उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने कहा कि प्रदेश में क्रियान्वित लगभग 575 करोड़ रूपये की आठ वर्षीय वन प्रबंध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना के कार्यो में तेजी लायी जाय। उन्होने कहा कि परियोजना के स्वयं सहायता समूहों को और अधिक क्रियाशील करा कर प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्र के लोगों को आर्थिक दृष्टि से मजबूत किया जाय। उन्होने बताया कि आगामी 18 एवं 19 फरवरी 2015 को लखनऊ में सहभागिता से चिरन्तन वन प्रबंध पर आधारित एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जायेगी जिसमें ऐसे अन्य राज्यों के प्रतिनिधि तथा विषय विशेषज्ञ भी भाग लेगे जहां पर जायका परियोजना क्रियान्वित हो रही हैं।
मुख्य सचिव आज सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में जापान इन्टरनेशनल को-आपरेशन एजेन्सी द्वारा पोषित सहभागी वन प्रबंध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना की प्राधिकृत समिति की 12 वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होने प्रदेश के 14 जनपदों में संचालित परियोजना के कार्याे की समीक्षा करते हुए परियोजना की वर्ष 2014-15 की संशोधित कार्ययोजना रू0 75.95 करोड़ एवं अगले वर्ष की 61 करोड़ रूपये कि प्रस्तावित कार्ययोजना को भी अनुमोदित की।
श्री रंजन ने कहा कि इस परियोजना में देश में पहली बार किसी सरकारी विभाग का संयुक्त राष्ट्र संघ से एफारेस्टेशन एण्ड रिफारस्टेशन क्लीन डेवलपमेन्ट मेकेनिज्म (ए0आर0सी0डी0एम0) में परियोजना अनुमोदित करायी जा रही है और इस प्रकार इस दिशा में उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। उन्होने कहा कि मार्च 2016 में समाप्त होने वाली इस परियोजना की अवधि को आगामी दो वर्ष बढाने हेतु भारत सरकार को तत्काल प्रस्ताव भेज दिया जाय। उन्होने कहा कि परियोजना के सफल क्रियान्यवन को दृष्टिगत रखते हुए इसे प्रदेश के समस्त जनपदों में लागू करने हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाय।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव वन, श्री वी0एन0 गर्ग, प्रमुख सचिव समन्वय श्री राजन शुक्ला, प्रमुख सचिव नियोजन श्री देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख वन संरक्षक श्री रूपक डे, मुख्य परियोजना निदेशक श्री राजीव कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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