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प्री-प्राइमरी शिक्षा पद्धति पर गहन विचार-विमर्श किया देश-विदेश के शिक्षाविदों ने

Posted on 02 February 2015 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग द्वारा आयोजित चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्री-प्राइमरी एवं प्राइमरी प्रधानाचार्य सम्मेलन (आई.सी.पी.पी.पी.-2015) का दूसरा दिन आज देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों के बहुमूल्य विचारों से ओतप्रोत रहा जिन्होंने अपने सारगर्भित विचारों से सम्मेलन की सार्थकता सिद्ध कर दी। प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा पद्धति में क्रान्तिकारी बदलाव के उद्देश्य से आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे पाकिस्तान, यू.के., माॅरीशस, नेपाल एवं भारत के विभिन्न राज्यों से पधारे 500 से अधिक प्रधानाचार्य व शिक्षाविद्ों ने इक्कीसवीं सदी में शिक्षा के नये रूप को विकसित करने की पद्धति, नवीन शैक्षिक तकनीकों, नवीन शैक्षिक उपकरणों एवं टीचिंग एड्स पर अपने विस्तृत अनुभव रखे। लगभग सभी शिक्षाविदों का मानना था कि प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा का समय ही वह सबसे अच्छा समय है जब हम बच्चों के मन-मस्तिस्क में विश्व एकता, भाईचारा व ईश्वरीय एकता के गुणों को समावेशित कर सकते हैं। जीवन मूल्यों पर आधारित यही शिक्षा छात्रों का जीवन पर्यन्त साथ देगी और समाज को एक आदर्श नागरिक देगी।
सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत आई.सी.पी.पी.पी.-2015 की संयोजिका एवं सी.एम.एस. क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग की हेड सुश्री सुष्मिता बासु के ‘ए कर्टेन रेजर’ पर मल्टीमीडिया प्रजेन्टेशन से हुई। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में सुश्री बासु ने कहा कि हमें शिक्षा को क्लासरूम से निकलकर जीवन से जोड़ना है व छात्रों में इतना आत्मबल भरना है कि वे आने वाले कल की सभी चुनौतियों का सामना कर सकें। हमें बालक को भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक, तीनों प्रकार की शिक्षा प्रदान कर उसका सर्वांगीण विकास करना होगा।
आई.सी.पी.पी.पी.-2015 के दूसरे दिन आज देश-विदेश से पधारे प्रख्यात शिक्षाविद्ों द्वारा विभिन्न विषयों पर की-नोट ऐड्रेस दिये गये। पहला की-नोट एड्रेस ‘एक्सीलेन्स इन आॅल थिंग्स’ विषय पर हुआ जिसमें इंग्लैण्ड के रेड ओक्स प्राइमरी स्कूल से पधारी सुश्री टेरी मेनहैम ने ‘व्हाई बादर विद डिस्प्लेस फाॅर लर्निंग’ विषय पर प्रभावपूर्ण प्रस्तुति देते हुए कहा कि स्कूलों में चार्टस लगाने का बहुत महत्वह। स्कूलों में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास आदि विषयों पर विभिन्न प्रकार के चार्टस लगाये जाने चाहिए, जिससे बच्चे प्रोत्साहित हों। इससे पढ़ने एवं पढ़ाने का सुयोग्य वातावरण बनता है। सुश्री मेनहैम ने शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के बीच इन्टरएक्टिव लर्निंग पर भी जोर दिया। जोड़ो ज्ञान, नई दिल्ली के को-फाउण्डर श्री ई के शाजी ने ‘फ्राम द वल्र्ड आॅफ चिल्ड्रेन टु द वल्र्ड आॅफ मैथमेटिक्स’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए त्रिभुज, चतुर्भुज, षटकोण आदि के माध्यम से विभिन्न आकृतियों के निर्माण के विषय में समझाया। उन्होंने कहा कि बीड्स या किसी अन्य वस्तु की सहायता से यदि बच्चों का गिनती सिखाई जाए तो वे जल्दी सीखेंगे।
इसी प्रकार ‘ग्लोबल अन्डरस्टैन्डिंग’ विषय पर आयोजित की-नोट एड्रेस में विभिन्न शिक्षाविद्ों ने अपने सारगर्भित विचारों से ज्ञान की गंगा बहाई और प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा पद्धति को और प्रभावशाली व उपयोगी बनाने के गुर बताये। इस अवसर पर मुंबई से पधारे लेखक व शिक्षाविद् श्री चिन्तन गिरीश मोदी ने ‘फ्रेण्डशिप एक्रास बार्डर ‘- ए पाथ टु पीस’ विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षा के माध्यम से विभिन्न देशों के बीच शान्ति व सौहार्द का वातावरण कायम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम ठान लें कि हमें आपस में दोस्ती और भाईचारा निभाना है तो दुनिया हमारे पदचिन्हों पर चलगी। इसी प्रकार पुणे से पधारे श्री अनिरुद्ध गदनकुश ने ‘कम्पैशन इन एक्शन इन द क्लासरूम - ए नाॅन वाइलेन्ट कम्युनिकेशन वे’ विषय पर अपने विचार रखे।
इसी प्रकार तीसर की-नोट एड्रेस ‘क्वालिटी इन एजुकेशन’ विषय पर आयोजित हुआ। सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट व चीफ आॅपरेटिंग आॅफीसर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने ‘अध्ययन क्वालिटी एजुकेशन सर्विसेज वर्किंग विद द वल्र्डस लार्जेस्ट स्कूल’ पर अत्यन्त प्रभावपूर्ण प्रस्तुति दी। अपने उद्बोधन में प्रो. किंगडन ने स्कूलों द्वारा आन्तरिक तथा बाह्य दोनों प्रकार से पुनरावलोकन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सी.एम.एस. ने अपने पुनरावलोकन के द्वारा गुणात्मक शिक्षा के महत्व का विकास किया है तथापि गुणवत्तापूर्ण लेसन प्लान्स से आत्मपुनरावलोकन को मजबूत किया जा सकता है। अध्ययन क्वालिटी सर्किल के डायरेक्टर श्री स्पाॅकी व्हीलर ने कहा कि बच्चों एवं शिक्षकों क बीच एक भावनात्मक सम्बन्ध होना आवश्यक है। अध्ययन ट्रेनिंग एण्ड डेवलपमेन्ट की हेड सुश्री कविता आनन्द ने कहा कि शिक्षक न सिर्फ अपने छात्रों को पढ़ना-लिखना सिखायें अपितु उनकी जिज्ञासायें व उलझनों को भी सुलझायें।
इसके अलावा, देश-विदेश से पधारे प्रख्यात शिक्षाविदों द्वारा आज विभिन्न विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। जहाँ एक ओर हेरिटेज स्कूल, नई दिल्ली से पधारी सुश्री किरणदीप कौर डंग ने ‘इन्कल्केटिंग यूनिवर्सल वैल्यूज इन द प्राइमरी इयर्स’ विषय पर कार्यशाला का संचालन किया तो वहीं दूसरी ओर रीवरसाइड स्कूल, अहमदाबाद से पधारी सुश्री नन्दिनी पारेख एवं सुश्री जान्हवी मेहता ने ‘क्रिएटिंग लाइफ स्किल्स इन स्कूल्स’ विषय पर कार्यशाला का संचालन किया। इसी प्रकार इंग्लैण्ड के रेड ओक्स प्राइमरी स्कूल से पधारी सुश्री टेरी मेनहैम ने ‘प्रैक्टिकल डिस्प्ले आइडियाज’ विषय पर, जोड़ो ज्ञान, नई दिल्ली के को-फाउण्डर श्री ई के शाजी ने ‘अन्डरस्टैंडिग फ्रैक्शन - स्टोरीज, कान्टेक्स्ट एण्ड एक्टिविटीज’ विषय पर, श्री संजय मुत्तू ने ‘द आर्ट आॅफ स्टारीटेलिंग’ विषय पर एवं श्री पी मोहन, कन्ट्री मैनेजर, स्मार्ट टेक्नोलाजीज, नई दिल्ली ने ‘ट्वेन्टी फस्र्ट सेन्चुरी ई-लर्निंग इन्वार्यनमेन्ट इन स्कूल्स’ विषय पर कार्यशालाओं का संचालन किया।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि यह सम्मेलन माॅन्टेसरी शिक्षा पद्धति पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन के उद्देश्य से आयोजित किया रहा है कि किस प्रकार प्री-प्राइमरी के नन्हें-मुन्हें बच्चों की असीम प्रतिभा को किस प्रकार निखारकर सही दिशा दी जाए जिसमें भौतिक शिक्षा के साथ ही बच्चों के मन-मस्तिस्क में जीवन मूल्यों, नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक सरोकारों को भी समावेशित किया जा सके। श्री शर्मा ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन के प्रति देश-विदेश के शिक्षकों में अभूतपूर्व उत्साह है तथापि इस सम्मेलन के माध्यम से सी.एम.एस. ने बच्चों के सम्पूर्ण विकास हेतु चिन्तन, मनन व मन्थन का अवसर उपलब्ध कराया है, जो सभी शिक्षाविद्ों के लिए भी एक प्रेरणात्मक अनुभव साबित हो रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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