामंत्री (संगठन) श्री सुनील बंसल जी रहेगें। बैठक में प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, सदस्यता प्रभारी और प्रवासी सहित सदस्यता अभियान से जुडे कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे।
श्री शाह सायं 3 बजे से 3ः50 के बीच भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर कार्यकत्र्ताओं से भेंट करेंगे। तत्पश्चात दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 02 February 2015 by admin
सिटी मोन्टेसरी स्कूल के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग द्वारा आयोजित चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्री-प्राइमरी एवं प्राइमरी प्रधानाचार्य सम्मेलन (आई.सी.पी.पी.पी.-2015) का दूसरा दिन आज देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों के बहुमूल्य विचारों से ओतप्रोत रहा जिन्होंने अपने सारगर्भित विचारों से सम्मेलन की सार्थकता सिद्ध कर दी। प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा पद्धति में क्रान्तिकारी बदलाव के उद्देश्य से आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे पाकिस्तान, यू.के., माॅरीशस, नेपाल एवं भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे 500 से अधिक प्रधानाचार्य व शिक्षाविद्ों ने इक्कीसवीं सदी में शिक्षा के नये रूप को विकसित करने की पद्धति, नवीन शैक्षिक तकनीकों, नवीन शैक्षिक उपकरणों एवं टीचिंग एड्स पर अपने विस्तृत अनुभव रखे। लगभग सभी शिक्षाविदों का मानना था कि प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा का समय ही वह सबसे अच्छा समय है जब हम बच्चों के मन-मस्तिस्क में विश्व एकता, भाईचारा व ईश्वरीय एकता के गुणों को समावेशित कर सकते हैं। जीवन मूल्यों पर आधारित यही शिक्षा छात्रों का जीवन पर्यन्त साथ देगी और समाज को एक आदर्श नागरिक देगी।
सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत आई.सी.पी.पी.पी.-2015 की संयोजिका एवं सी.एम.एस. क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग की हेड सुश्री सुष्मिता बासु के ‘ए कर्टेन रेजर’ पर मल्टीमीडिया प्रजेन्टेशन से हुई। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में सुश्री बासु ने कहा कि हमें शिक्षा को क्लासरूम से निकलकर जीवन से जोड़ना है व छात्रों में इतना आत्मबल भरना है कि वे आने वाले कल की सभी चुनौतियों का सामना कर सकें। हमें बालक को भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक, तीनों प्रकार की शिक्षा प्रदान कर उसका सर्वांगीण विकास करना होगा।
आई.सी.पी.पी.पी.-2015 के दूसरे दिन आज देश-विदेश से पधारे प्रख्यात शिक्षाविद्ों द्वारा विभिन्न विषयों पर की-नोट ऐड्रेस दिये गये। पहला की-नोट एड्रेस ‘एक्सीलेन्स इन आॅल थिंग्स’ विषय पर हुआ जिसमें इंग्लैण्ड के रेड ओक्स प्राइमरी स्कूल से पधारी सुश्री टेरी मेनहैम ने ‘व्हाई बादर विद डिस्प्लेस फाॅर लर्निंग’ विषय पर प्रभावपूर्ण प्रस्तुति देते हुए कहा कि स्कूलों में चार्टस लगाने का बहुत महत्वह। स्कूलों में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास आदि विषयों पर विभिन्न प्रकार के चार्टस लगाये जाने चाहिए, जिससे बच्चे प्रोत्साहित हों। इससे पढ़ने एवं पढ़ाने का सुयोग्य वातावरण बनता है। सुश्री मेनहैम ने शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के बीच इन्टरएक्टिव लर्निंग पर भी जोर दिया। जोड़ो ज्ञान, नई दिल्ली के को-फाउण्डर श्री ई के शाजी ने ‘फ्राम द वल्र्ड आॅफ चिल्ड्रेन टु द वल्र्ड आॅफ मैथमेटिक्स’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए त्रिभुज, चतुर्भुज, षटकोण आदि के माध्यम से विभिन्न आकृतियों के निर्माण के विषय में समझाया। उन्होंने कहा कि बीड्स या किसी अन्य वस्तु की सहायता से यदि बच्चों का गिनती सिखाई जाए तो वे जल्दी सीखेंगे।
इसी प्रकार ‘ग्लोबल अन्डरस्टैन्डिंग’ विषय पर आयोजित की-नोट एड्रेस में विभिन्न शिक्षाविद्ों ने अपने सारगर्भित विचारों से ज्ञान की गंगा बहाई और प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा पद्धति को और प्रभावशाली व उपयोगी बनाने के गुर बताये। इस अवसर पर मुंबई से पधारे लेखक व शिक्षाविद् श्री चिन्तन गिरीश मोदी ने ‘फ्रेण्डशिप एक्रास बार्डर ‘- ए पाथ टु पीस’ विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षा के माध्यम से विभिन्न देशों के बीच शान्ति व सौहार्द का वातावरण कायम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम ठान लें कि हमें आपस में दोस्ती और भाईचारा निभाना है तो दुनिया हमारे पदचिन्हों पर चलगी। इसी प्रकार पुणे से पधारे श्री अनिरुद्ध गदनकुश ने ‘कम्पैशन इन एक्शन इन द क्लासरूम - ए नाॅन वाइलेन्ट कम्युनिकेशन वे’ विषय पर अपने विचार रखे।
इसी प्रकार तीसर की-नोट एड्रेस ‘क्वालिटी इन एजुकेशन’ विषय पर आयोजित हुआ। सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट व चीफ आॅपरेटिंग आॅफीसर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने ‘अध्ययन क्वालिटी एजुकेशन सर्विसेज वर्किंग विद द वल्र्डस लार्जेस्ट स्कूल’ पर अत्यन्त प्रभावपूर्ण प्रस्तुति दी। अपने उद्बोधन में प्रो. किंगडन ने स्कूलों द्वारा आन्तरिक तथा बाह्य दोनों प्रकार से पुनरावलोकन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सी.एम.एस. ने अपने पुनरावलोकन के द्वारा गुणात्मक शिक्षा के महत्व का विकास किया है तथापि गुणवत्तापूर्ण लेसन प्लान्स से आत्मपुनरावलोकन को मजबूत किया जा सकता है। अध्ययन क्वालिटी सर्किल के डायरेक्टर श्री स्पाॅकी व्हीलर ने कहा कि बच्चों एवं शिक्षकों क बीच एक भावनात्मक सम्बन्ध होना आवश्यक है। अध्ययन ट्रेनिंग एण्ड डेवलपमेन्ट की हेड सुश्री कविता आनन्द ने कहा कि शिक्षक न सिर्फ अपने छात्रों को पढ़ना-लिखना सिखायें अपितु उनकी जिज्ञासायें व उलझनों को भी सुलझायें।
इसके अलावा, देश-विदेश से पधारे प्रख्यात शिक्षाविदों द्वारा आज विभिन्न विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। जहाँ एक ओर हेरिटेज स्कूल, नई दिल्ली से पधारी सुश्री किरणदीप कौर डंग ने ‘इन्कल्केटिंग यूनिवर्सल वैल्यूज इन द प्राइमरी इयर्स’ विषय पर कार्यशाला का संचालन किया तो वहीं दूसरी ओर रीवरसाइड स्कूल, अहमदाबाद से पधारी सुश्री नन्दिनी पारेख एवं सुश्री जान्हवी मेहता ने ‘क्रिएटिंग लाइफ स्किल्स इन स्कूल्स’ विषय पर कार्यशाला का संचालन किया। इसी प्रकार इंग्लैण्ड के रेड ओक्स प्राइमरी स्कूल से पधारी सुश्री टेरी मेनहैम ने ‘प्रैक्टिकल डिस्प्ले आइडियाज’ विषय पर, जोड़ो ज्ञान, नई दिल्ली के को-फाउण्डर श्री ई के शाजी ने ‘अन्डरस्टैंडिग फ्रैक्शन - स्टोरीज, कान्टेक्स्ट एण्ड एक्टिविटीज’ विषय पर, श्री संजय मुत्तू ने ‘द आर्ट आॅफ स्टारीटेलिंग’ विषय पर एवं श्री पी मोहन, कन्ट्री मैनेजर, स्मार्ट टेक्नोलाजीज, नई दिल्ली ने ‘ट्वेन्टी फस्र्ट सेन्चुरी ई-लर्निंग इन्वार्यनमेन्ट इन स्कूल्स’ विषय पर कार्यशालाओं का संचालन किया।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि यह सम्मेलन माॅन्टेसरी शिक्षा पद्धति पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन के उद्देश्य से आयोजित किया रहा है कि किस प्रकार प्री-प्राइमरी के नन्हें-मुन्हें बच्चों की असीम प्रतिभा को किस प्रकार निखारकर सही दिशा दी जाए जिसमें भौतिक शिक्षा के साथ ही बच्चों के मन-मस्तिस्क में जीवन मूल्यों, नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक सरोकारों को भी समावेशित किया जा सके। श्री शर्मा ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन के प्रति देश-विदेश के शिक्षकों में अभूतपूर्व उत्साह है तथापि इस सम्मेलन के माध्यम से सी.एम.एस. ने बच्चों के सम्पूर्ण विकास हेतु चिन्तन, मनन व मन्थन का अवसर उपलब्ध कराया है, जो सभी शिक्षाविद्ों के लिए भी एक प्रेरणात्मक अनुभव साबित हो रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 02 February 2015 by admin
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री राम नाईक ने आज किसान सशक्तिकरण अभियान का विधिवत उद्घाटन कृषि प्रेक्षागृह में किया। कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, ग्राम्य विकास विभाग, उत्तर प्रदेश तथा राजयोग एजूकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इस अवसर पर प्रमुख सचिव, समग्र ग्राम्य विकास एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन, श्री रजनीश दुबे, निदेशक, कृषि, श्री ए0के0 विश्नोई सहित बड़ी संख्या में किसान व ब्रह्माकुमारी संगठन के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत के किसानों में काम करने की क्षमता को हम सामने नहीं ला पाये हैं। वर्ष 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के समय पूर्व प्रधानमंत्री, स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री ने खाद्यान्न की कमी को देखते हुए जनता का आह्वान किया था कि सप्ताह में एक दिन उपवास किया जाये और जय जवान और जय किसान का नारा दिया था। उनकी अपील का यह अवसर हुआ कि आज देश सीमित कृषि योग्य भूमि मंे खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होकर निर्यात भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि विज्ञान का लाभ किसान तक पहुंचेगा तभी किसान सशक्तिकरण का अभियान सफल हो सकता है।
श्री नाईक ने कहा कि देश में समृद्धि तब आयेगी जब किसान की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी। व्यवसायिक खेती भी अच्छी आर्थिक लाभ का स्रोत हो सकता है। किसान को उपज का अच्छा लाभ मिलना चाहिये जबकि उपज का भाव व्यापारी तय करते हैं। उन्होंने कहा कि रसायनिक खाद के असंन्तुलित उपयोग से खेत की उवर्रकता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि कृषि में विज्ञान का उपयोग यह समझते हुए करने की आवयश्यकता है कि कौन सा विज्ञान हमारे देश के अनुरूप है।
प्रमुख सचिव, श्री रजनीश दुबे ने कहा कि किसानों को स्वयं को समझते हुए सशक्त बनाना होगा। सरकारी योजनाओं में सामूहिक प्रयास से गाॅंव आगे बढे़गा। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाएं जैसे टीकाकरण, शौचालय निर्माण, पाइप पेयजल योजना, स्वच्छता अभियान आदि से गांव एवं किसानों में परिवर्तन लाया जा सकता है।
इस अवसर पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखें। राज्यपाल ने इस अवसर पर झण्डी दिखाकर किसान सशक्तीकरण अभियान के वाहन को रवाना किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 02 February 2015 by admin
पर्ल अकादमी जो की डिजाइन, फैशन और रचनात्मक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए भारत का अग्रणी उच्च शिक्षा संस्थान है, ने लखनऊ में होटल इंडिया अवध में ‘क्रिएटिव कैरियर कॉन्क्लेव’ (सीसीसी) का आयोजन किया। सम्मेलन में डिजाइन, फैशन और रचनात्मक व्यवसायों की दुनिया से कई दिग्गज शामिल थे - सुश्री दीप्ति पंत, कथाकार, फिल्म निर्माता और हेड - स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, मीडिया और फिल्म (सीएमएफ), पर्ल एकेडमी, सुश्री सृस्टि बजाज, उत्पाद डिजाइनर, संस्थापक और निदेशक - डिजाइनबेट, डॉ सुनीता कुंवर, शिक्षाविद और इकोनॉमिक्स में पीएचडीय श्री गौरव मंडल, फैशन डिजाइनर और सह-संस्थापक सह डी रोजा डिजाइन हब, और श्री मोहन नीलकंठन, एले पत्रिका के भूतपूर्व फैशन संपादक और स्टाइलिस्ट एवं टीवी एंकर।
सभा में 150 से भी अधिक छात्र एवं अभिभावक मौजूद थे। सभी प्रतिभागी सम्मानीय पैनल की सूचना और ज्ञान की समृद्धि से प्रभावित थे। पैनल ने कई नए युग और रचनात्मक करियर विकल्पों पर सबके साथ अपने विचार साझा किए।
सुश्री दीप्ति पंत, कथाकार, फिल्म निर्माता और हेड - स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, मीडिया और फिल्म (सीएमएफ), पर्ल एकेडमी, ने कहा,ष्क्रिएटिव करियर कॉन्क्लेव उन छात्रों के लिए एक ऐसा इंटरैक्टिव मंच है जो पारंपरिक कॅरिअर से परे देखने की इच्छा रखते हैं। इसके अतिरिक्त, ऐसे इंटरैक्टिव और व्यावहारिक संवाद माता पिता की आँखें खोल देते हैं। हमारे सम्मेलन के माध्यम से, इन्हे रचनात्मक शिक्षा ध् कैरियर विकल्प की बहुतायत का पता चलता है जो की पारंपरिक विकल्पों से परे होते हैं। सम्मलेन कुल मिला कर एक बहुत ही अच्छा अनुभव प्रदान करता है जहाँ हम न केवल प्रतिभागियों को उपयुक्त करियर चुनने में मार्गदर्शन करते हैं अपितु हमारे लिए यह विचारों का आदान प्रदान एक ज्ञानवर्धक अनुभव होता है जो हमें नवीन विचारों और संभावनाओं की तरफ प्रेरित करता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 02 February 2015 by admin
लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने आज यहां विधान भवन में आयोजित ‘भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 77वें सम्मेलन’ का
उद्घाटन करते हुए कहा कि देश की प्रगति में विधायी निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि
राज्यों की प्रगति से ही देश आगे बढ़ सकता है। सदन में जितनी रचनात्मक चर्चा होगी कानून उतने ही बेहतर बनेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश को अच्छा नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री युवा होने के साथ-साथ अनुभवी भी हैं। श्री यादव, मुख्यमंत्री बनने से पहले वे सांसद भी रहे हैं,
इसलिए विधायी निकायों की भूमिका को अच्छी तरह से समझते हैं। सम्मेलन की शुरुआत से पूर्व उन्होंने ‘भारत में संसदीय लोकतंत्र-एक सिंहावलोकन’ नामक
प्रदर्शनी का दीप जलाकर उद्घाटन भी किया। इस मौके पर देश के विभिन्न राज्यों से आए पीठासीन अधिकारियों, आमंत्रित अतिथियों एवं लोकसभा अध्यक्ष का स्वागत करते हुए विधान सभा के अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि उत्तर प्रदेश अपनी गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए जाना जाता है। 1857 की क्रांति से लेकर देश की स्वतंत्रता प्राप्ति तक यहां के लोगों ने अदम्य साहस और उत्साह के साथ अपने शौर्य का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में देश को सर्वाधिक 09 प्रधानमंत्री दिए हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि आजादी के 67 वर्षाें में लोकतंत्र की जड़े और अधिक गहरी हुईं हैं। देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं पहले से अधिक सुदृढ़ हुई हैं और उनका स्वरूप भी निखरा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद और विधान मण्डलों का इतिहास ऐसे पीठासीन अधिकारियों के नाम से भरा है, जिन्होंने संसदीय लोकतंत्र की उच्च परम्पराओं को स्थापित करने और उन्हें सुदृढ़ करने की दिशा में नये आयाम गढ़े हैं। पीठासीन अधिकारियों ने सदन की जिन महान परम्पराओं को अपनी सूझ-बूझ, बुद्धिमत्ता एवं निष्पक्षता से निभाया है उसकी सराहना देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी हुई है।
सदन को लोकतंत्र का मन्दिर बताते हुए श्री यादव ने कहा कि जनता की आशाएं और अपेक्षाएं प्रत्यक्ष रूप से सदन से जुड़ी हैं। इसलिए सदस्यों की पहली प्राथमिकता जनता के विश्वास को सदन के प्रति लगातार मजबूत बनाने की होनी चाहिए। पीठासीन अधिकारी एक जनप्रतिनिधि भी होता है, इसलिए उनकी जिम्मेदारी दोहरी हो जाती है। विगत कुछ वर्षाें से यह अनुभव किया जा रहा है कि पीठासीन अधिकारियों को अनेक विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में उन्हे सदन के संचालन एवं उसकी गरिमा बनाए रखने के लिए कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। पीठासीन अधिकारियों को सदन का संरक्षक बताते हुए उन्हांेने कहा कि इन्होंने सदैव मर्यादित ढंग से अपने दायित्व का निर्वहन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायी संस्थाएं आजादी के संघर्ष की देन हैं। आजादी के संघर्ष को आगे बढ़ाने में उत्तर प्रदेश विधान मण्डल की सशक्त मंच की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसी मंच से राज्य के महान नेताओं ने राजनैतिक क्रांति और सामाजिक परिवर्तन की आवाज को बुलन्द किया
है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए विख्यात ऐतिहासिक नगर लखनऊ में स्थापित उत्तर प्रदेश विधान मण्डल को देश का सबसे बड़ा
विधान मण्डल बताते हुए उन्होंने कहा कि श्री लाल बहादुर शास्त्री, चैधरी चरण सिंह, श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे महान राज नेताओं ने इसी सदन से होते हुए
देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा में पीठासीन अधिकारी के पद की गरिमा में राजर्षि श्री पुरूषोत्तम दास टण्डन ने जिस परम्परा की नींव रखी, उसे श्री नफीसुल हसन, श्री आत्माराम गोविन्द खेर, श्री मदन मोहन वर्मा, श्री नियाज हसन सहित अन्य सभी अध्यक्षों ने दृढ़ता के साथ निभाया। उन्होंने वर्तमान अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय को इस परम्परा की एक मिसाल बताते हुए विधान परिषद के सभापतियों की भूमिका की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सर सीताराम से लेकर वर्तमान सभापति श्री गणेश शंकर पाण्डेय इस गौरवशाली मर्यादा को बनाए रखने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने समाजवादी आन्दोलन को पृष्ठभूमि प्रदान की है। इन्हीं आन्दोलनों के संघर्ष से निकले महान समाजवादी नेताओं ने समाजवाद को और अधिक सुदृढ़ किया। डाॅ0 राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विरासत और चैधरी चरण सिंह की विचारधारा को श्री मुलायम सिंह यादव ने और आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस प्रकार के सम्मेलन केवल सदन की पद्धति और प्रक्रिया-नियम सम्बन्धी मुद्दों पर विचार करने के लिए ही नहीं बल्कि राज्यों के विधान मण्डलों की कार्य प्रणाली में एकरूपता लाने में भी सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि उनका यह व्यक्तिगत अनुभव रहा है कि ऐसे सम्मेलनों में वैचारिक चिंतन से उपजे निर्णयों से लोकतंत्र को लगातार पुष्ट करने का काम किया है। ज्ञातव्य है कि विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन वर्ष 1921 से आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन का भारतीय लोकतंात्रिक प्रणाली का दीर्घ अनुभव है। समय-समय पर यह सम्मेलन विभिन्न राज्यों में आयोजित होते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में यह सम्मेलन इससे पूर्व वर्ष 1961 तथा वर्ष 1985 में आयोजित हो चुके हैं। लोकसभा अध्यक्ष सहित विभिन्न प्रदेशों के पीठासीन अधिकारियों एवं आमंत्रित अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन विधान परिषद के सभापति श्री गणेश शंकर पाण्डेय ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की धरती विधायिका को स्वस्थ और प्रभावी दिशा देने में सार्थक होगी।
इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न प्रान्तों के विधान सभा एवं विधान परिषद के पीठासीन अधिकारी, लोकसभा एवं राज्य सभा के पदाधिकारी आमंत्रित अतिथि, पूर्व पीठासीन अधिकारी आदि उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 02 February 2015 by admin
उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण, सिंचाई एवं राजस्व मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने आज अपने विधानसभा क्षेत्र जसवंत नगर जनपद इटावा में भारत विकास परिषद की ओर से आयोजित 5वें सामूहिक विवाह में 21 वर एवं वधू को आशीर्वाद देते हुये कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से समाज में एकता एवं समरसता मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर इस प्रकार का आयोजन होते रहना चाहिए जिससे कि समाज के गरीब वर्ग के लोगों को मदद मिलती रहे। श्री यादव ने सभी सामूहिक विवाह के जोडि़यों को घरेलू उपयोग के समान भी मुफ्त वितरित कराया।
श्री यादव ने कहा कि अगले वर्ष और अच्छा एवं भव्य तरीके से इसका आयोजन किया जाये। इसमें जो भी आवश्यकता होगी हम पूरी तरह से मदद देेने कोशिश करेंगे। उन्होंने स्कूल के विद्यालय परिषर में स्थित सामूहिक विवाह स्थल के मंच को अपने विधायक निधि से पक्का बनवाने का निर्देश लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिया। इसके साथ ही मंच के सामने की जमीन को पक्का करने एवं टाइल्स लगाने का अश्वासन भी विद्यालय प्रबंधक को दिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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